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१९ नवंबर को किसी ने कविटा के मंच के प्रसिद्द हस्ताक्षर और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास को नीचे दिये वीडियो का लिंक भेजा |
Child Singer Jaya Lakshmi -Kerala -
Marvellous Melody by Girl Child - Satyam Shivam Sundaram search by Dr Kumar Vishwsh
you tube link: http://youtu.be/v3rbSZIgprM
बालिका की विलक्षण गायन प्रतिभा से कोई संगीत प्रेमी प्रभावित न हो ऐसा
संभव ही नहीं है| हर संगीत प्रेमी को लगेगा कि यह बालिका सही प्रशिक्षण
पाकर संगीत की ऊँचाइयों को प्राप्त करेगी पर ऐसा होना सबके साठ संभव नहीं
होता| कुमार विश्वास भी हुए पर जब पता चला कि यह बालिका जीविका कमाने के
लिए लोगों के घरों में सहायक का काम करती है तो बहुतों की तरह उन्हें भी
लगा अकी इसका संगीत कहीं गरीबी के कारण दम न तोड़ दे| तब उन्होंने नीचे दिया
सन्देश लिखा|
“कुछ ऐसे फूल हैं जिन्हे मिला नहीं माहौल ,
महक रहे हैं मगर जंगलों में रहते हैं…..!”
किसी ने ये विडिओ भेजा है ! उनके अनुसार विडिओ में दिख रही बच्ची घरेलु
सहायक का काम करती है ! दस बार सुन चुका हूँ और आखँ की कोर हर बार भीग रही
है ! आप में से कोई अगर इस बेटी का अता-पता निकाल सके तो बड़ी कृपा होगी !
माँ सरस्वती साक्षात इस शिशु-कंठ पर विराजमान है ! जीती रहो स्वर-कोकिला !
बस ये मिल जाये तो इसे सर्वोत्तम शिक्षा और साधना का ज़िम्मा मेरा ! ढूँढो
दोस्तों अगली सम्भावना को !
सन्देश ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सअप के माध्यमों से लाखों लोगों तक
पहुंचा| और बालिका की खोज सम्पन्न हुयी| कुमार विश्वास अपने वादे के
मुताबिक़ बालिका के अच्छे भविष्य के लिए प्रयासरत हैं|
आद्य शकराचार्य की आविर्भाव भूमि
केरल के एक तटीय गावँ में नन्ही जयलक्ष्मी मिल गयी है ! शाम तक उसके
माता-पिता से बात भी हो जाएगी ! सब कुछ ठीक रहा तो कुछ ही दिन में, माँ
शारदा की यह नन्ही-बेटी विधिवत संगीत-शिक्षा ग्रहण कर रही होगी ! कोशिश
करूँगा कि किसी चैनल में उस पर एक शो भी बनवाऊँ ! आभार कोमल,राजश्री और
मनोज का इस खोज को अंजाम तक पहुँचाने के लिए
“हर फूल को हक़ है कि चमन में हो क़ामयाब ,
माली को भी ये फ़र्ज़ मगर याद तो रहे.…।”
आइए जानते हैं अपने 10 दिन के दौरे के दौरान तीन देशों की यात्रा में पीएम मोदी क्या हासिल नहीं कर पाए .
नई दिल्ली, 21 नवम्बर 2014 | अपडेटेड: 12:43 IST
10 दिनों की मैराथन विदेश यात्रा में पीएम मोदी क्या हासिल नहीं कर पाए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की 10 दिवसीय यात्रा के बाद गुरुवार
को स्वदेश लौट आए. इस दौरान उन्होंने म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी
का दौरा किया. म्यांमार में उन्होंने एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस
(आसियान) के सम्मेलन में शिरकत की तो ऑस्ट्रेलिया में जी-20 बैठक में भाग लिया .
इन मंचों पर पीएम मोदी ने काला धन से लेकर मेक इन इंडिया तक कई अहम मुद्दे
उठाए. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार और फिजी के राष्ट्राध्यक्षों
के साथ भी शिखर वार्ता की. सिडनी के ऑलफोंस एरिना में मोदी के भाषण की
चर्चा देश-विदेश में हुई. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से लेकर अमेरिकी
राष्ट्रपति तक सभी ने मोदी की शान में कसीदे भी पढ़े. इसमें शक नहीं कि
नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश यात्रा में सभी को मंत्रमुग्ध किया और काफी
कुछ हासिल करने में सफल भी रहे, लेकिन क्या इतना काफी है?
कहीं ऐसा तो
नहीं कि ऑलफोंस एरिना में मोदी का भाषण उन असल मुद्दे पर भारी पड़ गया,
जिनको लेकर ठोस परिणामों की उम्मीद की जा रही थी. आइए जानते हैं तीन देशों
की यात्रा में पीएम मोदी क्या हासिल नहीं कर पाए .
1. यूरेनियम निर्यात को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने इस बार भी सिर्फ भरोसा
ही दिया. आज टोनी एबॉट ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन आपको याद
दिला दें कि 2011 में जब जूलिया गिलार्ड वहां की पीएम थीं, तब भी सिर्फ
भरोसा ही दिया गया था. ऑस्ट्रेलिया 2011 में भी साल के अंत तक फैसला लेने
की बात कह रहा था और अब 2015 के अंत तक अंतिम निर्णय का दावा कर रहा है.2. पीएम मोदी के साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी
ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया. दोनों नेताओं ने इस देश की संसद को संबोधित
किया. ऑस्ट्रेलिया पीएम ने मोदी की जी भरकर तारीफ की, लेकिन फ्री ट्रेड
एग्रीमेंट चीन के साथ किया. इससे दोनों देशों का व्यापार कई अरब डॉलर बढ़
जाएगा, जबकि भारत को सिर्फ सांस्कृतिक समझौते से ही संतोष करना पड़ा. 3. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी पर भी
ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कुछ नहीं कहा, जबकि यह मुद्दा पीएम मोदी के एजेंडे
में था.4. पीएम मोदी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट के साथ्ा
दोस्ती के दावे करते रहे और दूसरी तरफ एबॉट उन्हें याद दिलाते रहे कि 28
साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कैनबरा आया है. संकते साफ था कि भारत को
इंतजार करना होगा.5. ऑस्ट्रेलिया ने यूरेनियम निर्यात के फैसले की ही तरह भारत के साथ फ्री ट्रेड डील भी अगले साल के अंत के लिए लटका दी है. 6. म्यांमार सामरिक दृष्टि से बेहद अहम राष्ट्र है. चीन के साथ
उसकी करीबी जगजाहिर है, जिसने इस देश में अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है.
मोदी म्यांमार से भी आर्थिक मोर्चे पर खाली हाथ ही लौटे.7. आसियान सम्मेलन में पीएम मोदी ने चीनी प्रधानमंत्री और जी-20
में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. इस दौरान रिश्तों में तल्खी
साफ देखने को मिली. मोदी की इस विदेश यात्रा में सिर्फ चीनी नेता ही ऐसे
थे, जो उनसे दूरी बनाने की कोशिश कर रहे थे. संकेत साफ है ड्रैगन के साथ सब
कुछ ठीक नहीं चल रहा है.8. फिजी की संसद में पीएम मोदी के भाषण का वहां के विपक्षी दलों ने
बहिष्कार कर दिया. इसे लेकर फिजी में खूब बखेड़ा खड़ा हुआ. जानकार मानते
हैं कि जरूरी नहीं कि हर देश में संसद को संबोधित किया जाए. फिजी में ऐसा
भी लगा कि मोदी वहां के विपक्ष का भरोसा नहीं जीत पाए.9. पीएम मोदी अपनी हर विदेश यात्रा में मेक इन इंडिया नारा लगाते आ
रहे हैं, इस बार भी उन्होंने ऐसा किया, लेकिन वह अभी तक कुछ ठोस हासिल
नहीं कर पाए हैं.10. प्रधानमंत्री ने जी-20 में काला धन का मुद्दा उठाया तो जरूर,
लेकिन वह ऐसा कुछ नहीं कर पाए जिससे विपक्ष के चुभते सवालों का जवाब दे
सकें.
what narendra modi fails to deliver from three nations tour Keyword : Australia visit, PM Modi, narendra modi, ASEAN, G20 summit
प्रतिष्ठित मैगजीन 'टाइम' एक बार फिर 'पर्सन ऑफ द ईयर' की खोज में जुट
गया है. नाम का ऐलान 10 दिसंबर को होगा जिसे मैगजीन के एडिटर चुनेंगे.
हालांकि टाइम ने अपने रीडर्स के लिए भी पोल की शुरुआत की है. रीडर्स पोल के
लिए वोटिंग 6 दिसंबर की रात 11 बजकर 59 मिनट (अमेरिकी समयानुसार) तक जारी
रहेगी और संयुक्त विजेता के नाम का ऐलान 8 दिसंबर को किया जाएगा.
टाइम मैगजीन ने कुल 50 शख्सियतों की सूची जारी की है जिसमें से इस साल का
'पर्सन ऑफ द ईयर' चुना जाएगा. इस सूची में उन शख्सियतों को जगह दी गई है जो
सही या फिर गलत कारण से पिछले एक साल से सुर्खियों में रहे. इस सूची में
नरेंद्र मोदी और ओबामा जैसे शख्सियतों को जगह मिली है तो आतंकी संगठन
आईएसआईएस के मुखिया अबु बकर अल बगदादी का भी नाम है.
खबर लिखे जाने तक हुए रीडर्स पोल में नरेंद्र मोदी दूसरे स्थान पर चल रहे
थे. नंबर एक की पोजीशन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मौजूद हैं. इन शख्सियतों का नाम है टाइम की सूची में
ट्रेविस केलेनिक, व्लादिमीर पुतिन, बोको हरम गर्ल्स, बराक ओबामा, डिलमा
रुसिफ, टेड क्रूज, हार्वे लेविन, किम कर्दाशियां, जोको विडोडो, रैंड पॉल,
मिच मैककोनेल, एलोन मस्क, बेंजामिन नेतन्याहू, अयातुल्ला अली खमिनी, कान्ये
वेस्ट, जॉन कैरी, जॉन ऑलिवर, अब्दुल फतह अल सीसी, बियोंस, थॉमस पाइकटी,
एंजेला मार्केल, लेवरेन कॉक्स, हिलेरी क्लिंटन, जेफ बेजॉस, इबोला डॉकटर्स
और नर्सेज, मैरी बार्रा, पोप फ्रांसिस, शी जिनपिंग, फर्ग्यूसन
प्रोटेस्टर्स, रिक पेरी, मलाल यूसफजई, हसन रुहानी, जैनेट येलेन, जोशुआ
वोंग, शोंडा राइम्स, चार्ल्स और डेविड कॉच, टॉम फ्रिडेन, नरेंद्र मोदी, अबु
बकर अल बगदादी, पीट फ्रेट्स और पैट क्विन, जैक मा, रीड हैस्टिंग्स, जेनिफर
लॉरेंस, बशर अल असद, टिम कुक, क्रिस्टोफर नोलेन, टेलर स्विफ्ट, रिसप
तैय्यप अर्दवान, रोजर गुडेल और एलिजाबेथ वारेन. चुनिंदा शख्सियतों के बारे में जानें...
ट्रेविस केलेनिक
अक्सर विवादों में रहने वाले कार सर्विस कंपनी उबर के सीईओ ट्रेविस केलेनिक
ने मात्र चार सालों में अपनी कंपनी को टॉप पर पहुंचा दिया. आज की तारीख
में उनकी कंपनी की वेल्यू 18 बिलियन डॉलर है. व्लादिमीर पुतिन
चाहे वह सीरिया के तानाशाही राष्ट्रपति बशर अल असद को समर्थन देने की बात
हो या फिर यूक्रेन में गृह युद्ध की बढ़ावा देना, पिछले साल पुतिन ने
अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका और उसके साथियों का खुलकर विरोध किया. नतीजतन
परिस्थितियां ऐसी हो गईं कि शीत युद्ध जैसे तनाव पैदा हो गए. बोको हरम गर्ल्स
नाइजारिया में इस्लामी आतंकी संगठन द्वारा 200 से ज्यादा लड़कियों की
किडनैपिंग ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी. इसके अलावा कई नामी शख्सियतों
ने आवाज उठाई. बराक ओबामा
अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले दो साल में कई चुनौतियों
का सामना किया. मध्य एशिया में आतंकी संगठन ISIS की बढ़ते कदम को रोकने से
लेकर यूएस की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटाने जैसी अहम जिम्मेदारियों का
बोझ ओबामा के कंधे पर रहा. हार्वे लेविन
पिछले साल लेविन मीडिया जगत में सबसे नामी चेहरों में से रहे. उनकी टैबलॉइड
वेबसाइट ने पिछले साल कई बड़ी स्टोरी ब्रेक की. इनमें जे जेड और सोलांजे
का एलिवेटर टेप और लॉस एंजेलिस क्लिपर्स के मालिक डोनाल्ड स्टर्लिंग की
नस्लभेदी टिप्पणी वाला टेप भी शामिल है. जॉन ऑलिवर
सिर्फ पांच महीने में जॉन ऑलिवर का 'शो लास्ट वीक टुनाइट' ने लेट नाइट
स्लॉट में दर्शकों की पसंद बन गया. उनके शो में अलग-अलग मुद्दों को व्यंग्य
भरे अंदाज में पेश किया जाता है. जोशुआ वोंग
18 वर्षीय जोशुआ वोंग हॉन्गकॉन्ग में लोकत्रंत के समर्थन में हुए प्रदर्शन का चेहरा बने. नरेंद्र मोदी
क्षेत्रीय नेता से राष्ट्रीय नेता की भूमिका में. नरेंद्र मोदी विकास के
मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी को केंद्र में अकेले दम पर सत्ता में लाए. पीट फ्रेट्स और पैट क्विन
इस जोड़ी द्वारा शुरू किए गए ALS बकेट चैलेंज वायरल हो गया. इस मुहिम के
जरिए एएलएस नाम की बीमारी से लड़ने के लिए दुनिया भर से 100 मिलियन डॉलर
जुटाए गए. अबु बकर अल बगदादी
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और ग्रेटर सीरिया का मुखिया अल बगदादी
पूरे साल सुर्खियों में रहा. इस संगठन ने सीरिया और इराक के कई क्षेत्रों
को अपने कब्जे में लिया है. जैक मा
चीन की ई कॉमर्स कंपनी अली बाबा के फाउंडर हैं जैक मा. उनकी कंपनी ने
न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग के दौरान इतिहास रच डाला था. शी जिनपिंग
चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले उन्होंने सरकार के अंदर के
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की. वेस्टर्न पैसिफिक क्षेत्र में चीन की
सैन्य क्षमता को बढ़ाने में भी कामयाब रहे. जोको विडोडो
इंडोनेशिया के मौजूदा राष्ट्रपति जोको विडोडो कभी फर्नीचर सेल्समैन हुआ
करते थे. उन्हें जोकोवी के नाम से जाना जाता था. वह देश के पहले राष्ट्रपति
हैं जो समाज के संभ्रात वर्ग से नहीं आते. जेनिफर लॉरेंस
लॉरेंस सेलेब्रिटी आई क्लाउड न्यूड फोटो लीक की शिकार हुईं. लेकिन इससे
ज्यादा सुर्खियां उन्होंने 'द हंगर गेम्स' के लिए बटोरीं. वह बॉक्स ऑफिस पर
कई हीरो को पछाड़ने में कामयाब रहीं.
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GREAT-भारतीय स्टेट बैंक #SBI से अडानी ग्रुप को एक अरब डॉलर का कर्ज़ :::: अडानी को SBI के लोन में #BJP सरकार का हाथ? :::: #ADANI के अच्छे दिन आए
अडानी को SBI के लोन में सरकार का हाथ नहीं: बीजेपी
नई दिल्ली, 21नवम्बर 2014
गौतम अडानी (फाइल फोटो)
भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक से अडानी ग्रुप को कर्ज बैंक और उद्योग के बीच सौदा है और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है.
इसके साथ ही बीजेपी ने इस मामले में प्रधानमंत्री का नाम घसीटने के लिए
कांग्रेस की आलोचना की है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस इस तरह के
‘तुच्छ’ बयान देकर देश की प्रतिष्ठा को धक्का लगा रही है और लोगों की बीच
अपनी साख गंवा रही है.
बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा,‘यह बैंक और उद्योग के बीच का मामला
है और सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं. अगर कांग्रेस प्रधानमंत्री की
यात्रा को इस नजरिए से देखती है और तुच्छ बयान जारी करती है तो वह देश की
प्रतिष्ठा व मर्यादा को धूमिल कर रही है.’
उन्होंने कहा, ‘अगर कांग्रेस ने इसी तरह के आधारहीन आरोप लगाना जारी रखा तो
आम लोगों में उसकी साख और कम होगी.’ बीजेपी नेता ने कहा कि जबकि सारी
दुनिया प्रधानमंत्री की हाल ही की विदेश यात्रा की सराहना कर रही है,
कांग्रेस उनकी आलोचना कर रही है और लोगों का ध्यान बंटाने के लिए आधारहीन
आरोप लगा रही है.
हुसैन ने कहा कि कांग्रेस ने अभी इस वास्तविकता को स्वीकार नहीं किया है कि
वह सत्ता में नहीं रही. उन्होंने कहा, वे (कांग्रेस) नेता अब भी अपने
सपनों में हैं कि वे सत्ता में हैं. उनका मानना है कि और अधिक सवाल उठाकर
तथा आधारहीन मुद्दे बनाकर वे लोगों को ध्यान बंटाने में कामयाब होंगे.’
बीजेपी नेता ने किसान विकास पत्र के बारे में कांग्रेस की आलोचनाओं को भी
खारिज कर दिया. स्टेट बैंक ने अडानी ग्रुप को एक अरब डालर का कर्ज देने के
लिये शुरुआती समझौता किया है. कांग्रेस का कहना है कि यह कर्ज ऐसे समय में
मंजूर किया गया जबकि कंपनी के मालिक तथा एसबीआई के प्रमुख प्रधानमंत्री के
कारोबारी प्रतिनिधि मंडल में शामिल थे.
अडानी को कर्ज़ पर एसबीआई का स्पष्टीकरण
व्यावसायिक ग्रुप अडानी समूह को एक अरब डॉलर का कर्ज़ देने पर हो रही
आलोचना के बीच स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने कहा है कि सभी प्रक्रियाएँ पूरी की
जाएंगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को
एसबीआई ने कहा कि अभी सिर्फ प्रारंभिक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और
कर्ज़ की रक़म देते वक़्त सभी ज़रूरी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा. प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के समय ही एसबीआई ने अडानी समूह को
ऑस्ट्रेलिया में कोयला खदानें संचालित करने के लिए एक अरब डॉलर कर्ज़ देने
का समझौता किया था. अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी भी नरेंद्र मोदी के साथ ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर गए थे. पीटीआई
के मुताबिक अडानी समूह को कर्ज़ देने पर उठे सवालों पर एसबीआई की निदेशक
अरुँधति भट्टाचार्य ने कहा, "हम स्पष्ट करते हैं कि सिर्फ़ सहमति पत्र पर
दस्तख़त हुए हैं. हमने कर्ज़ जारी नहीं किया है. सभी ज़रूरी प्रक्रियाओं को
पूरा करने के बाद बोर्ड फ़ैसला लेगा और कर्ज़ की रक़म जारी की जाएगी." कांग्रेस ने एसबीआई के अडानी समूह को एक अरब डॉलर का लोन देने के फ़ैसले पर सवाल उठाए हैं.
'कांग्रेस ने उठाए सवाल'
कांग्रेस
महासचिव अजय माकन ने कहा, "एसबीआई के अडानी को क़र्ज़ देने का क्या औचित्य
है जब पाँच अंतरराष्ट्रीय बैंकों ने समूह को इस योजना के लिए कर्ज़ देने
से इनकार कर दिया है." उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री अडानी को क़रीब 6200 करोड़ रुपए का क़र्ज़ दिलवाने में 'रूचि' लेते नज़र आ रहे हैं. माकन ने कहा, "सरकार सिर्फ़ अमीरों के लिए काम करने में रूचि ले रही है और सिर्फ़ अमीरों के ही अच्छे दिन आए हैं."
govt has no role in sbis $1 bn loan to adani group bjp Keyword : BJP, SBI loan, Adani Group, Narendra Modi
खुशखबरी: उत्तराखंड के बेरोजगारों को समूह ग की सरकारी नौकरी में आवेदन करने पर फिर से शुल्क देना होगा, हरीश कैबिनेट का बेरोजगारों को झटका, सरकारी नौकरियों में परीक्षा शुल्क लागू ...JAY HO CM-HARISH SIR JAY HO!!!!!!!
-कांग्रेस सरकार में करीब एक साल पहले लिया गया शुल्क माफ़ का एक फैसला उलट दिया है। -मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार के इस फैसले से राज्य के बेरोजागरों का करारा झटका लगा है।
20-11-2014
कांग्रेस सरकार में करीब एक साल पहले लिया गया एक फैसला उलट
दिया है। सरकार ने बेरोजगारों को राहत देने के लिए लोक सेवा आयोग की बाहर
की परिधि के राजकीय सेवा के पदों के आवेदन व परीक्षा शुल्क फिर से लागू कर
दिया है। सरकार के इस फैसले से राज्य के बेरोजागरों का करारा झटका लगा है। देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में राज्य अतिथि गृह
बीजापुर में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में राजकीय सेवा के पदों के
आवेदन परीक्षा शुल्क के रूप में अब सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए 200
रुपये तथा एस.सी व एसटी के छात्रों के लिए 100 रुपये की धनराशि करने का
निर्णय लिया गया।
इसके अलावा कैबिनेट ने सरकारी विभागों व निगमों में तैनात उपनल के
कर्मचारियों को हटाने का फैसला वापस ले लिया है। सरकार के इस फैसले से
सैक़ड़ों उपनलकर्मियों की सेवा बरकरार रह सकेगी। कैबिनेट ने वित्तीय वर्ष
2014-15 की द्वितीय अनुपूरक मांगे तथा तत्संबंधी विनियोग विधेयक पर भी
चर्चा की। बैक में उत्तराखण्ड लोकायुक्त अधिनियम (संशोधन) अध्यादेश का
प्रतिस्थानी विधेयक उत्तराखण्ड लोकायुक्त अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2014 को
मंजूरी दे दी है जिससे अब 180 दिन की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। कैबिनेट
में आन्दोलनकारियों को दिये जाने वाले क्षैतिज आरक्षण में आ रही कानूनी
बाधाओं को दूर करने का भी निर्णय लिया। इस दौरान ऊर्जा नीति पर चर्चा हुई
जिसे अगली कैबिनेट में फिर लाये जाने पर सहमति बनी। बैठक में श्रीनगर व
हल्द्वानी मेडिकल कालेज में फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए एक साल के
बाॅड पर डाॅक्टर तैनात करने का भी फैसला लिया गया। इसके अलावा कैबिनेट ने
फार्मासिस्ट को अलग से कैडर बनाने, आयुर्वेद व बीडीएस के पद बढ़ाने,
कब्ररिस्तान की चार दीवारी की तरह ही ईसाई समुदाय के कब्रिस्तानों की भी
चार दीवारी कराने, हर गांव में इन्दिरा प्रियादर्शनी मंडप बनाने का भी
निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता (सिविल)
(संशोधन) सेवा नियमावली-2014 एवं उत्तराखण्ड लोक निर्माण विभाग सहायक
अभियंता (विद्युत एवं यांत्रिक) (संशोधन) सेवा नियमावली-2014 का प्रख्यापन
करने,
राज्य की सार्वजनिक/सहकारी/निजी क्षेत्र की चीनी मिलों पर लंबित अवशेष गन्ना मूल्य भुगतान की राशि पर देय ब्याज माफ करने,
उत्तराखण्ड राज्य निर्वाचन आयोग (मुख्यालय) समूह क व खा सेवा नियमावली 2014
के लिए कैबिनेट की उप समिति बनाने,उत्तराखण्ड राज्य निर्वाचन आयोग
टंकक/डाटा एंट्री आपरेटर एवं सहायक समीक्षा अधिकारी सेवा नियमावली 2014 को
मंजूरी देने, प्रदेश के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत
अनुदेशकों, कार्यदेशकों तथा प्रधानाचार्यों को शैक्षिक सत्र के मध्य में
अधिवर्षता आयु पूर्ण करने पर सत्रांत लाभ देने का भी निर्णय लिया। कैबिनेट
तय किया कि वाशी नवी मुम्बई में उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह एवं इम्पोरियम
निर्माण का कार्य पीपीपी मोड पर नहीं कराया जाएगा। इसका निर्माण विशुद्ध
रूप से उत्तराखण्ड सरकार द्वारा संपादित कराएगी। फैसला हुआ कि उत्तराखण्ड
राज्य गैरसैण विकास परिषद विधेयक 2014 के प्रस्ताव को आगामी विधान सभा सत्र
में प्रस्तुत किया जाएगा। मसूरी रोप-वे परियोजना के लिये भू-उपयोग
परिवर्तन की सहमति एवं शुल्क में छूट देने का भी निर्णय हुआ। कैबिनेट ने
टैक्सटाइल नीति को मंजूरी दे दी है। सरकार ऊधमसिंहनगर में 90 हेक्टेयर भूमि
में टैक्सटाइल पार्क बनाएगी। जबकि मुन्स्यारी व जोशीमठ में मिनी टैक्सटाइल
पार्क स्थापित होंगे। इसके अलावा प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम
उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीति को मंजूरी दी गई। अब पर्वतीय
क्षेत्रों में उद्योग लगाने पर ज्यादा सुविधा दी जाएगी। दूरस्थ एवं पर्वतीय
क्षेत्र को दो श्रेणियों में बांटा गया है, ए व बी में ए श्रेणी में जनपद
पिथौरागढ, उत्तरकाशी, चमोली, चम्पावत, रूद्रप्रयाग व बागेश्वर का संपूर्ण
क्षेत्र, जबकि बी श्रेणी में जनपद पौडी, टिहरी, अल्मोड़ा का संपूर्ण
क्षेत्र। जनपद देहरादून व जनपद नैनीताल के समुद्र तल से 650 मी0 से अधिक
ऊंचाई वाले समस्त क्षेत्र शामिल किए गए हैं। पूंजी निवेश में श्रेणी ए को
40 प्रतिशत, श्रेणी बी को 30 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। ब्याज उपादन में
श्रेणी ए को 12 प्रतिशत, श्रेणी बी को 10 प्रतिशत तथा 650 मी. से नीचे वालो
को 6 प्रतिशत निर्धारित होगा। वैट की प्रतिपूर्ति के तहत श्रेणी ए को
प्रथम 5 वर्ष के लिए शत-प्रतिशत, उसके बाद 90 प्रतिशत व श्रेणी बी को 75
प्रतिशत दिया जायेगा। स्टाॅम्प शुल्क में छूट दी जायेगी। बिजली बिलों की
प्रतिपूर्ति के तहत 100 के.वी.ए.. तक के विद्युत बिल पर श्रेणी ए व बी. को
प्रथम 5 वर्ष के लिए 5 प्रतिशत तथा उसके बाद 60 प्रतिशत, जबकि 100 के.वी.ए.
से अधिक होने पर श्रेणी ए व बी के लिए 60 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की
जायेगी। विशेष राज्य परिवहन उपादान के तहत श्रेणी ए को वार्षिक टर्न ओवर का
10 प्रतिशत, जबकि श्रेणी बी को 8 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
सरकार ने नई दिल्ली के उत्तराखण्ड निवास व उत्तराखण्ड सदन में स्थानीय
उत्पादों के लिए इम्पोरियम बनाने का निर्णय किया। बैठक में सांसद निधि व
विधायक निधि के तहत भेजे जाने वाले प्रस्ताव सांसद व विधायक के प्रस्ताव के
अनुरूप ही स्वीकृत करने इसके लिए सीडीओ की जिम्मेदारी तय करने का भी फैसला
हुआ। अवस्थापना विकास निगम और राज्य खनिज विकास परिषद के लिए अधिनियम लाए
जाएंगे। कैबिनेट ने मेडिकल चयन बोर्ड को मंजूरी और मदरहुड विश्वविद्यालय,
रूड़की को मंजूरी दी।
समूह ग की परीक्षा में 300 Rs शुल्क वसूलने की तैयारी,
रावत सरकार,तत्कालीन बहुगुणा सरकार के पूर्व में समूह ग के पदों पर आवेदन करने पर शुल्क माफ़ के इस फैसले पर रोलबैक करने जा रही है
...बुधवार को होने वाली
कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है.
November 19, 2014
देहरादून : सरकार
एक बार फिर उत्तराखंड के बेरोजगारों को झटका देने की तैयारी में है. समूह ग
की परीक्षा में शुल्क वसूलने की तैयारी की जा रही है. जिसके बाद सरकारी
नौकरी में आवेदन करने वालों को शुल्क देना होगा. बुधवार को होने वाली
कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है.
तत्कालीन बहुगुणा सरकार ने पूर्व में समूह ग के पदों पर नौकरियों के लिए
आवेदन करने पर शुल्क माफ़ कर दिया था. इससे अभ्यर्थियों को रहत तो मिली थी,
लेकिन विभागों में इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान न होने से यह व्यवस्था
सही ढंग दे संचालित नहीं हो पाई. प्राविधिक शिक्षा परिषद रूड़की इस परीक्षा
का आयोजन कर रहा है. उसे सम्बंधित विभागों से परीक्षा कराने के एवज में
भुगतान के लिए भटकना पड़ रहा है. इसका असर अन्य परीक्षाओं पर पड़ रहा है और
वे समय पर नहीं हो पाई हैं.
अब रावत सरकार इस फैसले पर रोलबैक करने जा रही है. कार्मिक विभाग ने
नौकरियों में आवेदन के लिए शुल्क अनिवार्य करने के लिए प्रस्ताव कर दिया
है. प्रति अभ्यर्थी से इसके लिए 200 से 300 रुपए लिया जा सकता है. वैसे अब
समूह ग की भर्तियों का जिम्मा उत्तराखंड अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोगको मिल
चूका है, लेकिन अभी इसका ढांचा पास नहीं हुआ है. कैबिनेट में सचिवालय में
अतिरिक्त अनुभागों का सृजन, अनुपूरक बजट के साथ ही एनी प्रस्तावों को हरी
झंडी मिलेगी.
यूरोज़ोन में मंदी पलटकर आ रही है,जी-20 का ख़राब रिकॉर्ड,यह 'मुक्त-बाज़ार' ढांचे की वक़ालत करते हैं. ये वही ढांचा है जो 2008 की महामंदी के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने में नाकाम रहा था.,यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की गाड़ी को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकता
जी-20 से क्या हासिल हुआ?
19 नवंबर 2014
ऑस्ट्रेलिया
में हाल ही में संपन्न हुए जी-20 सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को
अगले 5 साल में 2.1 प्रतिशत की दर से बढ़ाने पर सहमति बनी है. जी-20 में
दुनिया की सबसे बड़ी 19 अर्थव्यवस्थाएं और यूरोपीय संघ शामिल है.
अगर
आर्थिक वृद्धि का यह लक्ष्य हासिल हो पाया तो अर्थव्यवस्था में 2 ट्रिलियन
डॉलर (1236.50 खरब रुपए से ज़्यादा) बढ़ेंगे और 'लाखों नौकरियां' पैदा
होंगी. लेकिन इसके लिए 800 'नए उपायों' में से कितनों पर सही तरीक़े
से काम हो पायगा, कहना मुश्किल है. व्यापार, श्रम क़ानून, शोध-विकास, और
सरकारी आधारभूत ढांचा जैसे उपायों में से कितने ज़मीन पर उतरेंगे, पता
नहीं.
विश्लेषण
जी-20
के सदस्य दुनिया के 85 फ़ीसदी उत्पादन के लिए ज़िम्मेदार हैं, लेकिन इनकी
आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्थाएं अलग हैं और नीतियां लागू करने का तरीक़ा भी
अलग है. सबसे अहम यह है कि ये उपाय मुख्य रूप से 'मुक्त-बाज़ार'
ढांचे की वक़ालत करते हैं. ये वही ढांचा है जो 2008 की महामंदी के दौरान
वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने में नाकाम रहा था. इस ढांचे को बहुत अर्थशास्त्री संकट की मुख्य वजह मानते हैं. भारत
ने इनमें से कुछ नीतियों का विरोध किया है, जिनमें रुपए को पूंजी खाते पर
परिवर्तनीय बनाना और बैंकिंग को नियंत्रण मुक्त करना शामिल है. यही वजह यह है कि विकसित देशों के मुक़ाबले भारत मंदी से बेहतर ढंग से निपट पाया. हालांकि, विडंबना यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 के आधिकारिक बयान का ही साथ दिया.
मंदी की आहट
यूरोज़ोन में मंदी पलटकर आ रही है, अमरीकी अर्थव्यवस्था में हल्का सुधार है लेकिन चीन, ब्राज़ील और रूस की आर्थिक गति ढीली है. ऐसे
में उभरती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत ही उम्मीद की एक किरण है. लेकिन
ब्रिस्बेन में मोदी के हस्तक्षेप से यह उम्मीद हल्की और कमज़ोर पड़नी तय
है. हालांकि भारत को अब 'पांच नाज़ुक' उभरते बाज़ारों में से एक में
नहीं रखा जाता- जिनमें ब्राज़ील, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ़्रीका और तुर्की
हैं. लेकिन
भारत का पूरा आर्थिक आकार इतना कम और निर्माण उद्योग इतना छोटा है कि यह
वैश्विक अर्थव्यवस्था की गाड़ी को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं
निभा सकता. भारत की हालिया प्रगति ने बहुत कम नौकरियां पैदा की हैं
और यह 'मुक्त बाज़ार ढांचा' आदर्श नहीं हो सकता, क्योंकि यह कमज़ोर और
रोज़गारविहीन दोनों साबित हो चुका है.
जी-20 का ख़राब रिकॉर्ड
ब्रिस्बेन
सम्मेलन में 2025 तक महिलाओं के लिए 10 करोड़ नौकरियां पैदा करने और
महिला-पुरुषों के बीच काम में भागीदारी के अंतर को 25 फ़ीसदी कम करने का
वायदा किया गया है, जो अति आशावाद और दूर की कौड़ी लगता है. साल
2008 में जी-20 की स्थापना से इसके रिकॉर्ड को देखा जाए तो जिन नीतियों और
उपायों पर सहमति बनी है उनमें से ज़्यादातर पर ध्यान नहीं दिया जाएगा. उदाहरण के लिए 2010 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान था कि जी-20 अपने सभी बड़े संकल्पों को पूरा कर दे. उस
स्थिति में वैश्विक प्रगति 2.5 फ़ीसदी (जिससे 1.5 ट्रिलियन या करीब 927.67
ख़रब रुपये बढ़ते) और 3 करोड़ नई नौकरियां मिलतीं. लेकिन व्यवहार में जो
हुआ वह सबसे ख़राब स्थिति के करीब था. ब्रिस्बेन सम्मेलन यूक्रेन
संकट, पश्चिमी अफ़्रीका में इबोला महामारी, दक्षिण चीन सागर में सीमा विवाद
के साए में हुआ है. पश्चिमी देशों की 'ख़री-खोटी' से नाराज़ रूस के
राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन तो सम्मेलन ख़त्म होने से पहले ही मॉस्को लौट
गए.
हाशिये पर भारत
सम्मेलन
में यूं तो सिर्फ़ आर्थिक विकास पर चर्चा होनी थी, लेकिन यह जलवायु
परिवर्तन पर एक बयान के साथ ख़त्म हुआ जिसका मेज़बान देश के दक्षिणपंथी
प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने जमकर विरोध किया और कोयले से बिजली बनाने के
ज़ोरदार वकालत की. कोयला जलवायु संकट पैदा करने और वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है. इसने
हाल ही अमरीका-चीन के बीच किए गए समझौते को नई गति दी और ग्रीन क्लाइमेट
फंड के लिए अमरीका ने 300 करोड़ डॉलर और जापान ने 150 करोड़ डॉलर देने का
संकल्प लिया. इस बयान में यह भी दिखा कि भारत सम्मेलन में हाशिए पर
है क्योंकि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक होने के बावजूद इसने
उत्सर्जन की मात्रा की अधिकतम सीमा तय करने का विरोध किया. साथ ही
भारत अपने तर्क, कि हर देश का जलवायु उत्तरदायित्व उसके प्रति व्यक्ति
उत्सर्जन के हिसाबसे तय होना चाहिए, के समर्थन में किसी को जुटा नहीं सका.
चीन की चुनौती
अगर
ब्रिस्बेन सम्मेलन की सकारात्मक विशेषताओं को दृढ़ता से देखा जाता रहे और
इनके पीछे मज़बूत राजनीतिक समर्थन न हो तो इससे जी-20 की साख पर गंभीर संकट
आ सकता है. विश्व
के रईस औद्योगिक लोकतंत्रों के मज़बूत गठबंधन जी-7 के विपरीत जी-20 एक अलग
तरह का समूह है जिसमें चीन और रूस जैसे अधिनायकवादी और भारत जैसे ग़रीब
देश भी हैं. ब्रिस्बेन में भारत का योगदान मुख्यतः कर वंचन से लड़ने
और 'टैक्स हैवन्स' को सार्वजनिक करने की मांग तक सीमित रहा. जी-20 सदस्य कर
से जुड़ी जानकारियां साझा करने पर सहमत हो गए हैं लेकिन आलोचकों का मानना
है कि यह काफ़ी नहीं है क्योंकि यह जानकारियां सार्वजनिक नहीं होंगी. जहां
तक मोदी-एबॉट की द्विपक्षीय वार्ता का सवाल है यह मुख्यतः पहले की गई
आर्थिक, शैक्षिक और परमाणु सहयोग संधियों को दोहराने तक ही सीमित रही. इसका
मुख्यतः नया तत्व संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों के ज़रिए 'सामुद्रिक' सुरक्षा
पर सहयोग को लेकर किया गया समझौता है. भारत, अमरीका, जापान और
ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले किए गए अभ्यासों की तरह इससे भी चीन को ऐतराज होने
की आशंका है, जो ऐसे सहयोग को पश्चिम की 'चीन को घेरने' की नीति मानता है. अमरीका
की अपनी हालिया यात्रा के दौरान मोदी ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ एक
संयुक्त बयान जारी किया था, जिसमें दक्षिण चीन सागर के इलाके को संभावित
संघर्ष की जगह बताया गया था. इससे चीन नाराज़ हो गया था जिसके इस
क्षेत्र में जापान और दक्षिण एशियाई देशों के साथ परस्पर विरोधी दावे हैं.
हालांकि इस समय भारत चीन के साथ दुश्मनी मोल लेने को इच्छुक नहीं है. इसका अर्थ यह हुआ कि भारत को चीन के साथ संबंधों में बेहद संतुलन बनाकर चलना होगा- जो अपने आप में एक चुनौती है.
I am Uttarakhand and i am on lot of pain...Help me my child from politics पलायन और तेज़:14 वर्षों में अब तक क़रीब 3000 गांव पूरी तरह से उजड़ चुके हैं.उत्तराखंडः क्यों दरक रही हैं उम्मीदें?
19-11-2014
पलायन और तेज़
पहाड़ के ‘पानी और
जवानी’ को पहाड़ में ही रोका जाएगा- सरकारों ने वादा ज़रूर किया लेकिन
पलायन का हाल यह है कि पहाड़ के गांव के गांव ख़ाली हो गए हैं.
सरकारी
आंकड़े बताते हैं कि जितना पलायन आज़ादी के बाद से 2000 में राज्य बनने तक
में नहीं हुआ था उससे ज़्यादा इन 14 वर्षों में हुआ है. 2000 से अब तक
क़रीब 3000 गांव पूरी तरह से उजड़ चुके हैं.
उत्तराखंडः क्यों दरक रही हैं उम्मीदें?
देहरादून 19 नवंबर 2014
लंबे
आंदोलन के बाद आठ नवंबर 2,000 को उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ था.
राज्य वासियों को उम्मीद थी कि नए राज्य में विकास होगा और लोगों को
रोज़गार के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा.
लेकिन 14 साल में यह पलायन बढ़ा ही है.
विकास के नाम पर अंधाधुंध निर्माण से पहाड़ खोखले होने लगे हैं और उम्मीदें दरकने लगी हैं, लेकिन क्यों?
पढ़िए, पूरी रिपोर्ट
"लगता
तो ऐसा है कि उत्तराखंड में एक और आंदोलन होगा, ज़रूर होगा तभी पहाड़ के
लोगों का कुछ हो सकता है वर्ना आज तो पहाड़वासियों के लिए कोई भी नहीं सोच
रहा, सभी लूटने में ही लगे हुए हैं."
देहरादून के 48 वर्षीय संजय बलूनी हताशा ज़ाहिर करते हैं.
हताशा
संजय की मां सुशीला बलूनी अलग राज्य के आंदोलन की अग्रिम पंक्ति की नेता रही हैं.
राज्य
के हालात पर बात करते हुए उनके आंसू ही छलक पड़ते हैं, "क्या हमने इसी तरह
के राज्य के लिए लड़ाई लड़ी थी. गोलियों और डंडों का सामना किया था और
लड़कों ने क़ुर्बानी दी थी."
उत्तराखंड में आज जिस भी व्यक्ति से बात
करें वह छला हुआ महसूस करता है. उसे लगता है कि इससे बेहतर तो उत्तर
प्रदेश में ही थे. अलग राज्य का फ़ायदा ही क्या हुआ.
लेकिन, ऐसा नहीं है कि अलग राज्य का किसी को फ़ायदा ही नहीं हुआ.
उत्तराखंड
ओपन यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर गोविंद सिंह कहते हैं, "नए राज्य का सबसे
ज़्यादा फ़ायदा नौकरशाहों, ठेकेदारों और नेताओं ने उठाया है. दूसरी बात यह
है कि प्रदेश का इतना ज़्यादा राजनीतिकरण हो गया है कि यहां हर आदमी नेता
है और हर नेता मुख्यमंत्री पद का दावेदार."
पलायन और तेज़
पहाड़
के ‘पानी और जवानी’ को पहाड़ में ही रोका जाएगा- सरकारों ने वादा ज़रूर
किया लेकिन पलायन का हाल यह है कि पहाड़ के गांव के गांव ख़ाली हो गए हैं.
सरकारी
आंकड़े बताते हैं कि जितना पलायन आज़ादी के बाद से 2000 में राज्य बनने तक
में नहीं हुआ था उससे ज़्यादा इन 14 वर्षों में हुआ है. 2000 से अब तक
क़रीब 3000 गांव पूरी तरह से उजड़ चुके हैं.
विकास हुआ है, लेकिन राजधानी देहरादून में मॉल खुलने और अपार्टमेंट बनने को ही विकास का पैमाना नहीं कहा जा सकता है.
देहरादून
ही नहीं हल्द्वानी, हरिद्वार, उधमसिंहनगर और कोटद्वार जैसे मैदानी इलाक़ों
में चमक-दमक दिखती है. साक्षरता दर में उत्तराखंड का स्थान 13वां है और
यहां 19 विश्वविद्यालय भी हैं, लेकिन ये सभी देहरादून और आसपास ही केंद्रित
हैं.
उत्तराखंड के दुर्गम भूगोल, आपदा संवेदनशीलता और जनसांख्यिक
वितरण को देखते हुए गुणवत्तापूर्ण विकास को सबके लिए सुलभ बनाना एक चुनौती
है.
यही वजह थी कि बद्रीनाथ और केदारनाथ में अनियंत्रित निर्माण हुआ जिसकी क़ीमत 2013 में भीषण आपदा के रूप में चुकानी पड़ी.
मुख्यमंत्री की स्वीकारोक्ति
दून
लाइब्रेरी और शोध केंद्र में रिसर्च स्कॉलर चंद्रशेखर तिवारी कहते हैं,
"सवाल नीति नियंताओं की इच्छाशक्ति का है. पर्यावरण के लिहाज़ से यह राज्य
बहुत ही नाज़ुक है. भूस्खलन, भूधंसाव, बाढ़, बादल फटने़ व भूकम्प जैसी
प्राकृतिक आपदाओं के क़हर से यहां तबाही होती रहती है. बावजूद इसके यहां
मीलों लंबी सुरंग आधारित जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण हो रहा है,
सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है."
"इसके
अलावा नदियों के किनारे और संवेदनशील स्थानों पर हो रहे अनियंत्रित खनन
तथा उच्च हिमालयी क्षेत्रों में दुर्लभ पादप प्रजातियों के चोरी-छिपे दोहन
जैसे महत्वपूर्ण सवाल हैं जिन पर सख़्ती से नियंत्रण करने की आवश्यकता है."
राज्य
के 14 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्वीकार किया
कि, "उत्तराखंड में पहाड़ी राज्य का सपना हम पूरा नहीं कर पाए."
वह
शायद पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने कमी की बात क़ुबूल की है. लेकिन इस
स्वीकारोक्ति के बावजूद वह शायद जानते होंगे कि जवाबदेही से नहीं बचा जा
सकता.
राज्य प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा पुनीत डबराल
कहते हैं, "नेताओं को पहाड़ के युवाओं की परवाह नहीं है चाहे वो कोई भी हो,
किसी भी दल का हो. उन्हें पहाड़ की याद तभी आती है जब चुनाव होते हैं.
उनके बेटे-बेटियों के लिए तो विधायक और सांसद की सीट तैयार है. हमारे लिए
क्या है. सरकारी भर्तियों में हर दिन कोई न कोई घोटाला सामने आ रहा है."
केंद्र में प्रतिनिधित्व नहीं
मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में उत्तराखंड को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला, जबकि यहां के पांचों सांसद भाजपा के हैं.
माना जाता है कि भाजपा की आपसी ख़ेमेबाज़ी की वजह से मंत्रीपद के लिए किसी एक व्यक्ति पर सहमति बन ही नहीं पाई.
सत्ता, राजनीति की खींचतान का ये पहला अवसर नहीं था, बल्कि पिछले 14 साल के इतिहास में यहां की राजनीति का चरित्र यही रहा है.
चाहे
भाजपा हो या कांग्रेस, मुख्यमंत्री पद के लिए ऐसी ही खींचतान चलती रही है
और आठ बार मुख्यमंत्री बदले गए हैं. यानी कोई भी मुख्यमंत्री औसतन अपने पद
पर दो वर्ष तक भी नहीं बना रह सका. इन पूर्व मुख्यमंत्रियों के लाव-लश्कर
पर भी राजकोष के करोड़ों रुपए न्यौछावर हो रहे हैं.
#Ebola- भारत में इबोला का पहला मरीज,भारतीय युवक को अलग रखा गया,विशेष स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती,इबोला कितना बड़ा ख़तरा? #who
इबोला संक्रमण: भारतीय युवक को अलग रखा गया
19 नवंबर 2014
इबोला
वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित अफ्रीकी देश लाइबेरिया से आए एक युवक को
दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर अलग थलग रखा गया है.
भारतीय
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस युवक का लाइबेरिया में इबोला का इलाज
किया गया था और वहां की सरकार से बीमारी ठीक होने का प्रमाण पत्र भी उसे
मिला है. लेकिन उसके वीर्य के नमूने में इस संक्रमण के कुछ अंश अब भी मौजूद थे. स्वास्थ्य
मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि इस 26 वर्षीय भारतीय
युवक का विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों के अनुरूप अनिवार्य परीक्षण
किया गया. परीक्षणों में युवक को इबोला नहीं पाया गया, लेकिन हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद एहतियातन अलग रखा गया था. बाद में उसके वीर्य के परीक्षण में इबोला वायरस के कुछ अंश मिले. बयान
के मुताबिक, "इबोला वायरस का इलाज होने के बाद व्यक्ति के कुछ शारीरिक
द्रव्यों में कुछ समय के लिए इसके अंश बने रहते हैं. अगर किसी व्यक्ति के
वीर्य में इसके अंश बने रहते हैं तो इलाज होने के 90 दिनों तक ये बीमारी
यौन क्रिया के द्वारा दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकती है." मंत्रालय के
अनुसार, "स्थिति नियंत्रण में हैं और किसी भी तरह से घबराने की जरूरत नहीं
है. हालांकि इस बारे में सभी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं."
भारत: इबोला कितना बड़ा ख़तरा?
इबोला वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश लाइबेरिया से आए एक युवक को दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर अलग-थलग रखा गया है.
भारत में इबोला से जुड़ा यह पहला मामला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पश्चिमी अफ्रीका से फैली इस बीमारी से मार्च से अब तक 5,100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. कुछ दिनों पहले जायज़ा लिया था कि इबोला संक्रमण को लेकर भारत कितना तैयार है.
रिपोर्ट
डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने बताया, "इबोला एक ऐसी बीमारी है जो छूने से फैलती है और भारत में ये काफ़ी घातक साबित हो सकता है." डॉ.
सैनी ने कहा, "यहां आबादी काफ़ी ज्यादा है. ऐसे में कुछ-एक इबोला मामले
सामने आए तो रोकथाम कारगर साबित हो सकती है, लेकिन अगर मामले बढ़े तो
स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है."
भारत में रोकथाम
डॉक्टर सैनी का कहना है कि सरकार
अपने स्तर पर प्रबंध कर रही है, लेकिन जो तैयारियां अस्पतालों में की गई
हैं उनकी मॉक ड्रिल होनी चाहिए, ताकि अगर कोई मामला सामने आता है तो उसे
उचित तरीके से डील किया जाए. अमरीका और जर्मनी तक पांव पसार चुके इस रोग की भारत में रोकथाम की तैयारी पर चर्चा के लिए सरकार उच्च स्तरीय बैठकें कर रही है. केंद्र सरकार उन सभी राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों की ट्रेनिंग करा रही है जिनमें अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह और हवाई अड्डे हैं.
यात्रियों की स्क्रीनिंग
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव लव
वर्मा ने बीबीसी को बताया, "सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डो पर यात्रियों की
स्क्रीनिंग और कड़ी कर दी गई है. जिनमें भी इबोला जैसे लक्षण मिल रहे हैं
उन्हें अलग करके विस्तृत जांच की जा रही है." उन्होंने कहा, "भारत
में अबतक इबोला का कोई पुष्ट मामला सामने नहीं आया है. हम एक साथ करीब 1000
ऐसे यात्रियों की निगरानी कर रहे हैं, जिनमें इबोला जैसे लक्षण मिले." स्वास्थ्य
सचिव के अनुसार दिल्ली और मुंबई में चुनिंदा बड़े अस्पतालों में विशेष
इबोला वार्ड बनाए गए हैं और दिल्ली और पुणे की दो सरकारी लैब्स में संदिग्ध
इबोला नमूनों का जांच की जा रही है.
मेडिकल जगत
स्वास्थ्य
मंत्रालय के अनुसार एक अगस्त से 12 अक्तूबर तक 18 हवाई अड्डों पर करीब़
21,799 यात्रियों की जांच की गई जिसमें से 55 नमूने 'काफ़ी खतरनाक' पाए गए,
हालांकि इनमें इबोला का कोई मामला नहीं था. विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्ग्रेट चैनने हाल ही में कहा कि "इबोला ने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया है." डब्लूएचओ के एक ताज़ा अनुमान के अनुसार अगले दो महीनों के भीतर अफ्रीका में हर हफ्ते ईबोला के 10,000 नए मामले सामने आ सकते हैं. उधर अफ्रीका में चार हज़ार से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला चुका इबोला मेडिकल जगत के लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है.
खतरनाक महामारी
इबोला
वायरस की पहचान साल 1976 में की गई थी और अब लगभग चार दशक बाद इसके नए
मामले पश्चिमी अफ्रीका में एक बार फिर मार्च 2014 में सामने आए. तब से अब
तक ये एक खतरनाक महामारी बन चुकी है. कॉन्गो गणराज्य में इबोला के
नाम से पहचाने जाने वाले इस रोग से बीते कुछ महीनों में जितनी मौते हुई
हैं, उतनी इससे पहले इस रोग से कभी नहीं हुई. भारत सरकार डब्लूएचओ और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ इस मर्ज़ की तोड़ खोजने पर काम कर रहा है. डब्लूएचओ को इबोला से राहत के लिए वित्तीय सहायता देने वाले देशों की सूची में भारत चौथे स्थान पर है.
लाइबेरिया से दिल्ली आया इबोला, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'घबराने की जरूरत नहीं'
दिल्ली एयरपोर्ट
लाइबेरिया से दिल्ली आने वाले एक भारतीय के जरिए इबोला ने राजधानी में
दस्तक दी है. इबोला से पीड़ित रहे इस व्यक्ति ने लाइबेरिया में इलाज कराया
था. दिल्ली में पहला मामला सामने आने के बाद केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने
कहा, 'सरकार सतर्क है और परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है.' इबोला से मुकाबले को कितना तैयार भारत
That person is kept in isolation and situation is being closely monitored- J P Nadda,Health Minister on Ebola case pic.twitter.com/5QvVFvMIWN — ANI (@ANI_news) November 18, 2014
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'इबोला का इलाज करा रहे मरीज के लिए यह मामला
बेहद रिस्क भरा है. भारत आने के बाद उसे मेडिकल देख रेख में रखा गया है और
स्थितियों का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है. हम सभी लोग सतर्क है और
घबराने की कोई बात नहीं है. स्थितियां नियंत्रण में है.' दिसंबर में खतरनाक रूप ले लेगा इबोला
Case
was of high risk patient who had already undergone treatment for
Ebola,now when he came to India was kept under observation- J P Nadda — ANI (@ANI_news) November 18, 2014
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत आने के बाद
संक्रमित व्यक्ति के सीमेन के सैंपल की जांच में वायरस की पुष्टि हो रही
है.
मंत्रालय ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की जांच में इस भारतीय व्यक्ति
के टेस्ट निगेटिव पाए गए थे. लेकिन 10 नवंबर को उसके दिल्ली पहुंचने के बाद
एहतियातन उसे चिकित्सिकीय देखरेख में रखा गया. बाद में उसके सीमेन की जांच
में वायरस की पुष्टि हुई है.
गौरतलब है कि हालिया हफ्तों के दौरान इबोला से प्रभावित पश्चिमी अफ्रीका के
देशों से आने वाले हजारों लोगों की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग की जा रही है.
पश्चिमी अफ्रीका के देशों में लगभग 45 हजार भारतीय रहते हैं.
man tests positive for ebola in delhi Keyword : Ebola, Delhi, Health Minister, Jagat Prakash Nadda
#FD- #TAX #SAVING: टैक्स सेविंग एफडी में एक लाख नहीं, अब 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर बचेगा टैक्स
Nov 18, 2014
नई दिल्ली। बैंक में एफडी करके टैक्स सेविंग करने वालों के लिए
अच्छी खबर है। वित्त मंत्रालय ने इस राशि की ऊपरी सीमा बढ़ाने का
नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान कोई भी
व्यक्ति 1.5 लाख रुपए तक के बैंक एफडी कर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी
के तहत टैक्स बेनेफिट ले सकता है। पहले इसकी अधिकतम सीमा एक लाख रुपए थी।
यह नोटिफिकेशन 13 नवंबर से लागू हो गया है।
बजट में हुई थी घोषणा
जुलाई में पेश बजट में वित्त मंत्री ने सेक्शन 80सी के तहत छूट की
सीमा को बढ़ा कर 1.5 लाख रुपए करने की घोषणा की थी। जीवन बीमा प्रीमियम और
होम लोन के मूलधन की अदायगी के अलावा पीपीएफ, ईएलएसएस, टैक्स सेविंग एफडी,
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट आदि में निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन
80सी के तहत कर से छूट मिलती है। इस बजट की घोषणा से पहले सेक्शन 80सी के
तहत एक लाख रुपए के निवेश पर टैक्स से छूट मिलती थी।
चूंकि पीपीएफ एक स्वतंत्र स्कीम है, ऐसे में सरकार ने 19 अगस्त 2014
को इसके लिए अलग नोटिफिकेशन जारी किया है। और अब बैंकों के टैक्स सेविंग
एफडी के लिए अलग नोटिफिकेशन जारी किया गया है। यह नया नोटिफिकेशन बैंक टर्म
डिपॉजिट स्कीम 2006 के तहत जारी किया गया है।
कैसे काम करती है टैक्स सेविंग एफडी
फिक्स्ड डिपॉजिट की इस विशेष श्रेणी में निवेश करने पर निवेशक को इनकम
टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स से छूट मिलती है। बैंक बाजार
डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, "निवेशक को कर बचत का लाभ देने
वाली इस एफडी की लॉक-इन अवधि पाँच साल होती है। परिपक्वता से पहले इसमें से
निकासी संभव नहीं है। इसके अलावा लोन एगेन्स्ट एफडी) और स्वतः नवीनीकरण
जैसी सुविधाएं भी इसमें नहीं मिलतीं।" यह डिपॉजिट बैंक की एक शाखा से दूसरी
शाखा को ट्रांसफर किया जा सकता है, लेकिन किसी दूसरे बैंक को नहीं। इसके
अलावा इसे गिरवी रख कर लोन भी नहीं लिया जा सकता।
शेट्टी आगे कहते हैं, "इसमें निवेश की न्यूनतम राशि विभिन्न बैंकों
में अलग-अलग होती है। कुछ मामलों में यह न्यूनतम 10,000 रुपए हो सकता है।
कर बचत का लाभ देने वाले इन एफडी से मिलने वाले ब्याज पर आय कर लगता है।
इसका मतलब यह है कि इस ब्याज को उस व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम (कर-योग्य आय)
में जोड़ दिया जाता है।" ध्यान रहे कि आय कर अधिनियम की धारा 80टीटीए में
स्पष्ट है कि बचत खाते पर मिला 10,000 रुपए तक का ब्याज कर-मुक्त होता है, न
कि एफडी या आरडी पर।
Benefits Of The Roots Of Trees इन पेड़ों की जड़ों से हो सकता है भाग्योदय, जानिए प्राचीन उपाय
उज्जैन। आज के दौर में काफी लोग ज्योतिष विद्या को भी एक
विज्ञान ही मानते हैं। इस विद्या से भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी मिल
सकती है। साथ ही, जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के उपाय भी मालूम किए
जा सकते हैं। कुंडली के 12 घरों में ग्रहों की अच्छी-बुरी स्थिति के
अनुसार ही हमारा जीवन चलता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह
अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति का भाग्योदय नहीं हो पाता है। यहां जानिए
पेड़ों की जड़ों के उपाय, जिनसे ग्रह दोष दूर होते हैं और व्यक्ति का
भाग्योदय हो सकता है...
अशुभ फल देने वाले ग्रहों को अपने पक्ष में करने के लिए कई प्रकार के
उपाय बताए गए हैं। ग्रहों से शुभ फल प्राप्त करने के लिए संबंधित ग्रह का
रत्न पहनना भी एक उपाय है। असली रत्न काफी मूल्यवान होते हैं जो कि आम
लोगों की पहुंच से दूर होते हैं। इसी वजह से कई लोग रत्न पहनना तो चाहते
हैं, लेकिन धन अभाव में इन्हें धारण नहीं कर पाते हैं। ज्योतिष के अनुसार
रत्नों से प्राप्त होने वाला शुभ प्रभाव अलग-अलग ग्रहों से संबंधित पेड़ों
की जड़ों को धारण करने से भी प्राप्त किया जा सकता है।
सभी ग्रहों का अलग-अलग पेड़ों से सीधा संबंध होता है। अत: इन पेड़ों
की जड़ों को धारण करने से अशुभ ग्रहों के प्रभाव कम हो जाते हैं। धन संबंधी
परेशानियां दूर हो सकती हैं। यहां बताई जा रही जड़ें किसी भी पूजन सामग्री
या ज्योतिष संबंधी सामग्रियों की दुकान से आसानी से प्राप्त की जा सकती
हैं...
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो
सूर्य के लिए माणिक रत्न बताया गया है। माणिक के विकल्प के रूप में बेलपत्र
की जड़ लाल या गुलाबी धागे में रविवार को धारण करना चाहिए। इससे सूर्य से
शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
- चंद्र से शुभ फल प्राप्त करने के लिए सोमवार को सफेद वस्त्र में खिरनी की जड़ सफेद धागे के साथ धारण करें।
- मंगल ग्रह को शुभ बनाने के लिए अनंत मूल या खेर की जड़ को लाल वस्त्र के साथ लाल धागे में डालकर मंगलवार को धारण करें।
- बुधवार के दिन हरे वस्त्र के साथ विधारा (आंधी झाड़ा) की जड़ को हरे धागे में पहनने से बुध के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
- गुरु ग्रह अशुभ हो तो केले की जड़ को पीले कपड़े में बांधकर पीले धागे में गुरुवार को धारण करें।
- गुलर की जड़ को सफेद वस्त्र में लपेट कर शुक्रवार को सफेद धागे के
साथ गले में धारण करने से शुक्र ग्रह से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
-शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शमी पेड़ की जड़ को शनिवार के दिन नीले कपड़े में बांधकर नीले धागे में धारण करना चाहिए।
- कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में हो तो राहु को शुभ बनाने के
लिए सफेद चंदन का टुकड़ा नीले धागे में बुधवार के दिन धारण करना चाहिए।
- केतु से शुभ फल पाने के लिए अश्वगंधा की जड़ नीले धागे में गुरुवार के दिन धारण करें।
यहां बताई गईं सभी जड़े बाजार से आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं।
सामान्यत: ज्योतिष संबंधी सामग्रियों के विक्रेताओं के यहां इस प्रकार
जड़ें मिल सकती हैं। इसके अलावा कुछ वृद्ध लोगों को भी इन जड़ों की जानकारी
हो सकती है। उनसे भी इस संबंध मदद प्राप्त की जा सकती है ताकि आपको ये
जड़े मिल सके। साथ ही, इन जड़ों को धारण करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ
ज्योतिषी से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए।
लालू बोले, काले धन पर हवाबाजी कर रहे हैं पीएम मोदी,
मोदी ने कहा था 26 लाख करोड़ रुपए विदेशों में काले धन के रूप में जमा है।एक महीने
में यह पैसा वापस देश में लाएंगे और हर आदमी के खाते में 15-15 लाख रुपए
जमा करा देंगे। अब कहा हैं मोदी।
Published: Tue, 18 Nov 2014 12:05 PM
और जानें : Lalu prasad yadav | criticises | Narendra modi | black money | acche din | petrol | |
नई दिल्ली। जहां विदेशों में प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी का डंका बज रहा है, वहीं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की
नजरें में मोदी सिर्फ हवाबाजी कर रहे हैं। लालू ने पीएम मोदी पर हमला करते
हुए कहा कि उन्होंने जनता को धोखा दिया है। उन्होंने काले धन का जिक्र
करते हुए कहा कि मोदी ने 100 दिनों में इसे वापस लाने का वादा किया था,
लेकिन अब वे केवल हवाबाजी कर रहे हैं। लालू ने कहा कि मोदी ने कहा था
कि 26 लाख करोड़ रुपए विदेशों में काले धन के रूप में जमा है। एक महीने
में यह पैसा वापस देश में लाएंगे और हर आदमी के खाते में 15-15 लाख रुपए
जमा करा देंगे। अब कहा हैं मोदी। अब कह रहे हैं कि विदेशों में कितना काला
धन है, इसका पता नहीं है। मगर, जो भी पैसा विदेश में जमा है वह वापस लाने
की कोशिश करेंगे। लालू ने आरोप लगाया कि चुनाव के वक्त मोदी ने
कांग्रेस के नेताओं और अन्य पार्टी के नेताओं को चोर बताया था, अब वे क्यों
कालाधन लाने में कोताही बरत रहे हैं। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव
में मोदी ने काले धन की वापसी और अच्छे दिन का चारा डाला जिसमें आम जनता
फंस गई। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद उनके दावे पूरी तरह से खोखले साबित
हो रहे हैं।
स्वच्छ भारत मिशन पर भी निशाना मोदी
के स्वच्छ भारत अभियान को भी लालू ने निशाने पर लिया और कहा कि यह सिर्फ
फोटो खिंचवाने का जरिया है। जिसे सफाई करनी होती है, वह पब्लिसिटी का सहारा
नहीं लेता है। राजद अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते
हुए उन्हें एनआरआई करार दिया। मोदी द्वारा रेलवे और सुरक्षा में
एफडीआई लाने को भी निशाने पर लिया। कहा कि वे बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं,
लेकिन जनता की उन्हें कोई चिंता नहीं है। पेट्रोल-डीजल के मूल्य में कमी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी कीमत गिरने के कारण हुई है। इसमें भी सरकार
का कोई योगदान नहीं है, लेकिन सरकार है कि श्रेय लेने में जुटी है।
स्वामी विवेकानंद शिकागो की धर्मसभा में जाने की
तैयारी कर रहे थे। उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस का देहांत हो चुका था।
यात्रा पर जाने से पहले विवेकानंद गुरु मां शारदामणि के पास आशीर्वाद लेने
गए। चरण स्पर्श कर उन्हें अपना मंतव्य बताया और कहा, आपका आशीर्वाद चाहिए,
ताकि मैं अपने प्रयोजन में सफल हो सकूं।
मां शारदा ने मधुर स्मित
होकर कहा, आशीर्वाद के लिए कल आना। मैं पहले देख लूं कि तुम्हारी पात्रता
है भी या नहीं। यह सुनकर विवेकानंद सोच में पड़ गए, पर गुरु मां के आदेश के
अनुसार दूसरे दिन वह फिर उनके पास गए। मां शारदा रसोईघर में थीं। विवेकानंद
ने उन्हें प्रणाम किया। मां ने कहा, ठीक है, आशीर्वाद तो तुझे दूंगी। पहले
तू मुझे वह चाकू उठाकर दे। मुझे सब्जी काटनी है।
विवेकानंद ने चाकू
उठाया और मां शारदा की ओर बढ़ाया। चाकू लेते हुए ही मां शारदा ने अपने
स्नेहसिक्त आशीर्वचनों से स्वामी विवेकानंद को संबोधित किया। वह बोलीं, जाओ
नरेंद्र, मेरे समस्त आशीर्वाद तुम्हारे साथ हैं। तुम अपने उद्देश्य में
अवश्य सफल होगे। स्वामी जी हतप्रभ हो गए। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि
गुरु मां के आशीर्वाद और मेरे चाकू उठाने के बीच ऐसा क्या हो गया? शंका
निवारण के प्रयोजन से उन्होंने मां से पूछ ही लिया।
मां शारदा ने
कहा, प्रायः जब भी किसी व्यक्ति से चाकू मांगा जाता है, तो वह चाकू की मूठ
अपनी हथेली में समा लेता है और चाकू की तेज फाल दूसरे की ओर रखता है। मगर
तुमने ऐसा नहीं किया। तुमने चाकू की फाल अपनी हथेली में रखी और मूठवाला
सिरा मेरी तरफ बढ़ाया। यही तो साधु का मन होता है, जो सारी आपदा को अपने लिए
रखकर दूसरे को सुख ही देना चाहता है।
भारत
के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौरे के अंतिम दिन मंगलवार को
राजधानी कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया.
इस मौक़े पर मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट को बधाई दी. उन्होंने
अपने भाषण में दोनों देशों के बीच पुराने संबंधों को याद करते हुए
ऑस्टेलियाई वकील जॉन लैंड का ज़िक्र करते हुए कहा कि जॉन लैंड ने भारत की
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रानी लक्ष्मीबाई के लिए ब्रिटिश सरकार से
क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी. साथ ही उन्होंने क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन, शेन
वार्न और भारत के सचिन तेंदुलकर का ज़िक्र कर क्रिकेट के ज़रिए सासंदों का
दिल जीतने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
सहयोग
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के समृद्ध भौगोलिक और सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा की. इस
मौक़े पर उन्होंने भारत में बदलते राजनीतिक हालात की चर्चा करते हुए कहा,
"भारत में 30 साल बाद एक स्पष्ट बहुमत वाली सरकार आई है और नौजवान पीढ़ी
में आकांक्षाओं का ज्वार है. हम पिछले छह महीनों में आगे बढ़े हैं." उन्होंने
चरमपंथ, मनी लॉंड्रिंग, ड्रग और हथियार तस्करी पर अंकुश लगाने की ज़रूरत
पर भी बल दिया और एक मज़बूत द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की भी बात कही. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को भारत के विकास में साझीदार बनने की भी दावत दी.
समझौते
उन्होंने संसद में यह भाषण अंग्रेज़ी में दिया. हालांकि एक जगह उन्होंने ग़लती से रिन्यूवल एनर्जी को 'रिन्यूवल एलर्जी' बोल दिया. इस
दौरे में दोनों देशों के बीच आतंकवाद के मुद्दे पर सहयोग और आर्थिक विकास
समेत पांच समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इसके अलावा व्यापक आर्थिक समझौते पर
भी दोनों देशों के बीच सहमति बनी. प्रधनमंत्री मोदी यहां से मेलबर्न के लिए रवाना हुए, जहां से वो फ़िजी की यात्रा पर जाएंगे.
ऑस्ट्रेलिया-अफ़्रीक़ा में चीन से पीछे है भारत!
दो दिन पहले जापान की अर्थव्यवस्था अचानक मंदी में चली गई.
इसके
बाद सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि अगर मंदी से
बचना है तो दुनिया के देशों को भारत और चीन के साथ ज़्यादा आर्थिक समझौते
करने होंगे. ये बात इन दो देशों के बढ़ते आर्थिक महत्व की तरफ़ इशारा करती है. वैसे
कैमरन का बयान ऑस्ट्रेलिया में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद आया है,
जिसमें दुनिया की आर्थिक वृद्धि सबसे ज़्यादा चर्चा में रही. ऐसे में ये सवाल लाज़िम हो जाता है कि अभी विश्व अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है?
आकलन
किसी के अनुमान के बारे में तो पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन अगले कुछ महीनों में हालात बेहतर होने के आसार नहीं हैं. हालाँकि
ज़्यादातर लोगों का अनुमान है कि 2014 के मुक़ाबले 2015 में हालात अच्छे
हो सकते हैं. विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती केवल चीन और जापान की वजह से
नहीं है, बल्कि यूरोप की भी अहम भूमिका है. यूरोप के वे देश जो यूरोज़ोन में आते हैं, उनके आर्थिक संकट का भी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. यूरोप
की बदलती आर्थिक हवा की गंभीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है
कि कैमरन ने भारत और चीन से आर्थिक सहयोग बढ़ाने की बात कही है.
आपसी सहयोग
कई लोग इसे भारत और चीन की उभरती
आर्थिक ताक़त से जोड़ कर देखते हैं. हालाँकि एक तबक़ा ऐसा भी है जो इसे
यूरोप की मजबूरी का नाम देना चाहता है. वैसे यह कोई दार्शनिक सवाल नहीं है कि किसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ना कोई मजबूरी है. यह तो आपसी सहयोग की बात है. और इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन की अर्थव्यवस्था में भी कुछ हद तक ठहराव आया है. ये और बात है कि चीन की अर्थव्यवस्था की थमने की दर बाक़ी अर्थव्यवस्थाओं की बुलंदी की स्थिति से भी बेहतर होती है.
ऑस्ट्रेलिया में मोदी
अगर
कैमरन ने दोनों अर्थव्यवस्थाओं के साथ ब्रिटेन की इकोनॉमी को जोड़ने की
बात कही है तो ये बात उद्योग जगत के लोगों को पहले से ही पता है. मेरी
राय में उन्हें इस तरह की सलाह की ख़ास ज़रूरत नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में
जी-20 की बैठक में भारत और चीन दोनों ही देशों के नेताओं ने शिरकत की. चीन
के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने इस दौरे में ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त
व्यापार समझौता किया है. वहीं, द्विपक्षीय संबंधों की तरह ही व्यापार जगत
में भी मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे को उम्मीद से देखा जा रहा है.
आर्थिक संबंध
भारत को ऑस्ट्रेलिया के
प्राकृतिक संसाधनों में दिलचस्पी है, लेकिन भारत से कहीं ज़्यादा बढ़कर चीन
के ऑस्ट्रेलिया के साथ आर्थिक संबंध हैं. कुछ लोगों का तो मानना है कि अफ़्रीक़ा और ऑस्ट्रेलिया में चीन की कंपनियां ख़ासा असर रखती हैं. मुक्त
व्यापार समझौते से ज़ाहिर है कि ऑस्ट्रेलिया को थोड़ा बहुत तो ज़रूर
फ़ायदा होगा, लेकिन इसे चीन के प्रभाव के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है. भारत को भी कोशिश करनी चाहिए कि उसकी कंपनियां, ख़ास कर खनन क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां वहां जाएं और बेहतर तालमेल बनाएं. अफ़्रीक़ा और ऑस्ट्रेलिया के प्राकृतिक संसाधनों की दौड़ में भारत चीन से कहीं पीछे है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में अप्रवासी
भारतीयों को संबोधित किया है जिसमें उन्होंने अपनी सरकार की कई उपलब्धियाँ
भी गिनाईं. उन्होंने सोमवार को सिडनी के आलफोन्स एरिना में लोगों को
संबोधित किया.
यह आयोजन इंडिया ऑस्ट्रेलिया कम्युनिटी फ़ाउंडेशन
(आईएसीएफ़) के बैनर तले भारत सरकार और भारतीय उच्चायोग के सहयोग से किया
गया. हालांकि मोदी के ख़िलाफ़ कई लोगों ने आलफोन्स एरिना के बाहर हाथों में
प्लेकार्ड लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
मोदी के भाषण की दस मुख्य बातें
1. ऑस्ट्रेलिया में बसे आप्रवासी भारतीयों को वीज़ा ऑन अराइवल देने पर भारत सरकार कर रही है विचार 2. भारत और ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट से लेकर लोकतंत्र की समानता का उल्लेख किया, सिडनी की ख़ूबसूरती की भी तारीफ़ की. 3. कहा पुराने क़ानून खत्म करने में आता है आनंद, सर्टिफिकेट को प्रमाणित करने का झंझट दूर किया गया है 4. अपनी सरकार की नई योजनाओं का किया ज़िक्र, स्वच्छता अभियान का भी उल्लेख 5. मेक इन इंडिया कार्यक्रम के ज़रिए भारतीय युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर 6. मोदी ने कहा ऑस्ट्रेलिया से सीखें श्रम का सम्मान, स्वच्छता अभियान से जोड़ा 7. भारतीय मूल के लोगों को भारत में शौचालय निर्माण में मदद के लिए दिया न्यौता, कहा भारत की छवि में ला सकते हैं सुधार 8. जन धन योजना का ज़िक्र भी हुआ भाषण में, मोदी ने कहा 150 दिनों में चाहते थे परिणाम 9.
भाषण में कहा- "मैं आज़ाद भारत में पैदा होने वाला पहला प्रधानमंत्री हूं.
हम आज़ादी के लिए मर तो नहीं सके लेकिन देश के लिए जी तो सकते हैं." 10. भारत को आगे बढ़ते देखने के जताई इच्छा
राजनाथ की चीन को चेतावनी, यदि चीन भारतीय क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य जारी रखता
है तो तोड़ देंगे अवैध निर्माण
Nov 18, 2014
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज भारतीय क्षेत्र में सड़कों के
निर्माण के खिलाफ चीन को चेतावनी दी। और कड़ी हिदायत देते हुए कहा है कि इस
प्रकार का अवैध निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि हम
पड़ौसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखाना चाहते हैं।
यह
पूछे जाने पर यदि चीन भारतीय क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य जारी रखता
है तो, इस पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि हमारे सैनिक के पास इन
अवैध निर्माण को तोड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा।
यहां
एक जनसभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा है कि चीन को निश्चित ही
भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ और सड़क निर्माण की कोशिश बंद करनी होगी। हम
चीन के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं और उसे हमारी भावनाओं का निश्चित तौर पर
सम्मान करना चाहिए।
भारतीय
सीमा में चीनी सैनिक की लगातार घुसपैठ के कारण सीमा पर तनाव पैदा हो गया
है। गौरतलब है कि नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के
राष्ट्रपति शी चिनफिंग की हुई मुलाकात के दौरान भी घुसपैठ का मामला उठा था।
After 122 moves and 6 1/2 hours, Carlsen vs Anand game 7 ends in a thrilling draw
New Delhi, November 17, 2014
In
the seventh game of the World Chess Championship Viswanathan Anand
playing with black pieces drew with Magnus Carlsen.
Game 7 is by far the best tactical game of this World Championship.
The game went on for 6 1/2 hours and ended in a draw after 122 moves,
just two moves short of the longest World Cup game ever played. Magnus'
plan to tire out Anand and elicit mistakes failed at the end with the
game ending in a slightly disappointing draw for Carlsen.
Game Board Opening
Ruy Lopez opening - 1. e4 e5 2. Nf3 Nc6 3. Bb5 - was played in
game 7. An opening both the players knew very well and had played
against each other often. Read about Ruy Lopez opening here.
Ruy Lopez
The first 25 moves were played in a hurry with Anand and Carlsen
taking only 30 and 20 minutes respectively. The board looked like this
after the first 25 moves. Bishop sacrifice and relentless pressure
In move 31, Anand sacrificed his white square bishop to conquer
two of Carslen's pawns. This nullified the Norwegian's chances to pose a
threat later in the game by walking his pawns up the board backed by
stronger pieces.
At the end of this sacrifice, Carlsen had a knight, a rook and two pawns, while Anand had four pawns and a rook.
It looked like a dead-draw, but Magnus as usual didn't relent. He
pressed on, posing threat after threat keeping Anand on his toes. But
Anand was unruffled.
Magnus the 'boa constrictor' was on display in game 7. Only
Carlsen can play with full enthusiasm when a chess board looks like
this.
There was nothing much to play for in this postion, but Carlsen
kept on improving his pieces by putting them in better squares and piled
up pressure. He didn't have any winning plan in general but he was
waiting for Anand to lose concentration and err which never happened
till the end.
Magnus wanted to tire Anand out and elicit mistakes from the
44-year-old. The commentators pointed out during the game, "The plan
seems to be to tire out Anand and give him a false sense of security
that everything is all right and pounce at the smallest of errors".
Susan Polgar, a famous chess commentator pointed out during the
game that in 'Rook + Knight vs Rook' end games, if the rooks are
traded-off then white wins, if not it's a draw.
Tactical thriller
After move 34, no pieces were captured in the game until the very
end. Move 34 was played at the end of 2 1/2 hours and the game ended
after 6 1/2
So for almost 4 hours and for another 88 moves the game went on
and on with the white knight jumping to occupy almost every square in
the board backed by the white rook. Anand defended successfully almost
all the threats with his rook.
The commentators at the very end said, "When it comes to defence,
Vishy is best in business." He proved even at 44 he still can defend a
game for more than six hours.
Then after sometime all the pawns were off the board and Vishy
had one rook while Magnus had a rook and a knight. Magnus pressed on
even then. Apparantly Magnus had won one game from this positon in the
past.
Polgar tweeted, "For the fans who said it's stupid to play out,
wrong. I have won R+N v R and GMs do lose R vs R+N. Not as easy as
people think."
The longest ever World Cup game was played between Karpov vs
Korchnoi which lasted for 124 moves. This game was short by just two
moves.
Post-match presser
Magnus said in the
post-match press conference, "Initally I thought I had the moves to
press for a win, so I went for it, but then it was not."
When Anand was asked why he sacrificed his bishop, he said, "It
seemed to me that my pawns were slower and so sacrifincing the bishop
was the only option. I considered a rook-end game but it was bad for
black."