Saturday, 27 September 2014

आय से अधिक संपत्ति केसः जयललिता को चार साल की सजा, भेजा गया जेल

आय से अधिक संपत्ति केसः जयललिता को चार साल की सजा, भेजा गया जेल

बेंगलुरु, 27 सितम्बर 2014 | अपडेटेड: 19:43 IST

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में चार साल की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा उनके ऊपर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. जयललिता को तुरंत ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. जयललिता को अरेस्ट करके बेंगलुरु सेंट्रल जेल में ले जाया गया.कोर्ट का फैसला आने के बाद जयललिता को सरकारी अस्पताल में चेकअप के लिए ले जाया गया. जेल जाने से पहले मेडिकल चेकअप जरूरी होता है. मेडिकल चेकअप के बाद उन्हें जेल ले जाया गया. जयललिता सोमवार को जमानत के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दे सकती हैं.
जयललिता को आय के ज्ञात स्रोत से 66 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जमा करने के एक मामले में शनिवार को एक स्पेशल कोर्ट ने दोषी करार दे दिया. तमिलनाडु में वह अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच अम्मा उपनाम से संबोधित होती हैं. 18 साल तक चली कानूनी जंग के बाद न्यायाधीश जॉन माइकल कुन्हा ने जयललिता (66) को दोषी ठहराया. जयललिता अपनी पार्टी एआईएडीएमके की महासचिव भी हैं.
न्यायाधीश ने जयललिता के अलावा तीन अन्य आरोपियों- शशिकला और उनके रिश्तेदार वी. एन. सुधाकरन और जे. इल्लावरसी- को भी दोषी करार दिया है. शशिकला मुख्यमंत्री की सहेली हैं. जयललिता पर आय के ज्ञात स्रोतों से 66 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जमा करने का आरोप था.
मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल (1991-1996) में जयललिता ने घोषणा की थी कि वह वेतन के तौर पर सिर्फ एक रुपया लेंगी. जयललिता पर आरोप था कि 1991 में उनके पास लगभग तीन करोड़ रुपये की संपत्ति थी और 1991 से 1996 के बीच यह संपत्ति बढ़कर लगभग 66 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
भ्रष्टाचार का आरोप चरम पर होने के कारण 1996 में एआईएडीएमके को जनता ने नकार दिया था. संयोगवश, डीएमके सांसद टी. एम. सेल्वागणपति को इस साल अपनी राज्यसभा की सीट गंवानी पड़ी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कोर्ट ने उन्हें शमशान शेड मामले में दोषी ठहराया था. जिस समय भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा था उस समय सेल्वागणपति जयललिता सरकार में स्थानीय प्रशासन मंत्री थे. बाद में वह डीएमके में शामिल हो गए थे.
जयललिता के खिलाफ यह मामला 1996 में राज्य की तत्कालीन द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की करुणानिधि सरकार ने दायर किया था. सुनवाई के दौरान मामले में कई उतार-चढ़ाव और मोड़ आए. 2001 में जब एआईएडीएमके सत्ता में आई तब कई गवाह मुकर गए. डीएमके नेता के. अनबझगन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर मामले को चेन्नई की कोर्ट से बेंगलुरु की कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की.
इस मामले में अभियोजन के 255 और बचाव पक्ष की ओर से 95 से ज्यादा गवाह पेश किए गए. जयललिता को भी अदालत ने 2011 में अदालत तलब कर 1300 सवालों की सूची थमा कर जवाब मांगा था. यह पहला मौका नहीं है जब जयललिता को दोषी ठहराया गया है. 2000 में भी एक कोर्ट ने दो मामलों में उन्हें तीन वर्ष और दो वर्ष कैद की सजा सुनाई थी.
2001 में जयललिता को उस समय मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वे सत्ता में बनी नहीं रह सकतीं. उस समय उन्होंने अपनी सरकार के वरिष्ठ मंत्री ओ. पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाया था. 2002 में मद्रास हाई कोर्ट से बरी होने के बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बनी थीं. बाद में वह अंदिपट्टी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं.
विशेष न्यायाधीश जॉन माइकल कुन्हा ने शहर के दक्षिणी उपनगर के पारापन्ना अग्रहारा में स्थित केंद्रीय कारागार में स्थापित एक स्पेशल कोर्ट में कड़ी सुरक्षा के बीच अपना फैसला सुनाया. विशेष सरकारी वकील जी. भवानी सिंह ने कहा कि न्यायाधीश कुन्हा ने जयललिता को ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति जमा करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 109 और 120 (बी) तथा भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम, 1988 की धारा 13 के तहत दोषी करार दिया.
 
 jayalalitha convicted in a disproportionate assets case by a bangalore court
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#UN महासभा में बोले #PM #Modi - आतंक का रास्ता छोड़े PAK, बातचीत के लिए हम तैयार, | यूएन में मोदी के भाषण की 10 ख़ास बातें

UN महासभा में बोले #PM #Modi- आतंक का रास्ता छोड़े PAK, बातचीत के लिए हम तैयार

यूएन में मोदी के भाषण की 10 ख़ास बातें

  | नई दिल्ली, 27 सितम्बर 2014 | अपडेटेड: 20:54 IST
टैग्स: यूएन असेंबली| पीएम नरेंद्र मोदी| मोदी का भाषण| संयुक्त राष्ट्र की महासभा
यूएन चीफ बान की मून से मिले मोदी
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की महासभा शुरू हो चुकी है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएन असेंबली को संबोधित कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर मोदी को देखने के लिए जुटी भीड़. अपने भाषण से पहले मोदी ने यूएन चीफ बान की मून से मुलाकात की और बढ़ते आतंकवाद का मुद्दा उठाया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ पीएम मोदी पहुंचे संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय.पीएम मोदी के भाषण के मुख्य अंशः
यूएन में बोलना मेरे लिए सम्मान की बात. भारत आर्थिक और सामाजिक बदलावों से गुजर रहा है. भारत पूरे विश्व को एक कुटुंब के रूप में देखता है. हर देश का अपना दर्शन होता है. भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो केवल अपने लिए नहीं बल्कि समृद्धि, विकास के पक्ष में आवाज उठाता रहा है.

मुझे लोगों की अपेक्षाओं का अहसास है. दुनिया के हक में हम आवाज उठाते रहे हैं. देश की शांति के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा. हमने कई लड़ाइयों को खत्म किया शांति बनाए रखने के लिए. गरीबी और भुखमरी को हटाने के लिए भारत ने साथ दिया है.
विश्व शांति और लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ा है. अफगानिस्तान में शांति बहाल हुई है. नेपाल और लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ा है. अफ्रीका में शांति और स्थिरता की नई ऊर्जा दिखाई दे रही है. मैं पाकिस्तान से मित्रता बढ़ाने के लिए और बिना आतंकवाद के द्विपक्षीय वार्ता करना चाहता हूं. पाकिस्तान भी इस वार्ता के लिए अच्छा वातावरण बनाए.
आतंक का रास्ता छोड़े पाकिस्तान. आतंकवाद नए नए रूप और नाम से सामने आ रहा है. इसके खतरे से कोई भी देश मुक्त नहीं है. 10 साल से हम आतंकवाद झेल रहे हैं. पाकिस्तान का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को पनाह दे रहे हैं. आतंकवाद से लड़ने में सबकी भागीदारी हो. आइये हम समय की मांग के अनुरूप खुद को ढालें. 20वीं सदी की संस्थाएं 21वीं सदी में प्रासंगिक नहीं होंगी. हमें मतभेदों को दूर करके आगे बढ़ने पर जोर देना होगा.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के खिलाफ यूएन को पहल करनी होगी. हमें आउटर स्पेस और साइबर स्पेस में शांति और व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी. यूएन शांति मिशन को बेहतर बनाया जाए, इसके लिए इनमें शामिल देशों को निर्णय लेने में भी जगह दी जाए.
यूएन सुरक्षा परिषद के भी उचित विस्तार की अपेक्षा है. सभी देशों को इसके लिए उपाय करने होंगे. ऐसे नियम बनाने होंगे जिसमें अपना विकास तो हो लेकिन दूसरे का नुकसान न हो. जिस गति से ट्विटर, फेसबुक और सेलफोंस का विस्तार हुआ, उसी गति से विकास का भी विस्तार हो सकता है. दुनिया के सामने कई समस्याएं हैं, इनसे निपटने के लिए टेक्नोलॉजी हमारा हथियार बन सकती है. हमें ईमानदारी से जिम्मेदारी निभानी चाहिए. विकसित देशों को फंडिंग और तकनीक ट्रांसफर करना होगा. 
हम विश्व विद्यालयों को जोड़े, नई पीढ़ी को जोड़े और इसका उपयोग करके नई चेतना के साथ, आपस में नए विश्वास के साथ आगे बढ़े. मुझे उम्मीद है कि हम अपनी सामूहिक जिम्मेदारी को मिलकर निभाएंगे.

मोदी ने कश्मीर के बारे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की टिप्पणी का यूएन चीफ के साथ बैठक के दौरान जिक्र किया. यूएन चीफ के साथ चर्चा के दौरान मोदी ने आतंकवाद से निपटने के विषय को भी उठाया.
मोदी भारत के ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री हैं जो यूएन असेंबली में हिंदी में भाषण देने जा रहे हैं. मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में यूएन असेंबली में हिंदी में भाषण दिया था.

पीएम मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए जाने वाले भाषण में मुख्य जोर 'भविष्य की ओर देखने' पर होगा. भारत ने इस बीच महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के कश्मीर पर बयान का आधिकारिक तौर पर खंडन किया है. नवाज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की आवश्यकता जताई. यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी इसका जवाब देंगे, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि मोदी के भाषण में 'आगे की ओर देखने' पर जोर होगा.
 
 यूएन में मोदी के भाषण की 10 ख़ास बातें
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया.
मोदी के अब तक के भाषण की अहम बातें...
1- भारत ने पड़ोसी देशों से मित्रता की कोशिश की है. पाकिस्तान के साथ दोस्ती करने के लिए द्विपक्षीय वार्ता करना चाहते हैं. लेकिन पाकिस्तान का भी दायित्व है कि दोतरफ़ा बातचीत के लिए माहौल बनाए. संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाने से समस्या कैसे सुलझेगी, इसको लेकर लोगों में संदेह है.
2- विश्व तनाव और संघर्ष के दौर से गुज़र रहा है. भविष्य को लेकर अनिश्चितता है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा चिंता का विषय है.
3- आतंकवाद बड़ी समस्या है. सभी देश आतंकवाद से जूझ रहे हैं. पश्चिम एशिया में आतंकवाद बढ़ रहा है. भारत चार दशकों से आतंकवाद से जूझ रहा है.
4- आज भी कई देश अपने क्षेत्र में आतंकवाद को पनाह दे रहे हैं. जब अच्छे और बुरे आतंकवाद की बात होती है तो इससे लड़ने की हमारे इरादों पर सवाल उठते हैं.
5- समुद्री आतंकवाद भी बड़ा ख़तरा है. साइबर आतंकवाद भी गंभीर समस्या है. आतंकवाद के खिलाफ़ कड़ा प्रस्ताव पारित होना चाहिए.
6- जी-1 से आगे बढ़कर जी-ऑल की तरफ बढ़ें. आपसी लाभ-हानि से ऊपर उठने की ज़रूरत है. वास्तविक अंतरराष्ट्रीय सहयोग ज़रूरी है.
7- स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली मेरे एजेंडे में सबसे ऊपर हैं. रहने लायक और टिकाऊ विश्व की कामना के साथ काम होना चाहिए.
8- विकसित देशों को फ़ंडिंग और तकनीकी स्थानांतरण की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहिए.
9- भारत अपनी तकनीकी को साझा करने के लिए तैयार है. हाल ही में दक्षिण एशियाई देशों के लिए निशुल्क उपग्रह की घोषणा की है.
10- भारत में प्रकृति के प्रति आदर अध्यात्म का अंग है. योग व्यायाम नहीं है, बल्कि पुरातन और अमूल्य देन है. योग खुद से और दुनिया से जुड़ने का साधन है. संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करे.
 
 
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Friday, 26 September 2014

सिंगल गर्ल चाइल्ड की अब स्नातकोत्तर से पीएचडी तक की पढ़ाई का खर्च यूजीसी उठाएगा:UGC-‘इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप फॉर सिंगल गर्ल चाइल्ड’

सिंगल गर्ल चाइल्ड की अब स्नातकोत्तर से पीएचडी तक की पढ़ाई का खर्च यूजीसी उठाएगा:UGC-‘इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप फॉर सिंगल गर्ल चाइल्ड’

यूजीसी का तोहफा

27-09-2014
देहरादून: नवरात्र पर ‘देवियों’ को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का खास तोहफा मिला है। अगर आप इकलौती बेटी के अभिभावक हैं तो उसकी पढ़ाई की चिंता करने की जरूरत नहीं। इसकी चिंता अब यूजीसी पर छोड़ दीजिए। स्नातकोत्तर से पीएचडी तक की पढ़ाई का खर्च यूजीसी उठाएगा। यूजीसी ने हाल ही में ‘इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप फॉर सिंगल गर्ल चाइल्ड’ का दायरा बढ़ाते हुए इसे स्नातकोत्तर के साथ ही पीएचडी तक बढ़ा दिया है। इसके तहत संस्थान की फीस और अन्य खर्चो के लिए मासिक राशि प्रदान की जाती है।
यूजीसी की 503वीं बैठक 22 सितंबर को दिल्ली में हुई। बैठक में आयोग के अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश और सदस्यों ने कई अहम फैसले लिए। यूजीसी की ‘इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप फॉर सिंगल गर्ल चाइल्ड’ स्कॉलरशिप अब स्नातकोत्तर के साथ ही पीएचडी के लिए भी प्रदान की जाएगी। बताते चलें कि यूजीसी हर साल देशभर से 1200 सिंगल गर्ल चाइल्ड के दायरे में आने वाली बेटियों की स्नातकोत्तर की पढ़ाई का खर्च वहन करता है। स्नातकोत्तर में स्कॉलरशिप के तहत छात्र को संस्थान की फीस के अलावा 2000 रुपये प्रति माह खर्च प्रदान किया जाता है। यह छात्रवृत्ति केवल गैरव्यावसायिक कोर्स के लिए प्रदान की जाती है। छात्रवृत्ति के लिए छात्र को किसी भी मान्यता प्राप्त विवि या महाविद्यालय के संस्थागत माध्यम में प्रवेश लेने के बाद आवेदन करना होता है। दो वर्ष की अवधि में कुल 20 माह मासिक खर्च प्रदान किए जाते है। हालांकि, यूजीसी ने पीएचडी में मासिक खर्च के रूप में कितनी राशि प्रदान की जाएगी, इसका खुलासा नहीं किया है। डीएवी पीजी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत सिंह का कहना है कि आमतौर पर यूजीसी 16000 रुपये प्रतिमाह फेलोशिप के रूप में प्रदान करती है। संभावना है कि इस स्कॉलरशिप में भी लगभग इतनी ही राशि प्रति माह प्रदान की जाएगी।
‘इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप फॉर सिंगल गर्ल चाइल्ड’ के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान में स्नातकोत्तर या पीएचडी में प्रवेश लेने के बाद यूजीसी के निर्धारित आवेदन पत्र पर आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के साथ संस्थान से कोर्स में प्रवेश का प्रमाणपत्र, सिंगल गर्ल चाइल्ड होने का शपथपत्र कम से कम एसएडीएम या तहसीलदार स्तर के अधिकारी से हस्ताक्षारित, जन्म तिथि का प्रमाण पत्र, राशन कार्ड की प्रति संलग्न कर यूजीसी को भेजें।

American Court Issues Summons Against PM Modi In Connection With 2002 Gujrat Riot | मोदी के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट का समन- 21 दिन में जवाब दें, वरना खिलाफ सुना देंगे फैसला

American Court Issues Summons Against PM Modi In Connection With 2002 Gujrat Riot

मोदी के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट का समन- 21 दिन में जवाब दें, वरना खिलाफ सुना देंगे फैसला

Sep 27, 2014

फोटो: 25 सितंबर को न्‍यूयॉर्क की अदालत से मोदी को जारी समन की कॉपी। 
 
वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस दिन भारत से अमेरिका रवाना हुए, उसी दिन न्‍यूयॉर्क की एक अदालत ने उन‍के खिलाफ समन जारी किया। 2002 के गुजरात दंगा मामले में बतौर मुख्‍यमंत्री मोदी की भूमिका को लेकर दायर एक केस में न्‍यूयॉर्क की अदालत ने यह समन जारी किया है। प्रधानमंत्री को 21 दिनों के भीतर जवाब देना होगा। अगर तय वक्‍त के भीतर जवाब नहीं दिया गया तो उनके खिलाफ 'डिफॉल्‍ट जजमेंट' सुनाने की बात समन में कही गई है (ऊपर देखें समन की कॉपी)।
 
 
मोदी के खिलाफ याचिका
न्‍यूयॉर्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट की संघीय अदालत ने मानवाधिकार संगठन अमेरिकन जस्टिस सेंटर (एजेसी) की याचिका पर मोदी के खिलाफ समन जारी किया है। 28 पन्‍नों की इस याचिका में मोदी पर मानवता के खिलाफ अपराध, हत्‍याएं, टॉर्चर और दंगा पीड़ितों पर मानसिक और शारीरिक यंत्रणा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। संगठन ने नरेंद्र मोदी पर कार्रवाई करने के साथ-साथ दंगा पीड़ि‍तों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है।
 
जवाब नहीं देने पर हो सकती है कार्रवाई
मोदी के खिलाफ जो समन जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि 21 दिनों के भीतर जवाब दाखिल नहीं करने की सूरत में 'डिफॉल्‍ट जजमेंट' का इस्‍तेमाल किया जाएगा। गौरतलब है कि इस तरह के जजमेंट का प्रयोग तब होता है, जब किसी मामले में कोई एक पार्टी तय वक्‍त के भीतर जवाब नहीं दे पाती है। ज्‍यादातर मामलों में जब प्रतिवादी समन का जवाब देने में नाकाम रहता है तो फैसला वादी के पक्ष में जाता है।
 

न्‍यूयॉर्क स्थित मैडिसन स्‍क्‍वायर गार्डन जहां मोदी ऐतिहासिक भाषण देंगे।
 
अमेरिका में मोदी के समर्थक जहां उनके दौरे को कामयाब बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं वहीं विरोधियों ने भी मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने की पूरी तैयारी कर रखी है। मोदी 27 सितंबर को संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा को संबोधित करेंगे और 28 सितंबर को न्‍यूयॉर्क स्थित मैडिसन स्‍क्‍वायर गार्डन में ऐतिहासिक भाषण देंगे। इसके बाद वह अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात करेंगे। इन सभी जगहों के बाहर जबर्दस्‍त विरोध प्रदर्शन होने की आशंका है। खास बात यह है कि मोदी के समर्थकों और विरोधियों को अपनी बात रखने के लिए एक-एक घंटे का वक्‍त दिया गया है। 

आमने-सामने प्रशंसक और विरोधी
मोदी जब संयुक्‍त राष्‍ट्र को संबोधित करेंगे तो बिल्डिंग के बाहर सुबह 10 से 11 बजे तक उनके समर्थक अपने नेता के बारे में प्रशंसा करते दिखाई देंगे। इसके बाद 11 से 12 बजे तक मोदी के विरोधी उनके खिलाफ अपना गुस्‍सा जाहिर करेंगे। ठीक ऐसा ही नजारा मैडिसन स्‍क्‍वायर गार्डन के बाहर देखने को मिलेगा। यहां पर भी मोदी के समर्थक और विरोधी अपनी भावनाओं का इजहार करते दिखाई देंगे। हालांकि, यहां पर दोनों समूह एक-दूसरे से दूर अलग-अलग गलियों में नजर आएंगे। बताया जा रहा है कि मोदी समर्थक टाइम्‍स स्‍क्‍वायर पर नजर नहीं आएंगे। इन चीजों के मद्देनजर सुरक्षा के भी सख्‍त इंतजाम किए गए हैं।

एक सूत्र ने कहा, न्‍यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट (एनवाईपीडी) के अलावा खुफिया एजेंसियों की नजर इन कार्यक्रमों पर रहेगी। पूरे इलाके को सील किया जाएगा।
 
जुटेंगे मोदी समर्थक
मोदी समर्थक न्‍यूयॉर्क और न्‍यूजर्सी के विभिन्‍न इलाकों से आठ बसों में आएंगे। इसके अलावा शिकागो जैसी दूर की जगहों से भी उनके जुटने की उम्‍मीद है। इनकी तादाद 600 के करीब होगी। उनके चेहरे पर मोदी का मास्‍क लगा होगा और उन्‍होंने जो टीशर्ट पहनी होगी उस पर 'अमेरिका लव्‍स मोदी' और 'न्‍यूयॉर्क लव्‍स मोदी' और 'वी वेलकम मोदी' जैसे स्‍लोगन लिखे होंगे। आरएसएस के एक समर्थक नारायण कटारिया ने कहा, मोदी के प्रति अपने प्‍यार का इजहार करने के लिए हम 150 पोस्‍टर्स और 100 अमेरिकी झंडों का इस्‍तेमाल करेंगे। 
 
होगा विरोध भी
मोदी के विरोधी अलाइंस फॉर जस्टिस एंड अकांटिबिलिटी और साउथ एशिया सॉलिडरिटी इनिशिएटीव के तहत जुटेंगे। हालांकि, इनकी तादाद के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है। विरोधी मोदी को काला झंडा दिखाएंगे और इनके हाथों में ऐसे बैनर होंगे जिन पर 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े फोटो होंगे।
 

26 सितंबर : न्यूयॉर्क के जेएफके हवाई अड्डे पर स्वागत होगा।
 
27 सितंबर : संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन। अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे भारतीय नेता जो हिंदी में भाषण देंगे। 

27 सितंबर : कुछ प्रमुख देशों के शासनाध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय मुलाकात। (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात का तय नहीं, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मिलेंगे)।

28 सितंबर : मेडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करेंगे। कई जगहों पर इसका सीधा प्रसारण। 

28 सितंबर : संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत द्वारा दिए जाने वाले विशेष भोज में शामिल होंगे। 

29 सितंबर : वॉशिंगटनडीसी पहुंचेंगे। अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के प्रमुख सदस्यों से मुलाकात करेंगे। 

29-30 सितंबर : व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात।
 
 

आपदा के जख्म, मुआवजे की लूट, केदारघाटी में मुआवजा राशि के वितरण में करोड़ों का फर्जीवाड़ा, दुकानों में क्षतिग्रस्त हुई सामग्री के मूल्यांकन में हुआ बड़ा खेल

आपदा के जख्म, मुआवजे की लूट

केदारघाटी में मुआवजा राशि के वितरण में करोड़ों का फर्जीवाड़ा
दुकानों में क्षतिग्रस्त हुई सामग्री के मूल्यांकन में हुआ बड़ा खेल

अपंजीकृत व्यापारी संगठन को सौंप दी आंकलन की जिम्मेदारी
आपदा के जख्म, मुआवजे की लूट
देहरादून: करीब सवा वर्ष पूर्व केदारनाथ में भीषण आपदा आई। जल प्रलय ने केदारनाथ से तिलवाड़ा तक सब कुछ तहस-नहस कर दिया। इस प्रलय ने न सिर्फ पांच हजार से अधिक लोगों की जिंदगी लील ली बल्कि केदारघाटी के हजारों परिवारों को बेघर कर दिया। वर्षों की कमाई और बैंक के लोन से खड़े किये गये लोगों के लाखों के व्यावसायिक भवन जमींदोज हो गये। यूं कहा जा सकता है कि घाटी का पूरा इनफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त हो गया। ऐसे हजारों परिवार जिनकी आजीविका केदारनाथ यात्रा पर निर्भर थी, वे आज भी दो जून की रोटी के लिये मोहजात हैं। आपदा के इन जख्मों को भरने के लिये देश और दुनिया के लोगों ने दिल खोलकर राशि दान दी। केन्द्र सरकार से भी करोड़ों की इमदाद राज्य सरकार को मिली। लेकिन, आज भी सैकड़ों पर ऐसे लोग हैं जिन्हें अब तक मुआवजा राशि तक नहीं मिल पाई है।
दूसरी ओर, यही मुआवजा राशि गिने-चुने रसूखदार लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है। जिन लोगों को मुआवजा राशि का सही आंकलन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वही फर्जीवाड़ा करके इसे हड़पने में लगे हुये हैं। खुलेआम मुआवजा बजट की बंदरबांट की जा रही है। या यूं कहें पैसों की लूट मची हुई है। इस प्रकरण में स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। दरअसल, जलप्रलय के बाद केदारघाटी में जब रेस्क्यू आपरेशन पूरा हो गया तो राज्य सरकार ने आपदा पीड़ितों को मुआवजा राशि बांटने की प्रक्रिया शुरू की। व्यक्ति की मौत, व्यक्ति के लापता होने, मुकान के क्षतिग्रस्त होने, व्यावसायिक भवन के ध्वस्त होने आदि अधिकांश मामलों में राज्य सरकार ने मानक निर्धारित कर मुआवजा राशि बांटने के निर्देश दिये। लेकिन, सबसे बड़ी समस्या यह सामने आयी कि आपदा में ध्वस्त हुये व्यावसायिक भवनों, दुकान आदि के भीतर नष्ट हुये सामान का आंकलन व मूल्यांकन कैसे किया जाये। इसकी जिम्मेदारी व्यापारियों को ही सौंप दी गई। तिलवाड़ा से केदारनाथ तक के जितने भी स्थानीय व्यापारी संगठन थे, उन्होंने सामूहिक रूप से ”संयुक्त व्यापार संघ केदारघाटी” नाम का एक संगठन बनाया, जिसे प्रत्येक व्यापारिक प्रतिष्ठान अथवा दुकान में नष्ट हुई सामग्री के आंकलन के साथ ही मूल्यांकन की जिम्मेदारी सौंप दी गई। हुआ यह कि ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के पदाधिकारी ही मुआवजा राशि की बंदरबांट में जुट गये। छोटे व मझले दरजे के व्यापारियों ने अपनी दुकान में हुये नुकसान के लिये शपथ पत्र समेत अनिवार्य दस्तावेज प्रस्तुत किये लेकिन उनमें से कई को मुआवजा देना तो दूर आपदा पीड़ितों की सूची में तक उनका नाम शामिल नहीं किया गया। ऐसे व्यापारी दर-दर भटकते रहे लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हुई। विधायक व जिला प्रशासन से की गई गुहार का भी कोई असर नहीं हुआ है। इससे इतर, आइये समझते हैं कि ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के पदाधिकारियों ने कैसे आपस में अथवा अपने चहेतों के बीच मुआवजा राशि की बंदरबांट की ।
केस 1- प्रेम सिंह सजवाण निवासी लमगौंडी ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के अध्यक्ष हैं। इनके केदारनाथ और रामबाड़ा में एक-एक होटल थे जो क्षतिग्रस्त हो हैं। मुआवजा राशि में उनके दोनों पुत्रों दीपक सिंह और आशीष सजवाण को को इन होटलों में वेटर दर्शाया गया। ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि सरकार की ओर से ध्वस्त हुये होटलों में काम करने वाले वेटरों को आजीविका के लिये 25 हजार प्रति वेटर के हिसाब से मुआवजा दिया गया। यानि मुआवजे के खातिर होटल मालिक दस्तावेजों में वेटर बन गये।
केस 2- प्रेम सिंह सजवाण की पत्नी पुष्पा सजवाण का गौरीकुण्ड में ‘सजवाण कोल्ड ड्रिंक’ नाम से गोदाम दर्शाया गया है, जिसमें रखी गई सामग्री का का मूल्यांकन 26 लाख रुपया किया गया, जिसमें से 10.40 लाख रुपये का मुआवजा पुष्पा सजवाण को मिल चुका है। ऊंचाई पर बसे गौरीकुण्ड में मौसम अक्सर ठण्डा रहता है, लिहाजा इस गोदान में 26 लाख की कोल्डडिंÑक थी या नहीं, इसे लेकर संशय है।
केस 3 - देवी प्रसाद गोस्वामी पुत्र शंकर प्रसाद गोस्वामी ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के उपाध्यक्ष हैं। उनकी व उनके परिजनों (भाई, भतीजा इत्यादि) की गौरीकुण्ड में क्षतिग्रस्त हुई विभिन्न दुकानों की सम्पत्ति का जो आंकलन किया गया है वो इस प्रकार है –
1. देवी प्रसाद गोस्वामी – गोस्वामी इण्टर प्राइजेज, गौरीकुण्ड – क्षति 25 लाख रुपया।
2. देवी प्रसाद गोस्वामी – गोस्वामी वीडियो गौरीकुण्ड – क्षति 9 लाख।
3. पंकज गोस्वामी (पुत्र) – डेली नीड्स गौरकुण्ड – क्षति 2 लाख।
4. रामेश्वरी गोस्वामी (पत्नी) – गोस्वामी इण्टरप्राइजेज अगस्तमुनी – क्षति 10 लाख।
5. बेनी प्रसाद गोस्वामी (भतीजा) – गोस्वामी क्लाथ इंपोरियम – क्षति 8 लाख।
6. भूपेन्द्र गोस्वामी पुत्र बेनी प्रसाद – ग्लोबल मोबाइल सेंटर – क्षति 8 लाख।
इन सभी छ: मामलों में देवी प्रसाद गोस्वामी के परिजन अब तक 25.80 लाख का मुआवजा राशि ग्रहण कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से उनके कई प्रतिष्ठान पूर्ण रुप से क्षतिग्रस्त नहीं हुये हैं, ऐसे में उनके भीतर क्षतिग्रस्त दिखाये गये सामान को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
केस 4 - मोहम्मद इरफान पुत्र मोहम्मद यासीन निवासी देहरादून व मुस्ताक अहमद पुत्र मुस्बबर अली निवासी नजीबाबाद के गौरीकुण्ड में सब्जी के गोदाम दिखाये गये हैं, जिनमें दोनों को 10-10 लाख के सामग्री क्षतिग्रस्त होना बताया गया है। जबकि गौरीकुण्ड जैसे छोटे से कस्बे में एक ही गोदाम में 10 लाख कह सब्जी को डम्प किया जाना नामुमकिन है। हालांकि, इन्हें अभी तक 4-4 लाख का ही मुआवजा दिया गया है।
केस 5 - अंजली गिफ्ट सेंटर विजयनगर मालिक लक्ष्मण सिंह राणा और अंजली गिफ्ट हाउस विजयनगर मालिक एल.एस राणा। इन दोनों नामों से दो-दो लाख की क्षति दर्शायी गई है, जिसमें से 90-90 हजार रुपये दिये भी जा चुके हैं। जबकि, दोनों का मालिक एक ही है। दुकान और मालिक के नाम में हल्का बदलाव कर यह राशि हड़प ली गई है।
कठघरे में विधायक
मुआवजा के मूल्यांकन व वितरण में की गई धांधली में स्थानीय विधायक की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। 19 सितम्बर को गुप्तकाशी निवासी होटल व्यापारी ओमप्रकाश ने आत्महत्या कर ली थी। उसने अपने सोसाइड नोट में विधायक पर इस धांधली में शामिल होने का सीधा आरोप लगाया है। जबकि, एक अन्य होटल व्यवसायी देवेन्द्र सिंह राणा ने सीएम को शिकायती पत्र भेजकर विधायक पर धांधली में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि विधायक के इशारे में मूल्यांकन को घटाया बढ़ाया जा रहा है, जिसका कोई आधार नहीं है। हालांकि, विधायक शैला रानी रावत ने अपने ऊपर लगाये गये सभी आरोपों को निराधार बताया है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
सवाल यह है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने ऐसे व्यापारी संगठन जिसका आपदा से पहले कोई वजूद नहीं था, उसे कैसे आपदा में क्षतग्रस्त हुई सामग्री के मूल्यांकन का जिम्मा सौंप दिया। यदि सौंप भी दिया तो उसको क्रास चैक करने की जेहमत क्यों नहीं उठाई गई। और फिर मुआवजा बांटा गया तो दुकान व दुकान के स्वामी का मिलता जुलता नाम होने के बावजूद एक ही बैंक एकाउण्ट में दो-दो मुआवजा राशि क्यों जमा की गई।
भाजपा ने की सीबीआई जांच की मांग
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने केदारनाथ आपदा की राहत में घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने राहत राशि में हुई बंदरबांट की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले की जल्द उच्चस्तरीय जांच नहीं कराई तो भाजपा सड़कों पर उतरेगी और जरूरत पड़ी तो प्रदेश बंद भी करेगी। तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को प्रदेश पार्टी कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि आपदा के नाम पर मिली अरबों रुपये की राशि में बड़ा घोटाला हुआ है। गुप्तकाशी के एक व्यापारी ओम प्रकाश उनियाल की आत्महत्या ने राहत राशि की बंदरबांट की हकीकत को सामने ला दिया है। हैरानी है कि अपराधियों को सजा देने के बजाय सरकार के मंत्री कार्रवाई के बजाय लीपापोती के प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि 10 व 11 अक्टूबर को दिल्ली में पार्टी सांसदों और पदाधिकारियों की अहम बैठक होगी जिसमें आपदा राहत में हुई बंदरबांट के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी। पार्टी इस मसले को केंद्र सरकार से भी उठाएगी।

PAK पीएम शरीफ ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा, कहा- होना चाहिए जनमत संग्रह

PAK पीएम शरीफ ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा, कहा- होना चाहिए जनमत संग्रह


न्यूयॉर्क, 26 सितम्बर 2014 

PAK पीएम नवाज शरीफ

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया है.
उन्होंने कहा, "छह दशक से भी ज़्यादा हो गए, जब संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव पारित किया था. वहां के लोग अब भी इस वादे के पूरा होने का इंतज़ार कर रहे हैं."
उन्होंने कहा कि "कश्मीर की कई पीढ़ियां क़ब्जे में रही हैं, उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा है और उनके बुनियादी मानवाधिकारों का हनन हुआ है."
उनका इशारा भारत प्रशासित कश्मीर की तरफ़ था जहां भारी संख्या में भारतीय सेना तैनात है.
पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को अकसर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया रहा है जबकि भारत इसे दोनों देशों का मुद्दा मानता है.
भारत ने हाल में पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की वार्ता को उस समय रद्द कर दिया था जब दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने हुर्रियत नेताओं से मुलाकात की थी.
नवाज़ शरीफ़ ने कहा है कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तरीय बातचीत के रद्द होने से निराश हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सभी मुद्दों को सुलझाने और आर्थिक व व्यापारिक रिश्ते कायम करने के लिए बातचीत को जारी रखने में विश्वास रखता है.
अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे.

पाकिस्तान ने यूएन असेंबली में एकबार फिर कश्मीर मुद्दा उठाया है. यूएन असेंबली में बोलते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग करते हुए कहा कि वहां के लोगों को न्याय मिलना चाहिए. नवाज शरीफ ने कहा, 'पड़ोसी मुल्क के साथ शांति हमारी प्राथमिकता है. हम भारत की ओर से विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद्द किए जाने से निराश हुए. कश्मीर के लोगों ने बहुत कुछ झेला है, खासकर महिलाओं पर बहुत जुल्म हुए हैं. कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए.'
शरीफ ने कहा, 'बातचीत से ही हर मुद्दा सुलझेगा, कश्मीर मुद्दे को शांति के साथ सुलझाया जाना चाहिए. पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करने के लिए राजी है.' इससे पहले शुक्रवार को ही भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि पिछले महीने इस्लामाबाद में भारत पाकिस्तान के विदेश सचिवों की निर्धारित मुलाकात से कुछ दिन पहले हुर्रियत नेताओं के साथ बातचीत करके पाक ने ‘वार्ता पर पानी फेर दिया.’
सुषमा स्वराज ने जारी यूएन असेंबली के सत्र से अलग इब्सा (आईबीएसए) के विदेश मंत्रियों के साथ अपनी मुलाकात के बाद कहा कि नई (नरेंद्र मोदी) सरकार ने एक नया संकेत दिया है. इसलिए उन्होंने (पाकिस्तान ने) वार्ता पर पानी फेर दिया और पूरा खेल बिगाड़ दिया.
विदेश मंत्री से पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज के इस बयान पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया कि दोनों देशों के बीच बातचीत तब ही हो सकती है जब नई दिल्ली पहल करे क्योंकि यह भारत ही था जिसने 25 अगस्त को होने वाली वार्ता रद्द की थी.
सुषमा ने कहा था कि पहले और दूसरे का सवाल नहीं है. जहां तक हमारी प्रतिक्रिया का सवाल है तो हमने बार बार कहा कि अगर कोई प्रतिक्रिया आनी है तो इसी समय आए. हमारी तरफ से पहल की गई थी.
pak pm nawaz sharif rakes up kashmir at un assembly says disappointed talks got called off Keyword : Pakistan PM Nawaz Sharif, Pak pm, Kashmir issue, UN assembly, sushma swaraj, india pakistan relation



Thursday, 25 September 2014

अब #ISIS ने फ्रांसीसी बंधक का सिर क़लम कर हत्या कर दी है.

अब ISIS ने फ्रांसीसी बंधक का सिर क़लम कर हत्या कर दी है.

 गुरुवार, 25 सितंबर, 2014
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने पुष्टि की है कि अल्जीरिया में बंधक बनाए फ्रांस के एक पर्यटक की इस्लामी चरमपंथियों ने सिर काट कर हत्या कर दी है.
पर्यटक की हत्या करने वाले चरमपंथी गुट जुंद अल ख़लीफ़ा अपना संबंध इस्लामिक स्टेट से बताते हैं जो सीरिया और इराक़ में सक्रिय है.
जेहादियों ने इससे पहले एक वीडियो जारी किया था जिसमें हर्व गोर्डेल का सिर कलम करते हुए दिखाया गया था.

कायरतापूर्ण

ओलांद ने इस बर्बर हत्या को कायरतापूर्ण कार्य बताया है.
साथ ही राष्ट्रपति ने कहा है कि फ्रांस इस्लामिक स्टेट के खिलाफ़ इराक़ में अपने हवाई हमले जारी रखेगा.
ओलांद ने कहा कि उनका देश चरमपंथ से लड़ रहा है और मानवीय गरिमा को बर्बरता से बचाने की कोशिश कर रहा है.
पर्यटक की हत्या करने वाले गुट जुंद अल ख़लीफ़ा ने इराक़ में फ्रांस की कार्रवाई बंद करने की मांग की थी.

Make in India: 'मेक इन इंडिया' कैंपेन लॉन्च, PM मोदी बोले- सिर्फ सुशासन नहीं, प्रभावी सुशासन चाहिए #MakeInIndia WEBSITE: makeinindia.com

Make in India:

'मेक इन इंडिया' कैंपेन लॉन्च, PM मोदी बोले- सिर्फ सुशासन नहीं, प्रभावी सुशासन चाहिए #MakeInIndia 

WEBSITE: makeinindia.com


  | नई दिल्ली, 25 सितम्बर 2014 | अपडेटेड: 13:02 IST
टैग्स: नरेंद्र मोदी| व्यापार| रोजगार| मेक इन इंडिया

मोदी का मिशन... मेक इन इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन मेक इन इंडिया को लॉन्च कर दिया है. मेक इन इंडिया का मकसद देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना है. लॉन्च के लिए आयोजित कार्यक्रम में देश और दुनिया की कारोबार जगत की नामचीन हस्तियों ने शिरकत की. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा...
जब पिछली सरकार के दौरान बिजनेसमैन देश छोड़कर जाने की बात करते थे तो बहुत दुख होता. ये बताने के पीछे मेरा कोई राजनीतिक मकसद नहीं है. लेकिन हकीकत यही है कि मुझे दुख होता था. हमें विदेश पलायन की स्थिति को बदलना है. मैं नहीं चाहता कि उद्योगपति देश छोड़कर बाहर जाएं. देश का आर्थिक माहौल बिगड़ गया था. उद्योगपति डरते थे कि सीबीआई आ जाएगी. यह सही है कि देश में कानून का राज होना चाहिए. पर उद्योग जगत का सरकार पर भरोसा होना भी जरूरी है. हम विश्वास के आधार पर सरकार चलाना चाहते है.














उद्योग जगत के लिए एफडीआई एक बेहतरीन अवसर है. विदेशी निवेशकों के लिए भारत एक अवसर की तरह है. वहीं हरेक नागरिक की जिम्मेदारी भी FDI है. मेरे लिए इसका मतलब है ... फर्स्ट डेवलप इंडिया.
पूरे विश्व के लिए बाजार बढ़ेगा. ऐसा तभी संभव हो सकेगा, जब हम गरीब को रोजगार के अवसर देंगे. रोजगार मिलेगा तभी तो क्रय क्षमता बढ़ेगी.
मेक इन इंडिया का मकसद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में विकास तो है ही, साथ ही इसका सीधा लाभ गरीब जनता को मिले. सिर्फ छूट देने से उद्योग फलता-फूलता नहीं. इसके लिए माहौल तैयार करना होगा और यही सरकार की जिम्मेदारी है. निवेशकों को लिए उनके निवेश के सुरक्षित होने का एहसास कराना है. वह बाद में विकास खोजता है. हमारी सरकार का प्रयास यही है कि आपका पैसा डूबे नहीं.
सरकार होने से काम होता नहीं है, सरकार होने का एहसास होना चाहिए. मैं सिर्फ सुशासन की बात नहीं करता. मैं प्रभावी सुशासन की बात करता हूं. उद्योग लगाना है तो स्किल्ड मैन पावर चाहिए. मैनपावर भी जरूरत के अनुरूप होनी चाहिए. स्किल डेवलपमेंट से देश आगे बढ़ेगा. इस क्षेत्र में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने की जरूरत है.
भारत के नौजवान के टैलेंट पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. मिशन मार्स की सफलता इसका सबूत है. जैसे मैनिफैक्चरिंग की जरूरत है, उसी तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने की जरूरत है. इस इनफ्रास्ट्रक्चर से काम नहीं चहेगा. हमें हाइवे भी चाहिए तो हमें आई वे (इनफॉर्मेशन वे) भी चाहिए. यह डिजिटल इंडिया के लिए जरूरी है.
 










यह भारत जगत के लिए ऐतिहासिक दिनः मुकेश अंबानी
इस मौके पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रमुख मुकेश अंबानी ने कहा, 'यह भारतीय उद्योग जगत के लिए ऐतिहासिक दिन है. हम खुशनसीब है कि हमें नरेंद्र मोदी जी जैसा प्रधानमंत्री मिला. वो सपने देखते हैं और उसे पूरा करते हैं. और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं. हम ग्लोबल मार्केट में अपने शर्तों पर दूसरों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. हमें निवेश के लिए तैयार रहना चाहिए. मुझे पूरा भरोसा है कि हम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनेंगे. हम मेक इन इंडिया प्रोग्राम के लिए प्रतिबद्ध हैं. आने वाले 12-15 महीनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज सवा लाख नौकरियां देगी.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना साकार हुआ तो दुनिया के चाहे किसी भी कोने में आप जाएं, आपको 'मेक इन इंडिया सामान' मिलेगा. चाहे कार हो या बैग. दवा हो या कपड़ा. हर जगह नजर आएगा मेक इन इंडिया का लेवल.
सरकार चाहती है कि विदेशी कंपनियां भारत आएं और यहां निर्माण करें. बेशक वो अपने उत्पाद कहीं भी बेचने को स्वतंत्र हैं. इससे ना सिर्फ देश में पैसा आएगा बल्कि रोजगार के मौके भी पैदा होंगे. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई के नियमों में बदलाव किया और इसे काफी उदार बनाया.
कैसे पूरा होगा मेक इन इंडिया का सपना?
किसी भी उद्योग के लिए सबसे बड़ी बाधा होती है नीति और नियमन के नाम पर अड़ंगेबाजी. सरकार ने इसके लिए इन्वेस्ट इंडिया नाम का प्रकोष्ठ बनाया है, जो इस मामले में विदेशी निवेशकों का मार्गदर्शन करेगा. रेगुलेटरी मंजूरी दिलाने में भी ये मददगार साबित होगा. सरकार सभी नियामकीय प्रक्रियाओं पर खुद करीबी नजर रख रही है.
कारोबारियों की जिज्ञासा दूर करने के लिए makeinindia.com नाम से एक वेब पोर्टल के जरिए एक समर्पित प्रकोष्ठ भी बनाया है. इस पोर्टल को निवेशकों को अपने सामान्य सवालों का जवाब ढूंढ़ने में मदद मिलेगी. इससे जुड़ी सहायता टीम विशेष सवालों का जवाब 72 घंटे के अंदर देगी.
सरकार ने ऐसे 25 महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की है, जिनमें भारत विश्व स्तर पर अग्रणी बन सकता है. इनमें ऑटोमोबाइल, रसायन, सूचना तकनीक, दवा, कपड़ा, बंदरगाह, उड्डयन, चमड़ा, पर्यटन-हॉस्पिटैलिटी और रेलवे जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

इन 10 बातों से पूरा होगा मिशन 'मेक इन इंडिया'


नवरात्र का पहला दिन भारत के लिए शानदार रहा. अपनी अमेरिका यात्रा के ठीक पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने मिशन 'मेक इन इंडिया' की शुरुआत कर यह बता दिया कि यदि अब विकास का रास्‍ता कहीं से होकर जाएगा तो वो भारत ही होगा. मां दुर्गा की सवारी शेर को 'मेक इन इंडिया' का कदम बताते हुए दुनिया को यह भी जता दिया कि अब दुनिया के राजा हम ही हैं. पेश्‍ा हैं मोदी की ऐसी 10 बातें, जिन पर फोकस करके पूरा होगा मिशन 'मेक इन इंडिया'. ये है दस का दम
1.
नवरात्र पूजा से शक्ति एकत्रित करके देश बनाएं.

2. केवल गुड गवर्नेंस नहीं इफैक्टिव और ईजी गवर्नेंस जरूरी.
3. जरूरत के मुताबिक होनी चाहिए स्किल मैनपॉवर.
4. स्किल डेवलपमेंट में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप बनाएंगे.
5. उद्योग जगत का सरकार पर भरोसा होना भी जरूरी
6. सिर्फ छूट देने से उद्योग फलता-फूलता नहीं. इसके लिए माहौल तैयार करना होगा.
7. लुक ईस्‍ट लिंक वेस्‍ट नीति पर हमें चलना होगा.
8. विदेशी पलायन की स्थिति हमें बदलनी है.
9. देश के लिए FDI का मतलब फर्स्‍ट डेवलप इंडिया
10. गरीबों को रोजगार दो, गरीबों को मध्‍यम वर्ग बनाने से बाजार बढ़ेगा.

मोदी का 'मेक इन इंडिया': 10 ख़ास बातें


मेक इन इंडिया का लोगो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'मेक इन इंडिया' अभियान की शुरुआत की. इस अवसर पर उनके भाषण की 10 प्रमुख बातें.
  1. मैं नहीं चाहता कि किसी उद्योग या उद्योगपति को देश छोड़कर जाना पड़े.हम अपनी सरकार के छोटे से कार्यकाल में यह मानसिकता बदल चुके हैं.
  2. सरकार का मंत्र है कि उस पर हर देशवासी भरोसा करे. प्रधानमंत्री ने कॉरपोरेट गवर्नेंस को ज़रूरी बताया.
  3. संसद की चहारदीवारी के बाहर भी देशवासियों के मन को जगाकर परिवर्तन लाया जा सकता है.
  4. एफ़डीआई एक तरफ़ जहाँ देशवासियों के लिए एक ज़िम्मेदारी है, वहीं विदेशी उद्यमियों के लिए यह एक अवसर है.
  5. प्रधानमंत्री ने एफ़डीआई की एक नई परिभाषा देते हुए कहा, फ़र्स्ट डेवेलप इंडिया.
  6. दुनिया में व्यापार के माहौल के मामले में भारत का स्थान 135 पर हैं. सरकार अपने नियमों में खुलापन लाए तो हम 50वें नंबर पर आ सकते हैं.
  7. हमें अपने उत्पादों को कॉस्ट इफ़ेक्टिव बनाने के साथ-साथ अच्छे ख़रीददार की भी ज़रूरत होगी.
  8. स्किल डेवेलपमेंट के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का मॉडल अपनाना होगा.
  9. हमारी 65 फ़ीसदी जनसंख्या 35 साल से नीचे के लोगों की है. भारत के नौजवान पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है. हमारे पास टैलेंटेड और सामर्थ्यवान मैन पॉवर है.
  10. सरकार, उद्योगपति, शिक्षाविदों और नौजवानों की सोच में एकरूपता लाने की ज़रूरत है.
pm modi extends red carpet for investors launch make in india campaign
Keyword : Narendra Modi, Business, Make in India, Manufacturing Hub,

Wednesday, 24 September 2014

India's Mars Orbiter sends first set of images of the Red Planet : इसरो ने ट्वीट की मंगल ग्रह की पहली तस्वीर

India's Mars Orbiter sends first set of images of the Red Planet  
इसरो ने ट्वीट की मंगल ग्रह की पहली तस्वीर

Watch Live : Launch of 'Make in India campaign'

Watch Live :

Launch of 'Make in India campaign' 

Prime Minister Narendra Modi will launch the ambitious 'Make in India' campaign in the presence of global and domestic CEO.

Link:

http://youtu.be/JsjNNodjli0

Watch live:

 

Modi's Make in India pitch to extend red carpet for investors

New Delhi, September 25, 2014 |
 
Prime Minister <a href="http://indiatoday.intoday.in/people/narendra-modi/17737.html">Narendra Modi</a>Prime Minister Narendra ModiPrime Minister Narendra Modi will launch Make in India campaign on Thursday in Delhi with an aim to boost country's economy.
Through this launch, Modi plans to roll out a red carpet to industrialists, both domestic and international, inviting them to make India a manufacturing hub that will help boost jobs and growth.
Before he embarks on his high profile US visit slated from September 26-30, Modi will launch the Make in India campaign at a mega event in the presence of leading industrialists and business leaders.
The campaign is aimed at making India a manufacturing hub, and the government is pulling out all the stops for ensuring a smooth sailing for investors, by setting up a dedicated cell to answer queries of business entities within 72 hours. It will also closely monitor all regulatory processes to make them simple and reduce the burden of compliance.
"The government is committed to chart out a new path, wherein business entities are extended red carpet welcome in a spirit of active cooperation. Invest India will act as the first reference point for guiding foreign investors on all aspects of regulatory and policy issues and to assist them in obtaining regulatory clearances," said an official statement.
Various prominent national and international industry leaders are likely to attend the programme to launch the campaign along with ministers, senior officials, ambassadors and opinion leaders.
The government has identified 25 key sectors in which our country has the potential of becoming a world leader. The prime minister will be releasing separate brochures for these sectors along with a general brochure.
The brochures covering sectors like automobiles, chemicals, IT, pharmaceuticals, textiles, ports, aviation, leather, tourism and hospitality, wellness, railways among others will provide details of growth drivers, investment opportunities, sector specific FDI and other policies and related agencies.
Investor facilitation cell will provide assistance to the foreign investors from the time of their arrival in the country to the time of their departure, with focus on green and advanced manufacturing and helping these companies to become an important part of the global value chain.
The campaign will be launched at national as well as state level and in Missions abroad. It will target top companies across sectors in identified countries. It also aims to identify select domestic companies having leadership in innovation and new technology for turning them into global champions.
The initiative has its origin in the Prime Minister's Independence Day speech where he gave a clarion call to 'Make in India' and 'Zero Defect; Zero Effect' policy.
A dedicated cell has been created through the web portal (www.makeinindia.com) to answer queries from business entities. While an exhaustive set of FAQs on this portal will help the investor find instant answers to their general queries, the back-end support team of the cell would be answering specific queries within 72 hours.
A pro-active approach will be deployed to track visitors for their geographical location, interest and real-time user behaviour. Subsequent visits will be customised for the visitor based on the information collected. Visitors registered on the website or raising queries will be followed up with relevant information and newsletter. 

 

Niqab Clad Women Secretly Filmed Life In ISIS’S Capital In Syria | VIDEO: पहली बार दिखा ISIS का साम्राज्‍य, बुर्का में खुफिया कैमरा लगाकर किया शूट

Niqab Clad Women Secretly Filmed Life In ISIS’S Capital In Syria

VIDEO: पहली बार दिखा ISIS का साम्राज्‍य, बुर्का में खुफिया कैमरा लगाकर किया शूट

Sep 25, 2014, 09:06AM IST

फोटो: सीरियाई शहर रक्‍का में हथियार से लैस आईएसआईएस का एक लड़ाका।
 
दमिश्‍क। इराक और सीरिया में जबर्दस्‍त तबाही मचा रहे और अमेरिकी पत्रकारों का सिर कलम करने वाले आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का साम्राज्‍य कैसा है, इससे जुड़ा एक कथित वीडियो सामने आया है। रिपोर्टों के मुताबिक, एक महिला ने बुर्का में छिपे अपने खुफिया कैमरे की मदद से सीरियाई शहर और इस्‍लामिक स्‍टेट की राजधानी रक्‍का में इस वीडियो को शूट किया है। वीडियो फ्रांसीसी चैनल फ्रांस 2 पर प्रसारित किया गया। इसमें दिखाया गया है कि शहर में आईएसआईएस के लड़ाकों की भरमार है और हर किसी के पास हथियार है। महिलाएं बुर्का में नजर आती हैं और उनके पास भी हथियार हैं।
 
वीडियो में क्‍या है
वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे इस्‍लामिक स्‍टेट में महिलाएं कंधे पर बंदूक लटकाए अपने बच्‍चों के साथ घूम रही हैं। रिकॉर्डिंग करने वाली महिला को एक जगह कार में बैठे कुछ लड़ाके रोकते हैं और कहते हैं कि उसने बुर्का ठीक से नहीं पहन रखा है जिससे उसके चेहरे का कुछ हिस्‍सा दिख रहा है। महिला इस पर माफी मांगती है। तब उससे कहा जाता है कि सार्वजनिक जगहों पर वह ठीक से बर्ताव करना सीखे। एक लड़ाका महिला से कहता है, 'अल्‍लाह उन महिलाओं से प्‍यार करता है जिनका चेहरा ढंका होता है।'
 
'जिहाद' में शामिल फ्रांसीसी महिलाएं
महिला इसके बाद एक साइबर कैफे की तरफ रुख करती है। वहां पर उसे कई ऐसी महिलाएं दिखाई देती हैं जो फ्रांस में अपने परिवार को छोड़कर 'जिहाद' के लिए इस्‍लामिक स्‍टेट में आई है। कैफे में ये महिलाएं अपने परिवारवालों से बात करती दिखाई देती हैं। इनमें से एक महिला अपनी मां से बात कर रही होती है और वह कहती है, 'मां मैं वापस नहीं आऊंगी। मैं रिस्‍क लेकर यहां इसलिए नहीं आई कि वापस लौट जाऊं। आप रोना बंद कीजिए। रिपोर्ट में कहा गया कि 150 से ज्‍यादा महिलाएं जिहाद में शामिल होने सीरिया आई हैं।'
 
video:
 
 
 
 

Google Closed Business In China, गूगल ने चीन में बंद किए ऑफिस, सरकार की सख्ती से था परेशान

Google Closed Business In China

गूगल ने चीन में बंद किए ऑफिस, सरकार की सख्ती से था परेशान

 | Sep 25, 2014

(चीन में गूगल का पूर्व मुख्यालय)
 
बीजिंग। चीन में गूगल ने अपने ऑफिस बंद कर दिए हैं। पिछले काफी समय से चीन में बढ़ते हुए साइबर हमलों को देखते हुए इंटरनेट सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए गए। इससे सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल को वहां अपना बिजनेस चलाने में कठिनाई महसूस हुई और उसने अपना कारोबार बंद करने का निर्णय ले लिया। 
 
चीन द्वारा सुरक्षा कारणों के चलते विभिन्न इंटरनेट सुविधाओं पर जिस तरह से रोक लगाई जा रही है, उसके बाद गूगल कंपनी के अन्य ग्राहकों के लिए भी इस देश में व्यापार करना असंभव हो गया था। केवल अमेरिका की गूगल कंपनी ही नहीं, बल्कि कोरिया की दो इंस्टेंट मैसेजिंग एप्स "लाइन' और "काकाओ टॉक' पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। 
 
फिलहाल चीनी अधिकारियों द्वारा गूगल की कुछ वेबसाइट्स को सीमित समय के लिए ही खोला जाता है। महीने में एक बार इन साइट्स को घंटों के लिए भी खोला जाता है। 
 
यूजर्स को होगी दिक्कत 
चीन में ये कदम सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर पर नियंत्रण रखने और देश के बाहर जाने-आने वाले इंटरनेट ट्रैफिक पर कंट्रोल करने के लिए किया गया है। सूचना के अनुसार यह कहा जा रहा है कि यदि आप चीन में किसी सर्च इंजन पर किसी भी विषय पर कुछ खोज रहे हैं तो आपको दिक्कत होगी। इसका कारण है चीनी सरकार द्वारा इंटरनेट पर कितनी ही अन्य भाषाओं की वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाना। गूगल के अपना बिजनेस बंद करने से चीन के यूजर्स को भी दिक्कत होगी। 


(सिंगापुर में गूगल का ऑफिस)
 
अब-तक 18 लाख ऑनलाइन खाते बंद 

चीन में इंटरनेट से बढ़ रही अश्लीलता पर रोक लगाने के उद्देश्य से बीते अप्रैल से चलाए जा रहे अभियान के तहत अब-तक 18 लाख से अधिक सोशल नेटवर्किंग साइट्स और इंस्टेट मैसेज खाते बंद किए गए हैं। स्थानीय मीडिया ने चीन के साइबरस्पेस प्रशासन के हवाले से बताया अधिकतर खाते माइक्रोब्लॉग, वीचैट और क्यूक्यू अकाउंट के थे। इन खातों के जरिए इंटरनेट पर अश्लील तस्वीरें जारी की जाती थी। 
 
माइक्रोसॉफट ने चीन को नकारा 

माइक्रोसॉफ्ट ने दुनिया के तीसरे सबसे बड़े गेमिंग मार्केट चीन को नकारते हुए पहले अपना 'एक्सबॉक्स वन' कंसोल भारत में उतारा है। दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी भारत में इसे 23 सितंबर को ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल अमेजन के तहत उपलब्ध करा रही है। गौरतलब है कि चीन की सरकार ने इसी साल की शुरुआत में 2000 से ज्यादा गेमिंग कंसोल पर बैन लगा दिया था। माइक्रोसॉफ्ट ने वहां एक्सबॉक्स वन उतारने के लिए चाइनीज इंटरनेट टीवी सेट-टॉप बॉक्स बनाने वाली कंपनी बेसटीवी न्यू मीडिया से करार किया था। लेकिन अब इसे वहां इस साल अंत तक उतारा जाएगा।

नवरात्रि स्पैश्ल: इस तरह करें मां दुर्गा की पूजा

नवरात्रि स्पैश्ल: इस तरह करें मां दुर्गा की पूजा

 
 
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नवरात्रि स्पैश्ल: इस तरह करें मां दुर्गा की पूजा

सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक कार्य आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। पृथ्वी को कलश का रूप माना जाता है तत्पश्चात कलश में उल्लिखित देवी देवताओं का आवाहन कर उन्हें विराजित किया जाता है। इससे कलश में सभी ग्रहों, नक्षत्रों एवं तीर्थों का निवास हो जाता है। पौरणिक मान्यता है की कलश स्थापना के उपरांत कोई भी शुभ काम करें वह देवी-देवताओं के आशीर्वाद से निश्चिंत रूप से सफल होता है।

प्रथम नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। जिससे मां दुर्गा का पूजन बिना किसी विध्न के कुशलता पूर्वक संपन्न हो और मां अपनी कृपा बनाएं रखें। कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे पर सजाएं। फिर उनके बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट विराजित करें। पूजा स्थान की उत्तर-पूर्व दिशा में धरती माता पर सात तरह के अनाज, पवित्र नदी की रेत और जौं डालें। कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, अक्षत, हल्दी, सिक्का, पुष्पादि डालें।

आम, पीपल, बरगद, गूलर अथवा पाकर के पत्ते कलश के ऊपर सजाएं। जौ अथवा कच्चे चावल कटोरी में भरकर कलश के ऊपर रखें उसके बीच नए लाल कपड़े से लिपटा हुआ पानी वाला नारियल अपने मस्तक से लगा कर प्रणाम करते हुए रेत पर कलश विराजित करें। अखंड ज्योति प्रज्जवलित करें जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए।

विधि विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। नौ दिन श्रद्धा भाव से ब्रह्म मुहूर्त में और संध्याकाल में सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करें।

नवरात्री 9 दिन माता की पूजा विधि :::: II Chaitra Navratri Calendar (Dates) 2014 II :::: READ All 9 Days Navratri Puja full Details of Mantra with photo :::: NAVARATRI Puja Process – Day 1 To Day 9 In English & HINDI :::: HAPPY NAVRATRA


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ISRO's #MarsOrbiter #Mangalyaan #ISRO:पहली ही कोशिश में मिली हमें कामयाबी, मंगल पर पहुंचा हिंदुस्‍तान #orbitermission #mangalyan #isro

 ISRO's #MarsOrbiter #Mangalyaan #ISRO:पहली ही कोशिश में मिली हमें कामयाबी, मंगल पर पहुंचा हिंदुस्‍तान  #orbitermission #mangalyan #isro


  | नई दिल्ली, 24 सितम्बर 2014 

टैग्स: भारतीय अंतरिक्षयान| मंगलयान| मंगल ग्रह| प्रधानमंत्री| नरेंद्र मोदी| बेंगलुरू
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मंगलयान के लिए ऐतिहासिक दिन
अंतरिक्ष की दुनिया में बुधवार का दिन भारत के लिए बेहद अहम साबित हुआ. उम्मीद के मुताबिक, मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो गया. इसरो के वैज्ञानिक अपने सबसे बड़े अभियान में जी जान से जुटे रहे. मंगलयान से इसरो का संपर्क पहले ही स्थापित हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक मौके पर बेंगलुरु के इसरो सेंटर पहुंचकर वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया. मंगलयान ने अपने कैमरे से मंगल ग्रह की पांच तस्वीरें भी खींच ली हैं. इन हाई डेफिनिशन तस्वीरों में लाल ग्रह की सतह नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि इसरो बहुत जल्द ये तस्वीरें जारी कर सकता है.सुबह 7 बज कर 17 मिनट पर 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम), यान को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट कराने वाले थ्रस्टर्स के साथ तेजी से सक्रिय हुई ताकि मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM) यान की गति इतनी धीमी हो जाए कि लाल ग्रह उसे खींच ले. इंजन स्टार्ट होने के बाद मंगलयान उस सफर पर निकल पड़ा, जिसमें पहली कोशिश में कामयाबी दुनिया के किसी देश को नहीं मिली. ये कामयाबी हिंदुस्तान को मिल गई है. मिशन की सफलता का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा एमओएम का मंगल से मिलन.

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत ने लिखा इतिहास
मंगल मिशन की सफलता के साथ भारत गिने चुने देशों की कतार में आ खड़ा हो गया. भारत से पहले अमेरिका और रूस भी मंगल के लिए यान भेज चुके हैं. 1960 में रूस ने पहली बार इसके लिए कोशिश की थी और आज अमेरिकी यान मंगल की सतह पर पहुंचकर लाल ग्रह के रहस्यों को बेपर्दा कर रहे हैं. लाल ग्रह के सैकड़ों-हजारों रहस्यों को जानने के लिए दुनिया बरसों से कोशिश करती आ रही है, जिसका इतिहास 1960 तक पीछे जाता है. जब रूस ने दुनिया के पहले मिशन मंगल का आगाज किया, जिसे नाम दिया गया कोराब्ल 4. हालांकि यह मिशन फेल हो गया.

- 1965 में अमेरिका के स्पेसक्राफ्ट मैरिनर 4 ने पहली बार मंगल की तस्वीर धरती पर भेजी और मंगल के लिए ये पहला सफल मिशन साबित हुआ.
- पहली बार 1971 में सोवियत संघ का ऑर्बाइटर लैंडर मार्स 3 यान मंगल पर उतरा.
- 1996 में अमेरिका ने मार्स ग्लोबल सर्वेयर स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जो अपने रोबोटिक रोवर के साथ मंगल की सतह पर उतरा.
- 2004 में अमेरिका ने फिर अपने दो रोवरयान स्पिरिट और ऑपरच्यूनिटी को मंगल की सतह पर उतारा.
- 26 नवंबर 2011 में अमेरिका ने क्यूरियोसिटी रोवर को लॉन्च किया, जिसकी 6 अगस्त 2012 में मंगल की सतह पर सफल लैंडिंग हुई.
  












मंगलयान के 300 दिन तक के सफर में हुई घटनाओं का घटनाक्रम इस प्रकार है 5 नवंबर 2013: इसरो के पीएसएलवी सी25 ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन का प्रक्षेपण किया. 7 नवंबर: पहली पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न. 8 नवंबर: दूसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न. 9 नवंबर: तीसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न. 11 नवंबर: चौथी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न. 12 नवंबर: पांचवी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न. 16 नवंबर: छठी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न. 1 दिसंबर: एमओएम ने छोड़ी पृथ्वी की कक्षा, मंगल की ओर रवाना (ट्रांस मार्स इंजेक्शन) 4 दिसंबर: एमओएम 9.25 लाख किलोमीटर के दायरे वाले पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला. 11 दिसंबर: अंतरिक्षयान पर पहली दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न. 11 जून 2014: दूसरी दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न. 22 सितंबर: एमओएम ने किया मंगल के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रवेश, 300 दिन तक सुप्तावस्था में पड़े रहने के बाद 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर का प्रायोगिक परीक्षण, अंतिम पथ संशोधन कार्य संपन्न. 24 सितंबर: एमओएम मंगल की लक्षित कक्षा में पहुंचा, भारत पहले ही प्रयास में लाल ग्रह पर मिशन भेजने में सफलता हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बना.
यह है मकसद
इस मिशन से मंगल ग्रह के बारे में ढेरों जानकारियां हासिल होंगी. शायद हमें पता चल पाएगा कि क्या मंगल पर मीथेन गैस है, क्या इस ग्रह के गर्भ में खनिज छिपे हैं, क्या यहां बैक्टीरिया का भी वास है और क्या यहां जिंदगी की संभावनाएं भी हैं. अगर भारत का मार्स ऑर्बाइटर मिशन यानी मंगलयान अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब रहता है तो फिर अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की दुनिया में हिंदुस्तान निश्चित रूप से एक नया मुकाम हासिल कर लेगा.


मनमोहन सिंह, कलाम समेत तमाम दिग्गज हस्तियों ने इसरो को दी बधाई




ISRO को देशभर से मिली बधाई
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और बिग बी अमिताभ बच्चन समेत कई दिग्गज हस्तियों ने मंगलयान मिशन (एमओएम) की सफलता के लिए इसरो को बधाई दी. मनमोहन सिंह ने कहा, 'यह उपलब्धि एक दशक की कड़ी मेहनत का नतीजा है. यह हमारे वैज्ञानिकों की क्षमता को और इस मिशन को सफल बनाने में उनके अथक प्रयासों को शानदार श्रद्धांजलि है.' सिंह के मुताबिक, 'हम वाकई में विनीत हैं कि हमें उस सरकार में होने का मौका मिला, जिसने मंगलयान परियोजना शुरू की और उसे आगे बढ़ाया.'
पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने कहा, 'इसरो की टीम शानदार है, पिछली रात (मंगलवार) को जब मैं उनसे मिला तो बहुत खुशी हुई.' कलाम ने कहा, 'उन्होंने अपनी योजना के अनुरूप मंगल मिशन को पूरा किया. एक राष्ट्र के रूप में हम यह काम करने वाले पहला देश हैं.'
गौरतलब है कि भारत ने अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में अपना मंगलयान स्थापित कर अंतरिक्ष में इतिहास रच दिया. उपलब्धि से खुश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे असंभव को संभव करना बताया. वह इस मौके पर लाल ग्रह के प्रतीक स्वरूप लाल जैकेट पहने हुए थे.
ट्विटर पर दिग्गजों ने दी इसरो को बधाई-






पाकिस्‍तानी वैज्ञानिक ने कहा, कभी हमारे सामने बच्‍चा था भारत और आज...

भारत के मंगल मिशन की कामयाबी को लेकर दुनिया भर के लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसी क्रम में पाकिस्‍तानी परमाणु कार्यक्रम के जनक अब्‍दुल कादिर खान ने ट्वीट करके कहा है कि आज भारत मेट्रो बस प्रोजेक्‍ट से 7 गुना कम लागत में मंगल पर पहुंच गया और हमारे पीएम नवाज शरीफ टैक्‍स दाताओं के पैसे पर अमेरिका विजिट पर हर रोज 1 लाख डॉलर (करीब 60 लाख रुपए) खर्च करेंगे।

खान ने आगे भारत पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत कभी तकनीक के मामले में पाकिस्‍तान के सामने बच्‍चा था, लेकिन पाकिस्‍तान की भ्रष्‍ट सरकार ने वैज्ञानिकों को जेल में डाल दिया और अमेरिका के निर्देश पर रिसर्च बंद करा दिए। बता दें कि खान को न्‍यूक्‍लियर तकनीक की तस्‍करी से जुड़ा हुआ भी माना जाता है।   

 मंगलयान पर चीनियों ने भी की तारीफ़

भारत का मंगलयान
भारत के मंगलयान के सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित होने पर चीन की माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट पर भी खूब टिप्पणियां आई हैं.
'साइना वीबो' पर बहुत से लोगों ने भारत की उपलब्धि की तारीफ़ करते हए चीन से इसकी तुलना की.
मिन शिहोंग ने लिखा, "भारत अब चीन से ज़्यादा आधुनिक है और उनके रॉकेट और भी आगे निकल गए हैं."
कलामाचांगदे ने लिखा, "अंततः भारत का अभियान मंगल पहुँच गया. कुछ महीने पहले तक ही चीन के विशेषज्ञों ने उनके प्रयासों को नकार दिया था. ये हमारी संकीर्ण मानसिकता को ही दर्शाता है."
एक अन्य यूज़र ने लिखा, "इसमें कोई शक़ नहीं है कि ये मोदी की उपलब्धि है."

पीछे रह गया चीन

भारत का मंगलयान
हेफ़ेई ली यू ने लिखा, "भारत मंगल पर पहुँच गया. अब ऐसा कुछ नहीं है जिसे लेकर हमारे देश के लोग शोर मचाएं."
यिंगाती रिशू ने लिखा, "भारत की कामयाबी भ्रष्टाचार में फँसे चीन के लिए एक और क़रारा झटका है."
एक अन्य यूज़र ने टिप्पणी की, "भारत को शाबाशी, चीन इस पर कुछ नहीं कहेगा."
चीन में कुछ नागरिकों को लग रहा है कि भारत चीन से काफ़ी आगे निकल गया है. एक व्यक्ति ने लिखा, "भारत की कामयाबी दर्शाती है कि चीन की उपलब्धियाँ पुरानी हो गई हैं और चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब आगे नहीं रह गया है."

आलोचना

नरेंद्र मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो को कमांड सेंटर में मौजूद रहे.
हालांकि कुछ लोग इस बात को लेकर निश्चित नहीं थे कि भारत की प्राथमिकताएं क्या हैं. कुछ नकारात्मक टिप्पणियां भी आईं.
यानझाऊजीयूरीजुशी ने लिखा, "यह देश अच्छे शौचालय तक तो बना नहीं सकता है और अब वे इतना शोर मचा रहे हैं. पहले उन्हें अपनी शौचालय की समस्या का समाधान करना चाहिए और ऐसी क़ानून व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए जिसमें महिलाएं सुरक्षित महसूस करें. इस सबका क्या फ़ायदा जब आप अपनी महिलाओं को ही सुरक्षित न रख पाएं."

शुभकामनाएँ

वहीं चीन सरकार ने इस उपलब्धि पर भारत को शुभकामनाएं दी हैं. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह समूचे एशिया के लिए गर्व की बात है.
भारत का मंगलयान अभियान कामयाब हुआ
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "हमने संबंधित रिपोर्ट देखी है. मंगल ग्रह की कक्षा में भारत के मंगलयान के सफलतापूर्वक स्थापित होने पर हम भारत को शुभकामनाएँ देते हैं."
प्रवक्ता के मुताबिक़, "यह भारत के लिए गर्व की बात है, यह एशिया के लिए गर्व की बात है. यह बाहरी अंतरिक्ष में मानव जाति के शांतिपूर्ण खोज अभियान में एक महत्वपूर्ण क़दम भी है. हम भारत को अपनी शुभकामनाएं देते हैं."
  
मंगलयान सफल: भारत ने इतिहास रचा
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो का उपग्रह मंगलयान मंगल ग्रह की अंडाकार कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुका है. ये भारत के अंतरिक्ष शोध में एक कालजयी घटना है.
इस अभियान की कामयाबी से भारत ऐसा देश बन गया है जिसने एक ही प्रयास में अपना अभियान पूरा कर लिया.
भारत के क्लिक करें मंगल अभियान का निर्णायक चरण 24 सितंबर को सुबह यान को धीमा करने के साथ ही शुरू हो गया था.
इस मिशन की सफलता उन 24 मिनटों पर निर्भर थी, जिस दौरान यान में मौजूद इंजन को चालू किया गया.
मंगलयान की गति धीमी करनी थी ताकि ये मंगल की कक्षा में गुरूत्वाकर्षण से खुद-बखुद खिंचा चला जाए और वहां स्थापित हो जाए.

मंगलयान से सिग्नल

मंगलयान से धरती तक जानकारी पहुंचने में करीब साढ़े बारह मिनट का समय लग रहा है. सुबह लगभग आठ बजे इसरो को मंगलयान से सिग्नल प्राप्त हुआ और ये सुनिश्चित हो पाया कि मंगलयान मंगल की कक्षा में स्थापित हो गया है.

भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने पहले ही प्रयास में अपना मंगल अभियान पूरा कर लिया.
इस ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैंगलोर के इसरो केंद्र में मौजूद रहे.
इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा, "आज इतिहास बना है. हमने लगभग असंभव कर दिखाया है. मैं सभी भारतीयों और इसरो वैज्ञानिकों को मुबारक देता हूं. कम साधनों के बावजूद ये कामयाबी वैज्ञानिकों के पुरुषार्थ के कारण मिली है."

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी ट्विटर पर इसरो को बधाई दी है.
भारत ने इस मिशन पर करीब 450 करोड़ रुपए खर्च किए है, जो बाकी देशों के अभियानों की तुलना में सबसे ज्यादा क़िफ़ायती है.

क्या मिलेगा मंगलयान से?

अगर सब ठीक रहा तो मंगलयान छह महीनों तक मंगल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करेगा.
ये मीथेन गैस का पता लगाएगा, साथ ही रहस्य बने हुए ब्रह्मांड के उस सवाल का भी पता लगाएगा कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं?
ये भी अनुमान है कि कक्षा में स्थापित होने के कुछ ही घंटों में यान एक भारतीय आंख द्वारा मंगल ग्रह की ली गई तस्वीरें भेजना शुरू कर देगा.
इसी के साथ भारत एशिया ही नहीं दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने पहले ही प्रयास में अपना मंगल अभियान पूरा कर लिया.

क्या आप मंगल को अच्छे से जानते हैं?

मंगल, ग्रह, चंद्रमा
मंगल के बारे में आपने अक्सर पढ़ा होगा. मंगल पर जीवन की मौजूदगी से भी आगे बहुत सी बातें हैं जो जानना दिलचस्प हो सकता है.
पढ़िए ऐसी ही कुछ दिलचस्प बातें जो शायद आप न जानते हों.
1. मंगल को लाल ग्रह कहते हैं क्योंकि मंगल की मिट्टी के लौह खनिज में ज़ंग लगने की वजह से वातावरण और मिट्टी लाल दिखती है.
2. मंगल के दो चंद्रमा हैं. इनके नाम फ़ोबोस और डेमोस हैं. फ़ोबोस डेमोस से थोड़ा बड़ा है. फ़ोबोस मंगल की सतह से सिर्फ़ 6 हज़ार किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है.
3. फ़ोबोस धीरे-धीरे मंगल की ओर झुक रहा है, हर सौ साल में ये मंगल की ओर 1.8 मीटर झुक जाता है. अनुमान है कि 5 करोड़ साल में फ़ोबोस या तो मंगल से टकरा जाएगा या फिर टूट जाएगा और मंगल के चारों ओर एक रिंग बना लेगा.
फ़ोबोस पर गुरुत्वाकर्षण धरती के गुरुत्वाकर्षण का एक हज़ारवां हिस्सा है. इसे कुछ यूं समझा जाए कि धरती पर अगर किसी व्यक्ति का वज़न 68 किलोग्राम है तो उसका वज़न फ़ोबोस पर सिर्फ़ 68 ग्राम होगा.
मंगल ग्रह
माना जाता है कि मंगल पर पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुवों पर मौजूद है.
4. अगर ये माना जाए कि सूरज एक दरवाज़े जितना बड़ा है तो धरती एक सिक्के की तरह होगी और मंगल एक एस्पिरीन टैबलेट की तरह होगा.
5. मंगल का एक दिन 24 घंटे से थोड़े ज़्यादा का होता है. मंगल सूरज की एक परिक्रमा धरती के 687 दिन में करता है. यानी मंगल का एक साल धरती के 23 महीने के बराबर होगा.
6. मंगल और धरती करीब दो साल में एक दूसरे के सबसे करीब होते हैं, दोनों के बीच की दूरी तब सिर्फ़ 5 करोड़ 60 लाख किलोमीटर होती है.
7. मंगल पर पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुवों पर मिलता है और ये कल्पना की जाती है कि नमकीन पानी भी है जो मंगल के दूसरे इलाकों में बहता है.
8. वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल पर करीब साढ़े तीन अरब साल पहले भयंकर बाढ़ आई थी. हालांकि ये कोई नहीं जानता कि ये पानी कहां से आया था, कितने समय तक रहा और कहां चला गया.
9. मंगल पर तापमान बहुत ज़्यादा भी हो सकता है और बहुत कम भी.

क्या आप जानते हैं?

  • मंगल के दो चंद्रमा हैं
  • मंगल का एक दिन 24 घंटे से थोड़ा ज़्यादा होता है
  • मंगल और धरती करीब दो साल में एक दूसरे के सबसे ज़्यादा करीब होते हैं
  • मंगल पर तापमान बहुत ज़्यादा भी हो सकता है और बहुत कम भी.
  • मंगल का गुरुत्वाकर्षण धरती के गुरुत्वाकर्षण का एक तिहाई है
  • मंगल पर धूल भरे तूफ़ान उठते रहते हैं.
10. मंगल एक रेगिस्तान की तरह है, इसलिए अगर कोई मंगल पर जाना चाहे तो उसे बहुत ज़्यादा पानी लेकर जाना होगा.
11. मंगल पर ज्वालामुखी बहुत बड़े हैं, बहुत पुराने हैं और समझा जाता है कि निष्क्रिय हैं. मंगल पर जो खाई है वो धरती की सबसे बड़ी खाई से भी बहुत बड़ी है.
12. मंगल का गुरुत्वाकर्षण धरती के गुरुत्वाकर्षण का एक तिहाई है. इसका मतलब ये है कि मंगल पर कोई चट्टान अगर गिरे तो वो धरती के मुकाबले बहुत धीमी रफ़्तार से गिरेगी.
किसी व्यक्ति का वज़न अगर धरती पर 100 पौंड हो तो कम गुरुत्वाकर्षण की वजह से मंगल पर उसका वज़न सिर्फ़ 37 पौंड होगा.
13. मंगल की सतह पर धूल भरे तूफ़ान उठते रहते हैं, कभी-कभी ये तूफ़ान पूरे मंगल को ढक लेते हैं.
14. मंगल पर वातावरण का दबाव धरती की तुलना में बेहद कम है इसलिए वहां जीवन बहुत मुश्किल है.

 मंगल ग्रह की राह में 10 बड़े क़दम
लाल ग्रह यानि मंगल हमेशा से ही मानव सभ्यता को कौतूहल में डालता रहा है.
इसे लेकर प्राचीन सभ्यताओं में किंवदंतियां भी प्रचलित रही हैं लेकिन आधुनिक काल में विज्ञान ने इसके रहस्यों पर से पर्दा हटाने की काफ़ी कोशिश की है.
एक नज़र मंगल के राज़ फ़ाश करने के वैज्ञानिक प्रयासों पर

1. 14 जुलाई 1965 को मरीनर-4 अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह तक पहुंचा. इसने किसी दूसरे ग्रह की पहली तस्वीरें भेजीं.

इसने धरती पर भेजी थी 21 धुंधली काली तस्वीरें. मरीनर-4 मंगल ग्रह से 6,118 मील की दूरी से गुज़रा था.
मंगल ग्रह के बारे में मरीनर-4 ने जो जानकारी दी उसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी. मंगल ग्रह पर कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं था.
इस पर वातावरण का दबाव धरती पर मौजूद वातावरणीय दबाव से बहुत कम था.

2. मरीनर-9 को 30 मई 1971 को लॉन्च किया गया था. ये मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा और उसका पहला कृत्रिम उपग्रह बन गया.

मरीनर-9 ने ही बताया कि मंगल पर धूल भरे तूफ़ान उठते रहते हैं. ये जब पहुंचा तब मंगल की सतह पर धूल भरा तूफ़ान था.
ये तूफ़ान एक महीने बाद ख़त्म हुआ और तब मरीनर-9 ने ज्वालामुखियों और खाइयों वाले मंगल की तस्वीरें भेजी.
मंगल की सबसे बड़ी खाई 4800 किलोमीटर लंबी है. सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात थी इस सूखे ग्रह पर नदियों के तल के निशान.
मरीनर-9 ने ही मंगल के दोनों चंद्रमाओं की बेहद पास की तस्वीरें भेजीं.

3. मार्स-3 सोवियत संघ का अंतरिक्षयान था. ये मंगल ग्रह पर मार्स 2 के पांच दिन बाद पहुंचा था.

इस यान के दो मक़सद थे, पहला मंगल की कक्षा में एक ऑर्बिटर छोड़ना और दूसरा मंगल की सतह पर एक लैंडर उतारना.
इस अंतरिक्षयान की ख़ासियत थी कि यह मंगल की सतह पर सही सलामत उतर गया.
ये अंतरिक्षयान सिर्फ़ 20 सेकेंड तक ही मंगल की सतह से तस्वीरें भेज सका. माना जाता है कि धूल की वजह से इसने काम करना बंद कर दिया था.
हालांकि जो तस्वीरें इसने भेजी उन की ज़्यादा अहमियत नहीं थी.लेकिन ये अंतरिक्षयान जुलाई 1972 तक काम की जानकारी भेजता रहा.

4. नासा के साल 1975 के वाइकिंग मिशन में वाइकिंग 1 और वाइकिंग 2 अंतरिक्षयान थे.

हर एक अंतरिक्षयान में एक ऑर्बिटर और एक लैंडर था.
मक़सद था मंगल ग्रह की सतह की तस्वीरें लेना, वातावरण के बारे में जानकारी जुटाना और जीवन की मौजूदगी का पता करना.
वाइकिंग 1 पहला अंतरिक्षयान था जो मंगल की सतह पर उतरने के बावजूद लंबे अरसे तक काम करता रहा.
वाइकिंग मिशन के दोनों लैंडर ने मंगल की सतह की 4,500 तस्वीरें ली. जबकि दोनों ऑर्बिटर ने 52,000 तस्वीरें ली.
हालांकि मंगल ग्रह पर जीवन के निशान नहीं मिले लेकिन वाइकिंग को मंगल की सतह पर वो सभी तत्व मिले जो धरती पर जीवन के लिए ज़रूरी हैं.
जैसे - कार्बन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और फॉस्फोरस.

5. वाइकिंग के बाद नासा का मंगल ग्रह पर सबसे अहम अभियान.

इसका नाम महिला अधिकार कार्यकर्ता सोजॉर्नर ट्रुथ के नाम पर रखा गया था.
इस अभियान का मक़सद था मंगल की सतह पर एक रॉवर पहुंचाना.
इसमें एक एयरबैग सिस्टम था जिसने लैंडर को उतरने के बाद एक तरह के आवरण में ढक लिया था.
मार्स पाथफाइंडर की अहमियत थी किफ़ायती और बेहद असरदार होना.
पाथफाइंडर ने मंगल की सतह के बारे में कई अहम जानकारी जुटाई. ये तस्वीर है मंगल के एक चंद्रमा की.

6. साल 1996 में मंगल पर भेजे गए मार्स ग्लोबल सर्वेयर ने मंगल की सतह पर किसी और अंतरिक्ष यान की तुलना में ज़्यादा वक्त तक काम किया.

इस अंतरिक्षयान ने मंगल के बारे में हमारी समझ बढ़ाने में काफ़ी मदद की है.
मार्स ग्लोबल सर्वेयर ने ये पता लगाया कि मंगल पर अब भी पानी बहता है.
इसी यान ने पानी से जुड़े खनिजों की मौजूदगी का पता लगाया. तस्वीर मंगल पर कभी मौजूद रहे पानी के तल की.

7. अप्रैल 2001 में लॉन्च ओडिसी मंगल की सतह पर सबसे ज़्यादा समय तक काम करने वाले अंतरिक्षयानों में से एक है.

इसका नाम आर्थर सी क्लार्क के साहित्य में इस्तेमाल नाम पर रखा गया था.
ओडिसी ने मंगल पर रेडिएशन के बारे में जानकारी जुटाई ताकि भविष्य में मंगल पर होने वाले किसी मानव अभियान को संभावित जोखिम का पता लगाया जा सके.
इसके कैमरे से मंगल की बेहद अच्छी गुणवत्ता की तस्वीरें ली गईं.

8. जून 2003 में मंगल पर भेजा गया मार्स एक्सप्रेस किसी दूसरे ग्रह के लिए यूरोप का पहला अंतरिक्षयान था.

इसका मक़सद मंगल के वातावरण और मिट्टी का अध्ययन करना और जीवन की संभावनाओं का पता लगाना था.
मार्स एक्सप्रेस ब्रिटेन का बीगल 2 लैंडर और मंगल पर पहला राडार भी लेकर गया था.
इस यान ने मंगल की सतह के नीचे पानी और बर्फ़ के भंडार खोजे.
इसने मंगल के चंद्रमा फोबोस का भी अध्ययन किया.
मार्स एक्सप्रेस ने मंगल के वातावरण में मीथेन गैस का पता लगाया. ये तस्वीर नासा की हबल दूरबीन ने ली है.

9. मार्स रिकंज़ा मिशन मंगल पर पानी के इतिहास के बारे में जानकारी जुटा रहा है.

ये मंगल के मौसम के बारे में भी रोज़ाना जानकारी जुटाता है. साथ ही कभी मंगल पर रहे समुद्र और झीलों के बारे में भी पता लगाता है.
इसका काम ये पता लगाना भी है कि ओडिसी ने मंगल की सतह पर जो बर्फ़ खोजी थी वो सिर्फ़ सतही है या बर्फ़ के बड़े भंडार हैं.
ये तस्वीर है मंगल के नॉक्टिस लेबरिंथस क्षेत्र की.

10. मंगल की सतह पर मौजूद क्यूरियोसिटी साल 2011 के आख़िर में लॉन्च हुआ था.

क्यूरियोसिटी ने इस बात की पुष्टि की कि धरती पर आए कुछ उल्का पिंड वाकई में मंगल से आए थे.
मार्स की मिट्टी का 2 फ़ीसदी पानी से बना है.
क्यूरियोसिटी मंगल पर पहुंचने वाला पहला ऐसा यान है जो अपने साथ मिट्टी और चट्टान के नमूनों इकट्ठे करने के उपकरण लेकर गया है.

अपने ही देश में नासा से पिछड़ा है इसरो?

भारत के मंगलयान मिशन के लिए एक तरफ जहां इसरो का डंका पूरे विश्व में बज रहा है, वहीं खुद भारत में नासा के क्रेज़ के आगे इसरो पिछड़ता दिखता है.
एजुकेशनल टूर प्रबंधन करने वाली एक कंपनी फ्रंटियर्स एडुटेनमेंट की माने तो अंतरिक्ष केंद्रों के दौरे के लिए उनके पास आने वाले कॉल्स में से 99 प्रतिशत अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के दौरे की जानकारी के लिए होती हैं, जबकि सिर्फ़ एक प्रतिशत स्कूल या शैक्षिक संस्थान इसरो के दौरे की जानकारी मांगते हैं.
दिल्ली और बड़े शहरों में बच्चों को एजुकेशनल टूर पर विदेश भेजने का ट्रेंड है. जानकार मानते हैं कि भारतीय छात्रों के बीच अंतरिक्ष केंद्र में सबसे लोकप्रिय नासा है.

नासा की सैर

फ्रंटियर्स एडुटेनमेंट के विशाल वर्मा ने बताया, “भारतीय छात्रों के बीच अमरीकी अंतरिक्ष केंद्र नासा को लेकर काफ़ी उत्साह है, हम हर साल लगभग 500 छात्रों को नासा की यात्रा करवाते हैं, हमारे जैसी दूसरी कंपनियों को मिलाया जाए तो भारत से हज़ारों छात्र हर साल नासा जाते हैं. इसमें करीब दो लाख का खर्च आता है.”
भारत का मंगलयान
भारत के मंगल अभियान की अंतरराष्ट्रीय जगत में काफ़ी तारीफ़ हुई है
लेकिन क्या ऐसा ही उत्साह उन्हें इसरो के लिए भी दिखता है?
उन्होंने कहा, “इसरो में नासा जैसे कार्यक्रमों का अभाव है, जो कार्यक्रम हैं उनके बारे में ज़्यादा लोग जानते भी नहीं हैं. अगर इसरो इस दिशा में क़दम बढ़ाए तो मांग वहां के लिए भी होगी. इससे छात्रों के पैसे भी कम खर्च होंगे.”

मार्केटिंग

एक अन्य एजुकेशनल टूर कंपनी के मैनेजर कुणाल पाठक कहते हैं, “नासा अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों की जबरदस्त मार्केटिंग करता है. यहां के गावों में भी नासा का नाम है, लेकिन इसरो यहां पिछड़ जाता है.”
नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन के प्रवक्ता लक्ष्य छाबरिया का कहना है कि स्कूल नासा के दौरे पर जाते हैं क्योंकि वहां इस तरह के दौरों की सुविधाएं है. इसरो अगर ऐसी सुविधाएँ दे तो वहां छोटे स्कूल के बच्चे भी जा सकेंगे.
मंगलयान मिशन के लिए एक बार फिर सुर्खियों में आया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो भारतीय छात्रों की लोकप्रियता पाने के लिए कई क़दम उठा रहा है.
इसरो के श्रीहरिकोटा में स्थित केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी विश्वनाथ शर्मा ने बताया, “श्रीहरिकोटा में अगले दो से तीन-महीनों में एक अंतरिक्ष म्यूज़ियम बनकर तैयार हो जाएगा, जिससे छात्र भारत की अंतरिक्ष यात्रा के बारे में जान पाएंगे. इसरो के साथ करीब 40 विश्वविद्यालय जुड़े हैं जहां से छात्र यहां आते हैं.”
विश्वनाथ शर्मा के अनुसार चूंकि श्रीहरिकोटा में होने वाले कई कामों में जोख़िम होता है, इसलिए 15 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों का वहां प्रवेश निषेध है. इसरों के अन्य केंद्रों में ये मनाही नहीं है.
इसरो का कहना है कि आने वाले समय में नए संग्रहालयों के साथ कई ऐसे शैक्षिक कार्यक्रम भी चालू किए जा सकते हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति छात्रों का उत्साह बढ़ाएंगे.

 

इन 8 पड़ावों से होकर गुज़रा मंगलयान


भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का मंगलयान लाल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो चुका है. दुनियाभर से इसरो को बधाइयां मिलनी शुरू हो चुकी है.
भारत का मंगल अभियान पहला ऐसा मिशन भी बन गया है जो एक ही बार में मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हुआ.

धरती से मंगल की कक्षा में पहुंचे मंगलयान की कहानी कई महत्वपूर्ण पड़ावों से होकर गुज़री है.
आइए एक नज़र डालते हैं उन महत्वपूर्ण पड़ावों पर:

1. रॉकेट पर सवार मंगलयान उड़ चला

नैनो कार की आकार वाले और क़रीब 1350 किलोग्राम वजनी मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी मंगलयान को पिछले साल पांच नवंबर की दोपहर पीएसएलवी रॉकेट से श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया.


2. मंगलयान की दिशा प्रणाली की जांच

सात नवंबर से 16 नवंबर के बीच छह बार मंगलयान की दिशा प्रणाली का परीक्षण किया गया. मकसद था कि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए यान को ज़रूरी गति मिल जाए.

3. धरती के प्रभाव से बाहर, मंगल की तरफ़ दिशा निर्धारण

ट्रांस मार्स इंजेक्शन, यानी अंतरिक्ष में मंगलयान के लाल ग्रह की तरफ दिशा देने की प्रक्रिया बीते साल 1 दिसंबर को शुरू हुई और यान 4 दिसंबर को ‘पृथ्वी के प्रभाव’ ले बाहर निकल गया. 11 दिसंबर को दिशा में कुछ और सुधार किए गए.


4. मंगलयान के सौ दिन



मंगलयान का आकार नैनो कार जितना है और इसका वजन 1350 किलोग्राम है.
इसरो के मंगलयान ने इस साल फरवरी की 12 तारीख को अंतरिक्ष में अपने सौ दिन पूरे किए.

5. आधी यात्रा पूरी, कुछ और दिशा सुधार

संतुलित गति से मंगल की तरफ बढ़ते हुए मंगलयान ने 9 अप्रैल तक ही आधी दूरी तय कर ली. इसके बाद जून में इसकी दिशा में एक बार और सुधार किया गया.

6. मंगलयान को धरती का संदेश

सितंबर की 14 और 15 तारीख़ को मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित होने से संबंधित ज़रूरी कमांड भेजे गए.

7. अंतरिक्ष में तैर रहे मंगलयान का सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट


सितंबर की 22 तारीख़ को सुबह करीब 9 बजे, मंगलयान लाल ग्रह की गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गया. इसके करीब साढ़े पांच घंटे बाद यान के लिक्विड एपोजी मोटर, यानी तरल इंजन का चार सेकंड तक चलाकर परिक्षण किया गया.
ये एक अहम टेस्ट था, क्योंकि इस इंजन को करीब 300 दिन बाद चलाया जा रहा था.

8. लाल ग्रह की कक्षा में मंगलयान


24 सितंबर की सुबह सात बजकर 17 मिनट और 32 सेकंड पर इसरो ने यान को धीमा करने के लिए उसका तरल इंजन एक्टिवेट किया. सुबह क़रीब आठ बजे मंगलयान का संदेश इसरो को प्राप्त हुआ जिसके बाद इसकी सफलता की पुष्टि हुई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलयान की सफलता को करीब से देखने के लिए इसरो के कमांड सेंटर में मौजूद रहे.

सोशल सरगर्मी: नासा ने किया इसरो को सलाम

भारत के मंगलयान की कामयाबी के बाद सोशल मीडिया पर भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के वैज्ञानिकों की ख़ूब प्रशंसा हो रही है.
ट्वीट पर भारतीय ट्रेंडस में मंगलायन की कामयाबी के बाद जो पहले तीन टॉपिक थे-#Mangalyaan, #MissionMars, #MarsMission.
अमरीका की स्पेस एजेंसी नासा ने ट्विटर के ज़रिए भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई दी है. नासा ( @NASA) ने ट्वीट किया है, "मंगल पर पहुंचने के लिए इसरो को बधाई. मंगलयान लाल ग्रह के बारे में जानकारी हासिल करने वाले अभियान से जुड़ गया है."
हाल के दिनों में तेजी से लोकप्रिय हुए लेखक अमीश त्रिपाठी@authoramish ने ट्विट किया है, "मंगल का मतलब मंगल ग्रह है. लेकिन संस्कृत में मंगल का मतलब ख़ुशी होती है. मंगलयान की कामयाबी के साथ भारत और इसरो ने इतिहास रच दिया है."
क्रिकेटर कमेंटेटर हर्षा भोगले@bhogleharsha ने ट्विट किया है, "आज इसरो के वैज्ञानिक ही भारत के असली सुपरस्टार हैं."
मंगलयान की कामयाबी के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने इसरो के वैज्ञानिकों को संबोधित किया.
लेकिन कुछ लोग सोशल मीडिया पर उनके भाषण पर चुटकी लेते दिखे. @DrunkVinodMehta नाम के एकाउंट से ट्वीट किया गया, "इस बार भी मोदी ने इसरो चेयरमैन को संबोधित नहीं करने दिया."
कांग्रेस नेता और उद्योगपति नवीन जिंदल @MPNaveenJindal ने ट्विट किया है, "इसरो के वैज्ञानिकों और प्रत्येक भारतीय को बधाई. पहली बार में ही हमारा मंगल अभियान कामयाब रहा."
एक अन्य उद्योगपति और सांसद राजीव चंद्रशेखर @rajeev_mp ने ट्विट किया, "डॉ. राधाकृष्णन और उनकी टीम को बधाई."
महिला उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ @kiranshaw ने इसरो के वैज्ञानिकों को सलाम करते हुए लिखा है, "इसरो के वैज्ञानिकों ने आज हर भारतीय का कद ऊंचा कर दिया. यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान, विज्ञान और तकनीक के लिहाज से अहम दिन है. हमें गर्व के साथ इसे सेलिब्रेट करना चाहिए."