Thursday, 18 September 2014

UKPSC:उत्तराखंड के युवाओं के खिलाफ आयोग की साजिश, पीसीएस परीक्षा में प्रदेश के युवाओं को हाशिए पर पहुंचाने की तैयारी, पीसीएस परीक्षा में सिलेबस-सिलेबस खेल रहा आयोग

UKPSC:उत्तराखंड के युवाओं के खिलाफ आयोग की साजिश

पीसीएस परीक्षा में प्रदेश के युवाओं को हाशिए पर पहुंचाने की तैयारी
पीसीएस परीक्षा में सिलेबस-सिलेबस खेल रहा आयोग


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19-09-14
देहरादून।प्रदेश में नौकरी का सपना पाले बैठे युवाओं के खिलाफ एक बार फिर ‘साजिश’ रची गई है। वर्षों से नौकरी की तैयारियों में बैठे युवाओं को बाहर कर चहेतों को फिट करने के लिए नियम-कानूनों को मनमाने ढ़ंग से तोड़ा और मरोडा गया है। भर्ती प्रक्रिया से लेकर पैटर्न में बदलाव तक की खबर अंतिम समय में छात्रों को दी गई। अब नए पैटर्न के अनुसार तैयारी के लिए भी बेहद कम समय दिया गया है। ऐसे में प्रदेश के छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
चार वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 237 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की तो युवाओं के चेहरे खिल उठे। आयोग ने ऑनलाइन विज्ञप्ति जारी की। किसी भी अखबार और पत्र-पत्रिका में इस संबंध में कोई जानकारी प्रकाशित नहीं हुई। इससे देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर जैसे मैदानी जिलों के युवाओं को तो इसकी खबर तत्काल मिल गई लेकिन अन्य क्षेत्रों के युवाओं तक कई दिन गुजरने के बाद इसकी खबर पहुंची। पहाड़ के अधिकांश क्षेत्रों में इंटरनेट की कनेक्टिविटि का अभाव और बिजली की आंख मिचौली किसी से छुपी नहीं है। आयोग की वेबसाइट की सुस्ती भी आवेदकों की चिंता बढ़ाने का काम कर रही है। आलम यह है कि राजधानी देहरादून में तक आयोग की वेबसाइट खुलने में परेशानी कर रही है। ऐसे में पहाड़ पर हाल क्या होगा सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
प्रदेश के युवाओं को आयोग ने एक और झटका दिया। आयोग के सिलेबस और परीक्षा पैटर्न में बदलाव की कवायद पिछले कई माह से चल रही थी। उसके बावजूद आयोग ने तैयारी कर रहे युवाओं को इसकी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा। ठीक परीक्षा से दो माह पहले एकाएक परीक्षा पैटर्न और सिलेबस में बदलाव का फरमान जारी कर दिया। वर्षों से पुराने पैटर्न पर तैयारी कर रहे छात्र दो महीने में कैसे बदलावों के साथ तैयारी करेंगे। आयोग की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। आयोग ने तीन सितम्बर को अपनी वेबसाइट पर विज्ञप्ति जारी की। फॉर्म जमा करने की आखिरी तिथि 24 सितम्बर रखी गई है। जबकि 30 नवम्बर को प्रारंभिक परीक्षा होनी है। ऐसे में छात्रों के पास नए पैटर्न पर तैयारी के लिए महज दो माह का समय है।
अर्हता में भी खेल
आयोग पर विभिन्न पदों की अर्हता में भी खेल का आरोप लगा है। सूचना अधिकारी व जिला सूचना अधिकारी के 11 पदों के लिए स्नातक में हिन्दी की अनिवार्यता किसी के गले नहीं उतर रही है। जानकारों का कहना है कि अगर आयोग को भाषा की अनिवार्यता करनी थी तो कम से कम हिन्दी व अंग्रेजी का विकल्प देना चाहिए था। वहीं इस पोस्ट पर में वेटेज के लिए संगीत, प्रकाशन- व्यवस्था, अभिनय व निर्देशन में डिप्लोमा मांगना भी संदेह के घेरे में हैं। सूत्रों के अनुसार चहेतों को एडजस्ट करने के लिए आयोग ने इसे अधिमानी अर्हता में शामिल किया है। ऐसे ही कई अन्य पदों में भी अर्हता में खेल किया गया है।
सीसैट पड़ेगा भारी
हिन्दी भाषी प्रदेश के युवाओं को एक और झटका देते हुए आयोग ने सीसैट लागू कर दिया। जानकार भी इसे प्रदेश के युवाओं के हित में नहीं मानते। उनके अनुसार अंग्रेजी पर पूरी तरह निर्भरता से युवाओं को नुकसान होगा। वैसे भी जिन पदों के लिए यह परीक्षा हो रही है, वह पब्लिक डीलिंग से जुड़ी हुई है। ऐसे में उनको अंग्रेजी से ज्यादा हिन्दी में सक्षम होना चाहिए।
हजारों छात्र बाहर
परीक्षा से पहले ही हजारों युवा इससे बाहर हो जाएंगे। दरअसल आयोग ने इस वर्ष स्नातक अंतिम वर्ष के ऐसे छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोक दिया है, जिनके परिणाम घोषित नहीं हो पाए हैं। इससे हजारों युवा परीक्षा से पहले ही बाहर हो जाएंगे।
विज्ञापन चार प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया था। ऑनलाइन फॉर्म भरने में कुछ समस्या है लेकिन इसके लिए काफी समय दिया गया है। अर्हताओं का निर्धारण आयोग शासन की संस्तुति पर ही करता है।
डा. दिनेश जोशी, अध्यक्ष, लोक सेवा आयोग

पीसीएस परीक्षा में सिलेबस-सिलेबस खेल रहा आयोग

 इस साल पीसीएस परीक्षा के सिलेबस को लेकर लोक सेवा आयोग ने युवाओं का घनचक्कर बना दिया है। पहले सिलेबस बदल दिया, फिर नोटिफिकेशन में दूसरा सिलेबस दे दिया। अब कहा गया है कि नोटिफिकेशन का सिलेबस सही नहीं है। कुल मिलाकर अगर अभ्यर्थी अब भी वेकेंसी के नोटिफिकेशन में दिए गये सिलेबस की ही तैयारी करेंगे तो भी भविष्य संकट में फंस सकता है।
इस साल राज्य लोक सेवा आयोग ने पीसीएस की प्रारम्भिक और मुख्य परीक्षा के सिलेबस में कई बदलाव किए थे। खास तौर से इसमें अंग्रेजी के सवालों को अनिवार्य बनाया गया था जिसका पहाड़ी क्षेत्रों के युवा विरोध कर रहे हैं। इसके सिलेबस में प्रदेश के इतिहास, भूगोल और संस्कृति को भी शामिल किया गया था। यह सिलेबस आयोग ने जून माह में कर सूचना जारी की थी। फिर 4 सितम्बर को आयोग ने पीसीएस परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया।
नोटिफिकेशन के साथ ही परीक्षा का सिलेबस भी जारी किया जाता है। अब आयोग का कहना है कि इसमें कुछ गड़बड़ी है। आयोग के सचिव एसएन पांडे के मुताबिक जून में तय किए गये सिलेबस और नोटिफिकेशन में जारी किए गये सिलेबस में अंतर है। इस कारण अब उसी सिलेबस को मान्य किया जाए जो आयोग ने 9 जून को जारी किया था। दूसरी तरफ छात्रों को इस सिलेबस की पूरी जानकारी ही नहीं है क्योंकि उनके पास वही सिलेबस उपलब्ध है जो नोटिफिकेशन के साथ जारी किया गया है।
'पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रहे कई युवा रोज मेरे सम्पर्क में आते हैं लेकिन अभी उन्हें इस बदलाव की जानकारी ही नहीं है। ऐसे तो बड़ा असमंजस पैदा हो जाएगा और इसका खामियाजा अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा। आयोग को अपनी कार्यप्रणाली सुधारनी होगी। ' - आरए खान, निदेशक प्रयास आईएएस एकेडमी ऑफलाइन भी हो आवेदन इस साल पहली बार पीसीएस परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन भी शुरू किया गया है। लेकिन पहले ही प्रयास में ऑफलाइन आवेदन पूरी तरह से खत्म कर दिया गया और अभ्यर्थियों को इसका विकल्प ही नहीं दिया गया।
युवाओं का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता तय नहीं है इसलिए काफी युवा आवेदन से वंचित हो जाएंगे। अनिल पंत, निमिक्षा, सुरेंद्र चौहान, शाहिद, परवीना आदि ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर ऑनलाइन के साथ साथ ऑफलाइन आवेदन की भी सुविधा देने की मांग की गई है।

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