Monday 15 July 2013

उत्तराखंड: 5748 आज से 'मृत', मुआवज़े की तैयारी शुरू

उत्तराखंड: 5748 आज से 'मृत', मुआवज़े की तैयारी शुरू

उत्तराखंड में एक महीने पहले आई प्रलयंकारी आपदा के बाद 5748 लोग ऐसे हैं जिनका कोई पता नहीं चल पाया है. अब सरकार की ओर से इन्हें मृत मानकर इनके परिजनों को मुआवज़ा देना शुरू कर दिया जाएगा.
प्रशासन से 580 लोगों की मौत की पहले ही पुष्टि की जा चुकी है. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा जारी किए आंकड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक 2098,मध्य प्रदेश के 1035 और उत्तराखंड के 924 लोग इस आपदा के शिकार हुए, इन लोगों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है.

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि, “चूंकि  वो लापता हैं इसलिये उन्हें हम स्थाई रूप से लापता मानकर उनके परिजनों को मुआवज़ा तो दे देंगे लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उनको खोजने का अभियान जारी रखा जाएगा. जो भी हमारे पास फोटो है उसके आधार पर हम अस्पतालों और दूसरी जगहों में उन्हें खोजते रहेंगे ताकि कोई भटक न गया हो.”
विजय बहुगुणा ने कहा कि, “सरकार ही लोगों को हलफ़नामा बनाकर देगी और बड़ी सरल प्रक्रिया रखी गई है ताकि लोगों को तत्काल मुआवज़ा मिल जाए.”

हर मृतक और लापता व्यक्ति के परिजन को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख और राष्ट्रीय आपदा निधि से डेढ़ लाख रुपए दिये जाएंगे.उत्तराखंड सरकार प्रदेश के पीड़ितों को अलग से डेढ़ लाख रू दे रही है.

क़ानून का हिसाब से

भारतीय दंड संहिता के तहत 7 वर्ष तक लापता रहने के बाद ही किसी व्यक्ति को कानूनन मृत माना जाता है लेकिन उत्तराखंड सरकार ने आगे बढ़कर आपदा की तिथि के एक महीने बाद यानि 15 जुलाई के बाद ही लापता लोगों को मृतक की श्रेणी में मान लेने का निर्णय किया है.
हांलाकि कानून और व्यावहारिकता के लिहाज से भी इस घोषणा और व्यवस्था को कुछ हद तक अटपटा माना जा रहा है.
"चूंकि वो लापता हैं इसलिये उन्हें हम स्थाई रूप से लापता मानकर उनके परिजनों को मुआवजा तो दे देंगे लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उनको खोजने का अभियान जारी रखा जाएगा.जो भी हमारे पास फोटो है उसके आधार पर हम अस्पतालों और दूसरी जगहों में उन्हें खोजते रहेंगे ताकि कोई भटक न गया हो."
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा
इससे भी अटपटी बात ये है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि परिजनों को 15 जुलाई के बाद मुआवज़ा तो दे दिया जाएगा लेकिन भविष्य में अगर कोई जीवित लौटता है तो मुआवजे की राशि लौटानी होगी.
लापता लोगों की संख्या उनके परिजनों द्वारा उत्तराखंड और उनके मूल राज्यों में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के आधार पर बताई जा रही है.

वास्तविक तादाद

हांलाकि अभी भी माना जा रहा है कि लापता और मृतकों की ये वास्तविक और अंतिम संख्या नहीं होगी और शायद  वास्तविक संख्या कभी पता भी नहीं चल पाए.
मारे गए लोगों में ऐसे कई साधु,भिखारी और घोड़े-खच्चर वाले लोग होंगे संभवत: जिनके बारे में कोई रिपोर्ट भी नहीं लिखाई गई होगी.इसके अलावा राहत औऱ बचाव के दौरान सरकारी एजेंसियों में जिस तरह से तालमेल का अभाव दिखा है उससे मृतकों की सूची में गड़बड़ी की आशंका से भी पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता है.
उत्तराखंड में समय से पहले और विकराल रूप में आये मानसून से केदारनाथ,रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के इलाकों में प्रलयंकारी तबाही हुई थी. सरकार के अनुसार सबसे ज्यादा मौत केदारनाथ और गौरीकुंड के बीच हुई.

चार धाम यात्रा रद्द

इस विभीषिका के बाद चार धाम यात्रा रद्द है और यहां तक कि 22 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा में भी कांवड़ियों पर ऋषीकेश से ऊपर पहाड़ में जाने पर पाबंदी लगा दी गई है.
इस बीच, अगस्त से कैलास मानसरोवर यात्रा को बहाल करने के लिये सरकार ने प्रस्ताव किया है कि जब तक पैदल मार्ग ठीक नहीं होते पिथौरागढ़ या धारचूला से गुंजी तक हेलीकॉप्टर से यात्रा शुरू करवाई जाएगी.

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