Sunday, 22 December 2013

क्लीनिकल ट्रायल:बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अब भारत में नई दवाओं का मनमाना परीक्षण करना भारी पड़ेगा

क्लीनिकल ट्रायल:बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अब भारत में नई दवाओं का मनमाना परीक्षण करना भारी पड़ेगा

अब नहीं होंगे मनमाने दवा परीक्षण

Central government strict on arbitrary drug tests

खास-खास

बदलेंगे न‌ियम
  • कई चरणों के सघन निरीक्षण, मंजूरी और जांच का नियम बनेंगे
  • दवा परीक्षण में शामिल व्यक्ति का संज्ञान लेना अनिवार्य
बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अब भारत में नई दवाओं का मनमाना परीक्षण करना भारी पड़ेगा। केंद्र सरकार ने हरेक परीक्षण को कई चरणों के सघन निरीक्षण, मंजूरी और जांच से गुजारने का निर्णय लिया है।

यदि दवा कंपनी चोरीछिपे परीक्षण का प्रयास करेगी तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अब सिर्फ प्रमाणन हासिल करने वाली कंपनियां किसी व्यक्ति से संज्ञान लेकर ही परीक्षण कर सकेंगी। साथ ही जोखिम उठाने वाले व्यक्ति को नुकसान या मौत होने पर मुआवजा देना होगा।

सर्वोच्च अदालत से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि क्लीनिकल ट्रायल और दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर प्रो. रंजीत राय चौधरी की अध्यक्षता में गठित की गई विशेषज्ञ समिति की उन तमाम सिफारिशों को मंजूर कर दिया है, जो दवा कंपनियों के मनमाने तौर-तरीकों पर लगाम कसने के लिए उन्हें कानूनी रूप से प्रतिबंधित करने में भी सक्षम हैं।

मंत्रालय ने दवा परीक्षण करने वाली कंपनियों के लिए प्रमाणन करने की सिफारिश को स्वीकार करते हुए नए दवा सलाहकार समितियों को विशेष समिति का नाम दिया है। यह समिति प्रमाणन के आवेदनों की समीक्षा करेगी और फिर तकनीकी पुनर्विचार समिति के समक्ष भेजेगी।

मंत्रालय के मुताबिक हरेक कंपनी को मंजूरी विशेषज्ञों की ओर से हरी झंडी देने के बाद ही दी जाएगी और सभी का पूर्ण ब्यौरा राष्ट्रीय स्तर पर कंप्यूटर में मुहैया कराया जाएगा ताकि निगरानी में कोई परेशानी न हो।

साथ ही कंपनियों के लिए यह जरूरी होगा कि दवा में लगने वाले केमिकलों व अन्य सामग्रियों की खरीद के लिए भी उसे अनुमति हो। मंत्रालय के मुताबिक ट्रायल से पहले कंपनी के उत्पाद की छानबीन की जाएगी।

इसके लिए जरूरी प्रावधान बनाए जाएंगे। मंत्रालय की ओर से विशेष समिति की उस सिफारिश पर भी निर्णय ले लिया गया है, जिसमें दवा परीक्षण से पूर्व उस व्यक्ति के संज्ञान लेने को अनिवार्य करने को कहा गया, जो परीक्षण में शामिल होने जा रहा हो। राज्य दवा नियामक अधिकारी और केंद्रीय अधिकारी लगातार हरेक दवा परीक्षण की निगरानी करेंगे।

पांच साल में 80 मौतें, 44 को दिया मुआवजा: केंद्र
केंद्र ने सर्वोच्च अदालत को सूचित किया था कि क्लीनिकल ट्रायल से देश में गत पांच वर्षों में 80 मौतें हुई हैं। इनमें से सरकार 44 मौत के मामलों में मुआवजा दे पाई है।

तमाम देशों में व्यापार करने वाली दवा कंपनियों की भारत में चिकित्सकीय परीक्षण करने रुझान लगातार बढ़ रहा है। जल्द संशोधित ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट संसद में पेश करेगी।

पांच साल के दौरान देश में अनुमति से 1548 क्लीनिकल ट्रायल हो चुके हैं। हालांकि अदालत ने केंद्र के जवाब पर असहमति जताई थी।

अब तक� 57 हजार से ज्यादा क्लीनिकल ट्रायल
सरकार के मुताबिक देश में क्लीनिकल ट्रायल के लिए 475 यूनिटें हैं। इनमें ट्रायल के लिए 57 हजार से अधिक ट्रायल पंजीकृत किए गए। 39 हजार 22 सबजेक्ट पर क्लीनिकल ट्रायल पूरे हो चुके हैं।

क्लीनिकल ट्रायल के दौरान 2644 मौतें हुई, लेकिन सभी मौतों के लिए ट्रायल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। नई दवाइयों के ट्रायल के दौरान 11972 मामलों में गंभीर परिणाम निकले।

लेकिन जिन लोगों पर यह प्रयोग किए गए, उनकी मौत नहीं हुई। लेकिन 506 लोगों को क्लीनिकल ट्रायल से गंभीर परेशानियां हुई।

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