Monday 10 November 2014

चेन्नई के पास बनेगी सर्न जैसी प्रयोगशाला

चेन्नई के पास बनेगी सर्न जैसी प्रयोगशाला

Published: Tue, 11 Nov 2014 12:49 AM
और जानें : India-based Neutrino Observatory | Pottipuram village | Theni | |

चेन्नई। ब्रह्मांड के मूल कणों के गुणों के अध्ययन की भारत की महत्वपूर्ण परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी का इंतजार है। 15 सौ करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत तमिलनाडु के मदुरै में जमीन से करीब सवा किलोमीटर अंदर प्रयोगशाला बनाकर अध्ययन किया जाएगा। यह हिग्स बोसोन (गॉड पार्टिकल्स) की खोज के लिए स्विट्जरलैंड में बनी सर्न प्रयोगशाला जैसी होगी।
इंडियन न्यूट्रिनो आब्जर्वेटरी (आईएनओ) परियोजना के प्रमुख नाबा के. मोंडल ने बताया कि तमिलनाडु की थेनी जिले के मदुरै में फेंसिंग, आवश्यक भवन निर्माण जैसे काम पूरे हो चुके हैं, लेकिन मुख्य परियोजना के पहले चरण के लिए पीएमओ की मंजूरी का इंतजार है।
मोंडल इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेंस की रविवार को संपन्न 80वीं सालाना बैठक में भाग लेने यहां आए थे। इसमें उन्होंने आईएनओ परियोजना पर शोध पत्र पढ़ा।
ब्रह्मांड के कणों का होगा अध्ययन
परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन इस परियोजना में थेनी जिले में मदुरै के निकट पोट्टिपुरम में जमीन में 1300 मीटर (सवा किमी) अंदर भूमिगत प्रयोगशाला में ब्रह्मांडीय कणों के गुणों का अध्ययन किया जाएगा। इससे न्यूट्रिनो के आकार-प्रकार का सूक्ष्म विश्लेषण किया जाएगा।
परियोजना के चरण
- पहले चरण में 83 करोड़ आवंटित कए गए थे। इससे परियोजना स्थल पर पूर्व तैयारियां की गई।
- दूसरे चरण में दो भूमिगत प्रयोगशाला बनाई जाएगी। इसमें करीब 1 किलोमीटर के चट्टानी क्षेत्र के नीचे डिटेक्टर्स और नियंत्रण उपकरण लगाए जाएंगे। इसमें आवाजाही के लिए पहाड़ के नीचे दो किमी लंबी सुरंग बनाई जाएगी।
आठ साल पिछड़ी परियोजना
मोंडल ने बताया कि परियोजना पहले स्थल चयन व पर्यावरणीय मंजूरी के लिए अटकी रही। कुल मिलाकर इसमें सात-आठ साल की देरी हो चुकी है। यदि यह पहले शुरू हो जाती तो अब तक काफी काम हो चुका होता।
शोध में सहभागी
आईएनओ परियोजना में देश के 30 से ज्यादा शोध संस्थान सहभागी हैं। इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज चेन्नई, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई, साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स कोलकाता, इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च कलपक्कम, हरिशचंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट इलाहाबाद तथा कुछ आईआईटी भी इसमें समन्वय कर रहे है।
क्या है परियोजना
भारत में स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला (आईएनओ) कण भौतिकी में शोध के लिए निर्मित विज्ञान परियोजना है। इसका उद्देश्य ब्रह्मांडीय न्यूट्रिनो का अध्ययन करना है। न्यूट्रिनो सृृष्टि के मूल कण होते हैं जिनका सूर्य, तारों एवं वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से निर्माण होता है।
सर्न के बाद बड़ा प्रयोग
पिछले साल स्विट्जरलैंड में नाभिकीय अनुसंधान के यूरोपीय संगठन (सर्न) द्वारा हिग्स बोसोन (गॉड पार्टिकल) की खोज के लिए किए गए प्रयोग के बाद यह दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट है। हालांकि सर्न के प्रयोग में खोजे गए हिग्स बोसोन को गॉड पार्टिकल मानने पर मतभेद उभर रहे हैं।

No comments:

Post a Comment