Friday, 14 June 2013

फेसबुक यूजर्स रहें सावधान, मुफ्त में हो सकते हैं बदनाम


facebook users be careful some virus can harm you
अगर आप फेसबुक यूजर हैं तो सावधान होने की जरूरत है। 'एन29एन29' एक अश्लील वीडियो है जिसमें वायरस है। क्लिक करते ही यह आपके दोस्तों और रिश्तेदारों में आपको बदनाम कर देगा।

दरअसल 'एन29एन29' एक कोड है जिसे किसी अश्लील वीडियो के साथ एंबेड कर फेसबुक फीड पर डाल दिया जाता है। जब आप फेसबुक फीड पर कोई अश्लील वीडियो देखें तो उसे किसी भी तरह क्लिक करने की चूक न करें।

चाहे देखने के लिए या डिलीट करने या शेयर करने के लिए। इसे क्लिक करते ही यह अश्लील वीडियो कई बार आपकी टाइमलाइन पर पोस्ट हो जाएगा।

रोमांस का नया दुश्‍मन है 'फेसबुक'
इसके तुरंत बाद आपसे फेसबुक पर जुड़े सभी लोगों की टाइमलाइन पर ये वीडियो इस मैसेज के साथ पहुंचेगा कि आपने इसे देखा और आपको बेहद पसंद आया।

ये भी लिखा होगा कि आपने उनकी वॉल पर ये वीडियो पोस्ट किया है।

इस वायरस को सबसे ज्यादा उस वीडियो के साथ भेजा जा रहा है जिसमें एक लड़की खड़ी है और उसके हिप्स की एक झलक दिखाई दे रही है।

फेसबुक पर रच डाली अपने ही रेप की साजिश

इस वीडियो में ये भी लिखा रहता है कि इस लड़की ने शराब के नशे में बीच सड़क पर अपने सारे कपड़े उतार दिए। ये सब देखकर अगर आपने अगर उस वीडियो पर गलती से भी क्लिक कर दिया तो आपको बदनाम होने से कोई नहीं बचा सकता।

हल्द्वानी में भी कई लोग इस वायरस से बदनाम हो चुके हैं।

इससे पहले भी इस तरह के कई वायरस फेसबुक यूजर्स के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं।

जियस वायरस
जियस वायरस (Zeus) भी फेसबुक पर जबरदस्त तरीके से फैला हुआ है। यह वायरस आपके बैंक अकाउंट को खाली कर सकता है।

फेसबुक पर कोई भी ऐसा लिंक जो संदेहास्पद हो, उस पर क्लिक करते ही यह 'जियस' आपके सिस्टम में अपनी जगह बना लेता है। वायरस को जब तक अपने मतलब की जानकारी नहीं मिल जाती तब तक वह इंतजार करता है।

लगाइए # और फेसबुक पर कीजिए ट्रेंड
मान लीजिए अभी तक आपने ना तो इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल किया और न ही कहीं लॉगइन डिटेल्स सेव की हैं तो ऐसी स्थिति में यह वायरस सही वक्त का इंतजार करेगा।

यानी कि जब भी आप ऑनलाइन बैंकिंग के लिए अपना लॉगइन आईडी और पासवर्ड डालेंगे, यह वायरस उन्हें चुरा लेगा।

लिंकस्पैम वायरस
फेसबुक पर लिंकस्पैम वायरस (linkspam virus) के चलते भी कई लोगों को अपने अकाउंट तक को बंद करना पड़ा।

जेडडीनेट नामक साइट दावा किया था कि यह वायरस फेसबुक यूजर्स को सीधे तौर से किसी लिंक पर क्लिक करने के लिए उकसाता है।

कई यूजर्स ने दावा किया कि कि उन्होंने साइट पर बेहद ही डरावनी और अश्लील तस्वीरें देखीं। उन्हें ये तस्वीरें यूजर्स की न्यूजफीड्स में दिखाई दी।
 
from amarujala

Thursday, 13 June 2013

सीरिया में 93,000 से ज़्यादा मौतें: संयुक्त राष्ट्र

 शुक्रवार, 14 जून, 2013
अमरीका ने सीरियाई सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने विपक्षी लड़ाकों के ख़िलाफ़ क्लिक करें रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है.
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि ख़ुफ़िया सूचनाओं के मुताबिक छोटे पैमाने पर किए गए इन रासायनिक हमलों में तकरीबन डेढ़ सौ लोगों की मौत हुई है.
बयान में कहा गया है कि इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि सीरियाई विपक्ष ने भी ऐसे रासायनिक हमलों का सहारा लिया है.
अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार ने सभी सीमाएं तोड़ दी है और अब राष्ट्रपति ओबामा विद्रोहियों को और ज्यादा सैन्य सहायता प्रदान करेंगे लेकिन स्वरूप निश्चित नहीं है.
उधर राष्ट्रपति बशर अल-असद सरकार ने रासायनिक हथियारों के उपयोग की बात से इनकार किया है.

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार क्लिक करें सीरिया में जारी संघर्ष में अब तक कम से कम 93 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन का कहना है कि पिछली जुलाई से अब तक सीरिया में हर महीने औसतन कम से कम पांच हजार लोगों की मौत हो रही हैं.
हालांकि संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह आंकड़े भी कहीं कम हैं क्योंकि तमाम मौतों को दर्ज नहीं किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त का कहना है कि मरने वालों में अस्सी प्रतिशत पुरुष हैं और दस साल से कम उम्र के सत्रह सौ बच्चे भी शामिल हैं.

बर्बरता की हद

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख नवी पिल्लै ने कहा कि कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें बच्चों को प्रताड़ित किया गया और बाद में उन्हें मार दिया गया या फिर पूरे परिवार को बच्चों समेत ही मार दिया गया.
उन्होंने कहा कि मृतकों की इतनी अधिक दर यह दर्शाती है कि यह विवाद कितना बर्बर हो चुका है.
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि सीरिया में पिछले दो वर्षों से जारी लड़ाई में अब तक हजारों बच्चे मारे गए हैं.
"कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें बच्चों को प्रताड़ित किया गया और बाद में उन्हें मार दिया गया या फिर पूरे परिवार को बच्चों समेत ही मार दिया गया."
नवी पिल्लै,संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त
संयुक्त राष्ट्र 'बाल और सशस्त्र संघर्ष' शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2011 में सीरिया में सरकारी बलों और विद्रोहियों की लड़ाई में बच्चे भी निशाना बने हैं.
रिपोर्ट में बच्चों की मौत की संख्या 'असहनीय' करार देते हुए कहा गया है कि सरकारी बलों और विद्रोही बच्चों को आत्मघाती हमलावर या मानव कवच के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.

बाल प्रताड़ना

संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि ने रिपोर्ट के आंकड़े बताते हुए कहा कि सीरिया में मारे गए बच्चों की संख्या दुनिया भर में सबसे अधिक है.
संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों से कहा,”बच्चे मारे गए हैं, उन पर अत्याचार होता है, उन्हें बंदी बना कर रखा जाता है, उन्हें लड़ाकुओं में शामिल किया जाता है और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है ' .
रिपोर्ट में सीरिया की सेना पर आरोप लगाया गया है कि वे विद्रोही गुटों वाले बच्चों पर हिंसा करता है जबकि विपक्ष बच्चों को लड़ाई के साथ सामान पहुंचाने के लिए भी इस्तेमाल करता है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट के अनुसार मृतकों की सबसे अधिक संख्या ग्रामीण दमिश्क, हमस और हलब क्षेत्रों में हुई हैं.
संगठन ने तत्काल संघर्ष विराम की अपील की है, ताकि अब और जानें न जाएं.
नवी पिल्लै का कहना था कि शक्तिशाली व प्रभावशाली देश मिलकर इस विवाद को समाप्त करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं और अनगिनत जानें बचाई जा सकती हैं.

from bbc

Wednesday, 12 June 2013

After NSA PRISM : New Facebook privacy settings for Update Staus


After NSA PRISM : New Facebook privacy settings

More updates @ http://thehackernews.com/



***
Please Comment what is your choice and guide me for new update status in face book... 
Actually i am so confuse about it...
Please send me right one choice...
***

I am waiting for your right suggestion.


Oh!!! My God rely great human right are in USA-America!!!
They are destroying great thoughts of Abraham linkan about human rights and America.

Hey Americans what are you doing?
Is you have not any will power for objection it?
Are you know now what is your future?







 

 

By:  
 -Kosulla India Ltd  

 - Bhupesh Kumar Mandal   
 
-(kosullaindialtd.blogspot.com)

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Tuesday, 11 June 2013

India angry at U.S. cyber spying

New Delhi.  


By the U.S. to spy worldwide reports of Internet data is moved to India. She puzzled over this issue - is disturbing that despite being allies of the U.S. Intelligence Monitoring Network is the Computer. Foreign Ministry says it is surprised and concerned by reports of cyber espionage. We will call for returns from the U.S.. This issue will be raised at both national security adviser.


Both countries including national security adviser. Akbaruddin says, 'cyber espionage national security adviser level meeting of the two countries in this case arise. It will be about an explanation from the U.S.. "According to the Washington Post, the U.S. National Security Agency since 2007 emails and other information from around the world computer network intelligence is spying. Boundles Infarmet active surveillance system for the data. 

 

 The British newspaper The Guardian says that the U.S. 'Boundles Infarmet' in March this year by 97 billion worldwide computer network information is collected. Information gathered from his arch enemy Iran to the United States there are approximately 14 billion had been collected information.


The second nearly 13.5 billion from Pakistan's information was collected. In the case of India in fifth place. India has raised nearly 6.3 billion Infarmet information.

 

 In Hindi


अमेरिकी साइबर जासूसी पर भड़का भारत


India upsets with america's cyber investigation

अमेरिकी साइबर जासूसी पर भड़का भारत
नई दिल्ली। दुनिया भर के इंटरनेट डाटा की अमेरिका द्वारा जासूसी करने की खबरों से भारत भड़का हुआ है। वह इस बात को लेकर हैरान-परेशान है कि मित्र देश होने के बावजूद अमेरिका उसके कंप्यूटर नेटवर्क की भी खुफिया निगरानी करा रहा है। विदेश मंत्रलय का कहना है कि साइबर जासूसी की खबरों से चिंतित और आश्चर्यचकित हैं। हम अमेरिका से जवाब तलब करेंगे। यह मसला दोनों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर उठेगा।
विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने मंगलवार को स्पष्ट तौर पर चेताया कि अगर अमेरिकी साइबर निगरानी के चलते भारतीय निजता कानूनों का उल्लंघन होते पाया गया तो यह स्थिति हमें अस्वीकार्य होगी। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच साइबर सुरक्षा को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इसमें शामिल हैं। बकौल अकबरूद्दीन, 'साइबर जासूसी का यह प्रकरण दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय बैठक में उठेगा। अमेरिका से उसमें इस बारे में जवाब तलब किया जाएगा।' अमेरिका द्वारा विश्व भर के इंटरनेट डाटा की निगरानी किए जाने संबंधी खबरों के अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया में आने के बाद विदेश मंत्रलय ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी 2007 से ही दुनिया भर के कंप्यूटर नेटवर्क से ईमेल और अन्य सूचनाओं की खुफिया जासूसी कर रही है। इसके लिए उसका डाटा निगरानी तंत्र बाउंडलेस इंफार्मेट सक्रिय है। जबकि ब्रिटिश अखबार गार्जियन का कहना है कि अमेरिका ने 'बाउंडलेस इंफार्मेट' के जरिये इस वर्ष मार्च में विश्व भर के कंप्यूटर नेटवर्क से 97 अरब सूचनाएं एकत्रित की है। अमेरिका ने सबसे अधिक सूचना अपने कट्टर दुश्मन ईरान से जुटाई वहां से लगभग 14 अरब सूचनाएं जुटाई गई हैं।
इसके बाद दूसरे नंबर पर रहे पाकिस्तान से करीब 13.5 अरब जानकारी एकत्रित की गई हैं। इस मामले में भारत पांचवें स्थान पर रहा। इंफार्मेट ने भारत से करीब 6.3 अरब सूचनाएं जुटाई हैं।

Data Source Provided From : From dainik jagran

 

  By:  
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Monday, 10 June 2013

होटल से गायब हुए एडवर्ड स्नोडेन

 मंगलवार, 11 जून, 2013 को 08:34 IST तक के समाचार

एडवर्ड स्नोडेन
एडवर्ड स्नोडेन अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए के तकनीकी सहायक रह चुके हैं
अमरीका में टेलीफ़ोन और इंटरनेट पर निगरानी रखे जाने के कार्यक्रम की जानकारी एक ब्रितानी अख़बार को देने वाले क्लिक करें एडवर्ड स्नोडेन हॉन्ग कॉन्ग के अपने होटल से गायब हो गए हैं.
अमरीकी खु़फ़िया एजेंसी सीआईए के पूर्व तकनीकी सहायक क्लिक करें स्नोडेन ने मंगलवार को होटल से चेक आउट किया. वहाँ से वह कहाँ गए, यह अभी पता नहीं चल पाया है लेकिन माना जा रहा है कि वे हॉन्ग कॉन्ग में ही कहीं हैं.
अभी हाल में ही उन्होंने कहा था कि लोगों को उत्पीड़न से मुक्त कराना उनका दायित्व है.
ब्रितानी अखबार गार्डियन ने पिछले हफ़्ते एक खबर प्रकाशित की थी कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां लाखों लोगों के टेलीफ़ोन काल्स के रिकॉर्ड और इंटरनेट डाटा एकत्र कर रही हैं.

आपराधिक मामला

अमरीका के राष्ट्रीय क्लिक करें खुफिया निदेशक के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले को एक आपराधिक मामले के रूप में न्याय विभाग को भेज दिया गया है.
"मुझे विश्वास है कि एडवर्ड स्नोडेन अभी भी हांग कांग में ही हैं"
इवन मैक्सकिल, गार्डियन के पत्रकार
इस बीच अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय क्लिक करें व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर डाली गई एक ऑनलाइन याचिका में स्नोडेन के लिए तत्काल माफी की मांग की गई है. इस याचिका पर अब तक 30 हज़ार लोगों ने दस्तख़त किए हैं.
क्लिक करें ब्रितानी अख़बार गार्डियन ने एडवर्ड स्नोडेन की ख़बर के स्रोत के रूप में पहचान उन्हीं के अनुरोध पर ज़ाहिर की थी.
हॉन्ग कॉन्ग के रेडियो और टीवी चैनल आरटीएचके ने ख़बर दी है कि स्नोडेन सोमवार को होटल मीरा से चेक आउट कर गए हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने होटल के कर्मचारियों के हवाले से ख़बर दी है कि स्नोडेन दोपहर में होटल से गए.
गार्डियन के पत्रकार इवन मैक्सकिल ने बीबीसी से बातचीत में विश्वास जताया कि स्नोडेन अब भी हॉन्ग कॉन्ग में ही हैं.

प्रत्यर्पण की संभावना


हॉन्ग कॉन्ग और अमरीका के बीच प्रत्यर्पण संधि है
हॉन्ग कॉन्ग चीन का इलाक़ा है, उसकी अमरीका के साथ प्रत्यर्पण संधि है. विश्लेषकों का कहना है कि प्रत्यर्पण संधि के बाद भी स्नोडेन को अमरीका ले जाने में महीनों लग सकते हैं. उनका कहना है कि प्रत्यर्पण को चीन रोक भी सकता है.
माना जा रहा है कि एडवर्ड स्नोडेन 20 मई को हॉन्ग कॉन्ग पहुंचे थे. वहाँ अमरीकी नागरिकों को आने पर वीजा दिया जाता है, जो तीन महीने के लिए वैध होता है.
स्नोडेन की ओर से दी गई जानकारी से अटलांटिक पार की राजनीति में विवाद पैदा हो गया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि ब्रितानी इलेक्ट्रॉनिक एजेंसी जीसीएचक्यू ने ब्रितानी नागरिकों पर नजर रखने के लिए अमरीकी तंत्र का उपयोग किया.
इस विवाद की वजह से ब्रितानी विदेश मंत्री विलियम हेग ने अपनी अमरीकी यात्रा स्थगित कर संसद में सोमवार को बयान दिया और आरोपों से इनकार किया.
गार्डियन अख़बार के मुताबिक़ 29 वर्षीय एडवर्ड स्नोडेन सीआईए के पूर्व तकनीकी सहायक हैं. अभी वे अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग (एनएसए) के लिए काम करने वाले ठेकेदार बूज़ एलेन हैमिल्टन के कर्मचारी हैं.

US spy leaker Edward Snowden 'missing' in Hong Kong

Ed Snowden explains why he became a whistleblower (Video courtesy of The Guardian, Glenn Greenwald and Laura Poitras)

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An ex-CIA employee who leaked details of US top-secret phone and internet surveillance has disappeared from his hotel in Hong Kong.
Edward Snowden, 29, checked out from his hotel on Monday. His whereabouts are unknown, but he is believed to be still in Hong Kong.
Earlier, he said he had an "obligation to help free people from oppression".
It emerged last week that US agencies were gathering millions of phone records and monitoring internet data.
A spokesman for the US Office of the Director of National Intelligence said the case had been referred to the Department of Justice as a criminal matter.

Start Quote

I do not want to live in a world where everything I do and say is recorded”
Meanwhile a petition posted on the White House website, calling for Mr Snowden's immediate pardon, has gathered more than 30,000 signatures.
However an opinion poll commissioned by the Washington Post suggests a majority of Americans think government monitoring of phone records is acceptable if the aim is to fight terrorism.
Transatlantic fallout Hong Kong's broadcaster RTHK said Mr Snowden checked out of the Mira hotel on Monday.
Reuters news agency quoted hotel staff as saying that he had left at noon.
Ewen MacAskill, a Guardian journalist, told the BBC he believed Mr Snowden was still in Hong Kong.
The Chinese territory has an extradition treaty with the US, although analysts say any attempts to bring Mr Snowden to America may take months and could be blocked by Beijing.

US media response

A USA Today editorial accepts that "the primary result of Snowden's actions is a plus. He has forced a public debate on the sweepingly invasive programs that should have taken place before they were created". But, it goes on, "pure motives and laudable effects don't alter the fact that he broke the law".
An editorial in the Chicago Tribune argues that "some new restrictions" in the US intelligence gathering programme may be in order, adding: "If the government is looking for, say, calls between the United States and terrorists in Pakistan or Yemen, why can't it simply demand records of calls to certain foreign countries. Is there no way to narrow the search to leave most Americans out of it?"
Robert O'Harrow in the Washington Post writes that the growing reliance on contractors in US intelligence gathering "reflects a massive shift toward outsourcing over the past 15 years, in part because of cutbacks in the government agencies". He argues that this "has dramatically increased the risk of waste and contracting abuses... but given the threat of terrorism and the national security mandates from Congress, the intelligence community had little choice".
Mr Snowden was revealed as the source of the leaks at his own request by the UK's Guardian newspaper.
He is believed to have arrived in Hong Kong on 20 May. A standard visa on arrival in the territory for a US citizen lasts for 90 days.
His revelations have caused transatlantic political fallout, amid allegations that the UK's electronic surveillance agency, GCHQ, used the US system to snoop on British citizens.
Foreign Secretary William Hague cancelled a trip to Washington to address the UK parliament on Monday and deny the claims.
Mr Snowden is described by the Guardian as an ex-CIA technical assistant, currently employed by Booz Allen Hamilton, a defence contractor for the US National Security Agency (NSA).
He told the newspaper: "The NSA has built an infrastructure that allows it to intercept almost everything. With this capability, the vast majority of human communications are automatically ingested without targeting.
"I don't want to live in a society that does these sort of things. I do not want to live in a world where everything I do and say is recorded."
Mr Snowden said he did not believe he had committed a crime: "We have seen enough criminality on the part of government. It is hypocritical to make this allegation against me."
Vatis: NSA's Prism 'fully authorised by US law'
But he admitted that he could end up in jail and feared for people who knew him.
'Core values' In a statement, Booz Allen Hamilton confirmed Mr Snowden had been an employee for less than three months.
"If accurate, this action represents a grave violation of the code of conduct and core values of our firm," the statement said.
At a daily press briefing on Monday, White House press secretary Jay Carney said he could not comment on the Snowden case, citing an ongoing investigation.
The first of the leaks came out on Wednesday night, when the Guardian reported a US secret court ordered phone company Verizon to hand over to the NSA millions of records on telephone call "metadata".

Major US security leaks

  • Pentagon papers, 1971: Daniel Ellsberg leaks study showing the government had knowledge it was unlikely to win Vietnam war
  • Watergate, 1972: Bob Woodward and Carl Bernstein reveal extent of cover-up over burglary at Democrat National Committee HQ
  • Iran-Contra affair, 1986: Iranian cleric reveals illegal US arms sales to Iran, the proceeds of which are later used to fund Nicaraguan Contras
  • Valerie Plame, 2003: Ms Plame is revealed to be an undercover CIA agent, ending her covert career
  • Abu Ghraib, 2004: Publication of pictures showing abuse of detainees at Iraq prison by US officials turns initial media reports of abuse into full-blown scandal
  • Bradley Manning, 2010: The soldier downloads thousands of classified documents from military servers and hands them over to Wikileaks
The metadata include the numbers of both phones on a call, its duration, time, date and location (for mobiles, determined by which mobile signal towers relayed the call or text).
On Thursday, the Washington Post and Guardian said the NSA tapped directly into the servers of nine internet firms including Facebook, Google, Microsoft and Yahoo to track online communication in a programme known as Prism.
All the internet companies deny giving the US government access to their servers.
Prism is said to give the NSA and FBI access to emails, web chats and other communications directly from the servers of major US internet companies.
The data is used to track foreign nationals suspected of terrorism or spying. The NSA is also collecting the telephone records of American customers, but said it is not recording the content of their calls.
US director of national intelligence James Clapper's office said information gathered under Prism was obtained with the approval of the secret Foreign Intelligence Surveillance Act Court (Fisa).
Prism was authorised under changes to US surveillance laws passed under President George W Bush, and renewed last year under Barack Obama.
Mr Obama has defended the surveillance programmes, assuring Americans that nobody was listening to their calls.

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Data Source Provided From : From bbc uk


 

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हांगकांग में छिपा सीआईए की पोल खोल कर मोस्‍ट वांटेड बना एडवर्ड

 

हांगकांग में छिपा सीआईए की पोल खोल कर मोस्‍ट वांटेड बना एडवर्ड
 
FACT about 29 Years Old Edward Snowden, who leaks the NSA surveillance Program PRISM details :

# High school Dropout
# First Job as security guard at NSA
# Worked in CIA as IT security expert
# Currently working for a major U.S. government contractor
# House in Hawaii
# Earning $200,000 salary
# Run to Hong Kong after Leaking PRISM documents
# May face 10 Year Prison after arrest

फेसबुक और गूगल के जरिए दुनिया के लोगों के बारे में जासूसी करने वाली अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआईए) के इस कारनामे का खुलासा करने वाले शख्‍स ने अपनी पहचान सार्वजनिक कर दी है। यह शख्‍स कोई और नहीं बल्कि सीआईए के पूर्व कर्मचारी और इस समय एनएसए के लिए काम करने वाली एक कंपनी के टेक्‍नीशियन  एडवर्ड स्‍नोवेडेन हैं। वह इस वक्‍त हांगकांग में हैं। इस खुलासे के बाद 29 साल का यह शख्‍स अमेरिका का मोस्‍ट वांटेड बन गया है। उन्‍होंने कहा है कि वह उस दुनिया में रहना नहीं चाहते जहां आप जो कुछ करते हैं उसे रिकार्ड किया जाता हो और इसी कारण उन्‍होंने दुनिया की एक सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी के खिलाफ मुंह खोला है। 
 उन्‍होंने बताया है कि सीआईए प्रिज्‍म नाम के एक प्रोग्राम के जरिए दुनिया के लोगों की निजी सूचनाएं इकट्ठा करती है। हर साल 130,000 डॉलर की कमाई करने वाले एडवर्ड का कहना है कि वे एक ऐसी दुनिया में नहीं रहना चाहते हैं जहां हम जो कुछ भी करते और कहते हैं उन्‍हें रिकार्ड किया जाता है। प्रिज्‍म सिस्‍टम के जरिए सीआईए दुनिया की इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली नौ प्रमुख कंपनियों के डाटा तक पहुंच बनाती है। 
एडवर्ड की पैरवी करने वाले वकील मार्क जैद का कहना है कि हांगकांग से उनका प्रत्‍यर्पण करवाया जाता है तो उन्‍हें दशकों की सजा हो सकती है। वहीं, हाउस इंटेलिजेंस कमिटी के सदस्‍य और सीनेटर पीटर किंग का कहना है कि एडवर्ड का तुरंत हांगकांग से प्रत्‍यर्पण करवाया जाना चाहिए और कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जानी चाहिए। 
हाई स्‍कूल ड्रॉप आउट एडवर्ड ने सीआईए के लिए कंप्‍यूटर सिक्‍योरिटी विभाग में टेक्निकल असिस्‍टेंट के रूप में काम करने के बाद एक डिफेंस कॉन्‍ट्रैक्‍टर बूज एलेन हैमिल्‍टन के कर्मचारी के रूप में एनएसए के लिए चार साल तक काम किया। उनका काम लोगों के बारे निजी जानकारियां इकट्ठा करने का था। इस बारे में उन्‍होंने अपने वरिष्‍ठ साथियों को बताया लेकिन उन्‍होंने इसपर कोई ध्‍यान नहीं दिया। उनका कहना है कि उन्‍होंने जो किया है, उसकी वजह से उन्‍हें छिपने की जरूरत नहीं है। उन्‍हें पता है कि उन्‍होंने जो कुछ भी किया है, वह ठीक है।
 एडवर्ड का कहना है कि उनके पास किसी चीज की कमी नहीं थी। उनकी सैलरी अच्‍छी थी, उनकी एक गर्लफ्रेंड है और हवाई में घर और परिवार है। उनका कहना है, 'मैं इन सभी चीजों को इसलिए छोड़ देने की इच्‍छा रखता हूं क्‍योंकि मेरी आत्‍मा अमेरिकी सरकार को लोगों के बारे में निजी जानकारियां चुराने का हक देना चाहती है।'
 

Data Source Provided From : From Denik Bhaskar


 

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आडवाणी ने भाजपा के पद छोड़े, पार्टी में संकट

 सोमवार, 10 जून, 2013 को 16:49 IST तक के समाचार

आडवाणी गोवा कार्यकारिणी में शामिल नहीं हुए थे
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने पार्टी के महत्वपूर्ण पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है.
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजे एक पत्र में आडवाणी ने कहा है, ‘‘ मैंने फैसला किया है कि मैं पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से इस्तीफ़ा दे दूं और इस पत्र को मेरा इस्तीफ़ा माना जाए.’’
क्लिक करें भाजपा: चिंतकों और अध्यक्षों की झलक
गुजरात के मुख्यमंत्री क्लिक करें नरेंद्र मोदी को चुनाव समिति का प्रमुख बनाए जाने से आडवाणी नाराज़ बताए जा रहे थे और वो पार्टी की गोवा में हुई कार्यकारिणी की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे.
"कुछ समय से जिस दिशा में पार्टी जा रही है उससे और पार्टी की वर्तमान कार्यशैली के साथ तालमेल बिठाने में मैं कठिनाई महसूस कर रहा हूं. अब मुझे नहीं लगता कि ये वो ही पार्टी है जो आदर्शवादी पार्टी डॉ मुखर्जी, पंडित दीनदयालजी, नानाजी और वाजपेयीजी ने बनाई थी. जिसका मुख्य उद्देश्य देश और उसके लोग थे. अब हमारे नेताओं का मुख्य उद्देश्य अपने निजी एजेंडा हैं."
लालकृष्ण आडवाणी
85 साल के आडवाणी ने अपने पत्र में लिखा है कि वो पार्टी की वर्तमान कार्यशैली में कठिनाई महसूस कर रहे हैं और इसलिए वो इस्तीफा दे रहे हैं.
क्लिक करें आडवाणी को मनाने की कोशिश
अपने पत्र में आडवाणी लिखते हैं, ‘‘ कुछ समय से जिस दिशा में पार्टी जा रही है उससे और पार्टी की वर्तमान कार्यशैली के साथ तालमेल बिठाने में मैं कठिनाई महसूस कर रहा हूं. अब मुझे नहीं लगता कि ये वो ही पार्टी है जो आदर्शवादी पार्टी डॉ मुखर्जी, पंडित दीनदयालजी, नानाजी और वाजपेयीजी ने बनाई थी. जिसका मुख्य उद्देश्य देश और उसके लोग थे. अब हमारे नेताओं का मुख्य उद्देश्य अपने निजी एजेंडा हैं.’’

'पत्र को इस्तीफ़ा माना जाए'

आडवाणी ने इसी पत्र में लिखा है कि उनके पत्र को ही इस्तीफा माना जाए.
साल 2009 के आम चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार थे. ये जानकारी आज भी उनके वेबसाइट पर मौजूद है.
हालांकि उन्होंने पत्र की शुरुआत में ये भी कहा है कि उन्हें जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के लिए काम करने में गर्व महसूस हुआ है और असीम संतुष्टि भी मिली है.
अभी एक दिन पहले ही गोवा में रविवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 के चुनाव के लिए चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. बताया गया था कि आडवाणी बीमार हैं और इसलिए कार्यकारिणी में नहीं आ सकते.
1980 में भाजपा के गठन के बाद ये पहला मौक़ा था जब आडवाणी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं हुए.
हालांकि गोवा में नया रोल मिलने के बाद मोदी ने ट्विट किया था, "मैने आडवाणी जी से फोन पर बात की. उन्होंने मुझे अपना आशीर्वाद दिया. उनका आशीर्वाद पाकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूँ."
आडवाणी के अलावा पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह और उमा भारती भी गोवा में शामिल नहीं हुए थे.

राजनाथ के घर बैठक, आडवाणी संकट पर चर्चा

 सोमवार, 10 जून, 2013 को 17:19 IST तक के समाचार
आडवाणी
सुषमा स्वराज ने पत्रकारों से कहा है कि उन्हें विश्वास है कि वो आडवाणी को इस्तीफ़ा वापस लेने के लिए मना लेंगी.
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जहां लाल कृष्ण आडवाणी के इस्तीफे को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है वहीं पार्टी के अन्य नेताओं ने आडवाणी को इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लेने की बात कही है.क्लिक करें
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता क्लिक करें लाल कृष्ण आडवाणी ने पार्टी के महत्वपूर्ण पदों से सोमवार को इस्तीफ़ा दे दिया है.
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजे एक पत्र में आडवाणी ने कहा है, ‘‘ मैंने फैसला किया है कि मैं पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से इस्तीफ़ा दे दूं और इस पत्र को मेरा इस्तीफ़ा माना जाए.’’
इस मुद्दे को लेकर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के घर में पार्टी नेताओं की बैठक हुई जिसमें अरुण जेटली और वैंकेया नायडू ने हिस्सा लिया.बैठके के बाद वैंकेया नायडू ने कहा है कि आडवाणी को मनाने की कोशिश की जाएगी.

सुषमा स्वराज, नेता विपक्ष

सुषमा स्वराज ने पत्रकारों से कहा, "आडवाणी जी से मेरी फ़ोन पर बात हुई है और मैंने उनसे कहा कि मैं आपसे मिलने आ रही हूं, मुझे विश्वास है कि हम उन्हें मना लेंगे. दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन जैसे शीर्ष नेता को ऐसा करना पड़ा, हम उन्हें मना लेंगे."क्लिक करें
क्लिक करें (पूरी रिपोर्ट: आडवाणी ने भाजपा के पद छोड़े, पार्टी में संकट)

राम माधव, आरएसएस

राम माधव ने ट्विटर पर कहा, "आडवाणी का इस्तीफ़ा दुर्भाग्यपूर्ण है और उम्मीद है कि पार्टी उन्हें इस्तीफ़ा वापस लेने के लिए मना लेगी."

राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष

राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा, "मैंने श्री आडवाणीजी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है."

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

पीटीआई के मुताबिक कांग्रेस ने आडवाणी के इस्तीफ़े पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "आडवाणी का इस्तीफ़ा नरेंद्र मोदी की पदोन्नति का पहला परिणाम है."

महेश तवासे, एनसीपी

पीटीआई के अनुसार कांग्रेस के साथी दल एनसीपी के प्रवक्ता महेश तपासे ने लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफ़े पर चुटकी लेते हुए कहा कि 'बीजेपी पार्टी विथ ए डिफ्रेंस है और आडवाणी के इस्तीफ़े से ये साबित भी होता है.'
उन्होंने कहा, "बीजेपी नमो-निया से पीड़ित है और एनडीए का भविष्य तय हो चुका है. यूपीए 2014 के लोकसभा चुनाव में विजयी होकर वापस आएगी."

शरद यादव, जेडीयू

शरद यादव ने पीटीआई को दिए अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि लालकृष्ण आडवाणी का इस्तीफ़ा चौकाने वाला है. उन्होंने कहा कि वो और लोगों से मिलकर इस मामले पर चर्चा करेंगे.

सुखबीर सिंह बादल, पंजाब के मुख्यमंत्री और अकाली दल के नेता

सुखबीर सिंह बादल ने पत्रकारों से कहा, "ये बीजेपी का आअंदरूनी मामला है, हम बीजेपी के साथ है, जो फैसला बीजेपी करेगी उसे मानेंगे."

 

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Edward Snowden



From Wikipedia, the free encyclopedia
Edward Joseph Snowden
Front cover of the Guardian newspaper, 10 June 2013
Snowden as seen on the cover of The Guardian, 10 June 2013

Born 1983 (age 29–30)
Elizabeth City, North Carolina, United States
Residence Hawaii. Currently in Hong Kong.
Nationality American
Occupation System administrator
Employer Booz Allen Hamilton
Known for PRISM whistleblower
Edward Joseph Snowden (born 1983) is an American technical contractor, whistleblower and former United States Central Intelligence Agency (CIA) employee who worked as a contractor for the National Security Agency (NSA).[1][2] Snowden released classified material on ­top-secret NSA programs including the PRISM surveillance program to The Guardian and The Washington Post in June 2013.[2][3][4][5][6]

 

 

Contents

Early life and career

Snowden was brought up in Elizabeth City, North Carolina, later moving with his family to Ellicott City, Maryland where he studied computing at community college.[6][7]
In 2003, Snowden enlisted in the United States Army with the hope of eventually joining the Special Forces. He was discharged after breaking both of his legs in a training accident. He then went to work as a security guard for a covert NSA facility at the University of Maryland. After that he went to the Central Intelligence Agency (CIA), where he worked on IT security. In 2007, the CIA stationed him with diplomatic cover in Geneva, Switzerland, where he was responsible for maintaining computer network security. Leaving the CIA in 2009, he worked for a private contractor inside an NSA facility on a United States military base in Japan.[6]
At the time of his departure from the US in May 2013, he had been working for defense contractor Booz Allen Hamilton for less than three months, as a system administrator inside of the NSA in Hawaii.[8][9] He described his life as "very comfortable", living with his girlfriend and earning a salary of "roughly US$200,000."[6]
The Guardian describes Snowden as intensely passionate about the value of privacy; his laptop is adorned with stickers supporting internet freedom organizations including the Electronic Frontier Foundation (EFF) and the Tor Project.[6] Although he says he "believed in Obama's promises", he "voted for a third party" in the 2008 election.[10] Political donation records indicate that he contributed to the primary campaign of Ron Paul.[11]

Whistleblowing

In May 2013, Snowden was granted temporary leave from his work as a contractor for the NSA in Hawaii, on the premise of receiving treatment for his epilepsy.[6] On May 20, he flew to Hong Kong and began living in a hotel room, from which he leaked documents and provided an interview to The Guardian.[6]
The Washington Post reported that the motive behind the leaks was to expose the United States ‘surveillance state’.[1] Explaining his justification for the disclosure, Snowden remarked that he "can't in good conscience allow the U.S. government to destroy privacy, internet freedom and basic liberties for people around the world with this massive surveillance machine they're secretly building."[12]
I don't want to live in a society that does these sort of things … I do not want to live in a world where everything I do and say is recorded. That is not something I am willing to support or live under.
—Edward Snowden, speaking to The Guardian in June 2013[10]
Snowden's identity was made public by The Guardian and The Washington Post at his request, days after the leak. He explained his reasoning for forgoing anonymity: "I have no intention of hiding who I am because I know I have done nothing wrong".[6]
He has said that he has a "predisposition to seek asylum in a country with shared values," and that his ideal choice would be Iceland.[5][6] The International Modern Media Institute, an Icelandic freedom of speech advocacy organisation, on the day his identity was revealed issued a statement offering Snowden legal advice and assistance in gaining asylum.[13]

Response

The National Security Agency has requested a criminal probe into Snowden's actions from the United States Department of Justice. James R. Clapper, Director of National Intelligence, said that his "reckless disclosures" have resulted in "significant misimpressions" in the media.[14] Speaking before Snowden was named, chairman of the US Select Committee on Intelligence Mike Rogers said of the whistleblower: "I absolutely think they should be prosecuted".[15]
Snowden's employer Booz Allen Hamilton released a statement condemning his actions as "shocking" and "a grave violation of the code of conduct and core values of our firm".[8] The statement says he had been with the firm for under three months.
Amy Davidson, writing in The New Yorker, said Snowden "is the reason our country has, in the last week, been having a conversation on privacy and the limits of domestic surveillance. That was overdue, and one wishes it had been prompted by self-examination on the part of the Obama Administration or real oversight by Congress." She went on to say "We also learned that James Clapper, the Director of National Intelligence, flat-out lied to the Senate when he said that the N.S.A. did not 'wittingly' collect any sort of data on millions of Americans. And we were reminded of how disappointing President Obama can be. These were all things the public deserved to know."[16]
Shortly after Snowden revealed his identity, a petition[17] was posted on the White House website, asking for "a full, free, and absolute pardon for any crimes [Snowden] has committed or may have committed related to blowing the whistle on secret NSA surveillance programs."[18][19]
Daniel Ellsberg, the whistleblower and leaker of the top-secret Pentagon Papers in 1971, stated in an interview with CNN that he thought Snowden had done an "incalculable" service to his country and that his leaks might prevent America from becoming a surveillance state. He said Snowden had acted with the same sort of courage and patriotism as a soldier in battle.[20]

See also

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Edward Snowden: the whistleblower behind the NSA surveillance revelations


 Edward Snowden (picture courtesy of the Guardian)


The 29-year-old source behind the biggest intelligence leak in the NSA's history explains his motives, his uncertain future and why he never intended on hiding in the shadows

Q&A with NSA whistleblower Edward Snowden: 'I do not expect to see home again'
 
 
Link to video: NSA whistleblower Edward Snowden: 'I don't want to live in a society that does these sort of things'
 
  The individual responsible for one of the most significant leaks in US political history is Edward Snowden, a 29-year-old former technical assistant for the CIA and current employee of the defence contractor Booz Allen Hamilton. Snowden has been working at the National Security Agency for the last four years as an employee of various outside contractors, including Booz Allen and Dell.
The Guardian, after several days of interviews, is revealing his identity at his request. From the moment he decided to disclose numerous top-secret documents to the public, he was determined not to opt for the protection of anonymity. "I have no intention of hiding who I am because I know I have done nothing wrong," he said.
Snowden will go down in history as one of America's most consequential whistleblowers, alongside Daniel Ellsberg and Bradley Manning. He is responsible for handing over material from one of the world's most secretive organisations – the NSA.
In a note accompanying the first set of documents he provided, he wrote: "I understand that I will be made to suffer for my actions," but "I will be satisfied if the federation of secret law, unequal pardon and irresistible executive powers that rule the world that I love are revealed even for an instant."
Despite his determination to be publicly unveiled, he repeatedly insisted that he wants to avoid the media spotlight. "I don't want public attention because I don't want the story to be about me. I want it to be about what the US government is doing."
He does not fear the consequences of going public, he said, only that doing so will distract attention from the issues raised by his disclosures. "I know the media likes to personalise political debates, and I know the government will demonise me."
Despite these fears, he remained hopeful his outing will not divert attention from the substance of his disclosures. "I really want the focus to be on these documents and the debate which I hope this will trigger among citizens around the globe about what kind of world we want to live in." He added: "My sole motive is to inform the public as to that which is done in their name and that which is done against them."
He has had "a very comfortable life" that included a salary of roughly $200,000, a girlfriend with whom he shared a home in Hawaii, a stable career, and a family he loves. "I'm willing to sacrifice all of that because I can't in good conscience allow the US government to destroy privacy, internet freedom and basic liberties for people around the world with this massive surveillance machine they're secretly building."

'I am not afraid, because this is the choice I've made'

Three weeks ago, Snowden made final preparations that resulted in last week's series of blockbuster news stories. At the NSA office in Hawaii where he was working, he copied the last set of documents he intended to disclose.
He then advised his NSA supervisor that he needed to be away from work for "a couple of weeks" in order to receive treatment for epilepsy, a condition he learned he suffers from after a series of seizures last year.
As he packed his bags, he told his girlfriend that he had to be away for a few weeks, though he said he was vague about the reason. "That is not an uncommon occurrence for someone who has spent the last decade working in the intelligence world."
On May 20, he boarded a flight to Hong Kong, where he has remained ever since. He chose the city because "they have a spirited commitment to free speech and the right of political dissent", and because he believed that it was one of the few places in the world that both could and would resist the dictates of the US government.
In the three weeks since he arrived, he has been ensconced in a hotel room. "I've left the room maybe a total of three times during my entire stay," he said. It is a plush hotel and, what with eating meals in his room too, he has run up big bills.
He is deeply worried about being spied on. He lines the door of his hotel room with pillows to prevent eavesdropping. He puts a large red hood over his head and laptop when entering his passwords to prevent any hidden cameras from detecting them.
Though that may sound like paranoia to some, Snowden has good reason for such fears. He worked in the US intelligence world for almost a decade. He knows that the biggest and most secretive surveillance organisation in America, the NSA, along with the most powerful government on the planet, is looking for him.
Since the disclosures began to emerge, he has watched television and monitored the internet, hearing all the threats and vows of prosecution emanating from Washington.
And he knows only too well the sophisticated technology available to them and how easy it will be for them to find him. The NSA police and other law enforcement officers have twice visited his home in Hawaii and already contacted his girlfriend, though he believes that may have been prompted by his absence from work, and not because of suspicions of any connection to the leaks.
"All my options are bad," he said. The US could begin extradition proceedings against him, a potentially problematic, lengthy and unpredictable course for Washington. Or the Chinese government might whisk him away for questioning, viewing him as a useful source of information. Or he might end up being grabbed and bundled into a plane bound for US territory.
"Yes, I could be rendered by the CIA. I could have people come after me. Or any of the third-party partners. They work closely with a number of other nations. Or they could pay off the Triads. Any of their agents or assets," he said.
"We have got a CIA station just up the road – the consulate here in Hong Kong – and I am sure they are going to be busy for the next week. And that is a concern I will live with for the rest of my life, however long that happens to be."
Having watched the Obama administration prosecute whistleblowers at a historically unprecedented rate, he fully expects the US government to attempt to use all its weight to punish him. "I am not afraid," he said calmly, "because this is the choice I've made."
He predicts the government will launch an investigation and "say I have broken the Espionage Act and helped our enemies, but that can be used against anyone who points out how massive and invasive the system has become".
The only time he became emotional during the many hours of interviews was when he pondered the impact his choices would have on his family, many of whom work for the US government. "The only thing I fear is the harmful effects on my family, who I won't be able to help any more. That's what keeps me up at night," he said, his eyes welling up with tears.

'You can't wait around for someone else to act'

Snowden did not always believe the US government posed a threat to his political values. He was brought up originally in Elizabeth City, North Carolina. His family moved later to Maryland, near the NSA headquarters in Fort Meade.
By his own admission, he was not a stellar student. In order to get the credits necessary to obtain a high school diploma, he attended a community college in Maryland, studying computing, but never completed the coursework. (He later obtained his GED.)
In 2003, he enlisted in the US army and began a training program to join the Special Forces. Invoking the same principles that he now cites to justify his leaks, he said: "I wanted to fight in the Iraq war because I felt like I had an obligation as a human being to help free people from oppression".
He recounted how his beliefs about the war's purpose were quickly dispelled. "Most of the people training us seemed pumped up about killing Arabs, not helping anyone," he said. After he broke both his legs in a training accident, he was discharged.
After that, he got his first job in an NSA facility, working as a security guard for one of the agency's covert facilities at the University of Maryland. From there, he went to the CIA, where he worked on IT security. His understanding of the internet and his talent for computer programming enabled him to rise fairly quickly for someone who lacked even a high school diploma.
By 2007, the CIA stationed him with diplomatic cover in Geneva, Switzerland. His responsibility for maintaining computer network security meant he had clearance to access a wide array of classified documents.
That access, along with the almost three years he spent around CIA officers, led him to begin seriously questioning the rightness of what he saw.
He described as formative an incident in which he claimed CIA operatives were attempting to recruit a Swiss banker to obtain secret banking information. Snowden said they achieved this by purposely getting the banker drunk and encouraging him to drive home in his car. When the banker was arrested for drunk driving, the undercover agent seeking to befriend him offered to help, and a bond was formed that led to successful recruitment.
"Much of what I saw in Geneva really disillusioned me about how my government functions and what its impact is in the world," he says. "I realised that I was part of something that was doing far more harm than good."
He said it was during his CIA stint in Geneva that he thought for the first time about exposing government secrets. But, at the time, he chose not to for two reasons.
First, he said: "Most of the secrets the CIA has are about people, not machines and systems, so I didn't feel comfortable with disclosures that I thought could endanger anyone". Secondly, the election of Barack Obama in 2008 gave him hope that there would be real reforms, rendering disclosures unnecessary.
He left the CIA in 2009 in order to take his first job working for a private contractor that assigned him to a functioning NSA facility, stationed on a military base in Japan. It was then, he said, that he "watched as Obama advanced the very policies that I thought would be reined in", and as a result, "I got hardened."
The primary lesson from this experience was that "you can't wait around for someone else to act. I had been looking for leaders, but I realised that leadership is about being the first to act."
Over the next three years, he learned just how all-consuming the NSA's surveillance activities were, claiming "they are intent on making every conversation and every form of behaviour in the world known to them".
He described how he once viewed the internet as "the most important invention in all of human history". As an adolescent, he spent days at a time "speaking to people with all sorts of views that I would never have encountered on my own".
But he believed that the value of the internet, along with basic privacy, is being rapidly destroyed by ubiquitous surveillance. "I don't see myself as a hero," he said, "because what I'm doing is self-interested: I don't want to live in a world where there's no privacy and therefore no room for intellectual exploration and creativity."
Once he reached the conclusion that the NSA's surveillance net would soon be irrevocable, he said it was just a matter of time before he chose to act. "What they're doing" poses "an existential threat to democracy", he said.

A matter of principle

As strong as those beliefs are, there still remains the question: why did he do it? Giving up his freedom and a privileged lifestyle? "There are more important things than money. If I were motivated by money, I could have sold these documents to any number of countries and gotten very rich."
For him, it is a matter of principle. "The government has granted itself power it is not entitled to. There is no public oversight. The result is people like myself have the latitude to go further than they are allowed to," he said.
His allegiance to internet freedom is reflected in the stickers on his laptop: "I support Online Rights: Electronic Frontier Foundation," reads one. Another hails the online organisation offering anonymity, the Tor Project.
Asked by reporters to establish his authenticity to ensure he is not some fantasist, he laid bare, without hesitation, his personal details, from his social security number to his CIA ID and his expired diplomatic passport. There is no shiftiness. Ask him about anything in his personal life and he will answer.
He is quiet, smart, easy-going and self-effacing. A master on computers, he seemed happiest when talking about the technical side of surveillance, at a level of detail comprehensible probably only to fellow communication specialists. But he showed intense passion when talking about the value of privacy and how he felt it was being steadily eroded by the behaviour of the intelligence services.
His manner was calm and relaxed but he has been understandably twitchy since he went into hiding, waiting for the knock on the hotel door. A fire alarm goes off. "That has not happened before," he said, betraying anxiety wondering if was real, a test or a CIA ploy to get him out onto the street.
Strewn about the side of his bed are his suitcase, a plate with the remains of room-service breakfast, and a copy of Angler, the biography of former vice-president Dick Cheney.
Ever since last week's news stories began to appear in the Guardian, Snowden has vigilantly watched TV and read the internet to see the effects of his choices. He seemed satisfied that the debate he longed to provoke was finally taking place.
He lay, propped up against pillows, watching CNN's Wolf Blitzer ask a discussion panel about government intrusion if they had any idea who the leaker was. From 8,000 miles away, the leaker looked on impassively, not even indulging in a wry smile.
Snowden said that he admires both Ellsberg and Manning, but argues that there is one important distinction between himself and the army private, whose trial coincidentally began the week Snowden's leaks began to make news.
"I carefully evaluated every single document I disclosed to ensure that each was legitimately in the public interest," he said. "There are all sorts of documents that would have made a big impact that I didn't turn over, because harming people isn't my goal. Transparency is."
He purposely chose, he said, to give the documents to journalists whose judgment he trusted about what should be public and what should remain concealed.
As for his future, he is vague. He hoped the publicity the leaks have generated will offer him some protection, making it "harder for them to get dirty".
He views his best hope as the possibility of asylum, with Iceland – with its reputation of a champion of internet freedom – at the top of his list. He knows that may prove a wish unfulfilled.
But after the intense political controversy he has already created with just the first week's haul of stories, "I feel satisfied that this was all worth it. I have no regrets."

 

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