Tuesday, 5 November 2013

भारत का मंगल यान पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा

भारत का मंगल यान पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा

 मंगलवार, 5 नवंबर, 2013 को 15:28 IST तक के समाचार

मंगलयान
मंगलयान के साथ देश के 121 करोड़ लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं.
भारत के बहुप्रतीक्षित मंगलयान का आज़ दोपहर दो बजकर 38 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण कर दिया गया.
मंगलयान को पीएसएलवी-सी25 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उम्मीद जताई है कि 450 करोड़ रुपए के मंगलयान अभियान से मंगल के रहस्यों पर से पर्दा उठाने में मदद मिलेगी.

लांच होने के बाद यह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो जाएगा और इसके बाद इसके छह इंजन इससे अलग होकर इसे वहां से दो लाख पंद्रह हज़ार किलोमीटर के दूरतम बिंदु पर स्थापित कर देंगे. जहां यह लगभग 25 दिनों तक रहेगा. फिर एक अंतिम तौर पर मंगलयान को 30 नवंबर को अंतरग्रहीय प्रक्षेप वक्र में भेज दिया जाएगा.

मंगल की कक्षा में

उपग्रह को मंगल की कक्षा में जाने के लिए पहले पृथ्वी की कक्षा पार करनी होगी. इसके बाद यह एक दीर्घवृत्ताकार ट्रांसफ़र ऑर्बिट से गुज़रने के बाद मंगल की कक्षा में पहुंच जाएगा.
मंगलयान को अपने मुक़ाम तक पहुंचने के लिए क़रीब तीन सौ दिन का समय लगेगा.
यह उपग्रह मंगल ग्रह के 80 हज़ार किलोमीटर के दायरे में चक्कर काटेगा. भारत के इस मंगलयान में पाँच ख़ास उपकरण मौजूद हैं. इसमें मंगल के बेहद संवेदनशील वातावरण में जीवन की निशानी मीथेन गैस का पता लगाने वाले सेंसर, एक रंगीन कैमरा और मंगल की धरती पर खनिज संपदा का पता लगाने वाले उपकरण मौजूद हैं.
इसरो ने इस यान पर नियंत्रण के लिए बंगलौर के पास डीप स्पेस नेटवर्क स्टेशन बनाया है, जहां से इस यान पर नियंत्रण रखा जाएगा और आँकड़े हासिल किए जाएंगे.
साल 1960 से अब तक 45 मंगल अभियान शुरु किए जा चुके हैं. इसमें से एक तिहाई असफल रहे हैं. अब तक कोई भी देश अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हुआ है. हालांकि भारत का दावा है कि उसका मंगल अभियान पिछ्ली आधी सदी में ग्रहों से जुड़े सारे अभियानों में सबसे कम खर्चे वाला है. अगर भारत का मंगल मिशन कामयाब होता है तो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की यह एक बड़ी उपलब्धि होगी.


मंगल रवाना हुआ ISRO का यान, अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का नया चैप्टर


अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में भारत ने एक नया अध्याय लिख दिया है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से मंगलयान लॉन्च कर दिया गया. ऐसा करने वाला भारत तीसरा देश बन गया है.
मंगलवार को जैसे ही घड़ी की सुइयां दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर पहुंचीं, PSLV C-25 मार्स ऑर्बिटर नाम के उपग्रह को लेकर अंतरिक्ष रवाना हो गया. मंगल मिशन को 28 अक्टूबर को ही लॉन्च किया जाना था लेकिन खराब मौसम की वजह से वैज्ञानिकों ने लॉन्चिंग 5 नवंबर तक टाल दी थी.
मंगल मिशन भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन
मंगल मिशन भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन है यानी पहली बार किसी दूसरे ग्रह पर प्रयोग की शुरुआत कर रहा है भारत. मिशन के लिए PSLV-C25 का इस्तेमाल किया गया है यानी ये PSLV का 25वां मिशन है. PSLV-C25 की ऊंचाई 45 मीटर है. जिस उपग्रह को मंगल की कक्षा में स्थापित किया जाएगा उसका नाम है मार्स ऑर्बिटर. 1337 किलो वजन वाले मार्स ऑबिटर सैटेलाइट को लेकर PSLV- C-25 अंतरिक्ष में गया है. आज से 300 दिन बाद यानी सितबंर 2014 में इसे मंगल की कक्षा में स्थापित किया जाएगा और फिर शुरू होगी मंगल की अबूझ पहेलियों को जानने की कोशिश.
कैसा होगा मंगल तक मंगलयान का सफर?
मंगलयान 3 चरणों में मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा. पहले चरण में मंगलयान 4 हफ्ते तक धरती का चक्कर लगाएगा. इस दौरान मंगलयान धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा से दूर होता जाएगा और फिर मंगलयान का सातवां इंजन इसे मंगल की ओर धकेल देगा. दूसरे चरण में मंगलयान पृथ्वी की कक्षा से बाहर हो जाएगा. तीसरे चरण में 21 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा मंगलयान. और फिर इसमें लगी मशीनें मंगल के बारे में जानकारियां भेजने लगेंगी.
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत ने लिखा इतिहास
मंगल मिशन के लॉन्च होते ही भारत गिने चुने देशों की कतार में आ खड़ा हो गया. भारत से पहले अमेरिका और रूस भी मंगल के लिए यान भेज चुके हैं. 1960 में रूस ने पहली बार इसके लिए कोशिश की थी और आज अमेरिकी यान मंगल की सतह पर पहुंचकर लाल ग्रह के रहस्यों को बेपर्दा कर रहे हैं. लाल ग्रह के सैकड़ों-हजारों रहस्यों को जानने के लिए दुनिया बरसों से कोशिश करती आ रही है, जिसका इतिहास 1960 तक पीछे जाता है. जब रूस ने दुनिया के पहले मिशन मंगल का आगाज किया, जिसे नाम दिया गया कोराब्ल 4. हालांकि यह मिशन फेल हो गया.
- 1965 में अमेरिका के स्पेसक्राफ्ट मैरिनर 4 ने पहली बार मंगल की तस्वीर धरती पर भेजी और मंगल के लिए ये पहला सफल मिशन साबित हुआ.
- पहली बार 1971 में सोवियत संघ का ऑर्बाइटर लैंडर मार्स 3 यान मंगल पर उतरा.
- 1996 में अमेरिका ने मार्स ग्लोबल सर्वेयर स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जो अपने रोबोटिक रोवर के साथ मंगल की सतह पर उतरा.
- 2004 में अमेरिका ने फिर अपने दो रोवरयान स्पिरिट और ऑपरच्यूनिटी को मंगल की सतह पर उतारा.
- 26 नवंबर 2011 में अमेरिका ने क्यूरियोसिटी रोवर को ल़ॉन्च किया, जिसकी 6 अगस्त 2012 में मंगल की सतह पर सफल लैंडिंग हुई.

जब मार्स ऑरबिटर मंगल की कक्षा में घूमना शुरू करेगा तो भारत अंतरिक्ष विज्ञान की चुनौतियों समेत मंगल ग्रह के बारे में ढेरों जानकारियां हासिल होंगी. शायद हमें पता चल पाएगा कि क्या मंगल पर मीथेन गैस है, क्या इस ग्रह के गर्भ में खनिज छिपे हैं, क्या यहां बैक्टीरिया का भी वास है और क्या यहां जिंदगी की संभावनाएं भी हैं. अगर भारत का मार्स ऑर्बाइटर मिशन यानी मंगलयान अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब रहता है तो फिर अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की दुनिया में हिंदुस्तान निश्चित रूप से एक नया मुकाम हासिल कर लेगा.

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