Wednesday, 3 December 2014

1971 #War: पाकिस्तानी सेना ने किया था दो लाख महिलाओं का रेप | पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बनने की कहानी | युद्ध के प्रभाव:तीस लाख लोगों की मौत,पाक की 1/2 नौसेना,1/4 वायु सेना और 1/3 थल सेना तबाह हो गई

पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बनने की कहानी

1971 war: पाकिस्तानी सेना ने किया था दो लाख महिलाओं का रेप 

युद्ध के प्रभाव:तीस लाख लोगों की मौत,पाक की 1/2 नौसेना,1/4 वायु सेना और 1/3 थल सेना तबाह हो गई

Dec 03, 2014

फोटो: पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में पाकिस्तानी फौज द्वारा आम नागरिकों का दमन। 
 
इंटरनेशनल डेस्क। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता के चलते आज ही के दिन 3 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना ने पाक फौज पर हमला बोल दिया था। 1965 की जंग के बाद यह दूसरा मौका था, जब दोनों देशों की फौजें आमने-सामने थीं। पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश की आजादी के लिए भारतीय फौज ने अमेरिका की धमकी को भी नजरअंदाज कर दिया था। अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में अपनी नौसेना का 7वां बेड़ा भारत को डराने के लिए तैनात कर दिया था। 
 
आखिर क्यों बना बांग्लादेश?
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के रूप में शुरू हुआ था। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था। पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम में बैठी केंद्र सरकार अपने तरीके से चला रही थी। उन पर भाषाई और सांस्कृतिक पांबदियां थोप दी गई थीं। इस कारण पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे। इन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फौज को इनका दमन करने के आदेश दिए। 
 
दो लाख महिलाओं के साथ रेप का दावा
इस दौरान पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग के बड़े नेता जैसे शेख मुजीर्बुर रहमान आदि को गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना द्वारा लगभग दो लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। करीब 20 से 30 लाख लोग मारे गए थे। करीब 80 से एक करोड़ लोगों ने भागकर भारत में शरण ली थी।
 
सबसे छोटा युद्ध
13 दिनों तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना से 16 दिसंबर को हथियार डाल दिए। भारतीय फौज ने करीब 90 हजार पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था। इसे सबसे कम समय तक चले युद्ध के तौर पर भी देखा जाता है।
 

कैसे हुई शुरुआत?

1971 में हुआ भारत-पाकिस्तान का युद्ध बांग्लादेश की स्थापना के लिए लड़ा गया था। सन् 1970 में पाकिस्तान में हुए चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान अवामी लीग ने 169 में से 167 सीटों पर जीत दर्ज की और शेख मुजीर्बुर रहमान ने संसद में सरकार बनाने की पेशकश की। मगर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसका विरोध किया। हालात इतने गंभीर हो गए कि राष्ट्रपति को सेना बुलवानी पड़ी। फौज में शामिल अधिकतर लोग पश्चिमी पाक के थे। पूर्वी पाक की सेना को यहां हार का सामना करना पड़ा और शेख मुजीर्बुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। बस यहीं से युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हुई।
 
भारत की भूमिका

27 मार्च, 1971 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता का समर्थन किया। भारत की सीमा पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के शरणार्थियों के लिए खोल दी गई। पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, मेघालय व त्रिपुरा राज्यों की सरकार ने इन शरणार्थियों के लिए शिविर बनाए। 


जल्द ही पूर्वी पाक के निष्कासित सैन्य अफसर और भारत के स्वयंसेवकों ने मिलकर मुक्ति वाहिनी का गठन किया, जिसने पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया। भारत ने हथियारों के माध्यम से मुक्ति वाहिनी को खुलकर समर्थन देना शुरू कर दिया। हिंसा के चलते भारत में करीब एक करोड़ शरणार्थी जमा हो चुके थे।
 
(फोटो: शेख मुजीर्बुर रहमान के साथ उनकी बेटी और वर्तमान में बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना।)
 
रिहा हुए रहमान
पाकिस्तानी सेना के समर्पण के साथ ही युद्ध समाप्त हो गया। इसके साथ ही बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बना। वह विश्व का तीसरा ऐसा देश भी बना, जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी थी। युद्ध में पाक की हार के बाद राष्ट्रपति याह्या खान ने इस्तीफा दे दिया और जुल्फिकार अली भुट्टो देश के नए राष्ट्रपति बने। उधर 10 जनवरी, 1972 को मुजीर्बुर रहमान को भी रिहा कर दिया गया।
 
भारत में करीब 90 हजार लोग बंदी बनाए गए, जिनमें पाक सैनिक और नागरिक शामिल थे। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद किसी सेना का यह सबसे बड़ा समर्पण था।
 
पाकिस्तानी जनरल एए के नियाजी अपनी सेना के आत्मसमर्पण के कागज पर दस्तख़त करते हुए। साथ में बैठे हैं जनरल जीएस अरोड़ा। 

शिमला समझौते के तहत भारत ने सभी युद्धबंदियों को रिहा कर दिया और पाक को उसकी 15 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन भी लौटा दी। तस्वीर में इंदिरा गांधी के साथ पाकिस्तानी पीएम जुल्फिकार अली भुट्‌टो। साथ में उनकी बेटी बेनजीर भुट्‌टो भी हैं।
 
युद्ध के प्रभाव
पूर्वी पाकिस्तान में दस से तीस लाख लोगों की मौत हुई। एक पाकिस्तानी लेखक तारिक अली के मुताबिक, पाक की आधी नौसेना, एक-चौथाई वायु सेना और एक-तिहाई थल सेना तबाह हो गई।
  पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिक एक व्यक्ति के खतने की जांच करता हुआ।
 
इस युद्ध में पाकिस्तान को कुल 63 विमानों का नुकसान हुआ, जबकि भारत के कुल 56 विमान नष्ट हुए। वहीं, शरणार्थी भी भारत के लिए समस्या बन गए थे। 

ढाका के पास मीरपुर में पाकिस्तानी सेना द्वारा किया नरसंहार।
 

   
 

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