Wednesday, 4 June 2014

मोदी सरकार पर भड़का चीन..., पाकिस्‍तान-रूस ने भी बढ़ाई भारत की चिंता,पाकिस्‍तान को Mi-35 लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर देने के रूस के कदम से भारत चिंतित

मोदी सरकार पर भड़का चीन..., पाकिस्‍तान-रूस ने भी बढ़ाई भारत की चिंता,पाकिस्‍तान को Mi-35 लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर देने के रूस के कदम से भारत चिंतित

  Jun 05, 2014, 11:28AM IST

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नरेंद्र मोदी|बराक ओबामा|फेसबुक
नई दिल्‍ली. पड़ोसी देशों और अमेरिका के रिश्‍तों से जुड़ी कई खबरें हैं। अमेरिका से रिश्‍ते मजबूत होने के संकेत देने  वाली खबर है, तो चीन और पाकिस्‍तान से भारत की परेशानी बढ़ाने वाली खबरें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में अमेरिका जाकर राष्‍ट्रपति बराक ओबामा से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। उधर, मोदी के शपथ ग्रहण में तिब्‍बती प्रतिनिधि को बुलाने से चीन भड़क गया है। दूसरी ओर, पाकिस्‍तान Mi-35 लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर लाकर अपनी सेना को मजबूत करने में जुटा हुआ है। भारत के लिए ज्‍यादा चिंता की बात यह है कि ये हेलिकॉप्‍टर पाकिस्‍तान को भारत के दोस्‍त रूस द्वारा दिए जा रहे हैं।
 
चीन ने भेजा डिमार्शे
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के शामिल होने को लेकर पैदा हुए विवाद तो जाहिर है, लेकिन इस दौरान चीन के साथ भी विवाद हुआ था। दरअसल, चीन ने निर्वासन में रह रहे तिब्‍बती सरकार के राजनीतिक प्रमुख लोबसांग सांगेय की इस समारोह में मौजूदगी पर आपत्ति दर्ज कराई थी। चीन ने अपना विरोध जताते हुए भारत सरकार को बाकायदा एक बयान (डिमार्शे) भी भेजा था।
 
सांगेय को शपथ ग्रहण समारोह में विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। बाद में उन्‍होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था, माननीय राजनेता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बतौर विशेष अतिथि शामिल हुए।
 
खास बात यह है कि नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में ताइवान के व्‍यापार प्रतिनिधि भी मौजूद थे। भारत की चीन के साथ जो नीति है, उसके तहत ताइवान के साथ उसका कूटनीतिक रिश्‍ता नहीं है।
 
पाकिस्‍तान-रूस ने बढ़ाई भारत की चिंता 
पाकिस्‍तान को Mi-35 लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर देने के रूस के कदम से भारत चिंतित है और वह इस मामले पर लगातार नजर रख रहा है। रक्षा विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'बिल्‍कुल, हम इस पर चिंतित हैं।' हालांकि, रूस के ऐसे किसी कदम को उसका निजी मामला बताने संबंधी संकेत देते हुए अधिकारी ने कहा, 'अमेरिका और फ्रांस जैसे देश भी भारत और पाकिस्‍तान दोनों देशों को अपने हथियार बेचते रहे हैं। अगर फ्रांस अगस्‍ता-90B पनडुब्‍बी पाकिस्‍तान को बेचता है तो वह हमें स्‍कॉर्पिन पनडुब्‍बी बेचता है।'
अधिकारियों का यह भी कहना है कि रूस भले ही इस बार सीधे तौर पर पाकिस्‍तान को हथियारों की आपूर्ति कर सकता है, लेकिन पिछले कई सालों से चोरी-छिपे चीन के रास्‍ते रूसी हथियार पाकिस्‍तान पहुंचते रहे हैं।
 
इससे पहले रूस के रोस्‍तेक कॉरपोरेशन के प्रमुख सर्गेई शेमेजोव ने सोमवार को घोषणा की थी कि रूस ने पाकिस्‍तान पर लगाए गए हथियार प्रतिबंधों को हटा दिया है। तब उन्‍होंने कहा था, 'हम पाकिस्‍तान को Mi-35 लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर बेचने संबंधी समझौता कर रहे हैं।'
भारत में रूस के राजदूत अलेक्‍जेंडर एम कदाकिन ने कहा है कि पाकिस्‍तान को हेलिकॉप्‍टर बेचने संबंधी बातचीत अभी शुरुआती दौर में है। हालांकि, उन्‍होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि उनका देश उस तरह का कोई भी कदम नहीं उठाएगा जिसकी वजह से भारत के साथ उनके गहरे और कूटनीतिक रिश्‍ते को नुकसान पहुंचे। कदाकिन ने यह भी कहा था कि रूस की तरफ से पाकिस्‍तान पर कभी भी औपचारिक तौर पर हथियार बेचने संबंधी प्रतिबंध नहीं लगाया गया था।
 
मोदी सरकार पर भड़का चीन, पाकिस्‍तान-रूस ने भी बढ़ाई भारत की चिंता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर महीने के आखिर में अमेरिका जाएंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर महीने के आखिर में अमेरिका जाएंगे। मोदी वहां वॉशिंगटन में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में हिस्‍सा लेंगे।अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के साथ प्रधानमंत्री की बैठक इसलिए भी खास होगी क्योंकि गुजरात दंगों के बाद 2005 में नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा दिए जाने पर लगी रोक के बाद वह पहली बार अमेरिका जाएंगे।

ओबामा ने मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई देने के लिए जब फोन किया था, तभी उन्हें अमेरिका आने का न्योता भी दिया था। शपथ ग्रहण के अगले ही दिन पाकिस्‍तान से बातचीत की शुरुआत करने वाले मोदी ने इस फैसले से एक बार फिर लोगों को चौंकाया है। हालांकि, मोदी के प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित होते ही अमेरिका ने अपना रुख नरम कर लिया था और तत्‍कालीन अमेरिकी राजदूत नैन्‍सी पावेल ने उनसे गुजरात जाकर मुलाकात भी की थी।

अंग्रेजी अखबार द टाइम्‍स ऑफ इंडिया और हिंदुस्‍तान टाइम्‍स में छपी खबर के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी प्रशासन को अपने आने की जानकारी दे दी है। अब दोनों पक्ष बैठक की तारीखें तय करने में लगे हैं। मोदी इस दौरे के वक्‍त ही न्‍यूयॉर्क में होने वाली यूएन जनरल असेंबली में भी शामिल होंगे। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमेरिका की ओर से मोदी के दौरे के लिए 30 सितंबर की तारीख प्रस्‍तावित की गई, जबकि भारत यह बैठक 26 सितंबर को चाहता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि यूएन जनरल असेंबली में मोदी का भाषण इसी के आसपास प्रस्‍तावित है। अमेरिका में भारत के राजदूत एस जयशंकर 8 जून को देश लौट रहे हैं और वह मोदी से मिलकर दोनों देशों के बीच रिश्‍तों की वर्तमान जानकारी देंगे, जिसके बाद आगे की रणनीति तय होगी।

क्‍यों महत्‍वपूर्ण है अमेरिका 
मोदी ने अमेरिकी वीजा बैन के बावजूद इस बैठक के लिए मंजूरी देकर इस बात के संकेत दिए हैं कि वह दोनों देशों के बीच रिश्‍तों को बेहतर करने को ज्‍यादा तरजीह देते हैं। बता दें कि कुछ वक्‍त पहले भारतीय राजदूत देवयानी खोबड़ागड़े के मामले की वजह से दोनों देशों के रिश्‍तों में थोड़ी बहुत खटास आ गई थी। मोदी के इस फैसले यह भी पता चलता है कि भारतीय विदेश नीति में अमेरिका का कितना महत्‍व है। अभी तक यह माना जा रहा था कि मोदी आर्थिक मोर्चे पर चीन और साउथ कोरिया के साथ रिश्‍ते बेहतर करने पर जोर देंगे और जापान के साथ सामरिक रिश्‍तों को बढ़ावा देंगे, लेकिन उनके इस कदम से अब यह तय हो गया है कि मोदी अमेरिका के महत्‍व को कमतर करके आंकने के मूड में नहीं हैं। मोदी की एक चिंता अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेना के हटाए जाने के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर भी है, इ‍सलिए भी वह अमेरिका से रिश्‍तों को लेकर कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।

फरवरी से ही रिश्‍ते सुधारने की कोशिश में था अमेरिका 
मोदी के सरकार में आने से पहले ही अमेरिका ने रिश्‍ते सुधारने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया था। तत्‍कालीन अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल ने अहमदाबाद में मोदी से मुलाकात की थी। उधर, एक खास रणनीति के तहत अमेरिका ने भारतीय मूल की अपनी असिस्टेंट सेक्रेटरी निशा देसाई बिस्वाल को इस हफ्ते भारत भेजने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है जब अमेरिकी विदेश विभाग से कोई वरिष्ठ अधिकारी भारत आ रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, बिस्वाल 6 से 9 जून के बीच नई दिल्ली आएंगी और भारत के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगी। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों के अलावा देवयानी के मसले पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। निशा बिस्वाल को अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने साउथ एंड सेंट्रल एशियाई देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए नियुक्त किया था।

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