Saturday, 6 September 2014

आर्मी ट्राइब्यूनल की वी के सिंह के खिलाफ कड़ी टिप्पणी,एएफटी ने सम्मान को चोट पहुंचाने के एवज में इन्हें इंडियन आर्मी को 1 लाख रुपये देने का निर्देश दिया



आर्मी ट्राइब्यूनल की वी के सिंह के खिलाफ कड़ी टिप्पणी





नई दिल्ली
VK-Singh

  

नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक मंत्री की वजह से शर्मिंगदी की स्थिति पैदा हो गई है। आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल (एएफटी) ने कहा है कि पूर्व आर्मी चीफ और वर्तमान में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री वी. के. सिंह ने नियम का उल्लंघन करते हुए मिलिटरी कोर्ट को अपने हिसाब से प्रभावित किया। एएफटी ने कहा कि उन्होंने बदले की भावना से सीनियर ऑफिसरों को प्रताड़ित कर इंडियन आर्मी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।

लेफ्टिनेंट जनरल पी. के. रथ को कोर्ट मार्शल से मुक्त कर दिया गया है। वह 33वीं कोर में तैनात थे। एएफटी ने सम्मान को चोट पहुंचाने के एवज में इन्हें इंडियन आर्मी को 1 लाख रुपये देने का निर्देश दिया है। एएफटी ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, 'याचिकाकर्ता को अनुचित प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है। इस वजह से सम्मान को काफी चोट पहुंची है। इंसाफ का जिस तरह से मजाक उड़ाया गया उसकी भारपाई नहीं की जा सकती।'

2011 में कोर्ट मार्शल के तहत जनरल रथ और मिलिटरी सेक्रेटरी लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश को पश्चिम बंगाल के सुकना में मिलिटरी कॉन्टेन्मेंट के पास 70 एकड़ प्लॉट में एजुकेशनल इंस्टिट्यूट बनाने के लिए प्राइवेट बिल्डर को दिए गए नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट में दोषी पाया गया था। अब ट्राइब्यूनल ने आर्मी के इस दावे को खारिज कर दिया है कि एजुकेशनल कॉम्पलेक्स का निर्माण खतरा बन सकता था। ट्राइब्यूनल ने कहा है कि सुकना स्टेशन के करीब हर तरह की सिविलियन ऐक्टिविटी सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है इस तर्क को किसी भी सूरत में कबूल नहीं किया जा सकता है।

सुकना प्लॉट केस की जांच जनरल वी. के. सिंह ने शुरू की थी। तब वह इस्टर्न आर्मी कमांडर थे। अपनी याचिका में एएफटी से जनरल रथ ने आरोप लगाया था कि जनरल वी. के. सिंह ने इस मामले को अनावश्यक रूप से तुल दिया क्योंकि जनरल अवधेश प्रकाश के खिलाफ उनकी गंभीर शत्रुता थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि वी. के. सिंह जन्म तिथि और अपनी सेवा विस्तार के मामले में जनरल अवधेश प्रकाश को बाधा मानते थे।

ट्राइब्यूनल ने जन्म तिथि विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी वजह से जनरल वी. के. सिंह को सेना का उप-प्रमुख नहीं बनाया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि उनके मन में प्रतिशोध की भावना आ गई। इसके लिए उन्होंने मिलिटरी सेक्रेटरी के जिम्मेदार ठहराया और बदले की भावना से काम किया। सिंह ने मौका मिलते ही अपने विरोधियों को निशाना बनाया।

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