Wednesday, 3 September 2014

निडर अमरीकी पत्रकार स्टीवेन सोटलॉफ़ जिसका सिर कलम हुआ

निडर अमरीकी पत्रकार स्टीवेन सोटलॉफ़ जिसका सिर कलम हुआ

4 सितंबर, 2014
स्टीवेन सोटलॉफ़
स्टीवेन सोटलॉफ़ दूसरे अमरीकी पत्रकार हैं जिनका इस्लामिक स्टेट ने क़त्ल करने का दावा किया है.
अमरीका ने उस वीडियो को सही बताया है जिसमें सोटलॉफ़ नारंगी जंपसूट पहने एक नक़ाबपोश के आगे घुटनों के बल बैठे हैं. इसके बाद उनका सिर कलम कर दिया जाता है.
इससे पहले पत्रकार जेम्स फ़ॉली के क़त्ल के वीडियो को अंत में एक नक़ाबपोश ने सोटलॉफ़ के क़त्ल की धमकी दी थी.
31 वर्षीय सोटलॉफ़ का एक साल पहले सीरिया में अपहरण किया गया था.
आशंका है कि उन्हें एलेप्पो के नज़दीक अग़वा किया गया और रक़्क़ा में रखा गया था.
रिपोर्टों के मुताबिक सोटलॉफ़ के परिवार ने उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उन्हें अग़वा किए जाने की ख़बर सार्वजनिक नहीं की थी.

मियामी में पले-बढ़े

स्वतंत्र पत्रकार सोटलॉफ़ ने टाइम्स पत्रिका, फ़ॉरेन पॉलिसी, क्रिश्चियन साइंस मॉनीटर और वर्ल्ड अफ़ेयर्स जर्नल समेत कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख लिखे थे.
वे मिस्र, लीबिया और सीरिया से रिपोर्टिंग कर चुके थे.
स्टीवेन सोटलॉफ़
अपने ट्विटर अकाउंट पर उन्होंने ख़ुद को 'स्टैंड अप फ़िलॉस्फ़र फ्रॉम मियामी' बताया है. उनका ट्विटर अकाउंट तीन अगस्त 2013 से निष्क्रिय है.
उन्होंने सीरिया, लीबिया, मिस्र और तुर्की के बारे में ट्वीट किए. साथ ही उन्होंने मियामी हीट बॉस्केटबॉल टीम के प्रति अपने लगाव के बारे में भी बताया.
मियामी में पले बड़े सेटलॉफ़ ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ़्लोरिडा में पत्रकारिता की पढ़ाई की थी.

पत्रकारिता से प्यार

उनके दोस्त इमर्सन लोट्ज़िया ने  बताया कि उन्हें पत्रकारिता से प्यार था.
उन्होंने बताया, "स्टीव बताते थे कि वहाँ हालात बहुत डरावने और ख़तरनाक़ थे. वहाँ रहना सुरक्षित नहीं था. ये जानते हुए भी वे वहाँ जाते रहते थे."
उनके लेख बताते हैं कि ख़तरों के बावजूद वे ज़मीनी रिपोर्टिंग के लिए कितने प्रतिबद्ध थे.
शिर्ले सोटलॉफ़
स्टीवेन सोटलॉफ़ की माँ शिर्ले सोटलॉफ़ ने चरमपंथियों से अपने बेटे को रिहा करने की अपील की थी.
साल 2013 की अपनी एक रिपोर्ट में उन्होंने मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड कैंप का विवरण दिया है. बावजूद इसके कि उनके दोस्तों ने उन्हें वहाँ न जाने की सलाह दी थी और
संभावित ख़तरों के बारे में आगाह किया था.
उन्होंने लिखा था, "मीठी चाय के कई कपों और एक घंटे के अर्थहीन संवाद के बाद मैं उठा, अहमद से हाथ मिलाया और सीधे वहाँ गया जहाँ उन्हें लगता था कि मुझे ख़तरा होगा."
वे अक़्सर युद्ध के मानवीय पहलू पर रिपोर्टें लिखते थे.
2013 के शुरुआती दिनों में विस्थापित सीरिया नागरिकों के संघर्ष और भोजन-पानी की कमी के बारे में उन्होंने अपनी रिपोर्टों में लिखा है.

विचारशील पत्रकार

उन्होंने 2012 में बेनग़ाज़ी में अमरीकी दूतावास के हमले के बारे में भी रिपोर्टिंग की थी.
उस वक़्त फ़ॉक्स न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने किसी भी संभावित अमरीकी हमले में सावधानी बरतने के लिए चेताया था.
लेखिका एन मारलो जो सोटलॉफ़ को लीबिया में किए गए उनके काम से जानती हैं बताती हैं, "वे यमन में रहते थे, अच्छी अरबी बोलते थे और इस्लामी दुनिया से ग़हरी मोहब्बत करते थे."

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