Friday, 31 October 2014

AMU ELECTION: महिलाओं के बुर्का पहनकर राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगे को फहराने को लेकर विवाद,तिरंगा फहराने को गैर-इस्‍लामिक करार दिया. लेकिन नहीं मानी देशभक्‍त लड़कियां

AMU ELECTION: महिलाओं के बुर्का पहनकर राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगे को फहराने को लेकर विवाद,तिरंगा फहराने को गैर-इस्‍लामिक करार दिया. लेकिन नहीं मानी देशभक्‍त लड़कियां

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छिड़ी बहस, बुर्के में तिरंगा फहराना बताया गैर-इस्‍लामिक

1-nov-2014  | 















अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनावों के दौरान भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगे को फहराने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. कुछ छात्रों ने महिलाओं के बुर्का पहनकर तिरंगा फहराने को गैर-इस्‍लामिक करार दिया.


बुर्का पहनकर झंडा फहराना गैर इस्‍लामिक
एएमयू के छात्र संघ चुनावों के दौरान महिला छात्रों एवं पु‍रुष छात्रों के बीच तिरंगे को फहराने को लेकर बवाल हो गया. दरअसल छात्र संघ चुनावों को लेकर यूनिवर्सिटी में कैंपेनिंग अपने ऊफान पर है. ऐसे में कुछ छात्रों को पता चलता है कि उनके साथ पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियां बुर्का पहनकर तिरंगा फहरा रही हैं. तो इस बात पर इन लड़कियों का विरोध शुरू हो गया. इसके साथ ही बुर्के में तिरंगे को फहराने को गैर इस्‍लामिक तक करार दिया गया. इन चुनावों में कहकशां खानम नाम की लड़की ने चुनाव लड़ रही है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छिड़ी बहस, बुर्के में तिरंगा फहराना बताया गैर-इस्‍लामिक
 











लेकिन नहीं मानी देशभक्‍त लड़कियां
इस विवाद के जन्‍म लेने के बाद भी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियों ने ऐसी कट्टर सोच मानने से इंकार कर दिया. गौरतलब है कि इस वर्ष के छात्रसंघ चुनावों में एक लड़की ने चुनाव लड़ने की हिम्‍मत जुटाई है. इस मामले पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के चात्री रहे खालिद खान ने अपना मत सामने रखा. खान ने कहा कि महिला छात्रों के साथ एएमयू में भेदभाव किया जाता है. इसलिए जब एक हजारों महिला छात्रों में से सिर्फ एक लड़की ने चुनाव लड़ने की हिम्‍मत जुटाई है तो उसका विरोध होना तय है.

Great Solution for costing By Government:No Jobs In Central Government This Year | खर्च घटाने के सरकार ने निकला उपाय:नौकरी -केंद्र सरकार के विभागों में नई नियुक्तियों पर रोक।एक साल तक केंद्र में किसी को नौकरी नहीं

Great Solution for costing By Government:No Jobs In Central Government This Year

खर्च घटाने के सरकार ने निकला उपाय:नौकरी -केंद्र सरकार के विभागों में नई नियुक्तियों पर रोक।एक साल तक केंद्र में किसी को नौकरी नहीं

Nov 1, 2014
एक साल तक केंद्र में किसी को नौकरी नहीं, खर्च घटाने के सरकार ने निकला उपाय
नई दिल्ली. केंद्र सरकार के विभागों में एक साल तक कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। अगर कोई पद एक साल से खाली पड़ा है, तो उसे भी नहीं भरा जाएगा। वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को इस आशय का निर्देश भेजा है। निर्देश तत्काल प्रभावी हो गया है। ये बस सरकारी घाटा कम करने के लिए किया जा रहा है।
 
यूपीए सरकार ने भी 2012 और 2013 में घाटा कम करने के लिए ऐसे उपाय किए थे। पिछले साल 18 सितंबर को इस तरह का आदेश जारी किया गया था। इन उपायों के जरिए सरकार का इरादा गैर-योजना खर्च 10 फीसदी कम करना है। विदेश यात्रा में वरिष्ठ अफसरों के लिए फर्स्ट क्लास एयर टिकट पर रोक लगा दी गई है। कोई बैठक फाइव स्टार होटल में नहीं होगी। 
 
जहां संभव हो, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के इस्तेमाल की हिदायत दी गई है। 
 
नहीं होगा मार्च लूट, सचिव रखेंगे नजर : निर्देश के मुताबिक अगर साल की पहली तीन तिमाही में आवंटित बजट कम खर्च हुआ है तो आखिरी तिमाही में उसे पूरा करने की कोशिश नहीं की जाएगी। सालाना बजट के एक तिहाई से ज्यादा आखिरी तिमाही में खर्च नहीं होगा। मार्च में साल के बजट का अधिकतम 15 फीसदी खर्च किया जा सकेगा। इन उपायों पर अमल की जिम्मेदारी सचिवों पर होगी। 

इन पर भी निर्देश लागू : केंद्र सरकार से मदद लेने वाली स्वायत्त संस्थाओं पर भी ये उपाय लागू होंगे। लेकिन रक्षा, अर्धसैनिक बल, वेतन और पेंशन, राज्यों को मिलने वाले ग्रांट आदि पर ये उपाय लागू नहीं होंगे। 
 
इस तरह होगी बचत
 
1. नौकरी : केंद्र सरकार के विभागों में नई नियुक्तियों पर रोक। पुराने पद एक साल से खाली पड़े हैं तो उन पर भी नियुक्ति नहीं। विशेष परिस्थितियों में ही इसकी इजाजत होगी। इसके लिए वित्त मंत्रालय की इजाजत लेनी होगी। 
 
2. विमान यात्रा : सिनियरिटी के हिसाब से अधिकारी अलग-अलग क्लास में यात्रा कर सकेंगे। लेकिन सबसे सस्ता उपलब्ध टिकट लेना होगा। घरेलू या अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में पति या पत्नी के लिए फ्री टिकट बंद। 
 
3. विदेश  यात्रा: फर्स्ट क्लास में कोई बुकिंग नहीं होगी। विदेश यात्रा के लिए पीएमओ की मंजूरी जरूरी होगी। फर्स्ट क्लास में यात्रा पर बैन से दो लाख रु. तक की बचत होगी। 
 
4. नए वाहन : खरीद पर रोक। लेकिन सेना और सुरक्षा बलों पर यह लागू नहीं। 
 
5. कॉन्फ्रेंस-सेमिनार : बहुत जरूरी होने पर ही ऐसे आयोजन हों। विदेश में आयोजन सिर्फ ट्रेड प्रमोशन के लिए। फाइव-स्टार होटलों में बैठक सिर्फ विदेशी प्रतिनिधियों के साथ।
 
कितनी होगी बचत 
 
जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का अनुमान है कि इन उपायों से 40,000 करोड़ रुपए तक की बचत होगी। यह जीडीपी का 0.3 फीसदी है। हालांकि उसका कहना है कि इससे विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।
 
सरकारी घाटा कम करने की कवायद 
 
मोदी सरकार ने इस साल 4.1 फीसदी और 2016-17 तक सरकारी घाटा 3 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है। 2011-12 में यह 5.7 फीसदी तक पहुंच गया था। 2012-13 में 4.8 और 2013-14 में 4.5 फीसदी पर था। इस साल योजना खर्च 5.75 लाख करोड़ और गैर-योजना खर्च 12.19 लाख करोड़ का प्रावधान है। कुल खर्च 17.94 लाख करोड़ का अनुमान है। पिछले साल यह 15.90 करोड़ था।

नोकिया का चेन्नई कारखाना बंद, कर्मियों को पैकेज

 नोकिया का चेन्नई कारखाना बंद, कर्मियों को पैकेज
1 nov 2014
फिनलैंड की हैंडसेट कंपनी नोकिया अपने श्रीपेरंबुदूर कारखाने का परिचालन बंद । कंपनी ने इस कारखाने के लिए आखिर में बचे 900 कर्मचारियों के लिए 7.5 लाख से 9 लाख रपये के वित्तीय पैकेज को अंतिम रूप दे दिया है।

हालांकि, कंपनी ने नोकिया-माइक्रोसाफ्ट के बीच 7.5 अरब डॉलर के सौदे के बाद संयंत्र के 5,600 कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना तैयार की थी, लेकिन कारखाने का उत्पादन बंद होने की वजह से करीब 900 कर्मचारियों के भविष्य को लेकर असमंजस बना हुआ था।

नोकिया के इस संयंत्र में एक नवंबर से उत्पादन बंद करने की घोषणा के बाद राजनीतिक दल इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे। राजनीतिक दलों ने 900 कर्मचारियों के भविष्य के मद्देनजर राज्य सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी। नोकिया इंडिया इम्पलाइज यूनियन के सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ कर्मचारी 2006 में संयंत्र का परिचालन शुरू होने के बाद से ही यहां काम कर रहे थे।

प्रबंधन, कर्मचारियों व श्रम विभाग के बीच पिछले दो दिन तक चली कई दौर की बातचीत के बाद आज इस मुददे पर सहमति बन सकी। नोकिया ने आज जारी बयान में कहा कि त्रिपक्षीय बैठक के बाद कर्मचारियों के लिए वित्तीय पैकेज तैयार हो गया है।

क्या छोटी सोच के हैं मोदी? क्या देश के लिए जान देने वाली इंदिरा का किया अपमान?क्या इंदिरा गांधी की कुर्बानी को भुलाने की कोशिश? Ans-?

छोटी सोच के हैं मोदी, देश के लिए जान देने वाली इंदिरा का किया अपमान: कांग्रेस 

इंदिरा गांधी की पुण्‍यतिथि पर शक्लि स्‍थल नहीं पहुंचे मोदी!!!

क्या छोटी सोच के हैं मोदी? 

क्या देश के लिए जान देने वाली इंदिरा का किया अपमान?

क्या इंदिरा गांधी की कुर्बानी को भुलाने की कोशिश? 

Ans-?

 |1 Nov, 2014


फोटो: इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देते सोनिया और राहुल  
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पीएम ने इंदिरा गांधी का अपमान किया और यह दर्शाता है कि मोदी और भााजपा की असलियत क्या है? शर्मा ने कहा, 'यह एक छोटी सोच है। यह उन लोगों के प्रति पक्षपातपूर्ण और अपमानजनक रवैया है, जिन्होंने देश के लिए जान दे दी। खास तौर पर इंदिरा गांधी, जिन्होंने देश की एकता के लिए जान गंवाई।' कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी कहा कि इंदिरा गांधी ने देश के लिए मौत को गले लगा लिया और प्रत्येक सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके बलिदान का सम्मान करे। 
शुक्रवार को बल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर पीएम मोदी के आह्वान पर राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में 'रन फॉर यूनिटी' का आयोजन किया गया था। इसी दिन पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि भी पड़ती है। पीएम ने अपने भाषण में इंदिरा गांधी का जिक्र तो किया, लेकिन उनकी पूरी स्पीच पटेल पर फोकस रही। वह इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देने उनके समाधिस्‍थल भी नहीं गए। इसके बाद, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इंदिरा गांधी की कुर्बानी को भुलाने की कोशिश की गई। 
शर्मा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी ने रन फॉर यूनिटी को झंडा दिखाकर रवाना किया लेकिन देश के सबसे बड़ी राजनीतिक हस्तियों में शामिल नेता के सबसे बड़ी कुर्बानी का जिक्र तक नहीं किया। बीजेपी पर निशाना साधते हुए शर्मा ने कहा कि पटेल एक कांग्रेसी थे, जिन्होंने अपने गृह मंत्री रहने के दौरान बीजेपी के वैचारिक थिंकटैंक आरएसएस को बैन कर दिया था।  
बीजेपी ने दिया जवाब 
उधर, कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि किसी नेता के महत्व को कमतर करने का सवाल ही नहीं उठता। नायडू ने कहा, ''इतिहास में हर नेता का अलग स्थान है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। लेकिन सरदार पटेल देश के सर्वोच्च नेताओं में से एक थे, जो एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। वह भारत की एकता के प्रतीक थे। वह हर किसी के रोल मॉडल हैं। '' वहीं, बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि कांग्रेस लगातार इन मुद्दों का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है। कोहली ने कहा, ''ऐसा करके कांग्रेस खुद पर सवाल खड़े कर रही है। क्या वह एकता के खिलाफ हैं? क्या वह इतिहास की हर चीज को नेहरू-गांधी के परिप्रक्ष्य में देखना चाहती है। ''

इंदिरा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सोनिया, राहुल 
इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर उनके समाधि स्थल 'शक्तिस्थल' पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि देने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी पहुंचे। समारोह स्थल पर भजन और इंदिरा गांधी के भाषण के अंश चलाए गए। इस मौके पर इंदिरा गांधी के आवास पर भी एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां 30 वर्ष पहले उनकी हत्या कर दी गई थी।

एन्ड्रॉयड के जनक एंडी रूबिन ने गूगल छोड़ा

एन्ड्रॉयड के जनक एंडी रूबिन ने गूगल छोड़ा

1 nov 2014

एन्ड्रॉयड के जनक एन्डी रूबिनमोबाइल जगत में विश्वप्रसिद्ध ऑपरेटिंग सिस्टम एन्ड्रॉयड के जनक एंडी रूबिन के गूगल को छोड़ देने की घोषणा हो गई है.
एंडी रूबिन एन्ड्रॉयड प्रोजेक्ट के सह-जनक रहे हैं. रूबिन ने तक़रीबन सात सालों बाद तकनीकी गुरु गूगल का साथ छोड़ दिया है.
रूबिन के जाने की सूचना देते हुए गूगल के मुख्य कार्यकारी लैरी पेज ने कहा, ''रूबिन ने तकनीक की दुनिया में एन्ड्रॉयड बनाकर एक असाधारण काम किया है. जिसका लाभ दुनिया भर के अरबों लोग ले रहे हैं. उनकी इस खोज के लिए उनका बहुत बहुत शुक्रिया.''
रूबिन एपल के साथ भी काम कर चुके हैं. रूबिन ने एन्ड्रॉयड के क्षेत्र में काम करना छोड़ रोबोटिक्स जगत में काम की शुरुआत कर दी है.
एंडी के गूगल एन्ड्रॉयड को छोड़ देने के बाद अब एन्ड्रॉयड का ज़िम्मा सुंदर पिचाई को मिल चुका है.
पिचाई गूगल क्रोम और एप्स के लिए काम कर चुके हैं.

Indra, We Miss You:- 31 अक्तूबर का वो दिन..."मैं आज यहाँ हूँ. कल शायद यहाँ न रहूँ.......जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मज़बूत करने में लगेगा."

Indra, We Miss You:-

31 अक्तूबर का वो दिन...

"मैं आज यहाँ हूँ. कल शायद यहाँ न रहूँ.......जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मज़बूत करने में लगेगा."

भुवनेश्वर से इंदिरा गाँधी की कई यादें जुड़ी हुई हैं और इनमें से अधिकतर यादें सुखद नहीं हैं.
इसी शहर में उनके पिता जवाहरलाल नेहरू पहली बार गंभीर रूप से बीमार पड़े थे जिसकी वजह से मई 1964 में उनकी मौत हुई थी और इसी शहर में 1967 के चुनाव प्रचार के दौरान इंदिरा गाँधी पर एक पत्थर फेंका गया था जिससे उनकी नाक की हड्डी टूट गई थी.

30 अक्तूबर 1984 की दोपहर इंदिरा गांधी ने जो चुनावी भाषण दिया, उसे हमेशा की तरह उनके सूचना सलाहकार एचवाई शारदा प्रसाद ने तैयार किया था.
लेकिन अचानक उन्होंने तैयार आलेख से अलग होकर बोलना शुरू कर दिया. उनके बोलने का तेवर भी बदल गया.

विवेचना

इंदिरा गांधी बोलीं, "मैं आज यहाँ हूँ. कल शायद यहाँ न रहूँ. मुझे चिंता नहीं मैं रहूँ या न रहूँ. मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है. मैं अपनी आख़िरी सांस तक ऐसा करती रहूँगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मज़बूत करने में लगेगा."
कभी-कभी नियति शब्दों में ढलकर आने वाले दिनों की तरफ़ इशारा करती है.
भाषण के बाद जब वो राजभवन लौटीं तो राज्यपाल बिशंभरनाथ पांडे ने कहा कि आपने हिंसक मौत का ज़िक्र कर मुझे हिला कर रख दिया.
इंदिरा गाँधी ने जवाब दिया कि वो ईमानदार और तथ्यपरक बात कह रही थीं.

रातभर सोईं नहीं

इंदिरा गांधी अपनी बहू सोनिया गांधी के साथ
उस रात इंदिरा जब दिल्ली वापस लौटीं तो काफ़ी थक गई थीं. उस रात वो बहुत कम सो पाईं.
सामने के कमरे में सो रहीं सोनिया गाँधी जब सुबह चार बजे अपनी दमे की दवाई लेने के लिए उठकर बाथरूम गईं तो इंदिरा उस समय जाग रही थीं.
सोनिया गांधी अपनी किताब 'राजीव' में लिखती हैं कि इंदिरा भी उनके पीछे-पीछे बाथरूम में आ गईं और दवा खोजने में उनकी मदद करने लगीं.
वो ये भी बोलीं कि अगर तुम्हारी तबीयत फिर बिगड़े तो मुझे आवाज़ दे देना. मैं जाग रही हूँ.

हल्का नाश्ता

पीटर उस्तीनोव इंदिरा गांधी पर एक डॉक्यूमेंट्री बना रहे थे
सुबह साढ़े सात बजे तक इंदिरा गांधी तैयार हो चुकी थीं. उस दिन उन्होंने केसरिया रंग की साड़ी पहनी थी जिसका बॉर्डर काला था.
इस दिन उनका पहला अपॉएंटमेंट पीटर उस्तीनोव के साथ था जो इंदिरा गांधी पर एक डॉक्यूमेंट्री बना रहे थे और एक दिन पहले उड़ीसा दौरे के दौरान भी उनको शूट कर रहे थे.
दोपहर में उन्हें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री जेम्स कैलेघन और मिज़ोरम के एक नेता से मिलना था. शाम को वो ब्रिटेन की राजकुमारी ऐन को भोज देने वाली थीं.
उस दिन नाश्ते में उन्होंने दो टोस्ट, सीरियल्स, संतरे का ताज़ा जूस और अंडे लिए.
नाश्ते के बाद जब मेकअप-मेन उनके चेहरे पर पाउडर और ब्लशर लगा रहे थे तो उनके डॉक्टर केपी माथुर वहाँ पहुंच गए. वो रोज़ इसी समय उन्हें देखने पहुंचते थे.
इंदिरा गांधी अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के साथ
उन्होंने डॉक्टर माथुर को भी अंदर बुला लिया और दोनों बातें करने लगे.
उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन के ज़रूरत से ज़्यादा मेकअप करने और उनके 80 साल की उम्र में भी काले बाल होने के बारे में मज़ाक़ भी किया.

अचानक फ़ायरिंग

नौ बजकर 10 मिनट पर जब इंदिरा गांधी बाहर आईं तो ख़ुशनुमा धूप खिली हुई थी.
उन्हें धूप से बचाने के लिए सिपाही नारायण सिंह काला छाता लिए हुए उनके बग़ल में चल रहे थे. उनसे कुछ क़दम पीछे थे आरके धवन और उनके भी पीछे थे इंदिरा गाँधी के निजी सेवक नाथू राम.
सबसे पीछे थे उनके निजी सुरक्षा अधिकारी सब इंस्पेक्टर रामेश्वर दयाल. इस बीच एक कर्मचारी एक टी-सेट लेकर सामने से गुज़रा जिसमें उस्तीनोव को चाय सर्व की जानी थी. इंदिरा ने उसे बुलाकर कहा कि उस्तीनोव के लिए दूसरा टी-सेट निकाला जाए.
जब इंदिरा गांधी एक अकबर रोड को जोड़ने वाले विकेट गेट पर पहुंची तो वो धवन से बात कर रही थीं.
धवन उन्हें बता रहे थे कि उन्होंने उनके निर्देशानुसार यमन के दौरे पर गए राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह को संदेश भिजवा दिया है कि वो सात बजे तक दिल्ली लैंड कर जाएं ताकि उनको पालम हवाई अड्डे पर रिसीव करने के बाद इंदिरा ब्रिटेन की राजकुमारी एन को दिए जाने वाले भोज में शामिल हो सकें.
अचानक वहाँ तैनात सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह ने अपनी रिवॉल्वर निकालकर इंदिरा गांधी पर फ़ायर किया. गोली उनके पेट में लगी.
इंदिरा ने चेहरा बचाने के लिए अपना दाहिना हाथ उठाया लेकिन तभी बेअंत ने बिल्कुल प्वॉइंट ब्लैंक रेंज से दो और फ़ायर किए. ये गोलियाँ उनकी बग़ल, सीने और कमर में घुस गईं.

गोली चलाओ

तस्वीर में इंदिरा गांधी के पीछे नज़र आ रहे हैं कांग्रेस नेता आरके धवन.
वहाँ से पाँच फुट की दूरी पर सतवंत सिंह अपनी टॉमसन ऑटोमैटिक कारबाइन के साथ खड़ा था.
इंदिरा गाँधी को गिरते हुए देख वो इतनी दहशत में आ गया कि अपनी जगह से हिला तक नहीं. तभी बेअंत ने उसे चिल्ला कर कहा गोली चलाओ.
सतवंत ने तुरंत अपनी ऑटोमैटिक कारबाइन की सभी पच्चीस गोलियां इंदिरा गाँधी के शरीर के अंदर डाल दीं.
बेअंत सिंह का पहला फ़ायर हुए पच्चीस सेकेंड बीत चुके थे और वहाँ तैनात सुरक्षा बलों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.
अभी सतवंत फ़ायर कर ही रहा था कि सबसे पहले सबसे पीछे चल रहे रामेश्वर दयाल ने आगे दौड़ना शुरू किया.
लेकिन वो इंदिरा गांधी तक पहुंच पाते कि सतवंत की चलाई गोलियाँ उनकी जांघ और पैर में लगीं और वो वहीं ढेर हो गए.
इंदिरा गांधी के सहायकों ने उनके क्षत-विक्षत शरीर को देखा और एक दूसरे को आदेश देने लगे. एक अकबर रोड से एक पुलिस अफ़सर दिनेश कुमार भट्ट ये देखने के लिए बाहर आए कि ये कैसा शोर मच रहा है.

एंबुलेंस नदारत

सरकारी माध्यमों ने इंदिरा गांधी की मौत की घोषणा कई घंटे बाद की थी.
उसी समय बेअंत सिंह और सतवंत सिंह दोनों ने अपने हथियार नीचे डाल दिए. बेअंत सिंह ने कहा, "हमें जो कुछ करना था हमने कर दिया. अब तुम्हें जो कुछ करना हो तुम करो."
तभी नारायण सिंह ने आगे कूदकर बेअंत सिंह को ज़मीन पर पटक दिया. पास के गार्ड रूम से आईटीबीपी के जवान दौड़ते हुए आए और उन्होंने सतवंत सिंह को भी अपने घेरे में ले लिया.
हालांकि वहाँ हर समय एक एंबुलेंस खड़ी रहती थी. लेकिन उस दिन उसका ड्राइवर वहाँ से नदारद था. इतने में इंदिरा के राजनीतिक सलाहकार माखनलाल फ़ोतेदार ने चिल्लाकर कार निकालने के लिए कहा.
इंदिरा गाँधी को ज़मीन से आरके धवन और सुरक्षाकर्मी दिनेश भट्ट ने उठाकर सफ़ेद एंबेसडर कार की पिछली सीट पर रखा.
आगे की सीट पर धवन, फ़ोतेदार और ड्राइवर बैठे. जैसे ही कार चलने लगी सोनिया गांधी नंगे पांव, अपने ड्रेसिंग गाउन में मम्मी-मम्मी चिल्लाते हुए भागती हुई आईं.
इंदिरा गांधी की हालत देखकर वो उसी हाल में कार की पीछे की सीट पर बैठ गईं. उन्होंने ख़ून से लथपथ इंदिरा गांधी का सिर अपनी गोद में ले लिया.
कार बहुत तेज़ी से एम्स की तरफ़ बढ़ी. चार किलोमीटर के सफ़र के दौरान कोई भी कुछ नहीं बोला. सोनिया का गाउन इंदिरा के ख़ून से भीग चुका था.

स्ट्रेचर ग़ायब

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)
कार नौ बजकर 32 मिनट पर एम्स पहुंची. वहाँ इंदिरा के रक्त ग्रुप ओ आरएच निगेटिव का पर्याप्त स्टॉक था.
लेकिन एक सफ़दरजंग रोड से किसी ने भी एम्स को फ़ोन कर नहीं बताया था कि इंदिरा गांधी को गंभीर रूप से घायल अवस्था में वहाँ लाया जा रहा है.
एमरजेंसी वार्ड का गेट खोलने और इंदिरा को कार से उतारने में तीन मिनट लग गए. वहाँ पर एक स्ट्रेचर तक मौजूद नहीं था.
किसी तरह एक पहिए वाली स्ट्रेचर का इंतेज़ाम किया गया. जब उनको कार से उतारा गया तो इंदिरा को इस हालत में देख कर वहाँ तैनात डॉक्टर घबरा गए.
उन्होंने तुरंत फ़ोन कर एम्स के वरिष्ठ कार्डियॉलॉजिस्ट को इसकी सूचना दी. मिनटों में वहाँ डॉक्टर गुलेरिया, डॉक्टर एमएम कपूर और डॉक्टर एस बालाराम पहुंच गए.
अस्पताल के बाहर लोगों का हुजूम जमा हो चुका था जो बहुत गुस्से में था
एलेक्ट्रोकार्डियाग्राम में इंदिरा के दिल की मामूली गतिविधि दिखाई दे रही थीं लेकिन नाड़ी में कोई धड़कन नहीं मिल रही थी.
उनकी आँखों की पुतलियां फैली हुई थीं, जो संकेत था कि उनके दिमाग़ को क्षति पहुंची है.
एक डॉक्टर ने उनके मुंह के ज़रिए उनकी साँस की नली में एक ट्यूब घुसाई ताकि फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंच सके और दिमाग़ को ज़िंदा रखा जा सके.
इंदिरा को 80 बोतल ख़ून चढ़ाया गया जो उनके शरीर की सामान्य ख़ून मात्रा का पांच गुना था.
डॉक्टर गुलेरिया बताते हैं, "मुझे तो देखते ही लग गया था कि वो इस दुनिया से जा चुकी हैं. उसके बाद हमने इसकी पुष्टि के लिए ईसीजी किया. फिर मैंने वहाँ मौजूद स्वास्थ्य मंत्री शंकरानंद से पूछा कि अब क्या करना है? क्या हम उन्हें मृत घोषित कर दें? उन्होंने कहा नहीं. फिर हम उन्हें ऑपरेशन थियेटर में ले गए."

सिर्फ़ दिल सलामत

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भड़के थे
डॉक्टरों ने उनके शरीर को हार्ट एंड लंग मशीन से जोड़ दिया जो उनके रक्त को साफ़ करने का काम करने लगी और जिसकी वजह से उनके रक्त का तापमान सामान्य 37 डिग्री से घट कर 31 डिग्री हो गया.
ये साफ़ था कि इंदिरा इस दुनिया से जा चुकीं थी लेकिन तब भी उन्हें एम्स की आठवीं मंज़िल स्थित ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया.
डॉक्टरों ने देखा कि गोलियों ने उनके लीवर के दाहिने हिस्से को छलनी कर दिया था, उनकी बड़ी आंत में कम से कम बारह छेद हो गए थे और छोटी आंत को भी काफ़ी क्षति पहुंची थी.
उनके एक फेफड़े में भी गोली लगी थी और रीढ़ की हड्डी भी गोलियों के असर से टूट गई थी. सिर्फ़ उनका हृदय सही सलामत था.

योजना बनाकर साथ ड्यूटी

इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार में नज़र आ रहे हैं सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राजीव गांधी.
अपने अंगरक्षकों द्वारा गोली मारे जाने के लगभग चार घंटे बाद दो बजकर 23 मिनट पर इंदिरा गांधी को मृत घोषित किया गया.
लेकिन सरकारी प्रचार माध्यमों ने इसकी घोषणा शाम छह बजे तक नहीं की.
इंदिरा गांधी की जीवनी लिखने वाले इंदर मल्होत्रा बताते हैं कि ख़ुफ़िया एजेंसियों ने आशंका प्रकट की थी कि इंदिरा गाँधी पर इस तरह का हमला हो सकता है.
उन्होंने सिफ़ारिश की थी कि सभी सिख सुरक्षाकर्मियों को उनके निवास स्थान से हटा लिया जाए.
इंदिरा गांधी पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के साथ वर्ष 1972 में शिमला समझौते के दौरान
लेकिन जब ये फ़ाइल इंदिरा के पास पहुंची तो उन्होंने बहुत ग़ुस्से में उस पर तीन शब्द लिखे,"आरंट वी सेकुलर? (क्या हम धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं?)"
उसके बाद ये तय किया गया कि एक साथ दो सिख सुरक्षाकर्मियों को उनके नज़दीक ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा.
31 अक्तूबर के दिन सतवंत सिंह ने बहाना किया कि उनका पेट ख़राब है. इसलिए उसे शौचालय के नज़दीक तैनात किया जाए.
इस तरह बेअंत और सतवंत एक साथ तैनात हुए और उन्होंने इंदिरा गाँधी से ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला ले लिया.

Job Generation in July-September Down 20 Per Cent on Quarter: Assocham

Job Generation in July-September Down 20 Per Cent on Quarter: Assocham

Job Generation in July-September Down 20 Per Cent on Quarter: Assocham

New Delhi: Job generation in the Indian industry dropped by a sharp 19.9 per cent during July-September as compared to the previous quarter due to persisting weaknesses in the economy, the Associated Chambers of Commerce and Industry (Assocham) said on Wednesday.

The sectors of IT, infrastructure, hospitality and aviation reported negative growth, the industry body said.

"Signs of weaknesses in global economy and slow recovery in industrial output in the Indian economy appear to be weighing on the minds of corporates in their hiring plans," Assocham said, adding that as many as 23 of 32 sectors monitored by it posted a decline in job postings.

It also said that Delhi/NCR emerged as a leading jobs generating centre in India during the period.

"Amidst persisting weaknesses in the economy, job generation in India Inc saw a sharp drop of 19.9 per cent during July-September," it said.

The city generated 28,192 jobs during the quarter as against 46,652 jobs during April-June 2014, it said.

Bangalore, Mumbai and Chennai centres recorded positive growth rates of 8.23 per cent, 0.05 per cent and 25.22 per cent respectively in terms of job creation.

"While Pune, Hyderabad, Ahmedabad and Kolkata have recorded negative growth rate of 11.38 per cent, 19.05 per cent, 6.29 per cent and 14.61 per cent respectively during the same period," it said.

Among sectors, the worst hit ones were media, insurance, pharmaceuticals, retail, aviation and FMCG.

"For instance, the media saw a contraction of about 60 per cent in job postings while the troubled real estate industry reduced hiring by over 75 per cent," it said.

About 4,500 corporates across 32 sectors posted a total of 1.32 lakh jobs during the July-September 2014 period across India as against 1.65 lakh during April-June 2014, Assocham findings said.

"While the business sentiment seems to be picking up, the corporates are still not sure whether to go ahead with hiring plans. The signals from the global market point towards a slowdown and this is surely affecting hiring in the IT which drives bulk of its revenues from exports, particularly to the US, Europe, Japan."

1 Nov से होंगे ये 3 बड़े बदलाव: 1- ATM से सिर्फ 3 ट्रांजैक्शन मिलेंगी मुफ्त, 2- महंगा होगा SBI से लेन-देन, 3- नोकिया श्रीपेरुंबुदूर प्‍लांट में उत्‍पादन करेगी बंद

कल से होंगे ये 3 बड़े बदलाव:

 1- ATM से सिर्फ 3 ट्रांजैक्शन मिलेंगी मुफ्त, 

2- महंगा होगा SBI से लेन-देन, 

3- नोकिया श्रीपेरुंबुदूर प्‍लांट में उत्‍पादन करेगी बंद

Oct 31, 2014, 15:30PM IST






नई दिल्ली. कल से देश में कई सारी चीजें बदलने वाली हैं। इनमें सबसे खास है एटीएम के इस्तेमाल की संख्या। आज के समय में अधिकतर लोग एटीएम का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए कल इन सभी लोगों के लिए एक खास दिन होगा। आइए जानते हैं क्या-क्या बदलने वाला है कल से-


एटीएम का इस्तेमाल


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दूसरे बैंक से हर महीने फ्री एटीएम यूज की संख्या घटा दी है। हर ग्राहक को हर महीने दूसरे बैंक के एटीएम से केवल तीन बार मुफ्त ट्रांजैक्शन की अनुमति होगी। इससे पहले यह संख्या पांच थी। इसके बाद होने वाले हर ट्रांजैक्शन पर 20 रुपए की दर से चार्ज लगेगा, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह नियम केवल 6 बड़े शहरों में लागू होगा। ये शहर हैं- मुंबई, नई दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद, लेकिन यह नियम नो फ्रिल्स एकाउंट होल्डर्स पर लागू नहीं होगा। यह नियम 1 नवंबर 2014 से लागू होगा।


बैंकों को आरबीआई का निर्देश


इन शहरों के अलावा बाकी जगहों पर पुराना नियम ही लागू रहेगा। यानि इन जगहों पर दूसरे बैंक से हर महीने फ्री एटीएम यूज की संख्या 5 रहेगी। बैंकों को आरबीआई ने कहा है कि वे अपने हर एटीएम पर यह साफ-साफ लिखें कि यह मेट्रो में स्थित है या नॉन मेट्रो में।


अपने बैंक के एटीएम पर पांच ट्रांजैक्शन मुफ्त


आरबीआई ने बैंकों को सलाह दी है कि वे हर स्थान पर अपने एटीएम पर ग्राहकों को हर महीने कम से कम पांच ट्रांजैक्शन मुफ्त करने की अनुमति दें। ट्रांजैक्शन इससे अधिक होने की स्थिति में बैंकों को यह अनुमति दी गई है कि वे ग्राहकों पर शुल्क लगा सकें।
ATM से सिर्फ 3 ट्रांजैक्शन मिलेंगी मुफ्त, कल से होंगे ये 3 बड़े बदलाव

2- महंगा होगा SBI से लेन-देन
देश के सबसे बड़े बैंक, स्टैट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एकाउंट होल्डर्स को अब संभलकर ट्रांजैक्शन करने होंगे। बैंक ने एक नवंबर से खाते में बैलेंस के आधार पर शाखा में जाकर लेन-देन करने पर शुल्क लगाने का फैसला किया है। यानी आपके बचत खाते में पड़ी रकम यह तय करेगी कि बैंक में कितने बार जाकर आप मुफ्त में लेन-देन कर पाएंगे।
ब्रांच में केवल 4 बार कर सकेंगे मुफ्त में लेन-देन
बचत खाते में 25 हजार रुपये (मासिक आधार पर तय औसत रकम ) रकम रखने पर आप बैंक की शाखा में जाकर एक महीने में केवल 4 बार मुफ्त लेन-देन की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। इसी तरह 25 हजार से ज्यादा और 50 हजार रुपये तक राशि रखने पर 10 ट्रांजैक्शन की छूट मिलेगी। वहीं 50 हजार से ज्यादा और एक लाख रुपये तक की राशि रखने पर 15 ट्रांजैक्शन की छूट मिलेगी। वहीं, एक लाख रुपये से ज्यादा रकम रखने पर आप ब्रांच से मिलने वाली डेबिट सुविधाओं का अनलमिटेड इस्तेमाल कर सकेंगे। तय सीमा के बाद आपको प्रति लेन-देन 20 रुपये का शुल्क देना होगा।
ATM से सिर्फ 3 ट्रांजैक्शन मिलेंगी मुफ्त, कल से होंगे ये 3 बड़े बदलाव

3- नोकिया श्रीपेरुंबुदूर प्‍लांट में उत्‍पादन करेगी बंद
नोकिया कल से चेन्‍नई के श्रीपेरुंबुदूर स्थित प्‍लांट में हैंडसेट का उत्‍पादन बंद करेगी। नोकिया ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट ने इस प्‍लांट से मोबाइल परचेज एग्रीमेंट खत्‍म कर दिया है और ऐसे में इस फैक्‍ट्री के कारोबारी रास्‍ते बंद हो गए हैं। नोकिया ने एक बयान जारी कर कहा है कि जब तक माइक्रोसॉफ्ट की ओर से कोई नया आदेश नहीं आता है, तब तक वह इस प्‍लांट में उत्‍पादन बंद रखेगी।
सितंबर 2013 में नोकिया ने घोषणा की थी कि वह अपना डिवाइस और सर्विस बिजनेस, भारत में संपत्ति समेत, माइक्रोसॉफ्ट को 7.2 अरब डॉलर में बेचेगी। 25 अप्रैल 2014 को यह सौदा पूरा हो चुका है, लेकिन भारत सरकार द्वारा नोकिया से टैक्‍स विवाद के कारण चेन्‍नई प्‍लांट का हस्‍तांतरण माइक्रोसॉफ्ट को नहीं हो सका है।