Monday, 10 March 2014

अम्मा किचनः जहाँ मिलता है सिर्फ़ तीन रुपए में खाना

अम्मा किचनः 

जहाँ मिलता है सिर्फ़ तीन रुपए में खाना


अम्मा किचन, तमिलनाडु
सूरज डूबने के साथ ही लोगों के क़तार में खड़े होने की शुरुआत हो गई. पहले कुछ ही लोग आए थे. लेकिन धीरे-धीरे पंक्ति लंबी होती गई. बड़े, बूढ़े, बच्चे, महिलाएं और छात्र सभी कतार में खड़े थे.
लोग टोकन खरीद रहे थे और टोकन दिखाकर रात का भोजन खरीदकर खा रहे थे.
प्लेट में दो रोटियों और दाल के अलावा और कुछ नहीं था, लेकिन फिर भी वे मज़े लेकर खाना खा रहे थे.
यह है चेन्नई में 'अम्मा किचन' (रसोई) की 200 शाखाओं में से एक.

यह शहर के एक अमीर इलाक़े में मौजूद है, लेकिन यहाँ आने वाले अधिकतर लोग ग़रीब हैं.
यहाँ कोई भी केवल तीन रुपये में दो रोटियां और दाल खरीद सकता है. एक व्यक्ति कई-कई टोकन खरीद सकता है.
'अम्मा किचन' में सुबह, दोपहर और रात तीन वक़्त खाना मिलता है.

लोकप्रियता और विस्तार

अम्मा किचन, तमिलनाडु
यह रसोई शहर भर में और राज्य के अन्य दूसरे शहरों में ग़रीब लोगों के लिए एक साल पहले शुरू हुई थी. इसकी लोकप्रियता के चलते अब इसका राज्य भर में तेज़ी से विस्तार हो रहा है.
इस रसोई घर के प्रवेश में और इसके अंदर कई जगहों पर एक ही तस्वीर टंगी नज़र आती है और वह है राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता की.
उन्होंने ग़रीबों के लिए इस रसोई घर की शुरुआत का वादा चुनावों के दौरान किया था.
सवाल उठता है कि क्या इसे चुनाव में ग़रीबों का वोट पाने के इरादे से खोला गया है ?
यही सवाल जब हमने यहाँ खाना खा रहे एक व्यक्ति से पूछा तो उन्होंने कहा, "इससे जयललिता को कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं होगा. यहाँ के ग़रीब लोग बहुत चतुर हैं. वे क्लिक करें मुफ़्त का खाना और दूसरे के सामान को मना नहीं करते लेकिन वोट देते समय वो अपनी पसंद की पार्टी को ही वोट देते हैं.”

समय की बचत

अम्मा किचन, तमिलनाडु
मैंने वहां कतार में और टेबल पर बैठे खाना रहे लोगों पर एक नज़र डाली यह देखने के लिए कि सही में क्या इसका फ़ायदा ग़रीब लोग ही उठा रहे हैं.
मैंने देखा वहां बहुत ग़रीब लोग भी थे और कुछ कम ग़रीब भी. विद्यार्थी और युवा वहां काफी संख्या में थे.
मैं एक टेबल पर खाना खा रहे दो युवाओं के पास गया, जो वहां सब से अमीर नज़र आ रहे थे.
एक का नाम था रघु और दूसरे का राजा. दोनों चार्टर्ड अकाउंटेंट थे और आंध्र प्रदेश से आकर चेन्नई में काम कर रहे थे.
दोनों ने कहा वे यहाँ रोज़ आकर खाना खाते हैं क्योंकि यही खाना उन्हें बाहर दूसरी जगहों पर 40 रुपये में मिलेगा और इतना लज़ीज़ भी नहीं होगा.
राजा ने कहा, "हम लोग अकेले रहते हैं. खाना पकाना आसान नहीं. रसोई चलाना कठिन है. यहाँ आकर खाने से समय बचता है."
रघु ने कहा, "समय धन है यानी जो समय मैं खाना बनाने में बिताऊंगा, उस समय में मैं कुछ दूसरे काम कर सकता हूं."

'किचन मेरी दुनिया'

अम्मा किचन, तमिलनाडु
एलाकी नामक एक युवा ने कहा वो पेशे से बढ़ई हैं और शहर में अकेले रहते हैं. वे बताते हैं, "मैं यहाँ रोज़ काम ख़त्म करके आता हूँ और खाना खाता हूं. इससे हमें काफ़ी सुविधा होती है."
उनके क़रीब खड़े एक साथी ने कहा कि 'अम्मा किचन' ने उसकी खाना बनाने की समस्या दूर कर दी है.
एक बूढ़े आदमी ने खाते समय तस्वीर लेने से मना कर दिया. लेकिन खाने के बाद डकार लेकर कहा कि अब तस्वीर लो. उन्होंने बताया, "वह इस दुनिया में अकेले हैं और अम्मा किचन ही अब उनकी दुनिया है. वे यहाँ रोज़ तीन वक़्त खाना खाने आते हैं."
अम्मा किचन की इस शाखा में आज कुछ अधिक हलचल थी क्योंकि इस शाखा की आज यह पहली वर्षगाँठ थी. शहर की 200 शाखाओं को 15 क्षेत्रों में बाँट दिया गया है.
हर ज़ोन का एक मैनेजर होता है. इस ज़ोन की मैनेजर एक महिला हैं.

तमिलनाडु के बाहर भी चर्चा

अम्मा किचन में खाना खाते लोग, तमिलनाडु
उन्होंने मुझे पूरे किचन की सैर कराई. उन्होंने मुझे खाना बनने की जगह, भंडार और बर्तन धोने की जगह दिखाई. हमने हर जगह सफ़ाई देखी.
खाना खिलाने वाली सभी महिलाएं थीं और उन्होंने हाथों में दस्ताने पहन रखे थे.
उन्होंने बताया कि किचन में सुबह, दोपहर और रात में इडली-डोसा से लेकर चावल और रोटियां सभी कुछ मिलता है और रसोई में खाना बनाने के लिए केवल अच्छी गुणवत्ता की ही चीज़ें इस्तेमाल की जाती हैं.
चेन्नई महानगर पालिका इन रसोई घरों को चलाती है. दूसरे शहरों में भी वहां की नगर पालिकाएं ही इन्हें चलाती हैं.
'अम्मा किचन' की सफलता की चर्चा तमिलनाडु से बाहर भी होने लगी है. हैदराबाद, अहमदाबाद, जयपुर और कई और शहरों ने अम्मा किचेन का अध्य

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