Sunday 8 March 2015

BJP-PDF: अलगाववादी नेता मशरत आलम की रिहाई पर भाजपा-पीडीपी में तकरार, ...के दौरान आलम सीमा पार के अपने आकाओं के करीबी संपर्क में था...

अलगाववादी नेता मशरत आलम की रिहाई पर भाजपा-पीडीपी में तकरार...के दौरान आलम सीमा पार के अपने आकाओं के करीबी संपर्क में था...

 


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मशरत आलम को उस राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों को हवा देने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था जिसमें 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
मशरत आलम को उस राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों को हवा देने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था जिसमें 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों अन्य घायल हुए थे। वर्ष 2010 में भूमिगत रहने के दौरान आलम सीमा पार के अपने आकाओं के करीबी संपर्क में था...अलगाववादी नेता मशरत आलम रिहा, ख़तरे में भाजपा-पीडीपी गठबंधन
जम्मू कश्मीर सरकार ने शनिवार रात खतरनाक कश्मीरी अलगाववादी नेता मशरत आलम को रिहा कर दिया जिसके खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित दर्जनों मामले दर्ज हैं और उसकी गिरफ्तारी को लेकर 10 लाख रुपए के नकद इनाम की घोषणा की गई थी। आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि 2008 व 2010 में घाटी में सुरक्षा बलों के खिलाफ पथराव की सिलसिलेवार घटनाओं की अगुआई करने वाले 44 वर्षीय मशरत आलम को बारामुला जिला जेल से बाहर निकाला गया। उसे वहां से शहीदगंज पुलिस थाने ले जाया गया जहां उसे उसके परिजनों को सौंप दिया गया।

आलम को एक समय कट्टरपंथी व अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का करीबी समझा जाता था। वर्ष 2010 में जब वह हड़ताल और पथराव आंदोलन की रूपरेखा तय कर रहा था, उसी समय उस पर नकद इनाम घोषित किया गया था। पुलिस ने जब राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए उसकी तलाश शुरू की तो वह भूमिगत हो गया। आलम को अक्तूबर 2010 में शहर के बाहरी क्षेत्र हरवान इलाके से पकड़ा गया। पुलिस व केंद्रीय एजंसियों ने उसे पकड़ने के लिए एक अभियान चलाया था।
आलम को मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के आदेश के बाद रिहा किया गया। सईद ने एक मार्च को राज्य में सत्ता की बागडोर संभालने के बाद सभी राजनीतिक बंदियों को जेल से रिहा करने का निर्देश दिया था। मुफ्ती को बताया गया था कि मशरत आलम जैसे कुछ ही लोग हैं जिन्हें शुरू में राजनीतिक कैदी के रूप में बंदी बनाया गया पर बाद में अन्य मामलों में कथित संलिप्तता के बाद उस पर धारा 121 (देश के विरुद्ध युद्ध झेड़ना) लगा दी गई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उसकी रिहाई के आदेश जारी किए।


आलम की मुसलिम लीग गिलानी की अगुआई वाले हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े का हिस्सा है। उसे उस राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों को हवा देने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था जिसमें 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों अन्य घायल हुए थे। वर्ष 2010 में भूमिगत रहने के दौरान आलम सीमा पार के अपने आकाओं के करीबी संपर्क में था और उसने गिलानी को हाशिए पर डालते हुए कट्टरपंथी अलगाववादी राजनीति में मुख्य भूमिका निभानी शुरू कर दी।

खतरे में पड़ेगा गठबंधन : भाजपा
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के आदेश पर शीर्ष अलगाववादी नेता मशरत आलम की रिहाई पर भाजपा ने आंखें तरेरते हुए कहा है कि इससे सत्तारूढ़ गठबंधन को ‘खतरा’ पैदा हो सकता है।
भाजपा युवा मोर्चे की जम्मू-कश्मीर इकाई ने शीर्ष अलगाववादी मशरत आलम की रिहाई के खिलाफ शनिवार को यहां प्रदर्शन किया। प्रदेश भाजपा की युवा शाखा के प्रमुख और नौशेरा से पार्टी के विधायक रविंद्र रैना ने बताया कि मशरत आलम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है क्योंकि वह कोई राजनीतिक कैदी नहीं बल्कि आतंकवादी है। अगर ऐसे राष्ट्रद्रोही व पाकिस्तान समर्थक तत्वों को रिहा किया जाता है तो गठबंधन सरकार चलाना काफी मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन खतरे में पड़ेगा क्योंकि हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। रैना ने कहा कि आतंकवादियों की रिहाई और उनका पुनर्वास सीएमपी का हिस्सा नहीं था। उन्होंने कहा कि आलम आतंकवादियों से भी ज्यादा खतरनाक है। भाजपा इसका विरोध करेगी और हम इस मुद्दे पर निश्चित तौर पर केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे।

सुरक्षा बलों ने भी आलम की रिहाई से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को खतरा बताया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा होगा। खासकर कश्मीर घाटी की शांति के लिए यह बड़ा जोखिम होगा जहां आलम ने पत्थरबाजी से लैस दो बड़े प्रदर्शन कराए और जिसमें कई लोगों की जानें गईं। अधिकारी ने कहा कि वह सैयद अली शाह गिलानी से भी ज्यादा ताकतवर शख्स है और उसके पास पत्थरबाजों व युवाओं की बड़ी फौज है।
इस बीच, आलम की रिहाई के फैसले पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और आरएसएस से अपना रुख साफ करने को कहा। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद रविंदर शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, आरएसएस के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और जम्मू क्षेत्र के रहने वाले उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह को आलम मुद्दे पर अपना रुख साफ करना चाहिए।


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