नई दिल्ली: प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने स्वीकार किया कि सरकारी एजेंसियों उसके नैटवर्कपर होने वाली बातचीत (कॉल्स, टेक्स मैसेज और ईमेल) बिना वारंट के सुनती हैं। कंपनी ने इन सरकारी एजेंसियों को ऐसी गुप्त तारें लगाने की अनुमति दी जिससे  नैटवर्क पर होने वाली बातचीत को सुना जा सके।

कंपनी का कहना है कि उसके परिचालन वाले लगभग 29 देशों में नेटवर्क पर होने वाली बातचीत सुनी (टैप की) जाती है। वोडाफोन ने 20 पेज की एक रिर्पोट में सरकारी एजेंसियों के साथ अपने सहयोग का खुलासा किया है। इसके अनुसार उसके नैटवर्क में सीधी तारें जुड़ी हैं जिनके जरिए बातचीत सुनी व रिकॉर्ड की जा सकती है।

कंपनी ने स्वीकार किया है कि वैश्विक कंपनी के रूप में वह विभिन्न देशों के कानूनों को लागू करते तथा सरकारी अपेक्षाओं को पूरा करते हुए लगातार तनाव का सामना करती है। इसने कहा है, किसी भी देश के कानूनों के पालन से इनकार करना कोई विकल्प नहीं होता है। वोडाफोन ने कहा है कि सरकारी निगरानी प्रणाली को लेकर जारी बहस में अपने योगदान के रूप में वह इस सूचना का प्रकाशन कर रही है।

कंपनी का कहना है- सरकारों द्वारा अपने देश व नागरिकों की रक्षा के दायित्व तथा व्यक्तिगत निजता की रक्षा के दायित्व के बीच संतुलन की जरूरत पर इस समय महत्वपूर्ण वैश्विक बहस हो रही है। वहीं निजता के लिए अभियान चला रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि वोडाफोन का यह खुलासा उनके सबसे बड़े डर की पुष्टि करता है। प्राइवेसी इंटरनैशनल के कार्यकारी निदेशक गुस होसेन ने कहा कि हमें इसी बात का डर सता रहा था। हालांकि उन्होंने वोडाफोन द्वारा इसे स्वीकार करने को बहादुरी वाला कदम बताया।