गोधरा कांड:मजिस्ट्रेट कल सुना सकते हैं नरेंद्र मोदी पर फैसला-जकिया जाफरी की याचिका
अहमदाबाद, 27 अक्टूबर 2013 | अपडेटेड: 21:21 IST
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एसआईटी की मामले को बंद करने की रिपोर्ट
के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका पर यहां की अदालत सोमवार को फैसला सुना
सकती है. यह मामला वर्ष 2002 के दंगों में कथित षड्यंत्र के सिलसिले में
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य को क्लीनचिट देने से संबंधित
है.
जाफरी की याचिका पर उनके वकीलों एवं विशेष जांच दल (एसआईटी) के वकील की
जिरह मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बी. जे. गणात्रा के समक्ष पांच महीने तक चली,
जिसके बाद जाफरी के वकील ने 18 सितम्बर को अदालत को लिखित हलफनामा दिया.
एसआईटी ने 30 सितम्बर को लिखित हलफनामा दिया और मजिस्ट्रेट गणात्रा ने कहा कि वह 28 अक्टूबर को फैसला सुनाएंगे.
जकिया जाफरी के पति और पूर्व सांसद एहसान जाफरी 2002 के दंगे में गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे. जाफरी ने याचिका दायर कर एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट पर आपत्ति जताई. क्लोजर रिपोर्ट में मोदी को किसी भी तरह के षड्यंत्र में शामिल होने से बरी कर दिया गया था.
जाफरी की शिकायत पर जांच पूरी करने के बाद एसआईटी ने आठ फरवरी 2012 को जांच रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा था कि आठ वर्ष बीत जाने के कारण साक्ष्य जुटाने में परेशानी के बावजूद जो भी साक्ष्य जुटाए जा सके, उनसे यह साबित नहीं हो सका कि 2002 के दंगों के षड्यंत्र के आरोप जिन लोगों पर लगाए गए थे वे इनमें संलिप्त थे.
एसआईटी ने 30 सितम्बर को लिखित हलफनामा दिया और मजिस्ट्रेट गणात्रा ने कहा कि वह 28 अक्टूबर को फैसला सुनाएंगे.
जकिया जाफरी के पति और पूर्व सांसद एहसान जाफरी 2002 के दंगे में गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे. जाफरी ने याचिका दायर कर एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट पर आपत्ति जताई. क्लोजर रिपोर्ट में मोदी को किसी भी तरह के षड्यंत्र में शामिल होने से बरी कर दिया गया था.
जाफरी की शिकायत पर जांच पूरी करने के बाद एसआईटी ने आठ फरवरी 2012 को जांच रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा था कि आठ वर्ष बीत जाने के कारण साक्ष्य जुटाने में परेशानी के बावजूद जो भी साक्ष्य जुटाए जा सके, उनसे यह साबित नहीं हो सका कि 2002 के दंगों के षड्यंत्र के आरोप जिन लोगों पर लगाए गए थे वे इनमें संलिप्त थे.
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