Friday 7 November 2014

1984 दंगाः जब हुआ 'न्याय का नाश'

1984 दंगाः जब हुआ 'न्याय का नाश'

8-11-2014
1984 सिख विरोधी दंगे
1984 के सिख विरोधी दंगों की भयावहता के बावजूद हम मौजूदा व्यवस्था की नाकामी और उन घटनाओं का महत्व स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं.
'जिसके पास ताक़त है वह सही है' यही शायद हमारा एकमात्र राजनीतिक सिद्धांत बन गया है.
हमें नहीं भूलना चाहिए कि 80 के दशक की शुरुआत में जरनैल सिंह भिंडरावाले की नफ़रत भरी बातें राजनीति में महत्वपूर्ण थीं और यह भी कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की इस सांप्रदायिक माहौल को बनाने में भागीदारी थी.
1984 में सिख नागरिकों का राजनीति प्रेरित क़त्लेआम इसलिए किया गया था क्योंकि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के क़ातिल भी इसी समुदाय के थे.

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कुछ का मानना था कि इन लोगों के किए अपराध की ज़िम्मेदारी पूरे समुदाय की बनती है.
बहुत से लोगों को इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था कि सड़कों पर हुड़दंगियों का क़ब्ज़ा है.
1984 सिख विरोधी दंगे
उस समय मैं विश्वविद्यालय में लेक्चरर था. एक नवंबर को मैं लाजपत नगर में एक शांति मार्च में शामिल हुआ था.
हमें हाथों में त्रिशूल लिए भीड़ दिखी, डर के मारे रोते टैक्सी ड्राइवर दिखे और जलते हुए गुरुद्वारे दिखे. कई जगह से धुआं उठता दिख रहा था.
मैंने यह भी सुना कि कुछ छात्र दंगों में शामिल थे और कई शिक्षक इसका समर्थन कर रहे थे. यहां मैं यह भी कहना चाहूंगा कि कुछ विद्यार्थियों ने सिखों को अपने हॉस्टलों में भी छुपाया था.

'मेरी मम्मी को मत मारो'

लोगों ने राहत कार्यों के लिए नागरिक एकता मंच बनाए. मुझे एक मध्यमवर्गीय बस्ती में एक युवा विधवा को बचाने के लिए भेजा गया.
वहां एक सिख का घर था, जिसे जला दिया गया था. मैं अपने साथियों और एक पुलिसकर्मी के साथ 'बरसाती' पर चढ़ गया. वहां हमें एक युवती, उसकी मां और दो छोटे बच्चे दिखे.
जब छोटी बच्ची ने पुलिसवाले की लाठी देखी तो वह रोने लगी और रिरियाने लगी 'मेरी मम्मी को मत मारो'.
उसने अपने पिता और दादा को पीटे जाते और फिर जलाए जाते हुए देखा था. मैं कभी उस त्रासद पल को नहीं भूल सकता.

ग़ैरज़िम्मेदराना पत्रकारिता

1984 सिख विरोधी दंगे
24 नवंबर 1984 को कुछ शिक्षकों ने एक विरोध मार्च आयोजित किया. लाल किले से बोट क्लब के रास्ते में करीब 5,000 लोग थे, जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल थे.
हमारा एक ही नारा था, इंसाफ़ की मांग का. कई जगह पर सड़क किनारे कई लोगों ने हमें 'देशद्रोही' भी कहा. मैं उनकी आंखों में नफ़रत देखकर अचंभित था.
उनका मानना था कि ये हत्याएं देशभक्ति का काम थीं और इंसाफ़ की मांग देश-विरोधी. मीडिया ने हमारे प्रदर्शन की ख़बर को ग़ायब कर दिया.
दो हफ़्ते बाद 'द स्टेट्समैन' में एक लेख छपा कि हज़ारों सिखों ने दरियागंज में मार्च किया और बदले का आह्वान किया. ग़ैरज़िम्मेदाराना पत्रकारिता ख़तरनाक झूठ फैला सकती है.
राहत शिविरों में काम कर रहे कुछ कार्यकर्ताओं ने नवंबर 1984 में सांप्रदायिकता विरोधी आंदोलन (एसवीए) की नींव डाली थी, जिसने दोषियों पर मुकदमा चलाने की मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन किया.

न्यायपालिका का रुख़

1984 सिख विरोधी दंगे
हमें पता चला कि दंगों में शामिल रहे नेता पूर्वी दिल्ली में गुपचुप तरीक़े से 'शक्ति दलों' का गठन कर रहे हैं. हमने एफ़आईआर दर्ज़ न किए जाने, प्रत्यक्षदर्शियों को धमकाने और सरकारी वकील के कपट के बारे में भी सुना.
यह सब रंगनाथ मिश्रा जांच आयोग से संबंधित बातें थीं. हमें लगता था कि यह मामले को दबाने की कोशिश है.
6 फ़रवरी, 1985 को हाईकोर्ट में पीपल्स यूनियन फ़ॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) की याचिका की सुनवाई में मैं शामिल हुआ, जिसमें पुलिस को एफ़आईआर दर्ज़ करने का आदेश देने की मांग की गई थी.
जब जज को 'दोषी कौन हैं?' रिपोर्ट की एक कॉपी दी गई तो उन्होंने नागरिक अधिकार संगठन को डांटा. जब पीयूडीआर के अध्यक्ष गोबिंदा मुखौती ने उन्हें याद दिलाया कि बड़े अपराध हुए हैं और पुलिस केस दर्ज करने के लिए पाबंद है, तो जज ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा, "इसके पीछे वजहें हैं".

'परिवार का समर्थन'

1984 सिख विरोधी दंगे
उनके शब्द सामूहिक प्रतिशोध की भावना को सही ठहराते लगे. उनकी बातचीत में सांप्रदायिक घृणा साफ़ नज़र आ रही थी. बाद में उन्हें प्रोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया गया.
1986 में एसपीए ने राष्ट्रीय एकता परिषद के नाम एक निवेदन तैयार किया जिसे नेताओं के सामने रखा जाना था.
मैं एक वरिष्ठ भाजपा नेता से मिला. वह बहुत दोस्ताना थे, लेकिन जब मैंने धार्मिक मान्यताओं पर आधारित प्रचार के अतार्किक स्वरूप पर बात करने की कोशिश की तो वह बोले, "भारतीयों को आर्थिक मुद्दों पर संगठित नहीं किया जा सकता."
इसका अर्थ यह निकला कि परिणाम माध्यम को सही साबित कर देता है. बीजेपी को 1984 के लोकसभा चुनाव में दो सीट मिलीं थीं.

प्रायोजित नरसंहार

कई लोगों का कहना था कि 'परिवार' ने अपना समर्थन कांग्रेस को दे दिया था. सनद रहे कि जैन-अग्रवाल समिति ने आरएसएस/बीजेपी कार्यकर्ताओं को आगजनी, हत्या और लूट के मामलों में शामिल बताया था.
सांप्रदायिक हिंसा दशकों से भारतीय राजनीति का हिस्सा रही है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का सरकार प्रायोजित नरसंहार पहले कभी नहीं हुआ था.
1984 सिख विरोधी दंगे
उसके बाद हम यह बहाना भी नहीं मार सकते थे कि भारत में राजनीतिक फ़ायदों तक ही बदले की राजनीति सीमित है.
1984 ने मुख्यधारा के चरमपंथ के विचार और राजनीति में अपराधी तत्वों को मजबूत किया. हमारा समाज अपनी ही विविधता के साथ जंग में मशगूल है. इसके संकट के मूल में हमारी न्याय व्यवस्था में आई खराबी है.
एक मशहूर जर्मन दार्शनिक ने कहा था कि जब न्याय का नाश होता है तो इंसानी ज़िंदगी के मायने ख़त्म हो जाते हैं.
1984 के तीस साल बाद हम भारतीयों को यह फ़ैसला करना होगा कि इंसाफ़ और मानवीय गरिमा के बिना राष्ट्रीय सम्मान के लिए विकास का सपना क्या उचित कीमत है.

दूरसंचार कंपनियों को पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी मई तक लागू करने का निर्देश

दूरसंचार कंपनियों को पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी मई तक लागू करने का निर्देश

नई दिल्ली, 8 नवम्बर 2014
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सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) सुविधा अगले साल तीन मई तक लागू करने का निर्देश दिया है. इस कदम से उपभोक्ताओं को दूसरे राज्य या लाइसेंस सेवा क्षेत्र में स्थानांतरित होने पर भी अपना नंबर कायम रखने में मदद मिलेगी. फिलहाल एमएनपी नियमों के तहत उपभोक्ताओं को अपना ऑपरेटर बदलने के दौरान समान सेवा क्षेत्र में ही अपना नंबर बरकरार रखने की अनुमति होती है. देश में 22 दूरसंचार सर्किल या सेवा क्षेत्र हैं. पूर्ण एमएनपी व्यवस्था में दिल्ली-एनसीआर का कोई उपभोक्ता किसी दूसरे राज्य में उसी आपरेटर या दूसरे ऑपरेटर के नेटवर्क पर स्थानांतरित होने के दौरान अपना मोबाइल नंबर बरकरार रख सकेगा.
समान सर्किल में एमएनपी सुविधा वर्ष 2010-11 में शुरू की गई थी. दूरसंचार विभाग के ऑपरेटरों को भेजे गए तीन नवंबर के पत्र में कहा गया है कि अब इस देश में पूर्ण एमएनपी को लागू करने का फैसला किया गया है. इससे उपभोक्ताओं को दूसरे लाइसेंस क्षेत्रों में भी अपना नंबर कायम रखने की सुविधा मिलेगी. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आंकड़ों के अनुसार 31 अगस्त तक कुल 13 करोड़ लोगों ने एमएनपी सुविधा के लिए आग्रह किया था.
 telecom firms asked to implement full mobile number portability by may
Keyword : Mobile, Mobile Number, Telecom Firms, Full Mobile Number Portability

अब एयरपोर्ट में भी चलेंगे आधार कार्ड

अब एयरपोर्ट में भी चलेंगे आधार कार्ड

नई दिल्ली, 8 नवम्बर 2014
AADHAAR
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अब जल्दी ही आधार कार्ड लेकर आप एयरपोर्ट जा सकेंगे. अब तक आधार कार्ड को वहां पहचान पत्रों की श्रेणी में जगह नहीं मिली थी. सरकार ने सिम कार्ड के लिए आधार के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है और अब उसके साथ एयरपोर्ट में प्रवेश हो सकेगा. एक अंग्रेजी अखबार ने यह खबर दी है. बताया जाता है कि गृह मंत्रालय ने यह बात मान ली है कि आधार कार्ड धारकों को एयरपोर्ट में प्रवेश दिया जाए. लेकिन यह कुछ अलग तरह से होगा. इसके लिए यात्री को एयरपोर्ट के दरवाजे पर लगे बॉयोमीट्रिक मशीन पर अपना अंगूठा लगाना होगा. इसके साथ ही आधार कार्ड में दर्ज उसका हुलिया तथा अन्य विवरण प्रकट हो जाएंगे. वहां तैनात सीआईएसएफ अधिकारी उसे जांच लेगा.
इस सुविधा की शुरुआत बेंगलुरू से होगी. अगर वहां यह सफल रहा, तो देश के अन्य एयरपोर्ट में इसे लागू किया जा सकेगा. इसके लिए वहां टेंडर वगैरह मंगाए जा रहे हैं. इसके तहत सीआईएसएफ के पास की बॉयोमीट्रिक मशीनों को आधार कार्ड बनाने वाले संगठन यूआईडीएआई से जोड़ा जाएगा, जो पलक झपकते ही कार्डधारक के बारे में सभी तरह की सूचना दे देगा.
aadhar card would be allowed in airport
Keyword : Aadhar, Aadhar card, airport, ID Proof

पाकिस्तान का साइबर हमला, हैक की भारत की 22 सरकारी वेबसाइट्स

पाकिस्तान का साइबर हमला, हैक की भारत की 22 सरकारी वेबसाइट्स

हैदराबाद, 8 नवम्बर 2014 | अपडेटेड: 09:50 IST
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पाकिस्तान अब साइबर हमले पर उतर आया है. आंध्र प्रदेश, तेलांगना और ओडिशा की 22 सरकारी वेबसाइट्स को पाकिस्तानी हैकरों ने हैक कर लिया है. हैकरों ने इसका कारण कश्मीर में भारतीय सेना के अत्याचार को बताया है. हैक होने के बाद से ही ये 22 साइट्स गायब हैं और इन पर कोई भी एक्सेस नहीं कर पा रहा है . गौरतलब है कि ये सारी वेबसाइट्स नेशनल इनफॉर्मेशन सेंटर संचालित करती है. ये मामला तब सामने आया जब तेलांगना के सरकारी कर्मचारियों ने यह शिकायत दर्ज कराई कि वो विभाग की वेबसाइट एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं. तेलांगना के तकनीकी संस्थान टीआईटीए ने जब इस मामले की जांच की तो यह बात सामने आई कि सारी वेबसाइट्स एक ही जगह से हैक की गईं हैं.
शुक्रवार से ही कोई भी इन वेबसाइट्स को इस्तेमाल नहीं कर पा रहा. हैक की गई सारी वेबसाइट्स सरकारी विभागों की हैं. आंध्र और तेलांगना के सीआईडी से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि ऐसी कोई शिकायत उनके पास नहीं आई है. हैकरों ने कहा है कि वो भारतीय सेना द्वारा कश्मीर में किए जा रहे अत्याचार के विरोध में ये साइट्स हैक कर रहे हैं .
उन्होंने एक वीडियो भी जारी की है जिसमें कथित तौर पर भारतीय सेना के जवान नागरिकों को पीट रहे हैं. हैकरों ने कहा कि हम भारत पर साइबर हमला नहीं कर रहे हैं, हम तो बस मानवता का साथ देते हुए इन साइट्स को हैक कर रहे हैं ताकि सबको सेना की गलती का अहसास हो. हैकरों ने संदेश जारी करते हुए कहा कि हम कश्मीर नहीं मांग रहे हम बस शांति चाहते हैं. अपने संदेश के अंत में उन्होंने पाकिस्तान जिंदाबाद लिखा है.
दरअसल पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तानी हैकरों के भारतीय साइट्स हैक करने की घटनाओं में काफी इजाफा आया है. साइबर क्राइम के इन मामलों को बिना स्थानीय पुलिस की मदद के पकड़ पाना भी मुश्किल है. इसलिए भारत के लिए यह दोहरी चुनौती है. एक तो अपने साइट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करना दूसरा पाकिस्तान की तरफ से हो रहे इस साइबर हमले का माकूल जवाब देना.
pakistan hackers deface 22 indian portals
Keyword : Cyber Crime, Hacking, Cyber War, Pakistan

Thursday 6 November 2014

जेटली की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया:पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को 'स्वतंत्रता सेनानी' कहा

जेटली की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया:पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को 'स्वतंत्रता सेनानी' कहा
इस्लामाबाद, 7 नवम्बर 2014
टैग्स: पाकिस्‍तान| कश्‍मीर| अलगाववादी| स्‍वतंत्रता सेनानी| अरुण जेटली
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पाकिस्‍तान ने कश्‍मीरी अलगाववादियों को स्‍वतंत्रता सेनानी बताया है. पाकिस्‍तान का यह बयान रक्षा मंत्री अरुण जेटली के उस बयान के ठीक एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्‍होंने पड़ोसी मुल्‍क से बातचीत के संबंध में एक रेखा खींचने को कहा था. जेटली ने कहा था कि पाकिस्‍तान सरकार को यह तय करना चाहिए कि वह भारत सरकार से बात करना चाहती है या भारत को तोड़ने वालों से. पाकिस्तानी विदेश कार्यालय की प्रवक्ता तसनीम असलम ने कहा, 'कश्मीरी (हुर्रियत) भारतीय अलगाववादी नहीं हैं. वे लोग स्वतंत्रता सेनानी हैं. वे एक कब्जे वाले क्षेत्र से हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से मान्यता मिला हुआ है.' हालांकि, विदेश कार्यालय द्वारा बाद में जारी किए गए आधिकारिक बयान में इन टिप्पणियों का जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन कहा गया है, कि कश्मीरी भारतीय अलगाववादी नहीं हैं बल्कि वे कब्जे वाले क्षेत्र के लोग हैं, जो आत्मनिर्णय के अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं.'
तसनीम के मूल उद्धरण को पाकिस्तान में सरकारी रेडियो पाकिस्तान सहित विभिन्न खबरिया वेबसाइटों ने जारी किया है. यहां तक कि प्रेस ब्रीफिंग की वीडियो भी उपलब्ध है. तसनीम एक पाकिस्तानी टीवी पत्रकार के सवाल का जवाब दे रही थी, जिसके जरिए जेटली की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी. उन्होंने जेटली की टिप्पणियों पर भी तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा, 'वार्ता प्रक्रिया में पाकिस्तान किसी शर्त को स्वीकार नहीं करेगा.'

#CleanIndia #SwachchBharat #Mankibat:दिल्ली BJP अध्यक्ष सतीश और शाजिया की 'सफाई'!!!, फोटो खिंचवाने के लिए पहले बिखेरा कूड़ा, फिर लगाई झाड़ू

#CleanIndia #SwachchBharat #Mankibat:

दिल्ली BJP अध्यक्ष सतीश और शाजिया की 'सफाई'!!!

फोटो खिंचवाने के लिए पहले बिखेरा कूड़ा, फिर लगाई झाड़ू

 Nov 06, 2014 at 05:41pm

नई दिल्ली। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय बड़े विवाद में फंस गए हैं। उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से खिलवाड़ का आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि स्वच्छा अभियान की फोटो खिंचवाने के लिए पहले कचरा फैलाया गया और फिर मीडिया के सामने उसे साफ किया गया। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सतीश उपाध्याय से इस्तीफा भी मांग लिया है।
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष जब कल स्वच्छता अभियान के लिए इंडिया इस्लामिक सेंटर में गए तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि आज उन्हें घूम-घूम कर सफाई देनी पड़ेगी। दरअसल सतीश उपाध्याय ने कैमरे के सामने नई झाड़ू उठाकर कचरा तो साफ कर दिया। लेकिन ये ध्यान नहीं दिया कि क्या उस जगह पर कचरा जुटता भी है। अब तस्वीरें सामने आ गई हैं जिससे साफ है कि जिस जगह पर सतीश उपाध्याय ने झाड़ू लगाई। वहां कचरा थोड़ी देर पहले ही डाला गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान अब फोटो खिंचवाने और अखबार में छपवाने का इवेंट बनता जा रहा है। हद ये कि जहां गंदगी नहीं होती वहां गंदगी फैला कर झाड़ू लगाई जा रही है। बुधवार को इंडिया इस्लामिक सेंटर में दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को इस कार्यक्रम की अगुवाई करनी थी। उपाध्याय झाड़ू लगाने तो पहुंचे लेकिन जब वहां कोई गंदगी नहीं थी।
जब गंदगी नजर नहीं आई तो बाकायदा सेंटर के कर्मचारी को कह कर वहां गंदगी लाकर बिखेरी गई और फिर सतीश उपाध्याय और दिल्ली में इस अभियान से जुड़ी आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता शाजिया इल्मी ने इस नकली गंदगी को झाडू लगा कर साफ किया।
मीडिया में इस खबर के आने के बाद विरोधी जहां इस आयोजन का मजाक उड़ा रहे हैं, वहीं बीजेपी में भी इसे लेकर खलबली है। दरअसल, एक कर्मचारी पहले यहां कूड़ा लाकर गिराता है। फिर वो इसे बकायदा बिखरेता है। फिर कूड़े को कूड़े जैसा बनाता है जिससे वो कूड़ा लगे। इसके बाद सतीश उपाध्याय और शाजिया इल्मी आकर यहां झाडू लगाते हैं और फिर मीडिया के लिए तस्वीर बनती है।
स्वच्छता अभियान से जुड़ी इस तस्वीर ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। इन तस्वीरों को देखकर आपको यही लगेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर स्वच्छता अभियान को किस कदर गंभीरता से बीजेपी नेता ले रहे हैं। खास कर प्रदेश बीजेपी ने तो मानो स्वच्छता अभियान को अपना मिशन बना लिया है। लेकिन हकीकत सामने आने के बाद बीजेपी को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। 

सतीश-शाजिया की सफाई
वहीं सतीश उपाध्याय ने सफाई देते हुए कहा कि मैं गेस्ट के तौर पर वहां गया था। मुझे नहीं पता था कि वहां पर पहले से कूड़ा फैलाया गया था। अगर इस तरीके से किया गया था तो ये गलत है। मैंने सिराजुद्दीन सिद्दिकी (इंडिया इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष)से भी बात की। उनको भी इस बारे में पता नहीं था। अगर ऐसा किया गया है तो ये गलत है। वहीं शाजिया इल्मी ने कहा कि मैं वहां गेस्ट के तौर पर गई थी। मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता कि वहां पहले से क्या किया गया था। मैं इस बारे में नहीं बोलूंगी।

कांग्रेस ने बोला हमला
मामला मीडिया में खुलने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस नेता जे पी अग्रवाल ने कहा कि सतीश उपाध्याय को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। जबकि राशिद अल्वी ने कहा कि इससे सच्चाई सामने आ गई है। वहीं अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि इनकी सफाई सिर्फ फोटो सेशन के लिए है। पहले इन्होंने लोगों को बिजली-पानी के मुद्दे पर बेवकूफ बनाया और अब स्वच्छ भारत के नाम पर बना रहे हैं। 

इस मुद्देे पर चर्चा में हिस्सा लिया बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता और कांग्रेस नेता मीम अफजल ने।
वहीं दूसरी तस्वीर है महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण राणे के विधायक बेटे नीतेश राणे की। नितेश ने आज एक विवादास्पद ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने गुजरातियों के सफाए की बात कही है। सवाल है कि विधानसभा चुनावों में मात खाने के बाद हताश राणे परिवार क्या घृणा की राजनीति पर उतर आया है। 


PHOTOS: पहले बिखेरा कूड़ा, फिर सतीश और शाजिया ने लगाई झाड़ू, जांच का एलान

फोटो: नई दिल्ली में इंडिया इस्‍लामिक कल्‍चरल सेंटर के बाहर झाड़ू लगाते दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और शाजिया इल्मी। 
 
नई दिल्ली. भाजपा ने उन तस्‍वीरों से अपना कोई संबंध मानने से इनकार किया है जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्‍वच्‍छ भारत अभियान' का मजाक बनाते दिखाया गया है। इन तस्‍वीरों के मुताबिक दिल्‍ली की सड़कों पर पहले कूड़ा गिरा कर उसे बिखेर कर गंदा किया गया और फिर नेताओं द्वारा उसकी सफाई की गई। बताया जाता है कि ये तस्‍वीरें दिल्‍ली प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष सतीश उपाध्‍याय द्वारा बुधवार को स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत झाड़ू लगाए जाने से कुछ देर पहले की हैं। ये तस्‍वीरें गुरुवार को एक अखबार में छपीं। 
 
गुरुवार को अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सतीश उपाध्‍याय ने पहले दिल्‍ली की सड़क पर गंदगी फेंकवाई और फिर उसे साफ किया। भाजपा ने दिल्‍ली में प्रधानमंत्री के स्‍वच्‍छ भारत अभियान के नाम पर धोखा किया है। 
बुधवार को दिल्‍ली में इंडिया इस्‍लामिक कल्‍चरल सेंटर (आईआईसीसी) के बाहर चलाए गए 'स्‍वच्‍छ भारत' अभियान में आम आदमी पार्टी छोड़ चुकीं शाजिया इल्‍मी भी शामिल हुई थीं। इन तस्‍वीरों के बारे में सतीश उपाध्‍याय ने जहां कुछ कहने से इनकार कर दिया, वहीं शाजिया इल्‍मी ने बस इतना कहा कि वह आईआईसीसी के न्‍यौते पर वहां गई थीं और केवल पांच मिनट रुकी थीं। 
उपाध्‍याय की ओर से भाजपा ने सफाई दी कि वह आईआईसीसी के न्‍यौते पर वहां गए थे और कूड़ा फेंके जाने को लेकर उन्‍हें कोई जानकारी नहीं है। उधर, आईआईसीसी अध्‍यक्ष के मीडिया सलाहकार एम. वदूद साजिद ने कहा है कि वे मामले की जांच करवाएंगे। 
स्‍वच्‍छ भारत अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्‍टूबर को की थी। उन्‍होंने इस अभियान से कई सेलेब्रिटीज को जोड़ा है और सरकार की ओर से मीडिया में इस अभियान का जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है।

Wednesday 5 November 2014

मुख्तार माई(सामूहिक बलात्कार पीड़िता) :'पाकिस्तान में महिलाओं को इंसाफ़ नहीं'...इस घटना के बाद मैंने दो बार ख़ुदकुशी करने की कोशिश की क्योंकि...

मुख्तार माई(सामूहिक बलात्कार पीड़िता) :'पाकिस्तान में महिलाओं को इंसाफ़ नहीं''...इस घटना के बाद मैंने दो बार ख़ुदकुशी करने की कोशिश की क्योंकि...

6 नवंबर 2014
मुख़्तार माई
साल 2002 में अपने भाई के कथित जुर्म की सज़ा के तौर पर सामूहिक बलात्कार का निशाना बनाई गई पाकिस्तान की मुख्तार माई का कहना है कि उनके देश में महिलाओं को कभी न्याय नहीं मिल सकता.
दक्षिणी पंजाब के मीरावाला गांव में मुख़्तार माई से सामूहिक बलात्कार किया गया था. सामूहिक बलात्कार का यह आदेश कथित तौर पर गांव के बड़े-बूढों ने दिया था. मुख़्तार का जुर्म ये था कि उसके भाई के कथित तौर पर किसी महिला से अवैध संबंध थे.
इसके बाद मुख़्तार माई ने जब अदालत के ज़रिए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ने का फ़ैसला किया तो वो पाकिस्तान और दुनियाभर की सुर्खियों में आ गईं.

मुख़्तार से बात की.

मुझे सब कुछ याद है. मैं इसे नहीं भूल सकती- यह हमेशा मेरी ज़िंदगी का हिस्सा रहेगा. यह घटना 2002 में हुई थी. मुझे हरेक चीज़ याद है, यहां तक कि हादसे का समय भी.
वे मेरे माता-पिता के घर पर बैठे हुए थे और उन्होंने मेरे भाई के किए की माफ़ी मांगने के लिए मुझे चुना. मुझे दुख है कि उन्होंने मुझे चुना लेकिन मैं ये भी नहीं चाहती थी जो कुछ मेरे साथ हुआ वह मेरी किसी बहन के साथ होता.
इस घटना के बाद मैंने दो बार ख़ुदकुशी करने की कोशिश की क्योंकि मुझे लगा कि मुझे कोई इंसाफ़ नहीं मिलेगा. जो कुछ मेरे साथ हुआ वो 'इज्जत के नाम' पर हत्या का ही एक रूप था.
मुख़्तार माई
सम्मान एक ज़हरीला शब्द है. यहां सम्मान सिर्फ़ मर्दों के लिए है, महिलाओं के लिए नहीं. किसी भी हाल में उन्हें ही ज़िम्मेदार ठहराया जाता है. महिलाओं के सम्मान का मालिक पिता, भाई और ससुर हैं.
एक लड़की का अपना घर तक नहीं होता; पहले वह उसके पिता का घर होता है, फिर उसके पति का आख़िर में उसके बेटे का घर.
जो कुछ मेरे साथ हुआ, वह व्यवस्था का एक हिस्सा है. इसमें बेटा और बेटी में अंतर है: एक, दूसरे से बेहतर है.

बेटा-बेटी में अंतर

यह माँ से शुरू होता है. जब कुछ पकाया जाता है, खाना पहले बाप और बेटे को दिया जाता है और अगर कुछ बच जाता है तो उसे लड़की को दिया जाता है.
 मुख़्तार माई
मुख़्तार माई पर जनवरी 2014 में एक ओपेरा नाटक का मंचन भी किया गया था
खुदा ने महिला और पुरुष दोनों को ही अधिकार दिए हैं, लेकिन जागरूकता की कमी, समाज की झूठी परंपराओं और क़ानून नहीं होने से ऐसा हो रहा है.
मनपंसद जीवनसाथी चुनने पर लड़कियों को मार दिया जाता है.
उन लड़कियों को कभी इंसाफ़ नहीं मिलता, क्योंकि हत्यारा पिता होता है और बचाने वाली माँ- यही व्यवस्था और उसका दुष्चक्र. क्यों कभी किसी औरत को इंसाफ़ नहीं मिलता- क्या औरत इंसान नहीं है?

इंसाफ़ का इंतज़ार

12 साल के बाद आज भी मैं इंसाफ़ के लिए अदालतों में अपील कर रही हूं. अदालत कहती है कि आपको चार गवाहों की ज़रूरत है- मेरे पास तो गवाही के लिए पूरा गांव है- फिर भी इंसाफ नहीं.
सबसे बड़ी समस्या सामंतवादी सोच है. जब पुलिस लोगों की नहीं सुनती तो वे इंसाफ़ के लिए गांव के बड़े-बुजुर्गों के पास जाते हैं. और ये 'बड़े' लोग वैसा ही फ़ैसला करते हैं, जैसा कि उन्होंने मेरे लिए किया.
हालाँकि 2002 के बाद से मेरे गांव में फिर वैसी घटना नहीं हुई. अब फ़ैसलों के लिए 'बड़े' लोगों की पंचायत भी नहीं है.

ओसामा बिन लादेन के सिर में गोलियां दागने वाले अमेरिकी सैनिक का चेहरा सामने आया | navy seal who killed osama bin laden named as rob oneill

ओसामा बिन लादेन के सिर में गोलियां दागने वाले अमेरिकी सैनिक का चेहरा सामने आया 
navy seal who killed osama bin laden named as rob oneill
नई दिल्ली, 6 नवम्बर 2014 | अपडेटेड: 10:18 IST
 टैग्स: ओसामा बिन लादेन| अमेरिका| नेवी सील| पाकिस्तान| एबटाबाद| अलकायदा| मिशन ओसामा
तस्वीर twitter से
अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने वाले अमेरिकी नेवी सील टीम सिक्स के सैनिक का चेहरा सार्वजनिक हो गया है. इस अमेरिकी नेवी सील का नाम रॉब ओ नील है. गौरतलब है कि अमेरिकी नेवी सील ने ओसामा के सिर में तीन गोलियां दागी थीं और ये गोलियां ओ नील की बंदूक से निकलीं. अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क फॉक्स न्यूज ने ओ निल का सात्क्षात्कार किया है और जल्द ही रॉब ओ नील दुनिया के सामने होंगे. ओ नील साक्षात्कार में मिशन ओसामा से जुड़ी अनसुनी कहानियां बताएंगे. हॉलीवुड ने ओ नील के किरदार को फिल्म जीरो डार्क थर्टी, कैप्टन फिलिप्स और लोन सरवाइवर में फिल्माया है.
गौरतलब है कि 11 मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा प्रमुख को अमेरिकी नेवी सील टीम सिक्स ने मौत के घाट उतार दिया था.
ओ नील के पिता टॉम ने भी अपने बेटे के मिशन ओसामा में शामिल होने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, 'लोग हमसे पूछ रहे हैं कि रॉब के पब्लिक में जाने के बाद आईएस वाले आएंगे और हमें उठा ले जाएंगे, लेकिन मैं डरने वालों में से नहीं हूं. मैं अपने दरवाजे पर लिखने जा रहा हूं कि 'आओ और हमें ले जाओ.'
मोंटाना में पले-बढ़े ओ नील की पहचान का सबसे पहले खुलासा sofrep.com नाम की वेबसाइट ने किया, जो मिलिट्री से जुड़े लोगों के लिए काम करती है. 16 साल की सेवा के बाद रिटायर हुए ओ नील अब भाषण देने का काम करते हैं.
अमेरिकी सेना में उन्हें 52 मेडल मिल चुके हैं. स्पीच देने के लिए उन्हें बाकायदा पेमेंट भी किया जाता है.
हालांकि रॉब ने इससे पहले सरकार की ओर से पेंशन और स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं ना मिलने को लेकर एक लेख भी लिखा था. साल 2011 में सीएनएन ने कहा था कि ओ नील को ओसामा से जुड़े मिशन के बारे में बढ़चढ़कर बातें करने के आरोप में सील टीम सिक्स से बाहर कर दिया गया था.

Keyword : Al-Qaeda, Osama Bin Laden, Rob O'Neill, Pakistan, united States

दुनिया की सबसे प्रभावशाली हस्तियों की सूची में PM मोदी 15वें स्थान पर, पुतिन पहले स्थान पर | Putin is on No-1 and Modi 15th most powerful person in the world according to forbes

दुनिया की सबसे प्रभावशाली हस्तियों की सूची में PM मोदी 15वें स्थान पर, पुतिन पहले स्थान पर, सोनिया बाहर

Putin is on No-1 and Modi 15th most powerful person in the world according to forbes,Sonia out


नई दिल्ली, 6 नवम्बर 2014 | अपडेटेड: 08:16 IST
 टैग्स: नरेंद्र मोदी| फोर्ब्स| मुकेश अंबानी| लक्ष्मी मित्तल| सत्या नडेला


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे प्रभावशाली हस्तियों में शामिल हो गए हैं. फोर्ब्स पत्रिका ने सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में मोदी को 15वें स्थान पर रखा है. यह पहला मौका है जब पत्रिका ने मोदी को इस सूची में शामिल किया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सूची में पहले स्थान पर हैं. दुनिया के 72 सबसे प्रभावशाली हस्तियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी 36वें, आर्सेलर मित्तल के चेयरमैन लक्ष्मी मित्तल 57वें और माइक्रोसाफ्ट के सीईओ सत्या नाडेला 64वें स्थान पर हैं.
पत्रिका ने मोदी के बारे में कहा है, 'भारत का नया रॉकस्टार बॉलीवुड से नहीं है. वह तो नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री है, जिन्होंने मई में आम चुनावों में विशाल जीत के साथ कार्यभार संभाला और जो गांधी परिवार के दशकों लंबे शासन के बाद बीजेपी को सत्ता में ले आए.
फोर्ब्स ने उन्हें हिंदू राष्ट्रवादी बताया है और 2002 के गुजरात दंगों का संदर्भ भी दिया है, जबकि मोदी वहां मुख्यमंत्री थे. पत्रिका ने कहा है, मोदी को अपने गृहराज्य गुजरात में बड़ी पुनर्निर्माण परियोजनाओं का श्रेय जाता है. उनकी सरकार ने देश के बाकी हिस्सों में भी आर्थिक कायाकल्प का वादा किया है.
इस साल की सूची में 12 नई हस्तियां हैं जिनमें मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल अलसिसि शामिल हैं. 

नरेंद्र मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार दुनिया की सर्वाधिक शक्तिशाली हस्तियों में अपनी जगह बना ली है.
फोर्ब्स पत्रिका ने सूची में मोदी को 15वें स्थान पर रखा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सूची में पहले स्थान पर हैं.
पुतिन लगातार दूसरी बार अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा से आगे निकले हैं.
मोदी के बारे में फोर्ब्स का कहना है कि भारत का नया रॉकस्टार बॉलीवुड से नहीं है. वह नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने आम चुनावों में भारी जीत के साथ कार्यभार संभाला.
फोर्ब्स ने उन्हें हिंदू राष्ट्रवादी बताया है और 2002 के गुजरात दंगों का ज़िक्र भी किया है.
नरेंद्र मोदी
दुनिया की 72 सबसे प्रभावशाली हस्तियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी 36वें, आर्सेलर मित्तल के अध्यक्ष लक्ष्मी मित्तल 57वें तथा माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्य नाडेला 64वें स्थान पर हैं.
इस सूची में इस बार कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी नहीं है और पहली बार 12 नए लोगों को जगह मिली है.


Keyword : Narendra Modi, Forbes, Mukesh ambani, Laxmi Mittal, Satya Nadella

बेटी बालिग है, अविवाहित है और कमा नहीं रही है तो पिता को देना होगा गुजारा भत्ता

बेटी बालिग है, अविवाहित है और कमा नहीं रही है तो पिता को देना होगा गुजारा भत्ता 

 | Nov 05, 2014, 11:55AM IST

बेटी बालिग है, अविवाहित है और कमा नहीं रही है तो पिता को देना होगा गुजारा भत्ता
(फाइल फोटोः गुजरात हाईकोर्ट)
 
अहमदाबाद. बालिग लड़की की शादी नहीं हुई हो और कमाती नहीं हो या कमाने लायक नहीं हो तो वह पिता से गुजारा भत्ता ले सकती है। यह फैसला गुजरात हाईकोर्ट ने दिया है। फैसले के अनुसार, अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अविवाहित बालिग बेटी पिता से गुजारा भत्ता मांग सकती है।
 
एक युवती ने जूनागढ़ की फैमिली कोर्ट में पिता से गुजारा भत्ता पाने के लिए अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने पिता को प्रति महीने छह हजार रुपए देने का आदेश दिया, लेकिन आदेश के खिलाफ पिता ने हाईकोर्ट में अपील की। उनकी ओर से दलील दी गई कि इस तरह की व्‍यवस्‍था गैरकानूनी है। लेकिन हाईकोर्ट ने यह दलील नहीं मानी। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट भी कई मामलों में ऐसे फैसले दे चुका है। इसलिए फैमिली कोर्ट के फैसले में कुछ गलत नहीं है।

Monday 3 November 2014

मणिपुर-विधवाओं का राज्य? (आफ़्स्पा क़ानून): विधवाओं को है आँसुओं को पोंछने वाले का इंतज़ार!!!

मणिपुर-विधवाओं का राज्य? (आफ़्स्पा क़ानून):

विधवाओं को है आँसुओं को पोंछने वाले का इंतज़ार!!!

4 नवंबर 2014 
मणिपुर
लंबे समय से हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में कई संगठन विवादित आफ़्स्पा क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
आर्म्ड फ़ोर्सेज़ स्पेशल पावर ऐक्ट या आफ़्स्पा क़ानून के तहत राज्य में तैनात सशस्त्र बलों को बिना वॉरंट के लोगों के घरों की तलाशी लेने समेत कई विशेषाधिकार हैं.
बर्मा की सीमा से सटे मणिपुर में कई चरमपंथी गुट सक्रिय हैं. राज्य पिछले कई सालों से हिंसा का शिकार है.
सेना पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि वह इस विशेषाधिकार की आड़ में फ़र्ज़ी मुठभेड़ कर कई बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है.
 इसी तरह की कुछ घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवार से मुलाक़ात
गंगारानी कोंगखेंग
मणिपुर की राजधानी इंफ़ाल में गंगारानी कोंगखेंग के पति डेबान कोंगखेंग की वैन पर थोबुल ज़िला पुलिस ने गोलियां चलाईं जिसमें उनकी मौत हो गई.
सरकार ने दोषियों को सज़ा देने के भरोसे के साथ उन्हें मुआवज़ा देने का भी ऐलान किया.
लेकिन छह साल बीत जाने के बाद भी गंगारानी आज भी इंतज़ार कर रही हैं.
38 साल की गंगारानी की नज़र कमज़ोर है और उन पर अपने दो बच्चों को पालने की भी ज़िम्मेदारी है.
वांगखेम चंद्रकाला
वांगखेम चंद्रकला के पति नमोईजन लुखोई की 21 अप्रैल 2008 को उनके घर के बाहर दो अज्ञात बंदूक़धारियों ने हत्या कर दी थी. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया.
वांगखेम को डर था कि इससे उनके चार छोटे-छोटे बच्चों पर भी मुसीबत आ सकती है.
उन्होंने कहा, "अपने पति की मौत के बाद मैं डिप्रेशन यानी अवसाद में चली गई. बार-बार श्मशान घाट चली जाती. मेरे पड़ोसी और परिवार वाले मुझ पर नज़र रखते थे कि मैं कहीं अपने आपको कुछ कर ना बैठूं."
रोनी
रोनी के पति मुतुम हीरोजित की 13 अक्तूबर 2008 को हत्या कर दी गई.
इसका पता उन्हें टीवी पर समाचार देखते हुए लगा.
वह कहती हैं, "मुझे इंसाफ़ चाहिए. मैं सरकार से कहना चाहती हूं कि राज्य में हिंसा और हत्याओं का दौर बंद हो चाहिए. वर्ना मणिपुर विधवाओं का राज्य बनकर रह जाएगा."
फ़ोटो में रोनी अपने नौ साल के बच्चे मुतुम मीर के साथ नज़र आ रही हैं.
नीना
नीना निंगोमबाम के पति मिशेल 2008 में मारे गए थे.
मणिपुर पुलिस के मुताबिक़ वह चरमपंथी थे और भागने के प्रयास में मारे गए.
पति की मौत के बाद नीना ने राज्य की दूसरी हिंसा से पीड़ित विधवाओं से हाथ मिलाया और एक संगठन बनाया.
उनके संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिसमें सशस्त्र सेनाओं के हाथ मारे गए लोगों से संबंधित 1528 केसों का ब्यौरा है.
पीड़ित परिवार
इस फ़ोटो में पीड़ित परिवार अपने मारे गए सदस्यों की तस्वीर लिए हुए नज़र आ रहे हैं.
नीना निंगोमबाम ने जो संगठन बनाया है वह इन पीड़ित परिवारों को सहारा और सलाह देता है.

Sunday 2 November 2014

ट्रेन छूटने के दो घंटे बाद तक मिलेगा पूरा रिफंड | passengers will get full refund within two hours after the departure of train

ट्रेन छूटने के दो घंटे बाद तक मिलेगा पूरा रिफंड
 
Passengers will get full refund within two hours after the departure of train 

 नई दिल्ली, 3 नवम्बर 2014 

Symbolic Image
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अगर आप ट्रेन से यात्रा करते हैं और किसी कारण से आपकी ट्रेन छूट जाती है तो ये खबर आपके काम की है. ट्रेन छूट जाने की स्थिति में रेलवे ने अपने यात्रियों के लिए एक नई व्यवस्था शुरू की है. अब यात्री ट्रेन छूटने के दो घंटों के अंदर टिकट कैंसिल करवा सकते हैं. टिकट कैंसिल करवाने पर यात्रियों को पूरा रिफंड मिलेगा. यात्रियों से सिर्फ रिजर्वेशन चार्ज लिया जाएगा. पहले, ऐसी स्थिति में टिकट कैंसिल करवाने पर आधा किराया ही वापस मिलता था. रेलवे की ये नई व्यवस्था लागू करने के निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे.

टिकट कैंसिल कराने के लिए क्या करना होगा:
ट्रेन छूटने के बाद यात्री को टिकट कैंसिल कराने के लिए स्टेशन मैनेजर के पास जाना होगा, जहां से यात्रा शुरू होनी थी. फिर यात्री को स्टेशन मैनेजर के पास उपलब्ध टिकट डिपॉजिट रिसीप्ट (TDR) भरकर जमा करना होगा. यात्री को उस फॉर्म में टिकट कैंसिल करने की वजह भी बतानी होगी. यदि मैनेजर यात्री द्वारा बताई गई वजह से संतुष्ट होगा तो वो उसे वेरिफाई कर देगा. इसके बाद आपको रिजर्वेशन ऑफिस जाना होगा फिर जहां से यात्री को पूरा पैसा वापस मिल जाएगा. हालांकि, एक हफ्ते के भीतर टिकट वापस करने पर 10 फीसदी किराया वापस मिलने की व्यवस्था पहले की तरह ही रहेगी.

आपको बता दें कि रेलवे के नियम के मुताबिक अगर आपकी ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा लेट चल रही है और अगर आप अपनी यात्रा रद्द करना चाहते हैं तो वैसी स्थिति में भी आपको पूरा किराया वापस मिलता है. रेलवे में ये नियम पहले से ही लागू है.
Keyword : Train, Refund, Ticket, Cancellation, Indian Rail


बांग्लादेशः एक और इस्लामी नेता को 1971 के युद्ध अपराधों के लिए मौत की सज़ा

बांग्लादेशः एक और इस्लामी नेता को 1971 के युद्ध अपराधों के लिए मौत की सज़ा


3 nov

मीर क़ासिम अली


बांग्लादेश में सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के एक और नेता को 1971 के युद्ध अपराधों के लिए मौत की सज़ा सुनाई गई है.
मीडिया कारोबारी और नेता मीर क़ासिम अली पर 14 आरोप थे, जिनमें चटगांव में चरमपंथी घटनाओं के आरोप भी थे.
उन्हें आठ मामलों में दोषी पाया गया. चार दिन के भीतर ही जमात-ए-इस्लामी के दो बड़े नेताओं को मौत की सज़ा सुनाई जा चुकी है.
इसके ख़िलाफ़ पार्टी ने गुरुवार को देशभर में 24 घंटों का बंद बुलाया है.
पिछले बुधवार को संगठन के पूर्व प्रमुख मोतिउर रहमान निज़ामी को भी मौत की सज़ा सुनाई गई थी.

मीर क़ासिम अली

कार्यकर्ता तीन दिनों से इसका विरोध कर रहे हैं.
अदालत ने कहा कि मीर अली के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना के बांग्लादेशी समर्थकों ने 1971 चटगांव में 'आतंक मचा दिया था.'
बांग्लादेश की आज़ादी के लिए नौ महीने चले मुक्ति युद्ध में मरने वाले की सही संख्या को लेकर अलग-अलग अपुष्ट आंकड़े हैं.
बांग्लादेश के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ क़रीब 30 लाख लोग इस दौरान मारे गए थे.


मोतिउर-रहमान-निज़ामी, जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख मोतिउर-रहमान-निज़ामी को भी फ़ांसी की सज़ा दी गई है.
शेख हसीना सरकार ने 2010 में अपराध युद्ध न्यायालय की स्थापना कर 1971 में हुए अपराधों की जांच के आदेश दिए थे.
उन पर अदालत का इस्तेमाल कर राजनीतिक विरोधियों से निपटने के आरोप भी लगते रहे हैं.
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि यह युद्ध न्यायालय अंतरराष्ट्रीय मानकों पर ख़रा नहीं उतरता.

वाघा सीमा: धमाके में मृतकों की संख्या 57 :::: वाघा धमाके का आदेश हमने दिया: तालिबान

वाघा सीमा: धमाके में मृतकों की संख्या 57 

वाघा धमाके का आदेश हमने दिया: तालिबान


3 nov 2014




वाघा सीमा, लाहौर, पाकिस्तान



पाकिस्तान के लाहौर में पाकिस्तान-भारत वाघा सीमा के पास हुए आत्मघाती हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 57 हो गई है.
पाकिस्तान पंजाब पुलिस की प्रवक्ता नबीला ग़ज़नफ़र के अनुसार रविवार शाम हुई घटना में मरने वालों में पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसी पाक रेंजर्स के कई अधिकारी, कई महिलाएं और बच्चे भी हैं.
प्रतिबंधित संगठन जमाअतुल अहरार के केंद्रीय प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान ने फ़ोन कर इस हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार की है.
ये संगठन पाकिस्तान के क़बायली इलाक़े मोहमंद एजेंसी में सक्रिय है.
इस हमले के चलते तीन दिन तक वाघा सीमा पर होने वाला फ़्लैग परेड समारोह नहीं होगा.
भारत के सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख डीके पाठक ने बताया कि ऐसा पाकिस्तान के अनुरोध पर किया जा रहा है.

भारत सीमा से सिर्फ़ 500 मीटर के फ़ासले पर धमाका
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है.

कार पार्किंग में धमाका

ये धमाका रविवार शाम को वाघा सीमा पर फ़्लैग परेड के ख़त्म होने के थोड़ी देर बाद हुआ जब लोग कार पार्किंग की ओर जा रहे थे. पुलिस के अनुसार आत्मघाती हमलावर भी कार पार्किंग की जगह मौजूद था.
सीमा के दोनों ओर फ़्लैग परेड को देखने के लिए हज़ारों लोग मौजूद रहते हैं और ख़ासकर रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण इसे देखने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा है

वाघा धमाके का आदेश हमने दिया: तालिबान 

वाघा सीमा के पास पाकिस्तान के भीतर हुए धमाके की तालिबान और तालिबान से जुड़े चरमपंथी संगठन जुनदुल्लाह ने ज़िम्मेदारी ली है.

इन संगठनों का दावा है कि उन्होंने इस हमले का आदेश दिया था.
पाकिस्तान में रविवार को लाहौर के निकट वाघा सीमा के पास ज़ोरदार धमाका हुआ था. इसमें 57 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.
पाकिस्तान पुलिस के मुताबिक़ यह आत्मघाती हमला था.
पाकिस्तानी पंजाब के आईजी पुलिस मुश्ताक सखेरा ने इसकी पुष्टि की है कि यह विस्फोट आत्मघाती था.
मारे गए लोगों में कई पाकिस्तानी रेंजरों, अधिकारियों के अलावा महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.


धमाका भारत-पाकिस्तान की वाघा सीमा के पास हुआ है.
ख़बरों में कहा गया है कि यह वारदात वाघा बार्डर पर रोज़ाना की फ़्लैग परेड के तुरंत बाद हुई.

धमाके की वजह

प्रशासन ने लाहौर के सभी अस्पतालों में आपातकाल लागू कर दिया है.
अस्पताल के डीएमएस डॉ खुर्रम ने  बातचीत में इसे नरसंहार बताया है.
प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और पाकिस्तान प्रशासित पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस घटना की रिपोर्ट मांगी है.
उधर, पाकिस्तान तहरीक इंसाफ़ ने ट्विटर पर एक संदेश में इस धमाके पर अफ़सोस जताया है.
दो होती है.


डीजी रेंजर्स ताहिर ख़ान के अनुसार तीन रेंजर्स मारे गए हैं और पांच ज़ख़्मी हुए हैं.
लाहौर स्थित संवाददाता  ने बताया कि पाकिस्तान की राज्य सरकार ने मरने वालों के परिजनों को पांच लाख पाकिस्तानी रूपए और ज़ख़्मी लोगों के परिजनों को 75 हज़ार रूपए देने की घोषणा की है.
लाहौर के तमाम अस्पतालों में इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई है.

PM मोदी ने की कड़ी निंदा



 वाघा बॉर्डर पर रविवार शाम भारत और पाकिस्तान के ध्वजों को नीचे उतारने के लिए आयोजित समारोह के तुरंत बाद पाकिस्तान में बॉर्डर के करीब जबरदस्त विस्फोट हुआ. इस आत्मघाती विस्फोट में 11 महिलाओं और तीन सुरक्षाकर्मियों समेत कम 57 लोग मारे गए. जबकि 200 लोगों के घायल होने की खबर है. आतंकी संगठन जुंदुल्लाह ने हमले की जिम्मेदारी ली है.   पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो टीवी के अनुसार भी विस्फोट में 55 लोग मारे गए हैं और करीब 200 घायल हुए हैं. मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है. पंजाब पुलिस के आईजी मुश्ताक सुखेरा ने बताया कि आत्मघाती हमलावर गेट की ओर बढ़ा, उस समय समारोह देखने के बाद भीड़ परेड इलाके से निकल रही थी. यह विस्फोट भारतीय सीमा से 500 मीटर की दूरी पर हुआ है. घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है और स्थानीय लोगों से पाक सरकार ने रक्त दान करने की अपील की है. 
दूसरी ओर, पत्रकारों को घटनास्थल से हटा दिया गया है. पाकिस्तानी रेंजर्स ने घटनास्थल को जांच के लिए घेर लिया. पाकिस्तानी मीडिया में आई तस्वीरों में विस्फोट स्थल के पास मौजूद दुकानों और इमारतों में हुआ नुकसान साफ देखा जा सकता है. घटना के तुरंत बाद सुरक्षा और राहत-बचाव अधिकारी घटनास्थल की तरफ कूच कर गए.
लाहौर के सभी अस्पतालों में आपात स्थ‍िति की घोषणा कर दी गई है. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने विस्फोट पर संज्ञान लेते हुए घटना की रिपोर्ट मांगी है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर इस घटना की कड़ी निंदा की है.
BSF को अलर्ट किया गया
पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास आत्मघाती बम हमले के बाद उस क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अलर्ट पर रखा गया है. बीएसएफ के प्रमुख डी के पाठक ने बताया कि बीएसएफ को करीब एक पखवाड़े पहले सूचना मिली थी कि बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी के दौरान आतंकवादी संगठन हमले को अंजाम दे सकते हैं. हर रोज सूर्यास्त से पहले दोनों देशों की सीमा की रक्षा करने वाले बल बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी में हिस्सा लेते हैं.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के अनुरोध पर शनिवार से तीन दिनों के लिए वाघा सीमा पर बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी नहीं होगी. पाठक ने बताया, 'हम इस इलाके में पहले ही अलर्ट थे क्योंकि हमें कुछ दिनों पहले ही सूचना मिली थी कि इस इलाके को निशाना बनाया जा सकता है. अब जब धमाका हो गया है तो हमने इस सीमा पर अपनी इकाइयों को भी अलर्ट कर दिया है.' उन्होंने कहा कि उनके बल की तरफ से उन्हें बताया गया है कि वाघा सीमा से करीब 500 मीटर की दूरी पर धमाका हुआ.
पाठक ने कहा कि पाकिस्तानी रेंजर्स ने शुरुआत में बताया कि चाय की एक दुकान पर सिलेंडर में धमाका हुआ, लेकिन अब पता चला है कि यह एक फिदायिन हमला था.

काला धन: पैंतरा बदल रही है मोदी सरकार

काला धन: पैंतरा बदल रही है मोदी सरकार




भारतीयों का कितना काला धन विदेशों में है? वास्तव में सच्चाई कोई नहीं जानता.
साल 2011 में 8000 करोड़ डॉलर के काले धन के अनुमान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सवाल उठाए थे, उन्होंने कहा था कि यह बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है.
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग संगठन (एसोचैम) का कहना है कि काले धन का आंकड़ा दो लाख करोड़ डॉलर है यानी भारत की जीडीपी से भी अधिक.
जाने-माने स्तंभकार स्वामिनाथन अय्यर का मानना है कि काले धन का आंकड़ा इतना नहीं हो सकता क्योंकि स्विटज़रलैंड में ब्याज दरें भारत के मुक़ाबले बहुत कम हैं और भारतीयों का अपना धन बाहर भेजने का कोई तुक नहीं बनता.
आख़िर कितना है काला धन और सरकार के लिए इसे वापस ला पाना संभव है भी या नहीं?

पढ़िए  विश्लेषण

काला धन आख़िर है क्या? इसे लेकर भी प्रारंभिक जानकारी कुछ अस्पष्ट सी है. काला धन वह है जिस पर आयकर नहीं दिया गया है.

इस मानक के हिसाब से, एक बड़ी आबादी और शायद वयस्क बहुसंख्यकों के पास काला धन है.
हालाँकि, भारतीय जनता पार्टी के वादों और गांधी परिवार पर लगाए गए आरोपों के कारण बहुत से लोगों का मानना है कि काला धन दरअसल, वह धन है जो घूस के रूप में लिया गया और उसे विदेश भेज दिया गया.

चुनावी नारा

और काले धन के मुद्दे पर आक्रामक राजनीतिक दावों, अटकलबाज़ियों और मीडिया के लापरवाह रुख़ ने भारतीयों में ग़ुस्सा भर दिया है. इस मुद्दे को भाजपा में पहले लालकृष्ण आडवाणी और फिर नरेंद्र मोदी ने लपका था.
भाजपा की दृष्टि में, काले धन की समस्या भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है, और इसे सत्ता में बदलाव के साथ आसानी से हल किया जा सकता है.

अपने चुनाव अभियान के दौरान मोदी ने दावा किया कि, "एक बार ये जो चोर-लुटेरों के पैसे विदेशी बैंकों में जमा हैं ना, उतने भी हम ले आए ना, हिंदुस्तान के एक-एक ग़रीब आदमी को मुफ़्त में 15-20 लाख रुपये यूं ही मिल जाएँगे. इतने रुपये हैं."
मोदी ने आगे कहा, "ये हमारे एमपी साहब कर रहे थे रेलवे लाइन...ये काला धन वापस आ जाए, जहां चाहो वहां रेलवे लाइन कर सकते हैं. ये लूट चलाई है और बेशर्म होकर कहते हैं. सरकार आप चलाते हो और पूछते मोदी को हो- कि कैसे लाएं? जिस दिन भारतीय जनता पार्टी को मौक़ा मिलेगा, एक-एक पाई हिंदुस्तान की वापस लाई जाएगी. और हिंदुस्तान के ग़रीबों के लिए काम लाई जाएगी."

नया कुछ नहीं

उनके काले धन के आंकड़े और काला धन वापस लाने को लेकर मीडिया को सवाल करने चाहिए थे, लेकिन जादुई चुनावी अभियान में सारे तथ्य बह गए.

सुप्रीम कोर्ट ने काले धन को लेकर काफ़ी सक्रिय है और एसआईटी के काम पर नज़र रख रहा है.
जैसा कि मोदी ने मांगा था, लोगों ने भाजपा को मौक़ा दिया, लेकिन वह कोई नाटकीय बदलाव लाने में सफल नहीं हुए.
प्रधानमंत्री के रूप में पहले दिन उन्होंने काले धन पर विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. लेकिन इसके बाद चीज़ें पहले की तरह पुराने ढर्रे पर चलती दिखाई देने लगीं, यहां तक कि सुब्रमण्यम स्वामी और राम जेठमलानी जैसा भाजपाइयों को भी ऐसा लगा.

बड़ा धनकुबेर नहीं

एसआईटी उन विदेशी बैंक के खाताधारकों की सूची की जांच कर रही है जो भारत को कांग्रेस के शासन में ही मिल गई थी.

इस सूची में कुछ सौ लोगों के नाम हैं, लेकिन इनमें से लगभग आधे वैध माने जा रहे हैं, क्योंकि ये अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के हैं. कांग्रेस सरकार ने अप्रैल में इनमें से 18 लोगों के नाम सार्वजनिक किए थे, लेकिन इनमें बहुत कुछ नहीं निकला था.
सुप्रीम कोर्ट के दबाव में तीन नाम और सार्वजनिक किए गए क्योंकि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू कर दी गई थी.
हालाँकि इन तीनों व्यक्तियों ने आरोपों को ख़ारिज किया है और इनमें से कोई भी वाक़ई में बड़ा धनकुबेर नहीं है. यह भी नहीं बताया गया है कि इनके खाते में कितनी रक़म है और सरकार कितनी रक़म वसूल कर पाएगी.

बदलता पैंतरा

यह साफ़ होता जा रहा है कि सरकार अब काले धन को वापस लाने और इसे जनता में बांटने के वादे से ख़ुद को धीरे-धीरे अलग कर रही है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली अब कहते हैं कि देश के अंदर फैले काले धन पर ध्यान केंद्रित करना होगा और आयकर विभाग को घरेलू काला धन पर पकड़ ढीली नहीं करनी चाहिए.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने "आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से ऐसे क्षेत्रों पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के प्रयास करने को कहा है, जहां काले धन की सबसे ज़्यादा गुंजाइश है."

गुजराती निशाने पर?

मेरी राय में समस्या को देखने का यह सही तरीक़ा है. हक़ीक़त यह है कि विदेशी बैंकों के खाताधारकों में से अधिकांश नाम (पहली सूची में 18 में से 15 और तीन नामों की दूसरी सूची में) गुजराती हैं.

एचएसबीसी में भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी भारत को फ्रांस सरकार से मिली थी
यदि देश की भीतर काले धन पर ज़ोर दिया गया तो पहले गुजरात की अर्थव्यवस्था और वहां की सरकार के प्रदर्शन को देखना चाहिए.
मेरा अनुमान है कि टेलीविज़न चैनल जो अब तक दावों को अंधाधुंध तरीक़े से प्रचारित कर रहे थे, हताश हो चुके हैं और जब यह स्पष्ट हो जाएगा कि मोदी ने जो कुछ कहा था, वह नहीं कर पाएंगे, तो वे मोदी को अपने निशाने पर लेंगे.

काले धन पर जारी घटनाक्रम पर राष्ट्रीय सहारा लिखता है कि 2006 में जब स्विस बैंकों में काला धन रखने वालों के नाम बताने की दरख़्वास्तों का सिलसिला शुरू हुआ तो रक़म 23 हज़ार करोड़ रुपए बताई गई, अब जब मामला खुल कर सामने आ रहा है तो मालूम होता है कि रक़म घट कर नौ हज़ार करोड़ रुपए रह गई है.
अख़बार इस बात पर हैरान है कि वित्त मंत्रालय ये बताने को भी तैयार नहीं है कि ये नौ हज़ार करोड़ रुपए भी भारत कब आएंगे, और आएंगे भी या नहीं. अब इसे खोदा पहाड़ निकला चूहा ही कहना होगा.

काले धन की 'पाई-पाई' वापस लाऊंगा...,नशे की ओर झुकाव पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मोदी ने कहा कि इस विषय पर अगली बार बात करेंगे.: मोदी

काले धन की 'पाई-पाई' वापस लाऊंगा...,नशे की ओर झुकाव पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मोदी ने कहा कि इस विषय पर अगली बार बात करेंगे.: मोदी

2 nov 2014 time:13.32

नरेंद्र मोदी
भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को विदेशों में जमा काले धन की पाई पाई वापस लाने का आश्वासन दिया है.
मोदी ने आकाशवाणी पर 'मन की बात' के ज़रिए देश की जनता तक अपनी बात पहुंचाई.
इस दौरान प्रधानमंत्री ने सफाई अभियान, काला धन, नशा और विशेष क्षमता वाले बच्चों आदि कई महत्वपूर्ण मसलों पर अपनी बात रखी.
काले धन के बारे में उन्होंने कहा, "किसी को पता नहीं है कि देश का कितना काला धन बाहर है. लेकिन वादा करता हूं कि भारत के गरीबों का पैसा जो बाहर गया है, उसका मैं पाई-पाई वापस ले आऊंगा."
मोदी ने कहा, "काला धन देश में वापस लाने के क्या रास्ते और तरीक़े होंगे, उस पर मत भिन्नता हो सकती है लेकिन आप भरोसा रखें कि मैं अपने प्रयासों में कोई कोताही नहीं बरतूंगा. मैं काला धन लाकर रहूंगा."

आंदोलन

मोदी ने लोगों को उनके 'मन की बात' से अपने मन की बात जोड़ने का निमंत्रण दिया.
उन्होंने स्वच्छता अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि सफाई ने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है.
उन्होंने ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि अब न केवल यात्री ट्रेनों की सफाई पर ध्यान दे रहे हैं, बल्कि छोटे बच्चे भी कूड़ा देखकर उठा लेते हैं.
युवा पीढ़ी के नशे की ओर झुकाव पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मोदी ने कहा कि इस विषय पर अगली बार बात करेंगे.
मन की बात का प्रसारण रेडियो और टीवी न्यूज चैनलों पर किया गया.

गंगा की सफाई? या लाखों रुपये की सफाई? -: नमामि गंगे की एक मीटिंग पर खर्च हुए 43 लाख, सजावट पर ही 75 हजार

गंगा की सफाई? या लाखों रुपये की सफाई? -: नमामि गंगे की एक मीटिंग पर खर्च हुए 43 लाख, सजावट पर ही 75 हजार

  | नई दिल्ली, 2 नवम्बर 2014 | अपडेटेड: 11:52 IST
टैग्स: गंगा| नमामि गंगे| सूचना का अधिकार| नरेंद्र मोदी
काशी के दशाश्वमेध घाट पर PM मोदी
नब्बे के दशक से ही हिंदुस्तान की सरकारें गंगा की सफाई के बहाने हजारों करोड़ बहा चुकी है और आने वाले सालों में भी ये सिलसिला थमने वाला नहीं है. बड़े-बड़े वादों से गंगा और जनता को नमामि गंगे के जरिए स्वच्छता की नई उम्मीद देने वाले मोदी के मंत्री भी गंगा की सफाई के नाम पर एक बैठक में लाखों रुपये निगल रहे हैं. लोकसभा चुनावों में काशी से जीतकर प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी का गंगा की सफाई का सपना खर्चीला साबित होने जा रहा है. एक बैठक पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं.

(मस्त चल रही है गंगा की सफाईः एक कार्यक्रम में जलसंसाधन मंत्री उमा भारती)
आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर सरकार ने विज्ञान भवन में स्वच्छ गंगा के लिए आयोजित राष्ट्रीय मिशन की एक बैठक पर 43.85 लाख रुपये खर्च किए.
बैठक के लिए खर्च किए पैसों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, क्योंकि बैठक के लिए आए अतिथियों की सुविधाओं पर 26.7 लाख रुपये खर्च किए गए. जबकि अधिकारियों की यात्रा पर 8.8 लाख रुपये बहा दिए गए.
इसके साथ ही गंगा की सफाई के लिए प्रचार पर 5.1 लाख रुपये खर्च किए गए.
दिलचस्प है कि सरकार ने इस बैठक के लिए 75 हजार रुपये सिर्फ साज सज्जा पर खर्च किए. इसके अलावा दूसरी सुविधाओं के लिए 2.3 लाख रुपये खर्च हुए.
गौरतलब है कि बीजेपी नीत केंद्र सरकार ने समेकित गंगा संरक्षण मिशन के लिए नमामि गंगे अभियान की घोषणा की है. इसके लिए केंद्रीय बजट से 2,037 करोड़ आवंटित किया गया है.