Saturday 14 February 2015

#AAPkaCM: केजरीवाल ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ,...फिलहाल ध्यान दिल्ली पर: केजरीवाल

#AAPkaCM: केजरीवाल ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

फिलहाल ध्यान दिल्ली पर: केजरीवाल

14 Feb 2015 4.42pm
आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
ऐतिहासिक रामलीला मैदान में हज़ारों लोगों की उपस्थिति में उप राज्यपाल नजीब जंग ने केजरीवाल को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.
केजरीवाल के अलावा मनीष सिसौदिया, असीम अहमद ख़ान, संदीप कुमार, सत्येंद्र जैन, गोपाल राय और जिंतेंद्र सिंह तोमर ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली.
केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया है. 'आप' ने 70 सीटों में से 67 पर जीत हासिल की है.

अरविंद केजरीवाल (मुख्यमंत्री)
मनीष सिसौदिया
असीम अहमद खान
संदीप कुमार
सत्येंद्र जैन
गोपाल राय
जितेंद्र सिंह तोमर

संबोधन

शपथ ग्रहण के बाद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार की कोशिश जल्द से जल्द जनलोकपाल विधेयक पारित करने की कोशिश करेंगे और पांच साल में दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त शहर बनाएंगे.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह उनकी बहुत इज्जत करते हैं और वह उनसे मार्गदर्शन लेकर सरकार चलाएंगे.
उन्होंने साथ ही अपने मंत्रियों, विधायकों और कार्यकर्ताओं को अहंकार से बचने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा को अपने अहंकार के कारण ही शिकस्त का सामना करना पड़ा.

दूसरी बार

दिल्ली में हो रही सांप्रदायिकता हिंसा का उल्लेख करते हुए केजरीवाल ने कहा कि इस तरह की राजनीति कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
केजरीवाल दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं.
ठीक एक साल पहले उन्होंने 14 फ़रवरी के दिन ही जनलोकपाल के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था.
दिसंबर 2013 में मिली जीत के बाद वे कांग्रेस के समर्थन से 49 दिनों तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे.

फिलहाल ध्यान दिल्ली पर: केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने यह साफ़ कर दिया है कि उनकी पार्टी दिल्ली के बाहर फ़िलहाल विस्तार नहीं करेगी. वह दिल्ली पर ही ध्यान देगी और दिल्ली के विकास के लिए काम करेगी.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद केजरीवाल ने कहा, “हमारे कुछ साथी अब कहने लगे हैं कि दिल्ली के बाहर दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ेंगे. यह उनके अहंकार की निशानी है.”
केजरीवाल के मुताबिक़, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अहंकार की वजह से ही चुनाव हारीं और इसलिए हमें इससे दूर रहना चाहिए.

केंद्र से टकराव नहीं

केजरीवाल का यह बयान पार्टी के मुख्य सिद्धांतकार माने जाने वाले योगेंद्र यादव के बयान से हटकर है.
यादव ने बीते दिनों कहा था कि दिल्ली के बाद पार्टी बिहार पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी.
चुनाव के ठीक पहले जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, भाकपा और माकपा ने दिल्ली की जनता से आम आदमी पार्टी को वोट देने की अपील की थी.
चुनाव नतीजों को भाजपा विरोधी नए राजनीतिक समीकरण के रूप में देखा गया था.
माना जाने लगा था कि आम आदमी पार्टी को भाजपा विरोधी ध्रुव के रूप में आगे बढ़ाकर केंद्र की सत्ता को चुनौती दी जा सकती है.

मिलकर काम करेंगे

पर केजरीवाल की घोषणा ने इस समीकरण को ख़ारिज कर दिया.
केजरीवाल ने इससे थोड़ा आगे बढ़कर यह ऐलान भी कर दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहते.
मुख्यमंत्री ने साफ़ शब्दों में कहा कि वह केंद्र के साथ रचनात्मक सहयोग का रवैया रखेंगे और उनके हर अच्छे काम में सहयोग करेंगे.

पूर्ण राज्य का दर्जा

केजरीवाल के मुताबिक़ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात के दौरान उनसे कहा कि वह केंद्र सरकार चलाएं और उन्हें दिल्ली की सरकार चलाने दें.
उन्होंने यह भी कहा कि आप और भाजपा दोनों ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना चाहती है. यह स्वर्णिम मौका है जब दोनों पार्टियां मिलकर दिल्ली के विकास के लिए काम करेंगी.
दिल्ली में वीआईपी संस्कृति को ख़त्म करने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि कई यूरोपीय देशों में वहां के प्रधानमंत्री आपको बस स्टैंड पर खड़े दिख जाएंगे.
केजरीवाल ने कहा कि भारत में भी ऐसी ही संस्कृति की ज़रूरत है लेकिन इसमें समय लगेगा.

Friday 13 February 2015

AAP’s Wi-Fi Delhi promise: FIRST UTURN...,Here is a reality check...शर्तें लागू: हर काम के लिए फ्री वाईफाई नहीं मिलेगा। Use Free ‪#‎wifi‬ But Without ‪#‎Facebook‬,‪#‎Twitter‬,‪#‎googleplus‬,‪#‎emails‬,‪#‎LinkedIn‬,‪#‎WhatsApp‬..ETC

AAP’s Wi-Fi Delhi promise: FIRST UTURN...,Here is a reality check...

शर्तें लागू: हर काम के लिए फ्री वाईफाई नहीं मिलेगा।
Use Free ‪#‎wifi‬ But Without #‎Facebook‬,‪ #‎Twitter‬,‪ #‎googleplus‬,‪ #‎emails‬,‪ #‎LinkedIn‬,‪ #‎WhatsApp‬...ETC

 New Delhi | Posted: February 13, 2015 3:57 pm
In a democracy there is a gap between "what you say and what people hear".

Delhi is filled with hope, and expectation, as it waits for the Aam Aadmi Party to take charge. One of the things on top of the AAP government’s agenda is its promise to make Delhi a Wi-Fi city. A good chunk of Delhi’s youth also seem to be waiting to see this promise become a reality.


However, the idea seems to have trickled down to the Delhi janta in a distorted form. As AAP ideologue Yogendra Yadav says, in a democracy there is a gap between “what you say and what people hear”.

 http://images.indianexpress.com/2015/02/aapmanifesto.jpg

There is no mention of free where the AAP manifesto mentions Wi-Fi.
Here is a reality check:

1. Will the Wi-Fi be free?
Yes and no. Yes, if you are trying to access government websites and other public services. No if you are trying to download a movie or watch a YouTube video. Like most free public Wi-fi services there will be free service for a limited period, most probably 15 minutes. There will most probably be an option to get a paid package to use the Wi-Fi beyond this time period. So don’t think of getting rid of your Internet connection for AAP’s free Wi-Fi.
2. Will the entire city be covered?
Yes. But that does not mean you will be able to connect to the network on the go. Delhi the Wi-Fi city will essentially be a city with lots of Wi-Fi hotspots. A good example is Taipei, which has one of the best public Wi-Fi systems in the world. The capital of Taiwan has over 4,000 hotspots. So essentially, the Wi-Fi in Delhi will be limited to public zones.

3. What will it cost the city?
Wi-Fi is not an expensive technology to acquire or execute. AAP MLA Adarsh Shastri says the project will cost around Rs 250 crore as they have envisaged it. The manifesto says the party has already done a feasibility study on consultation with Internet companies.
4. How long will it take?
Shastri says it will take six months from the time the contract is awarded.
5. What does AAP hope to achieve from free Wi-Fi?
The AAP manifesto says a citywide Wi-Fi can “help hugely in bridging the digital divide”. The party thinks it will also provide an “impetus to education, entrepreneurship, business, employment and also tie in with women’s safety initiatives”.
6. Can it really help women’s safety?
While the manifesto says ready access to Wi-Fi will allow the victim of an assault to reach out for help, we are not sure this will be possible unless you have coverage in all places. A lot of such attacks happen in desolate areas, which are beyond even mobile networks.

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1st ‪#‎UTurn‬ Of Arvind Kejriwal.Use Free ‪#‎wifi‬ But Without ‪#‎Facebook‬,‪#‎Twitter‬,‪#‎googleplus‬,‪#‎emails‬,‪#‎LinkedIn‬,‪#‎WhatsApp‬..ETC

HE HE... JAY HO KEJRIWAL KI...NOW HE IS COMPLETE POLITICIAN.
AB PASTAYE KYA HO JAB CHIDIYA CUNGH GAI KHE..... :)


REGARD'S- BHUPESH K MANDAL
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केजरीवाल के फ्री वाई-फाई सेवा वादे पर शर्तें लागू


केजरीवाल के फ्री वाई-फाई सेवा वादे पर शर्तें लागू
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में फ्री वाई-फाई सेवा देने का वादा किया था। लेकिन अब कहा जा रहा है कि यह सेवा कुछ शर्तों के साथ फ्री होगी।
आप नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि हर काम के लिए वाई-फाई फ्री नहीं होगा और इस पर कुछ सेवा शर्तें भी लागू होंगी। उन्होंने कहा कि हमने अपने घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया है कि फ्री वाई-फाई सेवा पब्लिक प्लेस जैसे बाजार, पार्क, सड़क, बस ट्रेन और ऐसी तमाम जगहों पर मिलेगी, जहां लोग इक्ट्ठा होते हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में यही व्यवस्था है। घर, दफ्तर, दुकान या मॉल जैसी जगहों पर सेवा नहीं मिलेगी।
सिसोदिया ने कहा कि प्राइवेट कामों, जैसे ई-मेल, फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप के इस्तेमाल नहीं किए जा सकेंगे। शुरुआती आधा घंटा फ्री इंटरनेट मिलेगा, उसके बाद प्री-पेड सिस्टम के तहत कुछ चार्ज देना होगा।
उन्होंने कहा कि इस सेवा को शुरू करने में करीब 150 करोड़ का खर्च आएगा और इसे पूरी दिल्ली में लगाए जानेवाले सीसीटीवी कैमरे से जोड़ा जाएगा।
मालूम हो कि आप ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान युवाओं के बीच फ्री वाई-फाई सेवा को खूब प्रचारित किया था और इसे लेकर कई जुमले भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उछाले जा रहे हैं।

Thursday 12 February 2015

Tweets Of Bhupesh Kumar Mandal


एक्शन में केजरीवाल, दहशत में अधिकारी,...आप के घोषणा पत्र को लागू करने का काम शुरू, 72 घंटों में दिखेगा असर... पहला लक्ष्य-सस्ती बिजली एवं पानी उपलब्ध कराना,सब्जी व खाने पीने की वस्तुओं के दामों पर लगाम,भ्रष्टाचार को दूर करना,अनधिकृत कॉलोनियों का विकास... #AAPSweep #DelhiDecides #KiskiDilli

एक्शन में केजरीवाल, दहशत में अधिकारी,...आप के घोषणा पत्र को लागू करने का काम शुरू, 72 घंटों में दिखेगा असर... पहला लक्ष्य-सस्ती बिजली एवं पानी उपलब्ध कराना,सब्जी व खाने पीने की वस्तुओं के दामों पर लगाम,भ्रष्टाचार को दूर करना,अनधिकृत कॉलोनियों का विकास
Date:Thu, 12 Feb 2015 09:35 AM (IST)
 
एक्शन में केजरीवाल, दहशत में अधिकारी
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही एक्शन में आ गए हैं। इससे अधिकारी दहशत में हैं। उन्हें नजर आने लगा है कि अब लेटलतीफी नहीं चलेगी और काम करके दिखाना होगा। केजरीवाल ने बुधवार को मुख्य सचिव दीपक मोहन स्पोलिया को तलब कर उन्हें अपना घोषणा पत्र सौंपा और 19 फरवरी तक इस पर एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया। वहीं, भावी मुख्यमंत्री की हैसियत से केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रियों से मिलने पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने उनके समक्ष दिल्ली के मुद्दे भी रख दिए।
आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनाव घोषणापत्र में 70 बिंदुओं का जिक्र किया था। ये सभी मुद्दे दिल्ली के विकास से जुड़े हैं। केजरीवाल चाहते हैं कि जो मुद्दे दिल्ली सरकार के स्तर के नहीं हैं उनके बारे में अभी से केंद्र सरकार के सामने बात रखी जाए। यही कारण है कि अभी तक केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी नहीं ली है और केंद्र सरकार से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर उन्होंने बात शुरू कर दी है। दिल्ली के लोगों की बात करें तो आप की सरकार के आने से दिल्ली की जनता बहुत उत्साहित है, मगर जनता में धैर्य भी देखा जा रहा है। लोग समझने लगे हैं कि केजरीवाल के पास जादू की छड़ी नहीं है कि एकाएक सभी चीजें ठीक हो जाएंगी।
 
घोषणापत्र के सभी 70 बिन्दू महत्वपूर्ण
आप की नीतिगत मामलों की बात करें तो पार्टी के लिए घोषणापत्र के सभी 70 बिंदू महत्वपूर्ण हैं। मगर केजरीवाल का पहला लक्ष्य भ्रष्टाचार को दूर करना है। दूसरा अनधिकृत कॉलोनियों का विकास कराना और तीसरा सस्ती बिजली एवं पानी उपलब्ध कराना है। इसके अलावा सब्जी व खाने पीने की वस्तुओं के दामों पर लगाम लगाने के लिए भी पहले चरण में काम होने जा रहा है।
 
आप की जीत से बिजली कंपनियों में घबराहट
दिल्ली के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने का वादा करने वाली आप को यहां के मतदाताओं ने प्रचंड बहुमत दिया है। इससे उन्हें सस्ती बिजली मिलने की उम्मीद तो है लेकिन उनके घरों तक बिजली पहुंचाने वाली कंपनियों में खलबली मच गई है। उन्हें यह डर सताने लगा है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अरविंद केजरीवाल उनके खातों की जांच कराने के मामले को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। इसके साथ ही दिल्ली में बिजली की दरें भी नहीं बढ़ेगी।
राजधानी में बिजली वितरण करने वाली कंपनियां (डिस्कॉम) अरविंद केजरीवाल के निशाने पर हैं। वह उन पर अनियमितता का आरोप लगाते रहे हैं और पिछली बार मुख्यमंत्री बनने पर उनके खातों की महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक (कैग) से जांच कराने का निर्देश भी दिया था, लेकिन इसमें ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। इस बारे में कैग ने दिल्ली हाई कोर्ट से शिकायत भी की थी कि बिजली कंपनियां ऑडिट में सहयोग नहीं कर रही हैं। आप नेताओं ने इस बार भी चुनाव प्रचार में बिजली कंपनियों पर निशाना साधा था। उनका कहना था कि दिसंबर, 2013 में आप की सरकार ने टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड और बीएसईएस की दोनों बिजली वितरण कंपनियों की जांच का आदेश दिया था, लेकिन बाद में इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यदि उनकी सरकार बनी तो वह जांच को आगे बढ़ाएंगे। हालांकि, बीएसईएस का कहना है कि बिजली कंपनियों के खातों की जांच का काम प्रगति पर है और वे पूरा सहयोग कर रहे हैं। बीएसईएस ने आप की जीत पर बधाई देते हुए दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करने की बात कही है। कंपनी का कहना है कि गर्मी में मांग बढ़ने पर उपभोक्ताओं को बिना किसी परेशानी के बिजली उपलब्ध कराने को तैयार है।

आप के घोषणा पत्र को लागू करने का काम शुरू, 72 घंटों में दिखेगा असर

 
आप के घोषणा पत्र को लागू करने का काम शुरू, 72 घंटों में दिखेगा असर
नई दिल्ली। दिल्ली में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद आम आदमी पार्टी के ऊपर सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली की जनता से किए 70 वादों को पूरा करने की होगी। दिल्ली के भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को दिल्ली के मुख्य सचिव डी.एम. सपोलिया को आप के 70 सूत्री घोषणा पत्र को लागू करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने को कहा जिसमें बिजली की दर में 50 प्रतिशत की कटौती, शहर में मुफ्त वाई-फाई और 10-15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल हैं।
आप नेता अशीष खेतान ने कहा कि सरकार बनाने के 48 घंटे नहीं तो 72 घंटों के अंदर हम दिल्ली की जनता को मुफ्त पानी देने के साथ और बिजली की दर में 50 प्रतिशत की कटौती करेंगे। आपको बता दें कि आप ने अपने घोषणा पत्र में दिल्ली की जनता से 70 वादे किए थे, जिसे पूरा करने की शुरुआत सरकार बनने 48 घंटे में करने की बात कही गई थी।

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि घोषणा पत्र में किए गए वादों को कैसे पूरा किया जाय, इस संबंध में प्रस्तुति तैयार करने के स्पष्ट निर्देश सभी विभागों को दिए गए हैं। बुधवार को मुख्य सचिव ने विट्ठल भाई पटेल हाउस में केजरीवाल से मुलाकात की थी।
सिसोदिया ने कहा कि हमने मुख्य सचिव से मुलाकात की और उन्हें आप का 70 सूत्री घोषणा पत्र सौंपा और संबद्ध विभागों द्वारा 19 फरवरी तक एक रूपरेखा तैयार कराने को कहा। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के लोग एक साल से बिना सरकार के थे। हमने एक साल गंवा दिया और विकास कार्य ठप रहा।


आप ने अपने घोषणा पत्र में पूरी दिल्ली में दो लाख सार्वजनिक शौचालय बनवाने, 20 नए कॉलेज स्थापित करने, निजी स्कूलों में शुल्क का नियमन करने, दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 30,000 पलंग जोड़ने और अगले पांच साल में आठ लाख नए रोजगार पैदा करने का वादा किया था।

Wednesday 11 February 2015

Valentine's Day: French emperor Napoléon Bonaparte sent his wife the most romantic love letters of all time

 Valentine's Day Weak:

French emperor Napoléon Bonaparte sent his wife the most romantic love letters of all time

>>napoleon and josephine portraits 
Happy Valentine's Day! In honor of the romantic holiday, we've decided to crown the French military and political leader Napoléon Bonaparte’s letters to his wife Joséphine de Beauharnais the most romantic in all of history.
They met in 1795 when the young General Napoléon  was 26 and Joséphine  (or Marie Josèphe Rose Tascher de la Pagerie) was 32. He was enraptured with her, and she became his mistress shortly thereafter. They married a year later in 1796.

Their love was tumultuous and passionate, jealous and all-consuming — especially on Napoléon's  end. He would often write his “adorable Joséphine ” when he was away on a campaign, sometimes as soon as he had gotten off his horse.
Here’s one of his most passionate early letters to his wife from the original French]:

Marmirolo, July 17, 1796
I got your letter, my beloved; it has filled my heart with joy. I am grateful to you for the trouble you have taken to send me news; your health should be better to-day — I am sure you are cured. I urge your strongly to ride, which cannot fail to do your good.

Ever since I left you, I have been sad. I am only happy when by your side. Ceaselessly I recall your kisses, your tears, your enchanting jealousy; and the charms of the incomparable Joséphine  keep constantly alight a bright and burning flame in my heart and senses. When, free from every worry, from all business, shall I spend all my moments by your side, to have nothing to do but to love you, and to prove it to you? I shall send your horse, but I am hoping that you will soon be able to rejoin me. I thought I loved you some days ago; but, since I saw you, I feel that I love you even a thousand times more. Ever since I have known you, I worship you more every day; which proves who false is the maxim of La Bruyère that “Love comes all at once.” Everything in nature has a regular course, and different degrees of growth.

Ah! pray let me see some of your faults; be less beautiful, less gracious, less tender, and, especially less kind; above all never be jealous, never weep; your tears madden me, fire my blood. Be sure that it is no longer possible for me to have a thought except for you, or an idea of which you shall not be the judge.
Have a good rest. Haste to get well. Come and join me, so that, at least, before dying, we could say — “We were happy for so many days!!”
Millions of kisses, and even to Fortuné, in spite of his naughtiness.
Bonaparte

Napoléon  wrote numerous letters to Joséphine , some of which were quite sexually explicit. “A kiss on your heart, and one much lower down, much lower,” he wrote in 1796. “How happy I would be if I could assist you at your undressing, the little firm white breast, the adorable face, the hair tied up in a scarf a la creole,” he wrote a few months later.

But their epic relationship was tumultuous and riddled with jealousy. Napoléon  would often accuse Joséphine  of no longer loving him and not caring enough to write him constantly. His letters range from sweepingly romantic to telling her how much he hates her, sometimes in the same letter:
I don’t love you an atom; on the contrary, I detest you. You are a good for nothing, very ungraceful, very tactless, very tatterdemalion.

I hope that before long I shall clasp you in my arms, and cover you with a million kisses as burning as if under the equator.
> napoleon crowning josephine
 "Coronation of Emperor Napoleon I and Coronation of the Empress Josephine in Notre-Dame de Paris, December 2, 1804" by Jacques-Louis David.
Despite their separate affairs with other lovers, Napoléon  crowned Joséphine  Empress of the French in 1804. But because she was unable to give him the heir he so desperately wanted, Napoléon  divorced Joséphine  five years after her coronation.


Yet even after their separation and Napoléon's  remarriage to an Austrian princess, he still insisted Joséphine  keep her titles of empress. "It is my will that she retain the rank and title of empress, and especially that she never doubt my sentiments, and that she ever hold me as her best and dearest friend."
Joséphine died of pneumonia in 1814.  Her name was Napoléon's last word on his death bed in St. Helena in 1821: "France, l'armée, tête d'armée, Joséphine”.
France, the army, the head of the army, Joséphine.

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The PIX OS Command Line Interface v1.11 1/7/08



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Tuesday 10 February 2015

वर्ग चार की जमीन पर अब नहीं होगा तीन-पांच

वर्ग चार की जमीन पर अब नहीं होगा तीन-पांच

February 11, 2015
landकैबिनेट ने लगाई मुहर, बहुगुणा खुश
देहरादून: प्रदेश में लंबे समय से वर्ग चार की जमीन के नियमितीकरण को लेकर छाया संस्पेंस आखिरकार खत्म हुआ।  मंत्रिमंडल ने बहुप्रतीक्षित वर्ग-चार की जमीन को छह श्रेणी में बांटकर नियमित करने का फैसला ले लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सरकार को चेतावनी दी थी कि इस मुद्दे को मंत्रिमंडल में नहीं लाया गया तो वह 15 फरवरी को ऊधमसिंह नगर में जनाक्रोश रैली करेंगे। सरकार के निर्णय बहुगुणा खुश हैं। सीएम हरीश रावत की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम हुई मंत्रिमंडल की बैठक में वर्ग चार की जमीन को के नियमितीकरण की प्रक्रिया को छह श्रेणियों में बांटा गया है। कुछ यूं मिलेगा मालिकाना हक
•अनुसूचित जाति, जनजाति, अंत्योदय व बीपीएल को 3.125 एकड़ तक निशुल्क
•अनुसूचित जाति, जनजाति, अंत्योदय और बीपीएल के लिए 3.125 से अधिक लेकिन 12.5 एकड़ से कम के लिए सर्किल रेट का 15%, एक साल में तीन-तीन माह में चार किस्तों में जमा होगा।
•अन्य सामान्य वर्ग को 3.125 एकड़ तक दस प्रतिशत। 3.125 एकड़ से अधिक किंतु 6.25 एकड़ तक सर्किल रेट का 25 प्रतिशत। 6.125 एकड़ से अधिक किंतु 12.5 एकड़ तक सर्किल रेट का 40%। एक साल में चार किस्तों में जमा होगा।
•शहरी क्षेत्रों में सौ वर्ग मीटर तक अनुसूचित जाति, जनजाति, बीपीएल और अंत्योदय के लिए निशुल्क और बाकी लोगों के लिए सर्किल रेट का 25%। साल में चार समान किस्तों में जमा होगा।
2006 की नीति में ये थे प्रावधान
अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए 3.125 एकड़ तक निशुल्क
•अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए 3.125 एकड़ से अधिक लेकिन 12.5 एकड़ से कम तक के लिए सर्किल रेट का 25%
•अन्य सामान्य वर्ग के लिए 3.125 एकड़ तक 10%, 6.125 एकड़ से अधिक पर 12.5 एकड़ तक सर्किल रेट का 75%
•शहरों में सभी के लिए 100 वर्ग मीटर तक सर्किल रेट का 25%

माल, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज बनाने को जमीन का झंझट खत्म
कृषिभूमि पर अस्पताल, शिक्षण संस्थान, निजी मेडिकल कालेज, शॉपिंग मॉल आदि के निर्माण के लिए 45 दिनों में एक पॉलिसी लाई जाएगी। जिसमें इनके लिए अपने आप लैंडयूज बदल जाएगा। वहीं घोषित शहरी आबादी जैसे नगर निगम, नगर पंचायतों, विकास प्राधिकरणों, औद्योगिक प्राधिकरणों के क्षेत्र में आने वाली जमीन पर कंवर्जन की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं बैंक लोन में सरकारी दस्तावेज की आवश्यकता भी नहीं होगी। सरकार भी बैंकों को सूचित करेगी। वहीं मेडिकल कालेज-विवि आदि के लिए एक जगह पर खरीदी जाने वाली एक 25 एकड़ भूमि में अगर सरकार की जमीन आती है तो उसे भी निजी भूमि के सर्किल रेट पर दिया जाएगा। चौड़ी सड़क वाली जगह पर यह लाभ नहीं मिलेगा। पहाड़ों के सीढ़ीनुमा खेत की खरीद-फरोख्त में आड़े आने वाली सरकारी पट्टी(मेड़)भी उसी सर्किल रेट पर बिकेगी जिस रेट पर समतल जमीन (किसान की) बिकेगी।
ये फैसले भी लिए
पिछले दिनों लंबी हड़ताल पर रहे राजस्व व मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों का वेतन अब नहीं काटा जाएगा। सरकार ने पहले नो वर्क नो पे के तहत इन कर्मचारियों का वेतन काटा था। अब हड़ताल के दिनों को छुट्टी में जोड़ा जाएगा।
गरदपुर स्थित चीनी मिल को बंद करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी, गढ़वाली ल्या ढुंगार हुई टैैक्स फ्री, सोशल मीडिया पर पॉलिसी मंजूर, सरकारी विज्ञापन भी मिलेगा।
राज्य के चिह्नित आंदोलनकारियों के आश्रितों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के लिए सरकार विधानसभा के अगले सत्र में विधेयक लाएगी। साठ वर्ष से अधिक के आंदोलनकारियों के पेंशन पर चर्चा ।जिलों से संख्या न आने से कोई ठोस फैसला नहीं हो सका।
मंत्रिमंडल ने रमसा शिक्षकों के वेतन में केंद्र से हुई कटौती की भरपाई करने का फैसला भी लिया है। दरअसल रसमा के तहत आउटसोर्सिंग से भर्ती शिक्षकों को करीब 12 हजार प्रतिमाह मिलते थे। केंद्र की योजना में वेतन घटाकर 9 हजार कर दिया गया है। राज्य सरकार 3 हजार के अंतर की क्षतिपूर्ति करेगी।
कुमाऊं-गढ़वाल के शिक्षकों का अंतर समाप्त ः उत्तर प्रदेश के जमाने से कुमाऊँ-गढ़वाल के शिक्षकों के बीच उच्च वेतनमान के अंतर को पाट दिया है। विद्यालयी शिक्षा में नई पेंशन स्कीम पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। आबकारी विभाग में पदोन्नति अनुपात में प्रतिशत बढ़ेगा, रायपुर में बनने वाले क्रिकेट स्टेडियम का रजिस्ट्रेशन-नक्शा शुल्क माफ, उच्च शिक्षा में सहायक प्रोफेसर, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर की तर्ज पर निदेशालय में कार्यरत शिक्षा संवर्ग के अफसरों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 करने का फैसला लिया है। अभी सिर्फ शिक्षण कार्य में लोगों को ही यह सुविधा मिल रही थी। प्रदेश की निर्माण एजेंसियों को पांच करोड़ तक की स्वीकृति अब वित्त विभाग से नहीं लेनी होगी।

तो निकल गई मोदी के करिश्मे की हवा..?.....#DelhiDecides #KiskiDilli (#AAPSweep)

तो निकल गई मोदी के करिश्मे की हवा..?


  • 1 घंटा पहले

किरण बेदी, अमित शाह, नरेंद्र मोदी, कार्टून

दिल्ली विधान सभा चुनाव में भाजपा की हार के आकलन का सबसे सटीक और शायद एकमात्र तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिमानों को परखना है.
ये उन्होंने ही अपने और अपनी पार्टी के लिए तय किए थे.
और इन परिणामों के बाद कहा जा सकता है कि जनता ने नरेंद्र मोदी के 'करिश्माई व्यक्तित्व की हवा' यथासंभव निकाल दी है.
ये सच है कि दिल्ली चुनावों से लोक सभा के आंकड़ों का कोई वास्ता नहीं. न ही इससे मोदी सरकार की स्थिरता पर कोई असर पड़ेगा. लेकिन ये भी साफ़ है कि आठ महीने में ही भारतीय राजनीति से मोदी का जादू उतर गया सा लगता है.

पढ़ें लेख विस्तार से


किरण बेदी, नरेंद्र मोदी, कार्टून
मोदी ने दिल्ली की जनता को 'नेशनल मूड' के अनुरूप भाजपा के विजय रथ पर सवार होने के लिए कहा था. दिल्ली को एक अन्य 'मोदी सरकार' चुनने का विकल्प दे दिया गया लेकिन जनता ने विन्रमता के साथ कड़ा जवाब दिया, "नहीं चाहिए, आपका बहुत बहुत शुक्रिया."
किरण बेदी की मौजूदगी और तमाम दिखावे के बावजूद भाजपा का चुनाव प्रचार मोदी-केंद्रित था. द हिन्दू अख़बार में आठ फ़रवरी को छपी ख़बर के अनुसार बेदी ने मतदान के दिन भी एक जगह कहा था, "आपके एक वोट से दो लीडर मिलेंगे. एक सेंटर में, एक दिल्ली में." कहा जा सकता है कि मोदी को इस चुनाव में एक मुकम्मल हार मिली है.
कुछ दिनों पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने कहा था कि दिल्ली के चुनाव को नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार पर जनमत के रूप में देखना सही नहीं होगा. लेकिन उसके बाद भी नरेंद्र मोदी-अमित शाह के नियंत्रण वाले धड़े ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस चुनाव में भाजपा का एक मात्र तुरुप का पत्ता उनके प्रधानमंत्री ही हैं.
मतदान से दो दिन पहले लगभग सभी प्रमुख अख़बारों में भाजपा ने पिछले आठ महीनों में केंद्र की भाजपा सरकार की उपलब्धियों का गिनाया था. चुनाव नतीज़ों से लगता है कि जनता ने भाजपा के उन सभी दावों को ख़ारिज कर दिया है.

चिर-परिचित पैंतरे विफल


नरेंद्र मोदी, भाजपा
यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भाजपा ने अपनी पुरानी चिर-परिचित चुनावी रणनीतियों और पैंतरों का इस्तेमाल किया जिनसे उसे अन्य चुनावों में जबरदस्त जीत मिली थी. पहले लोक सभा चुनाव में और उसके बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में.
भाजपा की चुनावी रणनीति मोटे तौर पर मोदी के विकास के नारे और महीन तौर पर स्थानीय सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मिश्रण से बनी है.
दिल्ली में भाजपा को पहली दिक्कत यह हुई कि इससे पहले मोदी को केंद्र या राज्य में जहाँ भी चुनावी जीत मिली वहाँ उनके कैंपेन में निवर्तमान सरकार के ख़िलाफ़ तेज़ नकारात्मक प्रचार उनका प्रमुख हथियार रहा.
दिल्ली में कोई भी निवर्तमान सरकार नहीं थी जिसके ख़िलाफ़ मोदी मुहिम चला पाते. इसके उलट, समाज का बड़ा तबका भाजपा के आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ किए जा रहे नकारात्मक प्रचार की वजह से बिदक गया.
मोदी के विकास लाने और दिल्ली पिछले 16 साल (ग़ैर-भाजपा शासन का समय) में हुई 'बर्बादी' को सही करने के उनके वादे को जनता ने स्वीकार नहीं किया.

सांप्रादायिक ध्रुवीकरण नहीं हुए


भाजपा, नरेंद्र मोदी
आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने का भी कोई मौक़ा नहीं दिया.
जब दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने उन्हें 'समर्थन' देने की घोषणा की तो आम आदमी पार्टी ने बहुत चतुराई से इसे ठुकराकर कई शंकालु वोटरों को भी अपने पक्ष में कर लिया.
दूसरी तरफ़ भाजपा ने डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम के समर्थन को स्वीकार किया जिससे संदेश गया कि पार्टी धार्मिक गुरुओं और डेराओं को तुष्ट कर रही है.
यह भी संभव है कि मध्यवर्ग के कुछ वोटरों पर अमरीकी राष्ट्रपति के भारत में बढ़ती सांप्रदायिकता को लेकर दिए गए बयानों का असर पड़ा हो.
इसमें कोई शक़ नहीं है कि दिल्ली चुनाव के नतीज़ों की गूँज पूरे देश में सुनाई देगी. क्योंकि दिल्ली में लच्छेदार भाषण देने वाले नरेंद्र मोदी, सांगठनिक कार्यों में परम-चतुर अमित शाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा संगठन, 'स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त' भाजपा और मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में 'मिशन-मोड' में काम करने वाली एक गंभीर पूर्व पुलिस अधिकारी के होने के बावजूद जनता ने केंद्र में सत्ताधारी पार्टी को नकार दिया.

व्यक्तित्व का प्रभाव


नरेंद्र मोदी, भाजपा
दिल्ली चुनाव के आख़िरी नतीजे बहुत ज़्यादा हैरान करने वाले हैं. दिल्ली के नतीज़े 2014 के लोक सभा चुनाव के नतीज़ों के अस्थाई चरित्र की तरफ़ भी इशारा करते हैं.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि दिल्ली की जनता ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में अब तक के कामकाज़ पर अपना फ़ैसला दिया है. जाहिर है अब तक मोदी प्रधानमंत्री के रूप में हवाई ज़्यादा, ठोस कम दिखे हैं.

मोदी के लिए राजनीतिक भूकंप: अमरीकी मीडिया.....#DelhiDecides #KiskiDilli (#AAPSweep)

मोदी के लिए राजनीतिक भूकंप: अमरीकी मीडिया


  • 1 घंटे पहले

किरण बेदी, नरेंद्र मोदी

अमरीकी अख़बारों ने दिल्ली चुनाव परिणामों को एक भ्रष्टाचार विरोधी छोटी सी पार्टी के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ज़बरदस्त हार के तौर पर पेश किया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे नरेंद्र मोदी के लिए एक राजनीतिक भूकंप कहा है. अख़बार का कहना है कि जहां नरेंद्र मोदी ने अपने विदेशी दौरों में एक के बाद एक कामयाबी हासिल की है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था में उनके शासन में अभी तक कोई ख़ास सुधार नज़र नहीं आया है.
अख़बार का कहना है कि भारत में हर साल एक करोड़ 20 लाख नए लोग रोज़गार पाने की दौड़ में शामिल हो रहे हैं लेकिन मोदी सरकार उनके लिए गिनी-चुनी नौकरियां ही पैदा कर पाई है. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी संदेश ने नौजवान तबके को अपनी ओर खींचा है.
साथ ही जिस नरेंद्र मोदी ने नौ महीने पहले अपनी चायवाले की छवि जनता के सामने रखकर जीत हासिल की थी, वही मोदी अब 10 लाख रूपये से ज़्यादा कीमत वाला सूट पहने नज़र आते हैं जबकि केजरीवाल "मफ़लर मैन" के नाम से जाने जाते हैं जो छवि आम आदमी के ज़्यादा करीब नज़र आती है.

वाशिंगटन पोस्ट


नरेंद्र मोदी
वॉशिंगटन पोस्ट ने भी कुछ इसी तर्ज पर लिखा है कि जहां मोदी अपने हेलिकॉप्टर में बैठकर बड़ी-बड़ी चुनाव सभाओं में पहुंचकर भाषण दे रहे थे, वहीं केजरीवाल गली-कूचों में छोटी-छोटी सभाओं में स्थानीय मु्द्दों पर बात कर रहे थे.

बराक ओबामा, नरेंद्र मोदी
चुनाव से ठीक पहले जहां मोदी मंहगे-मंहगे सूट पहनकर ओबामा के साथ चौबीसों घंटे मीडिया में नज़र आ रहे थे, वहीं केजरीवाल झुग्गी-झोपड़ियों में, तंग-गलियों में अपने सिर पर मफ़लर लपेटकर आम लोगों के साथ रिश्ता बनाने में जुटे हुए थे.
अख़बार का कहना है कि इस चुनाव को काफ़ी हद तक मोदी के राजनीतिक वर्चस्व के इम्तहान की तरह देखा जा रहा था लेकिन एक छोटी सी पार्टी ने उन्हें करारी मात दी है.

वॉल स्ट्रीट जरनल


अरविंद केजरीवाल
वॉल स्ट्रीट जरनल का कहना है कि एक भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी के हाथों मोदी को करारी राजनीतिक शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है. अख़बार का कहना है कि केजरीवाल अब एक अहम राजनीतिक मंच पर हैं और दोनों ही नेता भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ माने जाते हैं लेकिन दोनों की राजनीतिक शैली इतनी अलग है कि आनेवाले दिनों में दोनों में ख़ासा टकराव नज़र आ सकता है.
अख़बार का कहना है कि आम आदमी पार्टी की इस जीत की बदौलत आनेवाले दिनों में केजरीवाल, मोदी की आर्थिक नीतियों और दक्षिणपंथी रूझान वाली पार्टी के ख़िलाफ़ एक गठबंधन खड़ा करने की हैसियत रखते हैं.
इसके अलावा जनता ने केजरीवाल में वही विश्वास दिखाया है जो लोकसभा चुनाव में उन्होंने मोदी में दिखाया था.

चर्च
अमरीकी मीडिया में हाल के दिनों में भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िला़फ़ हुए हमलों का भी ख़ासा ज़िक्र रहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने तो इस पर काफ़ी सख़्त संपादकीय भी लिखा था.
वॉल स्ट्रीट जरनल ने लिखा है कि लोकसभा में भाजपा को मिली भारी जीत के बात हिंदूवादी ताक़तों ने एक आक्रामक रूख अपनाया, ख़ासतौर से मुसलमानों के ख़िलाफ़ और संभव है कि ये भी दिल्ली में भाजपा के ख़िलाफ़ गया हो.

लॉस ऐंजल्स टाइम्स


त्रिलोकपुरी में दंगे
लॉस एंजिलिस टाइम्स ने भी दिल्ली में चर्चों पर हुए हमले और त्रिलोकपुरी में हुए दंगों का ज़िक्र किया है और लिखा है कि शायद वोटर हिंदू कट्टरपंथियों की बढ़ती ताक़त से घबरा गए हैं.
अख़बार ने आम आदमी पार्टी के समर्थकों की एक बड़ी सी तस्वीर भी प्रकाशित की है और लिखा है- ज़ाहिर है कि नौ महीनों में मोदी ने जो आर्थिक मंत्र सामने रखा है वो दिल्ली की जनता को मुग्ध नहीं कर पाया.