Sunday 21 June 2015

#InternationalDayofYoga #Yoga: 35 हजार से अधिक योगाभ्यासियों के साथ राजपथ बना 'योगपथ', गिनीज वर्ल्ड बुक में दर्ज हुआ विश्व कीर्तिमान

#Yoga: 35 हजार से अधिक योगाभ्यासियों के साथ राजपथ बना 'योगपथ', गिनीज वर्ल्ड बुक में दर्ज हुआ विश्व कीर्तिमान
नयी दिल्ली,  
:21-06-15
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर यहां राजपथ पर आयोजित समारोह स्थल पर आज 35985 लोगों ने योग किया और इसमें 84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे जिससे यह कार्यक्रम गिनीज वर्ल्ड रिकाडर्स बुक में दर्ज हो गया। आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने आंकड़ों का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि हमने एक दिन में दो कीर्तिमान स्थापित किये।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कीर्तिमान स्थापित करने और कार्यक्रम के सफल आयोजन पर सभी को बधाई दी है। राजपथ के समारोह ने 19 नवंबर 2005 का पिछला रिकार्ड तोड़ दिया जब जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के विवेकानंद केन्द्र के नेतृत्व में 362 स्कूलों के 29973 छात्रों ने 18 मिनट तक सूर्य नमस्कार के लिए कई योग क्रियाएं की थीं।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉडर्स के कीर्तिमान सत्यापन मामलों के वैश्विक प्रमुख मार्को सरिगाटी ने कहा कि एर्नस्ट एंड यंग ने आज के पूरे कार्यक्रम में शामिल लोगों की संख्या की जांच की। उन्होंने कहा कि पहली बार रिकार्ड बुक्स में जगह बनाने के लिए किसी योग कार्यक्रम के लिए न्यूनतम मानदंड कम से कम 50 देशों के लोगों का शामिल होना तय हुआ

प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर देश़-दुनिया के लोगों को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि योग शरीर, मन को संतुलित करने का माध्यम और मानवता, प्रेम, शांति, एकता, सदभाव के भाव को जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।
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प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के लिए इस विश्व संगठन का धन्यवाद किया। उन्होंने इससे संबंधित प्रस्ताव के सह प्रस्तावक देशों और इस दिवस को मनाने वाले देशों को भी धन्यवाद दिया।

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निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, प्रधानमंत्री को राजपथ पर उपस्थित लोगों को केवल संबोधित करना था और योग में हिस्सा नहीं लेना था। लेकिन सबको आश्चर्यचकित करते हुए उन्होंने योग करने आए हजारों बच्चों सहित करीब 35 हजार लोगों के साथ बैठकर विभिन्न योगासन भी किये।

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यहां राजपथ पर योग कार्यक्रम की शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद मानव कल्याण और दुनिया को तनाव मुक्त बनाने के साथ दुनिया भर में सदभावना का संदेश पहुंचाना है।

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मोदी ने कहा, ज्यादातर लोग योग को अंग मर्दन का माध्यम मानते हैं। मैं मानता हूं कि यह सबसे बड़ी गलती है । अगर योग अंग गोपांग मर्दन का कार्यक्रम होता तब सर्कस में काम करने वाले बच्चे योगी कहलाते। शरीर को केवल मोड़ देना या अधिक से अधिक लचीला बनाना ही योग नहीं है।

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प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायी कि देश में योग के पक्ष में माहौल बनेगा और यह भविष्य में भी जारी रहेगा। मोदी ने कहा,  हम केवल इसे एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव के मन को शांति के नये युग की ओर उन्मुख बना रहे हैं। यह कार्यक्रम मानव कल्याण का है और शरीर, मन को संतुलित करने का माध्यम और मानवता, प्रेम, शांति, एकता, सदभाव के भाव को जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।

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प्रधानमंत्री ने कहा, मेरे लिये यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है कि यह योग किस भूमि पर पैदा हुआ, किस भाग में इसका प्रसार हुआ। महत्व इस बात का है कि मानव का आंतरिक विकास होना चाहिए। हम इसे केवल एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव मन को शांति एवं सदभवना के नये युग की शुरूआत के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।

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मोदी ने कहा कि दुनिया ने विकास की नई उंचाइयों को हासिल किया है। प्रौद्योगिकी एक प्रकार से जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर गया है। बाकी सब चीजे तेज गति से बढ़ रही हैं। दुनिया में हर प्रकार की क्रांति हो रही है। लेकिन कहीं ऐसा न हो कि इंसान वहीं का वहीं बना रह जाए और विकास की अन्य सभी व्यवस्थाएं आगे बढ़ जाएं।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर इंसान वहीं का वहीं बना रह जाएगा और विकास की अन्य व्यवस्थाएं आगे बढ़ जायेंगी तब एक मिसमैच हो जायेगा। और इसलिए मानव का भी आंतरिक विकास होना चाहिए। विश्व के पास इसके लिए योग ऐसी ही एक विद्या है।

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उन्होंने कहा कि योग को आगे बढ़ाने में अनेक रंग रूप और भूभाग के लोगों ने योगदान दिया है। मोदी ने कहा कि योग का महत्व इस संदर्भ में है कि हम सबके साथ अंतर्मन को कैसे ताकतवर बनाएं और मनुष्य ताकतवर बनकर कैसे शांति का मार्ग प्रशस्त करे।

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उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से संगीत के जलसे से पहले कोई तबला ठीक करता है, कोई ढोल ठीक करता है, कोई सितार देखता है। संगीत कार्यक्रम शुरू होने से पहले ताल को मिलाकर देखा जाता है़ उसी प्रकार से आसन का भी पूरी योग व्यवस्था में उसी प्रकार का महत्व है। इसलिए इसको जानना पहचानना जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर हम संयुक्त राष्ट्र का धन्यवाद करते हैं, उन 177 देशों का आभार व्यक्त करते हैं जो 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के प्रस्ताव के सह प्रस्ताव बने और इसे मनाने के लिए दुनिया के 193 देशों को भी धन्यवाद देते हैं।

मोदी ने कहा कि दुनिया के कुछ हिस्सों में सूरज की पहली किरण का योग अभ्यासी लोग पहले ही स्वागत कर चुके हैं । 24 घंटे के बाद सूरज की किरण समाप्त होने तक सभी क्षेत्रों में योग अभ्यासी लोग इसका स्वागत कर रहे होंगे। पहली बार दुनिया इसे स्वीकार कर रही है।

योगासन के लिए राजपथ पर भारी संख्या में लोगों के उपस्थित होने पर प्रधानमंत्री ने हर्ष जताते हुए कहा,  क्या किसी ने कल्पना की होगी कि राजपथ, योगपथ बन जायेगा।

इस वहद समारोह में काफी संख्या में विदेशी मिशनों के राजनयिकों ने भी हिस्सा लिया। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आसन किये।

प्रधानमंत्री के साथ मंच पर योगगुरू रामदेव समेत कुछ अन्य योग एवं अन्य धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख भी मौजूद थे।

देश के विभिन्न हिस्सों में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं। सशस्त्र बल भी इस समारोह का हिस्सा बने। दुनिया के सबसे उंचे युद्ध के मैदान सियाचिन में जवानों ने योग आसन किया। वहीं युद्धपोतों पर भी योग कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र में योग दिवस समारोह में हिस्सा लिया। विदेशों में भारतीय मिशन ने आज इस संबंध में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया है।

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