Friday 6 February 2015

रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का भविष्य अधर में है,धन आवंटन की कमी?रोज़गार की स्थिति में काफ़ी सुधार आया लेकिन वर्तमान सरकार इसे लेकर उत्साहित नहीं

रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का भविष्य अधर में है,धन आवंटन की कमी?रोज़गार की स्थिति में काफ़ी सुधार आया लेकिन वर्तमान सरकार इसे लेकर उत्साहित नहीं

7 Feb 2015
भारतीय मज़दूर, कामगार
साल 2005 में पारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को भारत में रोज़गार सृजन की दिशा में बड़े क़दम के रूप में देखा गया था.
इस योजना से भारत के सबसे पिछड़े और ग्रामीण इलाक़ों में रोज़गार की स्थिति में काफ़ी सुधार आया लेकिन वर्तमान सरकार इसे लेकर उत्साहित नहीं है.
फ़िलहाल इस कार्यक्रम को धन आवंटन की कमी से जूझना पड़ा रहा है.
इसके लागू होने के बाद शुरुआती सालों में इससे मिलने वाले सकारात्मक परिणामों में अब गिरावट देखी जा रही है.

पढ़ें लेख विस्तार से

मनरेगा, मज़दूर
भारत के ग़रीब कामगार तबक़े की ज़िंदगी पर गहरा असर छोड़ने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली लेकिन आज यह योजना संकट में है.
सितंबर, 2005 में संसद में पारित होने से पहले इस अधिनियम को तत्कालीन सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के एक धड़े के विरोध का सामना करना पड़ा था. अर्थशास्त्रियों के एक छोटे लेकिन प्रभावशाली समूह ने भी इसका विरोध किया था. लेकिन आख़िरकार यह अधिनियम सभी दलों की सहमति से पारित हुआ.
इसकी व्यावाहारिक शुरुआत फ़रवरी, 2006 से देश के 200 पिछड़े ज़िलों में हुई. एक अप्रैल, 2008 से यह देश के सभी ज़िलों में ज़मीनी स्तर पर लागू हुआ.
यह अधिनियम देश की नीतियों में एक बुनियादी बदलाव दिखाता है. रोजग़ार के नीतिगत प्रावधानों के बरअक्स यह अधिनियम भारत के ग्रामीण इलाक़ों में अकुशल श्रमिकों को 100 दिन के रोजग़ार को संविधान प्रदत्त अधिकार बनाता है. इसके तहत किसी भी ग्रामीण को ज़रूरत पड़ने पर किसी लोक निर्माण परियोजना में काम दिया जा सकता है.

रोज़गार में बढ़ोतरी

मनरेगा, मज़दूर
मनरेगा के तहत लोगों को पहले की सभी योजनाओं की तुलना में ज़्यादा रोज़गार मिले. हालांकि औसतन हर व्यक्ति को अधिनियम में निर्धारित 100 दिनों से कम ही काम मिला.
इस योजना के तहत साल 2006-07 के प्रति व्यक्ति कार्य दिवस 43 दिन से साल 2009-10 में प्रति व्यक्ति 54 दिन हो गया. हालांकि उसके बाद से इसमें गिरावट आई है. इसके बावजूद इस योजना में शामिल परिवारों और इससे मिलने वाले रोज़गार के दिनों की संख्या काफ़ी प्रभावशाली है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार साल 2008-09 में क़रीब 23.10 अरब प्रति व्यक्ति कार्य दिवस रोज़गार मिला जिससे हर साल लगभग पाँच करोड़ परिवार लाभान्वित हुए. इसमें से क़रीब आधे प्रति व्यक्ति कार्य दिवस महिलाओं को मिले.
कई अध्ययनों से यह साफ़ हुआ है कि इस अधिनियम से ग्रामीण मज़दूरी और ग़रीबी पर सकारात्मक असर पड़ा है, रोज़गार के लिए पलायन रुका है, महिलाओं और एससी-एसटी का सशक्तिकरण हुआ है, ग्रामीण आधारभूत ढांचे का विकास हुआ है, उत्पादन क्षमता और संस्थानिक क्षमता बेहतर हुई हैं.
इस कार्यक्रम की वजह से स्त्रियों और पुरुषों के न्यूनतम मज़दूरी के अंतर में भी कमी आई है. महिलाओं को इसकी वजह से न्यूनतम मज़दूरी के लगभग बराबर मज़दूरी मिलने लगी है.

समय के साथ आई बेहतरी

मनरेगा, मज़दूर, पंजाब
कई संस्थागत सुधारों की वजह से समय के साथ इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में बेहतरी आई है लेकिन कुछ चिंताएँ लगातार बनी हुई हैं क्योंकि बिहार, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. इन राज्यों में इस योजना में गड़बड़ियाँ भी ज़्यादा हुई हैं.
कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने कई सालों तक इस कार्यक्रम के लिए धन का आवंटन नहीं किया था जिसके कारण रोज़गार सृजन में कमी आई, माँग पूरी नहीं हो सकी और बक़ाया मज़दूरी बढ़ती गई.
नई केंद्र सरकार भी मनरेगा को लेकर ज़्यादा उत्साहित नहीं है. इसका कारण समझा जा सकता है. प्रधानमंत्री के गृह प्रदेश गुजरात में इस कार्यक्रम का प्रदर्शन फीका रहा है.
मौजूदा सरकार मनरेगा को फिर से 200 ज़िलों तक सीमित करना चाहती है और इसके लिए सभी प्रदेशों (भाजपा शासित समेत) को आवंटित की जाने वाली धनराशि में भी कटौती की गई है. सरकार ने कार्यक्रम के तहत मैटेरियल कम्पोनेंट का अनुपात भी बढ़ा दिया है जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा ही मिलेगा.

बक़ाया मज़दूरी

भारतीय महिलाएँ
आधिकारिक आंकड़ों और फ़ील्ड रिपोर्टों के अनुसार केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से मनरेगा कार्यक्रम के प्रदर्शन में गिरावट आई है. भारतीय वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) की मनरेगा रिपोर्ट और इस वित्त वर्ष के नौ महीनों(अप्रैल-दिसंबर, 2014) के ताज़ा आंकड़े उपलब्ध हैं.
इस कार्यक्रम के लिए सबसे बड़ी समस्या बक़ाया मज़दूरी बनती जा रही है जो इस समय क़रीब 75 प्रतिशत हो चुकी है. हाल ही में कुछ राज्यों के अपने दौरे के दौरान मैंने देखा कि कई जगहों पर फंड की कमी, बढ़ती बक़ाया मज़दूरी और इसके भविष्य के प्रति अनिश्चितता के कारण यह कार्यक्रम लगभग थम गया है.
अच्छे परिणामों के बावजूद मरनेगा का भविष्य अनिश्चित है. मौजूदा सरकार इसे लेकर कोई उत्साह नहीं दिखा रही है. संयोगवश योजना आयोग की जगह लेने वाले नीति आयोग में जिन दो अर्थशास्त्रियों की नियुक्ति की गई वो दोनों ही सामाजिक सुरक्षा वाले अन्य कार्यक्रमों समेत मनरेगा के मुखर आलोचक रहे हैं.

मनरेगा से जुड़े आँकड़ें

  • वित्त वर्ष 2012 के पहले नौ महीनों में चार करोड़ 16 लाख घरों को रोज़गार मिला
  • वित्त वर्ष 2013 के पहले नौ महीनों में तीन करोड़ 81 लाख घरों को रोज़गार मिला
  • वित्त वर्ष 2014 के पहले नौ महीनों में तीन करोड़ साठ लाख घरों को रोज़गार मिला
  • मार्च-दिसंबर 2012 में 1.4 अरब प्रति व्यक्ति कार्य दिवस
  • मार्च-दिसंबर 2013 में 1.35 अरब प्रति व्यक्ति कार्य दिवस
  • मार्च-दिसंबर 2014 में 1.22 अरब प्रति व्यक्ति कार्य दिवस

यमन में सत्ता हूती विद्रोहियों के हाथ में,संसद भंग कर सत्ता अपने हाथ में लेने की घोषणा की

यमन में सत्ता हूती विद्रोहियों के हाथ में,संसद भंग कर सत्ता अपने हाथ में लेने की घोषणा की

7 फरवरी 2015
यमन में विद्रोहियों ने सत्तां सभाल ली है
यमन के हूती विद्रोहियों ने संसद भंग कर सत्ता अपने हाथ में लेने की घोषणा की है.
इसके साथ ही कई महीनों से चल रही सत्ता की लड़ाई फ़िलहाल थम सी गई है.
इस गुट ने सितंबर में सना पर कब्ज़ा कर राष्ट्रपति आबेद राब्बो मंसूर हादी को जनवरी में इस्तीफ़े देने पर मजबूर किया था.

'क्रांतिकारी समिति'

हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन भी हुए थए
इस शिया चरपमंथी समूह ने राजधानी सना में टीवी पर प्रसारित संदेश में कहा कि उन्होंने 151 सदस्यों वाली एक काउंसिल की स्थापना की है.
यह काउंसिल दो साल तक चलने वाली अंतरिम सरकार को सलाह देगी. ये घोषणा संयुक्त राष्ट्र की शांति वार्ता विफल हो जाने के बाद हुई है.
हूती विद्रोहियों ने कहा कि 551 सदस्य संसद में बैठेंगे. इन सदस्यों का चुनाव विद्रोहियों की एक 'क्रांतिकारी समिति' करेगी.
हूती विद्रोहियों के एक अज्ञात प्रतिनिधि ने इसका ऐलान किया. उन्होंने दावा किया है कि यह एक नए युग की शुरूआत है जो यमन को सुरक्षित रखेगा.

मोदी सरकार कर रही अंग्रेजी हुकूमत जैसा बर्ताव,सरकार ने जमीन अधिग्रहण कानून पास कर कॉरपोरेट घरानों के हाथों देश को बेचा, किसानों से छलावा: अन्ना

मोदी सरकार कर रही अंग्रेजी हुकूमत जैसा बर्ताव,सरकार ने जमीन अधिग्रहण कानून पास कर कॉरपोरेट घरानों के हाथों देश को बेचा, किसानों से छलावा: अन्ना

Fri, 06 Feb 2015 03:25 PM (IST)
 और जानें : Anna Hazare | British Raj | Modi Govt | Anti-corruption activist | Land Acquisition | Farmers | Achche Din | समाजसेवी अन्ना हजारे | मोदी सरकार | अंग्रेजी हुकूमत | |

नई दिल्ली। समाजसेवी अन्ना हजारे ने जमीन अधिग्रहण बिल को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। अन्ना के अनुसार, मोदी सरकार ब्रिटिश हुकूमत की तरह बर्ताव कर रही है।
अन्ना ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, कॉरपोरेट घरानों के हाथों देश के हितों को बेच दिया गया है। सरकार ने जमीन अधिग्रहण कानून पास कर किसानों के साथ छलावा किया है। आज इस बिल के कारण किसानों की उपजाऊ जमीन को हथियाना आसान हो गया है।

अन्ना के मुताबिक, किसानों ने मोदी को वोट दिया था, ताकि अच्छे दिन आ सके, लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी है। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में इस कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो चुके हैं। भूमि अधिग्रहण कानून में से 70 पर्सेंट किसानों की रजामंदी की शर्त हटाना गलत है। सरकार लोकहित नजरअंदाज कर मनमर्जी से फैसले ले रही है।

अन्ना ने जमकर ली क्लास



  • जमीन अधिग्रहण कानून का मकसद कृषि योग्य भूमि को उद्योगपतियों के हवाले करना है। अन्ना ने सवाल उठाया कि भूमि अधिग्रहण कानून से किसका भला होने वाला है?



  • यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 68 साल बाद भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। नए भूमि अधिग्रहण कानून से किसानों की आत्महत्याएं बढ़ने की आशंका है।



  • विकास के नाम पर मोदी सरकार किसानों से धोखा कर रही है।

ओबामा बोले- भारत में बढ़ी धार्मिक कट्टरता, गांधी होते तो उन्हें भी होता दुख

ओबामा बोले- भारत में बढ़ी धार्मिक कट्टरता, गांधी होते तो उन्हें भी होता दुख

Feb 06, 2015, 
ओबामा बोले- भारत में बढ़ी धार्मिक कट्टरता, गांधी होते तो उन्हें भी होता दुख
 

वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक कट्टरता बढ़ी है। अगर आज महात्मा गांधी होते तो उन्हें इस बात पर बहुत धक्का लगता। ओबामा ने ये बातें हाई-प्रोफाइल नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट के दौरान कहीं। ओबामा का इशारा भारत में पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी धार्मिक उन्माद की घटनाओं की ओर था।
ओबामा ने अपने बयान में कहा है, 'मैं और मिशेल अभी भारत से लौटे हैं। ये देश बहुत खूबसूरत, विविधताओं से भरा है, पर पिछले कुछ वर्षों में यहां कुछ मौकों पर एक धर्म के लोगों ने दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाया है।' हालांकि, ओबामा ने किसी धर्म विशेष का नाम नहीं लिया। ओबामा ने कहा कि गांधीजी ने भारत को आजाद कराने में अहम योगदान दिया था, अगर आज गांधी जी होते तो इस तरह की घटनाओं से वह भी आहत होते। वे अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों से आए तीन हजार नेताओं के सम्मेलन में बोल रहे थे।

भारत यात्रा के आखिरी दिन भी ओबामा ने धार्मिक सहिष्णुता की पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि हर व्यक्ति को बिना किसी उत्पीड़न के अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार है और भारत तब तक सफल रहेगा जब तक वह धार्मिक आधार पर नहीं बंटेगा।
 

धार्मिक स्वतंत्रता से देश मज़बूत होता है: ओबामा

मोदी और ओबामा
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि कोई भी देश तभी मज़बूत होता है जब वहां रह रहे सभी धर्मों के लोगों को पूरी धार्मिक स्वतंत्रता हो.
राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस बयान के बारे में और जानकारी देते हुए अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता मार्क स्ट्रोह ने  बताया, "राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत दौरे के दौरान साफ़ किया था कि भारत एक क़रीबी दोस्त और सहयोगी है. महात्मा गांधी की विरासत से हम अमरीका और पूरी दुनिया में असहिष्णुता से निपटने के लिए प्रेरणा लेते हैं."
मार्क स्ट्रोह ने आगे कहा, "भारत में और नेशनल प्रेयर ब्रेकफ़ास्ट कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति का संदेश यह था कि धर्म की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है और किसी भी देश तभी मज़बूत होता है जब वहां सभी धर्म के लोगों को बिना किसी उत्पीड़न, डर और भेदभाव के, अपने धर्म को पालन करने की आज़ादी हो."
ओबामा
स्ट्रोह ने कहा कि राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ये बात किसी एक समूह, राष्ट्र या धर्म विशेष तक सीमित नहीं है.
इससे पहले नेशनल प्रेयर ब्रेकफ़ास्ट कार्यक्रम के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था, "भारत में हाल के वर्षों में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ी है और ये इतनी बढ़ी है कि अगर आज गांधीजी होते तो उन्हें भी इससे धक्का लगता."
उन्होंने कहा था, ''हम सीरिया में जातीय युद्ध देख रहे हैं, नाइज़ीरिया में मुसलमान और ईसाइयों की हत्या, सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक में धार्मिक युद्ध और यूरोप में यहूदी विरोधी भावना बढ़ रही है और ये सब कई बार धर्म के नाम पर होता है.''

'विविधता वाला देश'

ओबामा मोदी
अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा, ''मिशेल और मैं भारत से लौटे हैं. एक अविश्वसनीय, सुंदर देश जहां ज़बरदस्त विविधता है. लेकिन हाल के वर्षों में वहां सभी धर्म के लोगों पर एक दूसरे के हमले बढ़े हैं.''
भारत के 66वें गणतंत्र दिवस पर होने वाले परेड में इस बार मुख्य अथिति रहे ओबामा ने कहा, ''ऐसी असहिष्णुता गांधीजी को भी दहला देती, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने में योगदान दिया था.''
इससे अपने भारत दौरे के आख़िरी दिन भी ओबामा ने दिल्ली के सिरीफ़ोर्ट में धार्मिक सहिष्णुता पर ज़ोर दिया था. हालांकि व्हाइट हाउस साफ़ कर चुका है कि ओबामा ने ये बात किसी पार्टी विशेष को ध्यान में रख कर नहीं कही थी.

Date:Feb 16 2015 Last Day Of Google Talk-- Good Bye Google Talk: Gtalk Will Shut Down From 16 February Announced By Google गूगल का एलान, 16 फरवरी को हमेशा के लिए बंद हो जाएगी Gtalk चैटिंग

Date:Feb 16 2015 Last Day Of Google Talk--
Good Bye Google Talk: Gtalk Will Shut Down From 16 February Announced By Google

गूगल का एलान, 16 फरवरी को हमेशा के लिए बंद हो जाएगी Gtalk चैटिंग


Updated Feb 16 2015



What is Google Talk?

Note: We announced a new communications product, Hangouts, in May 2013. Hangouts will replace Google Talk and does not support XMPP. The information in this Developer's Guide pertains only to Google Talk. 

 http://regmedia.co.uk/2015/02/10/googletalkshutdown.jpg

Google Talk is an instant messaging service built on open protocols. Google has opened its IM service so that you can hook your own client applications into the Google Talk service, or you can connect (federate) your service with ours.
The Google Talk service is built on the following open-source protocols:
  • XMPP: Extensible Messaging and Presence Protocol; an IETF standard for instant messaging. XMPP was originally called Jabber, and the XMPP enhancement proposals (XEPs) were previously called Jabber Enhancement Protocols (JEPs).
  • Jingle: a family of XMPP extensions that make it possible to initiate and maintain peer-to-peer sessions. Specific Jingle extensions support voice streaming, video streaming, and file-sharing sessions.


official link: https://developers.google.com/talk/



Feb 06, 2015, 13:52 PM IST


गूगल का एलान, 16 फरवरी को हमेशा के लिए बंद हो जाएगी Gtalk चैटिंग

गैजेट डेस्क। 16 फरवरी से गूगल अपनी Gtalk मैसेंजर चैटिंग सर्विस हमेशा के लिए बंद करने जा रहा है। इसके बाद यूजर्स को चैटिंग के लिए गूगल के हैंगआउट का सहारा लेना होगा। करोड़ों लोग जीटॉक सर्विस का काफी वक्त से इस्तेमाल कर रहे हैं। गूगल ने इसका संशोधित वर्जन हैंगआउट उतारा, लेकिन जटिल इंटरफेज की वजह से यह लोगों को ज्यादा नहीं पंसद आया। इसी वजह से अधिकतर यूजर अपने जीमेल के इनबिल्ट चैट ऑप्शन में भी हैंगआउट के बजाए जीटॉक की इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस का ही इस्तेमाल करना बेहतर समझते हैं। शायद यही वजह है कि कंपनी अब जीटॉक को पूरी तरह बंद करके हैंगआउट का विकल्प देगी। बता दें कि कुछ दिन पहले फेसबुक ने भी अपने मोबाइल एप से चैटिंग की सर्विस हटाते हुए अलग से मैसेंजर ऐप डाउनलोड करने की बाध्यता लागू की थी। 

डाउनलोड करना होगा हैंगआउट
कंपनी के अनुसार, गूगल का फ्यूचर हैंगआउट है और इसलिए जीटॉक को बंद करना कंपनी के लिए जरूरी हो गया है। जीटॉक को बंद करने की प्रक्रिया गूगल ने उस वक्त ही शुरू कर दी थी जब कंपनी ने जीटॉक के डेस्कटॉप एप्लिकेशन के लिए सर्विस सपोर्ट और नए वर्जन निकालना बंद कर दिया था। अब डेस्कटॉप एप्लिकेशन को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। जहां तक गूगल की इंटस्टेंट मैसेजिंग सर्विस का सवाल है, यह अभी पूरी तरह से बंद नहीं होगी, लेकिन इसे सिर्फ क्रोम ब्राउजर के जरिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। 16 फरवरी के बाद यूजर्स को डेस्कटॉप क्लाइंट के लिए जीटॉक ऐप की जगह हैंगआउट का इस्तेमाल करना होगा। 
जीटॉक से कैसे अलग होगा हैंगआउट
जीटॉक में कॉन्टैक्ट्स के पीछे डार्क थीम दी जाती थी, वहीं हैंगआउट में पीछे ट्रांसपेरेंट बैकग्राउंड होगा। इसके अलावा, हैंगआउट में सभी ऑनलाइन कॉन्टैक्ट्स के आगे ग्रीन लाइट होगी और जो लोग ऑनलाइन नहीं होगे उनके आगे कुछ नहीं। जीटॉक में ऑफलाइन साइन शो होता है। हैंगआउट में चैट विंडो में नीचे की ओर दो स्विच दिए जाएंगे, जिसमें से एक स्विच में वो कॉन्टैक्ट्स होंगे जिनसे हाल ही में चैट की गई है और दूसरी में बाकी अन्य कॉन्टैक्टस।

Thursday 5 February 2015

अगर मोदी इंद्रप्रस्थ का युद्ध हार गए तो! ....उनकी अपराजेय वाली छवि धूमिल हो जाएगी, जो उन्होंने पिछले 12 सालों से बना रखी है

अगर मोदी इंद्रप्रस्थ का युद्ध हार गए तो! ....उनकी अपराजेय वाली छवि धूमिल हो जाएगी, जो उन्होंने पिछले 12 सालों से बना रखी है

5 फरवरी 2015
भारतीय जनता पार्टी
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे अरविंद केजरीवाल का चुनाव अभियान आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे भारतीय जनता पार्टी और उसके राष्ट्रीय नेतृत्व की बेचैनी ज़ाहिर हो रही है.
भाजपा के स्थानीय नेताओं में से कई लोग किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाने के हाईकमान के तरीक़े से नाराज़ हैं.
और उनमें से कई पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह को इस चुनाव में लगे दांव का एहसास है.

पढ़ें विस्तार से

अमित शाह, नरेंद्र मोदी
वे आम आदमी पार्टी को चुनाव जीतने से रोकने की हर कोशिश कर रहे हैं. अभी तक मोदी के नाम, पैसे की ताक़त और कीचड़ उछालने के खेल का सहारा लिया गया, लेकिन इससे मन मुताबिक़ नतीजे नहीं निकल पाए हैं.

विज्ञापनों की बमबारी के बाद प्रधानमंत्री के चुनाव अभियान में आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ 'आधी रात में हवाला' का आरोप लगाया गया, लेकिन इसके बावजूद 'आप' सभी चुनाव सर्वेक्षणों में आगे है.
लेकिन सवाल उठता है कि भाजपा की विजयकथा में आख़िर ग़लती कैसे हो गई? आख़िरकार दिसंबर 2013 में दिल्ली चुनावों में उसने सबसे अधिक संख्या में सीटें जीती थीं.

चुनाव प्रचार

दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार
लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को सभी सात सीटों पर जीत मिली थी. मोदी की लोकप्रियता और प्रतिष्ठा के मद्देनज़र ये चुनाव पार्टी के लिए बहुत आसान होना चाहिए था.
ख़ासकर तब 'आप' को ग़लत सलाह पर मुख्यमंत्री पद से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफ़े का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा था.

49 दिनों के बाद अरविंद ने जब सरकार छोड़ी, पार्टी और शासन करने की उसकी क़ाबिलियत के बारे में लोगों की एक राय बनी.
और अब जब भाजपा को चुनाव प्रचार के आख़िरी दिनों में ये लड़ाई मुश्किल लग रही है तो इसके लिए वो ख़ुद ज़िम्मेदार है.

एलजी पर रसूख!

दिल्ली के लेफ्टीनेंट गवर्नर नजीब जंग
दिल्ली के लेफ्टीनेंट गवर्नर नजीब जंग.
मोदी और अमित शाह ने जो सबसे बड़ी ग़लती की वो ये कि उन्होंने विधानसभा का चुनाव कराने में देर की.
और वो भी तब जब ये साफ़ था कि 'आप' और कांग्रेस को तोड़े बग़ैर कोई सरकार नहीं बन सकती थी.

लेकिन भाजपा ने लेफ़्टीनेंट गवर्नर पर अपने रसूख़ का इस्तेमाल करते हुए मामले को लम्बा खींचा.
इससे भाजपा को किस फ़ायदे की उम्मीद थी, ये साफ़ नहीं है, लेकिन इतना तय है कि 'आप' को एक लड़ाका ताक़त के रूप में ख़ुद को फिर से स्थापित करने में मदद मिल गई.

'मोदी लहर'

नरेंद्र मोदी
हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में मिली चुनावी जीत के उत्साह से लबरेज़ भाजपा ने तब दूसरी ग़लती की.
उसने मुख्यमंत्री पद का कोई सशक्त उम्मीदवार पेश करने के बदले 'मोदी लहर' पर भरोसा किया. हालांकि महाराष्ट्र में यह रणनीति बहुत कारगर नहीं रही.

यहां पार्टी बहुमत से फ़ासले पर रह गई या झारखंड में उसे ऑल-झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन से गठबंधन करना पड़ा.
लेकिन हरियाणा के नतीजे ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा करने के पार्टी के इरादे को हिम्मत दे दी.

चेहराविहीन अभियान!

हर्षवर्द्धन, विजय गोयल
दिल्ली में भाजपा के पास पहले से ही मुख्यमंत्री पद के लिए एक मज़बूत और भरोसेमंद उम्मीदवार हर्षवर्धन थे.
लेकिन इस बार पार्टी ने चेहराविहीन अभियान का सहारा लिया और 'मोदी सरकार' के करिश्मे पर भरोसा किया.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार में मोदी की पहली रैली पर उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली तो पार्टी को लगा कि यह रणनीति असफल होने वाली है.
और फिर पार्टी ने रास्ता बदला और केजरीवाल की अपील का जवाब देने के लिए एक स्थानीय भरोसेमंद चेहरे को लाने का फ़ैसला किया.

मास्टर स्ट्रोक!

किरण बेदी, अमित शाह
किरण बेदी को आगे लाने का फ़ैसला पहली नज़र में तो 'मास्टर स्ट्रोक' कहा गया.
लेकिन इस पूर्व पुलिस अधिकारी के चुनावी अभियान में क़दम रखते ही ये साफ़ हो गया कि उनका आकर्षण पार्टी के पारंपरिक मध्यवर्गीय वोट बैंक तक ही सीमित है.
और फिर उनकी कुछ हास्यास्पद बातों ने पार्टी के मध्यवर्ग के समर्थकों को भी दूर कर दिया और उनके शाही रवैये के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को भी कठिनाई होने लगी.
भाजपा ने तीसरी ग़लती को दुरुस्त करने के लिए चौथी ग़लती कर दी.

हवाला का आरोप

दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार
मोदी और पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने केजरीवाल पर निजी हमले शुरू कर दिए और 'आप' पर पैसे की अवैध लेन देन और हवाला का आरोप लगाया.
इन आरोपों में सच्चाई हो सकती थी, अगर भाजपा ने ख़ुद अपने घोषित चंदे के साठ फ़ीसदी से भी अधिक रक़म के स्रोतों का ब्यौरा दिया होता.
प्रवर्तन निदेशालय, इनकम टैक्स विभाग और रेवेन्यू इंटेलीजेंस निदेशालय की ओर से किसी कार्रवाई के बग़ैर दिल्ली में कई ऐसे लोग हैं जो इन आरोपों को बदनाम करने के अभियान के तौर पर देखेंगे.
पिछले अप्रैल में 'आप' को दो करोड़ रुपये का चंदा देने वाली कथित फ़र्ज़ी कंपनियों की जांच की ज़िम्मेदारी इन्हीं सरकारी एजेंसियों पर थी.

सत्ता विरोधी रुझान

भाजपा समर्थक
मुमकिन है कि मोदी कार्ड के उल्टे परिणाम भी जाएं क्योंकि हर चौराहे पर, हर अख़बार में प्रधानमंत्री का चेहरा और रेडियो पर उनकी आवाज़ सुनकर मतदाता थक रहे हैं.
दिल्ली के चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां एक विशुद्ध राजनीतिक मुक़ाबला हो रहा है.
भाजपा समर्थक
भाजपा के सामने एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो मज़बूत है और जिसे भ्रष्टाचार के आरोपों में ख़ारिज भी नहीं किया जा सकता है और जिसे सत्ता विरोधी रुझान का भी सामना नहीं करना पड़ रहा है.
अगर आम आदमी पार्टी जीतती है तो ये एक राजनीतिक मॉडल स्थापित हो जाएगा और जो देश के किसी और हिस्से में भी उभर सकता है.
मोदी अभी तक अपराजित रहे हैं, 2002 के बाद हर चुनाव जीत रहे हैं. लेकिन अगर मोदी इंद्रप्रस्थ का युद्ध हार गए तो उनकी अपराजेय वाली छवि धूमिल हो जाएगी, जो उन्होंने पिछले 12 सालों से बना रखी है.

ओपीनियन पोल: क्या केजरीवाल दिल्ली में लौट रहे हैं?

क्या केजरीवाल दिल्ली में लौट रहे हैं?

अरविंद केजरीवाल
अगर ओपीनियन पोल और दिल्ली में राजनीतिक सुगबुगाहटों पर यक़ीन करें तो, अरविंद केजरीवाल शनिवार को होने जा रहे चुनाव में अपनी पार्टी को सत्ता की दहलीज़ तक पहुंचाने के कगार पर खड़े हैं.
तीन बड़े ओपीनियन पोल में केजरीवाल को 37 सीट मिलते हुए दिखाया गया है, यानी सरकार बनाने के लिए ज़रूरी बहुमत से ज़्यादा सीटें.
यदि ओपीनियन पोल पर भरोसा किया जाय तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों को कहीं कम 29 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ सकता है.
जबकि तेज़ी से खिसकते जनाधार वाली कांग्रेस पार्टी को बमुश्किल चार सीटें मिल सकती हैं.
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव अपनी पार्टी को 40-50 सीटें मिलने की बात कहते हैं.
अगर ऐसा होता है तो यह आम आदमी पार्टी की बहुत बड़ी जीत होगी.

लोकप्रियता

आम आदमी पार्टी समर्थक
छियालिस वर्षीय पूर्व नौकरशाह केजरीवाल ने दिसम्बर 2013 में पहली बार जब असरदार ढंग से राजनीतिक पारी शुरू की थी, तबसे लेकर उनके लिए बड़ा उतार चढ़ाव वाला समय रहा है.
दिल्ली विधानसभा के उस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 28 सीट मिली थीं. इस जीत ने केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया.
मैंने उस वक़्त लिखा था कि केजरीवाल की पार्टी उन लोगों के लिए उम्मीद की तरह है जो जातिवादी और वंशवादी राजनीति से थक गए हैं.
लेकिन 49 दिनों की सरकार के बाद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक के मसले पर मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफ़ा दे दिया.
केजरीवाल
उन्होंने हर चीज़ को सही तरीक़े से करने का वादा किया था, लेकिन अपने ही एक मंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से हठपूर्वक मना कर दिया.
मोदी के नेतृत्व में तेज़ी से उभरती भाजपा समेत उनके आलोचक उन्हें नौसिखिया, अराजक और भगोड़ा तक कहकर मज़ाक़ उड़ाया है.
वहां से केजरीवाल के लिए यह मुश्किल भरा समय था.
पार्टी के वरिष्ठ सहयोगियों की सलाह पर केजरीवाल ने लोकसभा में भाजपा और मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को हल्के में लिया और पूरे देश में 400 उम्मीदवारों को खड़ा कर दिया.
उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी कम से कम 100 सीट जीतेगी. केजरीवाल ख़ुद वाराणसी से मोदी के ख़िलाफ़ चुनावी मैदान में उतरे.

एजेंडा

आप पार्टी रैली
लेकिन नतीजा निराशाजनक रहा. आम आदमी पार्टी को सिर्फ़ चार सीटों पर जीत मिली और उसके 96 फ़ीसदी उम्मीदवार अपनी ज़मानत भी नहीं बचा सके.
वाराणसी में केजरीवाल, मोदी के हाथों तीन लाख से ज़्यादा वोट से हारे. मुझे मीडिया में आई उस वक़्त की एक सुर्ख़ी याद आती है, 'कैसे अरविंद केजरीवाल ने आप को बर्बाद किया'.
लेकिन इन नौ महीनों में उत्साही पार्टी कार्यकर्ताओं, छात्रों और समाजसेवियों की बदौलत केजरीवाल और उनकी पार्टी लगती है कि वापस लड़ाई में आ गई है.
उन्होंने सकारात्मक चुनाव अभियान पर अपना ध्यान लगाया है, जिन्हें उनके समर्थक दिल्ली के विकास का एजेंडा कहते हैं.
इसमें पानी, बिजली, ग़रीबों के लिए मकान, महिला सुरक्षा और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई जैसे मुद्दे शामिल हैं.
उन्होंने बीच में मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए माफ़ी भी मांग ली है और वापस आने की हालत में कार्यकाल पूरा करने का वादा किया है.

व्यवहारिक

आप समर्थक
केजरीवाल ने अंग्रेज़ी अख़बार, 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' से कहा, "लोग मुझसे नाराज़ थे क्योंकि हमने सत्ता छोड़ दी, लेकिन अब ये एक पुरानी बात है. हमने माफ़ी मांग ली है. लोग माफ़ करने को तैयार हैं और आगे बढ़ने को कहा है."
एक विश्लेषक ने केजरीवाल के बारे में लिखा है, "वे शब्दों का चयन सावधानी से कर रहे हैं और अपनी राजनीति को ज़्यादा समझदारी के साथ व्यक्त कर रहे हैं. हम जो केजरीवाल आज देख रहे हैं वे बेशक एक नया केजरीवाल हैं. उनकी हार ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है."
कई लोग मानते हैं कि केजरीवाल अपनी सीमाओं को लेकर बहुत व्यावहारिक हैं.
दिल्ली में अपने आधार मज़बूत करना और यहां का नेता बनना उनकी प्राथमिकता है. विश्लेषक एजाज़ अशरफ़ का कहना है, "उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि आपको मतदाता का सम्मान करना होगा और सत्ता में रहकर ख़ुद को साबित करना होगा."

चुनौती

नरेंद्र मोदी
आम चुनाव में हार के बावजूद केजरीवाल की पार्टी का वोट प्रतिशत दिसंबर 2013 के 31 प्रतिशत से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया था.
वे दिल्ली की उस 60 फ़ीसदी जनता की पहली पसंद हैं जो महीने में 13,500 रुपये से कम कमाते हैं. ये वो लोग हैं जो छोटे स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार से सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं.
कइयों का मानना है कि केंद्र की सत्तारूढ़ दल भाजपा घबराई हुई है. भाजपा ने केजरीवाल की पुरानी सहयोगी किरण बेदी को उनके ख़िलाफ़ मैदान में उतारा है.
इतिहासकार मुकुल केसवन उन्हें सही पसंद नहीं मानते हैं.
भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों, 120 सांसदों और कई दिग्गज नेताओं को दिल्ली के चुनावी मैदान में उतार दिया है.
मोदी ख़ुद चुनाव प्रचार में उतर आए हैं. दिल्ली का चुनाव, मई के बाद मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन कर आई है.
क्या केजरीवाल का 'झाड़ू' फिर से सबकुछ बुहार ले जाएगा? मंगलवार को जब नतीजें आएंगे तो यह देखना दिलचस्प होगा.

Cyber Security: Microsoft’s Windows RT is dead; long live Windows 10

Microsoft’s Windows RT is dead; long live Windows 10

Operating system, Security news

Microsoft officially ends support to Windows RT production

Microsoft which was lone manufacturer of Windows RT-based tablets and software giant has further left producing any RT devices. The company was still making Windows RT devices but dipping sales of Windows RT powered devices like Lumia 2520 meant that Microsoft had to let go Windows RT. Now Microsoft has officially decided to stop production of RT based devices.

One of the spokesperson of Microsoft on has confirmed to The Verge that “the company is no longer manufacturing Nokia Lumia 2520; however, those who still want to buy Nokia Lumia 2520 can visit Microsoft Retail Stores,MicrosoftStore.com, third-party retailers and resellers for the latest availability.”
This confirmation came just after a week of Microsoft stopping production of Surface 2, another Windows RT powered tablet.

Slowing tablet sales have affected all the major manufacturers like Lenovo, Asus, Samsung, and Dell after some boom in 2014. Even Apple hasnt been able to shrug off the lack of customer interest in its iPads. However Microsoft’s tablets faced a different problem altogether. The main reason for Microsoft’s tablet sales slump is the lack of touch-based apps for Windows RT, a rather confusing and un-user friendly desktop mode, and the odd ball name” Windows RT” for the OS in the time when tech giants are using intuitive names like Yosemite and Lollipop for their OS versions.

Microsoft’s hopes now rest on its forthcoming and hopefully bestseller Windows 10.  Microsoft has claimed that the Windows 10 OS will be uniform across all platforms so users wont feel uncomfortable with using different Windows version on desktop and smartphones. all hope is with Windows 10.
Microsoft has already announced that it will give free Windows 10 upgrade to existing Windows 7/8 users for a period of 1 year
.
Microsoft has already shown some features of Windows 10 for phones, but has not given any indication of Windows 10 support for ARM based tablets.  Since one its product Surface 2 is as good as dead and Surface Pro 3 sales are increasing day by day it remains to be seen whether it will come powered with Windows 10 in not so distant future. But as of now Windows RT has been designated to being a relic in the OS gallery.

#Hacking Cyber Security : US health care Company Anthem hacked, 80 million records stolen

US health care Company Anthem hacked, 80 million records stolen

data breach, Hacking news, Security news

Anthem, Major Health Insurer, Suffers Hack Attack

Anthem Inc, United States second largest health insurer company has been hacked.  It said on Wednesday that hackers had managed to broke into its servers and have stolen personal information of 80 millions of its customers and employees.
Anthem Inc.,  CEO and President Joseph R. Swedish said in a statement that attackers gained unauthorized access to Anthem’s IT system and have obtained personal information from their current and former customers and employees such as their names, birthdays, medical IDs/social security numbers, street addresses, email addresses and employment information, including income data.

However there is no evidence that credit card or medical, information, such as claims, test results or diagnostic codes were targeted or compromised, he added.
Swedish further apologized for what had happened adding that even his personal details were accessed by the hacker.
Anthem is currently working with the FBI and other law enforcement agencies and has taken proper steps to close the security vulnerability which allowed the hackers to hack into Anthem’s IT system.

Anthem has also created a dedicated website to help its customers and employees to gain access about the information on breach. a toll free number 877-263-7995 can also be used for further information or assistance.
Anthem has said that they are now individually notifying the affected customers and employees whose information has been accessed. It also said that it will be providing free credit monitoring and identity protection services to those affected as is the industry standard.

Anthem Inc., previously known as WellPoint, Inc., is the largest for-profit managed health care company in the Blue Cross and Blue Shield Association. The data breach at Anthem counts for one of the largest data breach in united states related to any health insurance company.
Readers may not that cyber criminals may be targeting Insurance companies for medical information data which commands a premium over payment cards in the underground markets.  While stolen credit card data fetch around $5 to $15 on the dark net forums, medical information of an individual can fetch upwards of $20.  Though Anthem hackers may not have got their hands on such medical information, prima facie it seems that the motive behind the hacking was medical information.

Cyber Security : Microsoft delivering Windows 10 via Windows Update to Windows 7 And Windows 8 users

Microsoft delivering Windows 10 via Windows Update to Windows 7 And Windows 8 users

Operating system, Security news, Technology
Windows 7 and Windows 8 users can avail upgrading to Windows 10 via using Microsoft’s Windows update service
Yes You heard it right, Microsoft is providing upgrades to Windows 10 through its Windows Update service. Dont get it wrong. Windows will not automatically upgrading Windows 7/8 users to Windows 10 even though if your Windows Updates settings are set to auto.
However this will end the undue hassles and headaches for owners of Windows 7/8 PC of going through the rigors of burning a DVD or creating a USB boot drive to install the Windows 10.
Now the upgrade can be done simply by clicking the install button shown in the Windows Updates to upgrade to Windows 10 Technical Preview.
Microsoft delivering Windows 10 via Windows Update to Windows 7 And Windows 8 users
Microsoft earlier announced that windows 10 will be a free upgrade for Windows 7 and Windows 8/8.1 user for first year.
It however remains to be seen as to how much Microsoft charges for Windows 10 after the free period of 1 year comes to an end. Readers should also not that this does not mean that upgrading to Windows 10 during the free period will entail any fees after the expiry of One year.  The verbatim meaning of Microsoft statement is that if you upgrade your Windows 7/8 PC to Windows 10 within one year, it is free of cost.
The upgrade will only be free in the first 12 months after release and will last for the “supported lifetime of the device.” Microsoft said the new OS will run on PCs, tablets, phones, and a new device to be announced later today.
Side effects of upgrading to Windows 10 using the Windows Update feature
Microsoft is trying its best to help users who wants to upgrade to Windows 1o, but what matters is what will happen to the software’s and applications installed by the user after the upgrade. Dont be surprised if your Windows 7/8 applications and certain processes stop working, it is because of the operating system requirements conflict. Microsoft is working on solving those conflicts and you can report to them about the problems you are facing.  Also if you find a bug in Windows 10 you can earn name and fame plus bounty money from Microsoft depending upon the severity of the bug.

15 लाख की बात तो चुनावी जुमला था,इस बात को नहीं समझते तो तरस आता है.: अमित शाह

15 लाख की बात तो चुनावी जुमला था,इस बात को नहीं समझते तो  तरस आता है.: अमित शाह

5 Feb 2015
अमित शाह के साथ नरेंद्र मोदी
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के काला धन वापस लाने के बाद हर परिवार के खाते में 15-15 लाख रूपए जमा करने की बात बस एक जुमला है.
भारतीय समाचार चैनल एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये चुनावी भाषण में वज़न डालने के लिए बोली गई बात है क्योंकि किसी के अकाउंट में 15 लाख रुपए कभी नहीं जाते, ये बात जनता को भी मालूम है.
दो दिन बाद ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान है. भाजपा और आप के बीच जबरदस्त आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है.
दरअसल नरेंद्र मोदी ने चुनावी भाषण में कहा था कि वे काला धन देश में वापस लाएंगे और हर नागरिक के खाते में 15 लाख रूपए जमा करेंगे.
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने मोदी से सवाल किया है.
अमित शाह के अनुसार मोदी के कहने का मतलब ये है कि जो भी काला धन वापस आएगा उसका इस्तेमाल गरीबों के लिए उपयोगी योजनाओं के लिए होगा.
अमित शाह ने एबीपी को दिए इंटरव्यू में कहा कि यदि केजरीवाल इस बात को नहीं समझते तो उन्हें उन पर तरस आता है.
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस वादे पर जनता को बरगलाने का आरोप लगाते हुए पूछा था कि कहां है वह काला धन.

Cyber Security :Google, Microsoft and Amazon will have to pay 30% of their additional ad revenue to Adblock Plus to get their ads unblocked


Google, Microsoft and Amazon will have to pay 30% of their additional ad revenue to Adblock Plus to get their ads unblocked

internet, Security news

Adblock Plus would be receiving  “30% of the additional ad revenues” from Google, Microsoft and Amazon just to unblock ads.

Adblock Plus blocks annoying ads on the web which includes blocking the “tracking” as well. Hence, with a count of monthly 50 million active users across the world its one of the most popular browser extensions.
Adblock Plus itself has no functionality, in the sense that it does not block anything until it is “told” what to do by its filter lists.  Adblock Plus is an open source project created by Wladimir Palant in 2006. EYEO, a German Company, was founded in 2011 by Wladimir Palant and Till Faida to make Adblock development sustainable.

Adblock Plus offers free service and claims to block the “annoying” banners, pop-ups and video ads. In order to block all the ads, Adblock users can get all the ads blocked by configuring the  software settings option to strictest options possible.

However, Ad blocking is an existential threat to internet services and tech firms who rely on advertising for the majority of their revenues. Adblock Plus also feels that not all the ads are bad and that that website owners need them to survive and places these type of sites under the criteria of “Acceptable Ads” as long as they are being transparent about the fact that they are advertising, and “do not disrupt or distort” page content.

The Acceptable Ads are under the “White List” criteria which the Adblock users can still block if they want to. The main hitch is that this white list is free for smaller sites and the bigger companies like Google, Microsoft, Amazon and Taboola are being asked to pay a fee which is equivalent to 30% of the additional revenues it would make from the advertisement if they were not blocked the Adblock Plus browser plugin.
As per the Eyeo spokesman Ben Williams, this “Acceptable Ads” initiative has been there since 2011 when the company was founded and it is as transparent as possible. He also added that in the White List 90% of the entities in accceptable ads are free for payers and non payers while the users still have the option to completely block all the ads.

It still remains a big question if the larger companies like Google, Microsoft, Amazon will pay this huge amount to Adblock Plus just to get their ads unblocked which eventually is upto the users as they still have the option to block these ads, anyways.
However going by the reports, Adblock Plus owners are certainly going to laugh all their way to the bank.

Wednesday 4 February 2015

Hacking: Top eight best Hacking movies Forever Watch Trailer....... Hackers, Hacking, Hacking News



Top Eight Best Hacking Movies Forever Watch Trailer Also

 Hackers, Hacking, Hacking News


Hacking is the process of finding weaknesses in a computer network. They are many prominent hackers over the world who seeks and exploits much information and also they think a step ahead than the coder. Many of the computer geeks are hacking lovers they have lot of interest in seeking information without the owners presence.
They are many movies related to the hacking topics in which hackers love to watch these movies not only hackers but also the non hackers find interesting in watching these type of hacking movies. Here we made out some list of top eight hacking movies check out the list and learn more about hacking.

The Italian Job (1969)

This movie is defines about the clever use of hacking through a computer expert to turn off all the traffic signals in Turin thereby creating a huge traffic jam for capturing the thieves by the police. And this a old movie different form the latest Italian job in 2003.
 



War Games (1983)

This movie is a academy award winner movie which the story revolves around a young hacker. He is the reason to World war III in the movie in which he mistakenly initiates a nuclear warhead by doing a backdoor entry into a military computer which it is linked with the nuclear defense grid of United States. This is must watch movie for hackers.



Sneakers (1992)

This movie is a fantastic narration to feature everyone from Robert Redford to Sidney Poitier. Redford used do penetration testing on corporations and he is a prototypical white hat hacker.



Hackers (1995)

This movie teaches you how the social engineering is used for hacking to get the most important details about the hardware and it also describe the names of “Cool” and “Lord Nikon” came from. Coming to the story it is a bit weak story line about a cyber war between Acid Burn played by Angelina Jolie and Zero Cool played by Jonny lee miller. You will be get loved with the bad man hacking tricks and worth watching movie.



The Net (1195)

This story revolves around the system analyst who telecommutes to a programming job in San Francisco. The interesting concepts here are the use of 3.5 inch floppy disks and pre web internet connections.


The Matrix (1999)

The first Matrix movie is unclear that it belongs to the hacker films coming to the story Neo is a computer programmer in the creating a world of computer knowledge which related to lots of computers.


Swordfish (2001)

This movie comes under the pulp fiction for hackers which the white hat hacker played by Hugh Jackman is a former convict who has to be threatened to work for the black hats.


Die Hard (2007)

This is the combination of two movies in one which Bruce Wills gets to do the Die Hard thing, while Justin Long doing white hat thing and Timothy Olyphant doing the black hat thing.

Don't compromise India's interest for FDI: Rajan | FDI के लिए भारत के हितों से समझौता न करें: राजन

Don’t compromise India’s interest for FDI: Rajan


rajan
“The most stable form of financing, foreign direct investment, has the additional benefit of bringing in technology and methods. But India should not be railroaded into compromising its interests to attract FDI,” he said.
NEW DELHI: Reserve Bank of India governor Raghuram Rajan on Monday warned against compromising India's interest for the sake of attracting foreign investment and said the priority should be framing transparent policies as well as resolving contractual tax disputes quickly.

"The most stable form of financing, foreign direct investment, has the additional benefit of bringing in technology and methods. But India should not be railroaded into compromising its interests to attract FDI," he said in a commentary posted on the website of Project Syndicate. He, however, did not elaborate on what he thought could compromise India's interest.

Making a case for transparency in policies and resolution of "contractual" disputes, especially over taxation, Rajan said efforts to ensure this have already begun. India will run a current account deficit for the foreseeable future, which means that it will need net foreign financing, he said.

Sustained growth in India requires lifting people out of poverty, fuelling infrastructure investment and a rethink on economic-policy approach, he said.

"If India is to succeed, it will have to deepen regional and domestic demand, strengthen its macroeconomic institutions, and join in the fight for an open global system. Diminished expectations abroad should not lead India to lower its ambitions," Rajan said.

The new government under Prime Minister Narendra Modi in its eight months in office has relaxed FDI norms in insurance railways, construction, defence and medical devices sector.

Foreign inflows in the country rose by 22% to $18.9 billion during the eight months of the current fiscal. The amount was $15.5 billion in the April-November period of 2013-14. "India needs an open, competitive, vibrant system of international trade and finance," he said.

Stating that responsibility for keeping global economy open may fall on emerging economies like India, Rajan said New Delhi should press for quota and management reforms in multilateral institutions, like IMF.

"India can no longer simply object to proposal by developed countries; it must put its own proposals on the table," he said. 

FDI के लिए भारत के हितों से समझौता न करें: राजन


FDI के लिए भारत के हितों से समझौता न करे सरकार : राजन
FDI के लिए भारत के हितों से समझौता न करे सरकार : राजन

नई दिल्ली

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने विदेशी निवेशी आकर्षित करने के लिए भारत के हित से समझौता करने को लेकर चेताया । उन्होंने सोमवार को कहा कि पारदर्शी पॉलिसी बनाने के साथ साथ कॉन्ट्रैक्चुअल टैक्स विवादों के समाधान को प्राथमिकता दी जाए। ध्यान रहे कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी नई सरकार ने अपने 8 महीने के शासनकाल में बीमा, रेलवे, निर्माण, रक्षा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में एफडीआई नियमों में छूट दी है। हालांकि, राजन में अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया है।

उन्होंने प्रॉजेक्ट सिंडिकेट की वेबसाइट पर पोस्ट की गई टिप्पणी में कहा, 'फाइनैंसिंग की सबसे स्थिर फॉर्म फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट का अतिरिक्त लाभ यह है कि इससे तकनीक और कार्य प्रणाली देश के अंदर आती है। लेकिन, एफडीआई को आकर्षित करने के लिए भारत के हितों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन, उन्होंने इस बात पर कोई रोशनी नहीं डाली कि किस बात को वह भारत के हितों से समझौता मानते हैं।
पॉलिसी में पारदर्शिता और 'कॉन्ट्रैक्चुअल' विवादों के समाधान विशेषकर टैक्स को लेकर समाधान की वकालत करते हुए राजन ने कहा कि इसे सुनिश्चित करने के लिए कदम पहले उठाया जा चुका है। निकट भविष्य में भारत को चालू खाता घाटा का सामना करना होगा जिसका मतलब है कि इसे शुद्ध विदेशी निवेश की जरूरत पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि भारत में सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए इस बात की आवश्यकता है कि लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जाए, इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया जाए और इकनॉमिक पॉलिसी अप्रोच पर फिर से गौर किया जाए।

राजन ने बताया, 'अगर भारत को सफल होना है तो इसके लिए इसे क्षेत्रीय और घरेलू मांग को बढ़ाने पर काम करना होगा, अपने मैक्रोइकनॉमिक इंस्टिटयूशंस को मजबूत करना होगा और ओपन ग्लोबल सिस्टम के लिए लड़ाई में शामिल होना होगा। दुनिया में फैली हुई निराशाओं से भारत की महत्वकांक्षा कम नहीं होनी चाहिए।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी नई सरकार ने अपने 8 महीने के शासनकाल में बीमा, रेलवे, निर्माण, रक्षा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में एफडीआई नियमों में छूट दी है। मौजूदा वित्त वर्ष के 8 महीनों के दौरान देश में विदेशी निवेश का फ्लो 22 फीसदी बढ़ाकर करीब 1,200 अरब रुपये हो गया है। यह रकम 2013-14 की अप्रैल-नवंबर अवधि में करीब 900 अरब डॉलर थी।

उन्होंने बताया, 'भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्त का उदार, प्रतियोगी और वाइब्रैंट सिस्टम चाहिए।'

उन्होंने कहा कि ग्लोबल इकॉनमी को खुला रखने की जिम्मेदारी उभरती अर्थव्यवस्थाओं जैसे भारत को निभानी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली को आईएमएफ जैसे मल्टीलैटरल इंस्टिटयूशंस में कोटा और मैनेजमेंट रिफॉर्म्स पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा, 'लम्बे समय तक भारत विकसित राष्ट्रों द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों पर सिर्फ आपत्ति नहीं जता सकता है बल्कि इसे खुद के प्रस्ताव भी पेश करने होंगे।

अंग्रेजी में भी पढ़ें: Don't compromise India's interest for FDI: Rajan

Tuesday 3 February 2015

दाऊद इब्राहिम का भाई इक़बाल कासकर गिरफ़्तार,दाऊद इब्राहिम को बड़ा झटका,1993 के मुंबई बम धमाकों की साजिश रचने का आरोप

दाऊद इब्राहिम का भाई इक़बाल कासकर गिरफ़्तार,दाऊद इब्राहिम को बड़ा झटका,1993 के मुंबई बम धमाकों की साजिश रचने का आरोप

4 फरवरी 2015
मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई इक़बाल कासकर को फ़िरौती और ज़बरन वसूली के मामले में गिरफ़्तार किया है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक़ इक़बाल कासकर और उनके एक अन्य साथी शब्बू के ख़िलाफ़ तीन लाख रुपए की फ़िरौती मांगने का आरोप है.
एक रियल एस्टेट एजेंट सलीम शेख़ ने 30 जनवरी को भायखला पुलिस थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी.
पुलिस के अनुसार तफ़्तीश के बाद पता चला कि सलीम शेख़ को धमकी इक़बाल कासकर से मिली थी.
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मंगलवार को इक़बाल कासकर और शब्बू को जेजे मार्ग पुलिस थाने में पूछताछ के लिए बुलाया.
इसके बाद दोनों को गिरफ़्तार कर लिया गया.

दाऊद को झटका

दाउद इब्राहिम
ये गिरफ़्तारी दाऊद इब्राहिम के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है.
इक़बाल कासकर पर 1993 के मुंबई बम धमाकों की साजिश रचने के भी आरोप हैं.
इक़बाल कासकर और शब्बू को बुधवार को अदालत में पेश किया जाएगा.

Why the iPhone is better than Android phones | क्‍यों आइफोन बेहतर है एंड्रॉयड फोन से

Why the iPhone is better than Android phones | क्‍यों आइफोन बेहतर है एंड्रॉयड फोन से

क्‍यों आइफोन बेहतर है एंड्रॉयड फोन से

 और जानें : iPhone | Android | Smartphone | iPad | Google Phone | Mobile Phone | iOS | Mobile Operating System | Smart Home Kit | |


मल्‍टीमीडिया डेस्‍क। एंड्रॉयड फोन अपने ऑपरेटिंग सिस्‍टम, उसके अपग्रेडेशन, कस्‍टमाइजेशन और फ्री ऐप्‍स की वजह से वाकई अच्‍छे हैं। लेकिन फिर भी ऐसा क्‍यों है कि लोग आइफोन को एंड्रॉयड से बेहतर मानते हैं। यदि आप इसी दुविधा में हैं कि आइफोन और एंड्रॉयड में से अच्‍छा कौन सा है तो हम आपको 9 ऐसे कारण बता रहे हैं, जो आपको फैसला लेने में मदद कर सकते हैं।

 1. बेहतर डिजाइन
अगर एचटीसी वन और जियाओमी एमआई नोट को छोड़ दें, तो एंड्रॉयड में ऐसा कोई फोन नहीं है, जिसे गुड लुकिंग कहा जा सके।
वहीं आइफोन में आपको बेहतरीन डिजाइन का विकल्‍प मिलता है।

2. कुछ ही एंड्रॉयड कैमरे हैं, जिनकी तुलना आइफोन 6एस से की जा सकती है
एंड्रॉयड में ऐसे फोन बहुत कम हैं, जिनका कैमरा आइफोन 6 (सैमसंग गैलेक्‍सी नोट 4 को छोड़ दें तो) जितना बेहतर हो। आइफोन 6एस के कैमरे से आप अच्‍छी से अच्‍छी तस्‍वीरें खींच सकते हैं तथा स्‍लो मोशन वीडियो भी रिकॉर्ड कर सकते हैं।
साथ ही ऐसी अफवाहें हैं कि अब जो आइफोन लॉन्‍च होगा, उससे डीएसएलआर कैमरे जैसी तस्‍वीरें खींची जा सकेंगी।

3. आइफोन का फिंगरप्रिंट सेंसर
सैमसंग और एचटीसी ने अपने कुछ स्‍मार्टफोन्‍स में फिंगरप्रिंट्स सेंसर का फीचर दिया है। लेकिन उनमें से किसी का भी फीचर आइफोन के टचआईडी जैसा कारगर नहीं है। कुछ साल पहले एपल ने अथेंटेक नाम की कंपनी को मोबाइल डिवाइसेस के लिए फिंगरप्रिंट सेंसर्स विकसित करने का काम सौंपा था। तब से अब तक कोई भी कंपनी टचआईडी का मुकाबला नहीं कर सकी है।

4. अच्‍छे ऐप्‍स सबसे पहले आइफोन के लिए
यह सच है कि आइफोन का मार्केट शेयर एंड्रॉयड के मुकाबले कम है, लेकिन यह भी सच है कि बेस्‍ट ऐप्‍स सबसे पहले आइफोन के लिए बनाए जाते हैं। इसके बाद उसी तरह के ऐप्‍स एंड्रॉयड में भी मिलने लगते हैं। लेकिन एंड्रॉयड ऐप्‍स में उतने अच्‍छे फीचर्स नहीं होते हैं, जितने आइफोन ऐप्‍स में होते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके फोन में बेस्‍ट ऐप्‍स हों तो, आपका फोन भी आइफोन होना चाहिए।

5. अप-टू-डेट सॉफ्टवेयर
गूगल और आइफोन, दोनों ही साल में लगभग एक ही बार अपने ओएस का नया वर्जन लॉन्‍च करती हैं। लेकिन अधिकांश एंड्रॉयड यूजर्स उसका लाभ तब तक नहीं ले सकते हैं, जब कि वो नए हार्डवेयर वाला फोन न खरीद लें। एपल का आईओएस अपडेट करने के लिए नया फोन खरीदने की जरूरत नहीं होती है।
आइफोन यूजर्स बिना हार्डवेयर को बदले हुए नया आईओएस अपडेट कर सकते हैं।

6. उम्‍दा ग्राहक सेवा
अगर आपके एंड्रॉयड फोन में समस्‍या आती है तो आप कहां जाते हैं? सर्विस सेंटर। लेकिन आइफोन यूजर्स को एपल स्‍टोर जाना पड़ता है। यदि आपको फोन में कोई भी दिक्‍कत महसूस होती है तो आपको बस स्‍टोर को इस‍की जानकारी देनी होती है, इसके बाद सर्विसिंग की जरूरत हुई तो ठीक वरना पूरा का पूरा फोन भी रिप्‍लेस कर दिया जाता है। लेकिन एंड्रॉयड फोन यूजर्स को यह सुविधा नहीं मिलती है।

7. आइफोन पर अभिभावक भी रख सकते हैं नियंत्रण
आईओएस8 में एपल ने फैमिली शेयरिंग नाम का एक खास फीचर दिया है, जिससे आप किताबें और अन्‍य कंटेंट को अपने परिवार के बाकी सदस्‍यों के साथ शेयर कर सकते हैं। यदि कोई ऐप आपके घर के किसी सदस्‍य के लिए अच्‍छा नहीं है तो फैमिली शेयरिंग के जरिये उसे ब्‍लॉक भी कर सकते हैं।

8. एपल पे
हालांकि एपल पे अभी अपने शुरुआती दिनों में है लेकिन फिर भी कंपनी ने इस पेमेंट प्‍लेटफॉर्म को ईजी-टू-यूज बनाया है। कई बड़े रिटेलर्स इस सर्विस को यूज भी करने लगे हैं। एपल की इस सर्विस को सभी बड़ी क्रेडिट कार्ड कंपनियों और बैंकों का साथ मिला हुआ है। जल्‍द ही यह सुविधा भारत में भी लॉन्‍च होने वाली है।

9. जल्‍द ही घर भी बन जाएगा आइस्‍मार्ट
एपल स्‍मार्ट होम प्‍लेटफॉर्म किट विकसित कर रहा है। इसके जरिये आप अपने घर की कई चीजों को नियंत्रित कर सकेंगे। मसलन घर की लाइट्स और अप्‍लाइंसेस को आप अपने आइफोन या आइपैड से ही कंट्रोल कर सकेंगे। उम्‍मीद है कि इस साल यह किट बाजार में आ जाएगी।


Why the iPhone is better than Android phones
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Multimedia desk. Android phone operating system, the upgrade, due to customization and free apps are really good. But why is it that people feel better than iPhone Android. If you are in the same dilemma in the iPhone and Android which is good because we are told that the 9, which can help you make a decision.



 1. Better Design

Barring the HTC One and Jiaomi MI note, no one in the Android phone, which could be called Good Looking.

You get the choice of the best design in the iPhone.

2. There are a few Android camera, which can be compared to the iPhone 6 S

There are very few such phones Android, iPhone, whose camera 6 (except for the Samsung Galaxy Note 4) are much better. IPhone 6 s best of the camera you can take pictures and record slow motion videos.

There are also rumors that the iPhone will be launched, it will be photographed as Diselar camera.

3. iPhone fingerprint sensor

Samsung and HTC have some smartphones feature the fingerprints sensor. But none of them does not work like Tcaidi feature of the iPhone. A few years ago, a company called Apple Athentek fingerprint sensors for mobile devices, was tasked to develop. Since then, no company could not match Tcaidi.

4. The best iPhone apps for the first

It is true that the iPhone's market share is lower than Android, but it is also true that the best apps are created for the first iPhone. Then begin to meet in the same way Android apps. But Android app features are not as good, as are the iPhone app. Best apps in your phone if you want, then you should call the iPhone.

5. Up-to-date software

Google and iPhone, both in the year about to launch a new version of the OS that one. Most Android users can take advantage of, but not until then when they purchase new hardware, not the phone. Apple's iOS update does not need to buy a new phone.

The new iOS iPhone users can update without changing hardware.

6. excellent customer service

Difficulties in your Android phone, where are you? Service Center. But Apple iPhone users have to store. When you call any difficulty, you just have to give notice to the store, then it was the need for servicing or replacement is the whole phone. But Android phone users, this feature does not.

 7. Parents can also control on iPhone

Apple iOS family of 8-sharing has named a special feature, which books and other content can share with your family members. If an app is not good for any member of your family home through sharing can block him.

8. Apple Pay

While Apple is still under construction but still in its early days, Easy-to-use platform, the company made the payment. Use of this service are also several large retailers. Apple's service with all the major credit card companies and banks are mixed. This feature is soon to be launched in India.


9. will soon become home Aismart

Apple is developing a smart home platform kit. This means many things to be able to control your home. For instance, the house lights and Aplainses you can control from your iPhone or Aipad. Hopefully this year will come to market this kit.