भूमध्य सागर में मिसाइल परीक्षण किया है: इसराइल
मंगलवार, 3 सितंबर, 2013 को 16:45 IST तक के समाचार
सीरिया पर पश्चिमी देशों की
संभावित कार्रवाई की बढ़ती आशंकाओं के बीच इसराइल ने पुष्टि की है कि उसने
भूमध्य सागर में अपनी एक मिसाइल का परीक्षण किया है. एक वरिष्ठ इसराइली
अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि एफ-16 लड़ाकू विमान से इस मिसाइल को दागा
गया.
इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसे
भूमध्य सागर में दो बैलेस्टिक उपकरणों को दागे जाने का पता चला है जो
पूर्वी तट की तरफ जा रहे थे.हालांकि पिछले महीने सीरिया में हुए कथित रासायनिक हथियारों के बाद अभी तक सार्वजनिक तौर पर सीमित हमले की योजना की बात ही कही गई है.
अमरीकी सेना के पूर्व वाइस चीफ ऑफ स्टाफ जनरल जैक कीन ने बताया कि बड़े पैमाने पर हमले की जानकारी रिपब्लिकन पार्टी के कुछ वरिष्ठ सीनेटरों से मिली है.
सोमवार को राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कुछ वरिष्ठ सीनेटरों को सीरिया के मुद्दे पर भावी योजना के बारे में बताया गया.
जनरल जैक ने बीबीसी को बताया कि अगर सैन्य कार्रवाई के लिए कांग्रेस की मंजूरी मिल गई तो राष्ट्रपति ओबामा की योजना सीरियाई राष्ट्रपति असद की सैन्य ताकत को महत्वपूर्ण नुकसान पहुँचाने की है.
अमरीकी योजना
जनरल कीन ने कहा, "राष्ट्रपति ने उनके सामने कार्रवाई के पैमाने और उसकी गंभीरता के बारे में अपनी मंशा जाहिर की. मुझे लगता है कि सीनेटरों ने जो सोचा होगा, यहीं उससे कहीं व्यापक होने जा रहा है. जो कुछ होने जा रहा है, उसके दो पहलू हैं. वह सीरिया को रोकेंगे और उसकी ताकत को कमजोर करेंगे. यह अहम है और इसका मतलब असद की सैन्य शक्ति से है."
हालांकि रूस और चीन बराबर सीरिया में किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप का विरोध कर रहे हैं.
सीरिया अमरीका के इन आरोपों को ठुकराता है कि उसने अपने नागरिकों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया, जबकि अमरीकी बारबार कह रहा है कि उसके पास इस हमले के सबूत के पक्के सबूत हैं और इनमें 1429 लोग मारे गए.
तिहाई आबादी बेघर
शरणार्थियों की यह तादाद छह महीने पहले दर्ज लोगों के मुक़ाबले दोगुनी है. बहुत से सीरियाई तुर्की, जॉर्डन और लेबनान जैसे पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं.
लगभग सात लाख सीरियाई अब तक अकेले लेबनान में शरण ले चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़ सीरिया में 50 लाख लोग विस्थापन का शिकार हैं. इसका मतलब यह है कि देश की कुल आबादी का तिहाई हिस्सा बेघर है.
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के राजदूत एंटोनियो गुतेरेस ने बीबीसी को बताया है कि बहुत से लोग बेहद बदतक हालात में ज़िंदगी बिता रहे हैं और इनमें से सभी को मदद पहुंचा पाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है.
उनका कहना था कि दो पड़ोसी देशों तक फैला यह संघर्ष मध्य पूर्व में विस्फोट की शक्ल ले चुका है और इसे तत्काल प्रभाव से रोका जाना बहुत ज़रूरी है.
अल्पसंख्यकों पर खतरा
मुख़्तार लमानी ने बीबीसी को बताया है कि सीरिया में जारी जातीय हिंसा बेहद डरावनी शक्ल इख़्तियार कर चुकी है.
लोग बड़ी तादाद में अपने गांवों और घरों को छोड़कर जा रहे हैं. इनमें सुन्नी, अलावाइट और ईसाई सभी शामिल हैं.
लमानी ने बताया है कि सबसे ज़्यादा ख़तरे में अलावाइट अल्पसंख्यक हैं जिस समुदाय से राष्ट्रपति असद भी हैं. ईसाइयों को भी निशाना बनाया जा रहा है.
लमानी के मुताबिक सीरियाई लोग सदियों से शांतिपूर्ण जीवन बिताते रहे हैं लेकिन इस मौजूदा संघर्ष ने उन्हें एक दूसरे से अलग-थलग कर दिया है.
फ्रांस का रवैया
संसद में एक रिपोर्ट पेश कर फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉ मार्क एरॉल्ट ने कहा कि गत 21 तारीख को सीरिया में विनाशकारी हथियारों का बड़े पैमाने पर प्रयोग हुआ.
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सरकारी सूत्रों का कहना है कि फ्रांसीसी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक सीरिया में पिछले महीने हुए हमलों में एक हजार टन से ज़्यादा रसायनों का इस्तेमाल हुआ था जिनमें सारिन और मस्टर्ड गैस जैसे खतरनाक रसायन शामिल थे.
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांड ने सीरिया में सैन्य कार्रवाई का पुरज़ोर समर्थन किया है लेकिन अमरीका और ब्रिटेन की तरह फ्रांस में भी इस बात का दबाव बढ़ रहा है कि इसके लिए संसद से अनुमति ली जाए.
फ्रांस में इस मुद्दे पर राष्ट्रीय असेंबली में बुधवार को बहस होनी है लेकिन मतदान होगा या नहीं, ये अभी तय नहीं है.