अहमदाबाद कोर्ट का नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट,जाकिया जाफरी ने कहा-फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत हाई कोर्ट में जाऊंगी
नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट सही, नहीं चलेगा दंगों का केस, अहमदाबाद कोर्ट का फैसला
नई दिल्ली, 26 दिसम्बर 2013 | अपडेटेड: 18:04 IST
बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को बड़ी राहत देते हुए अहमदाबाद
की मजिस्ट्रेट अदालत ने उस एसआईटी रिपोर्ट को बरकरार रखा है जिसमें 2002 के
गुजरात दंगों के मामले में मोदी को क्लीन चिट मिली थी. कोर्ट ने जाकिया
जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ साफ कर दिया कि मोदी पर दंगों
का केस नहीं चलेगा. मोदी ने इस फैसले के बाद ट्वीट किया, सत्यमेव जयते!
Truth alone triumphs.
हालांकि मजिस्ट्रेट बीजे गनात्रा ने यह भी कहा है कि जाकिया जाफरी को इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाने का पूरा अधिकार है.
आपको बता दें कि एसआईटी ने 2002 के सांप्रदायिक दंगा मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 58 अन्य को क्लीनचिट दी है. जिसे चुनौती देते हुए जाकिया जाफरी ने याचिका दी थी.
अब तक क्या-क्या हुआ?
जाकिया जाफरी ने आरोप लगाया था कि मोदी ने सीनियर मंत्रियों, अधिकारियों और पुलिस के साथ मिलकर राज्य में दंगे होने दिए. जाकिया द्वारा लगाए गए इन आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT टीम ने मार्च 2008 में शुरू की. चार साल के बाद एसआईटी ने फरवरी 2012 में कहा कि मोदी व अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं जिसके दम पर केस चलाया जा सके. SIT ने जांच खत्म करने की बात कहकर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी.
आपको बता दें कि कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी के उन 58 लोगों में थे जिनकी हत्या उग्र भीड़ ने 28 फरवरी 2002 को कर दी. SIT ने 2010 में मोदी से पूछताछ की थी जो करीबन 9 घंटे तक चली.
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इसकी सुनवाई अहमदाबाद की अदालत ही करेगी. अप्रैल 2011 में गुजरात पुलिस के निलंबित पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट ने दावा किया कि एक मीटिंग में मोदी ने उन्हें और अन्य पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि हिंदू दंगाइयों को साबरमती एक्सप्रेस में मारे गए 59 कारसेवकों की मौत का बदला लेने दिया जाए. हालांकि SIT ने कहा कि संजीव भट्ट की गवाही विश्वसनीय नहीं है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा निलंबित किए जाने के कारण उनके मन में दुर्भावना हैं. SIT ने यह भी आरोप लगाया था कि याचिका राजनीति से प्रेरित है जिसे सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के कहने पर दायर किया गया.
आपको बता दें कि एसआईटी ने 2002 के सांप्रदायिक दंगा मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 58 अन्य को क्लीनचिट दी है. जिसे चुनौती देते हुए जाकिया जाफरी ने याचिका दी थी.
अब तक क्या-क्या हुआ?
जाकिया जाफरी ने आरोप लगाया था कि मोदी ने सीनियर मंत्रियों, अधिकारियों और पुलिस के साथ मिलकर राज्य में दंगे होने दिए. जाकिया द्वारा लगाए गए इन आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT टीम ने मार्च 2008 में शुरू की. चार साल के बाद एसआईटी ने फरवरी 2012 में कहा कि मोदी व अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं जिसके दम पर केस चलाया जा सके. SIT ने जांच खत्म करने की बात कहकर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी.
आपको बता दें कि कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी के उन 58 लोगों में थे जिनकी हत्या उग्र भीड़ ने 28 फरवरी 2002 को कर दी. SIT ने 2010 में मोदी से पूछताछ की थी जो करीबन 9 घंटे तक चली.
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इसकी सुनवाई अहमदाबाद की अदालत ही करेगी. अप्रैल 2011 में गुजरात पुलिस के निलंबित पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट ने दावा किया कि एक मीटिंग में मोदी ने उन्हें और अन्य पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि हिंदू दंगाइयों को साबरमती एक्सप्रेस में मारे गए 59 कारसेवकों की मौत का बदला लेने दिया जाए. हालांकि SIT ने कहा कि संजीव भट्ट की गवाही विश्वसनीय नहीं है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा निलंबित किए जाने के कारण उनके मन में दुर्भावना हैं. SIT ने यह भी आरोप लगाया था कि याचिका राजनीति से प्रेरित है जिसे सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के कहने पर दायर किया गया.
नरेंद्र मोदी पर आए मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले पर जाकिया जाफरी ने कहा- हिम्मत नहीं हारने वाली
नई दिल्ली, 26 दिसम्बर 2013 | अपडेटेड: 18:15 IST
अहमदाबाद की अदालत द्वारा नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के फैसले
पर याचिकाकर्ता जाकिया जाफरी ने कहा है कि वो हार नहीं मानने वाली हैं और
एक न एक दिन मोदी की हकीकत सबके सामने आ जाएगी. मोदी को बड़ी राहत देते हुए
अहमदाबाद की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उस एसआईटी रिपोर्ट को बरकरार रखा है,
जिसमें 2002 के गुजरात दंगों के मामले में मोदी को क्लीन चिट मिली थी.
क्या बोलीं जाकिया जाफरी
जाकिया जाफरी ने मीडिया से कहा, 'आज तो जज साहब ने फैसला सुनाया, मैंने सुन लिया. मैं हिम्मत हारने वाली नहीं हूं. केस को आगे लाऊंगी. हाई कोर्ट में जाऊंगी. आज जो मेरे को रिजल्ट मिला है, उससे आप समझ ही सकते हैं कि कितना न्याय हुआ. अभी नहीं तो फिर कभी. सही चीज सामने आएगी ही. जो सबूत हमने कोर्ट के सामने रखे, वो भले ही अभी कोर्ट को महत्वपूर्ण न लगे हों. मगर उम्मीद है कि बड़ी अदालत में इस पर ध्यान दिया जाएगा.'
क्या बोले वकील
हमें नहीं पता कि मिस्टर श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट ने जो सबूत जुटाए थे, उन्हें अदालत ने माना भी है या नहीं. अभी हमने विस्तार से अदालत का फैसला नहीं पढ़ा है. मगर हमें लगता है कि जिस तरह के सबूत अदालत में दाखिल किए गए थे, वह नरेंद्र मोदी को गुनहगार ठहराने के लिए पर्याप्त थे. इसी यकीन के साथ हम ऊंची अदालत में जाएंगे. नरेंद्र मोदी 20-25 दिन सुकून से जी सकते हैं. तब तक हम फिर से मामला फाइल कर देंगे और आखिरी हद तक इस लड़ाई को जारी रखेंगे.
जाकिया जाफरी ने मीडिया से कहा, 'आज तो जज साहब ने फैसला सुनाया, मैंने सुन लिया. मैं हिम्मत हारने वाली नहीं हूं. केस को आगे लाऊंगी. हाई कोर्ट में जाऊंगी. आज जो मेरे को रिजल्ट मिला है, उससे आप समझ ही सकते हैं कि कितना न्याय हुआ. अभी नहीं तो फिर कभी. सही चीज सामने आएगी ही. जो सबूत हमने कोर्ट के सामने रखे, वो भले ही अभी कोर्ट को महत्वपूर्ण न लगे हों. मगर उम्मीद है कि बड़ी अदालत में इस पर ध्यान दिया जाएगा.'
क्या बोले वकील
हमें नहीं पता कि मिस्टर श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट ने जो सबूत जुटाए थे, उन्हें अदालत ने माना भी है या नहीं. अभी हमने विस्तार से अदालत का फैसला नहीं पढ़ा है. मगर हमें लगता है कि जिस तरह के सबूत अदालत में दाखिल किए गए थे, वह नरेंद्र मोदी को गुनहगार ठहराने के लिए पर्याप्त थे. इसी यकीन के साथ हम ऊंची अदालत में जाएंगे. नरेंद्र मोदी 20-25 दिन सुकून से जी सकते हैं. तब तक हम फिर से मामला फाइल कर देंगे और आखिरी हद तक इस लड़ाई को जारी रखेंगे.