Wednesday, 4 June 2014

तियेनएनमेन (चीन) संहार की 25वीं बरसीः गिरफ़्तारियों, प्रतिबंधों का दौर :::: अमेरिका ने चीन से गिरफ्तार कार्यकर्ता रिहा करने के लिए कहा :::: मियाओ तियेनएनमेन के आख़िरी क़ैदी हैं?

तियेनएनमेन (चीन) संहार की 25वीं बरसीः गिरफ़्तारियों, प्रतिबंधों का दौर 

::::   

अमेरिका ने चीन से गिरफ्तार कार्यकर्ता रिहा करने के लिए कहा

::::

मियाओ तियेनएनमेन के आख़िरी क़ैदी हैं?

 

 बुधवार, 4 जून, 2014 को 01:52 IST तक के समाचार

तियेनएनमेन चौक पर कड़ी सुरक्षा
बुधवार को तियेनएनमेन संहार की 25वीं बरसी के मद्देनज़र चीन में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त हैं और असंतोष को दबाने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
देश में वकीलों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जा रहा है.
1989 में हुए इस संहार और प्रदर्शनों से संबंधित शब्दावलियों को इंटनेट सर्च में प्रतिबंधित कर दिया गया है और गूगल पर कथित रूप से रोक लगाई जा रही है.
तियेनएनमेन पर हुआ प्रदर्शन चीन में 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना के बाद कम्युनिस्ट शासन के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा प्रदर्शन था.
लोकतांत्रिक सुधारों की मांग को लेकर तियेनएनमेन चौक में लाखों लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए थे.
यह प्रदर्शन हफ़्तों तक चला. चार जून को 1989 को चीनी प्रशासन ने बीजिंग की सड़कों पर सैकड़ों लोगों का संहार कर इसे दबा दिया.
विश्लेषकों का मानना है कि प्रदर्शन की 25वीं बरसी पर होने वाला दमन पहले के वर्षों की अपेक्षा और कड़ा है.

गिरफ़्तारी, रोक और प्रतिबंध

तियेनएनमेन संहार की बरसी पर प्रदर्शन
प्रशासन ने हफ्तों पहले से असंतोष रखने वालों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को चेतावनी देना शुरू कर दिया था.
हाल के दिनों में आधिकारिक दमन और तेज़ हो गया है. गत सोमवार को चीनी मूल के ऑस्ट्रेलियाई कलाकार को हिरासत में ले लिया गया.
ख़बरों में कहा गया है कि कलाकार को फाइनेंशियल टाइम्स अख़बार में छपे उनके साक्षात्कार प्रकाशित होने के दूसरे दिन ही हिरासत में ले लिया गया.
दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अकादमीशियनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि तियेनएनमेन के आस पास सुरक्षा के भारी बंदोबस्त किए गए हैं, अर्द्ध सैनिक बल चौक के पास पुलों और सड़कों की कड़ी निगरानी कर रहे हैं.
तियेनएनमेन की घटना के समय चीनी सरकार ने प्रदर्शन को प्रतिक्रांतिकारी दंगा के रूप में पारिभाषित किया था.
बीजिंग में इस घटना से संबंधित कोई स्मारक भी नहीं है.
हालांकि, हांगकांग में रविवार को लोकतंत्र समर्थक सैकड़ों लोगों ने रैली की शक्ल में सड़कों पर निकले.
बुधवार को तियेनएनमेन घटना की याद में होने वाली रैली में हजारों लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है.


थ्यानमन बरसी: अमेरिका ने चीन से गिरफ्तार कार्यकर्ता रिहा करने के लिए कहा



alt 









वॉशिंगटन। मानवाधिकारों के मुद्दों को लेकर चीन पर दबाव बनाते हुए अमेरिका ने इस कम्युनिस्ट देश से कहा है कि वह उन सभी कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को रिहा करे, जिन्हें थ्यानमन स्क्वेयर कार्रवाई की 25वीं बरसी से पहले गिरफ्तार किया गया है।
विदेश मंत्रालय की उपप्रवक्ता मैरी हार्फ ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने चीनी अधिकारियों से स्पष्ट तौर पर आह्वान किया है कि वे उन सभी कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को रिहा करे, जिन्हें 25वीं बरसी से पहले गिरफ्तार किया गया है।’’
हार्फ ने कहा, ‘‘चीन एक विकसित होता देश है। उनके आगे बढ़ने के साथ, मुझे लगता है कि उनके अपने देश में चर्चा को थोड़ा और ज्यादा स्थान दिया जाना चाहिए, खासकर इस तरह की बरसी के अवसरों पर।’’
डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नैंसी पेलोसी ने एक बयान में कहा कि 25 साल बाद थ्यानमन स्क्वेयर की भावना मौजूद है लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चीनी सरकार 4 जून की घटनाओं के किसी भी जिक्र को सेंसर कर देती है। लियू शियाओबो दुनिया के एक मात्र नोबल शांति पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति हैं, जो कि अपने अधिकारों के प्रयोग के लिए कैद भोगने का प्रतीक हैं। चीनी अधिकारी कार्यकर्ताओं के परिवारों का दंडभाव के साथ शोषण करते हैं और उन्हें धमकाते हैं। चीन और तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति लगातार खराब हो रही है।’’
पेलोसी ने कहा, ‘‘हालांकि बहुत से चीनी लोग थ्यानमन के बारे में सच्चाई नहीं जानते, वे सरकार के अनियंत्रित भ्रष्टाचार को जानते हैं, वे जानते हैं कि कानून का शासन निष्पक्षता के साथ लागू नहीं किया जा रहा, वे जानते हैं कि वायु और जल प्रदूषण उनके स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए खतरा है और वे जानते हैं कि शिकायतों का निवारण न करके उनके साथ अन्याय किया जाता है।
पूर्वी एशियाई और प्रशांत मामलों में विदेशी संबंधों पर सीनेट की उपसमिति के अध्यक्ष सीनेटर बेन कार्डिन ने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण बरसी पर हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, इंटरनेट स्वतंत्रता, एकजुट होने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के खिलाफ और धार्मिक एवं सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठानी जारी रखनी चाहिए।’’
4 जून की घटना को चीन के भीतर और दुनिया भर में रहने वाले कई लोगों के इतिहास का दर्दनाक हिस्सा बताते हुए कार्डिन ने कहा कि 25 साल पहले के उस दिन की थ्यानमन चौक की तस्वीरें आज भी यादों में झुलसी हुई हैं। कार्डिन ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि उन घटनाओं की त्रासदी बीते समय और मौजूद समय के सुधारों के आकलन और चर्चा की नींव हो सकती है, जो इन घटनाओं की पुनर्रावृत्ति न होना सुनिश्चित करेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत निराशाजनक है कि 25 साल बीत जाने पर भी, ज्यादा प्रगति नहीं हुई है और इन घटनाओं से जुड़े लोग अभी भी शोषण और कैद का सामना कर रहे हैं।’’सीईसीसी (कांग्रेशनल-एग्जिक्यूटिव कमीशन ऑन चाइना) के सहअध्यक्ष एवं प्रतिनिधि क्रिस स्मिथ ने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद है कि चीनी सरकार आज 1989 में हुए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों पर अपनी हिंसक कार्रवाइयों का बचाव यह कहते हुए कर रही है कि ‘उसने जनता के लिए सही रास्ता चुना’।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग थ्यानमन नरसंहार को महत्वहीन बनाने की इच्छा रख सकते हैं लेकिन मरने वालों, जेल जाने वालों,अत्याचार झेलने वालों और उनके अदम्य साहस, दृढ़ता एवं दृष्टि की खातिर हमें लोकतंत्र एवं आजादी के लिए उनकी पवित्र आकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘छात्रों के विरोध की आवाज पर खूनी कार्रवाई की 25वीं बरसी पर, अमेरिकी विदेश नीति एवं चीन के साथ जुड़ाव में मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को अपनी शीर्ष प्राथमिकता बनाने के अपने प्रयासों को दोबारा प्रेरित करना चाहिए और इनमें दोबारा उर्जा भरनी चाहिए।’’
कांग्रेस सदस्य फ्रैंक आर वोल्फ ने कहा, ‘‘आज लगभग हर मायने में, चीन हमेशा की तरह विरोध की आवाज के प्रति असहिष्णु रहा है। थ्यानमन की 25वीं बरसी के साथ प्रशासन ऐसे कई कदम उठा सकता है, जो प्रतीकात्मक होने के साथ-साथ मूर्त भी हों। इससे चीनी जनता को यह संदेश दिया जा सकता है कि उनके संघर्ष भुलाए नहीं गए हैं।’’

चीन: मियाओ तियेनएनमेन के आख़िरी क़ैदी हैं?


यांगकिंग जेल
जून 1989 में सैनिकों और विद्रोहियों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद जब तियेनएनमेन चौक की सड़कें शांत पड़ गई थी और गोलीबारी भी बंद हो गई थी तब सरकार ने लोगों को किसी अपराधी की तरह घेरना शुरू किया.
कई लोगों को हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ा गया था लेकिन उनमें से 1600 लोगों को जेल की सज़ा मिली थी.
अब माना जाता है कि उस वक़्त गिरफ़्तार लोगों में से एक व्यक्ति अब भी सलाखों के पीछे है. उनकी कोई तस्वीर उपलब्ध नहीं है लेकिन उनका नाम पता है. उनका नाम है मियाओ डेशून.
वे बीजिंग के कारखाने में काम करने वाले एक मज़दूर हैं. उन्हें जलते हुए एक टैंक पर एक टोकरी फेंक के आगज़नी का दोषी पाया गया था.

मौत की सज़ा

इस मामूली से लगने वाले अपराध के लिए उन्हें मौत की सज़ा मिली थी जिसे बाद में उम्रक़ैद में तब्दील कर दिया गया था. मियाओ की रिहाई 15 सितंबर 2018 को निर्धारित की गई है.

मियाओ के साथ जेल में रहे डांग शेंगकून उनको याद करते हुए कहते हैं, "वह एक शांत व्यक्ति थे और अक्सर बहुत उदास रहते थे."
 मियाओ के बारे में उनके जिस भी परिचित व्यक्ति से बात की उसका यही कहना था कि मियाओ बहुत ही दुर्बल व्यक्ति हैं बिल्कुल कृशकाय.
तियेनएनमेन विरोध प्रदर्शन की 25वीं सालगिरह
बीजिंग के कारागार ब्यूरो ने मियाओ के बारे में किसी भी सवाल का यह कहते हुए जवाब नहीं दिया कि वे कभी विदेशी पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं देते हैं.
चीनी क़ैदियों के क़ानूनी अधिकारों की वकालत करने वाले अमरीका स्थित संगठन दुई हुआ का कहना है कि बहुत संभव है कि मियाओ 1989 में हुए तियेनएनमेन विद्रोह के आख़िरी क़ैदी हैं.
बेशक, यह संभव है कि मियाओ की सालों पहले जेल में मृत्यु हो गई हो और उनके निधन की ख़बर को दबा दिया गया हो.

पुष्टि

कारागार ब्यूरो केवल रिश्तेदारों को ही क़ैदियों की स्थिति के बारे में जानकारी देता है.
लेकिन अगर ये माना जाए कि मियाओ डेशून अब भी ज़िंदा हैं तो क्यों वह दूसरे क़ैदियों के जेल से रिहा होने के बाद भी लंबे समय से जेल में हैं?

अधिकांश पूर्व क़ैदी सहमत हैं कि दूसरों के विपरीत मियाओ ने तियेनएनमेन विरोध प्रदर्शनों में अपनी भागीदारी के लिए अफसोस ज़ाहिर करने वाले स्वीकार पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था.
उन्होंने जेल में मज़दूरी करने से भी इनकार कर दिया और इसके बजाए अपनी कोठरी में अख़बार पढ़ते हुए दिन बिताना पसंद किया.
एक पूर्व क़ैदी सुन लियोंग याद करते हुए कहते हैं, "वह आख़िरी क़ैदी है क्योंकि उसने कभी नहीं माना कि वह ग़लत था. उसने नियमों का पालन करने से भी मना कर दिया और मज़दूरी करने से भी इनकार कर दिया."

No comments:

Post a Comment