Friday, 19 July 2013

हिट एंड रन केस: जज ने कहा, आरोपी की जगह बैठें सलमान खान, अगली सुनवाई 24 जुलाई को

हिट एंड रन केस: जज ने कहा, आरोपी की जगह बैठें सलमान खान, अगली सुनवाई 24 जुलाई को

मुंबई, 19 जुलाई 2013 |

साल 2002 के हिट एंड रन केस में शुक्रवार को बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान मुंबई के सेशंस कोर्ट में पेश हुए. मामले की अगली सुनवाई अब 24 जुलाई को होगी.सलमान खान पर इस मामले में गैर-इरादतन हत्‍या का केस चल रहा है, जिसका आज पहला ट्रायल था और जज ने उन्‍हें कोर्ट में हाजिर रहने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान सलमान आम जनता की जगह बैठ गए, लेकिन जज ने उनसे कहा कि वो आरोपी हैं इसलिए उन्‍हें आरोपी की जगह पर बैठना होगा. जज के आदेश के बाद सलमान को अपनी जगह बदलनी पड़ी.
मामले की सुनवाई अब 24 जुलाई को होगी और उन्‍हें उस दिन भी कोर्ट में हाजिर रहना पड़ेगा. सलमान के साथ आज उनकी दोनों बहनें अलविरा और अर्पिता भी कोर्ट में मौजूद थीं.
इससे पहले 25 जून को मुंबई के सेशंस कोर्ट ने साल 2002 के हिट एंड रन मामले में सलमान की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उनके खिलाफ गैर-इरादतन हत्‍या का केस चलेगा. अब अगर सलमान दोषी पाए जाते हैं तो उन्‍हें 10 साल तक की सजा हो सकती है.

दरअसल, सलमान ने निचली अदालत के जज के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिन्होंने इसे हत्या नहीं बल्कि सदोष मानवहत्या का कठोर मामला मानते हुए दोबारा सुनवाई के आदेश दिए थे. इस मसले पर बहस मई में पूरी हुई थी और सलमान के वकील अशोक मुंडार्गी ने निचली अदालत के आदेश को भ्रामक और कानून के मुताबिक गलत और दर्ज सुबूत के खिलाफ बताया था.
मामला सेशंस कोर्ट तक पहुंचा और सुनवाई के दौरान खुली अदालत में फैसला लिखवाते हुए सत्र न्यायाधीश यूबी हेजिब ने कहा कि सलमान को गैर इरादतन हत्या के आरोपों का सामना करना चाहिए.
सलमान के खिलाफ इससे पहले लापरवाही से मौत (आईपीसी की धारा 304 ए) के तहत हल्के आरोप के लिए मजिस्ट्रेट ने मुकदमा चलाया था. उसके तहत अधिकतम 2 साल के कारावास का प्रावधान है.
हालांकि, मामले में नया मोड़ लाते हुए बांद्रा के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 17 गवाहों का परीक्षण करने के बाद 47 वर्षीय अभिनेता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के अधिक गंभीर आरोप लगाए थे और इसे दोबारा मुकदमा चलाने के लिए सत्र अदालत के पास भेज दिया था.
गौरतलब है कि सलमान की एसयूवी ने 28 सितंबर 2002 को बांद्रा उपनगर में फुटपाथ पर सो रहे पांच लोगों को कुचल दिया था, जिनमें से एक की मौत हो गई थी.

सदाशिवम बने देश के 40वें मुख्य न्यायाधीश

 सदाशिवम बने देश के 40वें मुख्य न्यायाधीश

नई दिल्ली, 19 जुलाई 2013 |
पी सतशिवम
पी सतशिवम
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति पी सदाशिवम को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई. न्यायमूर्ति सदाशिवम (64) भारत के 40वें मुख्य न्यायाधीश हैं. वह 26 अप्रैल, 2014 तक इस पद पर बने रहेंगे.
उन्होंने मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर का स्थान लिया है जो गुरुवार को पदभार से मुक्त हुए हैं.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य कैबिनेट मंत्री उपस्थित थे.

नए चीफ जस्टिस सदाशिवम ने ही सुनाई थी संजय दत्त को सजा


नए चीफ जस्टिस सदाशिवम उस बेंच में शामिल थे, जिसने मुंबई धमाकों के मामले में संजय दत्त की सजा को बरकरार रखा था. वह कई बड़े मामलों में फैसले सुना चुके हैं. जस्टिस सदाशिवम मामलों के निपटारे में देरी को बड़ा मुद्दा मानते हैं. पद की शपथ लेने से पहले कल उन्होंने कहा, 'न्याय की गुणवत्ता और मात्रा में इजाफा कर इस परेशानी से उबरा जा सकता है.' उन्होंने कहा कि वह दलीलों और लिखित बयानों को जमा कराने की समयसीमा तय करने की कोशिश करेंगे ताकि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम की जा सके.
64 साल के सदाशिवम 26 अप्रैल, 2014 तक यह पद संभालेंगे. वह भी अल्तमस कबीर की तरह सुप्रीम और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए मौजूदा कोलेजियम व्यवस्था को खत्म करने के खिलाफ हैं. हालांकि उन्होंने माना है कि कोलेजियम व्यवस्था में कमियां हैं और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कोशिशें की जा सकती हैं.
सदाशिवम का जन्म 27 अप्रैल, 1949 को हुआ था. जुलाई, 1973 में उन्होंने मद्रास में बतौर वकील पंजीकरण करवाया और जनवरी, 1996 में मद्रास हाई कोर्ट में स्थायी जज बने. अप्रैल, 2007 में उनका तबादला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कर दिया गया.
चीफ जस्टिस सदाशिवम ने कई बड़े फैसले दिए हैं जिनमें मुंबई धमाकों का मामला और पाकिस्तानी वैज्ञानिक मोहम्मद खलील चिश्ती का मामला भी शामिल है. जस्टिस सदाशिवम और जस्टिस बी.सी. चौहान ने ही मुंबई धमाकों के मामले में अभिनेता संजय दत्त और कई दूसरे अभियुक्तों की सजा को बरकरार रखा था.
उनकी पीठ ने इस मामले में पाकिस्तान की इस बात के लिए भर्त्सना की थी कि उसकी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने इन विस्फोटों को अंजाम देने वालों को ट्रेनिंग दी और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वह अपनी जमीन से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने में नाकाम रही है,
पाकिस्तानी वैज्ञानिक चिश्ती की सजा को रद्द करने वाला फैसला भी जस्टिस सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया था.
जस्टिस सदाशिवम ने ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस से जुड़े तिहरे हत्याकांड के मामले में भी फैसला सुनाया था. उन्होंने इस मामले में दारा सिंह की सजा को बरकरार रखा था.


Thursday, 18 July 2013

रायपुर, छत्तीसगढ़ :एक गाँव जो खदानों से घिरे टापू में बदल रहा है

रायपुर, छत्तीसगढ़ :एक गाँव जो खदानों से घिरे टापू में बदल रहा है

छत्तीसगढ़, कोसमपाली-सारसमाल गाँव, कोयला खदान 
हीरामती पटेल अपने घर का पिछला दरवाज़ा खोलती हैं तो छोटे से खेत के बाद कई फ़ीट गहरी खाई नज़र आती है. कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था.
उनके घर के पिछवाड़े वाले खेतों में कभी फ़सल लहलहाया करती थी.
अब इन खेतों की जगह पर जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड कंपनी की कोयला खदानें मौजूद हैं. कोसमपाली-सारसमाल गाँव तीन तरफ़ से क्लिक करें गहरी खदानों से घिर चुका है. बाहर निकलने का सिर्फ़ एक रास्ता मौजूद है लेकिन गाँव वाले कहते हैं कि वो भी कब खदानों में बदल दिया जाए, कहा नहीं जा सकता.
यही हाल पड़ोस के कोडकेल, लिबरा, टेहली रामपुर, डोंगामहुआ, धौंराभांटा और लमदरहा आदि गाँवों का है. ये सभी गाँव आने वाले दिनों में कोयला खदानों से घिरे हुए टापू में तब्दील होने की राह पर हैं.
हालांकि जिंदल स्टील के महाप्रबंधक (जनसंपर्क) डीके भार्गव ने इन आरोपों से इनकार किया है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "गाँव को टापू में तब्दील करने की प्रबंधन की कोई भी मंशा नहीं है. ऐसी कोई भी शिकायत किसी भी ग्रामीण ने किसी भी स्तर एवं मंच पर अभी तक नहीं की है."

कोयला बना अभिशाप

"राज्य सरकार के आँकड़ों के मुताबिक़ देश का कुल 17.24 प्रतिशत कोयला भंडार छत्तीसगढ़ में है. राज्य के कोरबा, रायगढ़, कोरिया और सरगुजा जिले में 49 हजार 280 मिलियन टन कोयला जमीन के नीचे है. देश के कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ हर साल 21 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है. "
छत्तीसगढ़ में यह जुमला बहुत मशहूर है कि अगर आप किसी इलाक़े में बसना चाहते हैं तो पहले पता लगा लें कि वहां ज़मीन के नीचे कहीं कोयला न हो.
रायगढ़ के कोसमपाली-सारसमाल गाँव के बुजुर्ग भीमराम पटेल भी यही सलाह देते हैं.
भीमराम कई पीढ़ियों से कोसमपाली-सारसमाल गाँव में रहते आए हैं लेकिन उन्हें लगता है कि अब गाँव छोड़ने की बारी आ गई है. कहां जाएंगे, इस सवाल पर वे चुप हो जाते हैं.
असल में तमनार तहसील का कोसमपाली-सारसमाल गाँव इस इलाक़े के उन सैकड़ों गांवों की तरह है जिनके नीचे क्लिक करें कोयला है और जहाँ दिन रात खुदाई चल रही है या खुदाई करने की तैयारी है.
राज्य सरकार के आँकड़ों के मुताबिक़ देश का कुल 17.24 प्रतिशत कोयला भंडार छत्तीसगढ़ में है. राज्य के कोरबा, रायगढ़, कोरिया और सरगुजा ज़िले में 49 हज़ार 280 मिलियन टन कोयला ज़मीन के नीचे है. देश के कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ हर साल 21 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है.
राज्य में 45.5 प्रतिशत कोयला केवल रायगढ़ ज़िले में है और सैकड़ों कोल खदानें भी, जहां से हर साल हज़ारों की आबादी विस्थापित होती है. अब बारी कोसमपाली-सारसमाल की है.
कोसमपाली गाँव में हमारी मुलाक़ात खेत में काम करते बोधराम मांझी से हुई. उनका कहना है कि कोयले के लिए खुदाई शुरु होने के बाद से अब गाँव से बाहर जाने का रास्ता बंद हो गया है. सारे रास्ते सैकड़ों फ़ीट तक खोद दिये गए हैं. ले-दे के एक रास्ता बचा है. वह भी जाने कब बंद हो जाए.

वादे हैं वादों का क्या

छत्तीसगढ़, कोसमपाली-सारसमाल गाँव, कोयला खदान
साल 2006 में जब गाँव के खेतों को क्लिक करें कोल ब्लॉक के लिए दिए जाने की जानकारी गाँव वालों को हुई तो लोगों ने विरोध किया लेकिन उनका विरोध काम नहीं आया. कंपनी और सरकार का दबाव बढ़ा तो 172 लोगों ने अपनी ज़मीन अलग-अलग क़ीमतों पर कंपनी को बेच दी.
जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड को 964.650 हेक्टेयर की कोयला खदान की लीज़ मिली थी, जिसमें से 209.654 हेक्टेयर ज़मीन कोसमपाली की थी. कोयला उत्खनन से पहले गाँव के लोगों को नौकरी देने, उनका विस्थापन होने की स्थिति में पुनर्वास करने, कंपनी को होने वाले लाभ का कम से कम एक प्रतिशत हिस्सा गाँव और आसपास के विकास में ख़र्च करने जैसे कई वादे किए गए थे, लेकिन गाँव वाले कहते हैं कि उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ.
कोसमपाली के करम सिंह कहते हैं, "जब हमसे ज़मीन ली गई थी तो एसडीओ, जिंदल और ग्रामीणों के बीच हरेक परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का समझौता हुआ था. लेकिन साल भर तक दैनिक मज़दूर के बतौर काम करने के बाद भी मुझे न तो नियुक्ति प्रमाणपत्र मिला और ना ही मुझे स्थाई किया गया. आख़िर में मुझे काम छोड़ना पड़ा."
इसके बाद जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड ने जब क्लिक करें कोयला खनन के काम का विस्तार करने के लिए गाँव वालों को अपने बचे हुए खेत और घर बेचने को कहा तो लोग अड़ गए. उनका कहना था कि खेत और घर जाने के बाद वे जाएंगे कहां और उनका एकमात्र रोज़गार तो खेती है फिर उनकी आजीविका का क्या होगा.

ग्राम सभा का सच

छत्तीसगढ़, कोसमपाली-सारसमाल गाँव, हीरामती पटेल, कोयला खदान, हीरामती पटेल
यह गाँव अधिसूचित क्षेत्र में आता है जहाँ पंचायत अनुसूची क्षेत्रों का विस्तार अधिनियम यानी पेशा क़ानून लागू है. पेशा क़ानून यानी जो भी होना है, गाँव की ग्राम सभा तय करेगी.
गाँव के लोग इसी बात पर ख़ुश थे कि बिना ग्राम सभा की अनुमति के तो जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड खुदाई कर ही नहीं सकती. लेकिन गाँव के एक नौजवान शिवपाल भगत ने दो दिसंबर 2011 को आरटीआई क़ानून के तहत कुछ दस्तावेज़ हासिल किए तो गाँव के लोग चौंक गए.
इन दस्तावेज़ों के अनुसार गाँव के सरपंच के नाम से 24 अक्टूबर 2008 को ग्राम सभा होने और जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड को खनन के लिए गाँव की ज़मीन देने संबधी निर्णय की सूचना दी गई थी.
सरपंच गोमती सिदार का सारा कामधाम उनके पति सालिक राम देखते हैं. ग्राम सभा के बारे में पूछे जाने पर गोमती सिदार अपने पति से पूछने की बात कहती हैं और उनके पति सालिक राम कहते हैं, "जहां तक याद पड़ता है, जिंदल के खनन को लेकर तो कभी कोई ग्राम सभा नहीं हुई है."
ग्राम सभा के दस्तावेज़ के बाद गाँव के लोगों ने आनन-फ़ानन में बैठक बुलाई और फिर इस मामले में फ़र्जी़ दस्तावेज़ तैयार किए जाने संबंधी एक एफ़आईआर दर्ज कराई गई.
पुलिस प्रशासन और क्लिक करें औद्योगिक घरानों से लड़ाई आसान नहीं थी. यही कारण है कि लोगों ने हार मान ली. एक-एक कर दो दर्जन लोगों ने अपने बचे हुये खेत और घर बेचना शुरु किया और फिर हमेशा-हमेशा के लिए यहां से चले गए.
जिंदल की ओर से प्रशासन ने दूसरे दौर में एक बार फिर 31 परिवारों को कोसमपाली की बची हुई ज़मीन देने के लिए नोटिस जारी किया. लेकिन गाँव के लोग अपनी बची हुई ज़मीन देने के लिए तैयार नहीं थे. ऐसे लोगों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मामला दायर किया है जिस पर अभी सुनवाई होनी है.

हाईकोर्ट का रास्ता

छत्तीसगढ़, कोसमपाली-सारसमाल गाँव, कोयला खदान, स्थानीय किसान करम सिंह
कोसमपाली गाँव के करम सिंह के परिवार में कुल 22 सदस्य हैं. 2006 में जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड ने 80 हज़ार रुपए एकड़ के हिसाब से इनकी 25 एकड़ ज़मीन ली थी. जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड ने वायदे के अनुसार आज तक परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी नहीं दी.
जिंदल के डीके भार्गव का दावा है कि जिन 172 परिवारों से ज़मीन ली गई है, उनमें से 62 लोगों को स्थाई नौकरी भी दी गई है. लेकिन गाँव के शिवपाल, कन्हाई पटेल जैसे लोग इन तथ्यों को गलत बताते हैं.
करम सिंह कहते हैं, "हमारे पास खेती के अलावा वनोपज का सहारा था. कोयला के उत्खनन के कारण पड़ोस का जंगल ख़त्म हो गया. कोयला खनन में होने वाले विस्फोटों के कारण हमारे घर के छप्पर उड़ने लगे. दीवारों में दरार पड़ने लगी. शिकायत और विरोध करने पर उलटा हम पर ही अलग-अलग अदालतों और थानों में मुकडदमे ठोक दिए गए."
अब गाँव के लोगों ने अपने विस्थापन के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.

विकास की शर्तें

"साधारणत: किसी भी ग्रामीण को कोई विशेष समस्या नहीं है और यदि कोई परेशानी होती भी है तो वे सीधे प्रबंधन से संपर्क कर अपनी समस्याओं का निराकरण करते हैं."
डीके भागर्व, महाप्रंबधंक (जनसंपर्क) जिंदल स्टील
हाईकोर्ट की वकील सुधा भारद्वाज का कहना है कि कोल ब्लॉक का आवंटन करने से लेकर खनन तक की पूरी प्रक्रिया अवैधानिक है. उनका दावा है कि राज्य के अधिकांश कोल ब्लॉकों का हाल एक जैसा है.
लेकिन जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड के अधिकारी सब कुछ नियम से चलने की बात कहते हैं.
जिंदल के डी के भार्गव कहते हैं, "साधारणत: किसी भी ग्रामीण को कोई विशेष समस्या नहीं है और यदि कोई परेशानी होती भी है तो वे सीधे प्रबंधन से संपर्क कर अपनी समस्याओं का निराकरण करते हैं."
समाजवादी चिंतक और किसान नेता आनंद मिश्रा कहते हैं, "औद्योगिक घरानों और सरकार को छत्तीसगढ़ में काम करने से पहले बहुत सोचना विचारना चाहिये कि आख़िर वे कथित विकास किन शर्तों पर कर रहे हैं. लाखों लोगों को उजाड़ कर चंद औद्योगिक घरानों की कमाई की हवस पर रोक लगनी ही चाहिए."

हमको बैठा लीजिए, मेरी बेटी मर जाएगी' :छपरा (बिहार)

हमको बैठा लीजिए, मेरी बेटी मर जाएगी'
:छपरा (बिहार)

बिहार, छपरा, विषाक्त भोजन, त्रासदी, मृतक बच्ची का परिवार 
 

मध्याहन भोजन खाने से मरने वाले बच्चों की संख्या बढकर 23 हुई, 25 अब भी बीमार

 
बिहार के छपरा ज़िले के एक सरकारी स्कूल में विषाक्त भोजन खाकर मरने वाली एक बच्ची के पिता के आक्रोश को इस बात से समझा जा सकता है कि वे घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों के लिए मौत की सज़ा की माँग कर रहे हैं.
इस क्लिक करें त्रासदी में जान गँवाने वाली एक पाँच वर्षीय बच्ची के पिता अजय ने बीबीसी से कहा, "यहाँ सीबीआई की जाँच कराई जाए. यहाँ कोई सरकार नहीं आ रही है. आलतू-फ़ालतू के कहीं-कहीं के नेता लोग आ रहे हैं. यहाँ कोई जायज़ काम नहीं हो रहा है. सरकार देखे कि क्या हुआ है, कैसे हुआ है और कौन दोषी है. उसको मौत की सज़ा दी जाए क्योंकि उसके लिए यह सज़ा भी कम होगी."
क्लिक करें 16 जुलाई की तारीख़ अजय के जीवन में एक त्रासदी की तरह रहेगी. उस दिन का ज़िक्र करते हुए वह कहते हैं, "मेरे को क़रीब बारह-साढ़े बारह बजे पता चला कि सारे लड़के उल्टी कर रहे हैं. हम भी अपने खेतों में थे. वहाँ से दौड़े हुए गए. वहाँ पहुँचकर देखा कि मेरी बेटी को मेरा छोटा भाई लेकर चला आया था. मैंने अपनी बेटी से पूछा कि क्या हुआ है बेटा तुमको. वो बोली कि कुछ नहीं हुआ है हमको. फिर हमने उससे पूछा कि तुमने कुछ खाया है. वह बोली कि हाँ हमने खाया है लेकिन हमको कुछ नहीं हुआ है."

एम्बुलेंस सुविधा

"मेरी बेटी बस पाँच साल की थी. मेरी बेटी कह रही थी कि पापा हमको कुछ नहीं हुआ है. बोली कि पापा हमको घर ले चलो. चाचा को बुलाओ और गाड़ी पर बिठाओ और घर ले चलो."
अजय, मृतक बच्ची के पिता
"फिर गाड़ी लेकर लोग आए. उसको उठाकर मशरख़ ले गए. पहले क्लिक करें सरकारी हॉस्पीटल ले गए फिर वहाँ एक प्राइवेट अस्पताल ले जाकर दिखाए. वहाँ एक बोतल पानी चढ़ाया गया. वो डॉक्टर बोला कि आपको जहाँ ले जाना है ले जाईए. मेरी बेटी तब तक लार गिराने लगी."
अजय ने बताया, "उसके बाद वहाँ से हम अपने भाई को बोले कि कोई गाड़ी की व्यवस्था करो और चलो. उसने कहा कि एम्बुलेंस आ रही है. एम्बुलेंस वाले भी नहीं बैठा रहे थे."
उनकी लाचारगी और हालात की गंभीरता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि एम्बुलेंस की सुविधा के लिए अजय को गिड़गिड़ाना पड़ा था.
वह कहते हैं, "वे लोग गाड़ी पर हमको नहीं बिठा रहे थे. हम गाड़ी को पकड़कर लटक गए और कहने लगे कि हमको बैठा लीजिए और ले चलिए. मेरी बेटी मर जाएगी. तब जाकर मेरे भाई ने गाड़ी का गेट खुलवाया. थोड़ी दूर जाने के बाद मेरी बेटी के नाक और मुँह से बहुत ज़ोर से गाज आने लगा बहुत ज्यादा. उसकी साँसे तेज़ चलने लगी."

आख़िरी शब्द

बिहार, छपरा, विषाक्त भोजन, त्रासदी, मृतक बच्ची का परिवार
अजय को एम्बुलेंस सुविधा के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा था.
"फिर हम छपरा के सदर अस्पताल पहुँचे. वहाँ जो भी डॉक्टर आए वह सिर्फ़ हाथ पकड़कर चलते बने. इस पर हम चिल्लाने लगे. तब तक कोई आया और बताया कि वह मर गई है. वे लोग मेरी बेटी को ले गए, क्लिक करें चीर-फाड़ (पोस्टमॉर्टम) किए उसके बाद हमारे घर पहुँचाए."
इस घटना के बाद से ही अजय समेत कई परिवारों में मातम का माहौल है. अजय के छोटे भाई भी सदमे की अवस्था में है.

मरने से पहले बेटी के कहे आख़िरी शब्दों को दोहराते हुए अजय कहते हैं, 
"मेरी बेटी बस पाँच साल की थी. मेरी बेटी कह रही थी कि पापा हमको कुछ नहीं हुआ है. बोली कि पापा हमको घर ले चलो. चाचा को बुलाओ और गाड़ी पर बिठाओ और घर ले चलो."

मिड डे मील या दोपहर का भोजन कार्यक्रम देश भर के सरकारी स्कूलों में बच्चों का स्कूल और पढ़ाई-लिखाई में रूझान बनाए रखने के लिए चलाया जाता है.
स्कूलों में दिए जाने वाले पोषाहार की गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर कई नकारात्मक खबरें प्रकाश में आती रही हैं लेकिन छपरा मिड डे मील त्रासदी ने इस योजना और सरकारी स्कूलों के काम काज पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं जिनके जवाब अभी ढूंढे खोजे जाने हैं.

भारत रत्न के लिए ध्यानचंद का नाम प्रस्तावित

भारत रत्न के लिए ध्यानचंद का नाम प्रस्तावित

नई दिल्ली, 19 जुलाई 2013

मेजर ध्यानचंद
मेजर ध्यानचंद 
केंद्रीय खेल मंत्रालय ने भारत रत्न के लिए ध्यानचंद के नाम की सिफारिश की है. बुधवार को एक बैठक के दौरान सचिन और ध्यानचंद दोनों के नाम पर चर्चा की गई, जिसमें ध्यानचंद के नाम पर मंत्रालय ने मुहर लगा दिया.



हॉकी के जादूगर ध्यानचंद 1979 में अपनी मौत से पहले देश का सिर हॉकी की दुनिया में बहुत ऊंचा कर चुके थे. उनके शानदार करियर के दौरान भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीतने का नायाब कारनामा किया. 

भारतीय टीम ने 1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिलिस) और 1936 (बर्लिन) ओलंपिक में भारत ने लगातार स्वर्ण पदक अपने नाम किया. 

देश की आजादी से पहले उन्होंने इस खेल को देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय बनाया.


News Dehradun:

News Dehradun:

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The Kashmiri Gate ISBT New Delhi Is Now Operational.
All Delhi -Doon -Delhi Bound Buses Will Now Be Stationed At Kashmiri Gate Instead Of Anand Vihar From 25th July Onward.

Jan Hit Ma Jari...

Regard's: bhupesh kumar mandal

Tuesday, 16 July 2013

ज्योति बसु: नेता जिसे उसके विरोधी मोहब्बत करते थे

ज्योति बसु: नेता जिसे उसके विरोधी मोहब्बत करते थे

ज्योति बसु
ज्योति बसु अपनी पत्नी कमला के साथ
ज्योति बसु और उनसे पहले पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे सिद्धार्थ शंकर राय के बीच लगभग उस हद तक राजनीतिक प्रतिद्वंदिता थी जैसी आजकल मुलायम सिंह यादव और मायावती के बीच रहती है.
लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर दोनों के बीच जिस तरह की नज़दीकियाँ थीं, उन्हें शब्दों में बयान करना काफी मुश्किल है. उस ज़माने में ज्योति बसु को एक विधायक के रूप में 250 रुपए तन्ख़वाह के तौर पर मिलते थे जिसका अधिकांश हिस्सा वो पार्टी को दे दिया करते थे.
सिद्धार्थ जब ज्योति से मिलने जाते थे तो कभी कभार उनकी रसोई की तरफ भी बढ़ जाते थे ये देखने के लिए कि आज खाने में क्या बना है. उनके यहाँ बहुत साधारण खाना बनता था. दाल भात और तले हुए बैंगन.
बाद में जब वो विपक्ष के नेता हो गए तो हालात थोड़े बेहतर हो गए और उनका वेतन बढ़ा कर 750 रुपए मासिक कर दिया गया.

कुछ लिखने की गुज़ारिश

तब भी कमला बसु सिद्धार्थ से अक्सर शिकायत करतीं थीं कि अपने दोस्त को बताएं कि घर किस तरह से चलाया जाता है? वो अभी भी लगभग पूरा वेतन पार्टी को दे देते हैं और मेरे लिए दोनों वक्त का खाना बनाना मुसीबत हो जाता है.
एक बार चंद्रनगर से कोलकाता आते हुएक्लिक करें ज्योति बसु और सिद्धार्थशंकर राय को कुछ सुंदर कन्याओं ने घेर लिया. ज्योति उस ज़माने में स्टार राजनीतिज्ञ हुआ करते थे, इसलिए सब उनके ऑटोग्राफ़ मांगने लगीं.
लेकिन वो उनके हस्ताक्षर भर से संतुष्ट नहीं हुईं. उनका इसरार था कि ज्योति हस्ताक्षर के साथ एक दो पंक्तियाँ भी लिखें. लेकिन ज्योति ने ऐसा करने से इंकार कर दिया.
जब वो कार में आए तो सिद्धार्थ ने मज़ाक किया कि आप इतनी सुंदर कन्याओं को किस तरह से मना कर सकते हैं. आप टैगोर की ही एक दो पंक्ति लिख देते. इस पर ज्योति बसु ने बंगाली में जवाब दिया, 'जानबे तो लिखबो' (पता होता तभी तो लिखता.)

इंदिरा गांधी से मुलाकात

ज्योति बसु
ज्योति बसु युवाओं में भी काफी लोकप्रिय थे
बांग्लादेश युद्ध से कुछ पहले सिद्धार्थ ने उनकी इंदिरा गांधी से उनके निवास स्थान पर एक गुप्त मुलाकात कराई. किसी को इस मुलाकात का पता न चले. इसलिए वो रात के ग्यारह बजे अपनी पत्नी माला की फ़ियेट कार में ज्योति बसु को बैठा कर खुद ड्राइव कर 1 सफ़दरजंग रोड पहुंचे.
एक घंटे की मुलाकात के बाद जब राय बाहर निकले तो रास्ता भूल गए और दिल्ली के गोलचक्करों के चक्कर काटते रहे. जब एक घंटे तक वो रास्ता नहीं ढ़ूढ़ पाए तो सिद्धार्थ ने कहा कि किसी थाने में पहुँच कर मदद मांगी जाए.
इस पर ज्योति बसु ने कहा, "नालायक! क्या तुम पूरी दुनिया में ढ़िंढ़ोरा पीटना चाहते हो कि मैं इंदिरा गांधी से मिलने उनके निवास स्थान पर गया था." सौभाग्य से सिद्धार्थ शंकर राय को रास्ता मिल गया और किसी थाने जाने की नौबत नहीं आई.

सरकार पर हमला बोलिए

राजनीतिक विरोध के बावजूद वो कांग्रेस के नेता ए बी ग़नी खां चौधरी को अपने परिवार का सदस्य मानते थे. वो बरकत दा को शाहेब कह कर बुलाते थे.
उनकी बहन हर दो सप्ताह पर ज्योति बसु के लिए बिरयानी भेजा करती थीं. कभी कभी किन्हीं कारणों से जब बिरयानी नहीं पहुंच पाती थी तो ज्योति फ़ोन कर कहा करते थे, "पठाओ नी केनो."
बंगला पत्रकार तरुण गांगुली एक मज़ेदार किस्सा सुनाते हैं. एक बार ज्योति बसु ने बरकत दा के भाई और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता से अकेले में कहा कि आप फ़लां फ़लां मुद्दे पर सदन में सरकार पर हमला क्यों नहीं बोलते? आपको कड़े शब्द इस्तेमाल करने चाहिए. कागज़ कलम निकालिए और लिखिए कि अगले दिन आप किस तरह हम पर हमला बोलेंगे.

फ़ीडेल कास्ट्रो सीऑफ़ करने आए

फ़िडेल कास्ट्रो
ज्योति बसु की क्यूबा यात्रा पर फ़िडेल सीऑफ़ करने आए थे
सीता राम येचूरी बताते हैं कि 1993 में ज्योति बसु को क्यूबा आने का निमंत्रण मिला. यात्रा के दौरान जब ज्योति रात को सोने की तैयारी कर रहे थे तभी उन्हें संदेश मिला कि फ़ीडेल कास्ट्रो उनसे मिलना चाहते हैं.
ज्योति सीता राम येचूरी के साथ आधी रात के आसपास उनसे मिलने पहुँचे. सीता राम येचूरी बताते हैं कि वो बैठक डेढ़ घंटे चली. कास्ट्रो उनसे सवाल पर सवाल किए जा रहे थे.
भारत कितना कोयला पैदा करता है ? वहाँ कितना लोहा पैदा होता है ? वगैरह वगैरह... एक समय ऐसा आया कि ज्योति बसु ने बंगाली में मुझसे कहा, "एकी आमार इंटरव्यू नीच्चे ना कि"(ये क्या मेरा इंटरव्यू ले रहे हैं क्या?).
अगले दिन जब ज्योति वापस जाने के लिए हवाना एयरपोर्ट पहुँचे तो पता चला कि फ़ीडेल कास्ट्रो उन्हें सीऑफ करने के लिए वहाँ पहुँचे हुए हैं.

हमें मंदिर जाना चाहिए

सीता राम येचूरी पहली बार 1989 में ज्योति बसु के साथ नेपाल विदेश यात्रा पर गए थे. वो नेपाल सरकार के राजकीय अतिथि थे. इसलिए उन्होंने ज्योति बसु के लिए पशुपतिनाथ मंदिर जाने का कार्यक्रम रखा. येचूरी ने उनसे पूछा कि उन्होंने मंदिर जाने से इंकार क्यों नहीं कर दिया.

किताबें, रसोई और जूते

  • ज्योति बसु पी जी वोडहाउस और अगाथा क्रिस्टी की किताबें पढ़ने के शौकीन थे.
  • वे अस्सी वर्ष की आयु तक अपने कपड़े खुद धोया करते थे.
  • सत्तर वर्ष की आयु तक खुद अपने हाथों से अपनी चाय बनाते थे ,अपना ऑमलेट खुद फ़्राई करते थे और अपने जूतों में खुद पॉलिश किया करते थे.
उन्होंने कहा कि जिस तरह भारत हर विदेशी मेहमान को राज घाट ले जाता है चाहे उसका गांधीवाद में विश्वास हो या नहीं, उसी तरह नास्तिक होते हुए भी हमें पशुपतिनाथ मंदिर जाना चाहिए.
ज्योति बसु की पुत्र वधू डौली बसु बताती हैं, "मेरी शादी के एक दिन बाद ही मुझे बुखार चढ़ गया. अगली सुबह जब मैं बिस्तर में ही थी कि मैनें रसोई में कुछ बर्तन खड़खड़ाने की आवाज़ सुनी."
मेरे ससुर एक पतीली में पानी गर्म कर रहे थे. ज्योति ने कहा, "तुम्हें गर्म पानी इस्तेमाल करना चाहिए वर्ना ठंड लग जाएगी." बसु ने अपने हाथों से अपनी बीमार पुत्र वधु के लिए चाय बनाई. डौली बताती हैं, "उनके इस व्यवहार ने हम दोनों के बीच ऐसा संबंध कायम कर दिया जो ताउम्र बरकरार रहा."

धरमतल्ला के दिन

बहुत कम लोग जानते हैं कि ज्योति बसु ने 21 साल की उम्र में अपना पहला चाय का प्याला पिया क्योंकि उनके पिता ने उन्हें चाय पीने की मनाही कर रखी थी.
एक बार चेन्नई के लोयला कॉलेज ने एक समारोह में उन्हें आमंत्रित किया. वहीँ दिए गए भाषण में ज्योति बसु ने एक मज़ेदार बात बताई कि जब वो लोरेटो धरमतल्ला में पढ़ते थे तो कक्षा दो में उनकी पूरी क्लास में सभी लड़कियों के बीच में वो अकेले लड़के थे. उनका ये कहना था कि कुछ लोग तालियां बजाने लगे.
एक दो लोगों ने सीटियाँ भी बजाईं. बहुत हिम्मत जुटा कर एक लड़का खड़ा हुआ और उसने सवाल किया, "सर इतनी सारी लड़कियों के साथ आपने किया क्या." ज्योति बाबू ने अपनी दुर्लभ मुस्कान बिखेरी और बोले, "उस उम्र में आप कर भी क्या सकते हैं!"

मेरी शिक्षा पूर्ण नहीं है

ज्योति बसु
ज्योति बसु ने पश्चिम बंगाल की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी
ज्योति बसु के सचिव सुरक्षा एम के सिंह एक दिलचस्प बात बताते हैं कि ज्योति बसु जब कभी हिंदी बोलते थे तो अक्सर कई उर्दू लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करते थे. उर्दू का शब्द नुमांएदा उनका प्रिय शब्द होता था.
शायद उनकी हिंदी लेफ़्ट फ़्रंट के सभी मंत्रियों की सम्मिलित हिंदी से भी बेहतर थी. ज्योति बसु के भाषणों की ख़ास बात होती थी उनके अधूरे वाक्य. चाहे वो पांच लोगों को संबोधित कर रहे हों या विधान सभा में महत्वपूर्ण भाषण देने वाले हों वो महत्वपूर्ण बिंदु एक काग़ज़ पर नोट कर लिया करते थे ताकि वो कुछ भूल न जाएं.दिलचस्प बात यह थी कि वे सारे बिंदु अंग्रेज़ी में नोट करते थे.
उनके मंत्रिमडल के सहयोगी अशोक मित्रा अपनी आत्मकथा 'ए प्रैटलर्स टेल' में लिखते हैं कि एक बार जब मैंने उनकी इस आदत पर आश्चर्य प्रकट किया तो उन्होंने मुझसे कहा, "क्या करूँ? मैं सिर्फ़ अंग्रेज़ी में ही लिख सकता हूँ क्योंकि मेरी शिक्षा तुम्हारी तरह संपूर्ण नहीं है."

BREAKING NEWS FROM 8 JULY TO TILL DATE(15 july)

आईबी ने इनपुट देना किया बंद, खतरे में देश

Mon, 15 Jul 2013
Home Secretary
  आईबी ने इनपुट देना किया बंद, खतरे में देश

सीबीआइ और खुफिया ब्यूरो (आइबी) की लड़ाई ने देश की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। इशरत मुठभेड़ मामले में अपने अधिकारियों को फंसाए जाने से नाराज आइबी ने आतंकी गतिविधियों से जुड़ी अहम खुफिया जानकारी साझा करना बंद कर दिया है। आतंकी खतरे से संबंधित केवल वही सूचनाएं राज्यों से साझा की जा रही हैं जो अन्य एजेंसियों के माध्यम से मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) में आती हैं। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पिछले एक महीने से उन्हें आइबी की खुफिया चेतावनी रिपोर्ट नहीं मिली है।

दरअसल, आइबी हर दिन पूरे देश में हुई घटनाओं की रिपोर्ट गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजता है। इसके अलावा वह देश में अशांति, उपद्रव या आतंकी हमले की साजिशों की खुफिया रिपोर्ट अलग से देता है। इसी खुफिया रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा एजेंसियों या राज्य सरकारों को जरूरी कदम उठाने के लिए सचेत किया जाता है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए आइबी की खुफिया रिपोर्ट काफी अहम है। इसके बिना आतंकी साजिशों को नाकाम करना मुश्किल है।
गया के महाबोधि मंदिर में आतंकी हमले का जिक्र करते हुए गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह खुफिया जानकारी मैक में किसी दूसरी एजेंसी के मार्फत आई थी, जिसे राज्य सरकार को रूटीन के तहत भेज दिया गया। यही वजह है कि इसको लेकर सुरक्षा तैयारियां उस रूप में नहीं हो पाईं, जिनकी जरूरत थी। जबकि, इससे पहले आइबी किसी भी एजेंसी से आने वाली खुफिया जानकारी न सिर्फ साझा करता था, बल्कि साजिश को नाकाम करने में सक्रिय भूमिका भी निभाता था।
आइबी इशरत जहां मुठभेड़ मामले में अपने विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार समेत वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ के शिकंजे से नाराज है। आइबी के निदेशक आसिफ इब्राहिम इसके लिए गृह मंत्री और प्रधानमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन, राजनीतिक मजबूरियों के कारण सरकार हस्तक्षेप करने से कतरा रही है। आइबी के आतंक विरोधी ऑपरेशन से लंबे समय से जुड़े रहे एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, 'जब तक सरकार हमें इशरत जैसे मामलों में संरक्षण का भरोसा नहीं देती, हमारे लिए आगे ऑपरेशन करना मुश्किल होगा।'

 

गुड़गांव के एक मॉल में बने पब में 100 से ज्यादा बच्चे शराब पीते और नशा करते पकड़े गए

गुड़गांव, 15 जुलाई 2013 |
पब में पुलिस का छापा

गुड़गांव के डीटी सिटी सेंटर में बने 'बज इन बार' में करीब 100 टीनएजर्स को पुलिस ने नशा करते हुए पकड़ा. फेसबुक के जरिए सेक्स एंड स्मोक नाम से इस पार्टी का आयोजन किया गया था. पार्टी में धूम्रपान करने के लिए फ्लेवर्ड हुक्के का भी इस्तेमाल हुआ. आबकारी अधिनियम के अनुसार 25 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को शराब परोसना गैरकानूनी है. गुड़गांव में पहले से ही फ्लेवर्ड हुक्का इस्तेमाल करने पर पाबंदी है. इस मामले में पब मालिक का चालान कर दिया गया है और साथ ही कानूनी कार्रवाई भी की गई, जबकि बच्चों को वॉर्निंग देकर उनके घरवालों को सौंप दिया गया है.
पुलिस ने जैसे ही रेड मारी वहां मौजूद टीनएजर्स अपना मुंह छिपाते नजर आए. गुड़गांव के इस पब में गैर कानूनी तरीके से शराब और नशा परोसा जा रहा था. सिटी सेंटर में चल रहे इस पब में पुलिस रेड के दौरान 100 से ज्यादा टीनएजर्स रंगे हाथों पकड़े गए. पुलिस के मुताबिक सभी छात्र-छात्राओं की उम्र 15 से 20 साल के बीच है.
सेक्स एंड स्मोक नाम से ऑर्गेनाइज की गई इस पार्टी में फ्लेवर्ड हुक्के का भी इस्तेमाल किया गया. गुड़गांव में फ्लेवर्ड हुक्के पर पाबंदी है, लेकिन पुलिस ये देखकर हैरान रह गई कि इस पब में हर नियम कायदे की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही थीं.
पुलिस के मुताबिक टीनएजर्स फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर विशेष ग्रुप बनाकर इस तरह की पार्टियों का आयोजन करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पार्टी को ऑर्गेनाइज करने वाले भी टीनएजर्स ही थे. 600 रुपये पर हेड के हिसाब से पैसा इकट्ठा कर पब बुक कराया गया था.
बच्चों को नशे में देखकर घरवालों का गुस्सा भी फूटा पड़ा. पुलिस ने बच्चों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की. इस पूरे मामले ने फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं.


 

 

भारतीय सीमा में घुसे थे चीन के दो हेलीकॉप्टर, भारत का घटना से इंकार

  15 जुलाई 2013
भारत की सीमा में घुसा चीन


भारत की सीमा में घुसा चीन
भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ की एक और घटना सामने आई है. सूत्रों के मुताबिक, 11 जुलाई को चीनी सेना के दो हेलीकॉप्टरों ने लद्दाख के चुमार इलाके में भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन किया.हालांकि रक्षा अधिकारियों ने किसी भी तरह के अतिक्रमण से इंकार करते हुए कहा है कि हेलीकॉप्टर वास्तविक नियंत्रण सीमा (एलएसी) के पास उड़ान भर रहे थे, लेकिन उसे पार नहीं किया.
अभी कुछ दिन पहले ही चीनी सैनिक चुमार सेक्टर में घुस गाए थे और निगरानी कैमरा ले गए थे. बाद में भारतीय सेना के एतराज के बाद उन्होंने एक फ्लैग मीटिंग में कैमरा लौटा दिया था.
सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना के दो हेलीकॉप्टर, 11 जुलाई की सुबह भारतीय सीमा में घुसे थे. सेना के सूत्रों ने यह भी कहा कि एलएसी को लेकर अपनी-अपनी मान्यताएं हैं.
चुमार में भारतीय पक्ष चीनी पक्ष के मुकाबले ज्यादा सुविधाजनक है और सड़क मार्ग से जुड़ा है. चीनी क्षेत्र में होने वाली हलचल की निगरानी के लिए भारत ने यहां कैमरा लगा रखा है.
चीन की घुसपैठ की घटनाएं रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी के चीन दौरे कुछ दिनों बाद ही घटी है. रक्षा मंत्री के दौरे के दौरान दोनों पक्ष एलएसी पर शांति, टकराव रहित और स्थायित्व बनाए रखने और सीमा की निगरानी करने वाले बलों के बीच संचार और समन्वय मजबूत करने पर सहमत हुए थे.



 

राजस्थान में वायु सेना का विमान मिग-21 क्रैश, पायलट की मौत

नई दिल्ली, 15 जुलाई 2013 |
 
राजस्थान के बाड़मेर जिले के उतराई में सोमवार को ट्रेनिंग उड़ान से लौटने के बाद, उतरते समय भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग 21 (बाइसन) दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में पायलट की मौत हो गई.रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मिग 21 नियमित उड़ान पर था और वापस लौट कर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.
रक्षा प्रवक्ता एस डी गोस्वामी के अनुसार, दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं.



 

  उत्तराखंड: 5748 आज से 'मृत', मुआवज़े की तैयारी शुरू

उत्तराखंड में एक महीने पहले आई प्रलयंकारी आपदा के बाद 5748 लोग ऐसे हैं जिनका कोई पता नहीं चल पाया है. अब सरकार की ओर से इन्हें मृत मानकर इनके परिजनों को मुआवज़ा देना शुरू कर दिया जाएगा.
प्रशासन से 580 लोगों की मौत की पहले ही पुष्टि की जा चुकी है. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा जारी किए आंकड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक 2098,मध्य प्रदेश के 1035 और उत्तराखंड के 924 लोग इस आपदा के शिकार हुए, इन लोगों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है.

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि, “चूंकि  वो लापता हैं इसलिये उन्हें हम स्थाई रूप से लापता मानकर उनके परिजनों को मुआवज़ा तो दे देंगे लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उनको खोजने का अभियान जारी रखा जाएगा. जो भी हमारे पास फोटो है उसके आधार पर हम अस्पतालों और दूसरी जगहों में उन्हें खोजते रहेंगे ताकि कोई भटक न गया हो.”
विजय बहुगुणा ने कहा कि, “सरकार ही लोगों को हलफ़नामा बनाकर देगी और बड़ी सरल प्रक्रिया रखी गई है ताकि लोगों को तत्काल मुआवज़ा मिल जाए.”

हर मृतक और लापता व्यक्ति के परिजन को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख और राष्ट्रीय आपदा निधि से डेढ़ लाख रुपए दिये जाएंगे.उत्तराखंड सरकार प्रदेश के पीड़ितों को अलग से डेढ़ लाख रू दे रही है.

क़ानून का हिसाब से

भारतीय दंड संहिता के तहत 7 वर्ष तक लापता रहने के बाद ही किसी व्यक्ति को कानूनन मृत माना जाता है लेकिन उत्तराखंड सरकार ने आगे बढ़कर आपदा की तिथि के एक महीने बाद यानि 15 जुलाई के बाद ही लापता लोगों को मृतक की श्रेणी में मान लेने का निर्णय किया है.
हांलाकि कानून और व्यावहारिकता के लिहाज से भी इस घोषणा और व्यवस्था को कुछ हद तक अटपटा माना जा रहा है.
"चूंकि वो लापता हैं इसलिये उन्हें हम स्थाई रूप से लापता मानकर उनके परिजनों को मुआवजा तो दे देंगे लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उनको खोजने का अभियान जारी रखा जाएगा.जो भी हमारे पास फोटो है उसके आधार पर हम अस्पतालों और दूसरी जगहों में उन्हें खोजते रहेंगे ताकि कोई भटक न गया हो."
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा
इससे भी अटपटी बात ये है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि परिजनों को 15 जुलाई के बाद मुआवज़ा तो दे दिया जाएगा लेकिन भविष्य में अगर कोई जीवित लौटता है तो मुआवजे की राशि लौटानी होगी.
लापता लोगों की संख्या उनके परिजनों द्वारा उत्तराखंड और उनके मूल राज्यों में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के आधार पर बताई जा रही है.


वास्तविक तादाद

हांलाकि अभी भी माना जा रहा है कि लापता और मृतकों की ये वास्तविक और अंतिम संख्या नहीं होगी और शायद  वास्तविक संख्या कभी पता भी नहीं चल पाए.
मारे गए लोगों में ऐसे कई साधु,भिखारी और घोड़े-खच्चर वाले लोग होंगे संभवत: जिनके बारे में कोई रिपोर्ट भी नहीं लिखाई गई होगी.इसके अलावा राहत औऱ बचाव के दौरान सरकारी एजेंसियों में जिस तरह से तालमेल का अभाव दिखा है उससे मृतकों की सूची में गड़बड़ी की आशंका से भी पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता है.
उत्तराखंड में समय से पहले और विकराल रूप में आये मानसून से केदारनाथ,रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के इलाकों में प्रलयंकारी तबाही हुई थी. सरकार के अनुसार सबसे ज्यादा मौत केदारनाथ और गौरीकुंड के बीच हुई.

चार धाम यात्रा रद्द

इस विभीषिका के बाद चार धाम यात्रा रद्द है और यहां तक कि 22 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा में भी कांवड़ियों पर ऋषीकेश से ऊपर पहाड़ में जाने पर पाबंदी लगा दी गई है.
इस बीच, अगस्त से कैलास मानसरोवर यात्रा को बहाल करने के लिये सरकार ने प्रस्ताव किया है कि जब तक पैदल मार्ग ठीक नहीं होते पिथौरागढ़ या धारचूला से गुंजी तक हेलीकॉप्टर से यात्रा शुरू करवाई जाएगी.

 

 

गरीबी के कारण ‘कोख का सौदा’ करने को जबूर

हुई एक मां

यमुना नगर, 13 जुलाई 2013


अखबार में विज्ञापन
एक मां फिर मजबूर है. मजबूर भी इस हद तक कि वो अपनी कोख का सौदा करने को तैयार है. दरअसल आठ महीने की गर्भवती एक महिला अपनी गरीबी को मिटाने के लिए अपने उस अजन्मे बच्चे को बेचने की बात कह रही है, जिसने अभी इस दुनिया में जन्‍म भी नहीं लिया है. मामला हरियाणा के यमुना नगर का है, जहां इस बदनसीब मां ने अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण की बोली लगानी शुरू कर दी है. जो भी इस अभाग्य गर्भ की सबसे ऊंची बोली लगाएगा वही ले जाएगा, इस कोख में पलने वाली संतान को. यमुना नगर के कस्बे बूडियां की रहने वाली यह औरत आठ महीने की गर्भवती है, लेकिन वो अपने पेट में पल रहे मासूम की बोली लगाने को मजबूर है. अखबार में दिये एक विज्ञापन के बाद इस बदनसीब मां के अजन्मे बच्चे की बोली लगाने वालों के फोन आने भी शुरू हो गये हैं. जिस नन्हीं जान ने अभी इस दुनियां में कदम भी नहीं रखा है, उसके लिए मोल-भाव शुरू हो गया है. अपने हीं मां-बाप से लिए कर्ज को उतारने के लिए यह बेबस मां अपनी कोख का सौदा कर रही है.
आलम यह है कि इस औरत के परिवार के लोग व रिश्तेदार इससे सिर्फ इसलिए बोल-चाल बंद कर चुके हैं क्योंकि इस का बाल-बाल कर्जे में दबा है. महिला के पहले तीन लड़के हैं उनका लालन-पालन व पढ़ाई में उठाया कर्ज इसे अपने पेट में पल रहे चौथे बच्चे को बेचकर उतारने के सिवा कोई चारा नजर नहीं आ रहा. अखबारों के माध्यम से दिये विज्ञापन से उसके पेट में पलने वाले बच्चे को लेने वालों की कमी नहीं है. इस मजबूर मां की मानें तो इसके पास 400 से 500 फोन आ चुके हैं. अब तक बच्चे की बोली 3 से 4 लाख रुपयों तक गई है, मगर इसे अपनी गरीबी हटाने के लिए 6 लाख रुपये की जरूरत है.
हालांकि इस औरत का पंजाब के बठिंडा में एक व्यक्ति से छह लाख रूपयो में सौदा भी हो तय हो गया था, लेकिन उसने कुछ दिन तो इससे बात की लेकिन बाद में उसे इस पर शक हो गया कि कहीं यह चोरी का बच्चा तो नहीं बेच रही. सोनू नामक उस युवक ने इस महिला की शिकायत पुलिस को भी की. लेकिन तीन मासूम बच्चों की मां को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उसका कहना है कि वह अपनी कोख में पल रहे बच्चे को बेच रही है, कोई अपराध नहीं कर रही. उसका कहना है कि वह अपने तीनों बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए अपने छोटे अजन्मे बच्चे को बेच रही है. ताकि उन्‍हें अच्छी शिक्षा, परवरिश व किराये के मकान से छुटकारा मिल सके.


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NAME: BHUPESH KUMAR MANDAL
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BANK : STATE BANK OF INDIA
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लंबित गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों का राज्यवार विवरण


Supreme Court

लंबित गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों का राज्यवार विवरण


संसद सदस्य या विधायक के आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने के बाद उसकी सदस्यता रद करने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से आपराधिक छवि वाले कई माननीयों का राजनीतिक सफर थम सकता है।
आइए जाने लंबित गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों का राज्यवार विवरण:-

राज्य -- दागी सांसद -- कुल सांसद
जम्मू कश्मीर -- 0 -- 6*
हिमाचल प्रदेश -- 0 -- 4*
चंडीगढ़ -- 0 -- 1*
पंजाब -- 1 -- 3**
हरियाणा -- 1 -- 10**
राजस्थान -- 0 -- 25*
मध्यप्रदेश -- 2 -- 29**
गुजरात -- 7 -- 26***
महाराष्ट्र -- 10 -- 48***
गोवा -- 0 -- 2*
कर्नाटक -- 5 -- 28***
केरल -- 2 -- 20**
लक्षद्वीप -- 0 -- 1*
तमिलनाडु -- 6 -- 39***
उत्तराखंड -- 0 -- 5*
दिल्ली -- 0 -- 7**
उत्तर प्रदेश -- 22 -- 80***
बिहार -- 6 -- 40***
पश्चिम बंगाल -- 7 -- 42***
ओडिशा -- 2 -- 21**
छत्तीसगढ़ -- 0 -- 11*
आंधप्रदेश -- 3 -- 42**
झारखंड -- 2 -- 14***
सिक्किम -- 0 -- 1*
असम -- 0 -- 14*
अरुणाचल प्रदेश -- 0 -- 2*
नगालैंड -- 0 -- 1*
मणिपुर -- 0 -- 2*
त्रिपुरा -- 0 -- 2*
मिजोरम -- 0 -- 1*
मेघालय -- 0 -- 2*
पुडुचेरी -- 0 -- 1*
अंडमान निकोबार -- 0 -- 1*

*** 10 फीसद या इससे ज्यादा सांसद जिनके खिलाफ गंभीर अपराध लंबित है।
** 5-10 फीसद सांसद जिनके खिलाफ गंभीर अपराध लंबित है।
* पांच फीसद से कम सांसद जिनके खिलाफ गंभीर अपराध लंबित है।

परमाणु समझौते के व्यावसायिक वादे पूरे करे भारत: यूएस

वाशिंगटन, 13 जुलाई 2013

अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह दोनों देशों के बीच हुए ऐतिहासिक असैन्य परमाणु करार के व्यावसायिक वादे पूरे करे.38वें सालाना अमेरिका-भारत व्यापार परिषद से इतर अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रधान उप सहायक मंत्री जेफ्री प्याट ने यह बात कही. उन्होंने कहा, 'अपने भारतीय सहकर्मियों के लिए, मैं इस समझौते के व्यावसायिक वादों को पूरा करने की अहमियत पर जोर दूंगा.'
जेफ्री प्याट ने कहा कि दोनों देश भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग और अमेरिका के प्रमुख परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के बीच पहले व्यावसायिक सौदे के काफी करीब हैं.
उन्होंने कहा कि हाल के सालों में दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हुए हैं.

 

 

यू ट्यूब पर दिखी मां, तलाश में परिजन गए उत्तराखंड

जयपुर, 12 जुलाई 2013 
यू ट्यूब
यू ट्यूब

जयपुर के एक शख्स को उत्तराखंड हादसे में लापाता हुई मां सोशल नेटवर्किंग साइट यू ट्यूब के वीडियो में मिल गई है. परिवार को सरकार ने अपने खर्चे पर फिर से खोजने के लिए उत्तराखंड भेजा है. सरकार ने भले ही उत्तराखंड में लापाता लोगों की मरने की घोषणा की डेड लाईन 15 जुलाई तय कर रखी हो, लेकिन लोग अपने अपनों ती तलाश हर संभव जगह करने में लगे हैं. लोग इसके लिए सोशल नेटवर्किंग साइट का भी सहारा ले रहे हैं.
अपनी मां की तलाश में उत्तराखंड गए जयपुर के इंजीनियर नितेश सोनी और उनका परिवार 15 दिनों बाद थक हार कर लौट आए थे लेकिन दिल मानने के लिए तैयार नहीं था कि मां अब नहीं मिलेगी. लिहाजा मां की तलाश फेसबुक और यू ट्यूब जैसे सोशल साइटों पर शुरू कर दी.
तीन दिन पहले नितेश को यू ट्यूब पर 22 जून का वीडियो दिखा, जिसमें सेना के दो जवान एक महिला को बचाकर निकाल रहे हैं. नितेश ने ये वीडियो घरवालों को दिखाया तो परिवार ने सरकार से मदद मांगी. जांच के बाद पता चला ये वीडियो सोनप्रयाग का है. इसके बाद परिवार के चार सदस्‍यों को सरकार ने उत्तराखंड भेजा.
उत्तराखंड सरकार ने साफ कर दिया है कि 15 जून के बाद लापाता लोगों को मृत घोषित कर दिया जाएगा. ऐसे में लोग अपने परिजनों को खोजने में लग गए हैं. उत्तराखंड से लौटने के बाद लोग गूगल, फेसबुक और यू ट्यूब जैसे सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं.

 

 

Legendary actor Pran dies at 93

Legendary actor Pran dies at 93
Pran, one of Bollywood's most respected actors, died in Mumbai's Lilavati Hospital today. He was 93 and had been admitted to hospital a month ago.

He died after a spell of prolonged illness," his daughter Pinky told news agency PTI. "He was not keeping well, he was very weak. His health was deteriorating," she added.

Pran received the Dadasaheb Phalke Award this year in May. He was unable to travel to Delhi to receive the award at the presentation ceremony because of ill health. He was given the award at his home in Mumbai the next day.

Pran, star of films such as Zanjeer and Amar Akbar Anthony, began his career as a hero in Punjabi films, made a tremendous impact on Bollywood as the villain in Dilip Kumar's Ram Aur Shyam and was the first actor to break stereotype by playing character roles as well. In the '70s, there was almost no major film that did not feature Pran and he was often higher paid than the hero. Pran was credited with making the role of the villain as important as the hero's, and was known for his sophistication and style on screen.

Pran was also credited with helping actor Amitabh Bachchan get his biggest break - Zanjeer, which marked the rise of the Angry Young Man and made Amitabh Bachchan famous. Pran played one of his best known roles - the Pathan Sher Khan - in Zanjeer. He and Amitabh Bachchan formed a long and successful screen partnership after Zanjeer and struck up a lifelong friendship. Pran made one of his last public appearances at Amitabh Bachchan's 70th birthday party in October last year.

Pran's other famous films include Madhumati, Half Ticket, Upkar, Kashmir Ki Kali, Don, Karz, Naseeb and Shahenshah. He last appeared on-screen in 1997's Mrityudaata.

He is survived by his wife Shukla, daughter Pinky, and sons Arvind and Sunil.

अभिनेता प्राण का मुंबई में निधन, 93 साल की उम्र में लीलावती अस्पताल में ली आखिरी सांस


बॉलीवुड के मशहूर खलनायक प्राण का निधन हो गया. वो 93 वर्ष के थे. प्राण लंबे समय से बीमार चल रहे थे. 12 फरवरी 1920 को दिल्‍ली में जन्‍मे प्राण ने 350 से ज्‍यादा फिल्‍मों में काम किया. शनिवार दोपहर 12 बजे शिवाजी पार्क में उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा. प्राण ने रात 8.30 बजे अपनी अंतिम सांसें ली. प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था. बीमार चल रहे और पद्मभूषण से सम्मानित 93 वर्षीय प्राण को 2012 के लिए 44वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया. हालांकि इस घोषणा को सबने सराहा, लेकिन अफसोस भी जताया कि उन्हें भारतीय फिल्म उद्योग का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान बहुत देर से मिला. विडंबना है कि इनमें से ज्यादातर पुरस्कार अभिनेताओं को उनके जीवन के ढलते दौर में ही मिलते रहे हैं.
प्राण का नाम भारतीय सिनेमा में विलेन का पर्याय रहा है, शायद यही बात उनके हिस्से आने वाले इस सम्मान के लिए अड़ंगा बन गई हो. हालांकि अपने छह दशक के लंबे करियर के दौरान उन्होंने लगभग 400 फिल्मों में काम किया है, उनमें से ज्यादातर में उनका रोल पॉजिटिव रहा है. हकीकत यह है कि अभिनय में पुरस्कार की बारी आती है तो नायक, नायिकाएं और अच्छे किरदार निभाने वाले, विलेन और कैरेक्टर ऐक्टर से बाजी मार ले जाते हैं, चाहे उनका अभिनय कौशल कितना ही सशक्त क्यों न हो.
प्राण ने परदे पर बतौर विलेन इतिहास रच डाला हैः उन्हें ‘विलेन ऑफ द मिलेनियम’ कहा गया है. दर्शकों को उन्होंने किस कदर थर्रा रखा था.

दोपहर में होगा अंतिम संस्कार, यहां पढ़ें निधन पर किसने क्या कहा?


मुंबई। 
सदी के खलनायक अभिनेता प्राण के निधन से पूरा बॉलीवुड शोकाकुल है। सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि राजनेता भी उनके निधन से काफी दुखी हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया है कि प्राण साहब के निधन से बॉलीवुड में स्वर्ण युग का अंत हो गया है। प्राण साहब को बॉलीवुड में खलनायकों का गॉडफादर कहा जा रहा है। शुक्रवार को लीलावती अस्पताल में प्राण साहब ने अंतिम सांस ली। आज दोपहर 12 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।


-अभिनेता शाहरुख खान ने इनके निधन पर कहा, प्राण साहब हमेशा ही हमारे दिल में रहेंगे, मुझे समझ नहीं आता जो लोग हमारे जज्बातों से जुड़े हैं, जो हमें जिंदगी के फलसफे सिखाते हैं उन्हें जाना क्यों पड़ता है। हम प्राण साहब को कभी भूल नहीं पाएंगे। बॉलीवुड ने माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर शोक व्यक्त किया है।


-बिग बी ने लिखा,प्राण साहब से मैंने बहुत कुछ सीखा है। वे मेरे सीनियर थे। हम अच्छे दोस्त हुआ करते थे। जब वे बीमार थे तब मैं रोज उनकी सलामती की दुआएं मांगता था।
-किरण बेदी ने अभिनेता प्राण को खलनायकों का गॉडफादर करार दिया है।
-अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने लिखा कि जो प्राण साहब की फिल्म जंजीर के रिमेक में मुख्य किरदार निभा रही हैं, उन्होंने भी ट्विटर पर प्राण साहब को श्रद्धाजंलि दी है।
-अभिनेता अर्जुन रामपाल लिखते हैं कि वे एक एक्टर ही नहीं बल्कि एक जैंटलमैन थे।
-निर्माता मधुर भंडारकर ने लिखा कि ऐसे एक्टर बार बार नहीं जन्म लेते, इन्होंने हिंदी सिनेमा में नेगेटिव रोल्स को एक अलग ही पहचान दी थी।
-अभिनेता अभिषेक बच्चन ने लिखा कि जो प्राण साहब ने दिया है उसे भुलाना नामुमकिन है।
-निर्माता करण जौहर ने लिखा कि प्राण साहब ने फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाओं को एक नई उड़ान दी है।
-निर्माता कुणाल कोहली लिखते हैं कि इनके निधन से जैसे बॉलीवुड में खलनायकों का दौर खत्म हो गया।
-अभिनेता आफताब शिवदसानी ने भी उन्हें ट्विटर पर श्रद्धाजंलि अर्पित की।
-अभिनेता अनुपम खैर लिखते हैं भारतीय सिनेमा में प्राण जी की भूमिका को भूला नहीं जा सकता है। उनका आखिरी वक्त आ गया था।
-अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने लिखा कि वे उन्हें ज्यादा करीब से नहीं जानती थीं, लेकिन वह एक बेहतरीन कलाकार के साथ-साथ एक बेहतरीन इन्सान भी थे।
-अभिनेता रितेश देशमुख लिखते हैं कि प्राण साहब हमेशा सबके दिलों में जिंदा रहेंगे। उन्हें कोई नहीं भूल सकता।

प्राण के डायलॉग
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इस इलाके में नए आए हो बरखुरदार, वर्ना यहां शेर खान को कौन नहीं जानता!

 ज़ंजीर

राम ने हर युग में जन्म लिया लेकिन लक्ष्मण फिर पैदा नहीं हुआ.

 उपकार

ये पाप की नगरी है यहां कंस और दुर्योद्धन का ठिकाना है.

 उपकार

ज़िंदगी में चढ़ते की पूजा मत करना, डूबते की भी सोचना
क्लिक करें उपकार

ये फूलो के शाथ शाथ दिल कबशे बेचना शुरू कर दिया है.

 कश्मीर की कली

एक डाकू की लड़की पुलिस वाले से शादी करेगी, गोली मारिए सरदार

 जिस देश में गंगा बहती है

शेर और बकरी जिस घाट पर एक साथ पानी पीते हों वो घाट न हमने देखा है और न देखना चाहते हैं

आन बान

पहचाना इस इकन्नी को यह वही इकन्नी है जिसे बरसों पहले उछालकर तुमने मेरा मज़ाक उड़ाया था. रॉबर्ट सेठ तुम्हारे ही सोने से तुम्हारे ही आदमियों को ख़रीद कर आज मैं तुम्हारी जगह पहुंच गया हूं और तुम मेरे क़दमों में.

 अमर अकबर एंथनी


क्योंकि मैं रिवॉल्वर हमेशा ख़ाली रखता हूं.

 मजबूर

लेकिन मैं उस क़िस्म का जेलर नहीं हूं. मैं न तो छुट्टी पर जाऊंगा और न तबादले की दरख़्वास्त करूंगा. तुम्हारा वो रिकॉर्ड है, तो हमारा भी एक रिकॉर्ड है. हमारी जेल से संगीन से संगीन क़ैदी जो बाहर गया है उसने तुम्हारे उस दरबार में दुआ मांगी है तो यही दुआ मांगी है कि अगर दुबारा जेल जाए तो रघुवीर सिंह की जेल में न जाए

कालिया

समझते हो कि सब समझता हूं इससे बढ़कर इंसान की नासमझी और क्या हो सकती है

 क्रोधी

शायद तू यह भूल गया कि इस ज़मीन पर फ़तह ख़ां अकेला पैदा नहीं हुआ है, उसके साथ उसकी बला की ज़िद भी पैदा हुई है. कहीं मेरी ज़िद किसी ज़िद पर आ गई तो अपनी बेटी के रास्ते में पड़े हुए बेशुमार कांटों को तो मैं अपने दामन में समेट लूंगा लेकिन तेरे रास्ते दहकते हुए अंगारों से भर दूंगा.

सनम बेवफ़ा

आवाज़ तो तेरी एक दिन मैं नीची करूंगा, शेर की तरह गरजने वाला बिल्ली की ज़बान बोलेगा.

सनम बेवफ़ा

 

Delhi Metro footage of couples on porn sites

  New Delhi, July 09, 2013









Footage of couples getting intimate on the Delhi Metro has reached international porn sites. More than 250 clips of couples on near-empty trains have been made into two- to eight-minute videos and uploaded on these sites, a Central Industrial Security Force (CISF) official told Hindustan, requesting anonymity.

The bulk of these clips has been uploaded since 2011.
A leakage of this scale from its central control room, if found true, could embarrass the DMRC and raise a big privacy issue.
Hindustan contacted DMRC spokesperson Anuj Dayal on phone but did not get a response. A senior DMRC official said CISF was to blame because it monitors the CCTV footage.

But director general, CISF, Rajiv refuted the allegation. “We are just the monitoring agency. DMRC controls the database into which this CCTV footage goes, and so the leak most likely happened at its end,” he said.

 

CCTV से मिले अहम सुराग, आतंकियों ने रखे थे 13 बम

गया/पटना/ब्यूरो/एजेंसी | अंतिम अपडेट 9 जुलाई 2013 1:53 AM IST पर
mahabodhi temple serial blasts four terrorist kept 13 bombs
बोधगया सीरियल ब्लास्ट की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियों को अहम सुराग हाथ लगे हैं।

जांच एजेंसियों की नजर सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे उन छह संदिग्धों पर आकर टिक गई है, जो धमाकों से कुछ देर पहले बैग लेकर महाबोधि मंदिर की ओर गए थे।

इन छह संदिग्धों में एक युवती भी है। भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली को दहलाने के लिए आतंकियों ने महाबोधि मंदिर परिसर में और इसके आसपास कुल 13 बम रखे थे, जिनमें से दस में धमाका हुआ। एक अन्य व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा रही है।


सोमवार को जांच एजेंसियों ने महाबोधि मंदिर परिसर के अंदर व बाहर लगे सभी 16 सीसीटीवी में रिकॉर्ड फुटेज को बारीकी से खंगाला।

एक फुटेज में शनिवार रात करीब एक बजे तीन युवक महाबोधि मंदिर की ओर जाते दिख रहे हैं। उनके हाथ में एक थैला भी था। एक युवक अपने शरीर पर चादरनुमा कोई कपड़ा डाले हुए है।

बोधगया प्रबंधकारिणी समिति (बीटीएमसी) कार्यालय के ठीक सामने बनी पुलिस चेक पोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मी इन युवकों को रोकते भी हैं, उनसे बात भी करते हैं। हाथ से इशारा कर युवकों को महाबोधि मंदिर की ओर कुछ बताते भी हैं।



इसके बाद तीनों युवक महाबोधि मंदिर की ओर बढ़ जाते हैं। करीब 10-15 मिनट के बाद ये तीनों युवक अलग-अलग दूरी बनाकर वापस लौट जाते हैं। इसके करीब दो घंटे बाद वाहन से दो युवक और एक युवती वहां पहुंचते हैं।

पुलिस वाले उनसे कुछ पूछते हैं और तीनों महाबोधि मंदिर की ओर बढ़ जाते हैं। करीब 10 मिनट बाद तीनों वापस लौट जाते हैं, लेकिन इन तीनों के लौटने में कुछ भिन्नता पाई गई। युवती जिस युवक के साथ मंदिर की ओर गई थी, उसके बजाय दूसरे युवक के साथ वापस आती है।

रविवार तड़के करीब 5:25 बजे से छह बजे के बीच महाबोधि मंदिर में धमाके हुए और इसके कुछ घंटे पहले अलग-अलग समय में रात के अंधेरे में पांच युवकों और एक युवती का हाथ में बैग लेकर जाने का मामला अधिकारियों को संदिग्ध लग रहा है। एनआईए और एनएसजी की टीमें इन छह लोगों की पहचान करने में जुटी हैं।

सीसीटीवी रिकॉर्ड की जांच शुरू
16 नंबर सीसीटीवी फुटेज से मिले छह संदिग्धों के हुलिया के आधार पर उनकी पहचान करने के लिए एनआईए और एनएसजी की टीमों ने बोधगया में बैंक, एटीएम व होटलों में लगे सीसीटीवी रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है।

इस बीच, गृह मंत्री सुशील शिंदे ने भी पुष्टि की कि 10 धमाके हुए, जबकि 3 बमों को निष्क्रिय कर दिया गया। इससे पहले रविवार को नौ ब्लास्ट होने की बात कही गई थी।

हिरासत में लिए गए गया जिले के बाराचट्टी के विनोद कुमार से एनआईए, एनएसजी और पुलिस के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं।

बिहार के डीजीपी अभयानंद ने बताया कि धमाकों के बाद विनोद का वोटर आई कार्ड मंदिर परिसर में पड़ा मिला था। एनआईए और एनएसजी की टीम ने मौके से सैंपल भी इकट्ठे किए हैं।

घटना के समय मंदिर परिसर में तैनात रहे निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है।

आईईडी जैसे थे बम
एनएसजी ने गृह मंत्रालय को भेजी अपनी शुरुआती रिपोर्ट में कहा है कि धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट और सल्फर का इस्तेमाल किया गया। कम तीव्रता के इन बमों ने आईईडी जैसा काम किया। धमाका क्लॉक टाइमर से किया गया। हर बम चार-पांच किलो का था और इसमें छोटा सिलेंडर भी लगा था।

माना जा रहा है कि आतंकियों ने धमाकों को अंजाम देने के लिए देश में पहली बार सिलेंडर तकनीक का इस्तेमाल किया है। बिहार के डीजीपी अभयानंद ने बताया कि हर बम पर उर्दू और अंग्रेजी में लिखा था कि इसे कहां रखा जाना है।

सीआईएसएफ करेगी सुरक्षा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था सीआईएसएफ के हवाले करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

अनशन पर बैठे सुशील मोदी

बोधगया सीरियल ब्लास्ट और बगहा में पुलिस फायरिंग के खिलाफ वरिष्ठ भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अनशन पर बैठ गए हैं।

उन्होंने 24 घंटा व्यापी अनशन सोमवार से शुरू किया। मोदी पटना में गांधी मैदान पुलिस स्टेशन के निकट श्री कृष्णा मेमोरियल हॉल के बाहर अनशन पर बैठे हैं। उनके साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडे और अन्य नेता भी अनशन पर बैठे हैं।

केंद्र ने भेजे थे चार एलर्ट

बोधगया के महाबोधि मंदिर में आतंकी हमले की आशंका पिछले हफ्ते और पुख्ता हो गई थी जब केंद्र ने इस बाबत आखिरी अलर्ट बिहार सरकार को भेजा था।

यह पिछले महीनों में भेजी गई चौथी चेतावनी थी। इसी आधार पर 2 जुलाई को महाबोधि मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा की समीक्षा बैठक भी की।

इस बैठक के बाद परिसर में लगे सीसीटीवी को ठीक करने के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे पहले कि राज्य सरकार की ओर से मंदिर की सुरक्षा पुख्ता की जाती आतंकी धमाका करने में कामयाब हो गए।

दूरसंचार समेत 12 क्षेत्रों में एफडीआई सीमा का विस्तार

दूरसंचार समेत 12 क्षेत्रों में एफडीआई सीमा का विस्तार


  नयी दिल्ली, 16 जुलाई :

 सरकार ने नरमी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को नई गति देने के लिये आज साहसिक कदम उठाते हुये दूरसंचार क्षेत्र में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :एफडीआई: की छूट देने के साथ अत्याधुनिक रक्षा उत्पादन प्रौद्योगिकी सहित करीब एक दर्जन क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाने का फैसला किया। हालांकि, नागर विमानन क्षेत्र और मीडिया में एफडीआई सीमा बढ़ाने का कोई फैसला नहीं किया गया।


वित्तमंत्री ने सोने के आयात पर प्रतिबंध से किया इनकार


 सोने के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज जनता से अपील की कि सोने की खरीद कम करें क्यों कि इसके आयात पर देश को सालाना 50 अरब डालर विदेशी मुद्रा दांव पर लगानी पड़ रही है।

 एफडीआई सीमा बढ़ोतरी: ममता ने ‘गहरा दुख’ जताया


 पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज रात विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :एफडीआई: की सीमा बढ़ाने के केन्द्र के फैसले पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यह आम तथा गरीब जनता की जिंदगी और राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।

ममता ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाकर सौ फीसदी करने का राष्ट्र की सुरक्षा पर बहुत गंभीर असर पड़ेगा और विदेशी कंपनियों को देश के पूरे दूरसंचार मंच पर नियंत्रण करने का मौका मिलेगा।

दूरसंचार में 100% विदेशी निवेश को मंज़ूरी

 मंगलवार, 16 जुलाई, 2013
टॉवर
भारत सरकार ने देश में आर्थिक सुधारों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए कई क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को बढ़ा दिया है.
सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर शत-प्रतिशत करने का फ़ैसला किया है.
लेकिन नागरिक उड्यन, एयरपोर्ट, मीडिया और फार्मा के क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर कोई फ़ैसला नहीं लिया.
विदेशी निवेश को बढ़ाने का फ़ैसला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों की बैठक के दौरान लिया गया.
बैठक में हिस्सा लेने वाले मंत्रियों में वित्त मंत्री पी चिदंबरम, रक्षा मंत्री एके एंटनी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा तथा दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल शामिल थे.
दूरसंचार में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश के फ़ैसले से पहले दो जुलाई को दूरसंचार आयोग ने शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए मंज़ूरी दे दी थी.

महत्वपूर्ण फ़ैसले

बैठक के बाद केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने बताया कि बीमा क्षेत्र में में 26 प्रतिशत एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 49 फीसदी किया गया है.
सरकार ने कई सेक्टरों के विदेशी निवेश के रूट में बदलाव किया है.इसके तहत, पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस, पावर एक्सचेंज, कमोडिटी एक्सचेंज और स्टाक एक्सचेंज में आटोमेटिक रूट से 49 फीसदी एफडीआई को अनुमति दे दी है.
आनंद शर्मा ने कहा कि विदेशी खुदरा क्षेत्र की तरफ से लगातार बढ़ रही मांगों को देखते हुए सरकार ने अनेक ब्रांड वाले खुदरा व्यापार में एफडीआई के मानदंडों को उदार बनाने का निर्णय किया है.
भारतीय मुद्रा
नागरिक उड्यन में एफ़डीआई की 49 फ़ीसदी की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

रक्षा क्षेत्र का मामला

रक्षा क्षेत्र में आटोमेटिक रूट से 26 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति होगी, जबकि 26-49 फीसदी एफडीआई के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यूरिटी (सीसीएस) की अनुमति अनिवार्य होगी.
महत्वपूर्ण है कि रक्षामंत्री एके एंटनी ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मौजूदा सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के प्रस्ताव का विरोध किया था.
तर्क यह था कि यह एक ‘उल्टा’ कदम साबित होगा क्योंकि इससे इससे एक तरफ जहां विदेशी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ेगी वहीं घरेलू रक्षा उद्योग की वृद्धि प्रभावित होगी.
सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी फ़ैसले मायाराम समिति की सिफारिशों पर लिए हैं.समिति ने 20 क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने का सुझाव दिया था, लेकिन सरकार ने सिर्फ़ 12 को ही मंज़ूरी दी है.

विषाक्त मध्याहन भोजन खाने से 11 बच्चों की मौत, 48 बीमार


विषाक्त मध्याहन भोजन खाने से 11 बच्चों की मौत, 48 बीमार


छपरा-पटना, 16 जुलाई

 बिहार के सारण जिला के मशरख प्रखंड अंतर्गत धर्मसाती गंडामन गांव स्थित एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में आज विषाक्त मध्याहन भोजन खाने से 11 बच्चों की मौत हो गयी और 48 अन्य बीमार पड़ गए।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि इन बच्चों को मध्याहन भोजन में चावल, दाल और सोयाबीन की सब्जी दी गई थी । इसे खाने के बाद उनके बेहोश होने पर उन्हें इलाज के लिए मशरख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।

बिहार में 'विषाक्त भोजन' से 20 बच्चों की मौत

बिहार छपरा  
 
बिहार के छपरा ज़िले के मशरख ब्लॉक में कथित रूप से विषाक्त भोजन खाने से मरने वाले स्कूली बच्चों की संख्या 20 हो गई है.
मंगलवार को ही गंभीर रूप से घायल 31 बच्चों को पटना के पीएमसीएच अस्पताल में भर्ती कराया गया जिनमें कुछ की हालत नाज़ुक बताई जा रही है.
मशरख ब्लॉक के जजौली पंचायत में स्थित धर्मसती विद्यालय के बच्चों को जब सरकार की मध्याह्न भोजन योजना के तहत मंगलवार दोपहर का भोजन परोसा गया तो उसे खाते ही बच्चे बीमार पड़ गए.
बिहार के मानव संसाधन मंत्री पीके शाही ने मंगलवार को घटना स्थल का दौरा किया. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए पीके शाही ने 20 बच्चों के मारे जाने की पुष्टि की.
पीके शाही ने बताया कि शुरूआती जांच से पता चला है कि खाने में कोई ज़हरीला पदार्थ था लेकिन खाने में वो कैसे मिला इसकी जांच चल रही है.

'खाने में कीटनाशक'

"मरने वाले बच्चों की संख्या 20 हो गई है. शुरूआती जांच से पता चला है कि खाने में कोई ज़हरीला पदार्थ था लेकिन खाने में वो कैसे मिला इसकी जांच चल रही है."
पीके शाही, बिहार के मानव संसाधन मंत्री
खाना खाने के बाद कई बच्चों को उल्टियाँ होने लगीं. लेकिन उस समय वहाँ कोई सुविधा नहीं थी. इन बच्चों को किसी तरह अस्पताल पहुँचाया गया. बाद में एम्बुलेंस वहाँ पहुँची.
बीमार बच्चों को छपरा सदर अस्पताल और आसपास के अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
छपरा सदर अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि जब बच्चों को एंटीऑर्गेनो फ़ॉस्फ़ोरस का डोज़ दिया गया तो उनकी हालत में कुछ सुधार हुआ जिसके आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि खाने में ऑर्गेनो फ़ॉस्फ़ोरस कीटनाशक मिल गया हो.
डॉक्टरों के अनुसार ये कीटनाशक बच्चों पर बहुत जल्दी असर करता है और शायद यही वजह है कि मारे गए सभी बच्चों की उम्र 10 साल से कम है.
बिहार में मिड-डे मील के निदेशक आर कृष्णन और राज्य के शिक्षा सचिव राहुल सिंह ने भी मंगलवार की शाम घटना स्थल का दौरा किया.
छपरा, बिहार
डॉक्टरों के अनुसार खाने में कीटनाशक हो सकते हैं जो कि मौत की वजह बनी.
फ़ॉरेंसिक जांच के आधार पर उन्होंने ने भी कहा कि खाने में कीटनाशक के मिले होने की आशंका है.

बंद

इस बीच प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को छपरा बंद का ऐलान किया है. भाजपा के नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार को नैतिकता के आधार पर सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं.
एक और विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने बुधवार को पूरे सारण ज़िले के बंद का आह्वान किया है.
महाराजगंज के सांसद आरजेडी के प्रभुनाथ सिंह ने इलाक़े का दौरा किया और कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण ये घटना हुई है.
"मुझे मशरख गाँव से दुखद ख़बर मिली है कि वहाँ बच्चों को ज़हरीला खाना परोसा गया. मुझे पता चला है कि कुछ बच्चों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि कुछ की अस्पताल में. कई बच्चे बीमार हैं"
लालू प्रसाद, छपरा सांसद
इस मौक़े पर छपरा के सांसद और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा, "मुझे मशरख गाँव से दुखद ख़बर मिली है कि वहाँ बच्चों को ज़हरीला खाना परोसा गया. मुझे प्रभुनाथ सिंह जी से इसका पता चला जो ख़ुद मौक़े पर गए हैं. मुझे पता चला है कि कुछ बच्चों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि कुछ की अस्पताल में. कई बच्चे बीमार हैं."

जाँच

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले की जाँच के आदेश दे दिए हैं. जाँच प्रमंडलीय आयुक्त और छपरा के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) करेंगे.
मुख्यमंत्री ने मारे गए बच्चों के परिजनों को दो-दो लाख मुआवज़ा देने की घोषणा की है.

मुंबई में फिर खुल सकेंगे डांस बार: सुप्रीम कोर्ट

मुंबई में फिर खुल सकेंगे डांस बार: सुप्रीम कोर्ट

 

मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर और न्यायाधीश एसएस निज्जर की खंडपीठ ने यह फ़ैसला सुनाया.

  

 (Great Judgement i salute them.)


मंगलवार, 16 जुलाई, 2013
मुंबई की एक बार डांसर
बांबे हाई कोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाई कोर्ट के फ़ैसले को बरकारार रखते हुए महाराष्ट्र के थ्रीस्टार होटलों से नीचे के होटलों में डांस बारों पर लगी रोक हटा दी है.
ये बार 2005 में राज्य सरकार ने बंद करवा दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद मुंबई के इन होटलों और क्लिक करें बारों के मालिकों को अपने यहाँ डांस कार्यक्रम के लिए फिर से लाइसेंस लेना पडे़गा.

बरकार रखा फ़ैसला

समाचार एजेंसियों के मुताबिक़ मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर और न्यायाधीश एसएस निज्जर की खंडपीठ ने यह फ़ैसला सुनाया. फ़ैसला सुनाते हुए न्यायाधीश निज्जर ने कहा कि उन्होंने धारा 19 (ए) के तहत बार बालाओं के अधिकार को नहीं छुआ.
"बांबे हाई कोर्ट ने अपने फ़ैसले में पुलिस क़ानून की धारा 33 ए और 33 बी को असंवैधानिक बताया था, सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा है."
याचिकाकर्ताओं के वकील
मुंबई पुलिस ने एक आदेश के तहत बार डांस पर प्रतिबंध लगा दिया था. बांबे हाई कोर्ट ने अप्रैल 2006 में उसके इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए डांस बारों पर लगी रोक हटा दी थी. इसके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
इस पर बार डांसरों ने दलील दी थी कि नृत्य ही उनकी कमाई का जरिया है. उनके पास कमाई का कोई और जरिया नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद याचिकार्ताओं के वकील ने संवाददाताओं को बताया कि बांबे हाई कोर्ट ने अपने फ़ैसले में पुलिस क़ानून की धारा 33 ए और 33 बी को असंवैधानिक बताया था.

लंबा इंतजार

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फ़ैसले को बरकरार रखा है.
मुंबई की एक बार डांसर
मुंबई के क़रीब 14 सौ डांसबारों में क़रीब एक लाख बार बालाएं काम करती थीं
उन्होंने कहा कि हज़ारों डांसरों ने इस फैसले के लिए काफी लंबा इंतजार किया. लेकिन उन्हें इंतज़ार का मीठा फल मिला.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई की अगर डांस बारों पर लगी रोक नहीं हटाई गई तो इस काम में लगी हज़ारों डांसरों को देह व्यापार में धकेल दिया जाएगा. उनकी इस दलील से अदालत ने सहमति जताई.
मुंबई में 2005 में डांस बारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके पीछे सरकार का तर्क था कि इससे युवा पीढ़ी बरबाद हो रही है और अपराध व वेश्यावृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक़ मुंबई के क़रीब 14 सौ डांस बारों में क़रीब एक लाख बार बालाएं काम करती थीं. बार डांसर फ़िल्मी गीतों पर डांस करती थीं और दर्शक उनपर पैसे लुटाते थे.

बार बालाओं की दास्तान

बेनी और बबलू
कुछ साल पहले रुपहले पर्दे पर आई फ़िल्म चाँदनी बार में पहली बार मुंबई की हज़ारों बार बालाओं की ज़िंदगी में झाँकने की कोशिश की गई थी.
समय का पहिया घूमा और महाराष्ट्र सरकार ने समाज की अपेक्षित नारी के आँसू पोंछकर उसकी समस्या के समाधान की जगह उसे और गहरी खाई में धकेलने का ज़िद्दी क़दम उठाते हुए, लेडीज़ बीयर बारों पर प्रतिबंध लगा दिया.
बार-बालाओं ने अपने निर्धन, लाचार, बीमार परिवारों का बोझ ढोने का ज़रिया बना एक विकल्प खो दिया. हज़ारों बारबालाओं को उनकी मजबूरियाँ वेश्यालयों के दरवाज़े तक खींच ले गई.
इस फ़िल्म की कहानी वास्तविक और आधिकारिक है. यह आपको हंसाएगी भी और सोचने पर मजबूर भी करेगी".
केके मेनन
कोई मसाज पार्लर में कैद होकर रह गई, किसी ने लेडीज सर्विस वाले अंधेरे बारों में अपना मुँह छिपाया और कई किस्से ऐसे भी हुए कि बर्दाश्त के बाहर होने पर किसी बारबाला ने फाँसी का फंदा गले लगा लिया.
मुंबई और आसापास के इलाक़ों में ऑर्केस्ट्रा बारों में काम करने वाली हज़ारों बारबालाओं की दर्द भरी कहानी है लेखक-निर्देशक युनूस सजावल और निर्माता उमेश चौहान की फ़िल्म- बैनी एंड बबलू.
इस फ़िल्म के एक प्रमुख कलाकार केके मेनन कहते हैं, "इस फ़िल्म की कहानी वास्तविक और आधिकारिक है. यह आपको हंसाएगी भी और सोचने पर मजबूर भी करेगी".
केके मेनन और राजपाल यादव
फ़िल्म में केके मेनन और राजपाल यादव अहम किरदार निभा रहे हैं
जहाँ इस फ़िल्म का एक पक्ष इन अभागी बारबालाओं की दयनीय, शोचनीय और दर्द भरी ज़िंदगी को बीयर बार में वेटर बने राजपाल यादव की नज़र से निरखता-परखता है, उन्हें दर्शकों से रू-ब-रू करवाता है.
वहीं अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके कलाकार केके मेनन दर्शकों को फ़ाईव स्टार होटल के उस माहौल में ले चलते हैं, जहाँ ड्रग्स का कोहरा है, अय्याशी की मखमली चादर है, नैतिकता की दुहाई देने वालों के काले चेहरे हैं, लेकिन इन सब शानों-शौकत की रौशनी से आँखें चुंधिया देते हैं.
नए चश्मे से
एक तरफ़ मजबूरी और दूसरी तरफ़ अय्याशी पर पैनी नज़र डालती बैनी एंड बबलू आपके दिलों-दिमाग़ को इस तरह झकझोरती है कि अपनी ज़िद छोड़ने के लिए तैयार हर दिमाग़ बारबालाओं की धुंधली तस्वीर को एक नया चश्मा लगा कर देखना चाहेगा.
फ़िल्म में एक अहम भूमिका निभा रहीं जानीमानी टीवी अभिनेत्री श्वेता तिवारी का कहना है, "लोगों को बियर बारों और बार बालाओं के बारे में सच्चाई का पता नहीं है. जो मीडिया में आता है वे मान लेते हैं. इस फ़िल्म से लोगों की सोच बदलेगी".
लोगों को बियर बारों और बार बालाओं के बारे में सच्चाई का पता नहीं है. जो मीडिया में आता है वे मान लेते हैं. इस फ़िल्म से लोगों की सोच बदलेगी.
श्वेता तिवारी
अगर सरकार ने महिलावादी झंडों के सामने सर झुकाते हुए, समाज के शरीर पर निकले फोड़े को हाथ लगाने से अपने कंधे झाड़ लिए तो अग तक 'कॉमेडी किंग राइटर' रहे युनूस सजावल ने बैनी एंड बबलू के लेखन और निर्देशन से ये साबित कर दिया है कि उनकी कलम में वो सहृदयता है, जो आपके दिलों को छू लेगी.
उनके निर्देशन की संजीदगी और चुस्ती ने आधुनिक समाज की एक जटिल समस्या को हल्के-फुल्के, आपके मन को गुदगुदाते और भावुकता भरे सशक्त दृश्यों से भरपुर इस फिल्म में दर्शकों को कहीं भी निराश नहीं होने दिया है.
अक्तूबर महीने में रिलीज होने वाली इस फिल्म में बैनी (केके मेनन) एंड बबलू (राजपाल यादव) के साथ रिया सेन और श्वेता तिवारी भी मुख्य भूमिकाओं में हैं. जबकि रुख़सार, अनिता हासानन्दानी, रिचा चड्ढा ने भी अपनी मंजी हुई भूमिकाओं से इस फ़िल्म को सजाया-सँवारा है.
जब आप अपने परिवार के साथ बैनी एंड बबलू देखकर थिएटर से निकलेंगे, इसी फ़िल्म की ग़ज़ल के बोल गुनगुना रहे होंगे और सोच रहे होंगे..
शहर से शहर...बियांबा क्यों हैं..यहाँ हर शख़्स परेशां क्यों हैं..?