@isro भारत ने लॉंच किया सबसे भारी जीएसएल रॉकेट,#ISRO अब 5000 किलो वजनी सैटेलाइट और यात्रियों को 36000 किलोमीटर दूर तक भेज सकेगा।
श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। मार्क-3 अंतरिक्ष में
5000 किलो वजनी सैटेलाइट और यात्रियों को भेज सकेगा। 36000 किलोमीटर दूर
तक भेजने की क्षमता।
भारतीय
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अब तक के सबसे भारी रॉकेट
जीएसएलवी-एमके3 को आंध्रप्रदेश में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष
केंद्र से प्रक्षेपित किया है.
इसरो ने इससे पहले इसी वर्ष 24 सितंबर को मंगलयान को सफलतापूर्वक उसकी कक्षा में स्थापित किया था.जीएसएलवी-एमके3 में सी-25 इंजन लगाया गया है. इसकी ऊंचाई 43.43 मीटर है. इस यान के तीन स्तरों पर तीन तरह के ईंधन ठोस, द्रव और क्रायोजनिक का इस्तेमाल किया गया है.
क्रू माड्यूल
जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट के निर्माण पर कुल 140 करोड़ रुपये की लागत आई है. क्रू माड्यूल के निर्माण पर 15 करोड़ रुपये ख़र्च हुए हैं.
इस सबसे वजनी रॉकेट के प्रक्षेपण के साथ ही इसरो इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने वाले 3.65 टन वजनी क्रू माड्यूल का परीक्षण भी कर रहा है.
यह माड्यूल को रॉकेट में लगाया गया था. इसे पैराशूट के जरिए बंगाल की खाड़ी में सफलतापूर्वक उतारा गया है.
इस परीक्षण की सफलता की जानकारी इसरो निदेशक के राधाकृष्णन ने दी. उन्होंने जीएसएलबी एमके-3 के विकास के बारे में भी बताया.
इस मौके पर इसरो के पूर्व निदेशक डॉ. कस्तूरीरंगन भी मौज़ूद थे.
'आत्मनिर्भर भारत'
जीएसएलवी-एमके3 के प्रक्षेपण का उद्देश्य इनसेट-4 जैसे भारी संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में भारत को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना है.
इस सफलता के बाद भारत इनसैट-4 श्रेणी के उपग्रह प्रक्षेपित करने में सक्षम हो गया है.
इनसैट-4 श्रेणी के उपग्रह का वजन 4500-5000 किलोग्राम तक होता है.
इस श्रेणी के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत अब तक दूसरे देशों पर निर्भर था.
इससे भारत अरबों डॉलर के व्यावसायिक बाज़ार में भी अपनी दावेदारी मज़बूत करेगा और दूसरे देशों के इनसैट-4 श्रेणी के उपग्रह अंतरिक्ष में भेज पाएगा.
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