Saturday 15 August 2015

आजादी का जश्न: लोगों पर गोली चलाने के आदेश मानने से किया था इनकार, ये है वीर चंद्र गढ़वाली

आजादी का जश्न: लोगों पर गोली चलाने के आदेश मानने से किया था इनकार, ये है वीर चंद्र गढ़वाली
देहरादून‬ ‪-उत्तराखंड‬
16 Aug 2015 

 
आजादी का जश्न पहाड़ के वीर सपूतों को याद किए बिना अधूरा सा लगता है. देवभूमि उत्तराखंड के एक वीर सपूत वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली भी उनमें से एक हैं. ताल ठोककर ब्रिटिश हुकूमत के दांत खट्टे करने वाले इस शख्स की कहानी पहाड़ की आबो हवा में हमेशा गूंजती रहेगी.

बस मिल जाए एक और वीर
गांधी जी ने कहा था कि "मुझे एक चन्द्र सिंह गढ़वाली और मिलता तो भारत कभी का स्वतंत्र हो गया होता". 23 अप्रैल, 1930 को अफगानिस्तान के निहत्थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर गोली चलाने से इनकार करने वाले चन्द्र सिंह गढ़वाली ने उसी समय ये अहसास करा दिया था कि ब्रिटिश हुकूमत के अब ज्यादा दिन शेष नहीं बचे हैं.
वीर भूमि उत्तराखंड में पहले ही वीरों की कमी नहीं है. लेकिन वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ने अंग्रेजों के आदेश न मानते हुए अपने ही लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर एक नई क्रांति को जन्म दिया था.चन्द्र सिंह कभी अपने बुलंद इरादों के आगे किसी के आगे नहीं झुके भले ही स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें सलाखों के पीछे ही क्यों न जाना पड़ा हो. ये है पूरी कहानी


1891 में गढ़वाल के चौथान पट्टी के मासी सैणीसैरा गांव में जन्मे चन्द्र सिंग गढ़वाली 11 सितम्बर, 1914 को गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हो गए. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अगस्त 1914 में मित्र देशों की ओर से यूरोप और मध्य पूर्वी क्षेत्र में सीधे दुश्मनों से लोहा लेने अपनी टुकड़ी के साथ पहुंच गए. इसी साल अक्टूबर के बाद राजनैतिक में भी उनकी रूचि बढ़ती चली गई.
वर्ष 1921 में जब गांधी जी बागेश्वर आए तो उनकी टोपी हाथ में लेकर जीवनभर बलिदान की भावना से काम करने का प्रण कर लिया. 1930 में हुक्म आया कि चन्द्र सिंह को अपनी बटालियन लेकर पेशावर जाना है. यहां के किस्साखानी बाजार में खान अब्दुल खान गफ्फार के लालकुर्ती खुदाई खिदमतदारों की एक आम सभा हो रही थी. आजादी के इन दीवानों को अंग्रेज तितर-बितर करना चाहते थे और ऐसा बिना बल प्रयोग के सम्भव नहीं था.


'हम निहत्थों पर गोली नहीं चलाते'
कैप्टेन रैकेट 72 गढ़वाली जवानों को लेकर मौके पर पहुंचे और गोली चलाने का हुक्म दिया. बस फिर क्या था चन्द्र सिंह कैप्टन रैकेट के बगल में खड़े थे और उन्होंने सीज फायर का हुक्म सुनाया. सैनिकों ने बन्दूकें नीचे कर लीं औऱ चन्द्र सिंह ने कहा कि हम निहत्थों पर गोली नहीं चलाते. इसके बाद गोरे सैनिकों ने गोली चलाई.


जब गढ़वाली को जेल में डाल गया
ये अदम्य साहस चन्द्र सिंह गढ़वाली का ही था कि उन्होंने अंग्रेज हुकूमत के सामने अपनी आवाज बुलंद कर दी. उसी समय उऩकी टुकड़ी को पेशावर के ऐबटाबाद में नजरबंद कर दिया गया. उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया और जेल भेज दिया गया. 11 साल 3 महीने 17 दिन जेल में बिताने के बाद गढ़वाली 26 सितम्बर 1941 को रिहा हो गए.


सुभाष चंद्र बोस से मुलाकाल
उत्तराखंड का यह वीर, बरेली अल्मोड़ा, लखनऊ, नैनीताल, ऐबटाबाद जेलों में वह बंद रहा औऱ अनेक यातनाएं भी झेलीं. लखनऊ जेल में उनकी मुलाकात नेता जी सुभाष चंद्र बोस से हुई. इस ऐतिहासिक मुलाकात के बाद फिर आजादी के लिये एक नई फौज बनाने की नींव पड़ गई. आजाद हिंद फौज को लेकर नेताजी से गढ़वाली का गहन विमर्श हुआ.


चंद्र की वीरता के किस्से गूंजते रहेंगे सदा
"बेड़ियों को मर्दों का जेवर" कहने वाले वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली इलाहाबाद में भी रहे. भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्हें कमांडर इन चीफ बनाया गया. एक बार फिर से गिरफ्तारी के बाद 6 अक्टूबर 1942 को उन्हें छह साल की सजा सुनाई गयी. फिर 1945 में उन्हें जेल से छोड़ना पड़ा, लेकिन गढ़वाल में प्रवेश प्रतिबन्धित कर दिया गया. 1946 में गढ़वाल में प्रवेश करने के बाद चन्द्र सिंह ने नागेन्द्र सकलानी के निधन के बाद आंदोलन की कमान संभाली. कम्युनिस्ट विचारधारा के चलते सरकार से उनका साथ कभी नहीं रहा. 1952 में पौड़ी सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़े, लेकिन कांग्रेस की लहर के आगे जीत नहीं सके. बैरिस्टर मुकुन्दी लाल कहते हैं कि आजाद हिन्द फौज का बीज बोने वाला वही है. 1 अक्टूबर 1979 को लम्बी बीमारी के बाद चन्द्र सिह का निधन हो गया, लेकिन उनकी वीरता की सदाएं आज भी पहाड़ के कोने-कोने में गूंज रही हैं

Happy Independence Day: Jai Hind

Happy Independence Day: Jai Hind


: Let’s Take Decision To Value Our Nation Won’t Forget Those Sacrifices,Who Gave Us Freedom.Wish You Happy independence day


This is the day to raise India’s flag high and wave it with respect as it’s our Independence Day.

Lets Celebrate Freedom by Promoting a Human rights Culture in which Respect, dignity and equality Become a code for living. Our role to Live up to the dreams of 1947 Happy 15 August ! Happy Independence Day 2015.

Freedom in the mind, Faith in the words, Pride in our hearts & Memories in our souls… Let’s salute the nation on Independence Day!

May we always remain Independent. Happy Independence Day(15 August) To You.
We shed many tears to get this land, now filled it with smiles and happiness.

On this 15 August, may you enjoy the freedom not only the one enshrined in our constitution; but may you be blessed with the freedom of mind, thought and spirit!
 

Happy Independence Day!

Good Luck.

Friday 14 August 2015

मोदी के भाषण की दस ख़ास बातें #JaiHind #WorldWishesIndia #FreedomToMe #IndependenceDay #HappyIndependenceDay

मोदी के भाषण की दस ख़ास बातें

1 5/08/2015
नरेंद्र मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर लाल किले से दूसरी बार राष्ट्र को संबोधित किया.
नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में बार-बार टीम इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया.
पेश हैं उनके भाषण की दस ख़ास बातें...

1. सांप्रदायिक सद्भाव पर ज़ोर

हमारी एकता, हमारी सरलता, हमारा भाईचारा और हमारा सद्भाव ये हमारी बहुत बड़ी पूंजी है. इस पूंजी को कभी दाग़ नहीं लगना चाहिए. कभी चोट नहीं पहुँचनी चाहिए. अगर देश की एकता बिखर जाए तो सपने भी चूरचूर हो जाते हैं. जातिवाद के ज़हर को, सांप्रदायिकतावाद के जुनून को किसी भी रूप में जगह नहीं देनी है, पनपने नहीं देना है.

2. टीम इंडिया से बढ़ रहा है देश

सवा सौ करोड़ देशवासी जब टीम बन जाते हैं तो वो राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाते हैं, राष्ट्र को बढ़ाते हैं, राष्ट्र को बनाते हैं और राष्ट्र को बचाते भी हैं. हम जो कुछ भी कर रहे हैं, जहां भी पहुँचने का प्रयास कर रहे हैं वह इस सवा सौ करोड़ की टीम इंडिया के कारण ही है. हम टीम इंडिया के आभारी हैं.

3. देश के मन की बात

जनभागीदारी के ज़रिए देश के मन की बात सरकार तक पहुँच रही है. माइगोव डॉट इन (MYGOV.IN), मन की बात और पत्रों के ज़रिए दूर दराज़ बैठे लोगों के सुझाव भी सरकार तक पहुँच रहे हैं.
नरेंद्र मोदी

4. जनधन योजना, बीमा योजना और पेंशन योजना

विश्व में फाइनेंसियल इंक्लूज़न की जो बात होती है उसे एक मज़बूत धरातल पर अगर लाना है तो देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को अर्थव्यवस्था से जोड़ना है. हमने जनधन योजना का कार्य समयसीमा में पूरा किया. 17 करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत खाते खुलवाए. 12 रुपए सालाना में दो लाख का बीमा दिया.

5. विद्यालयों में शौचालय

हमने दो लाख विद्यालयों में सवा चार लाख शौचालय बनाने के काम को लगभग पूरा कर लिया.

6. श्रम क़ानूनों में सुधार

मज़दूरों को पीएफ़ खाते के लिए एक पहचान नंबर दिया. 44 श्रम क़ानूनों को चार आचार संहिताओं में समेटा.
नरेंद्र मोदी

6. एलपीजी सब्सिडी

बीस लाख लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है. हम एलपीजी सब्सिडी के लिए डायरेक्ट बेनिफ़िट का प्रावधान लाए हैं जिससे दलाली और कालाबाज़ारी ख़त्म हुई है.

7. कोयले की नीलामी

अगर मैं कोयला की चर्चा करूंगा तो कुछ राजनीतिक पंडित उसे राजनीति के तराजू से तोलेंगे. मैं जिस कोयले की चर्चा कर रहा हूँ उसे राजनीति से मत तोलिए. हमने कोयले की नीलामी का प्रावधान किया और क़रीब तीन लाख करोड़ रुपए अब तक नीलामी से जुटाए हैं. एफ़एम रेडियो फ़्रीक्वेंसी नीलामी से भी अब तक एक हज़ार करोड़ रुपए आए.

8. भ्रष्टाचार नहीं हुआ

हमारी पंद्रह महीनों की सरकार पर अब तक भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है. कालेधन पर हमने कठोर क़ानून बनाया है और लोगों ने अब तक 6500 करोड़ रुपए की अघोषित आय घोषित की है.
नरेंद्र मोदी

8. कृषि मंत्रालय में किसान कल्याण जोड़ा

हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए पचास हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. कृषि मंत्रालय अब कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के रूप में जाना जाएगा. बिजली से वंचित साढ़े अट्टारह हज़ार गाँवों में अगले एक हज़ार दिनों में बिजली पहुँचाई जाएगी.

9. वन रैंक वन पेंशन

पूर्व सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन का विषय हमारी सरकार के सामने हैं. मैं विश्वास दिलाता हूँ कि सिद्धांततः इस सरकार ने वन रैंक वन पेंशन को स्वीकार कर लिया है. संबंधित लोगों से बात चल रही है, बात को आगे बढ़ा रहे हैं.

10. स्टार्ट अप इंडिया-स्टैंड अप इंडिया

हमें भारत को स्टार्टअप्स में नंबर एक बनाना हैं. बैंक नए उद्यमियों को आसान क़र्ज़ देंगे. देश की सवा लाख बैंक शाखाएं दलितों-वंचितों के लिए विशेष योजनाएं बनाएंगी. देश में सवा लाख दलित उद्यमी पैदा किए जाएंगे. उन स्टार्टअप प्रोजैक्ट को अधिक मदद दी जाएगी जिनसे अधिक रोज़गार पैदा होंगे.

सालिहां विद्रोह 1930: सालिहां वो तुम्हें याद नहीं रखेंगे! .... मेरे पिता ख़ून से लथपथ ज़मीन पर पड़े हुए थे. उनके पैर में गोली लगी थी... #JaiHind #WorldWishesIndia #FreedomToMe

सालिहां विद्रोह 1930: सालिहां वो तुम्हें याद नहीं रखेंगे! .... मेरे पिता ख़ून से लथपथ ज़मीन पर पड़े हुए थे. उनके पैर में गोली लगी थी...

15/08/2015
सालिहां
सालिहां गांव पर जब हमला हुआ तो एक लड़का सूचना लेकर दौड़ता हुआ आया. उस समय वो अन्य आदिवासी महिलाओं के साथ खेत में काम कर रही थीं.
उसने कहा, “उन्होंने गांव पर हमला बोल दिया है, उन्होंने तुम्हारे पिता को भी मारा है. वो हमारे घरों को जला रहे हैं.”
ये बात 1930 के आसपास की है और हमला करने वाले ब्रितानी पुलिस के लोग थे, जो अंग्रेज़ी राज से विद्रोह करने वाले इस गांव पर कार्रवाई कर रहे थे.
कई अन्य गांवों को तबाह कर दिया गया या जला दिया गया, लोगों के अनाज लूट लिए गए, विद्रोहियों को सबक सिखाया गया था.
साबर समुदाय की आदिवासी महिला देमाथी देई साबर और 40 अन्य अदिवासी युवा महिलाएं खेत का काम छोड़ गांव सालिहां की ओर दौड़ीं.

पढ़ें विस्तार से

भारत में अंग्रेज़ी राज
बुज़ुर्ग स्वतंत्रता सेनानी देमाथी ने बताया, “मेरे पिता ख़ून से लथपथ ज़मीन पर पड़े हुए थे. उनके पैर में गोली लगी थी.”
उनके मुताबिक़, “मैं आपा खो चुकी थी और मैं बंदूकधारी अफ़सर से भिड़ गई. उन दिनों खेत या जंगल में जाते हुए हम लाठी साथ रखते थे. अगर जंगली जानवर हमला कर दें तो उससे बचने के लिए साथ में कुछ तो रखना ही पड़ता था.”
जब उन्होंने अफ़सर पर हमला बोला तो, बाकी 40 महिलाओं की लाठी भी पुलिसवालों के ख़िलाफ़ उठ गई.
उन्होंने आवेश में बताया, “मैंने सड़क तक उस बदमाश का पीछा किया. वो इतना हैरान था कि कुछ भी नहीं कर पाया. वो भागता ही चला गया.”
उन्होंने उसे पूरे गांव में दौड़ा दौड़ा कर पीटा. इसके बाद उन्होंने अपने पिता को उठाया और उस जगह से दूर ले गईं. बाद में वो गिरफ़्तार कर लिए गए थे, हालांकि एक दूसरे आंदोलन की अगुवाई करने के लिए.
इस इलाक़े में अंग्रेज़ी राज विरोधी आंदोलन को संगठित करने में कार्तिक साबर की मुख्य भूमिका थी.
देमाथी देई साबर ‘सालिहां’ के नाम से भी जानी जाती हैं. यह नाम नौपाडा ज़िले में स्थित उनके गांव के नाम पर है.
ओडिशा की इस स्वतंत्रता सेनानी को हथियारबंद ब्रितानी अधिकारी के ख़िलाफ़ लाठी से मुक़ाबला करने के लिए सम्मानित किया गया था.

सालिहां विद्रोह

सालिहां
उनकी निडरता की तमाम कहानियों के बावजूद वो ख़ुद नहीं मानतीं कि उन्होंने कुछ भी अनोखा किया था.
उन्होंने बताया, “उन्होंने हमारे घर और फसलें तबाह कर दिए थे और उन्होंने मेरे पिता को घायल कर दिया था. ऐसी स्थिति में मुझे उनसे लड़ना ही था.”
वो साल था 1930 का और वो उस समय 16 साल की थीं. विद्रोही इलाक़ों में ब्रिटिश राज विरोधी और आज़ादी के समर्थन में होने वाली बैठकों पर अंग्रेज़ सरकार सख़्त कार्रवाई कर रही थी.
ब्रितानी और उनकी पुलिस के ख़िलाफ़ देमाथी की इस कार्रवाई को बाद में सालिहां विद्रोह और फ़ायरिंग के नाम से जाना गया.
देमाथी से जब मैं मिला था वो 90 साल की होने वाली थीं. उनके चेहरे पर तब भी एक आत्मविश्वास और सुंदरता थी.
वो बहुत कमज़ोर हो चुकी थीं और उनकी आंख की रोशनी तेज़ी से ख़त्म हो रही थी, लेकिन अपनी युवावस्था में शायद वो बहुत सुंदर, लंबी और मज़बूत रही होंगी. उनके लंबे हाथ, उनमें छिपी ताक़त और लाठी चलाने में सक्षम होने का संकेत देते थे.
उस अंग्रेज़ अफ़सर पर ये ज़रूर भारी पड़ी होंगी और निश्चय ही उसने भागने में भलाई समझी होगी.

सरकारी उपेक्षा

भारत का झंडा
उनका यह असाधारण साहस उपेक्षित है और उनके गांव के बाहर तो उनके बारे में लोग लगभग भूल ही चुके हैं.
जब मैं ‘सालिहां’ से मिला तो वो बारगढ़ ज़िले में बहुत ग़रीबी में रह रही थीं. उनके पास संपत्ति के नाम पर केवल एक रंग बिरंगा सरकारी कागज़ था जो उनकी बहादुरी की तस्दीक करता था.
उसमें भी ‘सालिहां’ से ज़्यादा उनके पिता के बारे में लिखा है और उसमें उस जवाबी कार्रवाई का ज़िक्र तक नहीं है, जिसकी उन्होंने अगुवाई की थी. उन्हें पेंशन नहीं मिलती थी और न ही सरकार की ओर से और कोई मदद.
वो अपनी याददाश्त खो रही थीं. केवल एक बात उनकी आंखों में चमक पैदा करती और वो थी उनके पिता कार्तिक साबर को गोली लगने की घटना.
आप इस बारे में उनसे बात करें तो वो बहुत ग़ुस्से में उस घटना को याद करती हैं और लगता है जैसे वो अभी यहीं उनकी आंखों के सामने घटित हो रही हो.
उन्होंने बताया, “मेरी बड़ी बहन भान देई और साबर समुदाय की दो अन्य आदिवासी महिलाएं- गंगा तालेन और साखा तोरेन को भी गिरफ़्तार कर लिया गया था. वो सभी अब इस दुनिया में नहीं हैं. पिता ने रायपुर जेल में दो साल गुज़ारे.”

आज़ादी की लड़ाई

महात्मा गांधी
आज उनके इलाक़े में उन्हीं सामंती लोगों का बोलबाला है, जिन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया था. जिस आज़ादी के लिए सालिहां लड़ीं, उससे इन सामंती लोगों को ही फ़ायदा हुआ. यहां ग़रीबी के समंदर में सम्पन्नता के टापू दिखाई देते हैं.
वो हमें देख मुस्कराईं लेकिन वो थक रही थीं. अपने तीन बेटों- ब्रिश्नु भोई, अंकुर भोई और आकुरा भोई का नाम याद करने में भी उन्हें दिमाग पर ज़ोर देना पड़ता है.
जब हम जाने को तैयार हुए तो उन्होंने हमारी ओर हाथ हिलाया.
देमाथी देई साबर ‘सालिहां’ फिर भी मुस्करा रही हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी के वादों का 'अर्धसत्य'... #JaiHind #FreedomSelfie

पीएम नरेंद्र मोदी के वादों का 'अर्धसत्य'...


15 अगस्त 2015


 लाल क़िले से भाषण करते नरेंद्र मोेदी

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर लाल क़िले से दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई वादे किए थे और कई योजनाओं का ऐलान किया था.
एक साल बाद इन वादों पर वो कितने खरे उतरे हैं और कितनी योजनाओं पर अमल हुआ है?
इन योजनाओं पर हुई कार्रवाई को सरकारी आंकड़ों के तराज़ू में तौलें, तो मोदी सरकार मोटे तौर पर अपने वादों पर खरी उतरती नज़र आती है.
कहते हैं, तस्वीरों की तरह ही आंकड़ें भी झूठ नहीं बोलते. लेकिन अकसर इन आंकड़ों के पीछे का सच दिखाई नहीं देता है.

आंकड़ों का सच



 लाल क़िले से भाषण करते नरेंद्र मोेदी
उदाहरण के तौर पर, मोदी ने 15 अगस्त 2014 के अपने भाषण में 'प्रधानमंत्री जनधन योजना' की घोषणा की थी.
योजना शुरू हुई और इस साल जून के अंत तक देश भर में लगभग 18 करोड़ नए बैंक खाते खुले.
डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड ग़रीबों में बांटे गए, ताकि सरकारी सब्सिडी सीधे उनके खाते में जाए और वो इन कार्ड का इस्तेमाल कर सकें.
एक साल से कम समय में 18 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोलना सराहनीय है. इन आंकड़ों से सरकार की कोशिशें स्पष्ट होती हैं.


जन धन योजना के तहते खोले गए बैंक खाते
लेकिन आंकड़ों से हट कर इन खातों की तह में जाने से मालूम होता है कि 47 फ़ीसदी खातों में पैसे नहीं हैं.
इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अगर 100 कुएं खोदें और 50 कुओं में पानी न हो तो इन कुओं के खोदने का क्या फ़ायदा? बिजली के खंभे लगा दें और बिजली की सप्लाई न हो, तो इससे लोगों को कोई लाभ नहीं होगा.

स्वच्छ भारत अभियान का सच



स्वच्छ भारत में शिरकत करते हुए मोदी
प्रधानमंत्री ने उसी दिन 'स्वच्छ भारत' अभियान की घोषणा भी की थी. इसे 2 अक्तूबर को शुरू कर दिया गया. इस योजना के तहत प्रधानमंत्री ने कहा था कि 15 अगस्त 2015 तक देश के सभी सरकारी स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट बन जाएंगे.
जो लोग सिर्फ़ आंकड़ों पर नज़र रखते हैं, वे सरकार की पीठ ठोंक सकते हैं. सरकारी आंकडों के मुताबिक़, लड़कों के लिए 85 फ़ीसदी स्कूलों में शौचालय बन चुके हैं, लड़कियों के लिए 91 प्रतिशत स्कूलों में टॉयलेट बन कर तैयार हैं.
लेकिन, जब आपको यह पता चले कि इनमें से लगभग 70 फ़ीसदी शौचालयों में पानी नहीं है, तो आपको मायूसी हो सकती है.

वादों का अाधा सच



 लाल क़िले से भाषण करते नरेंद्र मोेदी
यह आंकडों का अर्धसत्य है. यह मोदी सरकार के वादों का भी अाधा सच है. प्रधानमंत्री ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 35 वर्ष से कम के युवाओं को रोज़गार दिलाने और उन्हें नए कौशल की ट्रेनिंग का इंतजाम करने का वाद किया था.


स्किल इंडिया
प्रधानमंत्री ने 'स्किल इंडिया' की योजना का उद्घाटन भी किया. इस योजना के तहत हर साल 24 लाख युवकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
लेकिन देश भर में हर साल 1.2 करोड़ लोगों को नौकरियों की ज़रूरत होगी. इसके इलावा खेती करने वाले 26 करोड़ से ज़्यादा युवाओं को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है.

'मेक इन इंडिया'



मेक इन इंडिया शुरू करते मोदी
'मेक इन इंडिया' योजना मोदी सरकार की सब से बड़ी स्कीम है, जिसका ऐलान उन्होंने पूरे जोश के साथ स्वतंत्रता दिवस पर किया था.
इस योजना के तहत विदेशी निवेश तो ठीक है, लेकिन अगर योजना को कामयाब बनाना है तो बुनियादी ढांचों को ठीक करना होगा.
कारखाने और उद्योग के लिए ज़मीन चाहिए. मोदी सरकार अब तक इसमें बुरी तरह नाकाम रही है.
सरकार ने नए उद्योग और उत्पादन के लिए भूमि अधग्रहण विधेयक तैयार तो किया, पर उसे संसद में अब तक पारित नहीं करवा पाई है.

नए वादे?



स्वच्छ भारत अभियान
हमारी जानकारी के मुताबिक़, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिए जाने वाले अपने दूसरे भाषण में प्रधानमंत्री अपने वादों को पूरा करने का दावा करेंगे. इस बार भी उनका भाषण जोश से भरा होगा और कई नए वादे किए जाएंगे.
कम ही लोगों को याद होगा कि नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2013 को भुज में स्वतंत्रता दिवस पर एक जोशीला भाषण दिया था. वो उस समय गुजरात के मुख्य मंत्री थे, लेकिन भाषण का लहजा प्रधानमंत्री वाला था.
उस समय उनके समर्थकों ने कहा यह अगले साल के स्वतंत्र दिवस के भाषण का एक ड्रेस रिहर्सल है.


 नरेंद्र मोेदी
उस दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भाषण काफी फ़ीका था. मोदी ने अपने जवाबी भाषण में मनमोहन सिंह पर सीधा हमला किया था और अपने समर्थकों की वाहवाही लूटी थी.
नरेंद्र मोदी को अधिकृत रूप से भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद का उमीदवार उस समय तक घोषित नहीं किया गया था. उन्होंने उस दिन के भाषण के बाद इस पद का सेहरा अपने सिर पर ज़रूर पहन लिया था.

जोशीला भाषण



 लाल क़िले पर नरेंद्र मोेदी
मोदी ने एक साल बाद यानी 15 अगस्त 2014 को लाल क़िले से प्रधानमंत्री के रूप में अपना पहला भाषण दिया. उन्होंने उस दिन इतना ज़बरदस्त भाषण दिया कि उनके विरोधी भी उनसे प्रभावित हुए बिना न रहे. मोदी ने कहा था, वो प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक हैं.
उस समय उन्हें प्रधानमंत्री बने हुए लगभग तीन महीने हो चुके थे. भारतीय जनता पार्टी में आम चुनाव में उनकी भारी जीत का नशा पूरी तरह नहीं उतरा था. हाँ, कुछ लोग यह ज़रूर कहने लगे थे कि मोदी सरकार यूपीए-3 है.


वित्त मंत्री के साथ मोदी
उनका मतलब यह था कि उस समय तक नरेंद्र मोदी ने किसी बड़ी योजना का ऐलान नहीं किया था और यूपीए-2 सरकार की योजनाओं को ही आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे.
एक साल बाद मोदी के आलोचकों की तादाद काफ़ी बढ़ी है. अबकी बार नरेंद्र मोदी के वादों और उन्हें पूरा करने के बीच के कथित फ़ासलों पर भी प्रतिक्रियाएं होंगीं. मोदी तैयार हैं, तो उनके विरोधी भी सतर्क हैं.

Must Read - मोदी के कितने वादे ज़मीन पर उतरे ... #JaiHind #FreedomSelfie

Must Read - मोदी के कितने वादे ज़मीन पर उतरे ...
#JaiHind #FreedomSelfie



  • 3 घंटे पहले

नरेंद्र मोदी की योजनाएं

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दूसरी बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपना भाषण दे रहे हैं.
मोदी को प्रधानमंत्री बने साल भर से ज़्यादा हो गया है, इस दौरान मोदी ने कई बड़े बड़े वादे किए और कई योजनाओं की शुरुआत की.

उन्होंने बड़े ज़ोर शोर से प्रधानमंत्री जनधन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की.
इस एक साल में इन वादों और योजनाओं में कितनी प्रगति हुई है, आइए देखें आंकड़ों की नज़र में.

नरेंद्र मोदी की योजनाएं
नरेंद्र मोदी की योजनाएं
नरेंद्र मोदी की योजनाएं
नरेंद्र मोदी की योजनाएं
नरेंद्र मोदी की योजनाएं

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  • 15 अगस्त 2015
एंड्रॉयड
अब आप अपने एंड्रॉयड ऐप्स को गूगल क्रोम पर भी चला सकते हैं.
अपने स्मार्टफ़ोन के पसंदीदा ऐप पर आप शायद घंटों बिताते होंगे.
ये एंग्री बर्ड्स जैसे मोबाइल गेम हो सकते हैं या फिर पढ़ाई या जानकारी से जुड़े ऐप, लेकिन भला छोटी स्क्रीन पर आप आख़िर उनका कितना मज़ा ले सकते हैं.
अपने कंप्यूटर पर अब आप ये ऐप डाउनलोड करके उनका बड़े स्क्रीन पर मज़ा ले सकते हैं.
बस आपके कंप्यूटर पर क्रोम का सबसे नया वर्ज़न होना चाहिए.
उसके बाद क्रोम के लिए एक एक्सटेंशन डाउनलोड कर लीजिए जिसे एआरसी वेल्डर कहते हैं. उसके बाद आप लगभग कोई भी एंड्रायड ऐप अपने कंप्यूटर पर भी चला सकेंगे.

ऐसे करें डाउनलोड

सबसे पहले, आप एआरसी वेल्डर एक्सटेंशन अपने कंप्यूटर पर इनस्टॉल कर लीजिए.
गूगल क्रोम वेब स्टोर
एक्सटेंशन गूगल क्रोम वेब स्टोर से डाउनलोड करें.
एआरसी वेल्डर के ज़रिए जो ऐप आप चलना चाहते हैं उसका एपीके फ़ाइल भी चाहिए होगा.
गूगल प्ले स्टोर में ढूँढकर उसको डाउनलोड करना बहुत आसान है. इसे किसी भी फोल्डर में या अपने डेस्कटॉप पर सेव कर लीजिए.
उसके बाद आपको ओरिएंटेशन, फॉर्म फैक्टर और क्लिपबोर्ड एक्सेस के लिए जानकारी देनी होगी ताकि ऐप को कंप्यूटर पर चला सकें.
ओरिएंटेशन में चुनिए पोट्रेट, फॉर्म फैक्टर में चुनिए फ़ोन और क्लिपबोर्ड एक्सेस के लिए चुनिए 'यस'.
फिलहाल एआरसी वेल्डर अपने बीटा टेस्टिंग फेज में है इसलिए हो सकता है कि कुछ ऐप्स काम न करें, लेकिन कैंडी क्रश, ट्विटर, इंस्टाग्राम वग़ैरह अच्छी तरह चल रहे हैं.

आधार कार्ड में गलत छपा हो नाम या पता, घर बैठे ऐसे करें ऑनलाइन अपडेट | You Can Update Online Your Aadhaar Card From Home

आधार कार्ड में गलत छपा हो नाम या पता, घर बैठे ऐसे करें ऑनलाइन अपडेट 
You Can Update Online Your Aadhaar Card From Home

Aug 14, 2015




सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आधार कार्ड अब दो कामों के लिए मान्य होगा। ऐसे में गैस सब्सिडी व पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) का लाभ लेने के लिए इस बनवाना जरूरी है। अभी तक देश के 120 करोड़ में से 80 करोड़ लोगों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। लेकिन, ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि आधार कार्ड में धारक का नाम या पता गलत छप गया है और इसे ठीक कराने का जरिया लोगों को पता नहीं। मनी भास्कर आपको बता रहा है कि आधार कार्ड की गलतियों को घर बैठे भी बदला जा सकता है। इसके लिए आसान से 4 स्टेप्स को फॉलो करने होंगे।



पहला स्टेप

सबसे पहले http://uidai.gov.in वेबसाइट पर जाकर 'आपका आधार' लिंक पर क्लिक करें। नए पेज पर बाईं ओर नीचे की तरफ 'अपडेट योर आधार डाटा' पर क्लिक करें। यहां दिखेगा कि आप क्या-क्या जानकारी अपडेट कर सकते हैं। क्लिक करने पर खुलने वाली विंडो पेज पर "सब्मिट योर अपडेट करेक्शन' पर क्लिक करें।
आधार कार्ड में गलत छपा हो नाम या पता, घर बैठे ऐसे करें ऑनलाइन अपडेट

दूसरा स्टेप
"एंटर योर आधार नंबर" में अपना आधार नंबर डालें। टेक्स्ट वेरिफिकेशन में स्पेशल कैरेक्टर डालें और ओटीपी पर क्लिक करें। इसके अगले पेज पर मोबाइल नंबर डालें। नीचे दी गई टेक्स्ट वाली जगह पर स्पेशल कैरेक्टर डालें। आपके मोबाइल पर ओटीपी का मैसेज आएगा। वह आपको निर्धारित स्थान पर बने बॉक्स में डालना है। इसके बाद आप वेबसाइट पर लॉग इन हो जाएंगे।
आधार कार्ड में गलत छपा हो नाम या पता, घर बैठे ऐसे करें ऑनलाइन अपडेट

तीसरा स्टेप
डाटा अपडेट पर क्लिक करने के बाद प्रोसेस्ड पर क्लिक करिए। जरूरी दस्तावेज यहीं अपलोड करने होंगे। कन्फर्म पर क्लिक करिए। एक पेज खुलेगा फिर बीपीओ सर्विस प्रोवाइडर पर क्लिक करिए। वहां पर एक साइड में एजिस और दूसरी ओर कार्विस लिखा होगा। उसमें किसी भी एक को चुनकर सब्मिट करें। अपडेट होने पर कम्पलीट का मैसेज मोबाइल पर आएगा। जिसमें आपको यूआरएन नंबर मिलेगा।
आधार कार्ड में गलत छपा हो नाम या पता, घर बैठे ऐसे करें ऑनलाइन अपडेट

चौथा स्टेप
अंत में अपडेट स्टेटस पर आधार नंबर और यूआरएन डालें। इसके पूरा होते ही एक मैसेज नजर आएगा "योर रिक्वेस्ट कंपलीट सक्सेसफुल।' फिर इसे साइन आउट करें। शुरू में जहां डाटा अपडेट स्टेटस लिखा है। उस पर क्लिक करने के साथ ही एक बार फिर आधार नंबर एवं यूआरएन डालकर चेक करें। उसमें लिखा आएगा रिक्वेस्ट पेंडिंग। अब आप इंतजार करिए। कुछ समय बाद मोबाइल पर मैसेज के जरिए आधार कार्ड के अपडेट की सूचना आ जाएगी।
आधार कार्ड में गलत छपा हो नाम या पता, घर बैठे ऐसे करें ऑनलाइन अपडेट

पोस्ट करके भी करा सकते हैं अपडेट
> पोस्ट द्वारा आधार कार्ड अपडेट करने के लिए http://uidai.gov.in/images/application_form_pdf यहाँ से फॉर्म डाउनलोड करें।
> Adhar Card Update Form में अपना मोबाइल नंबर डालना अनिवार्य है।
> Aadhar Card Update Form में सबसे पहले जो भी जानकारी जैसे नाम, सरनेम अथवा पता आपको अपडेट करना हैं।
> फिर निर्देश अनुसार अपना Aadhar Card Update Form सावधानी से भरे |
> अब तक Aadhar Card Update Form हिंदी, इंग्लिश, गुजरात, मराठी, उरिया, कन्नड़, मलयालम, तमिल, बंगाली, तेलेगु और पंजाबी भाषा में हैं अपनी सुविधा अनुसार फॉर्म लें। > फॉर्म को लिफाफे में ठीक से बंद करें और उसके ऊपर Aadhar Card Update/Correction लिखना न भूलें।
> फॉर्म में अपना पता, पिन नंबर, जिला सही से भरें। अगर कोई भी परेशानी है तो help@uidai.gov.in. पर सम्पर्क करें।
> अब उस लिफाफे को इस एड्रेस पर पोस्ट कर दें।

Unique Identification Authority of India
Planning Commission
Government of India
3rd Floor, Tower II
Jeevan Bharati Building
Connaught Circus
New Delhi – 110001

अन्य किसी जानकारी के लिए https://ssup.uidai.gov.in/ssup-home पर विजिट करें |
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नया आधार कार्ड बनवाने के लिए क्या करें...
आपके नजदीक जो भी आधार कार्ड बनाने का ऑफिस हो, आपको वहां जाना होगा। इसके लिए कई बार कुछ खास कैंप भी लगाए जाते हैं, जिनमें जाकर आप आधार कार्ड बनवा सकते हैं। एक व्यक्ति के आधार कार्ड की कार्यवाही पूरी करने में लगभग 10 मिनट से 20 मिनट तक का समय लगता है। आधार कार्ड बनवाने के लिए आपको कुछ जानकारियां भी देनी होती हैं।
क्या जानकारियां देनी होती हैं
1- आधार कार्ड बनवाने के लिए सबसे जरूरी होती है आपकी तस्वीर, जो सेंटर पर ही खींची जाती है।
2- आपके फिंगर प्रिन्ट्स भी आधार कार्ड की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं।
3- आधार कार्ड को सुरक्षा के लिहाज से और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सेंटर ही आपका रेटिना स्कैन भी जाता है।
4- पहचान और पते के प्रूफ के तौर पर भी डॉक्युमेंट सेंटर पर ले जाने होते हैं। इनमें पहचान के प्रूफ के तौर पर आपका पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट ले जाना होगा। वहीं पते के प्रूफ के लिए वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, बिजली या पानी का बिल काम आ सकता है।
5- आपसे सारी जानकारियां ले लेने के बाद आपको एक एनरॉलमेंट नंबर दे दिया जाता है, जिसके आधार पर आप अपने आधार कार्ड का स्टेटस भी जान सकते हैं।

Thursday 13 August 2015

नोटों से फैल रही हैं गंभीर बीमारियाँ ?... रुपयों में टीबी, डिसेन्ट्री और अल्सर फैलाने वाले खतरनाक संक्रमण मौजूद

नोटों से फैल रही हैं गंभीर बीमारियाँ ?... रुपयों में टीबी, डिसेन्ट्री और अल्सर फैलाने वाले खतरनाक संक्रमण मौजूद

13/08/2015

क्या आपको पता है कि जो रुपए आप हाथ में लेते हैं वो आपके स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक हैं. इन रुपयों में टीबी, डिसेन्ट्री और अल्सर फैलाने वाले खतरनाक संक्रमण मौजूद हो सकते हैं.
ख़ास तौर पर उन रुपयों में जो पुराने हो रहे हैं या फिर जो ज़्यादा चलते हैं जैसे दस, बीस, और सौ रुपए के नोट.
यूँ समझ लीजिए कि इन नोटों के ज़रिए आपके अंदर बीमारियां पहुँच रही हैं.
तो सवाल उठता है कि क्या पैसों की बजाय डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड के ज़रिए खरीदारी करना सेहत के लिए बेहतर है ?
'इंस्टिट्यूट ऑफ़ जियोनॉमिक्स एंड टन्टेग्रतिवे बायोलॉजी' यानी 'आईजीआईबी' के वैज्ञानिकों ने इन नोटों की डीएनए जांच में ख़तरनाक संक्रमण फैलाने वाले कुल 78 रोगाणुओं का पता लगाया है.
इसमें 'राइबोसोमल आरएनए' नामक तकनीक अपनाई गई. इससे पहले इस तकनीक से कम्प्यूटर, साबुन और बाजार में बिकने वालों कपड़ों की जांच में भी इसी तरह के संकेत मिले हैं.

कीटाणु मुक्त नोट

'आईजीआईबी' के वैज्ञानिक मानते हैं कि शोध के नतीजे चौंकाने वाले हैं क्योंकि इनका सरोकार हर इंसान से है.
शोधकर्ताओं की पांच सदस्यों वाली टीम का नेतृत्व करने वाले 'आईजीआईबी' के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस रामचंद्रन ने  बात करते हुए कहा कि शोध के बाद इतना तो समझ में आया है कि ज़्यादा चलने वाले नोटों को कीटाणु मुक्त करना ज़रूरी है.
वैज्ञानिक एस रामाचंद्रन
वैज्ञानिक रामाचंद्रन का कहना है कि शोध का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस शोध में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिससे परिणाम भी जल्द ही सामने आ गए. इससे पहले नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा जाता था और इस प्रक्रिया में काफ़ी समय लगा करता था.
वो कहते हैं, "शोध के परिणाम चौंकाने वाले ज़रूर हैं क्योकि रुपयों से सबका सरोकार है. नोट एक दिन में कई हाथों से होकर गुज़रते हैं और इस प्रक्रिया में वो रोगाणु भी एक इंसान से दूसरे इंसान तक फैलाने का काम करते हैं. इनमे वो नोट ज़्यादा संक्रमित हैं जो ज़्यादा चलते हैं."

ख़ास मशीनें

शोध के लिए नोटों के नमूनों को दिल्ली के बाज़ारों, रेहड़ी वालों और सब्ज़ी की दुकानों से इकठ्ठा किया गया था.
कई देशों में करंसी नोटों को रोगाणु मुक्त करने की व्यवस्था है. इसके लिए मशीनें भी आती हैं जिनसे नोटों को रोगाणु मुक्त किया जाता है.
जापान सहित कई देश हैं जो समय समय पर अपनी करंसी को विशेष मशीन के ज़रिए कीटाणु मुक्त करते रहते हैं. मगर भारत में इसका उपयोग नहीं होता है. अलबत्ता पुराने नोटों को बदलने की व्यवस्था ज़रूर है.
रामचंद्रन का मानना है कि अब शोध का दायरा और बढ़ाना चाहिए क्योंकि यह पता लगाना और भी ज़रूरी हो गया है कि नोटों में पाए जाने वाले रोगाणुओं पर किन एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता है.

Wednesday 12 August 2015

Learn UNIX in 10,20,30,60 minutes Or In 1Hr,One Day Only. Version 1.3




Learn UNIX in 10,20,30,60 minutes Or In 1Hr,One Day Only.
Version 1.3   


The purpose was to have on one page the basics commands for getting started using 
the UNIX shell .


Directories:
Moving around the file system:
Listing directory contents:
Changing file permissions and attributes
Moving, renaming, and copying files:
Viewing and editing files:
Shells 
Environment variables
Interactive History
Filename Completion
Bash is the way cool shell. 
Redirection:
Pipes:
Command Substitution
Searching for strings in files: The grep  command
Searching for files : The find command
Reading and writing tapes, backups, and archives: The tar command  
File compression: compress, gzip, and bzip2
Looking for help: The man and apropos commands
Basics of the  vi editor
FAQs

******************************************************************************************
   Basic UNIX Command Line (shell) navigation  : 
******************************************************************************************


Directories:


File and directory paths in UNIX use the forward slash "/" 
to separate directory names in a path.

examples:

/              "root" directory
/usr           directory usr (sub-directory of / "root" directory)
/usr/STRIM100  STRIM100 is a subdirectory of /usr

Moving around the file system:


pwd               Show the "present working directory", or current directory.
cd                Change current directory to your HOME directory.
cd /usr/STRIM100  Change current directory to /usr/STRIM100.
cd INIT           Change current directory to INIT which is a sub-directory of the current 
                        directory.
cd ..             Change current directory to the parent directory of the current directory.
cd $STRMWORK      Change current directory to the directory defined by the environment 
                        variable 'STRMWORK'.
cd ~bob           Change the current directory to the user bob's home directory (if you have permission).


Listing directory contents:


ls    list a directory
ls -l    list a directory in long ( detailed ) format

   for example:
$ ls -l 
drwxr-xr-x    4 cliff    user        1024 Jun 18 09:40 WAITRON_EARNINGS
-rw-r--r--    1 cliff    user      767392 Jun  6 14:28 scanlib.tar.gz
^ ^  ^  ^     ^   ^       ^           ^      ^    ^      ^
| |  |  |     |   |       |           |      |    |      |  
| |  |  |     | owner   group       size   date  time    name 
| |  |  |     number of links to file or directory contents
| |  |  permissions for world
| |  permissions for members of group
| permissions for owner of file: r = read, w = write, x = execute -=no permission
type of file: - = normal file, d=directory, l = symbolic link, and others...

ls -a        List the current directory including hidden files. Hidden files start 
             with "." 
ls -ld *     List all the file and directory names in the current directory using 
             long format. Without the "d" option, ls would list the contents 
             of any sub-directory of the current. With the "d" option, ls 
             just lists them like regular files. 


Changing file permissions and attributes


chmod 755 file       Changes the permissions of file to be rwx for the owner, and rx for 
                     the group and the world. (7 = rwx = 111 binary. 5 = r-x = 101 binary)
chgrp user file      Makes file belong to the group user.
chown cliff file     Makes cliff the owner of file.
chown -R cliff dir   Makes cliff the owner of dir and everything in its directory tree. 

You must be the owner of the file/directory or be root before you can do any of these things. 

Moving, renaming, and copying files:


cp file1 file2          copy a file
mv file1 newname        move or rename a file
mv file1 ~/AAA/         move file1 into sub-directory AAA in your home directory.
rm file1 [file2 ...]    remove or delete a file
rm -r dir1 [dir2...]    recursivly remove a directory and its contents BE CAREFUL!
mkdir dir1 [dir2...]    create directories
mkdir -p dirpath        create the directory dirpath, including all implied directories in the path.
rmdir dir1 [dir2...]    remove an empty directory


Viewing and editing files:


cat filename      Dump a file to the screen in ascii. 
more filename     Progressively dump a file to the screen: ENTER = one line down 
                  SPACEBAR = page down  q=quit
less filename     Like more, but you can use Page-Up too. Not on all systems. 
vi filename       Edit a file using the vi editor. All UNIX systems will have vi in some form. 
emacs filename    Edit a file using the emacs editor. Not all systems will have emacs. 
head filename     Show the first few lines of a file.
head -n  filename Show the first n lines of a file.
tail filename     Show the last few lines of a file.
tail -n filename  Show the last n lines of a file.


Shells 


The behavior of the command line interface will differ slightly depending 
on the shell program that is being used. 

Depending on the shell used, some extra behaviors can be quite nifty.

You can find out what shell you are using by the command:

    echo $SHELL

Of course you can create a file with a list of shell commands and execute it like
a program to perform a task. This is called a shell script. This is in fact the 
primary purpose of most shells, not the interactive command line behavior. 


Environment variables


You can teach your shell to remember things for later using environment variables.
For example under the bash shell:

export CASROOT=/usr/local/CAS3.0               Defines the variable CASROOT with the value 
                                               /usr/local/CAS3.0.
export LD_LIBRARY_PATH=$CASROOT/Linux/lib      Defines the variable LD_LIBRARY_PATH with 
                                               the value of CASROOT with /Linux/lib appended, 
                                               or /usr/local/CAS3.0/Linux/lib 

By prefixing $ to the variable name, you can evaluate it in any command:

cd $CASROOT         Changes your present working directory to the value of CASROOT

echo $CASROOT       Prints out the value of CASROOT, or /usr/local/CAS3.0
printenv CASROOT    Does the same thing in bash and some other shells. 


Interactive History


A feature of bash and tcsh (and sometimes others) you can use 
the up-arrow keys to access your previous commands, edit 
them, and re-execute them.


Filename Completion


A feature of bash and tcsh (and possibly others) you can use the
TAB key to complete a partially typed filename. For example if you
have a file called constantine-monks-and-willy-wonka.txt in your 
directory and want to edit it you can type 'vi const', hit the TAB key, 
and the shell will fill in the rest of the name for you (provided the 
completion is unique).


Bash is the way cool shell. 

Bash will even complete the name of commands and environment variables.
And if there are multiple completions, if you hit TAB twice bash will show
you all the completions. Bash is the default user shell for most Linux systems. 


Redirection:


grep string filename > newfile           Redirects the output of the above grep
                                         command to a file 'newfile'.
grep string filename >> existfile        Appends the output of the grep command 
                                         to the end of 'existfile'.

The redirection directives, > and >> can be used on the output of most commands 
to direct their output to a file.

Pipes:


The pipe symbol "|" is used to direct the output of one command to the input 
of another.

For example:

ls -l | more   This commands takes the output of the long format directory list command 
               "ls -l" and pipes it through the more command (also known as a filter).
               In this case a very long list of files can be viewed a page at a time.

du -sc * | sort -n | tail  
               The command "du -sc" lists the sizes of all files and directories in the 
               current working directory. That is piped through "sort -n" which orders the 
               output from smallest to largest size. Finally, that output is piped through "tail"
               which displays only the last few (which just happen to be the largest) results.

Command Substitution


You can use the output of one command as an input to another command in another way 
called command substitution. Command substitution is invoked when by enclosing the 
substituted command in backwards single quotes. For example:

cat `find . -name aaa.txt`

which will cat ( dump to the screen ) all the files named aaa.txt that exist in the current 
directory or in any subdirectory tree. 



Searching for strings in files: The grep  command


grep string filename    prints all the lines in a file that contain the string


Searching for files : The find command


find search_path -name filename 

find . -name aaa.txt    Finds all the files named aaa.txt in the current directory or 
                        any subdirectory tree. 
find / -name vimrc      Find all the files named 'vimrc' anywhere on the system. 
find /usr/local/games -name "*xpilot*"       
                        Find all files whose names contain the string 'xpilot' which 
                        exist within the '/usr/local/games' directory tree. 


Reading and writing tapes, backups, and archives: The tar command  


The tar command stands for "tape archive". It is the "standard" way to read 
and write archives (collections of files and whole directory trees).

Often you will find archives of stuff with names like stuff.tar, or stuff.tar.gz.  This 
is stuff in a tar archive, and stuff in a tar archive which has been compressed using the
gzip compression program respectivly. 

Chances are that if someone gives you a tape written on a UNIX system, it will be in tar format, 
and you will use tar (and your tape drive) to read it. 

Likewise, if you want to write a tape to give to someone else, you should probably use 
tar as well. 

Tar examples:

tar xv      Extracts (x) files from the default tape drive while listing (v = verbose) 
            the file names to the screen.
tar tv      Lists the files from the default tape device without extracting them. 
tar cv file1 file2      
            Write files 'file1' and 'file2' to the default tape device.
tar cvf archive.tar file1 [file2...]   
            Create a tar archive as a file "archive.tar" containing file1, 
            file2...etc.
tar xvf archive.tar  extract from the archive file
tar cvfz archive.tar.gz dname    
            Create a gzip compressed tar archive containing everything in the directory 
            'dname'. This does not work with all versions of tar.
tar xvfz archive.tar.gz          
            Extract a gzip compressed tar archive.  Does not work with all versions of tar. 
tar cvfI archive.tar.bz2 dname   
            Create a bz2 compressed tar archive. Does not work with all versions of tar


File compression: compress, gzip, and bzip2


The standard UNIX compression commands are compress and uncompress. Compressed files have 
a suffix .Z added to their name. For example:

compress part.igs    Creates a compressed file part.igs.Z

uncompress part.igs  Uncompresseis part.igs from the compressed file part.igs.Z.
                     Note the .Z is not required.

Another common compression utility is gzip (and gunzip). These are the GNU compress and 
uncompress utilities.  gzip usually gives better compression than standard compress, 
but may not be installed on all systems.  The suffix for gzipped files is .gz

gzip part.igs     Creates a compressed file part.igs.gz
gunzip part.igs   Extracts the original file from part.igs.gz

The bzip2 utility has (in general) even better compression than gzip, but at the cost of longer 
times to compress and uncompress the files. It is not as common a utility as gzip, but is 
becoming more generally available. 

bzip2 part.igs       Create a compressed Iges file part.igs.bz2
bunzip2 part.igs.bz2 Uncompress the compressed iges file. 



Looking for help: The man and apropos commands

Most of the commands have a manual page which give sometimes useful, often more or less 
detailed, sometimes cryptic and unfathomable discriptions of their usage. Some say they 
are called man pages because they are only for real men. 

Example:

man ls      Shows the manual page for the ls command

You can search through the man pages using apropos

Example:

apropos build     Shows a list of all the man pages whose discriptions contain the word "build"

Do a man apropos for detailed help on apropos.


Basics of the  vi editor

                Opening a file
vi filename

                Creating text 
Edit modes: These keys enter editing modes and type in the text
of your document. 

i     Insert before current cursor position
I     Insert at beginning of current line
a     Insert (append) after current cursor position
A     Append to end of line
r     Replace 1 character
R     Replace mode
<ESC> Terminate insertion or overwrite mode

                 Deletion of text

x     Delete single character
dd    Delete current line and put in buffer
ndd   Delete n lines (n is a number) and put them in buffer
J     Attaches the next line to the end of the current line (deletes carriage return).

                 Oops

u     Undo last command

                 cut and paste
yy    Yank current line into buffer
nyy   Yank n lines into buffer
p     Put the contents of the buffer after the current line
P     Put the contents of the buffer before the current line

                cursor positioning
^d    Page down
^u    Page up
:n    Position cursor at line n
:$    Position cursor at end of file
^g    Display current line number
h,j,k,l Left,Down,Up, and Right respectivly. Your arrow keys should also work if
      if your keyboard mappings are anywhere near sane.

               string substitution

:n1,n2:s/string1/string2/[g]       Substitute string2 for string1 on lines
                                   n1 to n2. If g is included (meaning global),  
                                   all instances of string1 on each line
                                   are substituted. If g is not included,
                                   only the first instance per matching line is
                                   substituted.

    ^ matches start of line
    . matches any single character
    $ matches end of line

These and other "special characters" (like the forward slash) can be "escaped" with \
i.e to match the string "/usr/STRIM100/SOFT" say "\/usr\/STRIM100\/SOFT" 

Examples:

:1,$:s/dog/cat/g                   Substitute 'cat' for 'dog', every instance
                                   for the entire file - lines 1 to $ (end of file)

:23,25:/frog/bird/                 Substitute 'bird' for 'frog' on lines
                                   23 through 25. Only the first instance 
                                   on each line is substituted.


              Saving and quitting and other "ex" commands

These commands are all prefixed by pressing colon (:) and then entered in the lower
left corner of the window. They are called "ex" commands because they are commands
of the ex text editor - the precursor line editor to the screen editor 
vi.   You cannot enter an "ex" command when you are in an edit mode (typing text onto the screen)
Press <ESC> to exit from an editing mode.

:w                Write the current file.
:w new.file       Write the file to the name 'new.file'.
:w! existing.file Overwrite an existing file with the file currently being edited. 
:wq               Write the file and quit.
:q                Quit.
:q!               Quit with no changes.

:e filename       Open the file 'filename' for editing.

:set number       Turns on line numbering
:set nonumber     Turns off line numbering








Sunday 9 August 2015

सूखी नदी के तेज बहाव में बहा उद्योग कर्मी

सूखी नदी के तेज बहाव में बहा उद्योग कर्मी

August 9, 2015
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शक्तिफार्म: साइकिल से सिडकुल स्थित उद्योग में ड्यूटी के लिए जा रहा युवक सूखी नदी के तेज बहाव में डूब गया। सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन ने गोताखोरों के साथ रेस्क्यू अभियान चलाया। एसडीएम व तहसीलदार ने परिजनों से जानकारी लेकर घटनास्थल का दौरा किया। समाचार लिखे जाने तक बह गए कर्मी का पता नहीं लग सका था।
गोविंदनगर निवासी गौतम राय उम्र (38) पुत्र विजय राय सिडकुल स्थित हैंज उद्योग में कार्यरत था। शनिवार सुबह गौतम फैैक्ट्री जाने के लिए करीब सात बजे साइकिल से रवाना हुआ। उसके साथ अन्य उद्योगों के करीब छह श्रमिक भी थे। वे सभी गांव के समीप से बहने वाली सूखी नदी को पार कर जाने वाले थे। लेकिन नदी में बहाव तेज देख गौतम के साथी किनारे ही रुक गए। उनके मना करने के बावजूद गौतम साइकिल लेकर नदी में उतर गया। बीच में नदी का पानी गहरा होने से गौतम एक टीलानुमा स्थान पर साइकिल लेकर खड़ा हो गया। परंतु अचानक ही जलस्तर बढ़ने व तेज बहाव में गौतम साइकिल सहित बह गया। किनारे खड़े साथियों ने इसकी जानकारी परिजनों को दी। खबर सुनकर पत्नी अनीमा, पिता विजय राय व मां लक्ष्मी का रो-रोकर बुरा हाल है। गौतम की दस वर्षीय पुत्री सुहानी व एक डेढ़ वर्षीय बेटा वंशु है। युवक के नदी में बह जाने की सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष पीके राणा, चौकी प्रभारी केजी मठपाल, दरोगा देवेंद्र गौरव मय जल पुलिस, गोताखोर व अन्य सिपाहियों के साथ गोविंदनगर से लेकर बैगुल जलाशय तक नदी में नाव लेकर रेस्क्यू अभियान चलाया। ग्रामीणों ने भी नदी के किनारे-किनारे खोजबीन की। समाचार लिखे जाने तक रेस्क्यू अभियान जारी था और गौतम का पता नहीं लग सका था।