उत्तराखंड: पहाड़ में कूड़ा बीनने वाली विदेशी 'गार्बेज गर्ल'
शुक्रवार, 28 जून, 2013 को 13:23 IST तक के समाचार
उत्तराखंड आपदा में जान जोखिम
में डालकर सेना के जवान लोगों को बचाकर राहत शिविरों में ला रहे हैं, तो
स्थानीय लोग देहरादून जैसी जगहों पर बड़ी संख्या में अपनों का इंतज़ार कर
रहे लोगों की सेवा में लगे हैं.
खाना, पानी, ज़रूरी सामान.. पिछले एक हफ़्ते में
यहाँ कूड़े का अंबार लग गया है. कूड़े का ये ढेर अब अपने आप में एक समस्या
बन गया है.ऐसे में स्थानीय लोगों ने मिलकर 'गार्बेज गर्ल' को फ़ोन लगाया. ये हैं ब्रिटेन की नागरिक जोडी अंडरहिल, जिन्हें स्थानीय लोग 'गार्बेज गर्ल' यानी कूड़ा बीनने वाली लड़की कहते हैं. बिना गंदगी की परवाह किए जोडी और उसके साथी पिछले कई दिनों से क्लिक करें उत्तराखंड में कूड़ा-करकट साफ़ करने के अभियान में लगे हैं, जो बाढ़ के बाद देहरादून के सहस्रधारा हेलीपैड के पास जमा हो रहा है.
बारिश की वजह से पूरे इलाक़ों में पानी और कीचड़ जमा है और कीचड़ से सने इसी पानी में से जोडी कूड़ा इकट्ठा करने का काम कर रही हैं.
जोडी कहती हैं कि हेलिपैड पर जब बाढ़ में फँसे हुए लोगों को लाया जाता है तो उनके चेहरे पर राहत का भाव देखने लायक होता है और वहाँ का दृश्य भावुक हो जाता है. मगर इस सबको एक तरफ कर जोडी की टीम का ध्यान केवल और केवल गंदगी साफ़ करने में लगा है.
मैंने जब उन्हें फोन किया तो वो देहरादून में हेलिपैड से कूड़े के बड़े-बड़े पैकेट जमा कर वापस लौट रही थीं.
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अब जब उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा आई है तो जोडी भी मदद कार्यों में कूद पड़ी हैं. वह लोगों को बचाने या उनकी मदद का काम नहीं कर रहीं बल्कि ऐसे काम में लगी हैं जिसे कम ही लोग करना चाहते हैं.
हेलिपैड पर इतनी संख्या में जमा बाढ़ पीड़ित, उनके रिश्तेदार, राहतकर्मी पीछे बड़ी मात्रा में कूड़ा छोड़ जाते हैं जिसे अगर न हटाया जाए तो बीमारी का कारण बन सकता है. सरकारी संधाधन इसके लिए काफी नहीं हैं.
'कुदरत का निरादर'
बस जोडी ने यहीं रह जाने का मन बना लिया और अपने स्तर पर गंदगी से सने इलाक़ों में साफ़ सफाई का काम करना शुरु किया. और साथ ही लोगों को जागरुक करने का भी. वह 'वेस्ट वॉरियर्स' नाम का संगठन चलाती हैं.
हाथ में झाड़ू लिए और दस्ताने पहने साफ़-सफ़ाई करते उन्हें देखा जा सकता है. धीरे-धीरे लोग उनके साथ जुड़ते रहे और वह छोटे से संगठन के ज़रिए ये काम कर रही हैं. इसीलिए लोग उन्हें 'गार्बेज गर्ल' के नाम से भी पुकारते हैं
अपना देश छोड़कर कई सालों से भारत के पहाड़ों को ही अपना घर बना चुकी जोडी उत्तराखंड की त्रासदी से बेहद दुखी हैं. वह कहती हैं, "हमने पर्यावरण का इतना निरादर किया है, अब कुदरत ने हमें चेतावनी दी है. इतने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. हमें ये प्रण लेना चाहिए कि इतने लोगों की जो जान गई, वो ज़ाया न जाए. कुछ तो हम सीखें इससे."
फिलहाल तो वो देहरादून में हेलिपैड के पास साफ-सफाई में लगी है लेकिन जोडी मानती हैं कि समस्या कहीं ज़्यादा गंभीर हैं.
जोडी कहती हैं, "अभी बचाव कार्य समाप्त हो जाएगा. जब बाकी इलाक़ों तक हम पहुँचना शुरू करेंगे तो पता चलेगा कि कितनी गाद, गंदगी ऊपर से बहकर जमा हो गई है. गाँव दोबारा बसाने हैं तो गंदगी साफ करनी होगी. ये चुनौतीपूर्ण काम होगा. हम इसी की तैयारी कर रहे हैं."
जोडी आगाह करते हुई कहती हैं, "बहुत से लोग मदद करने के लिए पहुँच रहे हैं लेकिन अभी न रास्ते हैं, न खाने-पीने का सामान. हमें योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा. अभी तो शुरुआत है. बहुत काम करना बाकी है. इसलिए मदद करने की इच्छा करने वाले समन्वय के साथ चलें."
पान की पीक, गंदे नालों का कूड़ा...किसी भी तरह की साफ़-सफ़ाई में जोडी को कोई शर्म महसूस नहीं होती. वे भारत में रहकर यही काम करते रहना चाहती हैं और फिलहाल उनकी प्राथमिकता उत्तराखंड है.
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