भटकल:भारत में परमाणु धमाकों के लिए मदद पाकिस्तान में मिलना सुनिश्चित,गिरफ्तारी के चलते योजना बीच में ही लटकी
...तो पाकिस्तान की मदद से भारत में हो जाता परमाणु बम धमाका?
नई दिल्ली. आतंकियों को भारत में परमाणु धमाका करने में
पाकिस्तान मदद कर सकता है। यह चौंकाने वाला खुलासा कुख्यात आतंकवादी और
इंडियन मुजाहिदीन इंडिया के प्रमुख जरार सिद्दीबप्पा उर्फ यासीन भटकल ने
किया है। उसके मुताबिक उसे भारत में परमाणु धमाकों के लिए जरूरी मदद
पाकिस्तान में मिलना सुनिश्चित हो गया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के चलते
योजना बीच में ही लटक गई।
भारत में कई शहरों में सीरियल बम धमाके करने वाले यासीन के इस खुलासे
से जांच एजेंसियों के होश उड़ गए हैं। सूत्रों के हवाले से सामने आई खबर
में कहा गया है कि यासीन भटकल ने जांच कर रहे भारतीय अफसरों को पूछताछ में
बताया है कि उसने पाकिस्तान में बैठे अपने 'आकाओं' की मदद से भारत के सूरत
शहर को तबाह करने की नापाक साजिश रच डाली थी। लेकिन ऐन वक्त पर उसकी
गिरफ्तारी ने सूरत को पाकिस्तान के कहर से बचा लिया।
भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि
कहीं पाकिस्तान में सक्रिय चरमपंथी और आतंकवादी गुटों के पास परमाणु बम न
हो। दिसंबर, 2008 में अमेरिका के बॉब ग्राहम और जिम टेलेंट की अध्यक्षता
बने एक कमिशन ने 'वर्ल्ड एट रिस्क' नाम से एक रिपोर्ट जारी की थी। उस
रिपोर्ट में कहा गया था, 'अमेरिका को कई मोर्चों पर खतरा है। एक तरफ बेहद
लचर सरकार वाले पाकिस्तान में फैलता आतंकवाद तो दूसरी ओर बायोलॉजिकल और
एटमी आतंकवाद।' बॉब ग्राहम और जिम टेलेंट ने बढ़ते खतरे को लेकर अमेरिका के
पूर्व अफसर रिचर्ड डेंजिग की बात दोहराई थी। रिचर्ड ने कहा था,
'आतंकवादियों की बेपरवाही और उनका तजुर्बा (एटमी हथियारों को लेकर) न होना
ही हमें बचा रहा है।'
यही वजह है कि अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु बमों की सुरक्षा को लेकर
कई बार सवाल उठा चुका है। लेकिन पाकिस्तान सरकार यही कहती रही है कि दुनिया
उसके एटम बमों के बारे में फिक्र न करे। लेकिन यासीन भटकल का ताजा खुलासा
भारत ही नहीं अमेरिका की भी आंखें खोलने के लिए काफी है। भारत के एक सीनियर
खुफिया अफसर ने कहा, 'हम लोग अलग-अलग तरह की आईईडी देख रहे हैं। इसकी वजह
यह है कि आतंकवादी पाकिस्तान में वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से
सभी तरह के हथियारों को चलाने और बम बनाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। अगर
आतंकवादियों की पहुंच एटम बम तक है तो यह भारत के लिए बहुत खतरनाक बात
है।'
पाकिस्तान सरकार की ओर से वहां के भारत विरोधी तत्वों और चरमपंथियों
को संरक्षण दिया जाना नई बात नहीं है। लेकिन अब तक घुसपैठ या आईईडी धमाकों
तक सीमित रहने वाले पड़ोसी देश के असल इरादे यासीन के खुलासे से सामने आ गए
हैं।
रियाज ने यासीन से कहा था, पाकिस्तान में कुछ भी हो सकता है
इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी यासीन भटकल (तस्वीर में) ने पूछताछ में
जांच कर रहे अफसरों को बताया कि उसने पाकिस्तान में मौजूद अपने सरगना रियाज
भटकल से फोन पर पूछा था कि क्या वह एक छोटे एटम बम का इंतजाम कर सकता है।
यासीन के मुताबिक रियाज ने कहा, 'पाकिस्तान में कुछ भी हो सकता है।' यासीन
के मुताबिक रियाज ने उसे बताया था कि एटम बम से हमले किए जा सकते हैं।
इसलिए मैंने सूरत में दागने के लिए एक एटम बम का इंतजाम करने को कहा था।
यासीन का यह भी कहना है कि जब उसने रियाज से बात की तो रियाज ने कहा था कि
अगर सूरत में एटम बम विस्फोट होगा तो उसमें मुस्लिम भी मारे जाएंगे। इस पर
यासीन ने रियाज से कहा था कि वह सूरत की मस्जिदों में पोस्टर चिपका देगा
जिसमें मुस्लिमों से चुपचाप शहर छोड़कर चले जाने को कहा जाएगा।
लेकिन यासीन का यह खतरनाक प्लान असलियत नहीं बन सका। इसी साल अगस्त
में उसे नेपाल के पोखरा से धर दबोचा गया था। सूरत यासीन के रडार पर काफी
पहले से बताया जा रहा है। 2008 में दिल्ली, जयपुर और अहमदाबाद में हुए
सीरियल बम विस्फोटों में भी यासीन भटकल का अहम रोल था। यासीन ने आतिफ अमीन
के साथ मिलकर 27 बम तैयार किए थे, जिनसे 2008 में सीरियल विस्फोट किए गए
थे।
मुजफ्फराबाद, मुरीदके और सिंध में चल रहे हैं आतंक के कैंप
पाकिस्तान में लाहौर के नजदीक मुरदीके, सिंध और पाकिस्तान के कब्जे
वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में भारत विरोधी आतंकवादियों के लिए ट्रेनिंग
कैंप चल रहे हैं। जानकारों के मुताबिक इन कैंपों से 2004 तक करीब 10 हजार
लोगों को आतंकवादी ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
पाकिस्तान के शहर लाहौर से करीब 30 किलोमीटर दूर मुरीदके नाम की जगह
पर पाकिस्तान उन तत्वों को आतंकवादी ट्रेनिंग देता है जो भारत के खिलाफ काम
करना चाहते हैं। मुरीदके में करीब 200 एकड़ में फैले एक कंपाउंड में
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा की राजनीतिक और सामाजिक ईकाई जमात
उद दावा का सेंटर है। लश्कर की स्थापना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई
की मदद से 1990 में की गई थी। जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज सईद है। वह
भारत की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है। 26 नवंबर, 2008 में मुंबई शहर
पर हुए आतंकवादी हमले का मास्टर माइंड हाफिज को ही माना जाता है। मुरीदके
में मौजूद जमात के इसी ट्रेनिंग सेंटर में उन आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी
गई थी, जिन्होंने मुंबई पर हमला किया था।
जमात से जुड़े लोग औपचारिक तौर पर यही बताते हैं कि यहां डेयरी, मछली
पालन, अस्पताल और जन कल्याण का काम होता है। लेकिन ब्रिटिश मीडिया में आई
खबरों के मुताबिक यह दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक है। ब्रिटिश
अखबार टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुरीदके में जमात के कंपाउंड
में अल कायदा के आतंकवादी पनाह लेते रहे हैं। इनमें रमजी यूसेफ भी शामिल
है, जिसने 1993 में न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादी हमले की
साजिश रची थी। बताया जाता है कि मुरीदके में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंप
में पाकिस्तानी सेना के अफसर आकर ट्रेनिंग देते हैं।
(तस्वीर: मुरीदके में मौजूद जमात उद दावा का ट्रेनिंग सेंटर)
'संपूर्ण' भारत को आजाद कराना चाहता है लश्कर!
मशहूर भारतीय इतिहासकार और लेखक ए.जी. नूरानी के मुताबिक लश्कर मरकज
दावा वल इरशाद की सैन्य ईकाई है। नूरानी के मुताबिक मरकज दावा वल इरशाद
संगठन के दो उद्देश्य हैं-पहला दावा (ज्ञान देना) और दूसरा-जेहाद। नूरानी
के मुताबिक, 'हाफिज मोहम्मद सईद इन दोनों उद्देश्यों को अहम और एक दूसरे से
जुदा न किए जा सकने वाला बताता है। लेकिन हाफिज को यह लगता है कि जेहाद को
लेकर लापरवाही बरती जा रही है। लश्कर के नापाक इरादों का अंदाजा इसी बात
से लगाया जा सकता है कि लश्कर के निशाने पर भारत और इजराइल हैं। यह
प्रतिबंधित संगठन हिंदू और यहूदियों के अलावा ईसाइयों को निशाना बनाता रहा
है। लश्कर स्पेन के अलावा संपूर्ण भारत को आज़ाद कराने के लिए कसमें खाता
रहा है। स्पेन पर 800 से ज्यादा वर्षों तक मुस्लिमों ने शासन किया था।'
(तस्वीर: मुरीदके में मौजूद जमात उद दावा का ट्रेनिंग सेंटर)
मुशर्रफ का दावा, 6.5 लाख सैनिकों का बल अब भी मेरे साथ
भारत में 1999 में कारगिल जैसी घुसपैठ कराने वाले वाले पाकिस्तान के
पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने फिर ताल ठोकी है। उन्होंने इन बातों
को खारिज कर दिया कि पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना उन्हें छोड़ चुकी है।
उन्होंने दावा किया, ‘6.5 लाख सैनिकों का बल अब भी मेरे साथ है।’
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सेना का नेतृत्व ब्रिगेडियर और
चीफ के तौर पर किया है। एक लीडर की तरह। कमांडर की तरह नहीं। एक चैनल को
दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘असली नेतृत्व तब आता है जब आपकी वर्दी में
सितारे न लगे हों। आप सितारे हटाइए। फिर देखिए कि क्या आपके लोग आपकी बात
सुनते हैं।’ मुशर्रफ ने कहा, ‘6.5 लाख सैनिकों वाली सेना ने उनका साथ नहीं
छोड़ा है।’ खुद पर चल रहे मुकदमे के बारे में उन्होंने कहा, ‘इससे राजनीतिक
प्रतिशोध की बू आती है। पूरी सेना इसे लेकर निराश है। मुझे इस बारे में
संदेह नहीं है। मुझे जो प्रतिक्रिया मिली है, उसके मुताबिक सेना इस मुद्दे
पर मेरे साथ है।’
एक जनवरी को होंगे पेश
मुशर्रफ देशद्रोह के मामले में एक जनवरी को विशेष अदालत में पेश
होंगे। 2007 में इमरजेंसी लगाने और संविधान निलंबित करने के लिए पूर्व
सैन्य शासक पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की
सरकार ने इसके लिए विशेष अदालत गठित की है। शरीफ को 1999 में अपदस्थ कर
मुशर्रफ देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। वे 2008 में पद से हटे थे।
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