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Wednesday, 20 May 2015
Tiger Ranthambhaur: होटल लॉबी के दबाव में बेघर हुआ एक बाघ!
Tiger Ranthambhaur: होटल लॉबी के दबाव में बेघर हुआ एक बाघ!
बारेठजयपुर, 21 may 2015
कभी रणथंभौर के सूखे पतझड़ी जंगल के इलाक़े में उसकी दहाड़ गूंजती थी, अब वो
एक अनजान से जंगली इलाक़े में अपनी खोई हुई बादशाहत तलाश रहा है.
वन्य अधिकारियों ने एक बाघ 'उस्ताद' (टी 24) को उसकी सल्तनत से बेदख़ल कर दिया है. इस बाघ पर नरभक्षी होने के आरोप के बाद रणथंभौर से दूर उदयपुर के निकट सज्जनगढ़ उद्यान में छोड़ दिया गया है. वन विभाग अपने इस फ़ैसले को सही बता रहा है, जबकि वन्यजीव प्रेमी इसमें रणथंभौर की प्रभावशाली होटल लॉबी का दबाव देख रहे हैं. जानकार
कहते हैं कि अपने आकर्षक व्यक्तित्व और शिकारी अंदाज़ की पहचान वाले
'उस्ताद' को इंसान और बाघ के हितों के बीच टकराव की क़ीमत चुकानी पड़ी है. इस
पर इंसानों पर लगातार हमले करते रहने का आरोप लगा है. वन विभाग के
मुताबिक़, "इस बाघ के हमलों से अब तक चार लोग जान गवां चुके हैं."
नरभक्षी होने का आरोप
विभाग के अनुसार, 'उस्ताद' ने बीती आठ मई को वन रक्षक रामपाल पर हमला कर दिया, इसमें वनरक्षक की मौत हो गई. रणथंभौर
के वन अधिकारी सुदर्शन शर्मा कहते हैं, "यहां उसकी मौजूदगी अब मानव जीवन
के लिए खतरा बन गई थी. लिहाजा विशेषज्ञों की कमिटी की राय पर उसे बेदख़ल
करना पड़ा है." उनके मुताबिक़, "इस इलाक़े में कई मंदिर हैं, श्रदालु आते जाते रहते हैं और उस्ताद उनके जीवन को संकट में डाल सकता था, लिहाजा उसे यहाँ से स्थानांतरित कर दिया गया है." सज्जनगढ़ में भी वन अधिकारी उसपर नज़र रखे हुए हैं. हालांकि अभी तक 'उस्ताद' व्यवहार सामान्य बना हुआ है. लेकिन वन्यजीव प्रेमियों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. रणथंभौर
क्षेत्र में गैर सरकारी संगठनों के एक समूह 'जन संवाद' के संयोजक
हरिप्रसाद योगी कहते हैं, "बाघ को होटल लॉबी के प्रभाव में बेदखल किया गया
है."
उनके
अनुसार, "मुझे नहीं लगता है कि उस्ताद नरभक्षी हो गया है. 'उस्ताद' ने
बड़ी मुश्किल से अपना इलाक़ा बनाया. वो बाघ है, शिकार उसकी फ़ितरत है,
लेकिन कभी दूसरे के घर नहीं गया, इंसान ने ही उसके घर में दखल की है." रणथंभौर
के एक वन्य प्रेमी कहते हैं, "वन रक्षक पर हमले की घटना के बाद उस बाघ को
सैंकड़ों लोगों ने देखा है, उसने फिर किसी पर हमला नहीं किया." वन्य प्रेमियों के अनुसार, उस्ताद के दो नर शावक अब भी रणथंभौर में हैं. उसकी गैर मौजूदगी में कोई दूसरा बाघ उनपर हमला कर सकता है. क़रीब 392 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में फैले रणथंभौर को बाघों की बेहतरीन पनाहगाह माना जाता है. इस इलाके में नील गाय, चीतल, हिरण, लोमड़ी, बन्दर, जरख और चिंकारा जैसे जानवर पाए जाते हैं.
thanks for the information
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