Wednesday 20 May 2015

Modi Govt One Year: ‘भ्रष्टाचार’ पर मोदी का रिपोर्ट कार्ड ...BJP

Modi Govt One Year: ‘भ्रष्टाचार’ पर मोदी का रिपोर्ट कार्ड

21 May 2015
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भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़ा उनमें भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा था.
पिछले लगभग 10 वर्षों में पार्टी ने लगातार लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज के नेतृत्व में से कांग्रेस-यूपीए सरकार को कथित काला धन वापस लाने पर घेरने की कोशिश की थी.

ज़ाहिर है पिछले साल चुनावी बिगुल बजते ही पार्टी ने काले धन का मुद्दा उठाया और उससे जुड़े कई मुद्दे प्रचार का हिस्सा रहे:
1. भाजपा ने भ्रष्टाचार को 'राष्ट्रीय संकट' बताते हुए वादा किया था कि इसे जन चेतना के माध्यम से बनाए गए एक सिस्टम के तहत जड़ से मिटाएंगे.

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2. नागरिकों और सरकार के बीच बढ़ती दूरी और गलत व्यवहार को तकनीक पर आधारित ई-गवर्नेंस के ज़रिए दूर करेंगे.
3. मौजूदा कर प्रणाली, जो ईमानदार करदाताओं के लिए ज़्यादा सख्त है, उसकी प्रक्रिया को सरल और तरीकाबद्ध बनाया जाएगा.

दुनिया की नामचीन भ्रष्टाचार निरोधी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की भारतीय इकाई के प्रबंध निदेशक आशुतोष कुमार मिश्रा के मुताबिक़ भाजपा सरकार के वादे ज़्यादा थे और उनके पूरे होने के लिए एक वर्ष का समय कम है. उनके अनुसार:


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1. भारत का दुर्भाग्य है कि चुनाव के दौरान हुए वादों की न तो मॉनिटरिंग होती है और न ही बाद में उत्तरदायित्व लिया जाता है. काले धन की मिसाल भी यही है क्योंकि आज तक कोई ऐसी ठोस स्टडी नहीं हो सकी है जिससे इसकी तह तक पहुंचा जा सके. भाजपा भी जानती थी कि 100 दिन क्या एक वर्ष में भी कथित काले धन की वापसी नामुमकिन है.
2. दूसरी सबसे अहम बात ये है कि देश में हर दिन बढ़ते काले धन को सफेद करने की कोई कोशिश नहीं हुई चाहे वो ज़मीन-जायदाद की खरीद में हो या व्यापार में.
3. तीसरी अहम बात जो भाजपा सरकार को करनी ही पड़ेगी वो है निजी क्षेत्र में भ्रष्टाचार से निपटने वाले कानून या नीतियां लाना. आज तक इससे निपटने की कोई योजना नहीं बनती दिखी है.

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4. मोदी सरकार को भारत के मुख्य सतर्कता आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त जैसी बड़ी नियुक्तियों पर अपने कथित 'कड़े' रुख को लेकर सफ़ाई देनी पड़ी ये थोड़ा निराशाजनक ज़रूर रहा है.
5. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सालाना जारी होने वाली भ्रष्टाचार की सूची में भारत का स्थान इस वर्ष भले ही बेहतर हुआ है लेकिन अगर भारत 80वें से 100वें स्थान के बीच में भी रहेगा तब भी ये चिंता का ही विषय है.

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