मैगी से होने वाले 10 सबसे बड़े नुकसान, बर्बाद हो सकती हैं पीढ़ियां
| 4 Jun, 2015
नई दिल्ली। जिस मैगी को लोग दशकों से काफी चाव से खाते आ रहे है
उसने लोगों के भरोसे को तोड़ दिया है। जिस तरह से मैगी में तय सीमा से अधिक
मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) पाये जाने के बाद दो मिनट में पकने वाली
मैगी को खाने के बारे में लोग अब दो मिनट सोचना भी नहीं चाहते हैं।[मैगी पर बैन से इन 10 लोगों पर होगा सबसे ज्यादा असर]
मैगी में एमएसजी की मात्रा निर्धारित मात्रा से आठ गुना अधिक पायी गयी है। एमएसजी की साधारण भाषा में लेड यानि सीसा कह सकते हैं। उत्तर प्रदेश में जिन सैंपल्स की जांच की गयी है उसमें इसकी मात्रा 8 गुना से भी अधिक पायी गयी है।
यही नहीं 8 से 10 अन्य सैंपल्स में भी इसकी मात्रा कहीं अधिक पायी गयी है। जिसके चलते केरल और दिल्ली में इसकी बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है और फ्यूचर ग्रुप ने बिग बाजार सहित देशभर के अपने आउटलेट में मैगी की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है।
लेकिन जो लेड यानि एमएसजी मैगी में पाया गया है उसके अधिक इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में जानना आपके लिए काफी अहम है।
लेड की थोड़ी सी भी अधिक मात्रा का इस्तेमाल करने से आपके आईक्यू आपके व्यवहार और आपकी सीखने की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। इसीलिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इसके संपर्क में आने से रोकने की सलाह दी जाती है।
सरकारी तंत्र की नाक के नीचे बिकती रही दशकों से मैगी
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर सदियों से मैगी सरकार की नाक के नीचे बिकती रही है तो इससे हमारी पीढ़ियों को कितना नुकसान हुआ होगा। इसकी बिक्री सरकारी मशीनरी पर बड़ा सवालिया निशान लगाती है।
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मैगी में एमएसजी की मात्रा निर्धारित मात्रा से आठ गुना अधिक पायी गयी है। एमएसजी की साधारण भाषा में लेड यानि सीसा कह सकते हैं। उत्तर प्रदेश में जिन सैंपल्स की जांच की गयी है उसमें इसकी मात्रा 8 गुना से भी अधिक पायी गयी है।
यही नहीं 8 से 10 अन्य सैंपल्स में भी इसकी मात्रा कहीं अधिक पायी गयी है। जिसके चलते केरल और दिल्ली में इसकी बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है और फ्यूचर ग्रुप ने बिग बाजार सहित देशभर के अपने आउटलेट में मैगी की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है।
लेकिन जो लेड यानि एमएसजी मैगी में पाया गया है उसके अधिक इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में जानना आपके लिए काफी अहम है।
- खून की कमी हो सकती है
- जोड़ो में समस्या होती है
- सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है
- याददाश्त कमजोर होती है
- किडनी को भी नुकसान पहुंचता है
- लीवर पर खतरा बढ़ जाता है
- न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर आ सकता है
- सुनने की समस्या
- किसी चीज़ पर ज़्यादा देर तक ध्यान न दे पाना
- लेड से होने वाले नुकसान का असर काफी सालों पर दिखना शुरु होता है।
लेड की थोड़ी सी भी अधिक मात्रा का इस्तेमाल करने से आपके आईक्यू आपके व्यवहार और आपकी सीखने की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। इसीलिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इसके संपर्क में आने से रोकने की सलाह दी जाती है।
सरकारी तंत्र की नाक के नीचे बिकती रही दशकों से मैगी
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर सदियों से मैगी सरकार की नाक के नीचे बिकती रही है तो इससे हमारी पीढ़ियों को कितना नुकसान हुआ होगा। इसकी बिक्री सरकारी मशीनरी पर बड़ा सवालिया निशान लगाती है।
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