Monday 13 April 2015

#NetNeutrality #TRI #FreeTheNet: अब मोबाइल पर धीमी खुलेगी वेबसाइट क्‍योंकि... #MOBILE #INTERNET

#NetNeutrality #TRI #FreeTheNet: अब मोबाइल पर धीमी खुलेगी वेबसाइट क्‍योंकि... 

April 14, 2015



नई दिल्ली - मोबाइल इंटरनेट के ज़रिए आप जिस वेबसाइट को देखना चाहते हैं, देख सकते हैं। आगे ऐसा होगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। हम यह इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मोबाइल कंपनियों अब वही वेबसाइट दिखाएंगी, जिन्होंने इसके लिए पैसे दिए हैं। बाक़ी की साइट्स आपके मोबाइल पर आएगी ज़रुर, लेकिन धीमी और ज्यादा कीमत चुकाने के बाद। इसके ख़िलाफ़ आजकल एक अभियान चल रहा है, जिसके बारे में जानना ज़रुरी है।

करोड़ों लोग इस विज्ञापन से अनजान होंगे लेकिन एक लड़ाई लड़ी जा रही है, उन लोगों के लिए जिनके हाथों में स्मार्ट फ़ोन होता है और वो मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। मौजूदा व्यवस्था में आम आदमी अपने मोबाइल पर कोई भी इंटरनेट साइट ओपन कर सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि साइट देसी है या विदेशी। जिस हिसाब से कस्टमर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, उस हिसाब से उतना डेटा या पैसे ख़र्च होते हैं। नेट न्यूट्रिलिटी शब्द अचानक सुर्खियों में तब आया जब पिछले महीने ट्राई ने उपभोक्ताओं और कंपनियों से इंटरनेट ऐप और सेवाओं पर सुझाव मांगे। ये सुझाव इन सेवाओं के नियमन यानी रेग्यूलेशन के लिए मंगाए गए।

इस पहल के बाद अब तक क़रीब 1 लाख लोग ट्राई को सुझाव भेज चुके हैं और ये सिलसिला जारी है। इसी बीच एयरटेल ने एयरटेल ज़ीरो नाम से प्लान का ऐलान कर दिया। एयरटेल के इस प्लेटफॉर्म पर चुनिंदा ऐप और सेवाएं मुफ्त में मिलेंगी। एयरटेल ने ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी फ्लिपकार्ट के साथ समझौता किया है। अगर आप एयरटेल ज़ीरो की सेवा लेंगे तो आपको फ्लिटकार्ट के लिए डेटा ख़र्च नहीं करना पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ एयरटेल ने ही ये क़दम उठाया है, बाक़ी टेलीकॉम कंपनियां भी अलग-अलग तरीक़े से फेसबुक, व्हाट्स ऐप और ट्वीटर जैसी सेवाएं डाटा प्लान के साथ मुफ्त में दे रही हैं लेकिन नेट न्यूट्रिलिटी के लिए अभियान चला रहे लोग चाहते हैं कि मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के लिए हर वेबसाइट एक समान हो यानी अलग-अलग वेबसाइट के लिए अलग-अलग चार्ज न हो। कस्टमर की पहुंच हर वेबसाइट पर हो न कि चुनिंदा वेबसाइट तक।

नेट न्यूट्रिलिटी नहीं होने से क़रार नहीं करने वाली कंपनियों के साथ टेलीकॉम कंपनियां मनमानी कर सकती हैं। मसलन क़रार नहीं करने वाली कंपनियों की सर्फिंग स्पीड कम हो सकती है या फिर कस्टमर को उसे देखने के लिए ज़्यादा पैसे चुकाने पड़ सकते हैं। वहीं टेलीकॉम कंपनियों की दलील है कि ऐसी सेवाओं से उपभोक्ताओं को फ़ायदा होगा। कस्टमर को चुनिंदा सेवाएं न सिर्फ़ मुफ्त मिलेंगी बल्कि उनकी सर्फिंग स्पीड भी ज़्यादा होगा। इसके अलावा कंपनियों की दलील है कि भारत के 80 फीसदी उपभोक्ता प्रीपेड कस्टमर हैं और ज़्यादातर ग्रामीण इलाक़ों में रहते हैं, ऐसे में कंपनियों से क़रार करने से उनके राजस्व भी हासिल हो रहा है। इस बीच नेट न्यूट्रिलिटी के समर्थकों की बढ़ती तादाद के बीच टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया है कि हमारी सरकार इंटरनेट को नागरिकों के सशक्तिकरण का माध्यम मानती है। टेलीकॉम विभाग ने #NetNeutrality के मसले को देखने के लिए एक कमेटी का गठन हो चुका है।

आपको ये बता दें कि सिर्फ़ भारत में ही नहीं नेट न्यूट्रिलिटी का सवाल दुनिया के कई देशों में उठा है। पिछले महीने अमेरिका में टेलीकॉम कंपनियों पर प्रतिबंध लगाते हुए आदेश दिया गया कि वो अपनी मर्ज़ी से किसी ख़ास वेबसाइट की स्पीड न तो धीमी कर सकती हैं या न कस्टमर से ज़्यादा चार्ज कर सकती हैं।

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