आईबी ने इनपुट देना किया बंद, खतरे में देश
Mon, 15 Jul 2013सीबीआइ और खुफिया ब्यूरो (आइबी) की लड़ाई ने देश की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। इशरत मुठभेड़ मामले में अपने अधिकारियों को फंसाए जाने से नाराज आइबी ने आतंकी गतिविधियों से जुड़ी अहम खुफिया जानकारी साझा करना बंद कर दिया है। आतंकी खतरे से संबंधित केवल वही सूचनाएं राज्यों से साझा की जा रही हैं जो अन्य एजेंसियों के माध्यम से मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) में आती हैं। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पिछले एक महीने से उन्हें आइबी की खुफिया चेतावनी रिपोर्ट नहीं मिली है।
दरअसल, आइबी हर दिन पूरे देश में हुई घटनाओं की रिपोर्ट गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजता है। इसके अलावा वह देश में अशांति, उपद्रव या आतंकी हमले की साजिशों की खुफिया रिपोर्ट अलग से देता है। इसी खुफिया रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा एजेंसियों या राज्य सरकारों को जरूरी कदम उठाने के लिए सचेत किया जाता है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए आइबी की खुफिया रिपोर्ट काफी अहम है। इसके बिना आतंकी साजिशों को नाकाम करना मुश्किल है।
गया के महाबोधि मंदिर में आतंकी हमले का जिक्र करते हुए गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह खुफिया जानकारी मैक में किसी दूसरी एजेंसी के मार्फत आई थी, जिसे राज्य सरकार को रूटीन के तहत भेज दिया गया। यही वजह है कि इसको लेकर सुरक्षा तैयारियां उस रूप में नहीं हो पाईं, जिनकी जरूरत थी। जबकि, इससे पहले आइबी किसी भी एजेंसी से आने वाली खुफिया जानकारी न सिर्फ साझा करता था, बल्कि साजिश को नाकाम करने में सक्रिय भूमिका भी निभाता था।
आइबी इशरत जहां मुठभेड़ मामले में अपने विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार समेत वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ के शिकंजे से नाराज है। आइबी के निदेशक आसिफ इब्राहिम इसके लिए गृह मंत्री और प्रधानमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन, राजनीतिक मजबूरियों के कारण सरकार हस्तक्षेप करने से कतरा रही है। आइबी के आतंक विरोधी ऑपरेशन से लंबे समय से जुड़े रहे एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, 'जब तक सरकार हमें इशरत जैसे मामलों में संरक्षण का भरोसा नहीं देती, हमारे लिए आगे ऑपरेशन करना मुश्किल होगा।'
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