गुजरात की मोदी सरकार ने भी उड़ाया गरीबों का मजाक, रोज 11 रुपये कमाने वाला गरीब नहीं
अहमदाबाद, 2 फरवरी 2014 | अपडेटेड: 10:00am
कमाई के जरिए अमीरी का दायरा तय करने के मामले में हाथ जला चुकी केंद्र
सरकार के बाद अब गुजरात सरकार ने गांव में 11 रुपए और शहर में 17 रुपए
कमाने वाले को अमीर बताकर नए विवाद को जन्म दे दिया है. स्थानीय निकाय की
सिफारिश पर बनी नई बीपीएल सूची तथा बायोमैट्रिक राशन कार्ड को लेकर राज्य
सरकार पहले से ही विपक्ष के निशाने पर है. अब, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति
विभाग की सप्लाई शाखा को बीते महीने जारी एक लेटर में बताया गया है कि
राज्य के ग्रामीण इलाके में हर महीने 324 रुपए तथा शहरी इलाके में 501 रुपए
से कम कमाने वाला ही गरीबी रेखा से नीचे माना जा सकता है.
गौरतलब है कि योजना आयोग की ओर से शहर में 32 रुपए और गांव में 26 रुपए रोजाना कमाने वाले को अमीर बताने पर भी खूब हो-हल्ला मचा था.
दिग्विजय ने साधा निशाना
नरेंद्र मोदी के राज में गरीबी की इस नई परिभाषा पर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज से प्रतिक्रिया भी मांगी है.
गौरतलब है कि योजना आयोग की ओर से शहर में 32 रुपए और गांव में 26 रुपए रोजाना कमाने वाले को अमीर बताने पर भी खूब हो-हल्ला मचा था.
दिग्विजय ने साधा निशाना
नरेंद्र मोदी के राज में गरीबी की इस नई परिभाषा पर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज से प्रतिक्रिया भी मांगी है.
digvijaya singh ✔ @digvijaya_28 Follow
Modi feels a person earning 11₹ per day is not poor and doesn't need any help. Would Rajnathji and Sushmaji pl react?
http://naidunia.jagran.com/state/gujarat-if-you-earn-11-rupees-daily-you-are-not-poor-24491 …
So, by not acknowledging the existence of poor is how Modi & BJP plans to eradicate poverty from India?
Narendra Modi feels that those earning more than Rs. 11 a day in villages and more than Rs. 17 a day in urban cities are not poor.
Would Rajnath ji and Sushma ji please react?
Read full report here: http://naidunia.jagran.com/state/gujarat-if-you-earn-11-rupees-daily-you-are-not-poor-24491
Narendra Modi feels that those earning more than Rs. 11 a day in villages and more than Rs. 17 a day in urban cities are not poor.
Would Rajnath ji and Sushma ji please react?
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गुजरात में रोज 11 रुपए कमाने वाला गरीब नहीं
Sat, 01 Feb 2014 12:52 AM (IST)
संबंधित खबरें
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सप्लाई शाखा को गत माह जारी एक परिपत्र में बताया गया है कि राज्य के ग्रामीण इलाके में प्रतिमाह 324 रुपए तथा शहरी इलाके में 501 रुपए से कम कमाने वाला ही गरीबी रेखा से नीचे माना जा सकता है। भारत सरकार के योजना आयोग की ओर से शहर में 32 रुपए और गांव में 26 रुपए रोजाना कमाने वाले को अमीर बताने पर भी खूब हो-हल्ला मचा था।
गुजरात सरकार की ओर से 16 दिसंबर 2013 को एक परिपत्र जारी कर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को बताया गया है कि राज्य के शहरी इलाके में 16.80 रुपए और गांवों में 10.80 रुपए कमाने वाले को ही बीपीएल कार्ड के योग्य माना जाए। नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि ग्रामीण विकास एजेंसी व शहरों में स्थानीय निकाय के तय पैमाने के अनुसार बीपीएल परिवार के लिए योग्य परिवारों को शून्य से 16 क्रमांक के बीच रखा है, लेकिन 16 अंक से ऊपर वाले परिवारों को बीपीएल की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।
गुजरात राशन डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी बताते हैं कि एसी कमरों में बैठकर नीति बनाने वाले अधिकारी सरकार की इच्छा अनुसार आंकड़े तैयार करते हैं। राज्य में 31 लाख परिवार बीपीएल हैं, जिनमें से 8 लाख को केंद्र सरकार बीपीएल मानने को तैयार नहीं है।
उनका आरोप है कि राज्य में गरीब को बीपीएल कार्ड भी नहीं मिल रहा जबकि अधिकारी व स्थानीय नेताओं की मदद से कई अमीर बीपीएल सूची में शामिल हो सरकारी लाभ उठा रहे हैं। प्रहलाद मोदी एपीएल व बीपीएल के लिए जारी बायोमैट्रिक राशन कार्ड व्यवस्था को भी गरीबों के लिए परेशानी का सबब मानते हैं।
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गुजरात में रोज 11 रुपए कमाने वाला गरीब नहीं
Sat, 01 Feb 2014 12:52 AM (IST)
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गुजरात सरकार की ओर से 16 दिसंबर 2013 को एक परिपत्र जारी कर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को बताया गया है कि राज्य के शहरी इलाके में 16.80 रुपए और गांवों में 10.80 रुपए कमाने वाले को ही बीपीएल कार्ड के योग्य माना जाए। नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि ग्रामीण विकास एजेंसी व शहरों में स्थानीय निकाय के तय पैमाने के अनुसार बीपीएल परिवार के लिए योग्य परिवारों को शून्य से 16 क्रमांक के बीच रखा है, लेकिन 16 अंक से ऊपर वाले परिवारों को बीपीएल की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।
गुजरात राशन डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी बताते हैं कि एसी कमरों में बैठकर नीति बनाने वाले अधिकारी सरकार की इच्छा अनुसार आंकड़े तैयार करते हैं। राज्य में 31 लाख परिवार बीपीएल हैं, जिनमें से 8 लाख को केंद्र सरकार बीपीएल मानने को तैयार नहीं है।
उनका आरोप है कि राज्य में गरीब को बीपीएल कार्ड भी नहीं मिल रहा जबकि अधिकारी व स्थानीय नेताओं की मदद से कई अमीर बीपीएल सूची में शामिल हो सरकारी लाभ उठा रहे हैं। प्रहलाद मोदी एपीएल व बीपीएल के लिए जारी बायोमैट्रिक राशन कार्ड व्यवस्था को भी गरीबों के लिए परेशानी का सबब मानते हैं।
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गुजरात में रोज 11 रुपए कमाने वाला गरीब नहीं
Sat, 01 Feb 2014 12:52 AM (IST)
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खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सप्लाई शाखा को गत माह जारी एक परिपत्र में बताया गया है कि राज्य के ग्रामीण इलाके में प्रतिमाह 324 रुपए तथा शहरी इलाके में 501 रुपए से कम कमाने वाला ही गरीबी रेखा से नीचे माना जा सकता है। भारत सरकार के योजना आयोग की ओर से शहर में 32 रुपए और गांव में 26 रुपए रोजाना कमाने वाले को अमीर बताने पर भी खूब हो-हल्ला मचा था।
गुजरात सरकार की ओर से 16 दिसंबर 2013 को एक परिपत्र जारी कर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को बताया गया है कि राज्य के शहरी इलाके में 16.80 रुपए और गांवों में 10.80 रुपए कमाने वाले को ही बीपीएल कार्ड के योग्य माना जाए। नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि ग्रामीण विकास एजेंसी व शहरों में स्थानीय निकाय के तय पैमाने के अनुसार बीपीएल परिवार के लिए योग्य परिवारों को शून्य से 16 क्रमांक के बीच रखा है, लेकिन 16 अंक से ऊपर वाले परिवारों को बीपीएल की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।
गुजरात राशन डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी बताते हैं कि एसी कमरों में बैठकर नीति बनाने वाले अधिकारी सरकार की इच्छा अनुसार आंकड़े तैयार करते हैं। राज्य में 31 लाख परिवार बीपीएल हैं, जिनमें से 8 लाख को केंद्र सरकार बीपीएल मानने को तैयार नहीं है।
उनका आरोप है कि राज्य में गरीब को बीपीएल कार्ड भी नहीं मिल रहा जबकि अधिकारी व स्थानीय नेताओं की मदद से कई अमीर बीपीएल सूची में शामिल हो सरकारी लाभ उठा रहे हैं। प्रहलाद मोदी एपीएल व बीपीएल के लिए जारी बायोमैट्रिक राशन कार्ड व्यवस्था को भी गरीबों के लिए परेशानी का सबब मानते हैं।
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गुजरात में रोज 11 रुपए कमाने वाला गरीब नहीं
Sat, 01 Feb 2014 12:52 AM (IST)
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खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सप्लाई शाखा को गत माह जारी एक परिपत्र में बताया गया है कि राज्य के ग्रामीण इलाके में प्रतिमाह 324 रुपए तथा शहरी इलाके में 501 रुपए से कम कमाने वाला ही गरीबी रेखा से नीचे माना जा सकता है। भारत सरकार के योजना आयोग की ओर से शहर में 32 रुपए और गांव में 26 रुपए रोजाना कमाने वाले को अमीर बताने पर भी खूब हो-हल्ला मचा था।
गुजरात सरकार की ओर से 16 दिसंबर 2013 को एक परिपत्र जारी कर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को बताया गया है कि राज्य के शहरी इलाके में 16.80 रुपए और गांवों में 10.80 रुपए कमाने वाले को ही बीपीएल कार्ड के योग्य माना जाए। नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि ग्रामीण विकास एजेंसी व शहरों में स्थानीय निकाय के तय पैमाने के अनुसार बीपीएल परिवार के लिए योग्य परिवारों को शून्य से 16 क्रमांक के बीच रखा है, लेकिन 16 अंक से ऊपर वाले परिवारों को बीपीएल की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।
गुजरात राशन डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी बताते हैं कि एसी कमरों में बैठकर नीति बनाने वाले अधिकारी सरकार की इच्छा अनुसार आंकड़े तैयार करते हैं। राज्य में 31 लाख परिवार बीपीएल हैं, जिनमें से 8 लाख को केंद्र सरकार बीपीएल मानने को तैयार नहीं है।
उनका आरोप है कि राज्य में गरीब को बीपीएल कार्ड भी नहीं मिल रहा जबकि अधिकारी व स्थानीय नेताओं की मदद से कई अमीर बीपीएल सूची में शामिल हो सरकारी लाभ उठा रहे हैं। प्रहलाद मोदी एपीएल व बीपीएल के लिए जारी बायोमैट्रिक राशन कार्ड व्यवस्था को भी गरीबों के लिए परेशानी का सबब मानते हैं।
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