यूपी के इंजीनियरों से AAP को मिला दिल्ली में सस्ती बिजली का फार्मूला
नई दिल्ली, 25 दिसम्बर 2013 | अपडेटेड: 15:16 IST
बिजली के बिल को आधा करने के चुनावी वादे के साथ दिल्ली में सरकार बनाने
जा रही आम आदमी पार्टी (AAP) को सस्ती बिजली का फॉर्मूला मिल गया है.
अरविंद केजरीवाल के बुलावे पर दिल्ली गए राज्य विद्युत परिषद संघ के
उपाध्यक्ष मोहम्मद फिरोज और ऑल इंडिया पॉ़वर इंजीनियर फेडरेशन के महासचिव
शैलेंद्र दुबे ने कई ऐसे रास्ते सुझाए हैं जिस पर चलकर दिल्ली को आधे दर पर
बिजली मुहैय्या कराई जा सकती है.
यूपी के तकनीकी विशेषज्ञों की अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक पिछले हफ्ते
दिल्ली में हुई. बैठक में शामिल हुए मोहम्मद फिरोज ने बताया कि तमाम
गुणा-गणित के बाद जो परिणाम सामने आए हैं, उस हिसाब से दिल्ली वालों को
आसानी से आधे रेट पर बिजली दी जा सकती है. दिल्ली में एक यूनिट बिजली के
लिए औसतन साढ़े आठ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं जबकि नए फार्मूले पर काम
करने से यह खर्च घटकर चार से साढ़े चार रुपये प्रति यूनिट हो जाएगा.
दिल्ली में वर्तमान में बिजली का रेट सात से 11 रुपये यूनिट है. दिल्ली सरकार को भाखड़ा नांगल डैम से हाइड्रो बिजली 30 पैसे प्रति यूनिट मिलती है. इसके अलावा नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC), जो कि केंद्र सरकार का है, इससे दिल्ली को 2.35 रुपये यूनिट की दर पर बिजली मिल रही है. इसके बावजूद प्राइवेट कंपनियों से साढ़े सात से साढ़े आठ रुपये यूनिट बिजली खरीदी जा रही है.
शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि दिल्ली में डिमांड साढ़े पांच से छह हजार मेगावाट बिजली की है जबकि सरकारी पूल से ही दिल्ली को साढ़े आठ हजार मेगावाट बिजली मिलती है. बिजली डिमांड से ज्यादा मिल रही है तो प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीदने की क्या जरूरत. इसके बावजूद तीन हजार मेगावाट की खरीद प्राइवेट कंपनियों से दिखाई जा रही है. इंजीनियर मोहम्मद फिरोज का कहना है कि पूरा खेल इसी में हो रहा है. दिल्ली में जो कंपनी वितरण व्यवस्था देख रही है, उसकी कुछ उत्पादन इकाइयां भी हैं. ट्रांसफार्मर आदि वह अपनी इकाइयों से खरीदती है. 100 का सामान 75 रुपये में पड़ता है लेकिन खरीद 300 रुपये में दिखाई जाती है.
प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीद और महंगे उपकरण पर जो खर्च दिखाया जाता है, उसकी वसूली आम जनता से की जाती है और इसी वजह से बिजली महंगी हो गई है. अगर प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीद बंद कर दी जाए और उपकरण सरकार सीधे अपने स्रोतों से खरीदे तो बिजली की कीमत घटकर 3.95 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी. अगर जनता को यह बिजली 4.65 रुपये प्रति यूनिट की दर से भी दी जाए तो आय बढ़ेगी और बिजली की कीमत आधी हो जाएगी.
दिल्ली में वर्तमान में बिजली का रेट सात से 11 रुपये यूनिट है. दिल्ली सरकार को भाखड़ा नांगल डैम से हाइड्रो बिजली 30 पैसे प्रति यूनिट मिलती है. इसके अलावा नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC), जो कि केंद्र सरकार का है, इससे दिल्ली को 2.35 रुपये यूनिट की दर पर बिजली मिल रही है. इसके बावजूद प्राइवेट कंपनियों से साढ़े सात से साढ़े आठ रुपये यूनिट बिजली खरीदी जा रही है.
शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि दिल्ली में डिमांड साढ़े पांच से छह हजार मेगावाट बिजली की है जबकि सरकारी पूल से ही दिल्ली को साढ़े आठ हजार मेगावाट बिजली मिलती है. बिजली डिमांड से ज्यादा मिल रही है तो प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीदने की क्या जरूरत. इसके बावजूद तीन हजार मेगावाट की खरीद प्राइवेट कंपनियों से दिखाई जा रही है. इंजीनियर मोहम्मद फिरोज का कहना है कि पूरा खेल इसी में हो रहा है. दिल्ली में जो कंपनी वितरण व्यवस्था देख रही है, उसकी कुछ उत्पादन इकाइयां भी हैं. ट्रांसफार्मर आदि वह अपनी इकाइयों से खरीदती है. 100 का सामान 75 रुपये में पड़ता है लेकिन खरीद 300 रुपये में दिखाई जाती है.
प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीद और महंगे उपकरण पर जो खर्च दिखाया जाता है, उसकी वसूली आम जनता से की जाती है और इसी वजह से बिजली महंगी हो गई है. अगर प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीद बंद कर दी जाए और उपकरण सरकार सीधे अपने स्रोतों से खरीदे तो बिजली की कीमत घटकर 3.95 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी. अगर जनता को यह बिजली 4.65 रुपये प्रति यूनिट की दर से भी दी जाए तो आय बढ़ेगी और बिजली की कीमत आधी हो जाएगी.
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