Beef Ban India : 10 राज्यों में क़ानूनन होती है गो-हत्या
India की 80%+ आबादी Hindu है जिनमें ज़्यादातर लोग गाय को पूजते हैं. लेकिन दुनियाभर में ‘Beef’ का सबसे ज़्यादा निर्यात करने वाले देशों में भारत
30 March 2015
भारत
के 29 में से 10 राज्य ऐसे हैं जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस को
काटने और उनका गोश्त खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. बाक़ि 18 राज्यों में
गो-हत्या पर पूरी या आंशिक रोक है.
भारत की 80 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी हिंदू है जिनमें ज़्यादातर लोग गाय को पूजते हैं. लेकिन ये भी सच है कि दुनियाभर में ‘बीफ़’ का सबसे ज़्यादा निर्यात करनेवाले देशों में से एक भारत है.दरअसल ‘बीफ़’, बकरे, मुर्ग़े और मछली के गोश्त से सस्ता होता है. इसी वजह से ये ग़रीब तबक़ों में रोज़ के भोजन का हिस्सा है, ख़ास तौर पर कई मुस्लिम, ईसाई, दलित और आदिवासी जनजातियों के बीच.
इसी महीने हरियाणा और महाराष्ट्र के गो-हत्या विरोधी क़ानून कड़े करने पर ‘बीफ़’ पर बहस फिर गरमा गई. यहां तक की भारत में ‘बैन’ की संस्कृति पर कई पैरोडी गाने भी बनाए गए.
इसीलिए ‘बीफ़’ की ख़रीद-फ़रोख़्त के अर्थव्यवस्था पर असर, उसके स्वास्थ्य से जुड़े फ़ायदे, गो-हत्या पर रोक की मांग करनेवालों की राय, रोक पर राजनीति और उसके इतिहास पर विशेष रिपोर्ट्स .
गो-हत्या पर कोई केंद्रीय क़ानून नहीं है पर अलग राज्यों में अलग-अलग स्तर की रोक दशकों से लागू है. तो सबसे पहले ये जान लें कि देश के किन हिस्सों में ‘बीफ़’ परोसा जा सकता है.
पूरा प्रतिबंध
गो-हत्या पर पूरे प्रतिबंध के मायने हैं कि गाय, बछड़ा, बैल और सांड की हत्या पर रोक.ये रोक 11 राज्यों – भारत प्रशासित कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महराष्ट्र, छत्तीसगढ़, और दो केन्द्र प्रशासित राज्यों - दिल्ली, चंडीगढ़ में लागू है.
गो-हत्या क़ानून के उल्लंघन पर सबसे कड़ी सज़ा भी इन्हीं राज्यों में तय की गई है. हरियाणा में सबसे ज़्यादा एक लाख रुपए का जुर्माना और 10 साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है.
वहीं महाराष्ट्र में गो-हत्या पर 10,000 रुपए का जुर्माना और पांच साल की जेल की सज़ा है.
हालांकि छत्तीसगढ़ के अलावा इन सभी राज्यों में भैंस के काटे जाने पर कोई रोक नहीं है.
आंशिक प्रतिबंध
गो-हत्या पर पूरे प्रतिबंध के मायने हैं कि गाय और बछड़े की हत्या पर पूरा प्रतिबंध लेकिन बैल, सांड और भैंस को काटने और खाने की इजाज़त है.इसके लिए ज़रूरी है कि पशू को ‘फ़िट फ़ॉर स्लॉटर सर्टिफ़िकेट’ मिला हो. सर्टिफ़िकेट पशु की उम्र, काम करने की क्षमता और बच्चे पैदा करने की क्षमता देखकर दिया जाता है.
इन सभी राज्यों में सज़ा और जुर्माने पर रुख़ भी कुछ नरम है. जेल की सज़ा छह महीने से दो साल के बीच है जबकि जुर्माने की अधितकम रक़म सिर्फ़ 1,000 रुपए है.
आंशिक प्रतिबंध आठ राज्यों – बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा और चार केंद्र शासित राज्यों – दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, पांडिचेरी, अंडमान ओर निकोबार द्वीप समूह में लागू है.
कोई प्रतिबंध नहीं
दस राज्यों - केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में गो-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.यहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस का मांस खुले तौर पर बाज़ार में बिकता है और खाया जाता है.
आठ राज्यों और लक्षद्वीप में तो गो-हत्या पर किसी तरह को कोई क़ानून ही नहीं है. असम और पश्चिम बंगाल में जो क़ानून है उसके तहत उन्हीं पशुओं को काटा जा सकता है जिन्हें ‘फ़िट फॉर स्लॉटर सर्टिफ़िकेट’ मिला हो.
ये उन्हीं पशुओं को दिया जा सकता है जिनकी उम्र 14 साल से ज़्यादा हो, या जो प्रजनन या काम करने के क़ाबिल ना रहे हों.
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक़ इनमें से कई राज्यों में आदिवासी जनजातियों की तादाद 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा है. इनमें से कई प्रदेशों में ईसाई धर्म मानने वालों की संख्या भी अधिक है.
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