Friday, 18 April 2014

INTERVIEW: Nobel India Venkatraman(नोबेल विजेता):- भारत को वैज्ञानिक शक्ति बनने से रोक रहा है भ्रष्टाचार

INTERVIEW: Nobel India Venkatraman(नोबेल विजेता):-  भारत को वैज्ञानिक शक्ति बनने से रोक रहा है भ्रष्टाचार


हाल ही में लंदन में हुए एशियाई पुरस्कार कार्यक्रम में जाना हुआ. समारोह देर तक चला, रात के करीब 11 बज चुके थे और मैंने निकलने के लिए अपना सामान बाँध लिया था. लेकिन तभी मेरी नज़र कोने में गेरुए रंग का कुर्ता पहने चश्मे वाले एक व्यक्ति पर गई. उनके चेहरे पर धीमी सी मुस्कान थी. भीड़ में होते हुए भी वे अकेले से ही थे.
अचानक अख़बारों में देखी उनकी तस्वीर दिमाग़ में कौंधी और सामान वहीं गिरा मैं जा पहुँची उनसे बात करने. मेरे सामने नोबेल पुरस्कार विजेता वेंटकरमन रामाकृष्णन खड़े थे.
करीब पाँच साले पहले भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक वेंटकरमन रामाकृष्णन को संयुक्त रूप से 'मॉलिक्यूलर बायोलॉजी' में काम के लिए नोबेल पुरस्कार पुरस्कार मिला था. प्यार से लोग उन्हें वेंकी बुलाते हैं. उन्होंने  विशेष बात की.
आज जहाँ भारत को उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति माना जाता है वहीं विज्ञान में भारत का नाम ज़्यादा नहीं लिया जाता.
विज्ञान और शोध के क्षेत्र में आप तभी तरक्की कर सकते हैं जब आर्थिक आधार बहुत मज़बूत हो. आप सोचिए कि अमरीका भी आर्थिक महाशक्ति बनने के बाद ही वैज्ञानिक शक्ति बना. अगर पैसा न हो, आधारभूत ढाँचा न हो तो वैज्ञानिक शोध पीछे छूट जाता है. साथ ही इसके लिए वैज्ञानिक उद्यमशीलता की परपंरा की ज़रूरत होती है जो ब्रिटेन जैसे देशों में हैं. इस सबमें वक्त लगता है. भारत को भी लगेगा. हाँ मैं ये ज़रूर मानता हूँ कि भारत में पिछले 20 सालों में पहले के मुकाबले वैज्ञानिक तरक्की हुई है. मैं काफ़ी आशावान हूँ.

लेकिन वजह क्या है भारत के पीछे छूटने की.
भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या है भ्रष्टाचार. लोगों को भर्ती करने तक में भ्रष्टाचार है. चंद उच्च वैज्ञानिक संस्थानों में ऐसा नहीं होता है लेकिन नीचे की ओर जाएँ तो ये समस्या दिखती है. इसे सुलझाना होगा. दूसरी बड़ी समस्या है आधारभूत ढाँचा. अगर रहने को घर नहीं है, बच्चों के लिए अच्छे स्कूल नहीं है तो अच्छे हुनरमंद लोगों को देश में रख पाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे कई भारतीय होंगे जो विदेशों से वापस भारत आना चाहेंगे और विज्ञान के क्षेत्र में काम करना चाहेंगे. लेकिन अगर रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इतनी दिक्कते होंगी तो वे शायद भारत नहीं आएँगे.
चीन कहाँ खड़ा दिखता है भारत के मुकाबले ?
चीन भारत से मीलों आगे निकल चुका है. मैं एक ही बार चीन गया हूँ लेकिन वहाँ की सुविधाओं, प्लानिंग को देखकर मैं हैरान रहा गया. लेकिन भारत के पक्ष में एक बात ज़रूर जाती है और वो है यहाँ की ओपन सोसाइटी. यहाँ सबको अपनी बात रखने का हक़ है, बहस करने का हक़ है और लोगों को इसके नकारात्मक नतीजे नहीं भुगतने पड़ते. ऐसे खुले माहौल में आप सृजनात्मक होकर काम कर सकते हैं. अगर भारत अपनी कुछ समस्याओं को सुलझा ले तो बहुत आगे तक जा सकता है.
नोबेल पुरस्कार के बाद आपकी ज़िंदगी कैसे बदली है ?
आप चाहें तो शोहरत और अवॉर्ड आपकी ज़िंदगी बदल सकते हैं. लेकिन मैं तो वैसा ही हूँ. मैं आज भी अपनी प्रयोगशाला चलाता हूँ. मेरे पास आज भी गाड़ी नहीं है. हम पहले की तरह आज भी अच्छे शोधपत्र छापते रहते हैं. ज़िंदगी पहले जैसी ही है.
(रामाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के चिदंबरम में हुआ था. उन्होंने बड़ौदा विश्वविद्यालय और फ़िर ओहायो, कैलिफ़ोर्निया और सैन डियागो के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की. उन्हें 2010 में पद्म विभूषण की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था)

Hacking News ICICI Bank: your icici statement can be accessed online by anyone :::: आईसीआईसीआई बैंक की सुरक्षा प्रणाली में गंभीर खामी , नेट-बैंकिंग लॉग-इन किए बगैर अपनी निजी जानकारियों की बदौलत खाते का स्टेटमेंट हासिल

Hacking News ICICI Bank: 

your icici statement can be accessed online by anyone 

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आईसीआईसीआई बैंक की सुरक्षा प्रणाली में गंभीर खामी , नेट-बैंकिंग लॉग-इन किए बगैर अपनी निजी जानकारियों की बदौलत खाते का स्टेटमेंट हासिल

Fri, 18 Apr 2014 03:27 PM (IST)
ICICI Bank | bank statement | online banking | | |

नई दिल्ली। आईसीआईसीआई बैंक की सुरक्षा प्रणाली में बड़ी खामी उजागर हुई है। इंटरनेट के जरिए कोई भी व्यक्ति इस बैंक के किसी भी खातेदार का स्टेटमेंट हासिल कर सकता है।
आईसीआईसीआई देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है जिसकी शाखाएं दुनियाभर में हैं, लिहाजा सुरक्षा प्रणाली में इस कमजोरी का खामियाजा लाखों ग्राहकों को उठाना पड़ सकता है।
आईसीआईसीआई बैंक के वरिष्ठ महाप्रबंधक और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस एवं ब्रांड प्रमुख सुजीत गांगुली ने कहा कि उन्हें सुरक्षा प्रणाली में इस तरह की खामी की जानकारी नहीं है। बाद में बैंक के एक प्रतिनिधि ने बताया कि यह समस्या ठीक करने का काम फौरन शुरू कर दिया गया है।
रिसर्च से जुड़े एक स्वतंत्र सूत्र ने बताया कि उसने नेट-बैंकिंग लॉग-इन किए बगैर अपनी निजी जानकारियों की बदौलत खाते का स्टेटमेंट हासिल कर लिया। हालांकि वह इस तरीके से एक ग्राहक का स्टेटमेंट हासिल नहीं कर पाया, लेकिन तीन अन्य ग्राहकों के स्टेटमेंट हासिल कर लिए। बाद में इस दावे की पुष्टि कर ली गई।
हालांकि यह बताना जरूरी है कि इस तरीके से केवल बैंक खाते का स्टेटमेंट देखा जा सकता है, कोई लेन-देन नहीं किया जा सकता है, लिहाजा इस मामले में घबराने की जरूरत नहीं है। फिर भी यदि कोई अन्य व्यक्ति खाते का मासिक स्टेटमेंट हासिल करने में कामयाब होता है, तो भी यह चिंता का विषय है क्योंकि उसमें सभी वित्तीय लेन-देन के साथ नाम और पता भी होता है।

Thursday, 17 April 2014

Watch video- मोदी को विनाश पुरुष: उमा भारती :::: Congress releases video of Uma Bharti attacking Narendra Modi

Watch video- मोदी को विनाश पुरुष: उमा भारती 

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Congress releases video of Uma Bharti attacking Narendra Modi

Tags: #Narendra Modi #Elections 2014 #Congress #Uma Bharti #Gujarat model #Modi vs Uma #Abhishek Manu Singhvi
Thursday, April 17, 2014 6:16 PM
Uma Bharti 
 
The AICC had plans to release the video on Wednesday but it was put off as the CD player failed to work.
ENI Bureau

New Delhi:
Mining out fresh ammunition for a prospective slugfest, Congress on Thursday released a three-year-old video clip in which senior party leader Uma Bharti has purportedly described Narendra Modi as an agent of destruction and his development claims of Gujarat as a "sham".

In the audio-visual presentation, Bharti who was then heading Bharatiya Janshakti Party after parting ways from BJP, says that she never saw "Hindus so frightened as in Gujarat" and that "Gujarat has become a fear stricken state".

The video CD, which Congress spokesperson Abhishek Singhvi admitted was of a period when Bharti was not in the BJP, shows the firebrand leader debunking the development claims of the Gujarat Chief Minister as well his Hindutva pitch.

"I know him since 1973... He is not a Vikas Purush but a Vinash Purush. His claim of GDP growth and the uplift of people from the BPL to APL category is fake...In the last five years, Gujarat became a bigger debter. Gujarat got neither Ram nor Roti. It should be freed from the Vinash Purush.

..."It is media which has made Modi so big, inflated the balloon. Since it is who have inflated the balloon, you will have to deflate it," Bharti says in the video.

Latching to the video clip, Singhvi said while it is true that Bharti was not in the BJP, when she said this the fact also remains that she was "not saying these things in the middle of an election speech" and hence there has to be some truth in what a senior leader like he says.

"If somebody does not make such remarks during election days, it means there is more truth in that... She has not rejected so far what she had said. These comments on the BJP's prime ministerial candidate were made by a senior leader like Bharti," Singhvi said.

Replying to questions on why the party released this CD in the middle of the election, Singvi said that though this was not the primary focus of the AICC press conference it does show that "there are thousands of such persons in the BJP, who consider Narendra Modi a dictator, a Vinash Purush and his claims about the development of Gujart are fake."

The AICC had plans to release the video on Wednesday but it was put off as the CD player failed to work.

Union minister Anand Sharma, who is senior spokesman of the party, was planning to show to the media the CD which showed the BJP PM candidate and his party in poor light.

But with the CD repeatedly showing "incompatibility" on a large TV screen, the presentation was postponed. The CD is of 2011.

watch video: https://www.youtube.com/watch?v=8lwtSIZzBfY#t=77


The CD was shown after the Congress spokesperson finished his suo motu press conference in which placed Modi in league with dictators like Hitler, Musolini, Edi Amin and Zia Ul Haq. (With agency inputs)


कांग्रेस लाई वीडियो, मोदी को विनाश पुरुष बता रही हैं उमा

नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज बीजेपी की ही तर्ज पर नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने के लिए एक वीडियो का सहारा लिया। वीडियो उमा भारती की एक प्रेसवार्ता का है जिसमें वो नरेंद्र मोदी को विकास पुरुष नहीं बल्कि विनाश पुरुष की संज्ञा दे रही हैं। वीडियो तब का है जब उमा बीजेपी से बाहर हो गई थीं और अपनी अलग पार्टी बना चुकी थीं।
वीडियो में उमा भारती कह रही हैं कि गुजरात एक भयमुक्त राज्य हो गया है। ये नरेंद्र मोदी की देन हैं। यहां का हिंदू इतना डरा हुआ कभी नहीं था। उमा ने कहा कि मैं अपने मोटा भाई(नरेंद्र मोदी) को वर्ष 73 से जानती हूं। वो विकास पुरुष नहीं हैं, विनाश पुरुष हैं और उन्होंने गुजरात का विनाश किया है।
उमा ने कहा कि जिस जीडीपी का मोदी दावा कर रहे हैं, वो फर्जी है। जब गुजरात में स्त्री भी असुरक्षित रही और हिंदू और मुसलमान दोनों भयभीत रहे तो लॉ एंड ऑर्डर कहां रहा। गुजरात को न राम मिले, न रोटी।
गौरतलब है कि हाल ही में उमा ने मोदी के अच्छा वक्ता न होने की बात कहकर विरोधियों को मोदी और बीजेपी पर हमले का एक मौका दे दिया था। इसके बाद ये भी खबर आई कि उमा भोपाल से चुनाव लड़ना चाहती हैं लेकिन पार्टी उन्हें एमपी से दूर ही रखना चाहती है और झांसी में रोकना चाहती है।
इसके बाद रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए उमा भारती का नाम उछाला गया लेकिन उमा ने ये शर्त रखकर पार्टी को बैकफुट पर धकेल दिया कि वे रायबरेली से लड़ने के लिए झांसी सीट नहीं छोड़ेंगी।
वैसे ये पहला मौका नहीं है जब किसी पार्टी ने विरोधियों पर हमले के लिए उन्हीं के नेता का वीडियो इस्तेमाल किया हो। इससे पहले बीजेपी ने भी आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को नरेंद्र मोदी के कहे मुताबिक पाक एजेंट साबित करने के लिए प्रशांत भूषण के पुराने बयान दिखाए थे, जिसपर काफी हंगामा मचा था।

फ़ौज के ख़िलाफ़ खड़ी मणिपुर की विधवाएं:::: सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून (आफ़्स्पा) क़ानून के ख़िलाफ़ विधवाएं :::: शादी के कुछ ही साल बाद पति की अचानक मौत, कंधों पर बच्चों की ज़िम्मेदारी और माथे पर अलगाववादी की पत्नी होने का कलंक.

फ़ौज के ख़िलाफ़ खड़ी मणिपुर की विधवाएं

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 सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून (आफ़्स्पा) क़ानून के ख़िलाफ़ विधवाएं 

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शादी के कुछ ही साल बाद पति की अचानक मौत, कंधों पर बच्चों की ज़िम्मेदारी और माथे पर अलगाववादी की पत्नी होने का कलंक.




क़तार के आख़िरी. मणिपुर की एडिना. एडिना के मुताबिक उनके पति की मौत सुरक्षा बलों की गोली से हुई.
शादी के कुछ ही साल बाद पति की अचानक मौत, कंधों पर बच्चों की ज़िम्मेदारी और माथे पर अलगाववादी की पत्नी होने का कलंक.

एक क़ानून के ख़िलाफ़ विधवाएं


"मणिपुर में कई विधवाएं एक क़ानून से जंग लड़ रही हैं, जो उनके पतियों से उनको जुदा कर रहा है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि आफ़्सपा क़ानून के चलते अब तक कई लोग फ़र्ज़ी मुठभेड़ का शिकार हुए हैं. "
मणिपुर में ऐसी सैकड़ों विधवाएँ हैं. 25 से 35 साल की उम्र की वो महिलाएँ जिनका आरोप है कि सेना और पुलिस ने उनके बेकसूर पति को अलगाववादी बताकर फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मार दिया.
एडिना 28 साल की थीं जब उनके पति की मौत हो गई. उन्होंने लव मैरिज की थी.
तब शादी को महज़ छह साल हुए थे. बड़ा बेटा अविनाश और छोटी बेटी एंजलीना स्कूल जाते थे.
एडिना के पति इंफ़ाल में ऑटो चलाते थे. एडिना बताती हैं कि उन्हें टीवी पर आ रही ख़बरों से पता चला कि उनके पति की मौत हो गई है.
उनके मुताबिक़ उनके पति को सुरक्षा बलों ने गोली मारी थी. छह साल बीत गए हैं पर दर्द अब भी ताज़ा है. मुझसे बात करते-करते एडिना रो पड़ती हैं.
उन्होंने कहा, “मैं उनके बारे में और नहीं सोचना चाहती. बहुत दर्द होता है. उनकी मौत के सदमे की वजह से मुझे लकवा मार गया था. मुझे ठीक होने में एक साल लग गया, अब मैं अपने बच्चों के लिए हिम्मती होना चाहती हूँ.”

अलगाववादी का कलंक

एडिना कहती हैं कि उनके पति एक ज़िम्मेदार बेटा, पति और पिता थे, उनका किसी अलगाववादी गुट से कोई संबंध नहीं था.
क़तार के आख़िरी. मणिपुर की एडिना के पति . एडिना के मुताबिक उनके पति की मौत सुरक्षा बलों की गोली से हुई.

सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून (आफ़्स्पा)

राज्य में सक्रिय 25 अलगाववादी गुटों से निपटने के लिए मणिपुर में कई दशकों से सेना तैनात है. सुरक्षाबलों को सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून के इस्तेमाल की छूट है, जिसके तहत उनके ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इस क़ानून की आड़ में कई मासूम फर्ज़ी मुठभेड़ों में मारे गए हैं.
लेकिन पति की मौत का दर्द एक तरफ़ और ज़िंदगी जीने की चुनौतियाँ अलग. एडिना पर अपने दो बच्चों को बड़ा करने की ज़िम्मेदारी है.
वो बताती हैं कि उनके पति पर अलगाववादी होने की तोहमत लगने की वजह से उन्हें विधवा पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं का फ़ायदा नहीं मिला.
अब अपने मां-बाप और भाई की मदद से एक छोटी सी दुकान में पान, नमकीन, बिस्कुट और जूस जैसी चीज़ें बेचती हैं.
मोहब्बत की नींव पर बसाया उनका आशियाना जो उजड़ा है तो अकेलेपन के बादल छंटने का नाम ही नहीं लेते.
एडिना मुझसे कहती हैं, “मैं दोबारा शादी करना चाहती हूँ पर मैं विधवा हूं तो मेरा अच्छे कपड़ा पहनना भी लोगों को बुरा लगता है, दोबारा शादी तो दूर की बात है. महिलाओं के समान अधिकार सब किताबी बातें हैं, असलियत कुछ और ही है.”

आफ़स्पा का विरोध

मणिपुर में आफ़स्पा कानून के जरिए सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार दिए गए हैं.

इरोम शर्मिला –आयरन लेडी ऑफ़ मणिपुर

ऑफ़्सपा के विरोध का सबसे जाना-पहचाना चेहरा हैं इरोम शर्मिला. साल 2000 में 28 साल की इरोम शर्मिला ने इस क़ानून को मणिपुर से हटाने की मांग के साथ अनशन शुरू किया. उन्हें तब आत्महत्या की कोशिश के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. तबसे इरोम न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें नाक में पाइप के ज़रिए जबरन खाना खिलाया जा रहा है. 14 साल से इरोम की मांग वहीं है और क़ानून भी अपनी जगह है.
मणिपुर में 25 से ज़्यादा अलगाववादी गुट सक्रिय हैं. इनसे निबटने के लिए तैनात सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार दिए गए हैं और प्रदेश में कई दशकों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून यानी आफ़स्पा लागू है.
इसके तहत सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इस क़ानून की आड़ में कई मासूम फ़र्ज़ी मुठभेड़ों में मारे गए हैं.
मणिपुर से कांग्रेस के सांसद डॉक्टर मेन्या मानते हैं कि इस क़ानून का दुरुपयोग हुआ है और कई आयोग इसे मणिपुर से हटाने की सिफ़ारिश कर चुके हैं, डॉक्टर मान्या की निजी राय में इस क़ानून को अब तक हटा दिया जाना चाहिए था.
डॉक्टर मेन्या के मुताबिक़ इस व़क्त ज़रूरत है मणिपुर में सुशासन की ताकि क़ानून व्यवस्था सुधरे और सेना की मदद की ज़रूरत कम हो.
मणिपुर में एडिना और दूसरी विधावाओं का संघर्ष
ये और बात है कि लंबे समय से मणिपुर में और केंद्र में कांग्रेस की सरकार है, पर न हालात ऐसे हो पाए हैं कि सेना की तैनाती हटाई जाए और न ही सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून को हटाने पर सहमति बन पाई है.

आफ़स्पा का समर्थन करने वालों का तर्क है कि सेना प्रभावी तरीक़े से अपना काम कर सके इसके लिए ज़रूरी है कि उन पर नागरिक क़ानूनों की बंदिश न हो क्योंकि सेना वैसे ही इलाक़ों में तैनात की जाती है जहाँ युद्ध जैसी स्थिति हो.

न्याय की उम्मीद

डॉक्टर मेन्या, कांग्रेस सांसद, मणिपुर

"मेरी निजी राय में यह सख़्त क़ानून है और इसे मणिपुर से हटाया जाना चाहिए. कई आयोग भी इसे हटाने की सिफ़ारिश कर चुके हैं. रक्षा मंत्रालय का मानना है कि सेना को शहरी इलाक़ों में काम करने का तजुर्बा नहीं होता, इसलिए उन्हें विशेष सुरक्षा की ज़रूरत होती है और यह क़ानून उन इलाक़ों में अनिवार्य है जहां सेना तैनात है. मेरे ख़याल से इस व़क्त सबसे ज़रूरी है कि मणिपुर में प्रशासन बेहतर हो और क़ानून व्यवस्था सुधरे, ताकि सेना की ज़रूरत कम हो जाए."
इस सबके बीच मणिपुर की विधवाओं का संघर्ष जारी है. एडिना और उसके जैसी कई युवा विधवाएँ और कुछ ऐसी महिलाएँ एकजुट हुई हैं जिन्होंने अपने पतियों और बेटों को कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ों में खोया है.
एक दूसरे के साथ हिम्मत जुटाकर और मानवाधिकार संगठनों की मदद से अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मणिपुर में मुठभेड़ के 1500 से ज़्यादा मामलों की जाँच की माँग की है.
इन्हीं में से एक नितान कहती हैं कि संगठन बनने से ज़िंदगी को न सिर्फ़ एक नई दिशा और उम्मीद मिली है बल्कि अंदर से टूटा आत्मविश्वास भी जुड़ने लगा है.
पर न्याय की उम्मीद करने वाली ये महिलाएं राजनेताओं से बिल्कुल नाउम्मीद हैं.
नितान कहती हैं कि वोट देने जाएँगी मगर बदलाव की उम्मीद के बिना, “पहले तो सब नेता कहते हैं कि मणिपुर से आफ़स्पा क़ानून हटा देंगे लेकिन जीतने के बाद कोई नहीं कहता, इसलिए बिल्कुल मन नहीं करता वोट देने का.”
एडिना भी नितान से सहमत हैं. कहती हैं कि राजनीति से ज़्यादा उन्हें न्यायालय पर ही भरोसा है.
इनके संगठन की एक बैठक में जब मैं और सदस्यों से मिली तो कइयों ने कहा कि वे अभी तक तय नहीं कर पाई हैं कि वोट डाले भी या नहीं, फिर कुछ ने कहा कि अब न्याय के लिए आवाज़ उठाने की हिम्मत की है तो वोट भी ज़ाया नहीं होने देंगी.
इनमें से कई महिलाएँ अपनी नाराज़गी और हताशा घर बैठकर नहीं, बल्कि इस बार नोटा का बटन दबाकर ज़ाहिर करने की सोच रही हैं.

No guilty feeling about Gujarat riots, says Modi

No guilty feeling about Gujarat riots, says Modi

Keywords: Narendra Modi, Modi Hindu nationalist remark, Godhra carnage, post-Godhra riots, 2002 Gujarat riots, Sabarmati Express fire, BJP

Updated: July 13, 2013
  • When asked in an interview as to who was the “real Modi” — Hindu nationalist or a pro-business CM — Gujarat Chief Minister Narendra Modi said “there is no contradiction between the two. It’s one and the same image.” File photo
    When asked in an interview as to who was the “real Modi” — Hindu nationalist or a pro-business CM — Gujarat Chief Minister Narendra Modi said “there is no contradiction between the two. It’s one and the same image.” File photo
  • In this July 10, 2013 photo, Gujarat Chief Minister Narendra Modi greets devotees during the Lord Jagannath rath yatra in Ahmedabad. When asked as to who was the “real Modi” — Hindu nationalist or a pro-business CM — he said “there is no contradiction between the two. It’s one and the same image.”
    AP In this July 10, 2013 photo, Gujarat Chief Minister Narendra Modi greets devotees during the Lord Jagannath rath yatra in Ahmedabad. When asked as to who was the “real Modi” — Hindu nationalist or a pro-business CM — he said “there is no contradiction between the two. It’s one and the same image.”

My government used its "full strength" to "do the right thing"

Defending himself against accusations over the 2002 riots, Gujarat Chief Minister Narendra Modi has said his government used its “full strength” to “do the right thing” and he had no guilty feeling.
In an interview to the newswire Reuters, he said people had the “right to be critical in a democracy,” but he did not have any guilty feeling. He said he was sad about the riots, adding he would be sad even if a “puppy” came under a car.
“... any person if we are driving a car, we are a driver, and someone else is driving a car and we’re sitting behind, even then if a puppy comes under the wheel, will it be painful or not? Of course, it is. If I’m a Chief Minister or not, I’m a human being. If something bad happens anywhere, it is natural to be sad,” Mr. Modi said to a question whether he regretted the riots.
“Up till now, we feel that we used our full strength to set out to do the right thing,” he said.
“People have a right to be critical. We are a democratic country. Everyone has his own view. I would feel guilty if I did something wrong. Frustration comes when you think ‘I got caught. I was stealing and I got caught.’ That’s not my case,” he said. 

‘Clean chit from SIT’
Mr. Modi also contended that the Supreme Court-appointed Special Investigation Team had given him a clean chit. “India’s Supreme Court is considered a good court today in the world. The Supreme Court created a Special Investigation Team and topmost, very bright officers who oversee the SIT. That report came. In that report, I was given a thoroughly clean chit, a thoroughly clean chit.”
This is the first interview to a news organisation by Mr. Modi after he was made chief of the BJP’s election campaign committee, an appointment which is being seen as an unofficial declaration that he is leading the party for the 2014 Lok Sabha elections.
He has emerged as a strong contender for Prime Minister from the main Opposition, though the controversies over the riots refuse to die down.


Narendra Modi Interview:  
फांसी चढ़ जाऊंगा पर 2002 के गुजरात दंगों के लिए   माफी नहीं मांगूंगा: नरेंद्र मोदी
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A Sad Story Of Victim in Gujrat Riot: 

RespectBilqis  (A Painful Sad Story On Riots 2002): 

I Salute Bilqis And Also All Indian need to salute here with lot of Respect...She is a Victim of Group-Rape in Gujrat Riots 2002...Read how she Struggling with life 

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बिलक़ीस उस वक़्त गर्भवती थीं. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया..."जब मुझे होश आया, तब  मेरा बलात्कार हो चुका था...मैंने मेरी छोटी बेटी सालेहा को भी वहीं देखा. वह मेरी जान थी, लेकिन तब उसमें जान नहीं बची थी...मैं घर से जान बचाने के लिए निकली बड़ी मुश्किल से मैं पास वाले टीले पर चढ़ गई. वहां किसी जानवर की छोटी सी गुफ़ा थी, चौबीस घंटे मैंने वहां काटे...नहीं कहलाना बिलक़ीस बानो की औलाद

#RespectBilqis 

#GujratRiot2002 

#FraudToBilqis

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एडमिरल रॉबिन धोवन ने नौसेना प्रमुख के पद पर कार्यभार संभाला

एडमिरल रॉबिन धोवन ने नौसेना प्रमुख के पद पर कार्यभार संभाला

 
 
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एडमिरल रॉबिन धोवन ने नौसेना प्रमुख के पद पर कार्यभार संभाला






नई दिल्ली: सरकार ने नौसेना के वरिष्ठतम अधिकारी वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा की सीनियारटी को किनारे करते हुए नौसेना उप प्रमुख  एडमिरल  आर के धवन को आज नया नौसेना प्रमुख बनाने की घोषणा कर दी। ऐडमिरल धवन ऐडमिरल डी के जोशी के स्थान पर नौसेना प्रमुख बनाये गये हैं  जिन्होंने नौसेना के एक के बाद एक कई हादसों की जिम्मेदारी लेते हुए 27 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

ऐडमिरल सिन्हा नौसेना की पश्चिमी कमान के प्रमुख हैं जहां नौसेना में अधिकतर दुर्घटनाएं हुईं थीं। संभवत: इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी वरिष्ठता को किनारे किया गया है। उनका कार्यकाल अभी अगस्त तक बकाया है। ऐडमिरल जोशी के त्यागपत्र के बाद ऐडमिरल धवन ही नौसेना प्रमुख का कामकाज देख रहे थे।

फांसी चढ़ जाऊंगा पर 2002 के गुजरात दंगों के लिए माफी नहीं मांगूंगा: नरेंद्र मोदी

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फांसी चढ़ जाऊंगा पर माफी नहीं मांगूंगा: नरेंद्र मोदी


अहमदाबाद: साल 2002 के गुजरात दंगों के लिए माफी मांगने से एक बार फिर इंकार करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर उनके खिलाफ आरोपों में रत्ती भर भी सच्चाई हो तो उन्हें सरेआम फांसी पर लटका दिया जाए। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि माफी मांगने से कोई मकसद पूरा नहीं होगा क्योंकि ऐसे आरोपों से निपटने के लिए यह सही रास्ता नहीं है। 
मोदी से गोधरा बाद दंगों के लिए माफी मांगने के बारे में पूछा गया था जिसमें 1000 से अधिक लोग मारे गए थे। मोदी ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि अगर इन आरोपोंं में रत्ती भर भी सचाई है तो मैं महसूस करता हूं कि भारत के उज्जवल भविष्य और परंपरा के लिए मोदी को चौराहे पर फांसी पर चढ़ा देना चाहिए। सजा ऐसी होनी चाहिए कि आने वाले 100 बरस में किसी को ऐसा अपराध करने का साहस न हो।’’

Narendra Modi Interview: 

No guilty feeling about Gujarat riots, says Modi

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A Sad Story Of Victim in Gujrat Riot: 

RespectBilqis  (A Painful Sad Story On Riots 2002): 

I Salute Bilqis And Also All Indian need to salute here with lot of Respect...She is a Victim of Group-Rape in Gujrat Riots 2002...Read how she Struggling with life 

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बिलक़ीस उस वक़्त गर्भवती थीं. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया..."जब मुझे होश आया, तब  मेरा बलात्कार हो चुका था...मैंने मेरी छोटी बेटी सालेहा को भी वहीं देखा. वह मेरी जान थी, लेकिन तब उसमें जान नहीं बची थी...मैं घर से जान बचाने के लिए निकली बड़ी मुश्किल से मैं पास वाले टीले पर चढ़ गई. वहां किसी जानवर की छोटी सी गुफ़ा थी, चौबीस घंटे मैंने वहां काटे...नहीं कहलाना बिलक़ीस बानो की औलाद

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#GujratRiot2002 

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Wednesday, 16 April 2014

Noida Authority on Acton:Seals Two Towers of Supertech In Noida Sctor 93A :::: सुपरटेक से घर खरीदने वालों पर आफत , निर्माण कार्य पहले ही बंद , चार जगहों पर लगाई सील...सीलिंग के बाद अब प्राधिकरण हाईकोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग गिराने के उपायों पर भी विचार कर रहा है।

Noida Authority on Acton:
Seals Two Towers of Supertech In Noida Sctor 93A
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सुपरटेक से घर खरीदने वालों पर आफत , निर्माण कार्य पहले ही बंद , चार जगहों पर लगाई सील...सीलिंग के बाद अब प्राधिकरण हाईकोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग गिराने के उपायों पर भी विचार कर रहा है।
निर्माण कार्य पहले ही बंद

निर्माण कार्य पहले ही बंद


नोएडा प्राधिकरण ने मंगलवार को सेक्टर 93ए स्थित सुपरटेक के एमरॉल्ड कोर्ट के दो टावर एपेक्स और सियान को सील कर दिया और बिल्डिंग को अपने कब्जे में ले लिया। दोपहर करीब ढाई बजे यह कार्रवाई की गई। वहां रहने वाले मजदूरों को निकाल दिया गया है।

इससे पहले दोपहर करीब 12 बजे प्राधिकरण के सीईओ रमा रमण की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें बिल्डिंग को सील करने का निर्णय लिया गया।

करीब ढाई बजे प्राधिकरण की टीम मौके पर पहुंच गई। सबसे पहले वहां रहकर काम करने वाले मजदूरों को बाहर किया गया। हालांकि निर्माण कार्य हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही बंद है।


चार जगहों पर लगाई सील


चार जगहों पर लगाई सील
मजदूरों को बाहर करने के बाद चार जगहों पर सील लगा दी गई। करीब साढ़े तीन बजे तक यह कार्रवाई चली। सीलिंग के बाद अब प्राधिकरण हाईकोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग गिराने के उपायों पर भी विचार कर रहा है।

हालांकि बिल्डर यदि उससे पहले सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश ले आता है तो गिराने की कार्रवाई रुक सकती है। वहीं, जानकारों का मानना है कि इस सीलिंग से यह पुष्टि हो जाती है कि बिल्डर ने स्वीकृत नक्शा और प्लान के मुताबिक निर्माण नहीं किया है।


RespectBilqis (A Painful Sad Story On Riots 2002): I Salute Bilqis And Also All Indian need to salute here with lot of Respect...She is a Victim of Group-Rape in Gujrat Riots 2002...Read how she Struggling with life :::: बिलक़ीस उस वक़्त गर्भवती थीं. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया..."जब मुझे होश आया, तब मेरा बलात्कार हो चुका था...मैंने मेरी छोटी बेटी सालेहा को भी वहीं देखा. वह मेरी जान थी, लेकिन तब उसमें जान नहीं बची थी...मैं घर से जान बचाने के लिए निकली बड़ी मुश्किल से मैं पास वाले टीले पर चढ़ गई. वहां किसी जानवर की छोटी सी गुफ़ा थी, चौबीस घंटे मैंने वहां काटे...नहीं कहलाना बिलक़ीस बानो की औलाद

RespectBilqis  (A Painful Sad Story On Riots 2002): 

I Salute Bilqis And Also All Indian need to salute here with lot of Respect...She is a Victim of Group-Rape in Gujrat Riots 2002...Read how she Struggling with life 

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बिलक़ीस उस वक़्त गर्भवती थीं. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया..."जब मुझे होश आया, तब  मेरा बलात्कार हो चुका था...मैंने मेरी छोटी बेटी सालेहा को भी वहीं देखा. वह मेरी जान थी, लेकिन तब उसमें जान नहीं बची थी...मैं घर से जान बचाने के लिए निकली बड़ी मुश्किल से मैं पास वाले टीले पर चढ़ गई. वहां किसी जानवर की छोटी सी गुफ़ा थी, चौबीस घंटे मैंने वहां काटे...नहीं कहलाना बिलक़ीस बानो की औलाद

 बुधवार, 16 अप्रैल, 2014 को 07:27 IST तक के समाचार 

#RespectBilqis 

#GujratRiot2002 

#FraudToBilqis


बिलक़ीस बानो
‘सालेहा अब पंद्रह साल की होती. अगर वह सब न हुआ होता.’
सालेहा बिलक़ीस बानो की पहली बेटी थीं. वो मार्च 2002 में हुए गुजरात दंगों के वक़्त दो साल की रही होंगी.
सिर्फ़ सालेहा की हत्या नहीं हुई, बल्कि 2002 में गर्भवती बिलक़ीस के साथ दंगाइयों ने सामूहिक बलात्कार भी किया.
बिलक़ीस बानो गुजरात दंगों की दरिंदगी के शायद सबसे बड़े पीड़ितों में से एक हैं, चश्मदीद गवाह भी और वह सबूत भी, जो किसी तरह जिंदा रह गए - अपनी दास्तां बयां करने के लिए.
बिलक़ीस बानो उन छह करोड़ गुजरातियों में से एक हैं, जिनके विकास के दावे के साथ नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

तस्वीरों में: बिलक़ीस का परिवार


"बिलक़ीस बानो गुजरात के दंगों की दरिंदगी की शायद सबसे बड़ी शिकार हैं. कैसे बने बिलक़ीस और उनका परिवार क़तार के आख़िरी?"
बिलक़ीस आज तीन बच्चों की मां हैं. इस मुलाक़ात के वक़्त उनके पति याक़ूब भाई और छोटी बेटी उनके साथ थे.
गुजरात में कहीं एक छोटा सा घर है. ड्रॉइंगरूम में दो कुर्सियाँ, एक शेल्फ़ जिसमें बच्चों के खिलौने, स्कूल की कॉपी-किताबें हैं. उन्होंने मुझसे कहा कि इस शहर का नाम मत लिखना.
जब मैं उनसे मिलने पहुँची, तो बिलक़ीस के दो बच्चे स्कूल गए थे. उनकी बेटी मां को हिदायत दे गई थी कि हमारे नाम मत बताना और छोटी की तस्वीर मत खींचने देना. मां को सलाह देने वाली ये बच्ची 12 साल की है.

बच्चे जानते हैं कि क्या हुआ था?

वे बताती हैं, "बड़ी बेटी अभी 12 साल की है. वह तो रिलीफ़ कैंप से निकलते ही पैदा हुई और यही सब सुनकर बड़ी हुई है. बच्चे नहीं चाहते कि स्कूल वग़ैरह में लोग जानें कि वे बिलक़ीस के बच्चे हैं. उन्हें डर है कि उनके साथ कुछ बुरा हो जाएगा. पड़ोसियों के साथ उनका बात-व्यवहार है, पर वो बिना काम किसी से ज़्यादा बात नहीं करते."
बिलक़ीस बानो जब मुझे यह सब बता रहीं थीं, तो उनके चेहरे पर एक तरह की उदासीनता थी और आंखों में सूनापन, मानो किसी और के बारे में बात कर रही हों. बिना अपना संतुलन, अपना आपा खोए, बिना ग़ुस्सा हुए, बिना आंसू छलकाए.
बिलक़ीस बानो
शायद इसलिए कि वह यह सब इन 12 सालों में पता नहीं कितनी बार कहां-कहां दुहरा चुकी होंगी! शायद इसलिए कि जब ज़िंदगी इतने ख़ौफ़नाक रास्तों से गुजरती है, तो उसे साफ़ देख पाने के लिए अपनी भावुकता से उबरना ज़रूरी हो जाता है.

बेटी की हत्या, सामूहिक बलात्कार

गुजरात दंगे

गुजरात के गोधरा इलाक़े में 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रहे 59 लोगों की ट्रेन में जलाकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद गुजरात के कई इलाक़ों में दंगे भड़क गए. एक के बाद एक इलाक़े और बस्तियां इसकी चपेट में आते गए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ इन दंगों में कुल 687 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ जिसमें से 600 करोड़ की संपत्ति मुसलमानों की थी. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ दंगों में कुल 1267 लोग मारे गए. दंगों में महिलाओं पर हमले के 185 मामले सामने आए. बच्चों पर हमले के 57 मामले और बलात्कार के 11 मामले सामने आए. दंगों की जांच के लिए नानावती आयोग का गठन मार्च 2002 में तीन महीने के लिए हुआ, जिसकी कार्यावधि 16 बार बढ़ाई गई.
उन्होंने बताया, "जब हमारा गाँव रणधीकपुर जलने लगा, तब तक हमें पूरे वाकये के बारे में कुछ पता भी नहीं था. मैं अपने ससुराल वालों के साथ, जिनमें ज़्यादातर औरतें थीं, किसी सलामत (सुरक्षित) जगह पर जाने के लिए निकली.''
''गांव के सरपंच से मदद मांगी, लेकिन वहां कोई आस नहीं दिखी. नंगे पांव हम कुवाझैर गांव गए. तब मेरी ननद को पूरे नौ महीने का गर्भ था. गांव में एक दाई के घर डिलीवरी करवाई और पूरी रात वहां की मस्जिद में छिपकर रहे.
12-13 घंटों की लड़की को लेकर हम दूसरे दिन आगे के गांव पहुंचे. वहां के कुछ लोगों ने बच्ची को देखा और आसरा दिया. पता नहीं कैसे दंगाखोरों को पता चल गया और वो सब वहां आ गए. हमने वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन उस भीड़ के सिर पर ख़ून सवार था. उन्होंने सबको काट दिया, औरतों के कपड़े फाड़ दिए."
बिलक़ीस उस वक़्त गर्भवती थीं. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. उस बारे में बयान करते वक़्त वह पहली बार मुझे थोड़ी असहज होती दिखीं.
उन्हीं के शब्दों में, "जब मुझे होश आया, तब मेरे शरीर पर सिर्फ़ पेटीकोट था. मेरा दुपट्टा, ब्लाउज़ सब फट चुका था. आसपास देखा, तो उन सबकी लाशें दिखाई दीं, जिनके साथ मैं घर से जान बचाने के लिए निकली थी. मैंने मेरी छोटी बेटी सालेहा को भी वहीं देखा. वह मेरी जान थी, लेकिन तब उसमें जान नहीं बची थी. बड़ी मुश्किल से मैं पास वाले टीले पर चढ़ गई. वहां किसी जानवर की छोटी सी गुफ़ा थी, चौबीस घंटे मैंने वहां काटे."
बिलक़ीस बानो ने मुझसे कहा, "वे तीन लोग थे. गांव के थे. मैं जानती थी उनको. उन्होंने मेरी बच्ची को पटककर मार दिया, मेरी पहली बेटी. क़रीब दो घंटे बाद मुझे होश आया. एक रात गुफ़ा में काटने के बाद मैं नज़दीक के गांव में पहुंची, तो वहां भी सब मुझे मारने के लिए तैयार थे, लेकिन मैंने तब आदिवासी गुजराती में बात की. पानी मांगा, दुपट्टा और ब्लाउज़ मांगे."

गगन सेठी, सामाजिक कार्यकर्ता

बिलक़ीस बानो का संघर्ष बताता है कि इस देश में क़ानून व्यवस्था का कांटा ग़रीबों की ओर नहीं झुका है. अगर आप शासन समर्थित दंगे के शिकार होते हैं, तो फिर आपकी लड़ाई और मुश्किल हो जाती है. बिलक़ीस के साथ दरिंदगी हुई. बच्ची को मार डाला गया. उसका घर-बार उजड़ा. वह मानसिक रूप से टूट गई थी लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. कुछ साल गुमनामी में बिताने के बाद वह हिम्मत के साथ फिर खड़ी हुई. उसने शासन व्यवस्था को हिला दिया. यह उसके लिए मुश्किल भरा इसलिए भी था क्योंकि वह पढ़ी-लिखी और संपन्न तबक़े से नहीं थी. मगर उसके हौसले ने बताया कि एक आम हिंदुस्तानी औरत क्या कर सकती है.
इसके बाद जब वहां बिलक़ीस ने एफ़आईआर दर्ज करवाने की कोशिश की, तो पुलिस ने मना कर दिया. बहुत कहने पर एफ़आईआर तो लिखी, लेकिन क्या लिखा वह अनपढ़ बिलक़ीस को नहीं बताया गया.
एक दिन बाद वह गोधरा रिलीफ़ कैंप में पहुँची. जहां वह तीन-चार महीने रहीं. उनके पति याकूब भाई 15 दिन बाद वहां पहुंचे. बिलक़ीस और याकूब के बीच कभी भी उनके साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में बात नहीं हुई.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मदद से बिलक़ीस का केस महाराष्ट्र लाया गया. इस मामले में बलात्कार के अभियुक्तों को सज़ा सुनाई गई. फ़ैसला होने में छह साल लग गए.
"हमने कोर्ट से फ़ैसला आने से पहले इतनी बार घर बदले हैं कि बच्चों की पढाई भी ठीक से नहीं हो पाई. घर मिलने में भी बहुत दिक़्क़तें होती थीं. आज भी हम किसी को आसानी से अपना पता नहीं बताते हैं."

2002 के बाद वोट नहीं किया

चुनाव के बारे में क्या विचार है? यह पूछते ही बिलक़ीस कहती हैं, "हमने तो 2002 के बाद वोट ही नहीं डाला. गांव में वापस जाएंगे, तो पता नहीं क्या हो जाएगा!”
बिलक़ीस बानो
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना पर वे कहती हैं, “ये मुसलमानों के लिए ठीक नहीं होगा. हमारा तो सरकार पर से विश्वास ही उठ गया है. 12 साल हो गए उस हादसे को, लेकिन न कोई हमदर्दी है, न माफ़ी मांगी है किसी ने. सिर्फ़ बच्चों के लिए ज़िंदा हैं, वरना तो पता नहीं हम क्या करते. डर भी लगता है, ग़ुस्सा भी आता है."
सरकार या लोकतंत्र से भरोसा भले ही उठ चुका हो, लेकिन अपने बच्चों की आँखों में झलकते प्यार पर बिलक़ीस को ज़रूर भरोसा है. वही बच्चे जो बिलक़ीस की औलाद नहीं कहलाना चाहते.

Tuesday, 15 April 2014

WARNING !!! Sony for Laptop: Sony ने जारी की चेतावनी, बंद करें Vaio का इस्तेमाल बैटरी हो सकती है ब्लास्ट :::: Sony Vaio Flip Pc Can Burn Users

WARNING !!! Sony for Laptop: Sony ने जारी की चेतावनी, बंद करें Vaio का इस्तेमाल बैटरी हो सकती है ब्लास्ट :::: Sony Vaio Flip Pc Can Burn Users

Apr 15, 2014, 13:37PM IST


गैजेट डेस्क। सोनी ने अपने यूजर्स के लिए एक अलर्ट जारी की है। कंपनी के अनुसार सोनी वायो फिट 11A/Flip लैपटॉप का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को उनका गैजेट इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई है। कंपनी ने कहा है कि जिन भी यूजर्स के पास ये गैजेट है उन्हें तुरंत इसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। इसका कारण गैजेट का ओवरहीट होना बताया जा रहा है। 
 
सोनी की इस अलर्ट में बताया गया है कि कंपनी का ये गैजेट नॉन रिमूवेबल बैटरी के साथ आता है। ये बैटरी किसी अन्य कंपनी के जरिए सोनी को मिलती है। कंपनी का कहना है कि जो लोग 11A/Flip को इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें जलने का खरता हो सकता है। इस गैजेट की बैटरी इतनी गर्म हो जाएगी की लोग जल सकते हैं। 
 
आगे जानिए कौन से मॉडल का इस्तेमाल करना है बंद और कैसा है सोनी का ये लैपटॉप-
 
 
Sony ने जारी की चेतावनी, बंद करें Vaio का इस्तेमाल बैटरी हो सकती है ब्लास्ट

इस मॉडल नंबर का इस्तेमाल ना करें-
 
कंपनी के अनुसार अगर आपको पास इस पीसी का मॉडल नंबर SVF11N13CXS है तो उसे तुरंत बंद कर दें और मशीन को ऑन ना करें। सोनी फिलहाल इन पीसी को यूजर्स से वापस लेने की प्लानिंग कर रहा है और इन्हें सुधारने या रीप्लेस करने की बात कही जा रही है। सोनी के अनुसार इस प्रोग्राम की घोषणा कंपनी दो हफ्तों के अंदर कर देगी। इसके लिए कंपनी ने एक नंबर भी जारी किया है। 866-702-7669 इस नंबर पर फोन लगाकर यूजर्स अपना पीसी कंपनी को वापस कर सकते हैं।
   

Sony ने जारी की चेतावनी, बंद करें Vaio का इस्तेमाल बैटरी हो सकती है ब्लास्ट

क्या है सोनी Vaio Fit 11a Flip-
 
ये एक 11 इंच का लैपटॉप है जो एक खास तरह ही स्क्रीन के साथ आता है। इस लैपटॉप की स्क्रीन फ्लिप (उलटी) हो सकती है। इसे सीधा कर की-बोर्ड की मदद से काम किया जा सकता है और उल्टा कर ऑनलाइन टीवी, वीडियो और मूवीज देखने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस लैपटॉप के साथ एक डिजिटाइजर पेन भी आता है जो इसकी टचस्क्रीन में डिजाइनिंग के लिए या किसी और काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस लैपटॉप को CES 2014 (लॉस वेगास) में लॉन्च किया गया है।
 
 
Sony ने जारी की चेतावनी, बंद करें Vaio का इस्तेमाल बैटरी हो सकती है ब्लास्ट

डिजाइन के हिसाब से ये लैपटॉप काफी स्टाइलिश है। ये किसी भी आम लैपटॉप से अलग लगेगा। इसका एक कारण फ्लिप फिट का एक्टिव पेन है और दूसरा इसकी फ्लिप हो सकने वाली स्क्रीन है। इसकी स्क्रीन की वजह से ही इसे फ्लिप नाम दिया गया है। 1.27 किलो वजन का ये लैपटॉप थोड़ा भारी भी है। अब देखा जाए तो स्टाइल और लुक्स के मामले में तो ये लैपटॉप काफी आकर्षक लगता है, लेकिन असल में कंपनी द्वारा जारी की गई अपडेट के बाद ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
 
 
 

 
 

liu bolin Image: देखना ही है, तो ज़रा ध्यान से देखिए :::: बॉलिन अपने शरीर का प्रयोग कैनवास की तरह करते हैं. वो अपने आसपास के परिवेश का प्रयोग इस तरह करते हैं कि वो अदृश्य प्रतीत हों.

 liu bolin Image: देखना ही है, तो ज़रा ध्यान से देखिए :::: बॉलिन अपने शरीर का प्रयोग कैनवास की तरह करते हैं. वो अपने आसपास के परिवेश का प्रयोग इस तरह करते हैं कि वो अदृश्य प्रतीत हों.

 

देखना ही है, तो ज़रा ध्यान से देखिए

 

 

 

 

चीन के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार लियो बॉलिन लंदन में अपनी पहली एकल प्रदर्शनी आयोजित कर रहे हैं.  



बॉलिन अपने शरीर का प्रयोग कैनवास की तरह करते हैं. वो अपने आसपास के परिवेश का प्रयोग इस तरह करते हैं कि वो अदृश्य प्रतीत हों. 

 

 

इस प्रदर्शनी में बॉलिन की नई अदृश्य कलात्मक बाजीगिरी को उनकी प्रसिद्ध सिरीज़ 'हाइडिंग इन द सिटी' के साथ देखा जा सकता है.  


यह कलात्मक शृंखला पर्फार्मेंस आर्ट का नमूना है. बॉलिन को इसकी प्रेरणा चीन के समाज और राज्य के अंतरसंबध को अभिव्यक्ति देने की भावना से मिली है

 

 

लियो बॉलिन ने 'हाइडिंग इन द सिटी' शृंखला की शुरुआत तब की जब चीन सरकार ने साल 2005 में उनके बीजिंग स्थित स्टूडियो को खाली कराकर उसे गिरा दिया.

 

 

अपनी कला के लिए शहर के भूगोल का प्रयोग करने वाले बॉलिन खुद को समाज से बाहर का आदमी मानते हैं. वो कोशिश करते हैं दर्शक सामान्य नज़र आने वाली रोजमर्रा की चीजों के पीछे छिपे सच को देख सकें. वो कहते हैं, "बाहरी दुनिया से संपर्क के लिए हर कोई अपना एक रास्ता चुनता है. मैंने इसके लिए अपने आसपास के परिवेश में मिल जाना चुना."  



बॉलिन बताते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि वो दस घंटे के मेकअप के बाद कोई प्रदर्शन करते हैं लेकिन आसपास से गुजरने वाले उनपर ध्यान दिए बिना गुजर जाते हैं.

 

 

बॉलिन का जन्म 1973 में चीन के शैंनडॉन्ग प्रांत में हुआ था. उन्होंने बीजिंग स्थित सेंट्रल एकैडमी ऑफ़ फ़ाइन आर्ट्स से प्रशिक्षण लिया है. वो फ़ाइन आर्ट्स में परास्नातक हैं.  



लियो बॉलिन रोम, इटली, वेनेजुएला, चीन समेत दुनिया के कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं. 

 

 

'लियो बॉलिन: द हिरोइक अपारिशन' नामक यह प्रदर्शनी लंदन की स्क्रेयम गैलरी में 10 मई, 2014 तक चलेगी. (सभी तस्वीरें- लियो बॉलिन की ड्रैगन सिरीज़ से, स्क्रेयम गैलरी से साभार) 

HISTORICAL JUDGEMENT OF SC: Supreme Court recognizes transgenders as third gender :::: India is now first country in a hole word for Transgender :::: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, किन्नर है तीसरी लिंग श्रेणी, मिले विशेष दर्जा :::: "आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं." : लक्ष्मी नारायण, किन्नरों की नेता

HISTORICAL JUDGEMENT OF SC: Supreme Court recognizes transgenders as third gender :::: India is now first country in a hole word for Transgender :::: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, किन्नर है तीसरी लिंग श्रेणी, मिले विशेष दर्जा

"आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं."
लक्ष्मी नारायण, किन्नरों की नेता

 

नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2014 | अपडेटेड: 13:16 IST

Keyword : Supreme Court, TransGender, Supreme Court recognizes transgenders, third gender 
किन्नर समुदाय 
किन्नरों पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में ट्रांसजेंडर को मान्यता दी है. इसके साथ किन्नरों की ऐसा दर्जा देने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं मुहैया कराने के लिए केंद्र एवं राज्यों को निर्देश देते हुए कहा कि वे सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय हैं. उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए.
संविधान के आर्टिकल 14, 16 और 21 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर देश के नागरिक हैं और शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक स्वीकार्यता पर उनका समान अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किन्नरों को विशेष दर्जा दिया जाए. इस समुदाय को भी बच्चे गोद लेने का अधिकार मिले.



सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व है: लक्ष्मी

 मंगलवार, 15 अप्रैल, 2014 को 16:46 IST तक के समाचार

किन्नर लक्ष्मी नारायण
अपने वजूद के लिए बरसों से संघर्ष कर रहे किन्नर समुदाय को आज एक राह मिल गई है. भारत के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें स्त्री, पुरुष के बाद तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किन्नर इस देश के नागरिक हैं और उन्हें भी शिक्षा, काम पाने और सामाजिक बराबरी हासिल करने का पूरा हक़ है.
किन्नरों के अधिकारों के लिए मुखर रूप से पहल करने वाली किन्नरों की नेता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बेहद ख़ुशी जाहिर की और कहा कि आज वे खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हैं.
लक्ष्मी नारायण ने कहा, "अभी तो केवल राज्य सरकार के साथ काम करना है. सुप्रीम कोर्ट ने तो फैसला दे दिया है. नई सरकार आएगी तो उसके साथ काम करेंगे."

इसके पहले निर्वाचन आयोग ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्ज़ा देकर उनको एक नई पहचान दी.
किन्नरों को तीसरे लिंग के रूप में पहचान तो मिल गई है, लेकिन सवाल है कि उनका अगला क़दम क्या होगा.

लक्ष्मी कहती हैं, "अभी तो सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी तौर पर अवसरों का दरवाजा खोला है. हमें इन अवसरों को आगे लेकर जाना है."

संपूर्ण भारतीय

ट्रांसजेडर समुदाय रैली
अदालत ने केंद्र सरकार को हुक्म जारी किया है कि वो किन्नरों को स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मुहैया करवाए. इसके बाद उन्हें नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में भी अवसर मिलेंगे. क्या इसके साथ कोई मुश्किल भी आएगी.
इस सवाल के जवाब में लक्ष्मी ने कहा, "संभव है कि ज़मीनी स्तर पर मुश्किलें आएं, लेकिन हम उनका सामना करेंगे. अभी तो जिंदगी में बहुत सारे बदलाव आने हैं."
वे कहती हैं, "बदलाव धीरे-धीरे आएगा. समाज को सतीप्रथा खत्म करने भी व़क्त लगा था. यहां आज भी बलात्कार के मामले सामने आते हैं. हमें तो आज अपना वजूद मिला है."

"आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं."
लक्ष्मी नारायण, किन्नरों की नेता


सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा है कि किन्नरों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में देखा जाए.
इसके बारे में लक्ष्मीनारायण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला अभी उन्होंने नहीं पढ़ा है, और फ़ैसले की प्रति उन्हें शाम तक मिलेगी.
वो कहती हैं, "शाम को फैसले की प्रति पढ़ने के बाद में मैं इस बारे में कुछ कह पाऊंगी. मैं इस ख़ुशी का इंतजार है. मैं ये सोच कर रोमांचित हो रही हूं कि कैसे अब हमारी जिंदगी बदल जाएगी.'
उनकी बातों में अदालत के प्रति कृतज्ञता का भाव साफ़ झलकता है. वो कहती हैं, "आज मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर गर्व हो रहा है. आज पहली बार मैं खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रही हूं."





Monday, 14 April 2014

भारतीय मूल के विजय शेषाद्रि को 2014 का पुलित्जर पुरस्कार

भारतीय मूल के विजय शेषाद्रि को 2014 का पुलित्जर पुरस्कार
न्यूयार्क, एजेंसी:15-04-14 10:48 AM
भारत| विजय शेषाद्रि| कविता संग्रह| 3 सेक्शन्स| कविता श्रेणी| वर्ष 2014| पुलित्जर पुरस्कार|
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भारत में जन्मे विजय शेषाद्रि ने अपने कविता संग्रह '3 सेक्शन्स' के लिए कविता श्रेणी में वर्ष 2014 का पुलित्जर पुरस्कार जीता है। कोलंबिया विश्वविद्यालय ने कल यहां 98 वें वार्षिक पुलित्जर पुरस्कारों की घोषणा की।  
घोषणा में शेषाद्रि की '3 सेक्शन्स' को मानव चेतना की छानबीन करने वाला एक सम्मोहक कविता संग्रह बताया गया। कविता श्रेणी का पुरस्कार किसी अमेरिकी रचनाकार की मूल कविता की उत्कृष्ट किताब के लिए दिया गया। कोलंबिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शेषाद्रि को 10,000 डॉलर की पुरस्कार राशि मिलेगी।
   
पुलित्जर वेबसाइट पर उपलब्ध शेषाद्रि से जुड़ी जानकारी के अनुसार, वह वर्तमान में न्यूयार्क के सारा लॉरेंस आर्टस कॉलेज में कविता एवं नॉनफिक्शन लेखन पढ़ाते हैं। 1954 में बंगलुरु में जन्मे शेषाद्रि पांच साल की उम्र में अमेरिका आ गए थे और ओहियो के कोलंबस में पले बढ़े। शेषाद्रि के कविता संग्रहों में जेम्स लाफलिन पुरस्कार विजेता द लांग मिडो एंड वाइल्ड किंगड़ा (1996) शामिल हैं। उनकी कविताएं, निबंध और समीक्षाएं अमेरिकन स्कॉलर, दि नेशन, दि न्यूयार्कर, दि पेरिस रिव्यू, येल रिव्यू, दि टाइम्स बुक रिव्यू, दि फिलाडेल्फिया इन्क्वायरर जैसे कई प्रतिष्ठित प्रकाशनों और अंडर 35: दि न्यू जेनरेशन ऑफ अमेरिकन पोएटस और 1997 एवं 2003 के दि बेस्ट अमेरिकन पोएट्री समेत कई कविता संग्रहों में आ चुकी हैं।
   
वह पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के पांचवें व्यक्ति हैं। सबसे पहले 1937 में विज्ञान संपादक गोविंद बिहारी लाल ने यह पुरस्कार जीता था। भारतीय मूल की अमेरिकी लेखक झुंपा लाहिरी ने 2000 में, पत्रकार-लेखिका गीता आनंद ने 2003 में जबकि चिकित्सक सिद्धार्थ मुखर्जी ने कैंसर पर लिखी अपनी एक किताब के लिए 2011 में पुलित्जर पुरस्कार जीता था।


अटल बिहारी वाजपेयी है देश के इतिहास का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री, दंगों के बाद मोदी को सीएम के पद से हटाना चाहते थे पर पार्टी के सामने झुके, करगिल में पचास जवानों की शहादत को दरकिनार कर, करगिल में हुए धोखे के बावजूद परवेज मुशर्रफ का रेड कार्पेट स्वागत किया: कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा

अटल बिहारी वाजपेयी है देश के इतिहास का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री, 

दंगों के बाद मोदी को सीएम के पद से हटाना चाहते थे पर पार्टी के सामने झुके, 

करगिल में पचास जवानों की शहादत को दरकिनार कर, करगिल में हुए धोखे के बावजूद परवेज मुशर्रफ का रेड कार्पेट स्वागत किया: कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा

  नई दिल्ली, 14 अप्रैल 2014 
टैग्स: अटल बिहारी वाजपेयी| कांग्रेस| बीजेपी| एनडीए| संजय झा| प्रधानमंत्री
कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा
कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा
कुछ ही दिन पहले अपनी वेबसाइट पर बीजेपी नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ करने वाली कांग्रेस पार्टी अब पलट गई है. कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के इतिहास का सबसे कमजोर पीएम करार दिया है. सोशल वेबसाइट ट्विटर पर संजय झा ने लिखा, 'सबसे कमजोर प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी, जो गुजरात दंगों के बाद मोदी को सीएम के पद से हटाना चाहते थे पर पार्टी के सामने झुक गए.'
करगिल का जिक्र करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, 'वाजपेयी के रूप में भारत को सबसे कमजोर प्रधानमंत्री मिला जिन्होंने करगिल में हुए धोखे के बावजूद परवेज मुशर्रफ का रेड कार्पेट स्वागत किया.' संजय झा ने आगे लिखा, 'कमजोर पीएम वाजपेयी ने करगिल में पचास जवानों की शहादत को दरकिनार कर तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को गले लगाया.'




आपको बता दें कि पिछले हफ्ते कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ करते हुए एक आर्टिकल अपनी वेबसाइट पर डाला था. जिसमें लिखा गया था कि आज की तारीख में कोई भी बीजेपी नेता वाजपेयी के कद का नहीं है. बीजेपी वाजेपयी जी को भूल चुकी है जिन्होंने मोदी को गुजरात के सीएम पद से हटाने की वकालत की थी.


सनसनीखेज खुलासा: फिक्‍स था 'इंडिया टीवी' पर मोदी का इंटरव्‍यू? एडिटोरियल डायरेक्‍टर ने दिया इस्‍तीफा :::: Watch FIXED Interview Narendra Modi In NDTV By RAJAT SHARMA !!! :::: NARENDRA MODI IN AAPKI ADALAT

सनसनीखेज खुलासा:

फिक्‍स था 'इंडिया टीवी' पर मोदी का इंटरव्‍यू? एडिटोरियल डायरेक्‍टर ने दिया इस्‍तीफा 

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Watch FIXED Interview Narendra Modi In NDTV By RAJAT SHARMA !!! 

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NARENDRA MODI IN AAPKI ADALAT

  Apr 14, 2014, 16:46PM IST


More:
केजरीवाल|फेसबुक|ट्विटर
नई दिल्‍ली. शनिवार को इंडिया टीवी पर प्रसारित हुआ नरेंद्र मोदी का इंटरव्‍यू सवालों के दायरे में आ गया है। बताया जा रहा है कि मोदी का यह इंटरव्‍यू फिक्‍स था। इस इंटरव्‍यू के बाद इंडिया टीवी के संपादकीय निदेशक (एडिटोरियल डायरेक्‍टर) कमर वहीद नकवी ने इस्‍तीफा दे दिया है।
नकवी ने हमारी अंग्रेजी वेबसाइट डेलीभास्‍कर.कॉम से बातचीत में इस्‍तीफे की पुष्टि की और बताया कि एक-दो दिन में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर वह सारी बात स्‍पष्‍ट करेंगे।
पत्रकारिता में नकवी के जूनियर सहयोगी रहे, आप के नेता आशुतोष ने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्‍हें बताया गया है कि नकवी ने मोदी का इंटरव्यू फिक्‍स होने के विरोध में इस्‍तीफा दिया है।
बताया जाता है कि नकवी ने रविवार रात ही इस्‍तीफा दे दिया था। सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नकवी के इस्‍तीफे का जिक्र किया। उन्‍होंने बीजेपी पर मीडिया को धमकाने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने कहा, 'बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि हमारी सरकार आने वाली है और हम संपादकों को देख लेंगे।' केजरीवाल ने भी इंडिया टीवी पर मोदी के इंटरव्‍यू को फिक्‍स बताया था। 
केजरीवाल ने कहा- डरा हुआ है मीडिया
केजरीवाल ने कहा कि मीडिया बहुत डरा हुआ है। संपादकों को बीजेपी की ओर से फोन आते हैं कि हमारी सरकार आने वाली है, देख लेंगे। 
केजरीवाल के बयान पर क्‍या रही बीजेपी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
'केजरीवाल ने खुद अपनी सरकार आने पर मीडिया को जेल में भेजने की धमकी दी थी और अब वह बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं। केजरीवाल का वैचारिक संतुलन बिगड़ गया है।'
- सुधांशु मित्तल, बीजेपी नेता
'अरविंद केजरीवाल झूठ की राजनीति कर रहे हैं और अपने बयान को बीजेपी का बयान बता रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मीडिया को धमकाया था और कहा था कि उनकी सरकार बनेगी तो वे मीडिया वालों को जेल देंगे।'
- मीनाक्षी लेखी, प्रवक्‍ता, बीजेपी
'मुझे नहीं पता कि केजरीवाल के पास क्या सूचना है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी तानाशाह पार्टी है और इस देश के लोकतंत्र के लिए चुनौती है।'
- संजय झा, प्रवक्‍ता, कांग्रेस  
आगे पढ़ें: नकवी के इस्‍तीफे को लेकर क्‍या है सोशल साइट्स पर लोगों की प्रतिक्रिया 


फिक्‍स था 'इंडिया टीवी' पर मोदी का इंटरव्‍यू? एडिटोरियल डायरेक्‍टर ने दिया इस्‍तीफा

नकवी के चाहने वालों ने फेसबुक के जरिए उनसे इस्‍तीफे की वजह साफ करने के लिए कहा और इस कदम के लिए उनकी तारीफ भी की।

फिक्‍स था 'इंडिया टीवी' पर मोदी का इंटरव्‍यू? एडिटोरियल डायरेक्‍टर ने दिया इस्‍तीफा

ट्विटर पर भी नकवी के इस्‍तीफे को लेकर जहां ज्‍यादातर लोगों ने उन्‍हें सलाम किया, वहीं कुछ लोगों ने कठघरे में भी खड़ा किया।

फिक्‍स था 'इंडिया टीवी' पर मोदी का इंटरव्‍यू? एडिटोरियल डायरेक्‍टर ने दिया इस्‍तीफा
नकवी के करियर के बारे में नेटवर्किंग साइट लिंक्‍डइन पर ये ब्‍योरा दिया गया है।
Watch FIXED Interview Narendra Modi In NDTV By RAJAT SHARMA !!!





 GREAT MODI !!!!!!!!!!!!!!


Sunday, 13 April 2014

सनसनीखेज खुलासा:The Father Of MNREGA is Raghuvansh Prasad Singh :::: Raghuvansh Prasad Singh was the real hero of MNREGA :::: राहुल गांधी नहीं, रघुवंश सिंह थे मनरेगा के असली हीरो: प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू

सनसनीखेज खुलासा: 
The Father Of MNREGA is Raghuvansh Prasad Singh 
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Raghuvansh Prasad Singh was the real hero of MNREGA
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राहुल गांधी नहीं, रघुवंश सिंह थे मनरेगा के असली हीरो: प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू


Mon, 14 Apr 2014 07:57 AM (IST)


 
राहुल गांधी नहीं, रघुवंश सिंह थे मनरेगा के असली हीरो

नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में बिरला ही ऐसा होता है कि आप अच्छा कार्य करें और उसका श्रेय आपको मिल भी जाए। खासतौर पर जब आप न बड़े दल के नेता हों और न ही कोई बेमिसाल हस्ती। लेकिन, राजद सांसद और संप्रग के पहले कार्यकाल में ग्रामीण विकास मंत्री रहे रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ ऐसा ही हुआ है। प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की सनसनीखेज पुस्तक ने यह सच सामने ला दिया कि जिस मनरेगा का श्रेय सारे कांग्रेसी और स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राहुल गांधी को दे रहे हैं, असलियत में उसके हकदार रघुवंश बाबू हैं।
दरअसल, मनरेगा का श्रेय राहुल गांधी को देने के लिए रघुवंश को पीछे धकेल दिया गया। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी खुद श्रेय लेने से पीछे हट गए। संजय बारू ने अपनी किताब में रघुवंश बाबू के साथ हुई नाइंसाफी का खुलासा किया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को शुरू कराने में तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। ग्रामीण युवाओं को उनके गांव में ही रोजगार मुहैया कराने वाली इस योजना के चलते ही शहरों की ओर हो रहा अनावश्यक पलायन रुक गया था। राजनीतिक रूप से इसका फायदा संप्रग को मिला और वह दोबारा सत्ता में आई। इसके बाद से राजनीतिक महत्व को देखते हुए कांग्रेस इसका श्रेय राहुल गांधी को देती रही है। बारू ने लिखा है कि पार्टी के दबाव में मनमोहन सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह को श्रेय देने वाले बयान को प्रधानमंत्री कार्यालय को वापस लेना पड़ा था।ॉ

'देश में नहीं मोदी लहर' 'नहीं लागू होगा देश में गुजरात मॉडल' 'गुजरात मॉडल पर जोशी ने उठाई उंगली' मोदी सिर्फ पीएम पद के प्रत्याशी : डॉ मुरली मनोहर जोशी ::::::: भाजपा और मोदी एक ही है।मोदी ने कब कहा है कि गुजरात का विकास मॉडल पूरे देश में लागू करेंगे?:Rajnath Singh BJP

'देश में नहीं मोदी लहर'   'नहीं लागू होगा देश में गुजरात मॉडल'   'गुजरात मॉडल पर जोशी ने उठाई उंगली' :  डॉ मुरली मनोहर जोशी  

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भाजपा और मोदी एक ही है।मोदी ने कब कहा है कि गुजरात का विकास मॉडल पूरे देश में लागू करेंगे?:Rajnath Singh BJP

बीजेपी के बड़े नेता ने कहा, 'देश में नहीं मोदी लहर, न लागू होगा गुजरात मॉडल'

देश में मोदी की नहींं, भाजपा की लहर; मोदी सिर्फ पीएम पद के प्रत्याशी: जोशी

 


'मोदी नहीं, भाजपा की लहर'

'मोदी नहीं, भाजपा की लहर'


भाजपा में अंतर्कलह रुकने का नाम नहीं ले रही है। करीब एक पखवाड़े की चुप्पी के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी ने अब यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि देश भर में नरेंद्र मोदी की नहीं, बल्कि भाजपा की लहर है।

जोशी ने न केवल मोदी को पार्टी का महज नुमाइंदा करार दिया, बल्कि विकास के गुजरात मॉडल पर यह कहकर सवालिया निशान भी लगा दिया कि यह राजग का आदर्श मॉडल नहीं है।

जोशी ने मनोरमा न्यूज चैनल से बातचीत में यह बातें कहीं।

भाजपा में फिर घमासान के आसार


उन्होंने विवादास्पद नेताओं को पार्टी में शामिल किए जाने और वरिष्ठ नेताओं को टिकट देने में आनाकानी के कारण सियासी नुकसान पहुंचने की बात भी कही। मालूम हो कि जोशी वाराणसी से टिकट न दिए जाने के कारण नाराज चल रहे हैं।

हालांकि कानपुर से टिकट मिलने के बाद जोशी ने पहली बार फिर से अपनी नाराजगी जाहिर की है। माना जा रहा है कि जोशी की खरी खरी पर भाजपा में नए सिरे से घमासान मच सकता है।

एक तरफ भाजपा देश भर में मोदी लहर का दावा कर रही है तो दूसरी ओर जोशी का मानना है कि यह लहर मोदी की नहीं बल्कि पार्टी की है।
  

गुजरात मॉडल पर जोशी ने उठाई उंगली


इंटरव्यू में जोशी ने कहा कि बतौर पीएम उम्मीदवार मोदी केवल पार्टी के नुमाइंदे भर हैं। इसलिए यह कोई व्यक्ति आधारित लहर नहीं है। जोशी ने यह भी कहा कि वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को टिकट न देने का फैसला पार्टी की चुनाव समिति की बैठक में नहीं हुआ था, बल्कि यह निर्णय राजनाथ सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने लिया था।

जोशी ने प्रमोद मुतालिक, साबिर अली जैसे नेताओं को पार्टी में शामिल करने के बाद बाहर का दरवाजा दिखाने के फैसले पर भी सवालिया निशान लगाए। उन्होंने कहा कि चाहे जसवंत सिंह को टिकट न देने का मामला हो या लालकृष्ण आडवाणी की सीट पर विवाद का मामला, इन दोनों ही मुद्दों पर बनी स्थिति ने पार्टी को सियासी नुकसान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा कि इन दोनों ही नेताओं के मामले में विवाद पैदा होने से बचाया जा सकता था। विकास के गुजरात मॉडल पर सवालिया निशान लगाते हुए उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के लिए एक मॉडल कारगर नहीं हो सकता है। बल्कि सभी राज्यों की कुछ अच्छी बातों को शामिल कर विकास का एक मॉडल तैयार किया जाना चाहिए।

'मोदी और भाजपा लहर में अंतर्विरोध नहीं'

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं। उन्होंने कभी नहीं कहा कि वे देश भर में विकास का गुजरात मॉडल लागू करेंगे।

भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी द्वारा मोदी के बजाए भाजपा की लहर होने संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कोई अंतर्विरोध नहीं है। भाजपा और मोदी एक ही है। मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। वह सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं। पूरा देश उन्हें प्रधानमंत्री बनना चाहता है। ऐसे में मोदी लहर और भाजपा लहर एक ही बात हैं।

गुजरात मॉडल पूरे देश में लागू न होने संबंधी जोशी के बयान पर उन्होंने कहा कि मोदी ने कब कहा है कि गुजरात का विकास मॉडल पूरे देश में लागू करेंगे? उन्होंने कहा कि हर राज्य की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न हैं। हर राज्य का विकास एक तरीके से नहीं हो सकता।