Tuesday 3 September 2013

भूमध्य सागर में मिसाइल परीक्षण किया है: इसराइल

भूमध्य सागर में मिसाइल परीक्षण किया है: इसराइल

 मंगलवार, 3 सितंबर, 2013 को 16:45 IST तक के समाचार

सीरिया सेना
सीरिया पर पश्चिमी देशों की संभावित कार्रवाई की बढ़ती आशंकाओं के बीच इसराइल ने पुष्टि की है कि उसने भूमध्य सागर में अपनी एक मिसाइल का परीक्षण किया है. एक वरिष्ठ इसराइली अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि एफ-16 लड़ाकू विमान से इस मिसाइल को दागा गया.
इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसे भूमध्य सागर में दो बैलेस्टिक उपकरणों को दागे जाने का पता चला है जो पूर्वी तट की तरफ जा रहे थे.
इस बीच अमरीका में इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की योजना सीरिया पर व्यापक सैन्य हमले की है.
हालांकि पिछले महीने सीरिया में हुए कथित रासायनिक हथियारों के बाद अभी तक सार्वजनिक तौर पर सीमित हमले की योजना की बात ही कही गई है.

अमरीकी सेना के पूर्व वाइस चीफ ऑफ स्टाफ जनरल जैक कीन ने बताया कि बड़े पैमाने पर हमले की जानकारी रिपब्लिकन पार्टी के कुछ वरिष्ठ सीनेटरों से मिली है.
सोमवार को राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कुछ वरिष्ठ सीनेटरों को सीरिया के मुद्दे पर भावी योजना के बारे में बताया गया.
जनरल जैक ने बीबीसी को बताया कि अगर सैन्य कार्रवाई के लिए कांग्रेस की मंजूरी मिल गई तो राष्ट्रपति ओबामा की योजना सीरियाई राष्ट्रपति असद की सैन्य ताकत को महत्वपूर्ण नुकसान पहुँचाने की है.

अमरीकी योजना

अमरीकी नौ सेना का बेड़ा
जनरल जैक का कहना है कि राष्ट्रपति ओबामा ने सीनेटरों को खुद इस बात का भरोसा दिलाया है.

जनरल कीन ने कहा, "राष्ट्रपति ने उनके सामने कार्रवाई के पैमाने और उसकी गंभीरता के बारे में अपनी मंशा जाहिर की. मुझे लगता है कि सीनेटरों ने जो सोचा होगा, यहीं उससे कहीं व्यापक होने जा रहा है. जो कुछ होने जा रहा है, उसके दो पहलू हैं. वह सीरिया को रोकेंगे और उसकी ताकत को कमजोर करेंगे. यह अहम है और इसका मतलब असद की सैन्य शक्ति से है."
हालांकि रूस और चीन बराबर सीरिया में किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप का विरोध कर रहे हैं.
सीरिया अमरीका के इन आरोपों को ठुकराता है कि उसने अपने नागरिकों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया, जबकि अमरीकी बारबार कह रहा है कि उसके पास इस हमले के सबूत के पक्के सबूत हैं और इनमें 1429 लोग मारे गए.

तिहाई आबादी बेघर

सीरिया के एलप्पो शहर में एक सैनिक
इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा है कि सीरिया में चल रहे संघर्ष के कारण अब तक बीस लाख लोगों को घरबार छोड़कर शरणार्थी बनना पड़ा है.
शरणार्थियों की यह तादाद छह महीने पहले दर्ज लोगों के मुक़ाबले दोगुनी है. बहुत से सीरियाई तुर्की, जॉर्डन और लेबनान जैसे पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं.

लगभग सात लाख सीरियाई अब तक अकेले लेबनान में शरण ले चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़ सीरिया में 50 लाख लोग विस्थापन का शिकार हैं. इसका मतलब यह है कि देश की कुल आबादी का तिहाई हिस्सा बेघर है.
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के राजदूत एंटोनियो गुतेरेस ने बीबीसी को बताया है कि बहुत से लोग बेहद बदतक हालात में ज़िंदगी बिता रहे हैं और इनमें से सभी को मदद पहुंचा पाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है.
उनका कहना था कि दो पड़ोसी देशों तक फैला यह संघर्ष मध्य पूर्व में विस्फोट की शक्ल ले चुका है और इसे तत्काल प्रभाव से रोका जाना बहुत ज़रूरी है.

अल्पसंख्यकों पर खतरा

सीरिया संकट
सीरिया में संयुक्त राष्ट्र संघ के दूत ने चेतावनी दी है कि देश में जारी हिंसा की वारदात लगातार नरसंहार की तरफ़ बढ़ रही है.
मुख़्तार लमानी ने बीबीसी को बताया है कि सीरिया में जारी जातीय हिंसा बेहद डरावनी शक्ल इख़्तियार कर चुकी है.

लोग बड़ी तादाद में अपने गांवों और घरों को छोड़कर जा रहे हैं. इनमें सुन्नी, अलावाइट और ईसाई सभी शामिल हैं.
लमानी ने बताया है कि सबसे ज़्यादा ख़तरे में अलावाइट अल्पसंख्यक हैं जिस समुदाय से राष्ट्रपति असद भी हैं. ईसाइयों को भी निशाना बनाया जा रहा है.
लमानी के मुताबिक सीरियाई लोग सदियों से शांतिपूर्ण जीवन बिताते रहे हैं लेकिन इस मौजूदा संघर्ष ने उन्हें एक दूसरे से अलग-थलग कर दिया है.

फ्रांस का रवैया

सीरिया संकट
फ्रांस के प्रधानमंत्री ने कहा है कि पिछले महीने सीरिया की राजधानी दमिश्क में रासायनिक हमलों के लिए सिर्फ और सिर्फ राष्ट्पति बशर अल असद के नेतृत्व में सीरियाई सेना ही जिम्मेदार है.
संसद में एक रिपोर्ट पेश कर फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉ मार्क एरॉल्ट ने कहा कि गत 21 तारीख को सीरिया में विनाशकारी हथियारों का बड़े पैमाने पर प्रयोग हुआ.
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सरकारी सूत्रों का कहना है कि फ्रांसीसी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक सीरिया में पिछले महीने हुए हमलों में एक हजार टन से ज़्यादा रसायनों का इस्तेमाल हुआ था जिनमें सारिन और मस्टर्ड गैस जैसे खतरनाक रसायन शामिल थे.
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांड ने सीरिया में सैन्य कार्रवाई का पुरज़ोर समर्थन किया है लेकिन अमरीका और ब्रिटेन की तरह फ्रांस में भी इस बात का दबाव बढ़ रहा है कि इसके लिए संसद से अनुमति ली जाए.
फ्रांस में इस मुद्दे पर राष्ट्रीय असेंबली में बुधवार को बहस होनी है लेकिन मतदान होगा या नहीं, ये अभी तय नहीं है.

आख़िर चूक कहाँ हुई नोकिया से

आख़िर चूक कहाँ हुई नोकिया से

 मंगलवार, 3 सितंबर, 2013 को 16:30 IST तक के समाचार

विशेषज्ञों के मुताबिक नोकिया की कारोबारी रणनीति में ज़रूरत पड़ने पर बदलाव की गुंजाइश बहुत कम थी.
नोकिया इंडिया के उपाध्यक्ष डी. शिवकुमार ने 2007 में इंडिया नॉलेज एट व्हार्टन से कहा था कि, "अगर आप 1995 के परिदृश्य को देखें तो पाएंगे कि कोई भी सफल हो सकता था, अगर वो वही काम करता जो नोकिया ने किया था."
दरअसल उस समय एलजी और क्लिक करें सैमसंग जैसी सभी प्रतिस्पर्धी कंपनियां टीवी फ्रिज जैसे दूसरे उत्पाद भी तैयार कर रही थीं, जबकि नोकिया ने सिर्फ मोबाइल फोन कारोबार पर फोकस किया.
परंपरागत रूप से नोकिया टॉयलेट पेपर से लेकर बिजली तक तैयार करती थी, लेकिन 1993 में कंपनी के सीईओ जोरमा ओलीला ने बाकी सबकुछ बेचकर सिर्फ मोबाइल फोन कारोबार पर ध्यान देने का फैसला किया.
कारोबारी विशेषज्ञों के मुताबिक इस रणनीति में एक जोखिम था. सबकुछ ठीक रहा तो कंपनी अच्छा करेगी, लेकिन अगर मोबाइल फोन की मांग कम होने लगी तो कंपनी क्या करेगी.
इस लिहाज से सैमसंग का नजरिया अधिक लोचदार था. सैमसंग दूसरे उत्पादों को बना सकती थी, लेकिन क्लिक करें नोकिया के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था.

वितरण की जिम्मेदारी

कंपनी मल्टीमीडिया फोन की बिक्री पर खासतौर से जोर दे रही है.
वर्ष 2007 में भारतीय मोबाइल बाजार में नोकिया की हिस्सेदारी 58 प्रतिशत थी, जबकि जीएसएम हैंडसेट के 70 प्रतिशत से अधिक कारोबार पर उसका कब्जा था.
नोकिया के हैंडसेट की बिक्री क्लिक करें एचसीएल करती थी, जिसका देश भर में तगड़ा वितरण नेटवर्क था.
यह वो दौर था जब बाजार में नोकिया की बादशाहत को चुनौती देने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था.
ऐसे में नोकिया ने एक साहसिक निर्णय लेते हुए अपने हैंडसेट के वितरण का काम खुद करने का फैसला किया.
कंपनी के इस फैसले ने सैमसंग जैसे उसके प्रतिस्पर्धियों को बढ़त कायम करने का एक मौका दे दिया, जिनके पास पहले से ही अपना वितरण नेटवर्क मौजूद था.

ब्रांडिंग का संकट

एक समय नोकिया के एन-सीरिज फोन की बाज़ार में बादशाहत थी.
भारत में नोकिया 940 रुपये से लेकर 41639 रुपये तक के फोन बेचती है. मार्केटिंग के सिद्धान्त कहते हैं कि एक ही ब्रांड सभी के लिए नहीं हो सकता है.
शहरों में नोकिया के ई-सिरीज़ फोन (कारोबारियों के लिए) और एन सिरीज़ फोन (क्लिक करें मल्टीमीडिया फीचर्स वाले फोन) काफी लोकप्रिय थे. यहाँ उसे कोई भी चुनौती देता हुआ नज़र नहीं आ रहा था.
ऐसे में नोकिया ने आशा सिरीज़ के हैंडसेट के साथ अपना फोकस ग्रामीण भारत पर किया. कारोबार के लिहाज से यह नोकिया की दूसरी रणनीतिक चूक थी.
ग्रामीण भारत पर फोकस के चलते नोकिया ने हाईएंड फोन निर्माता की अपनी छवि को खो दिया, जबकि सस्ते फोन के मैदान में वह माइक्रोमैक्स, स्पाइस और चीन से आयातित कई अनजान ब्रांडों का मुकाबला नहीं कर सकी.

एंड्रॉएड सिस्टम से दूरी

नोकिया ने एक और रणनीतिक भूल गूगल के एड्रॉएड ऑपरेटिंग सिस्टम से दूरी बनाकर की. नोकिया पूरी तरह से माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज़ फ़ोन प्लेटफार्म पर निर्भर हो गया. इसका नोकिया को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
दरअसल हार्डवेयर के लिहाज से नोकिया आज भी सबसे बेहतर माना जाता है, लेकिन नोकिया के सॉफ्टवेयर में अक्सर गड़बड़ी की शिकायत देखने को मिलती है. सैमसंग का गैलक्सी एड्रॉएड प्लेटफार्म पर ही आधारित है.

सीरिया पर दागी गई दो मिसाइलें, भारतीय बाजार धड़ाम-सेंसेक्स में 700 और निफ्टी में 200 अंक की गिरावट दर्ज की गई.

सीरिया पर दागी गई दो मिसाइलें, भारतीय बाजार धड़ाम-सेंसेक्स में 700 और निफ्टी में 200 अंक की गिरावट दर्ज की गई.

 

सीरिया पर दागी गई दो मिसाइलें, अमेरिका बोला सीरिया पर नहीं गिरीं

मास्को/दमिश्क, 3 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 16:03 IST

सीरिया पर रासायनिक हमले का आरोप है
सीरिया पर रासायनिक हमले का आरोप है
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के हमले की आशंका के बीच सीरिया पर मंगलवार सुबह दो मिसाइलें दागी गईं. ये मिसाइलें भूमध्य सागर की ओर से दागी गईं. ये किस तरह की मिसाइलें हैं और किसने दागीं, इस बारे में कोई जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है.सीरियाई मीडिया और रूसी समाचार एजेंसी आरआईए भी मिसाइल दागने की खबर दिखा रहे हैं. रूस के रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को घटना की जानकारी दी है. लेकिन अमेरिका ने सफाई देते हुए कहा है कि मिसाइलें सीरिया पर नहीं गिरी. गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका ने मिसाइलें दागे जाने की बात को खारिज नहीं किया. नाटो ने भी सीरिया पर मिसाइल गिरने से इनकार किया है.
हेडलाइंस टुडे से बातचीत में अल अरबिया के ब्यूरो चीफ ने न तो घटना की पुष्टि की और न ही घटना से इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यह किसी तरह की प्रोपेगेंडा का हिस्सा भी हो सकता है.
मिसाइलें दागे जाने की खबर के बाद भारतीय बाजार धड़ाम हो गए. सेंसेक्स में 700 और निफ्टी में 200 अंक की गिरावट दर्ज की गई.




आसाराम को लड़कियां सप्लाई करती थी शिल्पी

आसाराम को लड़कियां सप्लाई करती थी शिल्पी

Updated on: Tue, 03 Sep 2013 11:23 AM (IST)
asaram bapu
आसाराम को लड़कियां सप्लाई करती थी शिल्पी
जयपुर [नरेंद्र शर्मा]। नाबालिग से रेप के मामले में फंसे आसाराम बापू के साथ उनके सहयोगियों पर भी अब शिकंजा कसता जा रहा है। जोधपुर पुलिस ने छिंदवाड़ा स्थित गुरुकुल की वार्डन शिल्पी की तलाश में आधा दर्जन टीमें भेजी हैं। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को जानकारी मिली है कि वॉर्डन शिल्पी नियमित रूप से छात्राओं एवं अन्य महिलाओं को आसाराम के पास भेजती थी। खुद शिल्पी के कई वर्षो तक आसाराम के साथ संबंध रहे हैं।

इससे ही खुश होकर उसे गुरुकुल की वॉर्डन बनाने के साथ ही अहमदाबाद और दिल्ली में घर दिलवाया गया था। आसाराम का खास सेवक शिवा रात के समय उस कुटिया के बाहर चौकीदारी करता था, जिसमें आसाराम महिलाओं के साथ रहते थे। पुलिस आगे की जांच में जुटी है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस बारे में अधिकारिक खुलासा अगले दो-तीन दिन में हो सकता है। शिल्पी को तलाशने के लिए जोधपुर पुलिस की आधा दर्जन टीमें छिंदवाड़ा सहित अलग-अलग स्थानों पर भेजी गई हैं। शिवा के साथ ही शिल्पी को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंची।
वहीं दूसरी ओर आसाराम बापू के जेल जाने के बावजूद पीड़ित छात्र का परिवार खौफ में है। पिता ने आशंका जताई है कि आसाराम के गुनाहों का पर्दाफाश पुलिस की जांच से होने वाला नहीं है। अपराधों की तह तक पहुंचने के लिए सीबीआइ जांच निहायत जरूरी है, जिसकी सिफारिश सरकार को करनी चाहिए। छिंदवाड़ा मप्र गुरुकुल आश्रम की वार्डन शिल्पा और बापू के साथ रहने वाला सेवादार शिवा उनके अपराधों के बड़े राजदार हैं। उनसे भी पूछताछ होनी चाहिए। उन्होंने परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराने की भी मांग की। 'जागरण' से बातचीत में पीड़िता के पिता ने कहा कि शिल्पा-शिवा ही नहीं, पूर्व वार्डन सीमा भी पूछताछ में तमाम बड़े मामलों का पर्दाफाश कर सकती है।

खाद्य सुरक्षा बिल पास, जानिए दस सबसे खास बातें

खाद्य सुरक्षा बिल पास, जानिए दस सबसे खास बातें
नई दिल्ली,  03-09-13 10:23 AM 

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भूख से लड़ने के लिए दुनिया के सबसे बडे कार्यक्रम को हरी झंडी देते हुए संसद ने सोमवार को ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को पारित कर दिया, जिसमें देश की दो तिहाई अबादी को भारी सब्सिड़ी वाला खाद्यान्न अधिकार के तौर पर प्रदान करने का प्रावधान है।
इस महत्वाकांक्षी विधेयक को सरकार पासा पलट देने वाला उपाय मान रही है और इससे देश की 82 करोड़ आबादी को फायदा मिलेगा। राष्ट्रपति से अनुमोदन मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। राज्यसभा ने इस विधेयक और सरकार द्वारा इस संबंध में पांच जुलाई को लाए गए अध्यादेश को खारिज करने के संकल्प पर एक साथ हुई चर्चा के बाद इस प्रस्तावित कानून को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके पहले सदन ने विपक्ष के संकल्प को खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पिछले हफ्ते ही मंजूरी प्रदान कर चुकी है। विपक्ष द्वारा इस विधेयक के विभिन्न अनुच्छेदों पर लाये गये 300 से अधिक संशोधनों को उच्च सदन ने नामंजूर कर दिया। विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया एक हथकंडा है। साथ ही इसमें खाद्य क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं की रिपैकेजिंग कर दी गई है। इस विधेयक में लोगों को पांच किलोग्राम चावल, गेहूं एवं मोटा अनाज क्रमश: तीन, दो और एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से हर माह प्रदान करने की गारंटी दी गई है। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री केवी थामस ने संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने से पहले राज्यों से चर्चा नहीं करने के आरोपों से इंकार किया। उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गई थी तथा इस प्रस्तावित कानून में किसानों के हितों की रक्षा के पर्याप्त प्रावधान किए गए है। उन्होंने कहा कि राज्यों से कई बार सलाह मशविरा किया गया था तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, छत्तीसगढ़ के रमन सिंह सहित अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गई। उन्होंने इन चिन्ताओं को भी खारिज किया कि नए उपायों से राज्यों के अधिकारों का हनन होगा। थामस ने कहा कि जब केन्द्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, तभी यह कानून सफल होगा। हम देश की संघीय व्यवस्था को बनाये रखेंगे। हम इसे कमजोर नहीं करना चाहते। थामस ने विपक्ष के नेता अरुण जेटली के स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कहा कि विभिन्न राज्यों में फिलहाल जो योजनाएं चल रही हैं उन्हें प्रस्तावित कानून के तहत संरक्षण मिलेगा। थामस ने विभिन्न राज्यों के सदस्यों द्वारा अपने प्रदेशों में चल रही खाद्य सुरक्षा योजना को आदर्श बताए जाने पर कहा कि उनकी योजनाएं एक प्रदेश के लिए आदर्श हो सकती है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के मामले में विभिन्न पक्षों पर ध्यान रखना होता है क्योंकि अलग अलग राज्यों की विभिन्न जरूरतें होती हैं। इस विधेयक के कानून बनने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपनी अधिकतर आबादी को खाद्यान्न की गारंटी देते हैं। 1,30,000 करोड़ रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा। इसके लिए करीब 6 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और 1 रुपये प्रति किलोग्राम के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा।  

आइये आपको बताते हैं इस बिल की दस खास बातें...

1. खाद्य सुरक्षा बिल की खास बात यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून बनने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मिलेगा। मौजूदा वक्त में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को 7 किलो गेहूं 4.15 रुपये प्रति किलो और चावल 5.65 रुपये प्रति किलो के आधार पर हर महीने मिलता है। इस एक्ट के अमल में आने के तीन साल बाद कीमतों में फिर से संशोधन किया जाएगा।

 2. इस विधेयक के कानून में बदल जाने के बाद अनाज की मांग 5.5 करोड़ मिट्रिक टन से बढ़कर 6.1 मिट्रिक टन हो जाएगी। फूड सब्सिडी लागू होने पर सरकार के खजाने पर अतिरिक्त बोझ करीब 20,000 करोड़ रुपये होगा। इसके लिए करीब 6.123 करोड़ टन फूडग्रेन्स की जरूरत होगी। फूड सब्सिडी बिल पर कुल फूड सब्सिडी कवर करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा।

3. इस बिल के तहत देश की 67 फीसदी आबादी को हर महीने 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति के हिसाब से मार्केट से कम दाम पर दिया जाएगा। बिल में कहा गया है कि 3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल और 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गेहूं और बाकी अनाजों को 1 रुपये प्रति किलो के आधार पर देश की 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को दिया जाएगा।

 4. इस स्कीम को आधार स्कीम के साथ लिंक्ड किया जाएगा। इसके तहत हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान नंबर दिया जाएगा, जो कि डाटाबेस से लिंक्ड होगा। इसमें हर कार्डहोल्डर का बॉयोमीट्रिक्स डाटा होगा।

 5. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत आने वाले लगभग 2.43 करोड़ निर्धनतम परिवार कानूनी रूप से प्रति परिवार के हिसाब से हर महीने 35 किलोग्राम खाद्यान्न पाने के हकदार होंगे।

6. लोकसभा में दिसंबर, 2011 में पेश मूल विधेयक में लाभार्थियों को प्राथमिक और आम परिवारों के आधार पर विभाजित किया गया था। मूल विधेयक के तहत सरकार प्राथमिकता श्रेणी वाले प्रत्येक व्यक्ति को सात किलो चावल और गेहूं देगी। चावल तीन रुपये और गेहूं दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा। जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों को कम से कम तीन किलो अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधे दाम पर दिया जाएगा।  

7. फूड बिल में संशोधन संसदीय स्थाई समिति की रिपोर्ट के अनुसार किए गए हैं, जिसने लाभार्थियों को दो वर्गों में विभाजित किए जाने के प्रस्ताव को समाप्त करने की सलाह दी। पैनल ने एकसमान कीमत पर हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज दिए जाने की वकालत की। शुरू में इस योजना को देश के 150 पिछड़े जिलों में चलाया जाएगा और बाद में इस सब्सिडी को पूरे देश में लागू किया जाए।

8. संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिभाषित गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या भारत में 41 करोड़ है। यह संख्या उन लोगों की है, जिनकी एक दिन की आमदनी 1.25 डॉलर से भी कम है।  

9. कुछ राज्य सरकारों ने बिल को लेकर अपनी आशंका जतायी है, जबकि कई अन्य राज्यों का कहना है कि प्रस्तावित कानून के आलोक में जो खर्चे बढ़ेगे, उसका जिम्मा केंद्र सरकार खुद उठाये, उन्हें राज्यों के ऊपर ना डाले। गैर-सरकारी संगठनों की मुख्य आलोचना यह है कि बिल में मौजूदा बाल-कुपोषण से निपटने के प्रावधानों को विधिक अधिकार में बदला जा सकता था, जबकि सरकार ने ऐसा नहीं किया है।  

10. मार्च, 2013 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ बदलावों के साथ विधेयक को मंजूरी दी थी। हंगामे के बीच लोकसभा में खाद्य सुरक्षा बिल 6 मई को पेश किया गया, लेकिन सदन में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर हंगामें के चलते बिल पारित नहीं हो सका।

सोने में लगातार चौथे दिन गिरावट, चांदी मजबूत,266 अंक बढ़कर बंद हुआ सेंसेक्स

सोने में लगातार चौथे दिन गिरावट, चांदी मजबूत,266 अंक बढ़कर बंद हुआ सेंसेक्स

  नई दिल्ली, 2 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 19:23 IST

सोने की कीमत गिरी
सोने की कीमत गिरी
स्टाकिस्टों की बिकवाली के चलते दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने की कीमतों में लगातार चौथे दिन गिरावट दर्ज की गई. सोमवार को इसका भाव 325 रुपये की गिरावट के साथ 31,100 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया. वहीं, औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की मांग बढ़ने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत रुख के बीच चांदी के भाव 420 रुपये की तेजी के साथ 54,350 रुपये प्रति किलो हो गये.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के भाव 3.7 प्रतिशत की तेजी के साथ 24.38 डॉलर प्रति औंस हो गये.
बाजार सूत्रों के अनुसार, कमजोर वैश्विक रुख के बीच मौजूदा स्तर पर स्टाकिस्टों की लगातार बिकवाली के चलते सोने की कीमतों में गिरावट आई. शेयर बाजार में तेजी के कारण निवेशकों ने सर्राफा बाजार से धन निकालकर पूंजी बाजार में निवेश किया. इससे भी बाजार धारणा प्रभावित हुई.
सिंगापुर में सोने के भाव 1.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1373.38 डॉलर प्रति औंस रहा. घरेलू बाजार में सोना 99.9 और 99.5 शुद्ध के भाव 325 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 31,300 रुपये और 30, 900 रुपये प्रति 10 ग्राम बंद हुए. गिन्नी के भाव 200 रुपये टूटकर 25 हजार 100 रुपये प्रति 8 ग्राम बंद हुए.
वहीं, चांदी तैयार के भाव 420 रुपये की तेजी के साथ 54,350 रुपये और चांदी साप्ताहिक डिलिवरी के भाव 2420 के साथ 55,850 रुपये प्रति किलो पर बंद हुए. चांदी सिक्का के भाव 1000 रुपये की तेजी के साथ 89,000-90,000 प्रति सैकड़ा बंद हुए.

266 अंक बढ़कर बंद हुआ सेंसेक्स


शेयर बाजार
शेयर बाजार
देश के शेयर बाजारों में सोमवार को तेजी दर्ज की गई. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 266.41 अंक बढ़कर 18,886.13 पर बंद हुआ. इसमें सुबह खुलते ही तेजी दर्ज की गई थी. इस प्रमुख शेयर बाजार के अलावा निफ्टी में भी तेजी देखी गई. निफ्टी 78.95 अंक बढ़ा और 5,550.75 पर पहुंच गया. सुबह लगभग 9.20 बजे 128.19 अंकों की तेजी के साथ 18,747.91 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 28.20 अंकों की तेजी के साथ 5,500.00 पर कारोबार करते देखे गए थे.


असद:सीरिया किसी भी 'बाहरी आक्रमण’ के लिए तैयार

असद:सीरिया किसी भी 'बाहरी आक्रमण’ के लिए तैयार

काहिरा, 2 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 16:01 IST

बशर अल-असद
बशर अल-असद
युद्ध में उलझे हुए सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने कहा कि देश किसी भी ‘बाहरी आक्रमण’ के लिए पूरी तरह तैयार है. दूसरी ओर असद की सरकार ने सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से पहले सांसदों की मंजूरी लेने के संबंध में अचानक किए गए ओबामा के ‘उलझन’ भरे फैसले को अमेरिका द्वारा कदम खींचने की ऐतिहासिक घटना का आरंभ करार दिया. असद ने कहा, ‘सीरिया जिस तरह से रोजाना आतंकवादी समूहों और उन्हें समर्थन करने वालों के आंतरिक विद्रोहों का सामना कर रहा है बिल्कुल उसी तरह ही वह किसी भी स्तर के बाहरी आक्रमण के लिए तैयार है.’ सरकारी संवाद समिति ‘सना’ की खबर के अनुसार राष्ट्रपति ने कहा कि सीरिया लगातार ‘विजय पर विजय’ हासिल कर रहा है.
सीरिया की सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर कथित रूप से रासायनिक हथियारों का प्रयोग करने के आरोप में सैन्य कार्रवाई करने के संबंध में अचानक सांसदों की मंजूरी लेने के ओबामा के निर्णय के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में असद ने यह बात कही.
सरकारी अखबार ‘अल-तवरा’ ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘कांग्रेस सैन्य कार्रवाई के लिए हरी झंडी दिखाए या लाल, युद्ध की संभावनाएं प्रबल हों या कमजोर. राष्ट्रपति ओबामा ने कल, छुपे रूप में या संकेत के तौर पर अमेरिका द्वारा कदम खींचने की ऐतिहासिक घटना के आरंभ की घोषणा की.’ आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए ओबामा ने घोषणा की कि उनका मानना है कि रासायनिक हथियारों के कथित प्रयोग के मामले में सीरियाई निशानों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई सही कदम है लेकिन वह सेना के प्रयोग के संबंध में कांग्रेस की मंजूरी चाहते हैं.
अखबार ने अपने पहले पन्ने पर लिखा है सीमित हस्तक्षेप के विस्तृत युद्ध में बदलने के ओबामा के डर ने उन्हें कांग्रेस की अनुमति लेने पर मजबूर कर दिया.
अमेरिका का दावा है कि सीरिया की सेना ने 21 अगस्त को दमिश्क के बाहरी इलाकों में रासायनिक हमले किए थे जिनमें 1,429 लोग मारे गए. हालांकि सीरिया ने अमेरिका के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि विद्रोहियों के साथ लड़ रहे जिहादी लड़ाकों ने इन जानलेवा हथियारों का प्रयोग किया ताकि दुनिया में सीरिया विरोधी भावना प्रबल हो सके. ओबामा के निर्णय पर सीरिया की पहली प्रतिक्रिया देते हुए उपविदेश मंत्री फैसल मुकदाद ने कहा कि ओबामा ‘संकोच’ और ‘उलझन’ में हैं.
मुकदाद ने कहा, ‘कल बोलते वक्त राष्ट्रपति ओबामा स्पष्ट रूप से संकोच, उलझन और निराशा में थे.’ उन्होंने अमेरिकी सांसदों से अपील की कि वे सीरिया पर सैन्य कार्रवाई के प्रस्ताव पर मतदान करते हुए ‘बुद्धि’ का उपयोग करें. मुकदाद ने कहा, ‘हम अमेरिकी संसद से बुद्धि का प्रयोग करने को कह रहे हैं.’ इससे पहले युद्ध से जूझ रही बशर अल-असद सरकार ने कहा था कि अमेरिकी और पश्चिमी देशों द्वारा हमले की स्थिति में उसका भी हाथ बटन पर है. यानी वह भी हमले के लिए तैयार है.
प्रधानमंत्री वइल अल-हल्की ने कल कहा था, ‘सीरिया की सेना पूरी तरह तैयार है, उसके हाथ ट्रिगर पर हैं. वह जो भी करें जैसी भी स्थिति पैदा करें हम उसके लिए तैयार हैं.’ अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि सीरिया पर सैन्य कार्रवाई के संबंध में मंजूरी लेने के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा का कांग्रेस जाना अमेरिका का पीछे हटना नहीं है, जैसी कि सीरिया की सरकार इसे बता रही है.
सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के संबंध में कांग्रेस की मंजूरी लेना ‘ऐतिहासिक रूप से अमेरिका के पीछे हटने की शुरुआत है’ के दमिश्क की मीडिया के बयान पर प्रतिक्रिया पूछने पर केरी ने ‘फॉक्स न्यूज संडे’ को बताया, ‘मुझे इसपर बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा.’ एक प्रश्न के उत्तर में केरी ने कहा, ‘वह संयुक्त राज्य (अमेरिका) की कांग्रेस के हाथ में है. राष्ट्रपति ने अपना निर्णय ले लिया है. राष्ट्रपति सामने आकर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाए और हम उस निर्मम तानाशाह को क्षमा दान नहीं प्रदान करें जो अपनी ही जनता पर गैस (रासायनिक हथियारों) का प्रयोग करे.’ केरी ने कहा, ‘मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता कि संयुक्त राज्य की कांग्रेस ईरान, इस्राइल, जॉर्डन, तुर्की, क्षेत्र में हमारे मित्रों, सीरिया के लोगों और विपक्ष के संबंध में हमारे हितों को नहीं समझेगी.’ सीरिया में रासायनिक हथियारों के प्रयोग के संबंध में केरी का कहना है कि हमले के स्थान से लिए गए रक्त और केश के नमूनों की जांच में सारिन गैस के प्रयोग की पुष्टि हुई है.


आसाराम का नाम लिए बिना बोले रामदेव, महिलाओं से अकेले में न मिलें संत

आसाराम का नाम लिए बिना बोले रामदेव, महिलाओं से अकेले में न मिलें संत

  हरिद्वार, 3 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 11:39 IST

बाबा रामदेव
बाबा रामदेव
योग गुरु बाबा रामदेव ने संतों और धर्मगुरुओं को महिलाओं से अकेले न मिलने की नसीहत दी है. रामदेव ने कहा, 'धर्म ग्रंथों के मुताबिक संतों के लिए आदर्श व्यवहार का एक सिद्धांत यह है कि उन्हें महिलाओं, उनकी मां-बेटियों और सास जैसी पारिवारिक सदस्यों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए.'
रामदेव की यह टिप्पणी हाल में नाबालिग लड़की के यौन शोषण मामले में घिरे आसाराम की गिरफ्तारी के संदर्भ में आई है.
रामदेव ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि जिस किसी धर्म गुरु ने गरिमामय व्यवहार के सिद्धांत का उल्लंघन किया है, उसे निश्चित तौर पर संकट का सामना करना पड़ा है.
उन्होंने कहा, 'अगर इस आध्यात्मिक व्यवहार का उल्लंघन किया जाएगा तो कुछ लोग आज आरोपों के घेरे में हैं, कुछ आने वाले समय में भी हो सकते हैं.'


कोलगेट की लापता फाइलों पर बोले पीएम, सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं

कोलगेट की लापता फाइलों पर बोले पीएम, सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं

नई दिल्ली, 3 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 13:32 IST

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ी लापता होने के बाद मचे सियासी होहल्ले के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि सीबीआई ने जिन दस्तावेजों की मांग की है. उन्हें मुहैया कराया जा रहा है. सीबीआई को ज्यादातर फाइलें दे दी गई हैं. अगर कोई फाइल नहीं मिलती है तो सरकार इस मामले की जांच करेगी और जिसकी गलती होगी, उसे सजा मिलेगी.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'कोयला मंत्रालय के जो भी कागजात नहीं मिल पा रहे हैं, उन्हें खोजा जाएगा और सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के अंदर सीबीआई के सुपुर्द किया जाएगा. अगर कागजात नहीं मिल पाए तो यथोचित जांच के लिए सीबीआई के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल की जाएगी.'
हालांकि प्रधानमंत्री के इस बयान से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ. प्रधानमंत्री ने जैसे ही अपना बयान खत्म किया विपक्ष हंगामा मचाने लगा. विपक्ष का आरोप था कि पीएम ने अपने बयान में उन सवालों का जवाब नहीं दिया जिसे विपक्ष ने उठाया था.


तुलसी प्रजापति मुठभेड़ पर स्टिंग ऑपरेशन, कांग्रेस बोली- नरेंद्र मोदी दें इस्तीफा

तुलसी प्रजापति मुठभेड़ पर स्टिंग ऑपरेशन, कांग्रेस बोली- नरेंद्र मोदी दें इस्तीफा

नई दिल्ली, 3 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 12:55 IST

कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन
तुलसी प्रजापति मुठभेड़ को लेकर एक स्टिंग ऑपरेशन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह की मुश्किलें बढ़ा सकती है. कांग्रेस ने मंगलवार ने इस ऑपरेशन की सीडी जारी करते हुए मामले की जांच तक मोदी से इस्तीफे की मांग की है. इस स्टिंग ऑपरेशन के जरिए कांग्रेस ने बीजेपी सांसद प्रकाश जावड़ेकर और भूपेंद्र सिंह यादव को तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में जांच को बाधित करने का आरोप लगाया है. आपको बता दें कि इस मुठभेड़ में गुजरात के पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह मुख्य आरोपी हैं.
कांग्रेस का आरोप है कि प्रकाश जावड़ेकर और अन्य बीजेपी नेताओं ने तुलसी प्रजापति की मां से सादे वकालतनामा पर हस्ताक्षर करवा लिया था. यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश है.
नरेंद्र मोदी दें इस्तीफाः कांग्रेस
कांग्रेस सांसद अजय माकन ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ कोशिश है. इस ‘आपराधिक साजिश’ में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं. मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बने रहने का कोई हक नहीं है. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी सांसदों प्रकाश जावड़ेकर और भूपेंद्र सिंह यादव के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में जांच को बाधित करने की कोशिश की. यह याचिका एक पत्रकार ने अपने द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर दायर की है. दोनों सांसदों ने हालांकि, अपने खिलाफ आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार किया है.
तुलसी प्रजापति एनकाउंटर
2006 में तुलसी प्रजापति एनकाउंटर हुआ था. तुलसी प्रजापति सोहराबुद्दीन शेख का करीबी था. जब यह एनकाउंटर हुआ था उस वक्त शाह गुजरात के पूर्व गृह राज्यमंत्री थे.


VVIP सरकारी कोठी में डेढ़ साल से मेहमान बनकर टिके हैं दिग्विजय सिंह

VVIP सरकारी कोठी में डेढ़ साल से मेहमान बनकर टिके हैं दिग्विजय सिंह

नई दिल्ली, 3 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 14:27 IST

दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह
आपके मेहमान कितने दिन तक टिकते हैं, आप उंगलियों पर गिन सकते हैं. लेकिन माननीयों के मेहमान आते हैं और सालों तक खूंटा गाड़ के पसरे रहते हैं. जी हां, कई सांसद, अपने सांसद भाईयों के मेहमान बनकर 'लुटियंस जोन' की आलीशान सरकारी कोठियों पर सालों से कब्जा किए बैठे हैं. इनमें सबसे पहला और बड़ा नाम कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का है.कांग्रेस सांसद नारायण आमलबे को दिल्ली के वीवीआई इलाके लोधी स्टेट में सुविधाओं से लैस सरकारी आवास मिला है. लेकिन दिग्विजय पिछले डेढ़ साल से यहां मेहमान बनकर रह रहे हैं. नारायण आमलबे उसी मध्य प्रदेश से आते हैं, जहां के दिग्विजय मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
इस लिस्ट में दिग्गी अकेले नहीं हैं. फिलहाल 51 सरकारी कोठियों पर 'मेहमानों' का कब्जा है. इन मेहमानों में 38 पूर्व सांसद हैं. अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' को एक आरटीआई के जवाब में यह अहम जानकारी मिली है.
लिस्ट के कुछ नाम
दिग्विजय सिंह, कांग्रेस महासचिव: डेढ़ साल से (फरवरी 2012) राजगढ़ से कांग्रेस सांसद नारायण आमलबे की कोठी पर मेहमान हैं,
बंगारू लक्ष्मण,
पूर्व बीजेपी अध्यक्ष:  दो साल तक (22 अप्रैल 2010 से 22 मई 2012) राज्यसभा से बीजेपी सांसद केबी शानप्पा के मेहमान रहे. फिर 37 दिनों तक (23 मई 2013 से 30 जून 2013) बीजेपी सांसद पुरुषोत्तम रुपाला के मेहमान रहे.
रीता बहुगुणा जोशी,
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष: 17 दिसंबर 2012 से कांग्रेसी सांसद विनय कुमार पांडे के सरकारी बंगले पर मेहमान हैं.
रमेश चेन्निथाला,
केरल से कांग्रेस सांसद: करीब 6 साल तक (1 दिसंबर 2006 से 31 अक्टूबर 2012) तक कांग्रेस सांसद पीजे कुरियन के बंगले पर मेहमान बनकर रहे.

बोला भटकल:इंडियन मुजाहिदीन की हिटलिस्ट में टॉप पर नरेंद्र मोदी. रैली में हो सकता है हमला

बोला भटकल:इंडियन मुजाहिदीन की हिटलिस्ट में टॉप पर नरेंद्र मोदी. रैली में हो सकता है हमला

पटना, 3 सितम्बर 2013 | अपडेटेड: 13:28 IST


आतंकियों के निशाने पर नरेंद्र मोदी
आतंकियों के निशाने पर नरेंद्र मोदी
आतंकवादी नेटवर्क इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के निशाने पर सबसे ऊपर हैं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी. यह जानकारी नेटवर्क के सरगना आतंकवादी यासीन भटकल ने बिहार में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के उन अधिकारियों को दी, जो उससे पूछताछ कर रहे थे. इन अधिकारियों के मुताबिक भटकल ने बताया कि अगर हम नरेंद्र मोदी तक पहुंचने में कामयाब रहे तो पूरी दुनिया में हमारे समर्थक बढ़ जाएंगे. हमें अपने कामों के लिए खूब पैसा मिलेगा.टॉप टेन में 1 से 10 तक बस मोदी
भटकल ने एनआईए के अधिकारियों को बताया कि हमारी टॉप हिट लिस्ट में पहले से दसवें नंबर तक बस नरेंद्र मोदी का ही नाम है. इसके बाद ग्यारहवें नंबर पर बीजेपी के ही दूसरे नेता लाल कृष्ण आडवाणी का नाम आता है.सूत्रों के मुताबिक भटकल ने कहा कि हमें मुंबई में 26/11 के हमले के बाद विदेशों से खूब फंड मिला. अगर हम मोदी को निशाने पर लेते हैं, तो यह उससे भी कई गुना ज्यादा मददगार साबित होगा.
बिहार में पैदा हुआ एक और आतंकवादी है एक्टिव
भटकल ने जांचकर्ताओं को बताया कि बिहार के समस्तीपुर में पैदा हुआ एक और आतंकवादी तहसीम उर्फ तहसीन अख्तर उर्फ मोनू भी इस समय देश में सक्रिय है. उसे पाकिस्तान में ट्रेनिंग मिली है. उसको देश के कुछ बड़े नेताओं और अहम ठिकानों पर निशाना साधने की जिम्मेदारी दी गई है.फिलहाल मोनू कहां है, यह भटकल नहीं बता पाया. उसने मोनू के बारे में और ब्यौरे भी नहीं दिए.
आईएम के एक सेक्शन का मुखिया बना मोनू
भटकल ने जिस मोनू का नाम लिया, वह पुलिस के रडार पर 2010 के बेंगलुरू के चिन्ना स्वामी स्टेडियम में हुए ब्लास्ट के बाद आया था. पुलिस और खुफिया एजेंसी अब तक यही मान रही थीं कि मोनू भटकल का साथी है और आईएम नेटवर्क का हिस्सा. मगर भटकल से हालिया पूछताछ से खुलासा हुआ कि अब मोनू एक शातिर आतंकवादी बन चुका है और उसके जिम्मे आईएम के एक अलग मॉड्यूल का नेतृत्व है.
मोनू के रिश्तेदारों से जारी है पूछताछ
एनआईए की टीम सोमवार को मोनू के समस्तीपुर स्थित गांव मनीआरपुर पहुंची और उसके कई रिश्तेदारों से पूछताछ की.जांच एजेंसी ने आतंकवादी मोनू के पिता वसीम अख्तर से भी सवाल जवाब किए. यहां से पुलिस ने मोनू की पुरानी तस्वीरें औऱ दूसरे सामान भी जुटाए. उसके माता-पिता के ब्लड सैंपल भी लिए गए, ताकि आतंकवादी का डीएनए प्रोफाइल बनाया जा सके.
लोकसभा चुनावों के लिए बनी नई टेरर टीम
भटकल के खुलासे के बाद गुजरात पुलिस को एक बार फिर से हाई एलर्ट वाले मैसेज भेज दिए गए हैं. उधर भटकल ने बताया कि उसके विदेशों में बसे समर्थक खुश नहीं हैं. आतंकवादी सरगना के मुताबिक फंडिंग करने वालों को लगता है कि आईएम भारत में ज्यादा हमले नहीं कर पा रहा है. इसको देखते हुए एक नई टेरर टीम भी बना दी गई है. इसके जिम्मे सिर्फ बड़े लोगों पर निशाना साधना होगा. यह काम लोकसभा चुनाव से पहले किया जाएगा. इसमें चुनावी रैली के इर्द गिर्द हमला करने की रणनीति बुनी जा रही है.


'पासपोर्ट नहीं है नागरिकता का सबूत'

'पासपोर्ट नहीं है नागरिकता का सबूत'

टीम डिजिटल | अंतिम अपडेट 3 सितंबर 2013 1:39 PM IST पर
passport is not proof of nationality 
 
 एक पासपोर्ट जिसे बनवाने के लिए किसी को नागरिकता संबंधी सारे दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं। अब मुबंई हाईकोर्ट ने इसी पासपोर्ट को नागरिकता का सबूत मनाने से मना कर दिया है।

पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड आपकी नागरिकता के प्रमाण पत्र नहीं है। यह निर्णय बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि सिटीजन लॉ के मुताबिक 1 जुलाई, 1987 के बाद पैदा हुए लोग खुद-ब-खुद देश के नागरिक होने के दावा नहीं कर सकते हैं।

इस स्थिति में दावा करने वाले के माता-पिता में से कोई एक भारतीय होना चाहिए।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन लोगों को भारत का नागरिक होने से मना कर दिया, जबकि उन्होंने पासपोर्ट, आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र तक का साक्ष्य प्रस्तुत किया था।

जस्टिस के यू चंदीवाल ने नागरिकता के लिए जमा किए गए साक्ष्य को मानने से मना कर दिया क्योंकि याचिका दायर करने वाला यह साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया कि उसके माता-पिता भारतीय थे।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज करते हुए अवैध रूप से भारत में रहने के लिए छह महीने की सजा सुनाई है।

अमिताभ बोले मैंने तो अमर सिंह से ऐसा नहीं कहा

अमिताभ बोले मैंने तो अमर सिंह से ऐसा नहीं कहा

मुंबई ब्यूरो | अंतिम अपडेट 3 सितंबर 2013 1:59 PM IST पर
amitabh bachchan said amar singh will always be my friend
अमर सिंह ने ऐसा कुछ कहा जिसे सुनकर अमिताभ बच्चन चौंक गए। अब अमिताभ संभले हैं और उन्होंने अमर सिंह की कही हुई बात पर अपनी सफाई दी है।

हाल ही में अमर सिंह ने यह बयान दिया था कि अमिताभ बच्चन की यह इच्छा थी कि अब दोनों की दोस्ती आगे नहीं बढ़नी चाहिए।

लेकिन हाल ही में जब अमिताभ बच्चन से यह पूछा गया कि वे अमर सिंह से दोस्ती बरकरार रखना क्यों नहीं चाहते। तो उन्होंने इस पर काफी तीखा जवाब देते हुए कहा कि मैंने कभी उनसे ऐसा नहीं कहा है।

वह मेरे दोस्त थे और हमेशा रहेंगे। इससे ज्यादा उन्होंने इस बारे में कोई भी बात नहीं की। उनसे रिपोर्टर ने काफी पूछने की कोशिश की कि वह कुछ और भी बोलें। लेकिन उन्होंने अपनी बात यही खत्म कर दी।
लेकिन उनके चेहरे से यह बात साफ झलक रही थी कि उन्हें इस तरह के सवालों से परहेज है और साथ ही अमर सिंह द्वारा कही गयी ऐसी बातें उन्हें बिल्कुल अच्छी नहीं लगी।

परवेज मुशर्रफ के खिलाफ हत्या के नए आरोप

परवेज मुशर्रफ के खिलाफ हत्या के नए आरोप

अंतिम अपडेट 2 सितंबर 2013 9:12 PM IST पर
new-murder-charges-on-musharraf पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ पर बेनजीर भुट्टो की हत्या से जुड़े आरोप हैं। अब उन्हें लाल मस्जिद की घेराबंदी के दौरान मौलवी अब्दुल राशिद गाजी की हत्या के मुकदमे का सामना भी करना पड़ेगा।

हत्या के नए आरोपों का संबंध कट्टरपंथी मौलवी अब्दुल रशीद गाजी की मौत से है। साल 2007 में इस्लामाबाद की लाल मस्जिद की घेराबंदी के समय गाजी की मौत हो गई थी।

परवेज मुशर्रफ फिलहाल नजरबंद हैं और उन पर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और एक बलोच कबयाली नेता की हत्या का मामला चल रहा है।

इतना ही नहीं, मुशर्रफ पर 2007 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के जजों को बर्खास्त करने की कोशिश करने का मुकदमा भी चल रहा है।

2007 में ही पाकिस्तान में आपातकाल लगाने और संविधान को निलंबित करने के मुद्दे पर सरकार ने कहा है कि परवेज मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा।

हालांकि परवेज मुशर्रफ इन आरोपों से इनकार करते हैं और अपने खिलाफ मुकदमों को राजनीति से प्रेरित बताते हैं।

भुट्टो की हत्या

लाल मस्जिद में 2007 में कट्टरपंथियों और सुरक्षा बलों के बीच चली बेनतीजा बातचीत के बाद हुई सैन्य कार्रवाई में 100 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे।

जानकारों का कहना है कि मस्जिद पर कार्रवाई करने से कट्टरपंथी नाराज़ हो गए थे और तालिबानी चरमपंथियों ने सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ आत्मघाती हमलों का एक अभियान ही शुरू कर दिया था।

समाचार एजेंसी एएफपी ने अब्दुल रशीद गाज़ी की पैरवी करने वाले वकील तारिक असद के हवाले से बताया, "गाजी के बेटे की याचिका पर हाई कोर्ट ने इस्लामाबाद पुलिस को परवेज मुशर्रफ के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।"

पिछले महीने मुशर्रफ के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के सिलसिले में आरोप औपचारिक रूप से तय कर दिए गए थे।

बेनजीर भुट्टो 2007 में एक चुनावी सभा के दौरान हुए आत्मघाती हमले में मारी गई थीं। मुशर्रफ पर उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया न कराने के आरोप हैं।

आर्थिक संकट से भारत को उबार पाएगा ईरान?

आर्थिक संकट से भारत को उबार पाएगा ईरान?

अंतिम अपडेट 3 सितंबर 2013 8:47 AM IST पर
india should import crude oil from iran
एक ओर भारत का चालू वित्तीय घाटा बढ़ रहा है, दूसरी तरफ रुपया गिर रहा है। इन परिस्थितियों में भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने मनमोहन सिंह को सुझाव दिया है कि भारत ईरान से कच्चे तेल का आयात करे।

पेट्रोलियम मंत्री का मानना है कि इससे भारत साढ़े आठ अरब विदेशी मुद्रा बचा सकता है।

सवाल यह है कि भारत ने जिस ईरान से सालों से दूरी बना रखी है, क्या वह इस बात के लिए तैयार होगा? अगर होगा, तो क्या इससे समस्या हल होगी? इसी संदर्भ में बीबीसी संवाददाता रूपा झा ने मशहूर तेल विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा से बात की।

ईरान भारत को संकट से निकाल लेगा?

कहना मुश्किल है कि ईरान भारत को बचाने की स्थिति में है, या नहीं।

भारत पूरा प्रयास कर रहा है कि वह तेल आयात की कीमत डॉलर में अदा करे। अगर ईरान इसके लिए तैयार हो जाता है, तो थोड़ी मदद मिल सकती है।

इसके बाद देखना होगा कि उस तेल को भारत कैसे लाया जाए क्योंकि ईरान के साथ दो तरह की समस्याएं आ रही हैं। पहली समस्या भुगतान की है। इसका समाधान इस रूप में निकालने की कोशिश हो रही है कि 40 फीसदी भुगतान रुपए में हो।

अगर थोड़ा और प्रयास किया जाए तो यह बढ़कर 60 से 65 फीसदी हो सकता है। इससे भारत को थोड़ी राहत मिल जाएगी।

तेल को भारत लाने में दिक्कत यह है कि टैंकर, जिन्हें वीएलसीसी (वेरी लार्ज क्रूड करियर) कहा जाता है, उनके बीमे के लिए पश्चिम की कोई कंपनी तैयार नहीं है।

जब संमदर में एक बड़ा जहाज आता है, तो उसका बीमा ज्यादातर पश्चिमी कंपनियां ही करती हैं। ऐसे में सवाल है कि जोखिम कौन उठाएगा। ईरान या भारत?

जहाज के साथ कोई दुर्घटना पेश आने पर बीमे की रकम इतनी बड़ी हो सकती है कि भारत की कंपनियों को भुगतान करने में परेशानी होगी और ईरान की कंपनियां तो भुगतान करने की स्थिति में हैं ही नहीं।

इन हालात में राहत तो नहीं मिलेगी, मगर ईरान से आने वाले तेल की मात्रा में जो कमी हुई है, उसे थोड़ा बढ़ाया जा सकता है। इससे भारत के तेल आयात खर्च में पांच से आठ फ़ीसदी का ही फ़र्क पड़ेगा। इससे ज़्यादा नहीं।

आयात का कितना फ़ीसदी हिस्सा सस्ता होगा?

यदि ईरान तेल आयात के लिए तैयार हो जाए और तेल के भारत पहुंचने में भी कोई दिक्कत न हो, तो भारत को कोई बड़ी राहत नहीं मिलने वाली।

iranभारत ईरान से पहले-पहल 20 फ़ीसदी तेल आयात करता था। यह घटकर 12 फ़ीसदी हुआ, फिर नौ और अब सात फ़ीसदी से भी नीचे जा चुका है। अगर यह प्रतिशत और पांच फ़ीसदी बढ़ा दी जाए तो भी यह आंकड़ा 12 तक ही पहुंचेगा।

भारत अपनी ज़रूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। ऐसे में अगर ईरान से आयात वापस 12 फीसदी तक बढ़ भी जाए तो इससे फ़र्क तो पड़ेगा, मगर इतना नहीं कि हमारा अर्थशास्त्र बदल जाए या आयात के समीकरण सही हो जाएं।

क्या ईरान से तेल आयात करके 8.5 अरब डॉलर बचाए जा सकते हैं?

सरकार का जो कहना है कि ईरान से तेल मंगवाने से 8.5 अरब डॉलर बचाया जा सकता है, यह बचत तभी होगी जब समुद्री जहाज़ उपलब्ध हों। बीमे की समस्या का समाधान हो।

सबसे ज़रूरी है कि कोई जहाज ईरान से भारत तेल लाने को तैयार हो क्योंकि अधिकांश विदेशी जहाज ईरान से भारत तेल लाने के लिए तैयार नहीं होते।

विदेशी जहाज़ क्यों तेल नहीं लाना चाहते भारत?

ईरान पर प्रतिबंध हैं। कोई भी समुद्री जहाज, जो ईरान जाएगा, खासकर पश्चिमी जहाज, उसे पकड़ लिया जाएगा। इसलिए यह काम या तो भारत का जहाज़ कर सकता है या ईरान का।

भारत और ईरान की समुद्री जहाज़ की एक संयुक्त कंपनी भी है - 'ईरान-हिंद शिपिंग कॉरपोरेशन'। मगर पर्याप्त कारोबर न होने के कारण उसे बंद कर दिया गया है।

भारत 167 अरब डॉलर का तेल आयात करता है। अब यदि जहाज़ मिल जाए और आयात करने से पांच अरब डॉलर की राहत मिल जाए तो पहली बात तो यह है कि इन सबमें एक साल लग जाएगा।

तेल की कीमतें जिस हिसाब से बढ़ रही हैं, उससे एक साल में हमारा तेल आयात बिल बढ़कर 167 से 175 बिलियन डॉलर हो जाएगा। ऐसे में अगर छह-सात अरब डॉलर की राहत मिली भी, तो कीमत बढ़ने से भी असर वही 'ढाक के तीन पात' होने हैं।

तो सरकार ऐसी कोशिश में क्यों?

भारत सरकार ने पिछले तीन साल में तेल से जुड़ी आयात नीति और कीमत निर्धारण नीति के बीच काफी असंतुलन पैदा कर दिया है।

हालात ये हैं कि सरकार को कुछ नहीं सूझ रहा। मुझे लगता है कि सरकार कहीं न कहीं घबरा गई है और जब ऐसा होता है तो विवेक के आधार पर फैसले नहीं होते।

सरकार लोगों को बस यह संदेश देना चाहती है कि घबराने की ज़रूरत नहीं, ईरान हमारी मदद करेगा।

हमें याद रखने की ज़रूरत है कि यह वही ईरान है जिससे भारत ने कभी कहा था कि हम तेल नहीं लेंगे। भारत ने कभी यह भी कहा था कि हम ईरान से पाइपलाइन नहीं बनवाएंगे। भारत ने ईरान से कारोबारी रिश्ता रखने से भी इनकार कर दिया था।

अब भारत ने तो अपनी ज़रूरत के हिसाब से अपनी नीति बदल ली, क्या ईरान उसी हिसाब से अपनी नीति बदलेगा, यह देखना होगा।

ईरान से पुराने तेल संबंध फिर बनाना कितना मुश्किल?

भारत में ईरान को एक बहुत मुश्किल ग्राहक माना जाता है। ईरान काफी होशियार देश है। वहां के तेल प्रतिष्ठान बेहद स्मार्ट हैं। भारत से उनके पुराने संबंध हैं। हम भारी मात्रा में उनसे तेल मंगवाते रहे हैं।

भारत में दो रिफाइनरी ऐसी हैं, जिन्हें बनाया ही इसीलिए गया कि वे ईरान का तेल रिफाइन करेंगी। इसमें ओएनजीसी नियंत्रित सरकार की मंगलोर रिफाइनरी भी है।

ईरान और भारत के बीच कभी बेहद घनिष्ठ संबंध रहे हैं, बिलकुल पति पत्नी की तरह। बाद में उस रिश्ते में खटास आ गई। खटास आने का कारण था पश्चिम देशों के ईरान पर प्रतिबंध। भारत ने उस दबाव को काफी हद तक माना। फिर भारत ने तेल और गैस के मामले में ईरान से खुद को थोड़ा दूर कर लिया।

इस तरह हमारे बीच दूरियां बढ़ गईं। ईरान के तेल और गैस क्षेत्र में भारत की ओर से निवेश होने चाहिए थे, वे नहीं हुए। पाइपलाइन में भी भारत पहले जैसा जोश नहीं दिखा रहा क्योंकि उस पर पश्चिम देशों का दबाव है। खासतौर से अमेरिका का।

पिछले तीन साल में भारत ने ईरान के साथ दूरी की नीति अपनाई। अब भारत चाहता है कि ये दूरियां रातों-रात दूर हो जाएं क्योंकि तेल महंगा हो गया है। अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी।

हो सकता है ईरान थोड़ा जोश दिखाए क्योंकि उसे भी भारत की उतनी ही ज़रूरत है, जितनी भारत को। जो खटास आई थी उसे दूर होने में समय लगेगा।

EXCLUSIVE: पहली बार मां ने बयां की आसाराम की करतूत

EXCLUSIVE: पहली बार मां ने बयां की आसाराम की करतूत

अंतिम अपडेट 3 सितंबर 2013 1:36 PM IST पर
mother said story of that night for the first time
जिस लड़की से दुष्कर्म के आरोप में आसाराम जेल पहुंच गए हैं वह पिछले कुछ दिनों से शाहजहांपुर में अपने घर के सबसे अंदर के कमरे में है।

मीडिया वालों के वेश में जाने कौन चला आए इसलिए परिवार वाले किसी को उससे मिलवाने को तैयार नहीं है।

पूरा परिवार इस प्रयास में जुटा है कि लड़की सदमे से बाहर आ जाए। लगातार दो दिन तक समझाने के बाद लड़की की मां ने उससे मिलवाया जरूर लेकिन औपचारिक बातचीत की अनुमति नहीं दी।

अब तक लड़की के पिता ही मीडिया के सामने आते रहे हैं लेकिन पहली बार इस पूरे प्रकरण की साक्षी लड़की की मां ने अमर उजाला को पूरा घटनाक्रम विस्तार से बताया।


किशोरी की मां ने बताया कि घटना के दिन आधी रात से कुछ पहले जब बापू की कुटिया बदहवास सी निकली बच्ची ने बताया कि ये बापू पूजने लायक नहीं है तो वह सन्न रह गई। पति भी साथ थे रास्ते भर उसने कुछ नहीं कहा। शाहजहांपुर आकर जब पूरी कहानी सुनी तो पांव तले जमीन सरक गई।

आस्था के नाम पर इस तरह ठगे जाने पर सारा हौसला टूट गया। बाद में काफी सोच विचार के बाद बापू की धमकियों की परवाह न कर पुलिस में जाना पड़ा।

बेटी बहुत बीमार है तुरंत महामृत्युंजय का जाप करें
इसकी पृष्ठभूमि बताते हुए लड़की मां ने कहा कि गुरुकुल से उन्हें फोन आया कि उनकी बेटी बहुत बीमार है तुरंत महामृत्युंजय का जाप शुरू कर दें। उन्होंने रात में ही जाप शुरू कर दिया और सुबह पति पत्नी छिंदवाड़ा बेटी के गुरुकुल पहुंच गए। वहां गुरुकुल की शिक्षकों ने बताया कि उसकी तबीयत ठीक है।

मां ने तुरंत ही गुरुकुल के बाहर शिक्षक के फोन पर बेटी से बातचीत कर उसका हाल पूछा। बेटी ने कहा कि वह बिल्कुल ठीक है, बस उसे एक दिन चक्कर आ गया था। तब से सब लोग कह रहे हैं कि उसके ऊपर भूत-प्रेत है। वहां शिल्पी बेन ने कहा कि लड़की पर भूत-प्रेत है। बापू के पास ले जाना पड़ेगा।

इसलिए, परिवार बेटी को लेकर बापू के जोधपुर आश्रम में पहुंच गए। आश्रम में काफी लोग बैठे हुए थे।

बापू बोले, तुझ पर कोई भूत-प्रेत नहीं।
बापू ने हम लोगों को देखते ही बेटी से पूछा, तू कहां से। बेटी ने कहा, छिंदवाड़ा गुरुकुल से। बोले, अच्छा भूत वाली। बेटी ने भी कह दिया, हां। इसके बाद बापू ने उसे आगे बुलाया और उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा कि तू तो ठीक है, तुझ पर कोई भूत-प्रेत नहीं।


बेटी ने कहा, यही तो मैं सबसे कह रही हूं, लेकिन मेरी कोई सुन ही नहीं रहा। इसके बाद बापू ने पीड़ित के पिता की खूब तारीफ की, उसकी मां को भी अपनी बातों में बहलाया। बोले, क्या चाहते हो। परिवार ने कहा, बस, आपका आशीर्वाद। बापू बोले, ऐसे भक्त होने चाहिए।

रात दस बजे बुलाया गया बापू की कुटिया में
इसके बाद तीनों को कमरे में बैठा दिया गया। 15 अगस्त को रात करीब दस बजे बापू की कुटिया में बुलाया गया। बापू ने रसोइए को बुलाकर सबके लिए दूध मंगाया और और बेटी को अपने पास बुला कर बोले, अंदर बैठकर माला जपो। लड़की ने मां ने कहा इस बीच हम लोग बाहर बापू से बातचीत करने लगे।

फिर बापू उस आश्रम में घूमने लगे। हम लोग भी उनसे बातचीत करते हुए उनके पीछे-पीछे चलते रहे। इसके बाद वह अंदर एक कमरे में गए और फिर पांच मिनट के बाद लाइट बंद कर दी। उस कमरे में चारों ओर से शीशे लगे हुए थे।

हम लोगों को लगा कि बेटी पीछे बैठी जाप कर रही होगी, लेकिन उसे वहां से बुलाकर बापू के पास भेज दिया गया था। मां बोली, मेरे पति ने कहा लगता है कि बापू सो गए। इसके बाद हम लोग माला जपने लगे। दस-पंद्रह मिनट बाद मेरे पति बोले, मैं चलता हूं, तुम उसे लेकर आ जाना। उसके बाद, मैं अकेले वहां रह गई। दस मिनट तक मैं माला जपती रही, लेकिन फिर, मेरे मन में शंका हुई।

यह बाबा पूजने लायक नहीं
लेकिन, मैंने खुद ही अपने हाथ से दो अपने थप्पड़ मारे और कहा, अरे ये मैं कहा सोच रही हूं। खैर, मैं फिर बेटी का इंतजार करने लगी। आसाराम अंदर बैठे बेटी से बातचीत कर रहे थे। फिर उन्होंने करीब सवा 11 बजे उससे कहा, जाओ बाहर देखो तुम्हारे मम्मी-पापा बैठे हैं क्या?


बेटी बाहर आई और उसने मुझे देख कर कहा कि मैं बापू को बता कर आती हूं। वह अंदर गई तो वहीं पर बाबा ने उसका हाथ खींच लिया। कुछ देर बाद जब बेटी बाहर निकली तो बदहवास थी। उसका हाल देखकर मेरा दिल वहीं पर धक्क बोल गया। मैंने उससे पूछा क्या हुआ तो वह बस इतना बोली, चलो यहां से, यह बाबा पूजने लायक नहीं है।

आखिर पांच दिन बाद रिपोर्ट क्यों दर्ज हुई? यह पूछे जाने पर इस बारे में मां कहती है, हम 16 अगस्त को सुबह वहां से शाहजहांपुर के लिए निकल पड़े। बेटी रास्ते भर हमें कुछ भी बताने के लिए तैयार ही नहीं हुई।

शाहजहांपुर पहुंचकर 18 अगस्त को उसने मुझे सारी बात बताई। इतने बड़े बाबा के खिलाफ इस गंभीर अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने की हिम्मत जुटाने में इतना समय लग गया।

शहर में बदनामी होगी इसलिए, उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराने को दिल्ली जाने का फैसला किया। वहां 20 अगस्त को बाबा का सत्संग भी था और उन्हें लगा कि वहीं गिरफ्तार भी करवा लेंगे।

पोटेंसी टेस्ट में क्या-क्या हुआ आसाराम के साथ?

पोटेंसी टेस्ट में क्या-क्या हुआ आसाराम के साथ?

जोधपुर/इंटरनेट डेस्क | अंतिम अपडेट 3 सितंबर 2013 1:48 PM IST पर
aasaram potency test was positive without any drug
यौन शोषण के आरापों में फंसे 72 वर्षीय आसाराम बापू ने तीन डॉक्टरों की उस टीम को हैरान कर दिया, जिस पर आध्यात्मिक गुरु के पौरुषत्व की जांच करने का जिम्मा था।

रविवार को हुए पोटेंसी टेस्ट का ब्योरा जानने वाले सूत्रों का कहना है कि 16 साल की लड़की से यौन शोषण के आरोपी आसाराम का जब टेस्ट हुआ, तो वह पहले चरण में ही पॉजिटिव पाए गए।

यानी शारीरिक जांच में यह साबित हो गया कि वह यौन रूप से सक्षम हैं।


टीओआई की खबर के मुताबिक आसाराम ने शुरुआत में इस टेस्ट से इनकार किया था, लेकिन बाद में राजी हो गए। उन्होंने कहा, "शरीर नश्वर है, इसलिए डॉक्टर जो चाहें, उसके साथ कर सकते हैं।"

एक डॉक्टर ने बताया कि पोटेंसी टेस्ट कई चरण में होता है। उन्होंने बताया, "एक में छुअन के जरिए निजी अंगों में सिरहन पैदा करने की कोशिश की जाती है और दूसरे में पपावरिन जैसी दवा देकर ऐसा किया जाता है।"


आसाराम के मामले में छूने भर से इरक्‍शन हो गया और यह साबित हुआ कि वह सक्षम हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें किसी दवा की जरूरत नहीं पड़ी।

कानूनी विकल्प चुने बिना आसाराम का इस टेस्ट के लिए तैयार हो जाना डॉक्टर और पुलिस, दोनों के लिए हैरानी का विषय बना, क्योंकि वह चाहते, तो इस टेस्ट से इनकार कर सकते थे।



शुरुआत में आसाराम ने हिचकिचाहट जताई और सवाल किया कि वे लोग इतना 'अपवित्र' काम कैसे कर रहे हैं। लेकिन पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों के कहने के बाद वह राजी हो गए।

कल ही आ गया CTET-2013 का रिजल्ट, यहां देखें

कल ही आ गया CTET-2013 का रिजल्ट, यहां देखें

National: Result of CTET 2013 has announced


टीम डिजिटल | अंतिम अपडेट 3 सितंबर 2013 12:33 PM IST पर

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से जुलाई में आयोजित केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी-2013) के परिणाम आ गए हैं।

सीबीएसई ने दो सिंतबर को ही परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं जबकि पहले घोषणा की गई थी कि रिजल्ट 3 सितंबर को जारी किया जाएगा।

सीटीईटी परीक्षा 28 जुलाई को आयोजित की गई थी।

परीक्षा परिणाम देखने के लिए यहां क्लिक करें

National: Result of CTET 2013 has announced 
CLICK ON BELOW LINK FOR RESULT:
http://cbseresults.nic.in/ctet/ctet13_jul.htm
परीक्षा के लिए लखनऊ के 59 स्कूलों को केंद्र बनाया गया जहां दो पालियों में आयोजित इस परीक्षा में 98 प्रतिशत कैंडिडेट्स शामिल हुए थे।

परीक्षा के प्रश्न-पत्र को पांच भागों में बांटा गया था। इसमें गणित, अंग्रेजी, बाल विकास, पर्यावरण और हिंदी वर्गों से सवाल उठाए गए। सभी वर्गों में 30-30 सवाल पूछे गए।

कैंडिडेट्स का कहना था कि पेपर तो आसान रहा लेकिन सवाल लंबे होने के कारण समय की कमी भी खली। इसके बाद सीटीईटी की आंसर-शीट भी वेबसाइट पर अपलोड की गई थी।

यूएस ओपन से भी बाहर हुए फ़ेडरर

यूएस ओपन से भी बाहर हुए फ़ेडरर

 मंगलवार, 3 सितंबर, 2013 को 09:54 IST तक के समाचार

federer
यूएस ओपन टेनिस का ख़िताब छठी बार जीतने का रोजर फ़ेडरर का सपना चकनाचूर हो गया है. चौथे दौर में स्पेन के टॉमी रोब्रैडो ने उन्हें सीधे सेटों में 7-6 (7-3), 6-3, 6-4 से हरा दिया.
दो महीने पहले फ़ेडरर विंबलडन के दूसरे दौर में ही हार गए थे. रोब्रैडो के ख़िलाफ़ मैच में फ़ेडरर का प्रदर्शन काफ़ी खराब रहा.
दो घंटे और 24 मिनट तक चले मैच में फ़ेडरर ने पहले ही सेट में कुछ संघर्ष किया, लेकिन बाद के दो सेटों में मुक़ाबला पूरी तरह एकतरफ़ा रहा.
साल 2004 से 2008 तक लगातार पांच बार यह क्लिक करें ख़िताब जीतने वाले फ़ेडरर को 16 ब्रेक प्वाइंट्स मिले, जिनमें से उन्होंने सिर्फ़ दो पर ही जीत हासिल की. इस जीत के साथ ही रोब्रैडो ने क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बना ली है.
स्विटजरलैंड के क्लिक करें फ़ेडरर और रोब्रैडो के बीच मैच बारिश के कारण भी प्रभावित रहा और इसे आर्थर ऐश स्टेडियम के सेंटर कोर्ट से पास के लुई आर्मस्टांग कोर्ट शिफ्ट किया गया.

सफ़र

साल 2006 के बाद यह पहला मौक़ा था जब फ़ेडरर इस कोर्ट पर खेल रहे थे.
इस तरह 32 साल के फ़ेडरर इस सत्र में कोई भी ग्रैंड स्लैम जीतने में नाकाम रहे. क्लिक करें फ्रेंच ओपन में वह क्वार्टर फ़ाइनल में हारे थे जबकि क्लिक करें ऑस्ट्रेलियन ओपन में उनका सफ़र सेमीफ़ाइनल में थमा था.
नडाल
दर्शक क्वार्टर फ़ाइनल में फ़ेडरर और क्लिक करें राफेल नडाल की भिडंत की उम्मीद कर रहे थे लेकिन स्विस खिलाड़ी की हार से उनकी उम्मीदें टूट गईं. फ़ेडरर और नडाल यूएस ओपन में कभी नहीं भिड़े हैं.
नडाल को जर्मनी के फिलिप कोलश्राइबर को हराने के लिए चार सेटों तक संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने पहला सेट गंवाने के बाद शानदार वापसी की और 6-7 (7-4), 6-4, 6-3, 6-1 से जीत दर्ज की.

क्वार्टर फ़ाइनल

12 ग्रैंड स्लैम ख़िताबों के विजेता नडाल का क्वार्टर फ़ाइनल में हमवतन रौब्रेडो से मुक़ाबला होगा. यानि स्पेन के एक खिलाड़ी का सेमाफ़ाइनल में जाना तय है.
चौथी सीड क्लिक करें स्पेन के डेविड फेरर और फ्रांस के रिचर्ड गास्के भी अंतिम आठ का टिकट कटाने में सफल रहे.
महिला वर्ग में इटली की रॉबर्टा विंसी और फ्लेविया पैनेटा तथा स्लोवाकिया की डेनियला हंतुकोवा क्वार्टर फ़ाइनल में पहुंच गई हैं.
लेकिन बेलारूस की विक्टोरिया अज़ारेंका और सर्बिया का एना इवानोविच के बीच मुक़ाबले को खराब मौसम के कारण एक दिन आगे खिसका दिया गया.

NSA:ब्राज़ील और मैक्सिको के राष्ट्रपतियों की भी हो रही थी जासूसी?

NSA:ब्राज़ील और मैक्सिको के  राष्ट्रपतियों की भी हो रही थी जासूसी?

 मंगलवार, 3 सितंबर, 2013 को 12:38 IST तक के समाचार

ब्राज़ील, मैक्सिको, राष्ट्रपति, जासूसी
ब्राज़ील और मैक्सिको ने नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी यानी एनएसए द्वारा उसके राष्ट्रपतियों की जासूसी के दावों पर अमरीका से स्पष्टीकरण मांगा है.
पत्रकार ग्लेन ग्रीनवाल्ड ने ब्राज़ीली टीवी ग्लोबो पर कहा, ''ब्राज़ीली नेता दीलमा रॉसेफ़ और मैक्सिको के एनरिक पेना निएतो के इंटरनेट डेटा को अमेरिकी एजेंसी द्वारा बीच में रोककर देखा जाता था.''
ग्रीनवाल्ड को इससे संबंधित गुप्त फ़ाइलें अमरीकी ख़ुफ़िया सूचनाएं लीक करने के आरोपी एडवर्ड क्लिक करें स्नोडेन से मिली हैं.
ब्राज़ील का कहना है कि डेटा रोकना उसकी संप्रभुता से खिलवाड़ है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. मैक्सिको ने भी इस मामले में जांच की मांग की है.
ब्राज़ीली सीनेटर एडुआर्डो सुप्लिसी ने बीबीसी के न्यूज़ ऑवर प्रोग्राम में कहा, ''इस बात की कतई अनुमति नहीं दी जा सकती कि अमरीकी एजेंसी या अमरीकी सरकार द्वारा भाड़े पर लिए गए लोग देखें कि कोई ब्राज़ीली नागरिक क्या कर रहा है.''

अमरीकी राजदूत तलब

"ये अनुमति कतई नहीं दी जा सकती कि अमरीकी एजेंसी या अमरीकी सरकार द्वारा भाड़े पर लिए गए लोग देखें कि कोई ब्राज़ीली नागरिक क्या कर रहा है."
एडुआर्डो सुप्लिसी, ब्राज़ीली सीनेटर
न्यूज एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, क्लिक करें ब्राज़ील और मैक्सिको सरकारों ने अपने यहां अमरीकी राजदूतों को तलब किया है. मैक्सिको ने गहन जांच की मांग की है ताकि पता लग सके कि पिछले साल चुनाव से पहले राष्ट्रपति पेना नीएतो के ईमेल की कथित जासूसी के पीछे कौन ज़िम्मेदार है.
जुलाई में ब्राज़ीली समाचार पत्र 'ओ ग्लोबो' ने ख़बर दी थी कि अमरीका ने इस क्षेत्र की फ़ोन कॉल्स और वेब ट्रैफिक रोक दिया था.

हर संवाद पर थी नज़र

ब्रितानी अखबार गॉर्डियन के कॉलमनिस्ट ग्रीनवाल्ड ने ग्लोबो टीवी के न्यूज़ प्रोग्राम 'फेंटास्टिको' पर रविवार को कहा, ''स्नोडेन द्वारा लीक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि किस तरह अमरीकी एजेंट ब्राज़ीली राष्ट्रपति के सहायकों के बीच होने वाले संवाद की जासूसी करते थे.''
ब्राज़ील के न्याय मंत्री जोस एडुआर्डो ने कहा, ''अगर यह सही हुआ, तो न केवल अस्वीकार्य होगा बल्कि इसे देश की संप्रभुता पर हमला भी माना जाएगा.''
ब्राज़ील, अमरीका, मैक्सिको, जासूसी
ब्राज़ीली राष्ट्रपति दीलमा रॉसेफ़ और मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना निएतो
एक रिपोर्ट के अनुसार ब्राज़ीली राष्ट्रपति रॉसेफ जब भी इंटरनेट पर ऑनलाइन होती थीं, तब एनएसए एक प्रोग्राम के ज़रिए उन पर नज़र रखता था.
ब्राज़ीली राष्ट्रपति कार्यालय का कहना है कि इस बारे में चर्चा के लिए शीर्ष मंत्रियों की मीटिंग बुलाई जा रही है.
साओ पाउलो में बीबीसी संवाददाता जूलिया कारनेरियो ने कहा कि ब्राज़ील में शक जताया जा रहा है कि अमरीका व्यावसायिक हितों के चलते सरकारी संचारतंत्र की जासूसी कर रहा है.

टल सकता है रॉसेफ़ का दौरा

"स्नोडेन द्वारा लीक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि किस तरह अमरीकी एजेंट ब्राज़ीली राष्ट्रपति के सहायकों के बीच होने वाले संवाद की जासूसी करते थे."
ग्रीनवाल्ड, कॉलमनिस्ट, गॉर्डियन
संवाददाता का कहना है कि ये संवेदनशील खुलासा ऐसे समय हुआ, जबकि रॉसेफ़ अक्टूबर में पहली आधिकारिक यात्रा पर अमरीका जाने वाली हैं.
राष्ट्रपति ओबामा द्वारा इस साल किसी विदेशी नेता को प्रस्तावित यह अकेली आधिकारिक यात्रा है.
वैसे ब्राज़ीली अधिकारियों ने ये स्पष्ट नहीं किया है कि क्या इन आरोपों के बाद रॉसेफ़ वाशिंगटन की यात्रा टाल भी सकती हैं.

पेना पर थी लंबे समय से नजर

रिपोर्ट में ये आरोप भी लगाया गया है कि मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना निएतो के पिछले साल जुलाई में चुने जाने से पहले से एनएसए उनके संचार पर नजर रख रहा था.
पत्रकार ग्रीनवाल्ड का कहना है कि जून 2012 के दस्तावेज़ बताते हैं कि पेना निएतो के ईमेल पढ़े जाते थे. ग्रीनवाल्ड को ये दस्तावेज़ पूर्व अमरीकी ख़ुफ़िया विश्लेषक एडवर्ड स्नोडेन ने उपलब्ध कराए, जिसे ब्रिटेन और अमरीकी मीडिया में अमरीकी गुप्त जानकारियां लीक कराने के बाद रूस ने अस्थायी तौर पर शरण दे रखी है.
ग्रीनवाल्ड पहले ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने छह जून को स्नोडेन द्वारा लीक दस्तावेज़ों का खुलासा किया था. तब से वह अमरीका और ब्रिटेन के अधिकारियों की निगरानी पर ख़बरों की सीरीज़ लिख चुके हैं.

माइक्रोसॉफ्ट नोकिया के मोबाइल फ़ोन कारोबार को खरीदने के एक समझौते पर सहमत

माइक्रोसॉफ्ट नोकिया के मोबाइल फ़ोन कारोबार को खरीदने के एक समझौते पर सहमत 

नोकियाः फ़ोन कारोबार बेचने की नौबत

 मंगलवार, 3 सितंबर, 2013 को 09:49 IST तक के समाचार

नोकिया, माइक्रोसॉफ़्ट
माइक्रोसॉफ्ट नोकिया के "लगभग पूरे" मोबाइल फ़ोन कारोबार को 7.2 अरब अमरीकी डॉलर में खरीदने के एक समझौते पर सहमत हो गया है. इस समझौते के तहत नोकिया अपने पेटेंट भी माइक्रोसॉफ्ट को सौंप देगा.
नोकिया एक समय मोबाइल फ़ोन बाज़ार में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी, लेकिन हाल ही में उसे सैमसंग और एपल जैसे प्रतिस्पर्धियों से मिली चुनौती के कारण तगड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा है.
इस लेन-देन के लिए अभी क्लिक करें नोकिया के शेयरधारकों और नियामक मंजूरी का इंतज़ार है.
नोकिया के निदेशक मंडल के अध्यक्ष रिस्तो सिलास्मा ने कहा, "हमें भरोसा है कि यह सौदा नोकिया और उसके शेयरधारकों के लिए आगे बढ़ने का सबसे अच्छा रास्ता है."
भारत में भी नोकिया को सैमसंग से तगड़ी चुनौती मिल रही है.

चुनौती का सामना

नोकिया को सैमसंग और एपल से तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा रहा था.
क्लिक करें दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग ने भारतीय मोबाइल हैंडसेट बाज़ार में नोकिया का एक दशक से चला आ रहा दबदबा ख़त्म करते हुए पहला स्थान हासिल कर लिया है.
वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान भारत में नोकिया के राजस्व में 18 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. कंपनी का राजस्व वित्त वर्ष 2011-12 में 11925 करोड़ था, जो 2012-13 में 9780 करोड़ रुपए रह गया.
दुनिया भर में नोकिया के प्रदर्शन पर गौर करें, तो मोबाइल फ़ोन कंपनी की बिक्री जून में ख़त्म हुई तिमाही के दौरान 7.46 अरब डॉलर थी, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुक़ाबले 24 फ़ीसद कम थी.
इस दौरान कंपनी के मोबाइल फ़ोन की कुल बिक्री पिछले साल के मुकाबले 27 प्रतिशत कम रही.

नोकिया की दिक्क़तें

शोध संस्था सीसीएस इंसाइट के मुताबिक कंपनी में लाई गई व्यापक तबदीली और प्लाटफार्म में बदलाव के बाद भी नोकिया स्मार्टफ़ोन के बाज़ार में दूसरे बड़े खिलाड़ियों एप्पल और सैमसंग के मुक़ाबले बस चल भर पा रहा है.
नोकिया की दूसरी दिक्क़त है कि उसके फ़ीचर फोन्स की बिक्री भी दबाव में है.
नोकिया को इस क्षेत्र में गूगल के एंडरॉयड सिस्टम से चलने वाले सस्ते फ़ोन्स से दिक्क़त का सामना करना पड़ रहा है.
नोकिया का दबदबा खत्म होने का फिनलैंड की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा है.
नोकिया का फिनलैंड के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में साल 2000 में चार प्रतिशत योगदान था, वहीं यह 2001 में सिमटकर आधा प्रतिशत रह गया है.

Sunday 1 September 2013

एलआईसी को हुआ 3000 करोड़ का नुकसान

एलआईसी को हुआ 3000 करोड़ का नुकसान
नई दिल्ली, :01-09-13 05:41 PM
 
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जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को सरकार के विनिवेश कार्यक्रम में मदद करने की भारी कीमत चुकानी पड़ी है। मार्च, 2012 से बिक्री पेशकश (ओएफएस) मार्ग से सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी खरीदने में सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी को 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

एलआईसी ने जो 9 सार्वजनिक उपक्रमों ओएनजीसी, हिंदुस्तान कॉपर, एनएमडीसी, राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ), नाल्को, एमएमटीसी और नेशनल फर्टिलाइजर्स के शेयर ओएफएस मार्ग से खरीदे हैं उनका मूल्य इश्यू मूल्य से नीचे चल रहा है।

एलआईसी ने सार्वजनिक उपक्रमों के 16,372 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। अब एलआईसी के निवेश का मूल्य घटकर 13,230 करोड़ रुपये पर आ गया है। इस तरह से बीमा कंपनी को 3,142 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ओएनजीसी के मामले में एलआईसी ने कंपनी के 40.03 करोड़ शेयर 12,179 करोड़ रुपये में खरीदे हैं। इन शेयरों का मौजूदा मूल्य घटकर 9,979 करोड़ रुपये रह गया है।

भारत, रूस महत्वपूर्ण सैन्य परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे

भारत, रूस महत्वपूर्ण सैन्य परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे
नई दिल्ली,First Published:01-09-13 06:09 PM
 
रक्षा सचिव आऱ क़े माथुर की मास्को में रूस के उनके समकक्ष के साथ सोमवार को होने वाली बैठक के दौरान भारत एड़मिरल गोर्शकोव परियोजना और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की परियोजना में हुई प्रगति के मुद्दों को उठा सकता है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि रक्षा सचिव तीनों सेवाओं के एक उच्च स्तरीय दल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिसमें तीनों सेनाओं के तीन स्टार रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में गोर्शकोव जैसी चल रही परियोजनाओं और एफजीएफए पर वार्ता होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता कल होगी। दोनों पक्ष सैन्य बलों के लिए भविष्य की संयुक्त विकास परियोजनाओं पर भी चर्चा कर सकते हैं। बैठक में तोपों के लिए जरूरी गोले-बारूद और सेना के लिए टैंक तथा टी़90 टैंकों को उन्नत करने पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। बहरहाल यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय पक्ष पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक की दुर्घटना के मुद्दे को उठाएगा अथवा नहीं जो कुछ महीने पहले ही रूस से उन्नत होकर आया था और जनवरी 2014 तक की वारंटी में था। भारत दुर्घटना की जांच में रूस को भी शामिल करने की योजना बना रहा है । मामले में बोर्ड ऑफ इन्क्वायरी की जांच पूरी होने के बाद रूस को शामिल किया जाएगा।

भारत-सैयद अली शाह गिलानी :'भारतीय मीडिया चरमपंथियों और खुफिया एजेंसियों का अड्डा'

भारत प्रशासित कश्मीर में हुर्रियत कांफ्रेस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी :'भारतीय मीडिया चरमपंथियों और खुफिया एजेंसियों का अड्डा'


उर्दू मीडिया की खबरों का जायज़ा
भारत के उर्दू अख़बारों मे जहां देश के गड़बड़ाते आर्थिक हालात और सियासी सरगर्मियों की चर्चा है, वहीं पाकिस्तान के कराची शहर में फिर तेज होती हिंसा वहां के मीडिया में छाई हुई है.
क्लिक करें खाद्य सुरक्षा बिल पर दिल्ली से निकलने वाले 'हिंदोस्तान एक्सप्रेस' का संपादकीय है 'कांग्रेस ने मैदान मार लिया'. अखबार के अनुसार इस बिल पर बहस के दौरान जिन पार्टियों ने सरकार को जम कर खरी खोटी सुनाई थी, वो मतदान के वक्त समर्थन करने लगीं.
अख़बार का कहना है कि बात भारतीय जनता पार्टी की हो, समाजवादी पार्टी की हो या फिर बहुजन समाज पार्टी की.
अब ये बिल राज्य सभा में जाएगा और वहां भी अख़बार के अनुसार, सरकार को इसके पास होने को लेकर कोई चिंता नहीं है. हालांकि लोकसभा में बीजेपी ने इसे 'खाद्य सुरक्षा के नाम पर वोट सुरक्षा' जरूर कहा था.

मुसलमान पीछे

वहीं 'हमारा समाज' में खबर है 'क्लिक करें मुस्लिम तबका शिक्षा पर ध्यान देने में गंभीर नहीं'.
अख़बार लिखता है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछड़े इलाकों में सरकारी और निजी भागीदारी से 500 मॉडल स्कूलों की स्थापना के लिए पायलट प्रोजेक्ट के 50 आवेदन पत्र मंगाए उनमें सिर्फ दो ही मुस्लिम उम्मीदवारों के थे और वो भी दक्षिण भारत से.
मुसलमान
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत के अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के मुकाबले मुसलमानों का जीवन स्तर काफी नीचे है
अख़बार के अनुसार यूं तो मुसलमान हर कार्यक्रम और मंच पर अपने पिछड़नेपन का रोना रोते रहते हैं लेकिन शिक्षा और तरक़्क़ी की सरकारी योजनाओं का फ़ायदा उठाने में वो गंभीर नहीं दिखाई पड़ते.
'अजीज़ुल हिंद' ने भारत की आर्थिक मुश्किलों का जिक्र अपने संपादकीय में किया है. अख़बार लिखता है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में 20 प्रतिशत तक की कमी आई है. किसी भी देश की मुद्रा उसकी पहचान होती है और अगर उसकी कीमत गिरती है तो इससे देश की साख प्रभावित होती है.
अख़बार के अनुसार ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वो देश की अर्थव्यवस्था और देश की आर्थिक हालात पर क़ाबू पाए क्योंकि दिनोंदिन बढ़ती महंगाई गरीबों के लिए बड़ी चिंता का कारण है.
दैनिक 'इंकलाब' ने आशंका जताई है कि कहीं चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल जैसे हालात पैदा न हो जाए जब सोने को गिरवी रख कर रुपये को संभालना पड़ा था.

कराची में खून खराबा

उधर पाकिस्तान के कराची में एक बार फिर बिगड़ते हालात पाकिस्तानी मीडिया की सुर्खियों में हैं. कराची से निकलने वाले 'जंग' ने अपने संपादकीय में लिखा है कि टारगेट किलिंग करने वालों के खिलाफ़ अब तक पुलिस और अर्धसैनिक बल रैंजर्स को अपेक्षित कामयाबी न मिल पाने की वजह हिंसक तत्वों के राजनीतिक पार्टियों से संबंध और इस आधार पर उन्हें मिलने वाला संरक्षण है.
कराची
कराची में कानून व्यवस्था लंबे समय से एक बड़ी समस्या है
अख़बार के अनुसार अफ़सोस की बात ये है कि वसूली और जबरन क़ब्ज़ा करने की ये बीमारी कराची से निकल कर अब दूसरे शहरों तक भी फैल रही है.
दैनिक 'एक्सप्रेस' ने चीफ़ जस्टिस इफ़्तिख़ार मोहम्मद चौधरी के इस बयान को तवज्जो दी है कि कराची में नाहक बहते खून की जिम्मेदारी संघीय और प्रांतीय सरकारों पर आती है. उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कराची में पिछले दो साल में चार हजार 952 लोग टारगेट किलिंग की भेंट चढ़ गए हैं.
दैनिक 'खबरें' ने कराची में पुलिस और रेंजर्स की कार्रवाई में एमक्यूएम और एएनपी के लगभग 50 कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की खबर लगाई जिनसे भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए. इन्हीं दोनों पार्टियों पर अकसर शहर में अपना दबदबा कायम करने के लिए टारगेट किलिंग में शामिल होने के आरोप लगते हैं.

निशाने पर भारतीय मीडिया

उधर दैनिक 'नवाए वक्त' ने भारत प्रशासित कश्मीर में हुर्रियत कांफ्रेस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के इस बयान को अपने पहले पन्ने पर जगह दी कि 'भारतीय मीडिया हिंदू चरमपंथियों और ख़ुफ़िया एजेंसियों का अड्डा बन गया है'.
अख़बार के अनुसार गिलानी के संरक्षण में बनी एक फ़ोरम ने भारतीय मीडिया पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने का आरोप लगाया जो मौक़ा मिलने पर कभी भी तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर दिखाता है. फ़ोरम के मुताबिक़ वो कश्मीर की आज़ादी के संघर्ष के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करता है.
जुबीन मेहता
कश्मीर में सात सितंबर को ज़ुबीन मेहता का कंसर्ट होना है
फ़ोरम ने भारत मे जर्मनी के राजदूत से कहा है कि वो कश्मीर की विवादित हैसियत को मद्देनज़र वहां होने वाले संगीत कार्यक्रम पर दोबारा ग़ौर करें. कट्टरपंथी कश्मीर में ज़ुबिन मेहता के कंसर्ट का विरोध कर रहे हैं.
दैनिक 'एक्सप्रेस' ने रूस और पाकिस्तान के बीच पहली रणनीतिक बातचीत को नई शुरुआत बताया है.
अख़बार लिखता है कि फ़िलहाल अमरीका ही दुनिया का इलकौता सुपर पावर है और पश्चिमी यूरोप और खासकर ब्रिटेन उसका बड़ा समर्थक है जबकि मध्य पूर्व में सउदी अरब और एशिया के जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अहम देश भी उसी के पाले में खड़े हैं.
अख़बार की राय में, ऐसे में पाकिस्तान मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में तभी कोई अहम भूमिका अदा कर सकता है जब वो शक्ति के संतुलन को बनाए रखने में कोई योगदान दे सके. चूंकि रूस पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया की बड़ी ताकत है इसीलिए उससे बेहतर रिश्ते बनाने की पाकिस्तान सरकार की कोशिश को अख़बार ने सराहा है.

डायनासोर ने दौड़ाया

दैनिक 'खबरें' ने खबर लगाई 'नकली डायनासोर ने लोगों को खूब दौड़ाया'.
अख़बार लिखता है कि जापान की राजधानी टोक्यो में एक नौजवान हॉलीवुड की मशहूर फिल्म 'जुरासिक पार्क4' के डायनासोर के कपड़े पहन कर दफ्तर पहुंचा तो वहां काम कर रहे लोगों की हालत पतली हो गई और वो जान बचाने के लिए भागने लगे.
एक कर्मचारी कुछ देर से आया. उसने दफ्तर की अफ़रातफ़री देखी तो कमरे में दाखिल होने से पहले ही वापस सरपट भाग गया.
दैनिक 'औसाफ़' ने पाकिस्तान के आर्थिक हालात पर कार्टून के ज़रिए टिप्पणी की है जिसमें वित्त मंत्री इशाक डार को कठपुतली के रूप में दिखाया गया है जिनकी डोर एक बड़े से हाथ में हैं और ये हाथ है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का. लेकिन डार को कहते दिखाया गया है आईएमएफ की शर्तें न कबूल की है और न आगे करेंगे.
दैनिक 'आजकल' के कार्टून में दर्शाया गया है कि चरमपंथ से निपटना कितना बड़ी चुनौती है. इसमें सरकार को चींटीखोर के तौर पर पेश किया गया है.

क्या भारत का सुहाना आर्थिक सफ़र ख़त्म हुआ?

क्या भारत का सुहाना आर्थिक सफ़र ख़त्म हुआ?

 रविवार, 1 सितंबर, 2013 को 13:29 IST तक के समाचार

ब्रिटेन अर्थव्यवस्था
पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था में बेहतरी के संकेत हैं.
विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में जिस तरह का धीमापन धीरे धीरे देखने में आ रहा है, क्या उसे भविष्य के सूचक के तौर देखा जाना चाहिए?
थाइलैंड दुबारा से मंदी के दौर में है, मेक्सिको की अर्थव्यवस्था फिर से सिकुड़ रही है, रूस में विकास दर महज़ 1.2 फ़ीसद है - ये दर वही है जो मंदी से धीरे-धीरे उबर रहे पश्चिमी मुल्कों में देखी जा सकती है.
ब्राज़ील में विकास की दर पिछले साल से एक फ़ीसद कम थी. वो मुल्क यानी क्लिक करें भारत जिसपर सभी की नज़र है, उसे आर्थिक विकास की उस दर को हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जो वहां 1980 के दशक के पहले हुआ करती थी.

पतली हालत

ये पिछले सालों की वो कहानी नहीं जहां विकास दर ने ऊचाईयों को छूआ था.
हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी विकासशील देशों में अर्थव्यवस्था की स्थिति इतनी ही पतली है.
उदाहरण के तौर पर फ़िलीपिंस में दूसरी तिमाही में विकास की दर पिछले साल के मुक़ाबले साढ़े पांच फ़ीसद ज़्यादा थी.
लेकिन बहुत सारे ऐसे विकासशील मुल्क हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था ख़ासी बड़ी है, जिसमें धीमापन देखने में आ रहा है.
इससे ये सवाल उठता है कि क्या विकासशील देशों में अर्थव्यवस्था के विकास की कहानी का अंत हो चुका है.

क़र्ज पर टिकी मांग

निवेशक इन मुल्कों से पैसा निकालकर दूसरी जगहों पर ले जा रहे हैं.
"आपको इस बात का कि कौन नंगा तैर रहा है तभी पता चलता है जबकि लहरें वापस चली जाती हैं."
वारेट बफेट, मशहूर कारोबारी
पिछले दशक में आर्थिक विकास ज़रूरत की वस्तुओं की तेज़ मांग और अमरीका में उपभोगी चीज़ों के अधिक इस्तेमाल की वजह से थी.
लेकिन ये मांग सस्ते क़र्ज़ की उपलब्धि की वजह से पैदा हुई थी जो बहुत दिनों तक जारी नहीं रह सकती थी.
जबकि ज़रूरत की चीज़ों की मांग का शानदार चक्र मंद पड़ रहा है और अमरीकी उपभोक्ता पहले से कम ख़रीदारी कर रहा है, दुनिया भर में विकास की रफ़्तार धीमी पड़ेगी.
लेकिन ये विकासशील मुल्कों में आर्थिक विकास में आई तेज़ी के ख़ात्मे की कहानी नहीं है.

पांच फ़ीसद विकास

उन एशियाई मुल्कों में, जहां हाल के दिनों में आर्थिक विकास का बेहतर दौर जारी रहा, एक बड़ा मध्य वर्ग उभरा है जो मांग को जारी रख सकता है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष या आईएमएफ़ ने भविष्यवाणी की है कि इन मुल्कों में विकास की दर पांच प्रतिशत से अधिक होगी. ये भविष्यवाणी उस सूरत में होगी जब किसी किस्म का आर्थिक संकट पैदा न हो.
इन मुल्कों में विकास की दर भले ही धीमी हो गई है लेकिन वो अभी भी ख़ासी अच्छी है.
हाल के दिनों तक इन देशों में सात फ़ीसद से अधिक विकास दर दर्ज की गई थी. ये दर अमरीका में 1990 और 2000 के दशकों में दर्ज दरों से दो गुना से भी ज़्यादा थी.
विकासशील देशों के आर्थिक विकास में आई कमी की एक वजह तो ये है कि उनके और पश्चिमी देशों के बीच विकास के क्षेत्र में तरक्की के लिए बहुत कम फ़ासला बचा है.

आधा सकल घरेलू उत्पाद

रूपया
भारतीय मुद्रा में डॉलर के मुक़ाबले साल के दौरान 20 फीसद की गिरावट दर्ज की गई.
आईएमएफ़ के मुताबिक़ पहली बार दुनियां भर के आधे सकल घरेलू उत्पाद का योगदान इन मुल्कों की तरफ से आ रहा है.
इसका मतलब ये हुआ कि क्लिक करें चीन, रूस और भारत जैसे मुल्कों का उत्पादन अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे अमीर देशों से अधिक है.
इसका अर्थ ये भी हुआ कि उत्पादन के मामले में ये मुल्क अमीर देशों के लगभग बराबर पहुंच चुके हैं इसलिए विकास दर धीमा हो सकता है. उन्हें अमीर देशों की तरह नए विकास के नए रास्तों की तलाश करनी होगी.
रूस, चीन और भारत में आर्थिक सुधारों की शुरूआत हुए लगभग दो दशक हो चुके हैं.

भारत पर नज़र

इस बीच क्लिक करें विकासशील देशों में विदेशी निवेश तेज़ी से बढ़ा.
हालांकि ये मुल्क विकास के बेहतर दौर में अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए और भी बहुत कुछ कर सकते थे.
लेकिन अक्सर देखा गया है कि सुधार के क़दम अर्थव्यवस्था के बुरे दौर में ही शुरू होते हैं, जब सरकारें उद्योग धंधों और मध्य वर्ग को सहायता पहुंचाने जैसे क़दम उठाती हैं.
अब भारत का ही उदाहरण लें जिसकी मुद्रा रूपये के मूल्य पर सबकी नज़र है और जिसकी क़ीमत में 1991 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
सकल घरेलू उत्पाद में भारतीय उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी फिलहाल महज़ एक चौथाई है और इसमें 1990 के दशक से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.

कमियां

वैश्विक स्तर पर निर्यात के क्षेत्र में क्लिक करें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक फ़ीसद है. जबकि चीन की 11 फ़ीसद.
मूलभूत ढांचा
भारतीय राजपथों के निर्माण में हाल के सालों में धीमापन आया है.
इंडोनेशिया में उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी उसकी पूरी जीडीपी का आधा है.
भारत कल कारखानों को लगाने और विश्व बाज़ार में भागेदारी बनाने में पीछे रह गया है.
अर्थव्यवस्था के बेहतर विकास के दौर में भारत ने अपने बुनियादी ढ़ाचे को बेहतर बनाने में नाकाम रहा. शिक्षा की कमी भी विकास में एक बाधा के तौर पर देखी गई है.
फ़िलहाल क्लिक करें भारत का विकास दर पांच फीसद है जो पिछले दशक के सबसे कम स्तर पर है.
इससे ज़्यादा फ़िक्र की बात है कि मोर्गन स्टैनले का कहना है कि भारतीय कंपनियों ने बहुत अधिक क़र्ज़ ले रखा है. उनका कहना है कि चार में एक भारतीय कंपनी अपना ब्याज भी नहीं चुका पाएंगी.
चिंता चालू वित्त घाटे को लेकर भी है और निवेशक वहां से पैसे निकालकर दूसरी जगहों पर ले जाने की सोच रहे हैं.
इस साल क्लिक करें वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2008 की मंदी के बाद से सबसे कम बढ़ोतरी होगी. हालांकि इस बार किसी मंदी का ख़तरा नहीं है लेकिन भारत जैसी अर्थव्यवस्था में अगर धीमापन जारी रहता है तो उसके लिए दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.
लेकिन जैसा कि वॉरेन बफ़ेट ने साल 2008 की मंदी के समय बैंको की स्थिति लेकर कहा था, “आपको इस बात का कि कौन नंगा तैर रहा है तभी पता चलता है जबकि लहरें वापस चली जाती हैं.”