Wednesday 25 December 2013

'रईस लोगों की बिजली-पानी कैसे काटेगी सरकार'

'रईस लोगों की बिजली-पानी कैसे काटेगी सरकार'

 बुधवार, 25 दिसंबर, 2013 को 17:16 IST तक के समाचार

अरविंद केजरीवाल
दिल्ली में जिन वादों के साथ आम आदमी पार्टी सत्ता में आ रही है, उनमें प्रत्येक परिवार को हर दिन 700 लीटर साफ़ पानी मुहैया कराना भी शामिल है.
दिल्ली जैसे महानगर में हर परिवार को शर्तिया तौर पर हर रोज़ 700 लीटर पानी दे पाना क्या वाकई संभव होगा.
संवाददाता मोहनलाल शर्मा ने यही सवाल जब एक गैर सरकारी संगठन हज़ार्ड्स सेंटर के निदेशक दुनु रॉय के सामने रखा तो उन्होंने कहा कि दिल्ली में पर्याप्त पानी है, हालाँकि सिर्फ पर्याप्त पानी होने से बात नहीं बनेगी.
दुनु राय कहते हैं, ''लेकिन जिन लोगों को हर दिन 700 लीटर से अधिक पानी मिल रहा है, उन्हें मिल रहे पानी में कटौती करनी होगा.''
वह कहते हैं, ''अब आम आदमी पार्टी की सरकार ये कटौती कर पाती है या नहीं, ये एक प्रशासनिक मुद्दा है जो काफ़ी मुश्किल काम है.''

कैसे होगी कटौती?

सवाल ये भी है कि कटौती होगी तो कैसे होगी?
दुनु रॉय इसका भी जबाव देते हैं, ''जहां बड़े लोग, रईस लोग रहते हैं, बड़े होटल हैं वहां कटौती करनी होगी. वहां इन लोगों को गोल्फ कोर्स के लिए, बगीचे के लिए, गाड़ियां धोने के लिए जो पानी मिलता है, उस पर पाबंदी लगानी होगी. पानी के मीटर तो लगाने ही होंगे, साथ ही लगातार नज़र भी रखनी होगी कि कहां कितना पानी खर्च हो रहा है.''
दिल्ली, बिजली
वह कहते हैं कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई भी करनी होगी लेकिन दिल्ली जल-बोर्ड की व्यवस्था में ऐसा हो पाएगा या नहीं, ये देखने वाली बात है.
दुनु रॉय ये भी कहते हैं कि कड़ी कार्रवाई के दम पर ऐसी व्यवस्था करना संभव है.

मुद्दा बिजली का

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बिजली की मौजूदा दरों में पचास फ़ीसद तक कटौती करने की बात कही है.
क्या दरों में इतनी कटौती करना वाकई मुमकिन और मुनासिब होगा, इस सवाल के जबाव में दुनु रॉय कहते हैं, ''संभव तो है लेकिन इसकी वजह से अर्थशास्त्र की विद्या गड़बड़ा जाएगी. बिजली उत्पादन पर जितनी लागत आती है, कीमत उससे कम तो नहीं रखी जा सकती.''
"बिजली की दरों में कटौती की वादा पूरा किया तो बिजली की कीमत उसकी लागत से नीचे चली जाएगी. इसका मतलब है कि लगातार घाटा होगा और इस घाटे की भरपाई कहां से होगी, ये देखने वाली बात होगी."
डुनु रॉय
वे कहते हैं, ''बिजली की दरों में कटौती की वादा पूरा किया तो बिजली की कीमत उसकी लागत से नीचे चली जाएगी. इसका मतलब है कि लगातार घाटा होगा और इस घाटे की भरपाई कहां से होगी, ये देखने वाली बात होगी.''
बिजली कंपनियों के ऑडिट के मुद्दे पर वे कहते हैं कि इससे धांधली तो सामने आएगी और जो पैसा इधर से उधर हुआ है, वो सब पकड़ में आ जाएगा.
दुनु रॉय के मुताबिक, ''लेकिन कटु सत्य ये है कि बिजली उत्पादन की कीमत को कम करना आर्थिक रूप से संभव नज़र नहीं आता, बिजली वितरण की कीमत अलग बात है.''
बिजली चोरी के मुद्दे पर वे कहते हैं कि छोटी चोरियां तो पकड़ में आ जाती हैं लेकिन बड़ी चोरियां पकड़ में नहीं आती हैं, इन्हें पहले पकड़ना जरूरी है.

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