Sunday 31 May 2015

#OneRankOnePension Scheme #Army: 'वन रैंक वन पेंशन' की उलझन क्या है?इसे समझने के लिए Click on here ...उदाहरण के लिए मान लीजिए दो हवलदार अलग-अलग समय पर रिटायर हुए हैं तो एक को अगर 1000 रुपए मिल रहे हैं तो दूसरे को मुश्किल 30 रुपए मिल रहे हैं. दोनों की पेंशन में बहुत ज़्यादा अंतर है.

#OneRankOnePension Scheme #Army: 'वन रैंक वन पेंशन' की उलझन क्या है?इसे समझने के लिए Click on here

उदाहरण के लिए मान लीजिए दो हवलदार अलग-अलग समय पर रिटायर हुए हैं तो एक को अगर 1000 रुपए मिल रहे हैं तो दूसरे को मुश्किल 30 रुपए मिल रहे हैं. दोनों की पेंशन में बहुत ज़्यादा अंतर है.
 
1 June 2015
नरेंद्र मोदी, अमित शाह
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो संबोधन 'मन की बात' में पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए 'वन रैंक वन पेंशन' का जिक्र किया.

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने सेवानिवृत्त सैनिकों से वादा किया है कि मेरी सरकार वन रैंक वन पेंशन लागू करेगी."
उन्होंने आगे कहा, "मैं जितना मानता था उतना सरल विषय नहीं है, पेचीदा है...मैंने इसे सरल और सर्वस्वीकृत बनाने की दिशा में सरकार में बैठे सबको रास्ते खोजने में लगाया हुआ है."
क्या है 'वन रैंक वन पेंशन' मुद्दा, इसे समझने के लिए बात की पूर्व मेजर जनरल अफ़सर करीम से.
भारतीय सेना के जवान

पूर्व मेजर जनरल अफ़सर करीम

वन रैंक वन पेंशन का असल मुद्दा क्या है?
नौकरी से रिटायर होने वाले लोगों को उनके रिटायरमेंट के समय के नियमों के हिसाब से पेंशन मिलती है. यानी जो लोग 25 साल पहले रिटायर हुए हैं उन्हें उस समय के हिसाब से पेंशन मिल रही है जो बहुत कम होती है.
उदाहरण के लिए मान लीजिए दो हवलदार अलग-अलग समय पर रिटायर हुए हैं तो एक को अगर 1000 रुपए मिल रहे हैं तो दूसरे को मुश्किल 30 रुपए मिल रहे हैं. दोनों की पेंशन में बहुत ज़्यादा अंतर है.

सर्विसमैन का कहना है कि सवाल पैसे का नहीं, मुद्दा ये है कि क्या वो इतनी पेंशन में गुजारा कर सकता है. इसलिए माँग हो रही है कि एक रैंक के लोगों को एक तरह की पेंशन दें. इसके लिए कोई एक निश्चित तारीख तय करके सभी को अभी के हिसाब से पेंशन देने की माँग है.
भारतीय सेना के जवान

पूर्व सैन्यकर्मियों के भत्ते इत्यादि तो समय समय पर बढ़ते रहते हैं?
बेसिक पेंशन और भत्ता दोनों अलग-अलग चीज़ है. यहाँ बेसिक पेंशन की बात हो रही है. मान लीजिए जो पहले रिटायर हुए हैं उसकी बेसिक पेंशन 25 हज़ार थी, अब ये 50 हज़ार है तो दोनों में बहुत अंतर हो जाता है.

इसे लागू करने में अड़चन क्या है?
पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा ब्यूरोक्रेसी उलझा रही है. जो लोग शक़ पैदा कर रहे हैं वो यही कह रहे हैं कि अगर सेना में ये होता है तो दूसरी सेवाओं में भी इसकी माँग होगी, तो सरकार इतने संसाधन कहाँ से लाएगी.
ये भी मुद्दा है कि इसे कैसे और कब से लागू किया जाए, इसके लिए पैसा कहाँ से आएगा. सरकार को इन सब बातों पर विचार करना होगा.
भारतीय सेना के जवान

सेना के लिए दूसरे सेवाओं से अलग प्रावधान क्यों होना चाहिए?
सेना की नौकरी की दूसरी नौकरियों से तुलना नहीं की जा सकती. जैसे, एक आदमी जो दिल्ली में रहकर तनख़्वाह पाता है और दूसरा जंगल, पहाड़ या अन्य विषम परिस्थितियों में नौकरी करता है, दोनों की तुलना नहीं की जानी चाहिए.

प्रधानमंत्री ने कहा है कि ये मसला उतना सरल नहीं है जितना वो पहले समझते थे?
क़रीब तीन साल से इस पर विचार हो रहा है तो इस बारे में पहले सोचना चाहिए था, आज क्यों सोच रहे हैं. इसीलिए इसे लेकर मन में शक़ पैदा होता है कि कुछ लोग इसे रोकने या टालने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि पहले भी ये बातें हो चुकी हैं और ये मुद्दा टल चुका है.

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