जासूसी कांड: माधुरी के साथ सामने आई नरेंद्र मोदी की तस्वीर!
| नई दिल्ली, 29 नवम्बर 2013 | अपडेटेड: 12:39 IST
वेबसाइट द्वारा जारी किए टेप के मुताबिक कथा कुछ इस प्रकार है. पूरे अगस्त और सितंबर 2009 में सिंघल और उनके सात मातहतों ने अहमदाबाद और भुज में काम करने वाली 35 वर्षीया आर्किटेक्ट 'माधुरी' सोनी (असली नाम नहीं) की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी. उसके पिता 63 वर्षीय प्राणलाल सोनी भुज के सराफ बाजार में कच्छ की सबसे नामी जेवरात की दुकान 'नरभेराम रामजी ज्वेलर्स' चलाते थे. उन्होंने 2001 के भूकंप के बाद सराफ बाजार के पुनर्निर्माण में तत्कालीन जिलाधिकारी प्रदीप शर्मा के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका निभाई थी. तीन साल बाद मोदी ने नए बाजार का उद्घाटन किया. सूत्रों के मुताबिक, सोनी के बेटों-38 वर्षीय चिंतन और 29 वर्षीय हरित ने 2008 में बंगलुरु में एक ऊर्जा बचत कंपनी इकोलिब्रियम एनर्जी खोली, जिसकी एक निदेशक माधुरी थी. इस कंपनी का गुजरात सरकार से करार था. प्राणलाल सोनी मोदी के करीबी थे. मोदी 2010 में केंसविला गोल्ड क्लब में अहमदाबाद के एक व्यापारी के साथ 'माधुरी' की शादी में भी पहुंचे थे.
टेप के मुताबिक, शाह ने सिंघल से प्रदीप शर्मा की जासूसी बढ़ाने को भी कहा, जो तब भावनगर के निगम आयुक्त बन गए थे. जासूसी में माधुरी का पीछा करने के अलावा उसके कॉल रिकॉर्ड को भी खंगालना था. करीब 62 दिनों तक सिंघल और उनकी टीम यह खबर रखती रही कि वह कहां गई, किससे मिली और क्यों. उसका पीछा पुलिसवाले कार और मोटर साइकिल से हवाई अड्डे, होटल, शॉपिंग मॉल, जिम हर जगह करते रहे. उसकी गतिविधियों का पता लगाने के लिए मोबाइल मेटाडाटा खंगाला गया. यानी वह कब कहां है, कितने कॉल उसे आए, किससे कितनी देर बात हुई, वगैरह. एक मौके पर तो एक पुलिसवाले को अहमदाबाद से मुंबई की उड़ान में साथ बिठाया गया.
मोदी की टीम इस जासूसी का दो तरह से बचाव करती है. वे कहते हैं कि सोनी और उनकी बेटी खुद जासूसी प्रकरण की जांच नहीं चाहते, फिर क्या समस्या है? उनका दूसरा बचाव है कि महिला के पिता अपनी बेटी की सुरक्षा चाहते थे और उनका मानना था कि वह पहले से विवाहित प्रदीप शर्मा के साथ 'नाजायज' रिश्ता बना रही है.
वेबसाइट ने एक बयान जारी कर कहा है, 'ये तस्वीरें महिला के पिता प्रेमलाल सोनी और बीजेपी की सफाई पर गंभीर सवाल उठाती हैं कि सोनी और मोदी पुराने परिचित हैं और सोनी ने ही मोदी को 2009 में अपनी बेटी का ध्यान रखने को कहा था. इन तस्वीरों से पता चलता है कि मोदी माधुरी को अवैध रूप से जासूसी करने से कम से कम पांच साल पहले से जानते थे. इससे यह भी साबित होता है कि प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में जो ऐफिडेविट दाखिल किया है कि माधुरी अक्टूबर 2005 में शरद उत्सव के दौरान मोदी से मिली थीं, सही है. शर्मा 2003 से 2005 के बीच कच्छ के जिलाधिकारी थे.'
आपको बता दें कि मोदी सरकार प्रदीप शर्मा को 2003 से 2010 के बीच कच्छ के कलेक्टर के रूप में जमीन सौदों के पांच मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर चुकी है. उन्हें 2010 में गिरफ्तार किया गया और साल भर बाद वे जमानत पर रिहा हुए. वे अब भी निलंबित हैं. अप्रैल 2011 में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में प्रदीप शर्मा ने कहा था कि उन्होंने ही माधुरी को मोदी से मिलवाया था. बाद में मोदी और माधुरी के बीच मैसेज और ई-मेल होने लगे. उन्होंने कहा है कि चूंकि वह दोनों के बीच निकटता के बारे में जानते थे इसलिए उन पर गबन के आरोप लगाए गए. शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से महिला की निगरानी की सीबीआई जांच कराने की मांग की है.
No comments:
Post a Comment