pharma companies blame archaic law for lack of swine flu drugs
कानून के कारण स्वाइन फ्लू की दवाओं की कमी: दवा निर्माता
मुंबई-पूरे देश में स्वाइन फ्लू का कहर जारी है। अब तक 600 से अधिक लोगों की इससे मौत हो गई है और हजारों लोग इससे पीड़ित हैं। अगर दवा निर्माता कंपनियों की बात मानें तो इन मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार है, जो एक पुराने रेग्युलेशन को हटा नहीं रही है।
देश के दवा निर्माताओं ने स्वाइन फ्लू की दवाओं की कमी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के एक रेग्युलेशन को जिम्मेदार ठहराया है। उन लोगों का कहना है कि इस रेग्युलेशन के कारण केमिस्ट्स उन दवाओं को खरीदते नहीं हैं जिस कारण उनको दवाओं के अपने भंडार को नष्ट करना पड़ा।
देश के दवा निर्माताओं ने स्वाइन फ्लू की दवाओं की कमी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के एक रेग्युलेशन को जिम्मेदार ठहराया है। उन लोगों का कहना है कि इस रेग्युलेशन के कारण केमिस्ट्स उन दवाओं को खरीदते नहीं हैं जिस कारण उनको दवाओं के अपने भंडार को नष्ट करना पड़ा।
फार्मासूटिकल कंपनियों का कहना है कि उनके पास स्वाइन फ्लू की दवाओं का
बड़ा स्टॉक है। पिछले 2 महीनों में देश भर में इस बीमारी से 600 से ज्यादा
लोगों की मौत हो चुकी है। कई मरीज अस्पतालों और केमिस्ट्स की दुकानों में
इस बीमारी के इलाज के लिए काम आने वाली दवाएं नहीं मिलने की शिकायत कर रहे
हैं। स्वाइन फ्लू के ट्रीटमेंट में काम आने वाली 2 प्रमुख दवाएं
ओसेल्टमिविर और जैनामाविर हैं। इन्हें सिप्ला, नैटको, हेटेरो और रैनबैक्सी
जैसी बड़ी फार्मा कंपनियों के साथ ही कुछ अन्य कंपनियां भी बनाती हैं। सीरम
इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया भी नैसोवैक और नैसोवैक एस के नाम से स्वाइन फ्लू से
बचने के लिए दवाएं बनाता है।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर अदर पूनावाला ने बताया, 'पिछले वर्ष स्वाइन फ्लू की दवाओं की डिमांड नहीं थी। इस वजह से बड़ी मात्रा में दवाएं एक्सपायर हो गईं और हमें उन्हें नष्ट करना पड़ा। केमिस्ट्स भी ये दवाएं हमसे नहीं खरीदना चाहते क्योंकि इनकी मांग नहीं है।' उन्होंने कहा कि हेल्थ मिनिस्ट्री की इन दवाओं को खरीदकर डिमांड साइकल बनाए रखने की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने बताया, 'अभी हम दोबारा प्रॉडक्शन कर रहे हैं और दवाओं के नए बैच तैयार हैं। इस वजह से हमारी ओर से कोई शॉर्टेज नहीं है।'
पूनावाला का कहना है कि मरीज भी इस बीमारी का असर कम होने के बाद वैक्सीन नहीं लगवाते। स्वाइन फ्लू सीजनल होता है और इसका इंफेक्शन गर्मी में कम हो जाता है और मॉनसून और सर्दी के सीजन में बढ़ता है। सिप्ला स्वाइन फ्लू के उपचार में काम आने वाली दवा ऐंटी फ्लू ब्रैंड नाम से बनाती है।
कंपनी ने बताया कि उसके पास दवा का बड़ा स्टॉक है। वह इसके बिकने का इंतजार कर रही है। सिप्ला के एक ऐग्जिक्यूटिव ने कहा, 'यह दवा ड्रग कंट्रोल के शेड्यूल X के तहत आती है और इसका स्टॉक रखने के लिए कई लाइसेंस की जरूरत होती है। इस वजह से केमिस्ट्स भी इसे नहीं रखना चाहते। अगर केमिस्ट्स बिना लाइसेंस लिए स्वाइन फ्लू की दवा बेचते हुए पकड़े जाते हैं तो उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो सकती है।' ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स ऐक्ट के तहत शेड्यूल X और H दवाएं 'रिस्ट्रिक्टिव' कैटिगरी में आती हैं। इस वजह से फार्मेसी और अस्पतालों में इनकी बिक्री पर प्रतिबंध हैं। नार्कोटिक्स ड्रग्स शेड्यूल X के तहत आने वाली दवाओं का एक उदाहरण हैं। इन शेड्यूल में स्वाइन फ्लू की दवाओं को शामिल करने के पीछे सरकार की यह आशंका है कि अगर इन दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया गया तो बीमारी पर इनका असर समाप्त हो सकता है।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर अदर पूनावाला ने बताया, 'पिछले वर्ष स्वाइन फ्लू की दवाओं की डिमांड नहीं थी। इस वजह से बड़ी मात्रा में दवाएं एक्सपायर हो गईं और हमें उन्हें नष्ट करना पड़ा। केमिस्ट्स भी ये दवाएं हमसे नहीं खरीदना चाहते क्योंकि इनकी मांग नहीं है।' उन्होंने कहा कि हेल्थ मिनिस्ट्री की इन दवाओं को खरीदकर डिमांड साइकल बनाए रखने की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने बताया, 'अभी हम दोबारा प्रॉडक्शन कर रहे हैं और दवाओं के नए बैच तैयार हैं। इस वजह से हमारी ओर से कोई शॉर्टेज नहीं है।'
पूनावाला का कहना है कि मरीज भी इस बीमारी का असर कम होने के बाद वैक्सीन नहीं लगवाते। स्वाइन फ्लू सीजनल होता है और इसका इंफेक्शन गर्मी में कम हो जाता है और मॉनसून और सर्दी के सीजन में बढ़ता है। सिप्ला स्वाइन फ्लू के उपचार में काम आने वाली दवा ऐंटी फ्लू ब्रैंड नाम से बनाती है।
कंपनी ने बताया कि उसके पास दवा का बड़ा स्टॉक है। वह इसके बिकने का इंतजार कर रही है। सिप्ला के एक ऐग्जिक्यूटिव ने कहा, 'यह दवा ड्रग कंट्रोल के शेड्यूल X के तहत आती है और इसका स्टॉक रखने के लिए कई लाइसेंस की जरूरत होती है। इस वजह से केमिस्ट्स भी इसे नहीं रखना चाहते। अगर केमिस्ट्स बिना लाइसेंस लिए स्वाइन फ्लू की दवा बेचते हुए पकड़े जाते हैं तो उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो सकती है।' ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स ऐक्ट के तहत शेड्यूल X और H दवाएं 'रिस्ट्रिक्टिव' कैटिगरी में आती हैं। इस वजह से फार्मेसी और अस्पतालों में इनकी बिक्री पर प्रतिबंध हैं। नार्कोटिक्स ड्रग्स शेड्यूल X के तहत आने वाली दवाओं का एक उदाहरण हैं। इन शेड्यूल में स्वाइन फ्लू की दवाओं को शामिल करने के पीछे सरकार की यह आशंका है कि अगर इन दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया गया तो बीमारी पर इनका असर समाप्त हो सकता है।
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