आसान नहीं होगा मंगलयान का सफर,इसरो अब आगे आने वाली दो अहम तारीखों का इंतजार कर रहा है
भारत ने मंगल ग्रह के लिए अपने उपग्रह का सफल
प्रक्षेपण करने में कामयाबी हासिल कर ली है, लेकिन उसकी अंतर ग्रह यात्रा
की यह शुरुआत भर है। आगे उसकी यह यात्रा काफी लंबी और जटिल होगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो अब आगे आने वाली दो अहम तारीखों का इंतजार कर रहा है। पहली तारीख है 1 दिसंबर। इस दिन मंगलयान पृथ्वी का प्रभाव क्षेत्र छोड़ देगा।
दूसरी तारीख है, 2014 की 24 सितंबर। इस दिन मंगल की कक्षा इसे अपने दायरे में खींच लेगी। इसरो ने 1 दिसंबर को ट्रांस-मार्स इंजेक्शन देने का फैसला किया है। इससे मंगलयान, लाल ग्रह (मंगल) की लंबी यात्रा पर निकल पड़ेगा। इससे पहले यह 25 दिनों तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा।
इंजेक्शन को बेहद सटीक होना होगा क्योंकि यही तय करेगा कि मंगलयान 24 सितंबर, 2014 को मंगल के गिर्द निर्धारित कक्षा से ( 366 किलोमीटर गुणा 80,000 किलोमीटर) 50 किलोमीटर आगे या पीछे, कहां होगा।
जैसे-जैसे उपग्रह मंगल की कक्षा की ओर बढ़ेगा इसरो वेग में कमी करना शुरू करेगा। इससे मंगल की कक्षा मंगलयान को खुद में जज्ब कर लेगी, अगर वेग ज्यादा रहा तो मंगलयान, मंगल को पार कर जाएगा।
इसरो के चेयरमैन के. राधाकृष्णन ने इस मिशन की पेचीदगियों के बारे में बताते हुए कहा, इस तरह के दुरुह और जटिल मिशन में जिस दिन आप आगे बढ़ते हैं वह आपकी तरक्की मानी जाएगी। पृथ्वी से मंगल तक की यात्रा 300 दिनों की है। इसरो ने आपात स्थिति से निपटने के लिए खुद-ब-खुद काम करने वाले फीचर जोड़े हैं।
मंगलयान के मंगल की ओर बढ़ने के समय पृथ्वी से इसकी दूरी को देखते हुए कोई भी संदेश 20 मिनट देरी से मिलेगा। इसका मतलब यह कि जब पृथ्वी से सिगनल भेजा जाएगा तो यह उपग्रह तक पहुंचने में 20 मिनट लेगा। यानी दूसरी ओर से भी सिगनल पहुंचने में भी 20 मिनट लगेगा।
इस तरह एक संदेश पूरा होने में 40 मिनट का समय लगेगा। इस क्रम में एक समय ऐसा आएगा, जब आप इस बात से अनजान होंगे कि आखिर उपग्रह के साथ क्या हो रहा है। ऐसी स्थिति में उपग्रह के स्वायत्त सिस्टम काम करने लगेंगे। जब तक पृथ्वी से संदेश पहुंचेगा तब तक वह खुद फैसला लेकर काम करता रहेगा।
किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में यह उपग्रह अतिरिक्त सिस्टम में स्विच हो जाएगा और सेफ मोड में चला जाएगा। ऐसी स्थिति में इसका एंटीना पृथ्वी की ओर और सोलर पैनल सूरज की ओर मुड़ जाएगा ताकि यह भरपूर ऊर्जा हासिल कर सके।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो अब आगे आने वाली दो अहम तारीखों का इंतजार कर रहा है। पहली तारीख है 1 दिसंबर। इस दिन मंगलयान पृथ्वी का प्रभाव क्षेत्र छोड़ देगा।
दूसरी तारीख है, 2014 की 24 सितंबर। इस दिन मंगल की कक्षा इसे अपने दायरे में खींच लेगी। इसरो ने 1 दिसंबर को ट्रांस-मार्स इंजेक्शन देने का फैसला किया है। इससे मंगलयान, लाल ग्रह (मंगल) की लंबी यात्रा पर निकल पड़ेगा। इससे पहले यह 25 दिनों तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा।
इंजेक्शन को बेहद सटीक होना होगा क्योंकि यही तय करेगा कि मंगलयान 24 सितंबर, 2014 को मंगल के गिर्द निर्धारित कक्षा से ( 366 किलोमीटर गुणा 80,000 किलोमीटर) 50 किलोमीटर आगे या पीछे, कहां होगा।
जैसे-जैसे उपग्रह मंगल की कक्षा की ओर बढ़ेगा इसरो वेग में कमी करना शुरू करेगा। इससे मंगल की कक्षा मंगलयान को खुद में जज्ब कर लेगी, अगर वेग ज्यादा रहा तो मंगलयान, मंगल को पार कर जाएगा।
इसरो के चेयरमैन के. राधाकृष्णन ने इस मिशन की पेचीदगियों के बारे में बताते हुए कहा, इस तरह के दुरुह और जटिल मिशन में जिस दिन आप आगे बढ़ते हैं वह आपकी तरक्की मानी जाएगी। पृथ्वी से मंगल तक की यात्रा 300 दिनों की है। इसरो ने आपात स्थिति से निपटने के लिए खुद-ब-खुद काम करने वाले फीचर जोड़े हैं।
मंगलयान के मंगल की ओर बढ़ने के समय पृथ्वी से इसकी दूरी को देखते हुए कोई भी संदेश 20 मिनट देरी से मिलेगा। इसका मतलब यह कि जब पृथ्वी से सिगनल भेजा जाएगा तो यह उपग्रह तक पहुंचने में 20 मिनट लेगा। यानी दूसरी ओर से भी सिगनल पहुंचने में भी 20 मिनट लगेगा।
इस तरह एक संदेश पूरा होने में 40 मिनट का समय लगेगा। इस क्रम में एक समय ऐसा आएगा, जब आप इस बात से अनजान होंगे कि आखिर उपग्रह के साथ क्या हो रहा है। ऐसी स्थिति में उपग्रह के स्वायत्त सिस्टम काम करने लगेंगे। जब तक पृथ्वी से संदेश पहुंचेगा तब तक वह खुद फैसला लेकर काम करता रहेगा।
किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में यह उपग्रह अतिरिक्त सिस्टम में स्विच हो जाएगा और सेफ मोड में चला जाएगा। ऐसी स्थिति में इसका एंटीना पृथ्वी की ओर और सोलर पैनल सूरज की ओर मुड़ जाएगा ताकि यह भरपूर ऊर्जा हासिल कर सके।
No comments:
Post a Comment