खटीमा फाइबर्स सीज
सोमवार को बीओबी के मुख्य प्रबंधक श्यामलाल माली, क्षेत्रीय अधिकारी संजय कुमार झा, तहसीलदार आरसी गौतम, कोतवाल अजय ध्यानी, झनकइया थानाध्यक्ष दिनेश फत्र्याल पुलिस बल के साथ खटीमा फैक्ट्री पहुंचे। यहां उनकी फैक्ट्री के सीएमडी आरसी रस्तोगी के साथ तीखी नोकझोंक हुई। रस्तोगी बैंकों के इस आदेश को मानने के लिए तैयार नहीं हुए। इस पर तहसीलदार गौतम ने पुलिस को फैक्ट्री परिसर खाली कराने के आदेश दिये। इस पर पुलिस व बैंक अधिकारियों ने फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मियों को एक-एक कर बाहर निकाला। इस दौरान कार्रवाई का विरोध कर रहे सीएमडी रस्तोगी व अचल शर्मा को भी पुलिस ने खदेड़ फैक्ट्री गेट से बाहर कर दिया। इस कार्रवाई से काफी देर तक फैक्ट्री में अफरा-तफरी मची रही। परिसर खाली कराने के बाद बैंक अधिकारियों ने फैक्ट्री में अपना ताला जड़ दिया। मुख्य प्रबंधक माली ने बताया कि फैक्ट्री को सीज कर दिया गया है। रकम जमा न होने पर इसे नीलाम कर दिया जायेगा। इस मौके पर बैंक के अधिवक्ता ज्ञानेंद्र कुमार, श्यामसुंदर सिंह, आशीष जोशी, इमरान हुसैन के अलावा बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी मौजूद थे।
दो बैंकों से लिया था 109 करोड़ का कर्ज,बढ़कर अब तीन सौ करोड़ रुपये जा पहुंचा।
लोहियाहेड मार्ग स्थित खटीमा फाइबर्स फैक्ट्री की स्थापना वर्ष 1986-88 में हुई थी। इसी दौरान कंपनी के सीएमडी आरसी रस्तोगी ने बैंक ऑफ बड़ौदा की खटीमा शाखा से 74 करोड़ व आईसीआईसीआई बैंक दिल्ली से 35 करोड़ का कर्ज लिया था। इसके एवज ने बैंकों ने कंपनी की 162 बीघा भूमि व मशीनें मोडगेज की थीं। बैंक अधिकारियों का कहना था कि यह कर्जा दोनों बैंकों का ब्याज सहित बढ़कर अब तीन सौ करोड़ रुपये जा पहुंचा। इतना ही नहीं, 31 मार्च 2011 से बीओबी व वर्ष 2008 से आईसीआईसीआई बैंक में लेन-देन नहीं किया जा रहा था। फैक्ट्री प्रबंधन से धनराशि जमा करने के लिए कई बार आग्रह भी किया गया। लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद बैंकों ने सरफेसी अधिनियम की धारा-14 के तहत जिलाधिकारी से आदेश लिया।
30 साल पहले हुई थी फैक्ट्री की स्थापना
खटीमा: तराई में उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 1986-88 में सीएमडी आरसी रस्तोगी ने लोहियाहेड मार्ग पर खटीमा फाइबर्स फैक्ट्री स्थापित की थी। इसका शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने किया था। इस फैक्ट्री में सैकेड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता था। फैक्ट्री में पैकिंग पेपर का उत्पादन होता था जो विदेश सप्लाई किया जाता था। इस फैक्ट्री के पेपर की विदेशों में बहुत डिमांड थी। लेकिन अब यह फैक्ट्री नीलामी की कगार पर पहुंच गयी है।
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