Tuesday, 30 July 2013

तेलंगाना को हरी झंडी, बनेगा भारत का 29वां राज्‍य

तेलंगाना को हरी झंडी, बनेगा भारत का 29वां राज्‍य

अगले लोकसभा चुनाव तक बन जाएगा तेलंगाना!



तेलंगाना होगा भारत का 29 वां राज्य, 10 साल के लिए साझा राजधानी होगी हैदराबाद

| नई दिल्ली, 30 जुलाई 2013 |


कांग्रेस वर्किंग कमिटी ने अलग तेलंगाना राज्‍य के गठन को मंजूरी दे दी. कांग्रेस प्रवक्‍ता अजय माकन ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि कांग्रेस की बैठक में सर्वसम्‍मति से तेलंगाना पर प्रस्‍ताव मंजूर कर लिया गया. तेलंगाना भारत का 29 वां राज्य होगा.





कांग्रेस वर्किंग कमिटी ने अलग तेलंगाना राज्‍य के गठन को मंजूरी दे दी. कांग्रेस प्रवक्‍ता अजय माकन ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि कांग्रेस की बैठक में सर्वसम्‍मति से तेलंगाना पर प्रस्‍ताव मंजूर कर लिया गया. तेलंगाना भारत का 29 वां राज्य होगा.

माकन ने बताया कि हैदराबाद 10 साल के लिए दोनों राज्‍यों की संयुक्‍त राजधानी होगी और हैदराबाद की कानून व्यवस्‍था की जिम्‍मेदारी दोनों राज्‍यों पर होगी. 

प्रस्‍तावित तेलंगाना राज्‍य में 10 जिले होंगे. ये जिले होंगे अदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, मेडक, रंगारेड्डी, महबूबनगर, नालगोंडा, वारंगल, खम्‍मम और हैदराबाद.
 

कांग्रेस कार्य समिति की करीब एक घंटे चली बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार, ‘प्रस्ताव किया है कि निश्चित समय सीमा के भीतर केंद्र सरकार से भारत के संविधान के दायरे में पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए पहल करने का आग्रह किया जायेगा.’ पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के बारे में कांग्रेस कार्य समिति और यूपीए का यह महत्वपूर्ण फैसला करीब एक सप्ताह के गहरे विचार विमर्श के बाद सामने आया है.


प्रस्ताव में कहा गया है कि, ‘यह आसान निर्णय नहीं था लेकिन यथासंभव व्यापक विचार विमर्श के बाद यह फैसला किया गया.’ केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को नये राज्य के गठन से जुड़े आर्थिक मुद्दों पर मंत्रियों के समूह के गठन पर विचार कर सकती है. बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव और पार्टी के आंध्रप्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि नये राज्य के गठन की प्रक्रिया में चार-पांच महीने लग जायेंगे.


सिंह ने कहा कि फिलहाल तेलंगाना में दस जिलों को रखने का विचार है लेकिन और क्षेत्रों को शामिल करने के बारे में अंतिम फैसला मंत्री समूह करेगा. आंध्र प्रदेश की लोकसभा की 42 और विधानसभा की 294 सीटों में से प्रस्तावित तेलंगाना में लोकसभा की 17 और विधानसभा की 119 सीटें होने की संभावना है. सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी उपध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया. बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले से पूरे आंध्र क्षेत्र को मदद मिलेगी.
बैठक में सोनिया गांधी ने इस मुद्दे पर ऐतिहासिक परिपेक्ष्य पेश किया. दिग्विजय सिंह ने प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.

प्रस्तावित तेलंगाना राज्य में हैदराबाद, मेडक, आदिलाबाद, खम्माम करीमनगर, महबूबनगर, नलगोंडा, निजामाबाद, रंगारेड्डी और वारंगल शामिल होंगे. कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में इस बात का उल्लेख किया गया है कि यूपीए-1 सरकार के साझा न्यूनतम कार्यक्रम में मई 2004 और उसी साल संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति के अभिभाषण में सर्वसम्मति से अलग तेलंगाना राज्य के गठन की बात कही गई थी.

इसके बाद यूपीए दो के कार्यकाल के दौरान नौ दिसम्बर 2009 को तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने तेलंगाना राज्य बनाने के बारे में एक बयान जारी किया था. कांग्रेस कार्य समिति में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि दस साल के भीतर आंध्र प्रदेश के लिए नयी राजधानी का निर्माण करने में सहयोग किया जायेगा. इसमें यह भी कहा गया कि कोलावरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जायेगा और इसके पूरा होने के लिए उचित कोष उपलब्ध कराया जायेगा.
प्रस्ताव के अनुसार आंध्र प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों अथवा जिलों की पहचान करके उनकी विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनके विकास के लिए उचित कोष दिया जायेगा. अलग तेलंगाना राज्य बनने के बाद आंध्र प्रदेश सहित दोनों राज्य सरकारों को अपने अपने क्षेत्रों और जिलों में शांति और सौहार्द तथा कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सहयोग किया जायेगा.

कांग्रेस कार्य समिति ने सभी कांग्रेसजनों और आंध्र प्रदेश के तेलगू भाषी लोगों से अपील की कि वे अपना पूर्ण सहयोग दे जिससे कि इस प्रस्ताव को इस तरह लागू किया जा सके जिससे दोनों राज्यों में शांति, सौहार्द, प्रगति और खुशहाली सुनिश्चित हो सके. दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा कि अलग तेलंगाना राज्य बनाने का फैसला किसी राजनीतिक आवश्यकता या राजनीतिक मजबूरी के तहत नहीं किया गया है.

दोनों राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि इस विषय पर मंत्री समूह का गठन होगा जो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच भूमि, जल, राजस्व, परिसंपत्तियों तथा देनदारियों के मसले को देखेगा. यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब अलग गोरखालैंड और विदर्भ राज्य के गठन की मांग की जा रही है. पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के अभियान में अग्रणी भूमिका निभाने वाली टीआरएस ने इस निर्णय का स्वागत किया है.


तेलंगाना के गठन पर मोदी ने किया सवाल, क्‍यों 9 साल तक चुप रही कांग्रेस


नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी 
 
तेलंगाना पर फ़ैसले को लेकर नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. मोदी ने ट्वीट करके कहा कि जिस मुद्दे पर कांग्रेस पिछले 9 सालों से टालमटोल कर रही थी, लोगों के आंदोलन की वजह से कांग्रेस को मजबूर होकर ये फ़ैसला लेना पड़ा. मोदी ने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोगों का सामना करने की बजाय कांग्रेस कमेटी और रिपोर्टों के पीछे छुपी हुई थी. मोदी ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस इस देरी के लिए आंध्र प्रदेश के लोगों से माफ़ी मांगेगी. पढ़ें आंध्र प्रदेश के लोगों के नाम मोदी की पूरी चिट्ठी...
आंध्र प्रदेश के सभी क्षेत्रों के भाईयों एवं बहनों
नमस्कार
11 अगस्त को हैदराबाद में होने वाली एक जनसभा के जरिए मैं आप से बात करने वाला हूं. इस जनसभा में मैं आपसे तेलंगाना राज्य के मुद्दे तथा आंध्र प्रदेश के सभी क्षेत्रों के प्रति आपकी चिंताओं पर अपने विचार रखूंगा. पिछले 9 साल से कांग्रेस जिस मुद्दे से कन्नी काट रही थी, अचानक पिछले कुछ दिनों से इस मुद्दे के प्रति कांग्रेस का रुख और फैसला वाकई में चौकाने वाला है.

इसमें कोई दोमत नहीं है कि तेलंगाना राज्य के निर्माण को लेकर कांग्रेस का रवैया पारदर्शी नहीं रहा है. जो पार्टी और सरकार तेलंगाना की जनता को शुरू से ही ठगती आ रही उस पर अब भी भरोसा करना मुश्किल है. तेलंगाना राज्य के गठन का समर्थन बीजेपी शुरु से ही करती आ रही है. छोटे राज्यों के गठन के मामले में बीजेपी ही एकमात्र दल है जिसका रिकार्ड सबसे अच्छा है.
अटल जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने ही छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड राज्य का गठन किया था. मित्रों, ये वहीं कांगेस पार्टी है जो तेलंगाना राज्य के गठन का वायदा कर चुनाव में जीत हासिल की थी और पिछले 9 सालों से यहां की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही थी. और जब देश में फिर से कुछ महीनों बाद चुनाव होने वाले हैं, तो आनन-फानन में कांग्रेस ने तेलंगाना राज्य के गठन की घोषणा कर दी.
कांगेस का यह कदम तेलंगाना राज्य को लेकर उसकी गंभीरता और इरादे पर सवाल खड़े करती है. 2004 और 2009 में लगातार दो साल राज्य में कांग्रेस ने चुनाव जीता. इसके वावजूद तेलंगाना राज्य के गठन की प्रक्रिया की घोषणा को आनन-फानन में केंद्र सरकार ने वापस ले लिया. जब राज्य में इसको लेकर हिंसा का दौर चल रहा था, कानून-व्यवस्था बिगड़ रही थी, युवा आत्मदाह कर रहे थे तो ये कांग्रेस मूक दर्शक बनी सब कुछ देख रही थी. बीजेपी तेलंगाना राज्य के लिए उठाए गए हर कदम का स्वागत करती है. मगर क्या वाकई में यूपीए सरकार राज्य का गठन करेगी.

ऐसे मौके पर मैं यूपीए सरकार और कांगेस नेतृत्व कुछ सवाल पूछता हूं.
 

सवाल-1. कांग्रेस पार्टी में ही इसको लेकर आमसहमति क्यों नहीं है.
सवाल-2. हैदराबाद के तेलंगाना में होने के बावजूद इस साझा राजधानी क्यों बनाई गई है. राज्य की सीमा के बाहर राजधानी बेतुका है.
सवाल-3. क्या इस फैसले को लेकर आंध्र प्रदेश और रायलसीमा के लोगों को राजी करने की क्या कोशिश की गई
सवाल-4. इस बार भी तेलंगाना के लोगों के साथ धोखा नहीं होगा. क्या इसको लेकर कोई वायदा किया गया है?
सवाल-5.  तेलंगाना की वजह से निवेश प्रभावित होने पर कई युवाओं ने आत्महत्या कर ली और माना जा रहा है कि राज्य के बंटने से यहां किसान भी मुश्किल में आ जाएंगे. तो क्‍या आंध्र के लोगों से माफी मांगेगी कांग्रेस.





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