भारतीय पनडुब्बी में आग, 18 फंसे
सिंधुरक्षक हादसा: चार नौसैनिकों के शव मिले
बुधवार, 14 अगस्त, 2013 को 12:30 IST तक के समाचार
आईएनएस सिंधुरक्षक को हाल ही में रूस में उन्नत बनाया गया था. (फ़ोटो: रॉयटर्स)
मुंबई में मंगलवार देर रात
भारतीय नौसेना की एक पनडुब्बी में धमाका हुआ. धमाके के बाद पनडुब्बी डूबने
लगी. इसमें कुछ नौसैनिकों के मारे जाने और कुछ के फंसे होने की आशंका है.
पनडुब्बी को निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं.
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि इस घटना में
मारे गए लोगों के प्रति उन्हें दुख है. उन्होंने कहा कि घटनास्थल का दौरा
करने के लिए वे मुंबई जाएंगे.
आईएनएस सिंधुरक्षक नाम की इस पनडुब्बी में धमाके के बाद आग लग गई. कई नौसैनिक अपनी आग से बचाने के लिए पानी में कूद गए.
भारतीय नौसेना ने एक बयान में घटना की पुष्टि करते
हुए कहा है कि पनडुब्बी और उसमें फंसे नौसैनिकों को निकालने के लिए सभी
प्रयास किए जा रहे हैं.
मुंबई से
बीबीसी संवाददाता मधु पाल
के मुताबिक अभी यह बात साफ नहीं हुई है कि धमाका मशीनी गड़बड़ी के कारण
हुआ या फिर इसकी वजह कुछ और है. अमूमन इस पनडुब्बी में करीब 100 नौसैनिक
काम करते है लेकिन रात के समय इसमें करीब 50 नौसैनिक रहते हैं.
संवाददाता का कहना है कि धमाके के बाद पनडुब्बी
डूबने लगी. इसके साथ खड़ी एक अन्य पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरत्न को भी मामूली
नुकसान पहुंचा है.
इस घटना में कई नौसैनिक घायल भी हो गए जिन्हें कोलाबा स्थित नौसैनिक अस्पताल आईएनएचएस अश्विनी ले जाया गया है.
कारण
आग और धमाके के कारणों, पनडुब्बी को हुए नुकसान एवं हताहतों की संख्या के बारे में अभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
आग बुझाने में मुंबई दमकल विभाग और मुंबई पोर्ट
ट्रस्ट की कम से कम 16 गाड़ियों की मदद ली गई. आग से उठने वाले धुंए को
दक्षिण मुंबई के कई इलाक़ों में साफ देखा जा सकता था.
दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तड़के क़रीब तीन बजे आग पर काबू पा लिया गया.
अधिकारियों ने बताया कि आग के कारणों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
रुसी मीडिया में चर्चा
रूस निर्मित 16 साल पुरानी सिंधुघोष क्लास की इस पनडुब्बी को हाल ही में उन्नत बनाया गया था.
अधिकांश रुसी वेबसाइटों ने सिंधुरक्षक पनडुब्बी में धमाके की खबर को प्रमुखता दी है.
समाचार पत्र ‘वेडोमोस्ती’ ने लिखा है कि हाल ही
में ये पनडुब्बी रुस से अपग्रेड होकर भारत वापस आई थी, लेकिन अखबार ने रुस
के काम की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं उठाया है.
हाल ही में अपग्रेड हुई थी आईएनएस सिंधुरक्षक
बुधवार, 14 अगस्त, 2013 को 11:18 IST तक के समाचार
मुंबई में नौसेना की गोदी में
धमाके का शिकार हुई पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक को 16 साल पहले भारतीय
नौसेना में शामिल किया गया था और इसका हाल ही में आधुनिकीकरण किया गया था.
सिधुघोष श्रेणी की इस डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को रूस में बनाया गया था और 24 दिसंबर 1997 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.
भारत ने 1986 से 2000 के बीच किलो क्लास की ऐसी दस पनडुब्बियां रूस से हासिल की थी.
आईएनएस सिंधुरक्षक के बैट्री कम्पार्टमेंट में
फरवरी 2010 में आग लगी थी जिसमें एक नौसैनिक मारा गया था. तब यह पनडुब्बी
विशाखापट्टनम में नौसेना गोदी में तैनात थी.
उसी साल इसे उन्नत बनाने के लिए रूस भेजा गया.
ज़्वेजदोच्का गोदी में दो साल तक चली मरम्मत के दौरान इसमें कई आधुनिक
प्रणालियां जोड़ी गईं थीं.
क्रूज़ मिसाइल
आईएनएस सिंधुरक्षक को क्लब एस क्रूज़ मिसाइलों से सुसज्जित किया गया जो 200 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम हैं.
साथ ही इसमें भारत और विदेश में विकसित दस नई
प्रणालियों को भी जोड़ा गया था जिनमें यूएसएचयूएस हाइड्रो एकॉस्टिक सोनार
सिस्टम और सीएसएस एमके-2 रेडियो कम्यूनिकेशन सिस्टम शामिल था.
अधिकारियों के मुताबिक़ इसे उन्नत बनाने में आठ करोड़ डॉलर का खर्च आया था.
इसके इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, कंट्रोल सिस्टम और इंटिग्रेटेड वेपन कंट्रोल सिस्टम को भी अपडेट किया गया था.
नौसेना की ताकत
भारत के पास किलो क्लास में सिंधुरक्षक के अलावा
सिंधुघोष, सिंधुध्वज, सिंधुरत्न, सिंधुवीर, सिंधुकेसरी, सिंधुकीर्ति,
सिंधुविजय, सिंधुराज और सिंधुराष्ट्र पनडुब्बियां हैं.
7.2 मीटर लंबी सिंधुरक्षक पनडुब्बी भारतीय नौसेना की ताकत का एक अहम हिस्सा है. यह समुद्र के अंदर 640 किलोमीटर तक जा सकती है.
2300 टन वजन वाली पनडुब्बी की कीमत करीब 490 करोड़ रुपये है.
सिंधुघोष श्रेणी की पनडुब्बियां समुद्र में 300
मीटर की गहराई तक गोता लगा सकती हैं. इनकी अधिकतम रफ्तार 18 समुद्री मील है
और ये चालक दल के 53 सदस्यों के साथ 45 दिन तक समुद्र में रह सकती हैं.
सिंधुरक्षक की मरम्मत ठीक से हुई थी: रूसी कंपनी
बुधवार, 14 अगस्त, 2013 को 16:47 IST तक के समाचार
सिंधुरक्षक को 24 दिसंबर 1997 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.
मुंबई में नौसेना की गोदी में
धमाके का शिकार हुई पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक को बनाने वाली रूसी कंपनी
का कहना है कि पनडुब्बी की मरम्मत ठीक से की गई थी.
रूस की सरकारी न्यूज़ एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के
अनुसार सिंधुरक्षक की हाल ही में रूस के जहाज बनाने वाले कारखाने
ज़्वेजदोच्का में मध्यम स्तर की मरम्मत की गई थी और उसे अधिक उन्नत बनाया
गया था.
ज़्वेजदोच्का के प्रवक्ता ने बुधवार को आरआईए को बताया कि
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पनडुब्बी को ठीक करने के बाद भारत की तरफ से उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली थी.
प्रवक्ता ने कहा, "हमने पनडुब्बी की मध्यम श्रेणी
की मरम्मत और उसके आधुनिकीकरण के लिए जून 2010 में एक अनुबंध पर हस्ताक्षर
किए थे और जनवरी 2013 में इसे ठीक कर वापस लौटा दिया गया"
'कई पुर्ज़े'
"मरम्मत के नियमों के अनुसार पनडुब्बी के पावर ब्लॉक पर भी काम किया गया था." (फ़ोटो: रॉयटर्स)
उन्होंने बताया, "पनडुब्बी में नया क्लब मिसाइल
तंत्र लगाया गया था, बहुत से विदेश निर्मित और भारतीय पुर्ज़े लगाए गए थे.
इनमें नेविगेशन और कम्यूनिकेशन तंत्र, एक रेफ्रिजरेशन ब्लॉक और
एक्युमलेटर्स शामिल थे."
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि , "मरम्मत के नियमों के अनुसार पनडुब्बी के पावर ब्लॉक पर भी काम किया गया था."
ज़्वेजदोच्का की तरफ से कहा गया कि समुद्र में परिक्षण के समय कुछ दिक्कतें आई थीं लेकिन ऐसा आम तौर पर होता ही है.
ज़्वेजदोच्का के प्रवक्ता ने कहा कि ज़्वेजदोच्का
के जहाज़ निर्माताओं ने पनडुब्बी मिलने पर सभी दिक्कतों को दूर किया था और
हस्तांतरण के नियमों के पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे.
'कोई शिकायत नहीं'
प्रवक्ता ने कहा कि पनडुब्बी में कोई कमी नहीं थी और भारत ने कोई शिकायत नहीं की थी.
आरआईए नोवोस्ती ने प्रवक्ता का नाम दिए बगैर बताया
कि ज़्वेजदोच्का के प्रवक्ता का कहना है कि उनके आठ लोग इस समय रूस में
हैं लेकिन इस समय उनमें से किसी से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है.
सिंधुरक्षक में सवार नौसैनिकों की सूची जारी
शुक्रवार, 16 अगस्त, 2013 को 00:09 IST तक के समाचार
सिंधुरक्षक पर सवार नरोत्तम देउरी असम के लखीमपुर के रहने वाले हैं.
भारतीय नौसेना ने सिंधुरक्षक
पनडुब्बी हादसे में लापता अधिकारियों और सैनिकों के नामों की सूची जारी की
है. बुधवार तड़के भारतीय नौसेना की पनडुब्बी सिंधुरक्षक धमाके के बाद मुंबई
तट पर डूब गई थी.
धमाके के वक़्त सिंधुरक्षक में 18 नौसैनिक सवार थे जिनमें तीन अधिकारी और 15 नाविक थे.
अधिकारियों में लेफ़्टिनेंट कोमोडोर निखिलेश पाल, लेफ़्टिनेंट कोमोडोर आलोक कुमार और लेफ़्टिनेंट कोमोडोर आर वेंकिटराज शामिल थे.
नौसैनिक अतुल शर्मा हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से हैं.
सैनिकों में संजीव कुमार, केसी उपाध्याय, टिमोथी
सिन्हा, केवल सिंह, सुनील कुमार, दसारी प्रसाद, लीजू लारेंस, राजेश टूटिका,
अमित के सिंह, अतुल शर्मा, विकास ई, नरोत्तम देउरी, मलय हलदर, विष्णु वी
और सीताराम बडापल्ली शामिल हैं.
भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य के
मुताबिक़ फंसे नौसैनिकों को अभी तक देखा या ढूँढा नहीं जा सका है. मंत्रालय
ने कहा, "पनडुब्बी के भीतर पानी भरा हुआ है जिसके कारण गोताख़ोर भीतर देख
नहीं पा रहे हैं. साथ ही अंदर बेहद सीमित जगह है और घटना के कारण उपकरण
अपनी जगह से हिल गए हैं."
नौसैनिक टिमोथी सिन्हा 29 साल के हैं और असम के सिलचर से हैं.
मंत्रालय ने कहा कि धमाके से उपजी गर्मी के कारण
पनडुब्बी का कुछ हिस्सा टूट-फूट गया है. प्रवक्ता के मुताबिक़ उनको तलाशने
का अभियान जारी है.
भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए कहा, "हमें इस
बात से बहुत तकलीफ़ है कि बुधवार को एक दुर्घटना में हमने अपनी पनडुब्बी
सिंधुरक्षक को खो दिया."
सिंधुरक्षक की हाल ही में रूस के जहाज़ बनाने वाले
कारख़ाने ज़्वेजदोच्का में मध्यम स्तर की मरम्मत की गई थी और उसे अधिक
उन्नत बनाया गया था.
भारत ने 1986 से 2000 के बीच किलो क्लास की ऐसी दस पनडुब्बियां रूस से हासिल की थी.
आईएनएस सिंधुरक्षक के बैट्री कम्पार्टमेंट में
फरवरी 2010 में आग लगी थी जिसमें एक नौसैनिक मारा गया था. तब यह पनडुब्बी
विशाखापट्टनम में नौसेना गोदी में तैनात थी.
सिंधुरक्षक हादसा: चार नौसैनिकों के शव मिले
शुक्रवार, 16 अगस्त, 2013 को 17:04 IST तक के समाचार
भारतीय नौसेना ने कहा है कि उनके गोताखोर डूबी हुई पनडुब्बी क्लिक करें
सिंधुरक्षक से चार नौसैनिकों के शव निकालने में सफल हो गए हैं और बाकी के जीवित होने की संभावना न के बराबर है.
हादसे के वक्त पनडुब्बी में 18 नौसैनिक थे. भारतीय
नौसेना के मुताबिक चार शव निकाले जा चुके हैं लेकिन उनकी स्थिति इतनी खराब
है कि उन्हें पहचानना बेहद मुश्किल है.
नौसेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि 14 अगस्त से ही
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पनडुब्बी में पहुँचने के उनके प्रयास जारी थे लेकिन पनडुब्बी में खौलते हुए पानी के चलते वे अंदर दाख़िल नहीं हो पा रहे थे.
बयान के अनुसार
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पनडुब्बी के भीतरी हिस्से में जाना तो लगभग असंभव ही था क्योंकि
दुर्घटना के बाद दरवाज़े जाम थे, सीढ़ियाँ ध्वस्त थीं, हर जगह तेल और
कीचड़ फैला हुआ था. घुप्प अंधेरे में इन नौसैनिकों की तलाश करना बेहद
मुश्किल था.
नौसैनिकों को खोजने में आ रही मुश्किलों के बारे
में नौसेना का कहना है कि पनडुब्बी के अंदर स्थितियाँ इतनी खराब थीं कि एक
समय में सिर्फ़ एक ही गोताखोर आगे बढ़ सकता था और रास्ता साफ़ कर सकता था.
विपरीत परिस्थितियाँ
36 घंटे तक विपरीत परिस्थितियों में काम करने के
बाद आख़िरकार नौसेना के गोताखोर शुक्रवार 16 अगस्त तड़के पनडुब्बी के दूसरे
हिस्से में दाख़िल होने में कामयाब हो पाए.
बयान में कहा गया है कि तीनों शव इतनी बुरी स्थिति में हैं कि उनकी पहचान करना फ़िलहाल मुश्किल है.
इन तीनों शवों को नौसेना के अस्पताल आईएनएचएस
अश्विनी ले जाया गया है. शवों की पहचान करने के लिए डीएनए जाँच की जाएगी और
इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है.
नौसेना का कहना है कि धमाके के चलते
क्लिक करें
पनडुब्बी का नियंत्रण कक्ष का इलाका बुरी तरह से क्षतिग्रस्त
है. अत्यधिक गर्मी पैदा होने की वजह से धातु पिघल गई है. इस वजह से बाकी
नौसैनिकों को भी खोजने में परेशानियाँ पेश आ रही हैं लेकिन नौसेना पनडुब्बी
के हर कोने तक पहुँचने की कोशिश कर रही है.
सिंधुरक्षक बुधवार तड़के मुंबई गोदी में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी.
इससे पहले गुरुवार को नौसेना ने लापता अधिकारियों और सैनिकों के नामों की सूची जारी की थी.
अधिकारियों में लेफ़्टिनेंट कोमोडोर निखिलेश पाल, लेफ़्टिनेंट कोमोडोर आलोक कुमार और लेफ़्टिनेंट कोमोडोर आर वेंकटराज शामिल थे.
सैनिकों में संजीव कुमार, के सी उपाध्याय, टिमोथी
सिन्हा, केवल सिंह, सुनील कुमार, दसारी प्रसाद, लीजू लारेंस, राजेश टूटिका,
अमित के सिंह, अतुल शर्मा, विकास ई, नरोत्तम देउरी, मलय हलदर, विष्णु वी
और सीताराम बडापल्ली शामिल हैं.