वाह रे BJP!!!, नक्सली हिंसा के शिकार शहीद जवानों की वर्दियां कचरे में मिलीं
14 सुरक्षाकर्मियों की मौत के बाद उनके अवशेषों की तौहीन का मामला सामने
आया है
शहीदों की नाकद्री का हाल यह था कि मंगलवार को रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में जवानों के शवों के पोस्टमार्टम के बाद मृतकों की वर्दियां, और जूते कूड़े के ढेर में पड़े थे। शहीदों की यादों से जुड़ा यह सामान 24 घंटे इसी तरह कचरे में पड़ा रहा। अस्पताल मेंमरीजों के परिजनोंने इन चीजों को देखा तो स्तब्ध रह गए। बुधवार को उन्होंने इनकी तस्वीरें खींचकर पत्रकारों के पास भेज दिया।
शहीदों की नाकद्री की खबर फैलते ही राजनीति होने लगी। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस फौरन हरकत में आ गई और रायपुर के जिला कांग्रेस अध्यक्ष विकास उपाध्याय अपने कार्यकर्ताओं की टोली लेकर अस्पताल पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद वे शहीदों की खून सनी वर्दियां और अन्य संबंधित चीजें लेकर पार्टी दफ्तर ले गए और ‘सम्मानजनक’ ढंग से उनको रखा। इन लोगों ने इस बात की परवाह भी नहीं की कि किसी मृत व्यक्ति से संबंधित सामग्री पर, उसके परिजनों की अनुमति के बिना कब्जा करना भारतीय दंड संहिता के तहत चोरी का अपराध है।
बहरहाल जैसे ही यह खबर फैली, पुलिस ने कांग्रेस दफ्तर पहुंचकर मामले में दखल दिया। लेकिन नेताओं ने जवानों की इन चीजों को उन्हें देने से इनकार कर दिया। बाद में एक सीआरपीएफ कमांडेंट को लाया गया और कांगे्रस नेताओं ने इन चीजों को उनके हवाले किया।
राज्य कांग्रेस के मुखिया भूपेश बघेल ने कहा कि रमन सिंह सरकार ने शहीद जवानों से जुड़ी चीजों, खून से सनी वर्दियों को कचरे के ढेर के हवाले कर दिया था। हम उनका उचित संस्कार करने के लिए यहां लेकर आए। उधर भाजपा ने भी फौरन हरकत में आते हुए कांगे्रसियोें के इस रवैए की तीखी आलोचना की । भाजपा नेता शिवरतन शर्मा ने कांग्रेस पर लाशों की राजनीति करने का आरोप लगाया। घटना के बाद कांग्रेस ने इसे शहीदों का अपमान बताया और कहा कि शहीदों का अपमान करने वाली सरकार को एक पल भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार इसके लिए शहीदों के परिजनों और पूरे देश से माफी मांगे। जो सरकार शहीदों की स्मृतियों का सम्मान नहीं कर सकती उसे सत्ता में एक क्षण भी बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा सरकार शहीदों के अवशेषों को भी संभालकर नहीं रख सकी।
बघेल ने कहा कि मुर्दाघर के बाहर जवानों के जूते, कपड़े बिखरे पड़े हैं। शहीद जवानों की वर्दी कूड़ेदान में पड़ी मिलती है। शरीर के टुकड़ों को कुत्ते खा रहे हैं। भाजपा की सरकार में इतनी मानवता, इतनी सौजन्यता नही है कि शहीदों के अवशेषों और स्मृतियों को सम्मान के साथ रखे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के लिए यह नई बात भी नहीं है। इसके पहले शहीद जवानों के शव दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में कूड़ा गाड़ी में ढोए गए थे।
बहरहाल वर्दियों को कचरे में डालने का कसूर स्वीकार करने को कोई तैयार नहीं था।
आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक विवेक चौधरी ने ईएनएस को बताया कि यह मृतक के तीमारदारों की जिम्मेदारी होती है कि वह अवशेषों को जमा करे, पर उस समय सीआरपीएफ का कोई अधिकारी पोस्टमार्टम के दौरान अस्पताल में मौजूद नहीं था। हकीकत यह है कि बुधवार सुबह तक कोई भी इन चीजों को लेने के लिए नहीं आया। चौधरी का कहना है: हमने वर्दियां और अन्य संबंधित चीजें शवगृह में रखवा दी थीं। सुबह जब सफाईकर्मी आया तो उसने इन समानों को हटाकर बाहर रख दिया। यह सीआरपीएफ की जिम्मेदारी थी कि इन चीजों को संभालकर रखा जाता।
उधर सीआरपीएफ का कहना है कि पुलिस और अस्पताल को इन सामानों की देखभाल करनी चाहिए। सीआरपीएफ के आइजी एचएस सिद्धू का कहना है कि जब पोस्टमार्टम किया जाता है तो यह डॉक्टर की जिम्मेदारी है कि वह मृतक की चीजों को एक पैकेट में रखे। बाद में यह सामान पुलिस के हवाले किया जाता है। जब हमें खबर मिली कि कुछ लोग शहीदों की वर्दियां, सामान लेकर गए हैं तो हमने एक अधिकारी को भेजकर मामले को देखने को कहा ताकि शहीद जवानों से जुड़ी चीजें मिल जाए। यह दुर्भाग्य की बात है कि इस मामले में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
इधर, राज्य में नक्सल मामलोंं के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज ने कहा कि जवानों के शवों के पोस्टमार्टम के बाद वर्दियों को पुलिस अपने साथ ले आती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हो पाया। घटना की जानकारी मिलने के बाद सीआरपीएफ के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई और वर्दियों को वापस मंगाने के लिए कहा गया।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के उपमहानिरीक्षक प्रदीप चंद्रा ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद वर्दी को मंगा लिया गया है और इस मामले में गलती किसकी है जांच की जा रही है।
इस बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी विश्वरंजन ने इस कृत्य को शहीदों का अपमान बताते हुए कहा कि एक पुलिसकर्मी की वर्दी उसके लिए सबसे कीमती चीज होती है। उसे इस तरह फेंक देना बेहद अपमानजनक है। इन चीजों को या तो सुरक्षा दस्तों के संग्रहालय में रखना चाहिए या उनके परिजनों को सम्मान के तौर पर दे देना चाहिए। लेकिन सिद्धू का कहना है कि जवानों के सामान, वर्दियां, जूते वगैरह उनके परिजनों को नहीं दिए जाते। उनकी निजी सामग्री घर भेज दी जाती है, पर घटना के समय वे जो कुछ पहने होते है, उन्हें केस से जुड़ी सामग्री मानकर रखा जाता है।
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