Sunday 5 January 2014

We proud to you #ISROIndia #ISRO and your Successful work on #Indiancryogenicengine It is slap on face of America And Rusia Jay IND

We proud to you #ISROIndia #ISRO and your Successful work on #Indiancryogenicengine
It is slap on face of America And Rusia Jay IND


date 05-01-2014 time: 17.29pm Delhi


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PROUD TO BE AN INDIAN AND PRAUD TO ON OUR ALL SCIENTIST 
SPECIAL PROUD ON ISRO



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We proud to you #ISROIndia #ISRO and your Successful work on #Indiancryogenicengine
It is slap on face of America And Rusia Jay IND




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congratulation India: GSLV-D5 launching is over: CRYOGENIC ENGINE(Liquid Nitrogen and liquid Hydrogen energy) stage is successfully over and isro has done it



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We proud to you #ISROIndia #ISRO and your Successful work on #Indiancryogenicengine
It is slap on face of America And Rusia Jay IND




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AFTER POKHRAN ATOMIC EXPREMENT; AMERICA WAS DENIED CRYOGENIC ENGINE TO INDIA BUT OUR OWN CRYOGENIC ENGINE IS READY TO LAUNCH TODAY THROUGH GSLV-D5 FROM SATISH DHAWAN SPACE CENTER -SRIHARIKOTA LAUNCHING CENTER ISRO




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After Failures behind, #GSLV-D5 ready to fire.#ISRO to #launch #GSLVD5 from #Sriharikota, all eyes on #cryogenicengine
READ MORE #SatishDhawanSpaceCentrem|#ISROn|#GSLV-D5 #SriharikotaLaunch |GSLV-#D5|#cryogenic #engines


  



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PRAY FOR INDIA:
TODAY #GSSV #LAUNCHING TEST OF #CryogenicEngine II 20 years ago Under pressure from the U.S., Russia denied TO INDIA क्या साकार होगा क्रायोजेनिक इंजन का सपना?
 
 
 






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...जब रूस ने अमेरिका के दबाव में...भारत को तकनीकी देने से कर दिया था मना 
भारत ने जीएसएलवी डी-5 की लॉन्चिंग में जिस तकनीकी का प्रयोग किया है, उसे 20 साल पहले भारत को देने से इनकार कर दिया गया था। यह इनकार रूस ने अमेरिका के दबाव में किया था। तब से भारत इस तकनीकी के विकास में लगा है। जीएसएलवी डी-5 में जो क्रायोजेनिक इंजन लगा है वो भारत का अपना बनाया हुआ है। इसरो के मुताबिक पिछले 20 साल में कोई ऐसा देश नहीं है जिसने क्रायोजेनिक इंजन की तकनीकी का विकास किया हो। यह काफी जटिल तकनीकी है।
 






GSLV D-5 सफलतापूर्वक लॉन्‍च: अब दोगुनी कीमत चुका कर फ्रांस से नहीं लेने पड़ेंगे रॉकेट

Jan 05, 2014, 17:27PM IST

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श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश). भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2014 की धमाकेदार शुरुआत कर दुनियाभर में अपना लोहा मनवा लिया है। इसरो ने रविवार को जीएसएलवी डी-5 की सफल लॉन्चिंग की। इसे भारत के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्‍योंकि अब तक भारत को फ्रांस से दोगुनी कीमत चुका कर रॉकेट लेने पड़ते थे। इसके अलावा जीएसएलवी डी-5 की सफल लॉन्चिंग भारत के अभियान 'चंद्रयान-2' के लिए भी महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है।
आपको बता दें कि 4 बजकर 18 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से जीएसएलवी डी-5 को लॉन्‍च किया और ठीक 17 मिनट की उड़ान के बाद यान जीसैट-14 अपनी कक्षा में पहुंच गया। जीएसएलवी डी-5 इस साल अंतरिक्ष में पहुंचने वाला पहला सैटेलाइट है। इसकी लॉन्चिंग के लिए शनिवार दोपहर 11.18 बजे काउंट डाउन शुरू कर दिया गया था। इस प्रक्षेपण के पीछे वैज्ञानिकों की 20 साल की वह मेहनत भी दांव लगी थी, जो उन्होंने देसी क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने में लगाई। इस पूरे अभियान की कुल लागत 356 करोड़ रुपए है। 

GSLV D-5 सफलतापूर्वक लॉन्‍च: अब दोगुनी कीमत चुका कर फ्रांस से नहीं लेने पड़ेंगे रॉकेट
जीएसएलवी डी-5 
इसकी लंबाई करीब 50 मीटर यानी 15 मंजिला इमारत जितना ऊंची है। साथ ही इसका वजन 415 टन है। यह वजन 80 हाथियों के वजन के बराबर है। साथ ही यह ठोस, तरल और क्रायोजेनिक स्टेज के साथ तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। 
जीसैट-14 सैटेलाइट
जीसैट-14 सैटेलाइट 2 टन वजनी है। इतने भारी इस सैटेलाइट को पीएसएलवी से लॉन्च नहीं किया जा सकता था। इस सैटेलाइट में छह सी, छह केयू और दो केए बैंड के ट्रांसपोंडर्स लगे हैं। ट्रांसपोंडर

GSLV D-5 सफलतापूर्वक लॉन्‍च: अब दोगुनी कीमत चुका कर फ्रांस से नहीं लेने पड़ेंगे रॉकेट
एलीट क्‍लब में शामिल हो गए हैं हम 
पिछले साल अगस्त में फ्यूल लीकेज के कारण ऐन मौके पर जीएसएलवी का लॉन्च रोक दिया गया था। अप्रैल 2010 में लगातार दो बार लॉन्चिंग विफल रही थी, लेकिन इस बार हम कामयाब रहे। 
होगी दोहरी कामयाबी
इसरो चीफ डॉ. के राधाकृष्णन ने बताया कि जीएसएलवी डी-5 की सफलता दोहरी कामयाबी है। इससे देसी क्रायोजेनिक इंजन तो मिलेगा ही दूसरा हम हर लॉन्चिंग के लिए दूसरे देशों को देने वाला धन भी बचाएंगे। 
टेली कम्यूनिकेशन, एजूकेशन में काम आएगा सैटेलाइट
यह सैटेलाइट कम्यूनिकेशन, टेली एजूकेशन और टेली-मेडिसिन के क्षेत्र में काम आएगा। जीसैट-14 की अवधि 1
 2 साल तक होगी। प्रक्षेपण के बाद यह भारत के 9 भूस्थैतिक उपग्रहों में शामिल हो जाएगा।


GSLV D-5 सफलतापूर्वक लॉन्‍च: अब दोगुनी कीमत चुका कर फ्रांस से नहीं लेने पड़ेंगे रॉकेट
अन्‍य देशों पर नहीं रहेंगे निर्भर
जीएसएलवी डी-5 की सफल लॉन्चिंग से धन की काफी बचत होगी, क्‍योंकि भारत अभी तक इस काम के लिए फ्रांस के एक रॉकेट का इस्तेमाल करता है। इसे इस्‍तेमाल करने के लिए भारत को करीब दोगुना कीमत चुकानी पड़ती है। इस रॉकेट के प्रक्षेपण के सफल होने पर भारत को दुनियाभर से व्यावसायिक काम मिल सकेगा। वहीं दूसरे देशों के सैटेलाइट भारत के लांच पैड से छोड़े जा सकेंगे। 
...जब भारत को तकनीकी देने से कर दिया था मना 
भारत ने जीएसएलवी डी-5 की लॉन्चिंग में जिस तकनीकी का प्रयोग किया है, उसे 20 साल पहले भारत को देने से इनकार कर दिया गया था। यह इनकार रूस ने अमेरिका के दबाव में किया था। तब से भारत इस तकनीकी के विकास में लगा है। जीएसएलवी डी-5 में जो क्रायोजेनिक इंजन लगा है वो भारत का अपना बनाया हुआ है। इसरो के मुताबिक पिछले 20 साल में कोई ऐसा देश नहीं है जिसने क्रायोजेनिक इंजन की तकनीकी का विकास किया हो। यह काफी जटिल तकनीकी है। 
यह होंगे क्रायोजेनिक इंजन के फायदे
बहुत कम वजन की किसी चीज को जब अंतरिक्ष में दूर भेजा जाता है, तब इसके लिए क्रायोजेनिक इंजन का प्रयोग किया होता है। इससे पहले भारत एक बार क्रायोजेनिक इंजन का प्रक्षेपण कर चुका है, जो असफल रहा था। यह दूसरी बार है जब भारत अपना क्रायोजेनिक इंजन इस्तेमाल कर रहा है। इसरो को उम्मीद था कि इस बार यह कामयाब होगा। 

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