Friday 5 December 2014

How to Make Icons Bigger on Windows 7 & XP or Show, hide, or resize desktop icons

How to Make Icons Bigger on Windows 7 & XP or Show, hide, or resize desktop icons



Looking at small icons on your Windows XP computer all day at your business can result in your eyes straining to see what's on the screen. This can result in headaches and over time can result in vision problems. You can make the folder icons through the Windows XP operating system larger within your computer's advanced display settings, which can be accessed through a context menu.

To resize desktop icons


Step 1 
Right-click an open area on the Windows XP desktop to open a context menu.

Step 2
Click "Properties" to open the Display Properties dialog box.

Step 3 
Select the "Appearance" tab and click "Advanced" to open the Advanced Appearance dialog box.

Step 4 
Click the "Item" drop-down menu and select "Icon."

Step 5 
Highlight the existing number in the Size field and enter your own number. You can enter any number up to 72.

Step 6 
Press "OK." The size of all the folder icons within the operating system are changed automatically.

Video Tutorial:



Show, hide, or resize desktop icons



The icons on the desktop give you quick access to shortcuts. You can show them all or hide them all, if you prefer a clean desktop. You can also resize them.


Watch this video to learn how to show, hide, or resize desktop icons (1:23)
Download Video Tutorial:
link:  

 

To show desktop icons

  • Right-click the desktop, point to View, and then click Show desktop icons.

To hide desktop icons

  • Right-click the desktop, point to View, and then click Show desktop icons to clear the check mark.

Note

  • Hiding all of the icons on your desktop doesn't delete them, it just hides them until you choose to show them again.

To resize desktop icons

  • Right-click the desktop, point to View, and then click Large icons, Medium icons, or Small icons.

    Tips

    • You can also use the scroll wheel on your mouse to resize desktop icons. On the desktop, press and hold Ctrl while you scroll the wheel to make icons larger or smaller.
    • For information on how to show or hide individual Windows icons, such as the icon for Computer or Recycle Bin, see Show or hide common icons on the desktop.

#Delhi on #HighAlert: आतंकी हमले के बाद आज कश्मीर जाएंगे सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, दिल्ली में भी रेड अलर्ट

#Delhi on #HighAlert:

आतंकी हमले के बाद आज कश्मीर जाएंगे सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, दिल्ली में भी रेड अलर्ट

  नई दिल्ली, 6 दिसम्बर 2014 | अपडेटेड: 09:23 IST

प्रधानमंत्री की रैली के 48 घंटे पहले सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग आज श्रीनगर का दौरा करेंगे. वह सेना के अफसरों के साथ सुरक्षा हालात पर समीक्षा बैठक करेंगे. साथ ही शुक्रवार को आतंकी हमले में शहीद हुए 11 जवानों को श्रद्धांजलि देंगे. कश्मीर में शुक्रवार को एक के बाद एक चार आतंकी हमलों के बाद राजधानी दिल्ली में भी आतंकी हमले का रेड अलर्ट जारी किया गया है. खुफिया एजेंसियों से मिली सूचना के बाद दिल्ली पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, स्पेशल सेल के एक डीसीपी ने सभी जिलों को आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर अलर्ट भेजा है. इस चिट्ठी में उन पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के बारे में भी बताया गया है जो स्कूल, कॉलेज, मॉल या दूसरी जगहों पर हमला कर सकते हैं.
 
हरकत में आई दिल्ली पुलिस
कश्मीर में हुए आतंकी हमलों के बाद दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी हरकत में आ गई हैं. दिल्ली पुलिस के स्वाट और एचआईटी टीमों को हवाईअड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनलों, मेट्रो स्टेशनों और मॉल जैसी जगहों पर तैनात कर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पुलिस अधिकारी औपचारिक तौर पर बढ़ी हुई चौकसी पर कुछ नहीं बोल रहे. लेकिन सूत्र बताते हैं कि गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस के टॉप अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं. इंडिया गेट और लाल किला जैसे स्थानों पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है जबकि पीसीआर वैन अहम जगहों पर तैनात की गई हैं.

 
दिल्ली में रेड अलर्ट
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘एक उत्तर भारतीय शहर में आतंकवादी हमले की संभावना के बारे में एक खुफिया सूचना मिली थी. यह संभव है कि जम्मू कश्मीर में हमले के बारे में ही ये सूचना रही होगी. राष्ट्रीय राजधानी में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है और हम किसी भी एमरजेंसी की हालत के लिए तैयार हैं.’ बगैर किसी घटना के दिन गुजरने पर दिल्ली पुलिस ने राहत की सांस ली. वहीं, पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने शाम में सभी जिलों के डीसीपी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बल की तैयारियों की समीक्षा की.

गौरतलब है कि आतंकवादियों ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में कई हमले किए जिनमें 11 सुरक्षाकर्मी मारे गए. लश्कर-ए-तैयबा का एक शीर्ष कमांडर और सात आतंकवादी भी हमलों में मारे गए. इनमें दो नागरिकों की भी मौत हो गई थी. गौरतलब है कि दो दिन बाद प्रधानमंत्री मोदी जम्मू-कश्मीर दौरे पर जा रहे हैं.

#Condolence: Jammu and kashmir army camp attacked by suspected terrorists near loc

#Condolence:
Jammu and kashmir army camp attacked by suspected terrorists near loc
Keyword : terror attack, jammu kashmir, Firing, narendra Modi, PM, Kashmir Visit, lashkar, Firing






जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमले, 11 सुरक्षाकर्मियों सहित 21 लोगों की मौत

श्रीनगर, 6 दिसम्बर 2014
ज्ममू कश्मीर में आतंकी हमला
प्रधानमंत्री के जम्मू-कश्मीर दौरे से दो दिन पहले आतंकवादियों ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में कई स्थानों पर हमले किए जिनमें 11 सुरक्षाकर्मियों सहित 21 लोगों की जान गयी. बारामूला जिले के उरी में सेना के एक शिविर पर हमले में एक लेफ्टिनेंट कर्नल सहित 11 सुरक्षाकर्मी मारे गए. इसके बाद श्रीनगर के त्राल और शोपियां में कई हमले हुए.त्राल में हमले में दो नागरिक मारे गए. घटना में लश्कर ए तैयबा का एक शीर्ष कमांडर और सात अन्य आतंकवादी भी मारे गए. जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को दूसरे चरण के मतदान में 72 फीसदी मतदान होने के तीन दिनों बाद यह घटना हुई है. श्रीनगर में सोमवार को रैली को संबोधित करने वाले मोदी ने आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए इसे ज्यादा मतदान से पैदा हुई उम्मीदों को ध्वस्त करने के लिए ‘बेतरतीब प्रयास’ बताया और देश के लिए कुर्बान होने वाले सैनिकों को सैल्यूट किया.
उरी, श्रीनगर, त्राल और शोपियां में तीसरे और चौथे चरण के तहत आगामी दस दिनों में मतदान होंगे. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उग्रावादियों ने यहां से 100 किलोमीटर दूर उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले के उरी तहसील के मोहरा में आज सुबह तीन बजकर 10 मिनट पर सेना के शिविर पर हमला बोल दिया जिसमें सेना के आठ जवान और तीन पुलिसकर्मी मारे गए. यह स्थान नियंत्रण रेखा से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

सूत्रों ने कहा कि आतंकवादी उच्च सुरक्षा वाली तोप इकाई में सुबह तीन बजकर 10 मिनट पर घुसे और कई चक्र गोलियां चलाईं जिससे आग लग गई. हमले में जख्मी सेना के चार जवान बैरक से बाहर नहीं निकल सके और उनकी झुलसकर मौत हो गई. स्थानीय पुलिस और निकटवर्ती पंजाब रेजिमेंट को संदेश दिया गया जिसने आतंकवादियों से मुकाबले के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल को रवाना किया. बहरहाल यह टीम गोलीबारी में फंस गई जिसमें पंजाब रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार और तीन अन्य सैनिक मारे गए.
जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक सहायक उपनिरीक्षक और दो सिपाहियों को भी आतंकवादियों ने मार गिराया जिन्होंने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से सोमवार या मंगलवार को घुसपैठ की होगी. मारे गए आतंकवादियों से छह एके राइफल, 55 मैगजीन, दो शॉटगन, रात में देखे जाने वाले दो दूरबीन, चार रेडियो सेट, 32 अप्रयुक्त ग्रेनेड, एक चिकित्सा किट और काफी मात्रा में युद्ध का सामान जब्त किया गया.
उरी श्रीनगर से करीब 100 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को प्रचार करेंगे. सूत्रों ने कहा कि मोदी घाटी में अपना प्रचार करेंगे जहां वह एक रैली को संबोधित करने वाले हैं.

जम्मू क्षेत्र के रजौरी में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को इसे रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को अगर इसे रोकने में समस्या आ रही है तो उन्हें भारत से वार्ता करनी चाहिए. हम उनका सहयोग करने को इच्छुक हैं.’ उन्होंने कहा कि सीमा पार से घुसपैठ जारी है और पाकिस्तान से आतंकवादी घुसकर यहां विध्वंस मचाते हैं. उन्होंने पूछा, ‘क्या पाकिस्तान इसके लिए जवाबदेह नहीं है.’
दिल्ली में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा, ‘यह संभव है कि चुनावों के कारण ऐसा हुआ हो.’ जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमला शांति एवं स्थिरता को भंग करने का ‘निराशाजनक प्रयास’ है. उन्होंने ट्विट किया, ‘एक बार फिर लगता है कि निराश आतंकवादी शांति एवं स्थिरता को बाधित करेंगे.’ पुलिस ने कहा कि हाल में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से छह आतंकवादी घाटी में घुस आए थे. हमले का ब्यौरा देते हुए सेना के अधिकारियों ने कहा कि सेना के शिविर पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की.
उन्होंने बताया कि सेना ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और नजदीक के शिविरों से भी सहायता मिली. उन्होंने कहा कि अभियान करीब छह घंटे तक चला. पुलिस ने बताया कि शहर के सौरा में लश्कर ए तैयबा का शीर्ष कमांडर कारी इसरार अपने सहयोगियों के साथ मारा गया. शहर में घुसने के प्रयास में ये आतंकवादी मारे गए. अहमदनगर के सौरा में एक जांच चौकी पर उन्होंने भागने का प्रयास किया लेकिन उनका पीछा किया गया जिसके बाद हुई मुठभेड़ में इसरार मारा गया. उससे एक एके-47 राइफल बरामद की गयी. उसी इलाके में एक घर में छिपे आतंकवादी को भी संक्षिप्त मुठभेड़ में मार गिराया गया.

कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक अब्दुल गनी मीर ने कहा कि उनके पास सूचना थी कि आतंकवादी आगामी दिनों में बड़ा हमला करने के लिए श्रीनगर में घुसेंगे. दक्षिण कश्मीर के त्राल इलाके में आतंकवादियों ने भीड़भाड़ वाले बस स्टैंड पर ग्रेनेड फेंका जिसमें दो नागरिकों की मौत हो गई और छह अन्य जख्मी हो गए. चुनाव और सोमवार को प्रधानमंत्री की प्रस्तावित रैली से पहले नगर में आतंकवादियों के और आत्मघाती हमले करने की सूचना के बाद पुलिस ने वाहनों की जांच तेज कर दी है.
एक अन्य हमले में दक्षिण कश्मीर के शोपियां में आतंकवादियों ने पुलिस के गश्ती दल पर ग्रेनेड फेंका लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. शोपियां इलाका संवेदनशील रहा है क्योंकि आतंकवादी पीरपंजाल श्रृंखला से डोडा इलाके में आते हैं और इस इलाके का उपयोग पारगमन स्थल के रूप में करते हैं. सेना ने कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में दो दिसम्बर को छह आतंकवादियों को मारकर घुसपैठ के प्रयास को विफल कर दिया था जबकि सेना का एक जवान भी मारा गया था. कुपवाड़ा जिले में मतदान के दौरान घुसपैठ का प्रयास विफल किया गया था.



एक दिन में तीन आतंकी हमलों से दहला कश्मीर, 9 जवान शहीद, 5 आतंकी ढेर, मुठभेड़ जारी #kashmir #terrorists #loc #pm #modi

एक दिन में तीन आतंकी हमलों से दहला कश्मीर, 9 जवान शहीद, 5 आतंकी ढेर, मुठभेड़ जारी


श्रीनगर, 5 दिसम्बर 2014 | अपडेटेड: 14:28 IST


Terror attack
symbolic Image
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रीनगर दौरे से दो दिन पहले जम्मू-कश्मीर में लगातार तीन आतंकी हमले हुए. ताजा हमला शोपियां में हुआ है. यहां आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड से एक पुलिस थाने पर हमला किया है. वहीं, श्रीनगर के सौरा में एक घर में छिपे आतंकी से मुठभेड़ जारी है. इससे पहले तड़के सुबह पहला हमला बारामूला के उरी सेक्टर में हुआ. यहां संदिग्ध घुसपैठियों ने सेना के एक कैंप को निशाना बनाया. यहां सेना का ऑपरेशन खत्म हो गया है. उरी में कुल 9 जवान शहीद हुए हैं और चार आतंकी मार गिराए गए हैं. शहीदों में लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के एक अधिकारी समेत सेना के सात जवान और तीन पुलिसकर्मी शामिल हैं.

श्रीनगर में एक और आतंकी हमला
वहीं श्रीनगर के सौरा स्थित 90 फीट रोड पर एक और आतंकी हमला हुआ है. यहां एक घर में दो आतंकी छिपे थे, जिनमें से एक को मार गिराया गया है और दूसरे से मुठभेड़ चल रही है. यह रिहाइशी इलाका है, इसलिए इलाके की घेराबंदी की गई है. सेना के जवान पूरी सावधानी से ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं. माना जा रहा है कि ये आतंकी मोदी की रैली के मद्देनजर शांति भंग करने यहां पहुंचे थे.


पहला हमला LoC के नजदीक
मुहुर में जिस कैंप पर हमला हुआ है वह लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के नजदीक है. खबरों के मुताबिक, आतंकी ग्रेनेड फेंकते हुए सेना के कैंप में दाखिल हुए, इस वजह से जान का ज्यादा नुकसान हुआ. कैंप में डीवाईएसपी रैंक का एक पुलिस अधिकारी भी मौजूद था, जिसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

सेना के औपचारिक बयान के मुताबिक, 'आतंकियों के एक ग्रुप ने मुहुरा कैंप पर तड़के सुबह 3 बजे हमला किया. आतंकियों ने सेना के वाहन पर हमला किया जिससे भारी नुकसान हुआ. इसमें एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए. आखिरी रिपोर्ट तक एक आतंकी भी मारा जा चुका था. ऑपरेशन अभी जारी था.'
माना जा रहा है कि हमलावर पाकिस्तान की ओर से हाल ही में आए घुसपैठिए हो सकते हैं, जिनका मकसद प्रधानमंत्री के कश्मीर दौरे और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर घाटी की शांति भंग करना हो सकता है. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में 9 दिसंबर को तीसरे चरण का चुनाव है. इस चरण में बारामूला में भी वोट डाले जाने हैं. दूसरे चरण के चुनाव के दौरान नौगाम सेक्टर में सेना ने घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश नाकाम कर दी थी. जब मुंबई में फैलाई थी आतंकियों ने दहशत
गौरतलब है कि गुरुवार को ही खुफिया एजेंसियों ने पीएम के दौरे के मद्देनजर लश्कर आतंकियों की ओर से हमले की आशंका जताई थी . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 दिसंबर को श्रीनगर और अनंतनाग जा रहे हैं. यहां वह चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे.
 jammu and kashmir army camp attacked by suspected terrorists near loc Keyword : terror attack, jammu kashmir, Firing, narendra Modi, PM, Kashmir Visit, lashkar, Firing


उत्तराखंड भर्ती घोटाला: मानवाधिकार आयोग में कार्मिकों की भर्ती में घोटाला, चोर दरवाजे से 35 कार्मिकों की असंवैधानिक भर्तियां की गई

उत्तराखंड भर्ती घोटाला: मानवाधिकार आयोग में कार्मिकों की भर्ती में घोटाला, चोर दरवाजे से 35 कार्मिकों की असंवैधानिक भर्तियां की गई

December 5, 2014
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देहरादून : उत्तराखंड राज्य मानव अधिकारी आयोग में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भर्ती में बड़े स्तर पर अनियमितताओं की बात सामने आई है। नियम-कानूनों को ताक पर रख कर चोर दरवाजे से 35 कार्मिकों की भर्तियां की गई हैं।
हैरत की बात है कि आयोग ने न तो भी भर्ती के लिए कोई विज्ञप्ति ही प्रकाशित की है और न ही कोई पारदर्शी प्रक्रिया ही अपनाई गई है। मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्य सचिव एन रविशंकर ने प्रमुख सचिव (कार्मिक) को शीघ्र जांच कर वस्तुस्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
भाजपा नेता एवं राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष रविंद्र जुगरान ने मुख्य सचिव एन रविशंकर से शिकायत करते हुए सभी  35 नियुक्तियों को असंवैधानिक बताया।  उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 का उल्लंघन किया गया। आयोग द्वारा नियुक्तियां करते समय न तो कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई और न ही समाचार पत्रों में कोई विज्ञप्ति ही प्रकाशित की गई।

जबकि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत  भारत के प्रत्येक नागरिक को विधि के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 16 लोक नियोजन में अवसर की समानता का अधिकार है, लेकिन आयोग ने इसका पालन नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग में भर्ती किए गए अधिकारियों-कर्मचारियों में बड़े स्तर पर लेन-देन हुआ है।
उन्होंने चोर दरवाजे से कई गई नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य को तत्काल प्रभाव से हटा कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, भर्ती सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति निरस्त करने, निश्चित समयावधि के भीतर भर्ती घोटाले की जांच करने, नये सिरे से आयोग के अध्यक्ष्ज्ञ एवं सदस्सय का मनोनयन के साथ ही आयोग में नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित करने की मांग की है। उन्होंने मुख्य सचिव से तत्काल नियुक्तियां निरस्त करते हुए नये सिरे से नियमों के तहत नियुक्तियां करने की मांग की है।

कश्मीर: मोदी के दौरे से पहले बड़ा आतंकी हमला, कश्‍मीर में आतंकी हमले में 10 जवान शहीद, तीन आतंकी ढेर #kashmir #terrorists #loc #pm #modi


कश्मीर: मोदी के दौरे से पहले बड़ा आतंकी हमला, कश्‍मीर में आतंकी हमले में 10 जवान शहीद, तीन आतंकी ढेर

jammu and kashmir army camp attacked by suspected terrorists near loc
 

Keyword : terror attack, jammu kashmir, Firing, narendra Modi, PM, Kashmir Visit, lashkar, Firing

 Fri, 05 Dec 2014 01:10 PM (IST)


कश्‍मीर में आतंकी हमले में 10 जवान शहीद, तीन आतंकी ढेर
श्रीनगर [राज्य ब्यूरो]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन से तीन दिन पहले सैन्य शिविर पर आतंकी हमले में 10 जवान शहीद हो गए जिसमें सेना के सात जवान और तीन पुलिसकर्मी शामिल हैं। जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकी भी मारे गए।
खबर के अनुसार, एलओसी से सटे बारामुला जिले के उड़ी सेक्टर में एक सैन्य शिविर पर आतंकी हमले में एक लेफ्टिनेंट कर्नल, एक जेसीओ, पांच सैनिक, तीन पुलिसकर्मियों समेत दस सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। मारे जाने से पहले आतंकियों ने शिविर के एक हिस्से में शस्त्र भंडार में कथित तौर पर आग भी लगा दी।
आतंकी हमले के बाद बारामुला-मुजफ्फराबाद सड़क मार्ग को आम यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। सेना ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली और हमलावर आतंकियों के अन्य साथियों की धरपकड़ के लिए सघन तलाशी अभियान छेड़ दिया है। सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं।
आतंकी हमले का निशाना बना सैन्य प्रतिष्ठान सेना की 31 फील्ड रेजिमेंट से संबधित है। यह उड़ी कस्बे से पहले मोहुरा गांव में झेलम के किनारे है। इसी शिविर से कुछ दूरी पर उड़ी जलविद्युत परियोजना भी है।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार सुबह तड़के साढ़े तीन बजे स्वचालित हथियारों से लैस तीन-चार आतंकी सैन्य प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पहुंचे और संतरी पर ग्रेनेड फेंका। उसके बाद वे स्वचालित हथियारों से फायरिंग करते हुए शिविर के अंदर दाखिल हो गए। इसके साथ ही पूरा इलाका गोलियों और बम धमाकों की आवाज से गूंज उठा।
सेना और पुलिस के जवानों ने उसी समय मौके पर पहुंचकर आतंकियों को चारों तरफ से घेर लिया। आतंकियों ने इस दौरान कथित तौर पर शिविर के एक हिस्से में शस्त्रागार में आग लगा दी। सुबह दस बजे तक सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया, जबकि दो अन्य आतंकी 11 बजे के करीब मारे गए। लेकिन तब तक 10 जवान शहीद हो गए।
हमले में शहीद हुए तीन पुलिसकर्मियों में एएसआई अली अकबर, कांस्टेबल अब्दुल मजीद, कांस्टेबल संजय के रुप में हुई है। हालांकि शहीद सैन्याधिकारियों के नाम पता नहीं चल पाए हैं, लेकिन उनमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल, एक जेसीओ और पांच जवान भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि राज्य में तीसरे चरण के तहत उरी सहित छह विधानसभा क्षेत्रों में नौ दिसंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। दो दिसंबर को इसी क्षेत्र में कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में सेना ने घुसपैठ का नाकाम करते हुए छह आतंकियों को मार गिराया था। इस ऑपरेशन में एक सेना का जवान भी शहीद हुआ था।
इस बीच, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि चुनाव के कारण आतंकी ऐसे हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेना ने जिस तरह इस आतंकी हमलों को नाकाम किया है, आगे भी वह इसे नाकाम करती रहेगी।

Thursday 4 December 2014

झारखंडः नक्सलियों ने दिया बड़े कांड को अंजाम, दो उपनिदेशक सहित चार का अपहरण

झारखंडः नक्सलियों ने दिया बड़े कांड को अंजाम, दो उपनिदेशक सहित चार का अपहरण

चाईबासा (झारखंड) | चाईबासा (झारखंड), 5 दिसम्बर 2014 | अपडेटेड: 01:52 IST
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झारखंड के चाईबासा में नक्सलियों ने बड़ी घटना को अंजाम दिया है. चाईबासा के रोरो माइंस के पास से दो सरकारी अधिकारियों सहित चार लोगों का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया है. एक दर्जन की संख्या में नक्सलियों ने हथियार के बल पर अपहरण की घटना को अंजाम दिया. चाईबासा एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने घटना की पुष्टि की है. अपहृत चार लोगों में दो उपनिदेशक हैं, जबकि दो लोग कर्मचारी हैं. ये लोग बंद पड़े रोरो माइंस का सर्वे करने गए थे. नक्सलियों ने माइंस के पास ही बंदूक के दम पर अपहरण की घटना को अंजाम दिया. दोनों सरकारी अधिकारी खान सुरक्षा महानिदेशालय में उप निदेशक के पद पर हैं. इनके नाम साकेत भारती और बीबी सटीयार है.
गौरतलब है कि नक्सलियों ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के सुकमा में सुनियोजित तरीके से हमला किया था. इसमें सीआरपीएफ के 13 जवानों की मौत हो गई थी. इसके बाद नक्सलियों ने अब झारखंड में चार लोगों का अपहरण कर लिया है. झारखंड में इस विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं.
naxals abducted 4 people including two deputy director in chaibasa jharkhand
Keyword : Jharkhand, Naxals, Deputy Director, Chaibasa, Chhattisgarh

Meet Google’s ambitious new CAPTCHA that makes it easier to prove you’re human

Meet Google’s ambitious new CAPTCHA that makes it easier to prove you’re human

4 dec 2014

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Google is today announcing an improved version of CAPTCHA that it’s calling the ‘NoCAPTCHA reCAPTCHA.’ While it sounds like a mouthful, the new service has some great benefits for users.
We’ve known CAPTCHAs for years for their awful distorted text that’s hard to read and get right a lot of the time. Google set out to fix that a year and a half ago, when it discovered that it could teach computers how to beat the traditional CAPTCHA with 99.8 percent accuracy and realized that if it could do that, so could others.
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The new noCAPTCHA reCAPTCHA is the result, which makes it easier to prove you’re a human as an end user, over typing in distorted text.
The new version simply offers a checkbox that says “I’m not a robot.” When you tick the box, Google performs a number of seamless checks using a “risk analysis engine” to determine if you’re human or not.
If the noCAPTCHA thinks you are a human, you’re done and there are no more steps; it’s really that easy. It feels like a heavensend to use, too, if you’re like me and fail at basically every CAPTCHA the first time.
If noCAPTCHA thinks you aren’t a human, you’ll be asked to fill in either a traditional CAPTCHA or a more advanced one, like picking the right image from a series of images. Google says this is much easier for mobile users, who can just tap on the option rather than squint at a tiny image.
cat captcha Meet Googles ambitious new CAPTCHA that makes it easier to prove youre human
I spoke with Vinay Shet, Product Manager for noCAPTCHA, about the technology behind the improved service, who told us that while the checkbox sounds simple, there’s really a “high degree of sophistication” going on behind the scenes.
The new risk analysis engine looks at user engagement before, during and after they click the checkbox to determine your humanity. Shet told us that the risk analysis engine “uses machine learning, that takes a number of strategies and learns what a normal user looks like so that the next time a new one comes along, we know what to look for.”
Google’s risk analysis engine technology isn’t entirely new; it touted the technology last year when it launched the new backend for noCAPTCHA, which laid the framework for this new version.
Shet was careful to tell us that not everyone will get to use the new noCAPTCHA experience, saying that a “fraction” of users will get to use it but a number will still see the traditional distorted text CAPTCHA as it learns user habits.
Developers that want to make the most of the new noCAPTCHA experience need to use a new API to implement it in to their products. Google says it’s just three lines of code which is easy to implement if you’re already using the older CAPTCHA service.
The new noCAPTCHA experience has been in testing for early adopters like Snapchat, WordPress and the Humble Bundle, with Google touting 60 percent of WordPress’ traffic seeing the new experience and 80 percent of Humble Bundle’s in just the last week.
➤ noCAPTCHA reCAPTCHA [Google]

Wednesday 3 December 2014

ISIS आतंकवादियों ने किया अपने पास न्यूक्लियर बम होने का दावा

ISIS आतंकवादियों ने किया अपने पास न्यूक्लियर बम होने का दावा
  | लंदन, 4 दिसम्बर 2014
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इराक की एक यूनिवर्सिटी से 40 किलो यूरेनियम की चोरी के मद्देनजर आईएसआईएस के पास एक खतरनाक बम होने का अंदेशा जताया गया है. 'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवादियों ने अपने पास खतरनाक उपकरण होने का दावा सोशल मीडिया पर किया है. एक ने तो यहां तक कहा है कि वह इससे लंदन में कहर बरपाएंगे. मोसूल विश्वविद्यालय से चार महीने पहले रेडियोएक्ट‍िव केमिकल की चोरी हो गई थी. पश्चिमी देशों को धमकी देने वालों में से एक ब्रिटिश नागरिक हमायूं तारिक है, जो ब्रिटेन स्थित अपने घर से 2012 में भाग गया था. यह विस्फोटकों का जानकार है. मुस्लिम-अल-ब्रिटानी उपनाम का प्रयोग करते हुए उसने ट्वीट किया, 'आईएस के पास एक खतरनाक बम है. हमें मोसूल विश्वविद्यालय से कुछ रेडियोएक्ट‍िव पदार्थ मिला था.'
इसके अलावा, अन्य जेहादियों ने भी एक विध्वंसकारी बम बना लेने का दावा किया है. सुन्नी जेहादी संगठन के इस तरह के दावे से इराक, सीरिया तथा दुनिया के अन्य भागों में आईएस से मुकाबला कर रहे सुरक्षा बलों की चिंताएं बढ़ेंगी.
यूएन में इराक के राजदूत मोहम्मद अली अलहाकिम ने महासचिव बान की-मून से कहा, 'आतंकवादी गुटों ने राज्य के नियंत्रण से बाहर के स्थल से न्यूक्लियर पदार्थ को अपने कब्जे में ले लिया है. इसका इस्तेमाल व्यापक जनसंहार के लिए किया जा सकता है.'
यदि जेहादियों का उनके पास खतरनाक बम होने का दावा सच है, तो वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जीतने में अमेरिका और उसके सहयोगियों को दिक्कतें पेश आ सकती हैं.
isis has a nuclear bomb jihadi claims 40kg of uranium stolen from iraqi university
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वाह रे BJP!!!, नक्सली हिंसा के शिकार शहीद जवानों की वर्दियां कचरे में मिलीं, 14 सुरक्षाकर्मियों की मौत के बाद उनके अवशेषों की तौहीन का मामला सामने आया है

वाह  रे  BJP!!!, नक्सली हिंसा के शिकार शहीद जवानों की वर्दियां कचरे में मिलीं
14 सुरक्षाकर्मियों की मौत के बाद उनके अवशेषों की तौहीन का मामला सामने आया है   
politics with remains of CRPF dead
शहीदों की नाकद्री के साथ सियासत का खेल
सुकमा में नक्सली हिंसा में 14 सुरक्षाकर्मियों की मौत के बाद उनके अवशेषों की तौहीन का मामला सामने आया है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां आकर जवानों के ताबूतों पर माल्यापर्ण किया था। सरकार ने इन्हें पूरा सम्मान देने की मंशा जाहिर की थी। पर एक दिन बाद ही जवानों की शहादत पर सियासत का साया दिखने लगा।
शहीदों की नाकद्री का हाल यह था कि मंगलवार को रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में जवानों के शवों के पोस्टमार्टम के बाद मृतकों की वर्दियां, और जूते कूड़े के ढेर में पड़े थे। शहीदों की यादों से जुड़ा यह सामान 24 घंटे इसी तरह कचरे में पड़ा रहा। अस्पताल मेंमरीजों के परिजनोंने इन चीजों को देखा तो स्तब्ध रह गए। बुधवार को उन्होंने इनकी तस्वीरें खींचकर पत्रकारों के पास भेज दिया।
शहीदों की नाकद्री की खबर फैलते ही राजनीति होने लगी। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस फौरन हरकत में आ गई और रायपुर के जिला कांग्रेस अध्यक्ष विकास उपाध्याय अपने कार्यकर्ताओं की टोली लेकर अस्पताल पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद वे शहीदों की खून सनी वर्दियां और अन्य संबंधित चीजें लेकर पार्टी दफ्तर ले गए और ‘सम्मानजनक’ ढंग से उनको रखा। इन लोगों ने इस बात की परवाह भी नहीं की कि किसी मृत व्यक्ति से संबंधित सामग्री पर, उसके परिजनों की अनुमति के बिना कब्जा करना भारतीय दंड संहिता के तहत चोरी का अपराध है।
बहरहाल जैसे ही यह खबर फैली, पुलिस ने कांग्रेस दफ्तर पहुंचकर मामले में दखल दिया। लेकिन नेताओं ने जवानों की इन चीजों को उन्हें देने से इनकार कर दिया। बाद में एक सीआरपीएफ कमांडेंट को लाया गया और कांगे्रस नेताओं ने इन चीजों को उनके हवाले किया।
राज्य कांग्रेस के मुखिया भूपेश बघेल ने कहा कि रमन सिंह सरकार ने शहीद जवानों से जुड़ी चीजों, खून से सनी वर्दियों को कचरे के ढेर के हवाले कर दिया था। हम उनका उचित संस्कार करने के लिए यहां लेकर आए। उधर भाजपा ने भी फौरन हरकत में आते हुए कांगे्रसियोें के इस रवैए की तीखी आलोचना की । भाजपा नेता शिवरतन शर्मा ने कांग्रेस पर लाशों की राजनीति करने का आरोप लगाया। घटना के बाद कांग्रेस ने इसे शहीदों का अपमान बताया और कहा कि शहीदों का अपमान करने वाली सरकार को एक पल भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार इसके लिए शहीदों के परिजनों और पूरे देश से माफी मांगे। जो सरकार शहीदों की स्मृतियों का सम्मान नहीं कर सकती उसे सत्ता में एक क्षण भी बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा सरकार शहीदों के अवशेषों को भी संभालकर नहीं रख सकी।
बघेल ने कहा कि मुर्दाघर के बाहर जवानों के जूते, कपड़े बिखरे पड़े हैं। शहीद जवानों की वर्दी कूड़ेदान में पड़ी मिलती है। शरीर के टुकड़ों को कुत्ते खा रहे हैं। भाजपा की सरकार में इतनी मानवता, इतनी सौजन्यता नही है कि शहीदों के अवशेषों और स्मृतियों को सम्मान के साथ रखे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के लिए यह नई बात भी नहीं है। इसके पहले शहीद जवानों के शव दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में कूड़ा गाड़ी में ढोए गए थे।
बहरहाल वर्दियों को कचरे में डालने का कसूर स्वीकार करने को कोई तैयार नहीं था।
आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक विवेक चौधरी ने ईएनएस को बताया कि यह मृतक के तीमारदारों की जिम्मेदारी होती है कि वह अवशेषों को जमा करे, पर उस समय सीआरपीएफ का कोई अधिकारी पोस्टमार्टम के दौरान अस्पताल में मौजूद नहीं था। हकीकत यह है कि बुधवार सुबह तक कोई भी इन चीजों को लेने के लिए नहीं आया। चौधरी का कहना है: हमने वर्दियां और अन्य संबंधित चीजें शवगृह में रखवा दी थीं। सुबह जब सफाईकर्मी आया तो उसने इन समानों को हटाकर बाहर रख दिया। यह सीआरपीएफ की जिम्मेदारी थी कि इन चीजों को संभालकर रखा जाता।
उधर सीआरपीएफ का कहना है कि पुलिस और अस्पताल को इन सामानों की देखभाल करनी चाहिए। सीआरपीएफ के आइजी एचएस सिद्धू का कहना है कि जब पोस्टमार्टम किया जाता है तो यह डॉक्टर की जिम्मेदारी है कि वह मृतक की चीजों को एक पैकेट में रखे। बाद में यह सामान पुलिस के हवाले किया जाता है। जब हमें खबर मिली कि कुछ लोग शहीदों की वर्दियां, सामान लेकर गए हैं तो हमने एक अधिकारी को भेजकर मामले को देखने को कहा ताकि शहीद जवानों से जुड़ी चीजें मिल जाए। यह दुर्भाग्य की बात है कि इस मामले में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
इधर, राज्य में नक्सल मामलोंं के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज ने कहा कि जवानों के शवों के पोस्टमार्टम के बाद वर्दियों को पुलिस अपने साथ ले आती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हो पाया। घटना की जानकारी मिलने के बाद सीआरपीएफ के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई और वर्दियों को वापस मंगाने के लिए कहा गया।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के उपमहानिरीक्षक प्रदीप चंद्रा ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद वर्दी को मंगा लिया गया है और इस मामले में गलती किसकी है जांच की जा रही है।
इस बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी विश्वरंजन ने इस कृत्य को शहीदों का अपमान बताते हुए कहा कि एक पुलिसकर्मी की वर्दी उसके लिए सबसे कीमती चीज होती है। उसे इस तरह फेंक देना बेहद अपमानजनक है। इन चीजों को या तो सुरक्षा दस्तों के संग्रहालय में रखना चाहिए या उनके परिजनों को सम्मान के तौर पर दे देना चाहिए। लेकिन सिद्धू का कहना है कि जवानों के सामान, वर्दियां, जूते वगैरह उनके परिजनों को नहीं दिए जाते। उनकी निजी सामग्री घर भेज दी जाती है, पर घटना के समय वे जो कुछ पहने होते है, उन्हें केस से जुड़ी सामग्री मानकर रखा जाता है।

अनिल सिन्हा CBI के नए निदेशक

अनिल सिन्हा CBI के नए निदेशक

3 दिसंबर 2014
अनिल सिन्हा को सीबीआई का नया निदेशक बनाया गया है.
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार बिहार कार्डर के 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार सिन्हा दो वर्ष तक इस पद पर रहेंगे.
वो मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए रंजीत सिन्हा का स्थान लेंगे.
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में अनिल सिन्हा के नाम को मंज़ूरी दी गई.
सीबीआई पिछले दिनों उस वक़्त विवादों में भी रही जब सुप्रीम कोर्ट ने देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के निवर्तमान निदेशक रंजीत सिन्हा से कहा कि वो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच से दूर रहें.

1971 #War: पाकिस्तानी सेना ने किया था दो लाख महिलाओं का रेप | पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बनने की कहानी | युद्ध के प्रभाव:तीस लाख लोगों की मौत,पाक की 1/2 नौसेना,1/4 वायु सेना और 1/3 थल सेना तबाह हो गई

पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बनने की कहानी

1971 war: पाकिस्तानी सेना ने किया था दो लाख महिलाओं का रेप 

युद्ध के प्रभाव:तीस लाख लोगों की मौत,पाक की 1/2 नौसेना,1/4 वायु सेना और 1/3 थल सेना तबाह हो गई

Dec 03, 2014

फोटो: पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में पाकिस्तानी फौज द्वारा आम नागरिकों का दमन। 
 
इंटरनेशनल डेस्क। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता के चलते आज ही के दिन 3 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना ने पाक फौज पर हमला बोल दिया था। 1965 की जंग के बाद यह दूसरा मौका था, जब दोनों देशों की फौजें आमने-सामने थीं। पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश की आजादी के लिए भारतीय फौज ने अमेरिका की धमकी को भी नजरअंदाज कर दिया था। अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में अपनी नौसेना का 7वां बेड़ा भारत को डराने के लिए तैनात कर दिया था। 
 
आखिर क्यों बना बांग्लादेश?
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के रूप में शुरू हुआ था। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था। पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम में बैठी केंद्र सरकार अपने तरीके से चला रही थी। उन पर भाषाई और सांस्कृतिक पांबदियां थोप दी गई थीं। इस कारण पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे। इन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फौज को इनका दमन करने के आदेश दिए। 
 
दो लाख महिलाओं के साथ रेप का दावा
इस दौरान पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग के बड़े नेता जैसे शेख मुजीर्बुर रहमान आदि को गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना द्वारा लगभग दो लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। करीब 20 से 30 लाख लोग मारे गए थे। करीब 80 से एक करोड़ लोगों ने भागकर भारत में शरण ली थी।
 
सबसे छोटा युद्ध
13 दिनों तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना से 16 दिसंबर को हथियार डाल दिए। भारतीय फौज ने करीब 90 हजार पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था। इसे सबसे कम समय तक चले युद्ध के तौर पर भी देखा जाता है।
 

कैसे हुई शुरुआत?

1971 में हुआ भारत-पाकिस्तान का युद्ध बांग्लादेश की स्थापना के लिए लड़ा गया था। सन् 1970 में पाकिस्तान में हुए चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान अवामी लीग ने 169 में से 167 सीटों पर जीत दर्ज की और शेख मुजीर्बुर रहमान ने संसद में सरकार बनाने की पेशकश की। मगर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसका विरोध किया। हालात इतने गंभीर हो गए कि राष्ट्रपति को सेना बुलवानी पड़ी। फौज में शामिल अधिकतर लोग पश्चिमी पाक के थे। पूर्वी पाक की सेना को यहां हार का सामना करना पड़ा और शेख मुजीर्बुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। बस यहीं से युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हुई।
 
भारत की भूमिका

27 मार्च, 1971 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता का समर्थन किया। भारत की सीमा पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के शरणार्थियों के लिए खोल दी गई। पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, मेघालय व त्रिपुरा राज्यों की सरकार ने इन शरणार्थियों के लिए शिविर बनाए। 


जल्द ही पूर्वी पाक के निष्कासित सैन्य अफसर और भारत के स्वयंसेवकों ने मिलकर मुक्ति वाहिनी का गठन किया, जिसने पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया। भारत ने हथियारों के माध्यम से मुक्ति वाहिनी को खुलकर समर्थन देना शुरू कर दिया। हिंसा के चलते भारत में करीब एक करोड़ शरणार्थी जमा हो चुके थे।
 
(फोटो: शेख मुजीर्बुर रहमान के साथ उनकी बेटी और वर्तमान में बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना।)
 
रिहा हुए रहमान
पाकिस्तानी सेना के समर्पण के साथ ही युद्ध समाप्त हो गया। इसके साथ ही बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बना। वह विश्व का तीसरा ऐसा देश भी बना, जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी थी। युद्ध में पाक की हार के बाद राष्ट्रपति याह्या खान ने इस्तीफा दे दिया और जुल्फिकार अली भुट्टो देश के नए राष्ट्रपति बने। उधर 10 जनवरी, 1972 को मुजीर्बुर रहमान को भी रिहा कर दिया गया।
 
भारत में करीब 90 हजार लोग बंदी बनाए गए, जिनमें पाक सैनिक और नागरिक शामिल थे। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद किसी सेना का यह सबसे बड़ा समर्पण था।
 
पाकिस्तानी जनरल एए के नियाजी अपनी सेना के आत्मसमर्पण के कागज पर दस्तख़त करते हुए। साथ में बैठे हैं जनरल जीएस अरोड़ा। 

शिमला समझौते के तहत भारत ने सभी युद्धबंदियों को रिहा कर दिया और पाक को उसकी 15 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन भी लौटा दी। तस्वीर में इंदिरा गांधी के साथ पाकिस्तानी पीएम जुल्फिकार अली भुट्‌टो। साथ में उनकी बेटी बेनजीर भुट्‌टो भी हैं।
 
युद्ध के प्रभाव
पूर्वी पाकिस्तान में दस से तीस लाख लोगों की मौत हुई। एक पाकिस्तानी लेखक तारिक अली के मुताबिक, पाक की आधी नौसेना, एक-चौथाई वायु सेना और एक-तिहाई थल सेना तबाह हो गई।
  पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिक एक व्यक्ति के खतने की जांच करता हुआ।
 
इस युद्ध में पाकिस्तान को कुल 63 विमानों का नुकसान हुआ, जबकि भारत के कुल 56 विमान नष्ट हुए। वहीं, शरणार्थी भी भारत के लिए समस्या बन गए थे। 

ढाका के पास मीरपुर में पाकिस्तानी सेना द्वारा किया नरसंहार।
 

   
 

Tuesday 2 December 2014

#Editorial: जन धन के दावे और हकीकत

#Editorial: जन धन के दावे और हकीकत


इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां भी जाते हैं जन धन योजना का जिक्र करने से नहीं चूकते। वे गर्व से बताते हैं कि किस तरह उनकी सरकार अगले साल छब्बीस जनवरी तक साढ़े सात लाख बैंक खाते खोलना चाहती थी लेकिन लगभग आठ करोड़ खाते तो नवंबर के अंत तक ही खुल चुके हैं। वे बताते हैं कि कैसे इस योजना के तहत बैंक खाता खुलवाने वाले को पांच हजार के ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलेगी, एक लाख रुपए के दुर्घटना बीमा और तीस हजार रुपए के जीवन बीमा का लाभ मिलेगा। लेकिन वे यह बताना भूल जाते हैं कि ये सभी लाभ उन्हें ही मिलेंगे जिनके पास रुपे डेबिट कार्ड होगा और जिनके खातों में छह महीनों में कम से कम एक बार पैसों का लेन-देन होगा। सच्चाई यही है कि अभी तक जितने बैंक खाते खुले हैं उनमें से छह करोड़ खातों में एक भी पैसा नहीं है और लगभग आधे लोगों के पास रुपे डेबिट कार्ड नहीं है। यानी ये लोग प्रधानमंत्री जन धन योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं।
यह बात हम नहीं कह रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने दस पेज का एक नोट तैयार किया है। इसमें बताया गया है कि लक्ष्य से कहीं अधिक संख्या में बैंक खाते जरूर खोले जा रहे हैं लेकिन इसमें संगति का अभाव है। जहां बैंक खातों को प्राथमिकता के आधार पर खोला जाना चाहिए वहां रफ्तार सुस्त दिखाई दे रही है। सरकार की तरफ से तैयार किया गया नोट बताता है कि तैंतीस जिले ऐसे हैं जहां पचास फीसद जनता तक भी पहुंचा नहीं जा सका है।
अरुणाचल में 29 फीसद, अंडमान-निकोबार में 38 फीसद जनता तक ही सरकार पहुंच पाई है। केरल और गोवा में शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंचने में जरूर कामयाबी हासिल हुई है। मोदी आस्ट्रेलिया में जोर-शोर से बता रहे थे कि जन धन योजना के तहत छह हजार करोड़ रुपए जमा हुए हैं। लेकिन सच तो यह है कि 7.5 करोड़ खातों में से 5.7 करोड़ खातों में शून्य बैंलेंस है। यानी करीब तीन चौथाई खाताधारकों के खातों में एक भी पैसा नहीं है।
इसके अलावा एक अन्य समस्या यह है कि 4.4 करोड़ रुपे कार्ड अभी तक दिए गए हैं जो खुद लक्ष्य का तैंतालीस फीसद है। लेकिन इसमें से भी 1.5 करोड़ कार्ड ही एक्टीवेट किए गए हैं। परेशानी यह है कि जब तक ये कार्ड एक्टीवेट नहीं होंगे तब तक इन्हें दुर्घटना बीमा के तहत लाभ नहीं दिया जा सकता। बैंकों के सामने सबसे बड़ी समस्या यही है कि उन्हें खाताधारकों को कार्ड देने हैं और साथ ही कार्ड को एक्टीवेट भी करना है। इस योजना के तहत सबसे बड़ी चुनौती सुदूर ग्रामीण इलाकों तक पहुंचने की रही है।
ऐसे चौहत्तर हजार गांवों तक पहुंचने का लक्ष्य था लेकिन अक्तूबर के अंतिम सप्ताह तक सिर्फ 2827 गांवों तक पहुंचा जा सका है। एक लाख तीस हजार बिजनेस कारस्पोंडेट (बीएस) ऐसे दुर्गम इलाकों में लगाने का लक्ष्य था जहां हजार से डेढ़ हजार परिवार रहते हैं। इनमें से 1 लाख 15 हजार बीएस तो रख लिए गए हैं लेकिन करीब चौदह हजार परिवारों तक पहुंचना बाकी है। ये बीएस एक तरह से चलते-फिरते बैंकों का काम करेंगे जहां बैंक खोलना संभव नहीं है। इन बीएस को कमीशन दिया जाएगा और हर महीने एक निश्चित तनख्वाह दिए जाने का प्रस्ताव है।
प्रधानमंत्री ने पंद्रह अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए सभी तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने का वादा किया था। इसके कुछ दिन बाद जन धन योजना घोषित कर दी गई। यों पहली बार इस तरह की पहल नहीं हुई।
इससे पहले, यूपीए सरकार ने वित्तीय समावेशन के नाम से नोफ्रिल यानी मामूली रकम से खुल जाने वाले खाते खोलने का अभियान चलाया था। पर बाद में पाया गया कि बहुत सारे नोफ्रिल खाते निष्क्रिय रहे। यही जन धन योजना में भी देखने में आया है।
जिस तरह से जन धन योजना का प्रचार-प्रसार किया गया उससे लोगों को लगा कि हर किसी को पांच हजार रुपए का ओवरड्राफ्ट निकालने का मौका मिलेगा। तब आशंका भी जाहिर की गई थी कि पहले से ही वित्तीय संकट से रूबरू हो रहे बैंकों को सत्तर हजार करोड़ रुपए के संभावित घाटे की तरफ धकेला जा रहा है। अब कहा जा रहा है कि ओवरड्राफ्ट के लिए सख्त नियम बनाए जाएंगे। छह महीनों तक जिनके खाते ठीक ढंग से चलन में होंगे वही इस सुविधा के हकदार होंगे। यानी आसान शब्दों में कहा जाए तो जिन लोगों ने पांच हजार रुपए के ओवरड्राफ्ट के लालच में खाते खुलवाए हैं उन्हें कम से कम छह महीने इंतजार करना पड़ेगा।
उधर विपक्ष इसे अभी से मुद््दा बना रहा है। झारखंड के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार कर रहे राहुल गांधी लोगों से पूछ रहे हैं कि जन धन योजना के तहत खाता खुलवाने के बाद उनके खाते में पांच हजार रुपए जमा हुए हैं या नहीं। राहुल का इस तरह से तथ्यों को तोड़ना अगर गलत है तो मोदी की तरफ से भी पांच हजार के ओवरड्राफ्ट का बिना शर्तों के प्रचार-प्रसार करना भी उतना ही गलत है। दोनों अपने-अपने तरीके से राजनीति करते ही नजर आ रहे हैं।
जन धन योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर-शोर से कहा था कि खाता खुलवाने वालों को तीस हजार रुपए का जीवन बीमा कवर मिलेगा। इस उम्मीद में भी बहुत-से लोगों ने अपने खाते खोले, लेकिन अब साफ किया गया है कि इस योजना का फायदा अठारह से साठ साल के लोगों को ही मिलेगा। वित्त मंत्रालय का कहना है कि उनसठ साल की उम्र में अगर किसी ने खाता खुलवाया तो उसे केवल एक साल के लिए इसका फायदा मिलेगा। बताया गया है कि केंद्र और राज्य सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारी इसके दायरे में नहीं आएंगे। एक घर से एक ही सदस्य इसका फायदा उठा सकेगा। आयकर देने वाले और यहां तक कि टीडीएस देने वाले भी इसके दायरे से बाहर रखे गए हैं।
इसके अलावा जिस किसी के पास भारत सरकार की तरफ से प्रायोजित बीमा योजना की पालिसी होगी उन्हें भी जन धन योजना के तहत तीस हजार रुपए की जीवन बीमा योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा। यहां तक कि किसी भी तरह की जीवन बीमा पालिसी रखने वाले भी हाशिए पर रखे गए हैं। जानकारों का कहना है कि इन शर्तों के लागू होने पर पचास फीसद खाताधारकों को ही इस योजना का लाभ मिल सकेगा। सवाल उठता है कि एक परिवार से केवल एक सदस्य को इसका लाभ दिया जा रहा है। जन धन योजना के तहत खाता खुलवाने वाले ज्यादातर परिवार वालों में पति-पत्नी दोनों ही कमाते हैं। ऐसे में एक को हाशिए पर डालना कहां तक उचित है?
जन धन योजना के तहत एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा लाभ भी दिया गया है। लेकिन यह प्रावधान 31 मार्च, 2015 तक के लिए ही है। इसके बाद इस योजना की समीक्षा करने की बात कही गई है, यानी इस योजना को इसी रूप में आगे जारी रखे जाने की सौ फीसद गारंटी नहीं है। जानकारों का कहना है कि ये दो योजनाएं जन धन योजना के तहत बैंक खाता खुलवाने का एक बड़ा आकर्षण थीं और अगर दोनों में ही लाभ को संकुचित कर दिया जाता है तो फिर मोदी की मनपंसद योजना को झटका लग सकता है।
जानकारों का यह भी कहना है कि जितनी बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले जा रहे हैं उस संख्या पर भी संदेह करने के कारण हैं। बहुत-से लोगों ने पहले से ही बैंक खाता होने के बाद भी नया खाता खुलवा दिया है। इस तरह दोहरे खाते खुल गए हैं। कागजों में तो सबके खाते खुल जाएंगे लेकिन क्या इस योजना का लाभ वास्तव में उस गरीब आदमी तक पहुंच पाएगा जो मोदी की नजर में बैंक की सीढ़ियां नहीं चढ़ सकता था, जिसका खाता खुलता नहीं था और जो विकास से वंचित था।
दरअसल, जन धन योजना का असली मकसद तो सबसिडी को सीधे नकदी के रूप में देना है। सीधे जरूरतमंद के बैंक खाते में डालना है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है लेकिन सरकार की नीयत साफ होनी चाहिए। कॉरपोरेट जगत को तो सरकार ने पिछले वित्तीय साल में पौने छह लाख करोड़ रुपए कर-रियायतों के रूप में दिए। जबकि कॉरपोरेट जगत सबसिडी को ऐसी खैरात के रूप में देखता है जो केवल गरीब को दी जाती है। कॉरपोरेट जगत को मिलने वाली सरकारी मदद को ‘इंसेटिव’ कहा जाता है!
सरकार का कहना है कि सबसिडी जरूरतमंद तक पहुंचती नहीं है, एक रुपया पहुंचाने में ढाई रुपए खर्च हो जाते हैं। यह तर्क अपनी जगह सही है, लेकिन खाद्य सुरक्षा कानून के तहत देश की सड़सठ फीसद आबादी को तीन रुपए किलो की दर से मिलने वाले चावल, दो रुपए किलो की दर से गेहूं और एक रुपए किलो की दर से मिलने वाले मोटे अनाज को भी नकदी के रूप में दिए जाने की योजना सरकार बना रही है। जानकारों का कहना है कि ऐसा करना किसानों के हित में नहीं होगा।
अभी सरकार को हर साल खाद्य सुरक्षा कानून के लिए छह करोड़ बीस लाख टन अनाज चाहिए। यह अनाज सरकार सरकार किसानों से खरीदती है और हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा भी करती है। अब अगर सरकार सवा लाख करोड़ रुपए की खाद्य सुरक्षा योजना में सबसिडी सीधे नकद रूप में जरूरतमंदों को दी गई, तो फिर सवाल उठता है कि क्या सरकार किसानों से अनाज खरीदना कम कर देगी? तब जरूरतमंद को सबसिडी मिलेगी और वह सीधे बाजार से अनाज खरीद सकेगा। जानकारों का कहना है कि ऐसा करने पर किसानों के हित मारे जाएंगे। हैरत की बात है कि एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी किसानों को उनकी उपज की लागत से पचास फीसद ज्यादा मूल्य देने की बात अपने घोषणापत्र में कर चुकी है तो दूसरी तरफ उसकी सरकार किसानों के हितों को जोखिम में डाल रही है