Tuesday, 19 August 2014

गिलानी की केंद्र को चुनौती, बोले- पाकिस्‍तानी राजनयिक से मिलूंगा, सरकार चाहे तो गिरफ्तार करे | पाक उच्चायुक्त से भेंट का सिलसिला जारी | कश्मीरी नेताओं से मुलाक़ात पर स्पष्टीकरण | पाकिस्तान से नहीं होगी बातचीत: भारत

गिलानी की केंद्र को चुनौती, बोले- पाकिस्‍तानी राजनयिक से मिलूंगा, सरकार चाहे तो गिरफ्तार करे  | पाक उच्चायुक्त से भेंट का सिलसिला जारी  | कश्मीरी नेताओं से मुलाक़ात पर स्पष्टीकरण  | पाकिस्तान से नहीं होगी बातचीत: भारत

Aug 19, 2014, 12:34PM IST

गिलानी की केंद्र को चुनौती, बोले- पाकिस्‍तानी राजनयिक से मिलूंगा, सरकार चाहे तो गिरफ्तार करे




फोटो: अलगाववादी नेता शब्बीर शाह (बाएं) से मुलाकात करते अब्दुल बासित। 
नई दिल्ली. कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से पाकिस्तानी हाई कमिश्नर की मुलाकात से नाराज भारत ने भले ही सचिव स्तर की बातचीत रद्द कर दी हो, लेकिन पाकिस्तान और अलगाववादियों का रवैया बदलता नहीं दिख रहा है। मोदी सरकार के कड़े रुख के बावजूद कश्मीर के अलगाववादी नेता मंगलवार को पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित से मुलाकात का सिलसिला जारी रखने पर अड़े हुए हैं। कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुख और सैयद अली शाह गिलानी मंगलवार को अब्दुल बासित से मुलाकात करेंगे। गिलानी की अब्दुल बासित से दोपहर 3 बजे मुलाकात होनी है। गिलानी नई दिल्ली के लिए श्रीनगर से रवाना भी हो चुके हैं। पाकिस्तानी हाई कमिश्नर से मुलाकात पर अड़े गिलानी ने कहा, 'सचिव स्तर की बातचीत रद्द होने के बावजूद हम नई दिल्ली जाएंगे और पाकिस्तानी हाई कमिश्नर से मिलेंगे। सरकार चाहे तो मुझे गिरफ्तार कर सकती है।' गिलानी ने यह भी कहा है कि भारत कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण हल नहीं चाहता है। 
गृह मंत्रालय में बैठक 
कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की पाकिस्तान के हाई कमिश्नर अब्दुल बासित से मुलाकात को लेकर भारत सरकार चौकन्नी हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में गृह मंत्रालय में एक बैठक हो रही है। बैठक में अलगाववादियों की बासित से मुलाकात, कश्मीर में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चा की संभावना जताई गई है। 
भारत के एतराज के बावजूद अलगाववादियों से भेंट
सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार से कहा था कि पाकिस्‍तान के हाई कमिश्‍नर कश्मीर के अलगाववादियों से न मिलें। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने भारत के एतराज को दरकिनार करते हुए कश्मीर के अलगाववादियों से मुलाकात की थी। कश्‍मीरी अलगाववादी नेता शब्‍बीर शाह ने अपनी मुलाकात को सही ठहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को इस मुलाकात को लेकर सकारात्‍मक रवैया अपनाना चाहिए। साबिर शाह ने कहा कि यह मामला उन लोगों से जुड़ा हआ है, ऐसे में उनसे बातचीत नहीं की जाएगी तो किससे की जाएगी? शब्‍बीर के मुताबिक, इस मुलाकात में कोई बुराई नहीं है। भारत सरकार ने शब्बीर और बासित की मुलाकात को पाकिस्‍तान का नकारात्‍मक रवैया और भारत के मामले में गैरजरूरी दखलंदाजी बताया। सरकार ने पाकिस्‍तान के खिलाफ पहला बड़ा फैसला करते हुए भारत की विदेश सचिव सुजाता सिंह और पाकि‍स्‍तान के विदेश सचिव के बीच 25 अगस्त की बैठक रद्द करने की घोषणा कर दी। 
पाकिस्तान ने कहा, कोशिशों को लगा झटका 
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि विदेश सचिव स्तर की बातचीत रद्द करने से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को झटका लगा है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के बीच किसी भी बातचीत से पहले कश्मीरी अलगाववादी नेताओं से पाकिस्तान की बातचीत स्थापित परंपरा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, 'भारत सरकार के फैसले से हमारे नेतृत्व की उन कोशिशों को झटका लगा है जिसके तहत भारत के साथ एक अच्छे पड़ोसी जैसे संबंधों को बढ़ावा दिया जा रहा था।'

गिलानी की केंद्र को चुनौती, बोले- पाकिस्‍तानी राजनयिक से मिलूंगा, चाहो तो गिरफ्तार करो

फोटो: हिंदू सेना के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया। 
बातचीत रद्द करने के फैसले के पीछे तीन संभावित कारण 
पहला कारण
नरेंद्र मोदी सरकार अपनी कड़े फैसले लेने वाली छवि से कोई समझौता करती नहीं दिखना चाहती। अलगाववादियों की पाकिस्तानी हुक्मरानों से मुलाकातों या आतंकवाद के बीच पाकिस्तान से बातचीत की कोशिशों का पहले तीखा विरोध होता आया है। ऐसे में, मोदी सरकार इस मामले में किसी भी तरह ढीली नजर नहीं आना चाहती। 
दूसरा कारण  
सीमा पर सीजफायर का लगातार उल्लंघन भी भारत सरकार के फैसले के पीछे अहम कारण हो सकता है। बीते 10 दिनों में जम्मू में पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा और इंटरनेशनल बॉर्डर पर 11 बार सीजफायर तोड़ा गया है। पीएमओ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ऐसे समय में जब पाकिस्तान भारत में आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा दे रहा है, भारत सरकार उसके साथ अच्छे रिश्ते बनाते हुए नहीं दिखना चाहती है। 
तीसरा कारण 
पाकिस्तान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने नवाज शरीफ सरकार को कुछ हद तक कमजोर किया है। इमरान खान और तहीर उल कादरी शरीफ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। शरीफ की विपक्ष के नेताओं से बातचीत से कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना शरीफ के खिलाफ प्रदर्शन को हवा दे रही है और कुछ लोग तख्तापलट की भी आशंका जता रहे हैं। ऐसे में, पाकिस्तान सरकार की कमजोर छवि बनी है। ऐसी परिस्थिति में शायद भारत सरकार को लगता है कि ऐसी कमजोर सरकार से बातचीत का कोई फायदा नहीं है।
गिलानी की केंद्र को चुनौती, बोले- पाकिस्‍तानी राजनयिक से मिलूंगा, चाहो तो गिरफ्तार करो

फाइल फोटो: इसी साल मई में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में मुलाकात करते मोदी और नवाज शरीफ। 
बातचीत रद्द करने का संभावित नतीजा

- भारत की ओर से विदेश सचिव स्तर की बातचीत रद्द करने के फैसले के बाद पाकिस्तान के साथ भारत का रिश्ता 2008 के दौर में पहुंच गया है। मुंबई हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत न करने का फैसला किया था।  
- जानकारों के मुताबिक, बातचीत खत्म करने के फैसले से भारत और पाकिस्तान के बीच 2005 से शुरू हुई गुप्त बातचीत (कंपोजिट डायलॉग का अहम हिस्सा) का दौर भी बंद हो जाएगा।  

- मोदी सरकार के फैसले से पाकिस्तान और अलगाववादियों को कड़ा संदेश मिला है। बातचीत रद्द करने के फैसले से पाकिस्तान पर अलगाववादियों से बात न करने और सीजफायर रोकने के लिए दबाव बढ़ेगा। 
- मोदी सरकार के फैसले से पाकिस्तान की उस रणनीति पर भी दबाव बनेगा, जिसके तहत वहां की सरकार शांति और बातचीत की बात करती थी और पर्दे के पीछे से वहां की सेना आतंकवाद और सीमा पर गोलीबारी को बढ़ावा देती थी। 
- भारत के रुख से पाकिस्तान पर यह दबाव भी बनेगा कि वह कश्मीर के अलावा अन्य मुद्दों को भी तरजीह दे।      
क्या कहते हैं जानकार
"भारत ने बातचीत रद्द कर अच्छा फैसला लिया है। मैं तो कहता हूं कि अलगाववादियों से बातचीत करने वाले पाकिस्तानी हाई कमिश्नर को भी वापस उनके देश भेज दिया जाना चाहिए। हमें पाकिस्तान के बिना जीना सीखना चाहिए।"
-माहरूफ रजा, डिफेंस एक्सपर्ट  

"पाकिस्तान को जैसे को तैसा की तर्ज पर जवाब देना चाहिए। पाकिस्तान में भारत के हाई कमिश्नर को बलूचिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर के शिया नेताओं से मुलाकात करनी चाहिए।" 
-जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी, डिफेंस एक्सपर्ट
"भारत सरकार का यह थोड़ा जल्दबाजी में लिया गया फैसला लगता है। लेकिन यह जरूरी था।"
केसी सिंह, पूर्व राजनयिक  

क्या कहता विदेशी मीडिया 
"बातचीत रद्द करना राजनयिक रिश्तों में एक बड़ा कदम पीछे खींच लेने जैसा है। दोनों देशों के रिश्तों को उस वक्त मजबूती मिली थी, जब मई में मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह में अन्य दक्षिण एशियाई देशों के साथ दिल्ली आमंत्रित किया था।"  
-पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी रिपोर्ट।  

"कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के साथ बात न करने की भारत की हिदायत को नजरअंदाज करने पर भारत ने पाकिस्तान के साथ सचिव स्तर की बातचीत को रद्द कर दिया है। भारत की तरफ से हुई इस घोषणा ने दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावनाओं को धूमिल कर दिया है। भारत में इससे पहले की सरकारें पाकिस्तान सरकार और कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के बीच बातचीत को बर्दाश्त करती रही हैं, लेकिन मोदी ने संकेत दिया है कि वे ऐसा नहीं करेंगे।"
-अमेरिका के मशहूर अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट।  

पाक उच्चायुक्त से भेंट का सिलसिला जारी

पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत रद्द करने के भारत सरकार के फ़ैसले से अलगाववादियों समेत कश्मीर घाटी के ज़्यादातर लोग निराश हैं.
भारत-पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की द्विपक्षीय बातचीत 25 अगस्त को प्रस्तावित थी. अलगाववादी नेताओं ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त और शब्बीर शाह की मुलाक़ात के बाद लिए गए भारत सरकार के फ़ैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया है.
हालांकि अलगाववादी नेताओं का पाकिस्तानी उच्चायुक्त से मिलने का सिलसिला जारी है. कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज़ उमर फ़ारुक़ मंगलवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित से मिल रहे हैं.
बुधवार को उच्चायुक्त और मोहम्मद यासीन मलिक के मुलाकात का कार्यक्रम है.

घाटी में निराशा

मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने कहा कि अलगाववादी नेताओं की पाकिस्तानी उच्चायुक्त के साथ मुलाक़ात में कोई नुक़सान नहीं है. उन्होंने कहा, "हमने सिर्फ़ अपने विचार रखे और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है."
मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़
जेकेएलएफ के प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक ने भी कहा कि अलगाववादी नेताओं की पाक अधिकारियों से मुलाक़ात में कुछ भी नया नहीं है.
हुर्रियत के उग्र धड़े के प्रमुख सैयद अली गिलानी ने भी निराशा जताई है और कहा कि भारत की प्रतिक्रिया 'ग़ैरज़रूरी और अपरिपक्व' है.
राजनीतिक विश्लेषक और उर्दू दैनिक चट्टान के संपादक ताहिर मोहिउद्दीन का मानना है कि भाजपा सरकार ने यह 'निराशाजनक' निर्णय विपक्षी पार्टी कांग्रेस के दबाव में लिया है.
मोहिउद्दीन ने कहा, "बातचीत रद्द करने का निर्णय निराशाजनक है. भाजपा सरकार को प्रस्तावित बैठक के साथ आगे बढ़ना चाहिए था. लेकिन वे कांग्रेस के दबाव के आगे झुक गए और पड़ोसी देश के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने का मौका गंवा दिया."

पहले भी मुलाक़ातें

एक अन्य उर्दू दैनिक युक़ाब के संपादक मंज़ूर अंजुम कहते हैं, "ऐसी मुलाक़ातें कई साल से होती रही हैं. अप्रैल 2005 में भी ये अलगाववादी नेता नई दिल्ली में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ से मिले थे."
महबूबा मुफ़्ती
राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी ने भी इस फ़ैसले पर निराशा जताई है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा, "सवाल ये नहीं है कि आप इसकी निंदा करते हैं या नहीं. हमारा ये मानना है कि जब ऐसी मुलाक़ातें पहले भी होती रही हैं तो अब इस पर सवाल क्यों उठाया जा रहा है?"
उन्होंने सवाल किया कि भाजपा कश्मीर पर वाजपेयी की नीतियों को आगे बढ़ाने का दावा करती है तो फिर ऐसा कदम क्यों उठाया गया.
उधर, पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि यह कदम बेहद 'नकारात्मक' है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में नवाज़ शरीफ़ को न्यौता देकर जो माहौल बनाया गया था, वो बिगड़ गया है.

पाकिस्तान से नहीं होगी बातचीत: भारत

अब्दुल बासित
पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को बातचीत का न्यौता दिया है.
भारत ने पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत रद्द कर दी है. ये बातचीत 25 अगस्त को होने वाली थी.
भारत ने ऐसा पाकिस्तानी उच्चायुक्त के भारत में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाक़ात के फ़ैसले के विरोध में किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया, "ये दिखाता है कि पाकिस्तान किस तरह भारत के अंदरूनी मामलों में लगातार दख़ल दे रहा है. भारतीय विदेश सचिव ने आज पाकिस्तान के उच्चायुक्त को बता दिया है कि भारत के अंदरूनी मामलों में पाकिस्तान का दख़ल अस्वीकार्य है."
प्रवक्ता के मुताबिक़, "ये भी बताया गया है कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त की हुर्रियत के कथित नेताओं से मुलाक़ात भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की सकारात्मक कूटनीतिक पहल के मुताबिक़ नहीं है. पाकिस्तान के पास एक ही रास्ता है कि वह द्विपक्षीय मसले शांतिपूर्ण वार्ता और शिमला समझौता के साथ ही लाहौर घोषणा पत्र के मुताबिक़ हल करे."
अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट के नेता यासीन मलिक ने बीबीसी की अनुभा रोहतगी से कहा, "नरेंद्र मोदी ने इस फ़ैसले से साफ कर दिया है कि वो कश्मीर मसले को बातचीत से सुलझाने के मूड में कतई नहीं हैं. कश्मीरी लोगों की जो उम्मीदें थीं उन्होंने उस पर पानी फेर दिया है."

'छद्म युद्ध'

उन्होंने बताया, "मौजूदा हालात में ये लगा कि भारतीय विदेश सचिव के इस्लामाबाद जाने से कुछ भी हासिल नहीं होगा. इसलिए भारतीय विदेश सचिव सुजाता सिंह की 25 अगस्त को इस्लामाबाद में होने वाली वार्ता रद्द कर दी गई है."
नरेंद्र मोदी
इससे पहले सोमवार को पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने अलगाववादी नेता शब्बीर शाह से मुलाक़ात की.
मंगलवार को भी उनकी सैयद अली शाह गिलानी समेत कुछ और नेताओं से मुलाक़ात की योजना है.
इस मुलाक़ात के विरोध में एक हिंदू संगठन ने दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने प्रदर्शन किया था.
पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान पर 'छद्म युद्ध' करने का आरोप लगाया था.
सैयद अली शाह गीलानी
इधर शब्बीर शाह ने मीडिया से कहा, "दोनों देशों के बीच बातचीत से कश्मीर मसला हल नहीं होगा. बातचीत में कश्मीर की जनता को शामिल करना ही होगा."
अब तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट के यासिन मलिक पाकिस्तानी उच्चायुक्त से मिलेंगे या नहीं.

कश्मीरी नेताओं से मुलाक़ात पर स्पष्टीकरण

नवाज़ शरीफ़
एक सप्ताह बाद भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली विदेश सचिवों की बैठक रद्द होने के बाद पाकिस्तान ने कहा है कि कश्मीरी नेताओं से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाक़ात में कुछ भी नया नहीं है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक क्लिक करें प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है, ''भारत के विदेश मंत्रालय ने भारत में मौजूद हमारे उच्चायुक्त को बैठक रद्द किए जाने की सूचना दी है. इसमें कश्मीरी नेताओं के साथ उच्चायुक्त की मुलाक़ात पर आपत्ति जताई गई है.''
विज्ञप्ति के अनुसार, ''पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत से पहले कश्मीरी नेताओं के साथ बैठक करने की लंबे समय से परंपरा रही है, ताकि कश्मीर मुद्दे पर अर्थपूर्ण बातचीत की राह बनाई जा सके.''
इसमें कहा गया है, ''भारत के फैसले से, बेहतर पड़ोसी रिश्ते बनाने की हमारे नेतृत्व की कोशिशों को झटका लगा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से शांति और विकास का विज़न पेश किया था. और इसी कारण उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री का न्यौता स्वीकार किया था. दोनों प्रधानमंत्रियों की सहमति के बाद ही विदेशी सचिवों की बैठक तय की गई थी.''


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